घटना मध्य प्रदेश के बैतूल जिले की है. 16 मार्च, 2019 को थाना शाहपुरा के गांव सारकुंड के डैम के पास लोगों की भीड़ जमा थी. लोग डैम के पानी पर तैर रही बोरी को देख रहे थे. उस बोरी को देख कर लोग अनुमान लगा रहे थे कि उस में किसी की लाश हो सकती है. जितने लोग उतनी बातें वहां होने लगीं.

सूचना मिलने पर गांव का चौकीदार गंगाराम भी वहां पहुंच गया. उस ने भी बोरी देखी तो उसे भी मामला संदिग्ध लगा. उस ने इस की सूचना थाना शाहपुरा के टीआई दीपक पाराशर को दे दी. आखिर बोरी में क्या है, जानने के लिए टीआई भी डैम के किनारे पहुंच गए.

उन्होंने 2 लोगों को डैम से वह बोरी निकलवाने के लिए भेजा. जब वे दोनों बोरी के पास पहुंचे तो पता चला बोरी वहां खड़े एक सूखे पेड़ के तने के निचले भाग से रस्सी से बंधी है. बोरी से तेज दुर्गंध आ रही थी. किसी तरह वे दोनों बोरी को डैम के बाहर ले आए. बोरी खुलवाई तो उस में एक जवान युवक की सड़ीगली लाश निकली. लाश की हालत देख कर लग रहा था कि युवक की हत्या एकडेढ़ हफ्ता पहले की गई होगी.

हत्यारों ने लाश की बोरी को पानी में खड़े सूखे पेड़ के तने के निचले हिस्से से इसलिए बांध दिया था, ताकि वह पानी से ऊपर न आए और पानी में सड़ कर ही नष्ट हो जाए लेकिन डैम के पानी का स्तर कम होने की वजह से बोरी दिख गई. इस से पुलिस को आभास हो गया कि हत्यारे बेहद शातिर हैं.

टीआई ने इस की सूचना उच्चाधिकारियों को दी तो एसपी कार्तिकेयन, एडिशनल एसपी गजेंद्र सिंह कंवर और डीएसपी महेंद्र मीणा भी मौके पर पहुंच गए.

एफएसएल टीम भी वहां आ चुकी थी. शव के क्षतिग्रस्त हो जाने की वजह से कोई भी उसे नहीं पहचान सका. बुरी तरह डैमेज हो चुके शव का पोस्टमार्टम जिला अस्पताल में होना संभव नहीं था, इसलिए टीआई दीपक पाराशर ने उसे पोस्टमार्टम के लिए मैडिको लीगल संस्थान भेज दिया.

टीआई पाराशर के लिए यह मामला किसी चुनौती से कम नहीं था. इस चुनौती से निपटने के लिए पहली जरूरत मृतक की शिनाख्त की थी. इसलिए टीआई ने बैतूल के अलावा आसपास के जिलों के थानों में भी युवक के शव की फोटो के साथ अज्ञात लाश मिलने की जानकारी भेज दी.

टीआई पाराशर को जल्द ही जिले के चिचौली थाने में दर्ज हुई एक गुमशुदगी के बारे में जानकारी मिली. पता चला कि चिचोली थाने में 21 फरवरी, 2019 को 22 वर्षीय राजकुमार की गुमशुदगी दर्ज हुई थी, जिस का अभी तक पता नहीं चल पाया था.

बरामद लाश और राजकुमार का हुलिया मिलताजुलता था. इसलिए टीआई ने राजकुमार के परिवार वालों को शाहपुरा बुला कर शव के कपड़े और कलाई में पहना कड़ा दिखाया तो उन्होंने बताया कि कपड़े और कड़ा तो राजकुमार के ही हैं.

इन चीजों से उस अज्ञात लाश की शिनाख्त राजकुमार के रूप में हो गई. इस के बाद टीआई ने मृतक के परिवार वालों से पूछताछ की तो उन्होंने राजकुमार के ससुराल वालों पर हत्या का शक जाहिर किया.

