कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पत्नी आरती की गुमशुदगी की रिपोर्ट सोनू ने थाने में नहीं लिखाई. क्योंकि उसे डर था कि आरती खुद अपने घर से भाग कर आई है. ऐसे में यदि वह पुलिस के पास गया तो एक नई आफत गले लग जाएगी. उस की गुमशुदगी लिखा कर वह कोई मुसीबत मोल नहीं लेना चाहता था. सोनू अपने दोस्तों के साथ आरती को तलाश करता रहा. जब आरती नहीं मिली तो थकहार कर वह मेहंदीपुर बालाजी में एक दुकान पर काम करने लगा.

जेल से बाहर आने के बाद दौसा आ कर सोनू और गोपाल दोनों दुकानों पर काम करने लगे. इस के साथ ही दोनों अपने स्तर से आरती की तलाश भी करते रहे. साल 2021 में सोनू को पता चला कि उस की पत्नी आरती जिंदा है.

हुआ यह कि मेहंदीपुर बालाजी में एक युवक की सोनू के दोस्त गोपाल से मुलाकात हुई. वह युवक भी एक दुकान पर काम करता था. बातों ही बातों में उस युवक ने गोपाल को बताया कि रेबारी समाज के एक घर में उत्तर प्रदेश के जालौन की एक महिला कोर्ट मैरिज कर कुछ सालों से रह रही है. गोपाल को शक हुआ तो उस ने सोनू को यह बात बताई. इस के बाद दोनों दोस्तों ने आरती को तलाशने की योजना बनाई.

सोनू और गोपाल को पता चला कि आरती दौसा के विशाला गांव में दूसरे की पत्नी के रूप में रह रही है. इस जानकारी के बाद सोनू और गोपाल भेष बदल कर कभी सब्जी वाला तो कभी ऊंट गाड़ी चलाने वाला बन कर पहुंचे. इसी दौरान गांव में उन्हें आरती दिखाई दी, जिसे उन्होंने पहचान लिया.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 12 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...