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अर्चना भले ही नहीं चाहती थी कि सुमिक्षा वहां रहे, लेकिन अब तो उसे वहीं रहना था. आखिर वही हुआ, जैसा ऊषा ने कहा था. अर्चना पूरी तरह वैसी सौतेली मां निकली, जैसा सौतेली मांओं के बारे में कहा जाता है. मां के व्यवहार से परेशान मासूम सुमिक्षा अकसर मंदिर के बरामदे में उदास बैठी रहती.

एक तो कालोनी की महिलाओं को पता चल गया था कि सुमिक्षा मंदिर के पुजारी बुद्धिविलास की पहली पत्नी की बेटी है, दूसरे उस में ऐसा न जाने क्या आकर्षण था कि हर महिला उस की ओर आकर्षित हो जाती थी.

सुमिक्षा के आने के बाद अर्चना को बेटा पैदा हुआ, जिस का नाम उस ने सुचित रखा. भाई के पैदा होने से सुमिक्षा का ध्यान मां की ओर से हट कर भाई पर जम गया. वह भाई के साथ अपना दिल बहलाने लगी. लेकिन बेटा पैदा होने के बाद अर्चना और क्रूर हो गई.

मंदिर के पास ही बनी मातृछाया बिल्डिंग में रहने वाले दवा व्यापारी अजय कौशिक की पत्नी संध्या कौशिक भी पूजापाठ के लिए मंदिर आती रहती थीं. एक दिन संध्या पूजापाठ कर के मंदिर के सीढि़यां उतर रही थीं तो सीढि़यों पर उन्हें रोती हुई सुमिक्षा मिल गई. उन्होंने रोने की वजह पूछी तो सुमिक्षा ने बताया कि मम्मी ने मारा है.

संध्या को पता था कि सुमिक्षा की मां अर्चना सौतेली है, जो उसे परेशान करती है. इसलिए उन्हें सुमिक्षा पर दया आ गई और वह बुद्धिविलास से पूछ कर उसे अपने घर ले गईं. उस दिन सुमिक्षा ने अपनी प्यारीप्यारी बातों से संध्या का मन मोह लिया. इस के बाद पता नहीं क्यों उन के मन में आया कि अगर वह सुमिक्षा को अपना लें तो उन के बेटों को एक प्यारी सी बहन मिल जाएगी.

शाम को बुद्धिविलास सुमिक्षा को अपने घर ले गया, पर संध्या की ममता सुमिक्षा के साथ जुड़ चुकी थी. उस दिन के बाद संध्या को सुमिक्षा अपनी बेटी सी लगने लगी. मन की बात जब उन्होंने अपने पति अजय कौशिक से कही तो वह सोच में पड़ गए. पराई बेटी के प्रति पत्नी के मोह ने उन्हें चिंता में डाल दिया था. वह जानते थे कि संध्या को एक बेटी की कमी खलती है, लेकिन दूसरे की बेटी के प्रति इतना प्यार उन की समझ में नहीं आ रहा था.

उस दिन के बाद संध्या अक्सर सुमिक्षा को अपने घर ले आने लगी. इस बीच उन्होंने महसूस किया कि सुमिक्षा काफी बुद्धिमान है. अगर इसे कायदे से पढ़ायालिखाया जाए तो आगे चल कर यह कुछ कर सकती है.

लगातार आते रहने से मासूम सुमिक्षा ने अजय कौशिक के दिल में भी अपने लिए जगह बना ली. अब वह उन के घर को अपना घर समझने लगी और कौशिक दंपति को मम्मीपापा कहने लगी. संध्या ने उस का नया नाम बिट्टू रख दिया. कालोनी वालों को भी पता चल गया कि संध्या सुमिक्षा को बेटी की तरह मानती हैं.