राजकुमार की ससुराल चिचौली थाने के आमढाना गांव में थी. यह गांव लाश मिलने के स्थान से ज्यादा दूर नहीं था. राजकुमार के परिवार वालों ने यह भी बताया कि दीवाली के बाद से राजकुमार की पत्नी लक्ष्मी उर्फ गौरा अपने मायके में रह रही थी.

राजकुमार पत्नी को लाने के लिए कई बार ससुराल जा चुका था. पर वह आने का नाम नहीं ले रही थी. इस बात को ले कर कई बार उस का ससुराल वालों से विवाद भी हुआ था. घर वालों ने बताया कि राजकुमार घर से नई साड़ी ले कर ससुराल से पत्नी को लाने की बात कह कर घर से निकला था, जिस के बाद वह घर वापस नहीं लौटा.

इस जानकारी से टीआई दीपक पाराशर का शक राजकुमार की ससुराल वालों पर जा कर ठहर गया. लेकिन उन्होंने जल्दबाजी में सीधे हाथ डालने के बजाए पहले अपने मुखबिरों से जानकारी जुटाई कि जिस रोज राजकुमार घर से ससुराल के लिए निकला था. उस रोज उस की ससुराल की गतिविधियों में क्या कुछ नया था.

जल्द ही पता चल गया कि उस रोज राजकुमार की ससुराल में रात भर संदिग्ध गतिविधियां चलती रही थीं. उस का साला रामरतन और कुछ अन्य लोग रात को बाइक ले कर कहीं गए भी थे. इस जानकारी के बाद थानाप्रभारी ने एक टीम भेज कर राजकुमार की पत्नी लक्ष्मी और उस के साले रामरतन को पूछताछ के लिए उठवा लिया.

दोनों से पूछताछ की गई तो वे इस बारे में कुछ भी जानने से इंकार करते रहे. उन्होंने बताया कि फरवरी के तीसरे हफ्ते में राजकुमार ससुराल आया ही नहीं था. जबकि आमढाना के कुछ लोग उस रोज राजकुमार के आमढाना में देखे जाने की बात बता चुके थे. इस से लग रहा था कि भाईबहन दोनों झूठ बोल रहे हैं.

इस के बाद टीआई ने दोनों से सख्ती बरती तो जल्द ही लक्ष्मी और रामरतन टूट ही गए. उन्होंने स्वीकार किया कि राजकुमार की आए दिन मारपीट से तंग आ कर उस की हत्या की गई थी. दोनों ने अपने उन साथियों के नाम भी बता दिए जो हत्या में साथ थे.

उन के द्वारा अन्य लोगों के नाम बताए जाने पर पाराशर ने त्वरित काररवाई करते हुए अन्य आरोपियों पप्पू निवासी शीतलझीरी और रिकेश निवासी नहरपुर, आमढाना को भी गिरफ्तार कर लिया.

साथ ही उन की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त लाठी, डंडे और 2 मोटरसाइकिलें बरामद कर लीं. इन्हीं मोटरसाइकिलों पर राजकुमार की लाश को लाद कर डैम तक ले जाया गया था. इस के बाद विस्तार से की गई पूछताछ में पूरी कहानी इस प्रकार सामने आई—

चोली थाने के अंतर्गत गोधरा गांव का रहने वाला 22 वर्षीय राजकुमार मजदूरों की ठेकेदारी का काम करता था. वह इलाके के मजदूरों को ठेकेदार के तौर पर आसपास के इलाकों में मजदूरी के लिए ले जाता था. इस से राजकुमार की माली हालत दूसरे मजदूरों से अच्छी थी, साथ ही मजदूरों का मुखिया होने के कारण वह अपने आप को खास समझता था.

