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के. विश्वनाथ शर्मा बतौर इंजीनियर मर्चेंट नेवी में तैनात थे. नौकरी की वजह से उन्हें मुंबई में रहना पड़ता था. जबकि उन की पत्नी वमसी लता और 2 बच्चे राजेश और सीमा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के बमलेश्वरी नगर में रह रहे थे. उन का बेटा राजेश 11वीं में पढ़ रहा था और बेटी 9वीं में.

मर्चेंट नेवी में रहते हुए विश्वनाथ को शिप पर मुंबई से दुबई जाना होता था. इसी वजह से वह महीनोंमहीनों तक घर नहीं जा पाते थे. के. विश्वनाथ और वमसी लता की शादी को 18 साल बीत चुके थे. 2 किशोर बच्चों के मातापिता होने के बावजूद पतिपत्नी के संबंध सामान्य नहीं थे.

इस की वजह थी विश्वनाथ की शराबखोरी. शराब पी कर वह बिलकुल हैवान बन जाते थे. कई बार तो बच्चों के सामने ही पत्नी की पिटाई कर देते थे. उन की करतूत के लिए पिटाई शब्द हलका है, इसे तुड़ाई कहें तो बेहतर होगा. इसी सब के चलते विश्वनाथ और वमसी लता के संबंध कभी ठीक नहीं रह सके.

12 जुलाई, 2019 को के. विश्वनाथ लंबी छुट्टी ले कर सुबहसुबह रायपुर स्थित अपने घर पहुंचे. वह पत्नी और बच्चों के साथ कुछ दिन चैन से गुजारना चाहते थे. विश्वनाथ को उम्मीद थी कि उन्हें आया देख कर पत्नी और बच्चे खुश हो जाएंगे.

लेकिन जब वह बमलेश्वरी स्थित अपने आवास पर पहुंचे तो ऐसा कुछ नहीं हुआ. उन्हें देख कर पत्नी वमसी लता का चेहरा उतर गया. दोनों बच्चे राजेश और सीमा उस समय सोए हुए थे. जब वमसी लता ने उन का हालचाल नहीं पूछा तो वह समझ गए कि घर का माहौल पहले जैसा ही है, कुछ नहीं बदला.

एक बार तो विश्वनाथ ने सोचा कि उन्हें आना ही नहीं चाहिए था. लेकिन वह जानते थे कि शराब की लत के चलते इस माहौल को बनाया भी उन्होंने ही था. लेकिन यह भी सच था कि घर और बच्चों की फीस वगैरह के लिए वह वेतन का बड़ा हिस्सा घर भेजते थे. पत्नी के तेवर देख विश्वनाथ को गुस्सा आया, लेकिन उन्होंने खुद पर कंट्रोल कर लिया.

वमसी लता पति की परवाह न कर के अपने कमरे में सोने चली गई. विश्वनाथ को यह बात अच्छी नहीं लगी. वैसे भी उन्हें अपने कुछ मित्रों से मिलने जाना था. उन्होंने पत्नी को आवाज दी, ‘‘लता उठो, मुझे चाय पीनी है. चायनाश्ता बना दो. मुझे बाहर जाना है.’’

जब लता की ओर से कोई उत्तर नहीं मिला तो उन्होंने दोबारा आवाज दी. इस बार वमसी लता मन मसोस कर किचन में गई और चाय बनाने लगी.

लता चाय बना कर लाई और स्वभाव के अनुसार उन्हें घूर कर देखते हुए चाय रख कर चली गई.

विश्वनाथ ने लता को जाते देख गंभीर स्वर में कहा, ‘‘लता बैठो, मैं तुम से और बच्चों से मिलने आया हूं. कुछ दिन तुम लोगों के साथ गुजारूंगा.’’

लता जाते हुए बोली, ‘‘मैं, मेरे बच्चे तुम से कोई मतलब नहीं रखना चाहते. तुम खुद को बदल नहीं सकते तो इन बातों का क्या मतलब?’’

