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आरती के पास पैसे नहीं थे. इस वजह से बस वाले ने उसे बीच रास्ते में महुवा में ही उतार दिया था. महुवा में उतरने के बाद वह सोनू के इंतजार में 2 दिन तक भटकती रही, लेकिन सोनू नहीं आया. किसी तरह वह बालाजी पहुंची, मगर वह वहां भी नहीं मिला.

फिर वह मिठाई के एक कारखाने में काम करने लगी. वहां मजदूरी करने वाले विशाला गांव के भगवान नाम के युवक से मुलाकात हुई और फिर दोनों ने कोर्ट में शादी कर ली.

आरती के पहले पति सोनू का कहना था उस ने आरती को नहीं छोड़ा था. उस ने आरती को महुवा से जयपुर की बस में बैठाया. इस के बाद वह टिकट लेने के लिए गया. 2 टिकट ले कर जब वह लौट कर आया तो बस वहां से जा चुकी थी. इस के बाद उस ने बालाजी तक आरती को तलाश किया, लेकिन वह नहीं मिली. यदि आरती को छोड़ना ही होता तो उस के साथ शादी क्यों करता?

सोनू ने बताया कि वृंदावन पुलिस और एसओजी टीम ने हमें उठाया था. हम ने बताया था कि आरती बिना बताए कहीं चली गई है. हम ने उस की हत्या नहीं की है. पुलिस ने  रिमांड में हमारे साथ बहुत सख्ती की. एसओजी टीम ने नाखून उखाड़ने के बाद अंगुलियां मोड़ दीं. बोले एनकाउंटर में मार डालेंगे. 7 दिन की रिमांड में हड्डियां तोड़ देंगे. पुलिस ने सोनू से कहा कि मर्डर का जुर्म गोपाल के सिर डाल कर तुम्हें बचा लेंगे. अपनी जान की खातिर पुलिस के डर से झूठा जुर्म कुबूल करने को मजबूर होना पड़ा.

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