राजकुमार चढ़ती जवानी के जोश में था सो जिन युवतियों को वह मजदूरी करवाने ले जाता था. उन के यौवन पर पहला हक भी खुद का समझता था. मजदूर युवती की अपनी मजबूरी होती थी. राजकुमार इस का भरपूर फायदा उठाता था.

इसी बीच सन 2017 के अंत में राजकुमार अपने साथ जिन मजदूरों की टोली को ले कर बैतूल में चीनी के क्रेशर पर काम करने गया था, उस टोली में आमढाना इलाके में सब से खूबसूरत मानी जाने वाली 19 साल की लक्ष्मी उर्फ गौरा भी शामिल थी. लक्ष्मी राजकुमार की टोली में पहली बार मजदूरी करने के लिए शामिल हुई थी.

राजकुमार की नजरें ऐसी नई युवतियों की तलाश में रहती थीं, सो लक्ष्मी को देखते ही उस ने उस का शिकार करने की ठान ली. इतना ही नहीं जिस रोज वह टोली को ले कर बैतूल पहुंचा उसी रात उस ने जबरदस्ती कर लक्ष्मी के साथ संबंध बना भी लिए. राजकुमार कई मजदूर युवतियों को शिकार बना चुका था. लेकिन गौरा उर्फ लक्ष्मी की बात कुछ और थी. लक्ष्मी की खूबसूरती और मादकता में राजकुमार का ऐसा मन रमा कि वह उसे भुला नहीं सका.

इतना ही नहीं, जब टोली काम खत्म कर वापस आई तो राजकुमार ने लक्ष्मी को अपने घर पर जबरन साथ रख लिया. आदिवासी समाज में यूं तो अवैध संबंधों का चलन कम नहीं है, लेकिन इस तरह बिना शादी किए किसी को साथ रखने की सामाजिक मान्यता नहीं थी.

इसलिए जब परिवार और समाज का दबाव बढ़ा तो राजकुमार ने लक्ष्मी की मरजी के बिना उस से शादी कर ली. क्योंकि वह उसे किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहता था. गरीबी के कारण राजकुमार की वासना को चुपचाप सहन कर रही लक्ष्मी को भरोसा था कि कभी तो उस की देह से इस पापी का मन भरेगा और उसे छुटकारा मिल जाएगा.

जबरन शादी करने के बाद लक्ष्मी के दिल में राजकुमार के प्रति नफरत का सैलाब उमड़ने लगा. इधर कुछ दिनों बाद वही हुआ जो लक्ष्मी ने सोचा था. राजकुमार को आए दिन लड़कियां बदलने की आदत थी. वह फिर और दूसरी मजदूर युवती के संग रासलीला रचाने लगा.

राजकुमार लक्ष्मी को दूसरी मजदूर लड़कियों की तरह गुलाम समझता था. जब वह उस के साथ जबान लड़ाने लगी तो राजकुमार को यह सब बुरा लगने लगा. उस की बढ़ती हिम्मत देख राजकुमार ने सुबहशाम उस की पिटाई करनी शुरू कर दी. यह जानकारी जब लक्ष्मी के भाई रामरतन को हुई तो उस ने राजकुमार को समझाने की कोशिश की. लेकिन राजकुमार ने रामरतन की भी पिटाई कर दी.

साथ ही वह लक्ष्मी को भी रोजाना पीटने लगा. इस से तंग आ कर लक्ष्मी दीवाली के मौके पर राजकुमार को छोड़ कर अपने मायके चली गई.  लक्ष्मी के जाने के 2 दिन बाद राजकुमार ससुराल पहुंचा तो पता चला कि लक्ष्मी वहां से अपनी बहन के पास हरदा चली गई है. इस पर राजकुमार को शक हो गया कि लक्ष्मी के हरदा में अपने बहनोई से अवैध संबंध हैं.