संध्या ने बुद्धिविलास से कहा कि वह सुमिक्षा को पढ़ाना चाहती हैं. अगर वह बुरा न माने तो वह उस का दाखिला करा दें. बुद्धिविलास को भला क्यों बुरा लगता. बेटी पढ़लिख कर कुछ बन जाए, इस से अच्छा और क्या हो सकता था. उस ने हामी भर दी तो भागदौड़ कर के अजय कौशिक ने सुमिक्षा का दाखिला आगरा के जानेमाने कान्वेंट स्कूल सेंट फ्रांसिस स्कूल में करा दिया.

सुमिक्षा स्कूल जाने लगी. स्कूल में सभी को यही लगता था कि वह अजय कौशिक की बेटी है. सुमिक्षा को पढ़ाई में दिलचस्पी थी, उस की राइटिंग भी बहुत अच्छी थी. अजय कौशिक ने सुमिक्षा का ट्यूशन भी कालोनी की टीचर विजय कुलश्रेष्ठ के यहां लगवा दिया था. सुमिक्षा अक्सर संध्या से सौतेली मां के अत्याचारों के बारे में बताती रहती थी.

सुमिक्षा का एक अच्छे अंग्रेजी स्कूल में पढ़ना अर्चना को जरा भी अच्छा नहीं लग रहा था. सौतेली बेटी के प्रति लोगों का स्नेह उस के मन में ईर्ष्या पैदा कर रहा था. उस ने यह भी महसूस किया था कि बुद्धिविलास अभी भी अपनी पहली पत्नी को भुला नहीं पाया है. उसे लगता था कि जब तक सुमिक्षा उस के साथ रहेगी, तब तक वह पहली पत्नी को भुला भी नहीं पाएगा. इसलिए वह किसी भी तरह सुमिक्षा से छुटकारा पाने के बारे में सोचने लगी.

इस के बाद अर्चना सुमिक्षा को पहले से ज्यादा परेशान करने लगी. डर की वजह से सुमिक्षा पिता से कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पाती थी. लेकिन कालोनी की अन्य औरतों को जब पता चला कि अर्चना इधर सुमिक्षा को कुछ ज्यादा ही परेशान करने लगी है तो उन्होंने इस बात की शिकायत बुद्धिविलास से कर दी.

जब बुद्धिविलास को पता चला कि अर्चना सुमिक्षा को परेशान करती है तो वह बेचैन हो उठा. वह बेटी के लिए ही उसे ब्याह कर लाया था. गुस्से में उस ने अर्चना की पिटाई कर दी.

पति की इस हरकत से अर्चना को बहुत गुस्सा आया. सुमिक्षा से वह वैसे ही नफरत करती थी, इस घटना से उस की नफरत और बढ़ गई. उस ने निश्चय कर लिया कि अब वह सुमिक्षा से छुटकारा पा कर ही चैन की सांस लेगी. इस के बाद वह पति से नाराज हो कर मायके चली गई.

अर्चना के जाने के बाद संध्या सुमिक्षा को अपने घर ले गई. जब सुमिक्षा संध्या के घर महीने भर से ज्यादा रह गई तो संध्या का मन हुआ कि वह सुमिक्षा को कानूनी तौर पर गोद ले लें. इस के लिए उन्होंने बुद्धिविलास से बात की, लेकिन वह तैयार नहीं हुआ.

दूसरी ओर अर्चना मायके पहुंची तो घर वालों की लगा कि वह घूमने आई होगी. लेकिन जब अर्चना ने कहा कि अब वह ससुराल नहीं जाएगी तो रमेश मिश्रा ने कहा, ‘‘बेटी की शादी कर के मांबाप यह सोच लेते हैं कि वे उस से मुक्त हो गए. मैं भी तुम से मुक्त हो चुका हूं. इसलिए अब तुम्हारे लिए इस घर में कोई जगह नहीं है.’’

मायके में अर्चना को कोई कामधाम तो करना नहीं होता था, इसलिए अपना समय वह टीवी पर आने वाले धारावाहिक देख कर बिताती थी. उन में कुछ आपराधिक कहानियों वाले धारावाहिक भी थे. उन्हीं में से कोई धारावाहिक देख कर उस ने सौतेली बेटी सुमिक्षा से छुटकारा पाने का उपाय खोज लिया.

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