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जालौन जिले के उरई निवासी सूरज प्रसाद गुप्ता अपनी पत्नी, बेटे व बेटी के साथ 2015 में मथुरा जिले के वृंदावन आए थे. वे यहां गोशाला नगर, अटल्ला चुंगी स्थित श्रीकृष्ण धर्मशाला में किराए के मकान में रहने लगे. बात यह थी कि उन की 26 वर्षीय बेटी आरती की मानसिक स्थिति सही नहीं थी. वे उसे इलाज के लिए मेहंदीपुर बालाजी ले जा रहे थे.

राजस्थान के दौसा जिले में 2 अतिसुंदर पहाडि़यों के बीच स्थित है मेहंदीपुर बालाजी (हनुमान) का प्रसिद्ध मंदिर. यहां देश के कोनेकोने से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं. यह बालाजी का मंदिर दुनिया भर में विख्यात है. बालाजी कस्बे में समाधि गली में स्थित मुंबई धर्मशाला के पास ही एक दुकान पर 25 वर्षीय सोनू सैनी काम करता था. जन्माष्टमी के दूसरे दिन आरती नाम की अपने घर वालों के साथ बालाजी के दर्शन करने आई थी.

आरती के पिता सूरज प्रसाद गुप्ता ने अपना सामान दुकान पर रखा और बालाजी के दर्शन के बाद ले जाने की बात कही. सोनू ने उन का सामान अन्य ग्राहकों की तरह दुकान में रख लिया. प्रसाद खरीद कर वे मंदिर दर्शन करने चले गए. यहां सोनू और आरती की मुलाकात हुई. इस दौरान आरती और सोनू की आंखें चार हो गईं.

दर्शन के बाद सूरज प्रसाद अपना सामान लेने आए, इस समय भी आरती और सोनू दोनों एकदूसरे को चाहत भरी नजरों से देखते रहे.

इसे मौन प्रेम ही कहेंगे, क्योंकि दोनों चाहते हुए भी एकदूसरे से अपने मन की भावनाएं व्यक्त नहीं कर सके थे. हां, इतना जरूर हुआ कि जानपहचान हो जाने के चलते दोनों ने एकदूसरे को अपनेअपने मोबाइल नंबर जरूर दे दिए.

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