उस ने हरदा जा कर लक्ष्मी और उस की बहन के पति दोनों के साथ मारपीट की और वापस घर आ गया. लक्ष्मी अब राजकुमार के साथ हरगिज नहीं रहना चाहती थी. इसलिए वह हरदा से चुपचाप होशंगाबाद चली गई. वहां रह कर वह मजदूरी करने लगी.

वहीं दूसरी ओर राजकुमार आए दिन आमढाना जा कर लक्ष्मी के लिए गालीगलौज करने लगा, वह उन्हें तंग कर के लक्ष्मी का पता मालूम करने की कोशिश करता. पता बताने के लिए कभी वह ससुर को पीट देता तो कभी साले को. और तो और कभी गुस्से में आ कर ससुराल के आंगन में घूम रहे मुरगामुरगी को पकड़ कर उन की गरदन मरोड़ देता. इस सब से ससुराल वाले उस से तंग आ चुके थे.

इसी बीच पास के एक गांव में लक्ष्मी के भाई रामरतन का रिश्ता पक्का हो गया. इस बात की खबर लगने पर राजकुमार समझ गया कि लक्ष्मी जहां भी होगी भाई की शादी में शामिल होने के लिए अपने घर जरूर आएगी.

इसलिए वह उस के मायके पर नजर रखने लगा. फरवरी में भाई की सगाई के मौके पर लक्ष्मी गांव आ गई. जिस दिन उस का पूरा घर सगाई करने पास के गांव गया, मौका देख कर राजकुमार अपनी ससुराल आमढाना पहुंच गया और लक्ष्मी को खींच कर अपने साथ लाने लगा.

लक्ष्मी के विरोध करने पर वह उस के संबंध बनाने की जिद पर अड़ गया. इस पर लक्ष्मी ने योजना से काम किया. उस ने राजकुमार से कहा, ‘‘मैं साथ चलने को राजी हूं लेकिन घर वालों को आ जाने दो. फिर तुम दामाद की तरह आना और मैं पत्नी की तरह तुम्हारे साथ चलूंगी.’’

‘‘लेकिन नहीं चली तो याद रखना, तेरे घर वालों के सामने ही मैं तुझे जमीन पर गिरा कर क्या हाल करूंगा तूने सोचा भी नहीं होगा.’’ राजकुमार ने पत्नी को धमकी दी.

‘‘कर लेना बाबा, लेकिन तभी ना जब मैं साथ चलने को मना करूंगी. मैं ने घर वालों से बात कर ली है. वे सब तैयार हैं.’’ लक्ष्मी बोली.

राजकुमार पत्नी की बातों में आ कर वापस घर लौट गया और शाम को पत्नी के लिए नई साड़ी ले कर उसे लेने के लिए घर से निकल गया. दूसरी तरफ लक्ष्मी के परिवार वाले भाई की सगाई कर वापस आए तो उस ने उन्हें रोते हुए राजकुमार के वहां आने की बात बता दी थी.

घर वाले राजकुमार से पहले से ही तंग आ चुके थे. इसलिए उन्होंने उस का काम तमाम करने की ठान ली. शाम के समय राजकुमार जैसे ही गांव के पास पहुंचा तो लक्ष्मी के साथ उस के भाई रामरतन, शीतलझीरी निवासी पप्पू और नहरपुर आमढाना निवासी रिकेश ने उसे घेर कर लाठियों से पीटपीट कर अधमरा कर दिया.

इस के बाद उस के गले में कपड़ा लपेट कर उस की हत्या कर दी. फिर उस की लाश को बोरे में भर कर डैम में खड़े एक पेड़ के तने के निचले भाग से बांध दिया. ताकि लाश पानी में ही गल कर तहसनहस हो गए.

लेकिन गरमी बढ़ने से पानी का स्तर घटा तो लाश पानी से ऊपर आ गई. केस का खुलासा हो गया. शाहपुरा टीआई दीपक पाराशर ने लक्ष्मी, रामरतन, पप्पू और रिंकेश से पूछताछ के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

कहानी सौजन्यसत्यकथा,  जुलाई 2019

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