‘‘लता, तुम तो मेरा स्वभाव जानती हो. मुझे गुस्सा जल्दी आ जाता है, पर मैं खुद को बदल लूंगा.’’

‘‘मैं विश्वास कर सकती हूं क्योंकि मैं पत्नी हूं. लेकिन तुम क्या वाकई अपने आप को बदल सकते हो? मैं ऐसा वादा तुम्हारे मुंह से हजारों बार सुन चुकी हूं. रात में शराब पी कर फिर शैतान बन जाते हो.’’

के. विश्वनाथ शर्मा ने आवाज में दृढ़ता लाने का प्रयास करते हुए कहा, ‘‘मैं वाकई बदलना चाहता हूं. मेरा यकीन करो.’’

‘‘अच्छा, बातें बाद में होंगी, पहले चाय पी लो.’’ कह कर वमसी लता अपने कमरे में चली गई.

विश्वनाथ चाय की चुस्कियां लेते हुए मन ही मन सोच रहे थे कि वह कहां गलत हैं. शराब पीना, पत्नी पर हाथ उठाना. मगर यह भी तो नहीं सुधरी, इस का भी तो फर्ज है पति की भावनाओं का सम्मान करे.

चाय पी कर विश्वनाथ ने लता के कमरे की ओर देखा. वह कमरे का दरवाजा बंद कर के सो गई थी.

यह देख कर उन्हें बहुत कोफ्त हुई. सोचा क्या यही पत्नी धर्म है? मैं 6 महीने बाद आया हूं और यह महारानी मुझ से बातें किए बिना जा कर सो गई. सोच कर उन्हें गुस्सा आने लगा. उन्होंने धीरे से दरवाजा खटखटाया लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई.

उन्होंने दरवाजा जोर से खटखटाया तो खुल गया. सामने आंखों में गुस्से की आग समेटे वमसी लता खड़ी थी. उस ने पति को ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहा, ‘‘क्या बात है, क्या चाहते हो तुम?’’

‘‘तुम ने दरवाजा क्यों बंद कर लिया था, मैं क्या कुत्ता हूं जिसे बाहर से भगा दोगी. पति बाहर से आया है, और तुम त्रियाचरित्र दिखा रही हो.’’ के. विश्वनाथ का क्रोध जाग उठा.

‘‘साफसाफ सुनना चाहते हो सुनो, मैं तुम से कोई संबंध नहीं रखना चाहती.’’

‘‘तुम ऐसा क्यों कह रही हो. मैं कहां गलत हूं.’’

‘‘मैं 20 वर्षों से तुम्हारी नसनस से वाकिफ हूं. तुम इंसान नहीं हो, मैं औरत हूं, 2 बच्चों की मां. चाहती हूं कि मेरा घर संसारसुखी हो. लेकिन ऐसा नहीं हो सकता. तुम होने ही नहीं दोगे.’’

‘‘देखो, मैं अपनी जिम्मेदारी निभा रहा हूं मेरा सब कुछ तुम्हारा और बच्चों का है. मैं ने तुम्हें सारी सुखसुविधाएं दी हैं. फिर मेरे साथ ऐसा कठोर बर्ताव क्यों? लगता है, तुम ऐसे नहीं मानोगी.’’ कहते हुए विश्वनाथ ने वमसी लता की पिटाई शुरू कर दी.

होहल्ला सुन कर सीमा और राजेश आ गए. दोनों छिप कर मातापिता को लड़ते देख रहे थे. जब विश्वनाथ लता को पीटतेपीटते थक गए तो गालियां देते हुए अपने कमरे में जा कर बैठ गए और चिल्लाचिल्ला कर कहने लगे, ‘‘ऐसा है, तो मेरी नजरों से दूर चली जाओ. छोड़ दो मेरा घर. जहां तुम्हें सुखचैन मिले, वहीं चली जाओ अपने बच्चों को ले कर.’’

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