सूचना प्रौद्योगिकी में आई क्रांति ने हर इंसान की जिंदगी को आसान बना दिया है. महानगरों से ले कर छोटेबडे़ शहरों में रहने वाले अब जेब में ज्यादा नकदी नहीं रखते. इन की जेब में रखे पर्स अब कई तरह के कार्ड से भरे होते हैं. इन में डेबिट क्रैडिट कार्ड से ले कर और भी न जाने कितनी तरह के कार्ड होते हैं.

इस के अलावा लोगों में औनलाइन बैंकिंग और औनलाइन शौपिंग का भी प्रचलन तेजी से बढ़ा है. औनलाइन लेनदेन में और खरीदारी ने भले ही लोगों को एक नई सुविधा दी है, लेकिन कई मायनों में इस से उन की परेशानियां भी बढ़ गई हैं. एटीएम और क्रैडिट कार्ड से धोखाधड़ी के रोजाना नएनए मामले सामने आते रहते हैं. जालसाज एटीएम कार्ड हैक कर ग्राहकों का डेटा चुरा रहे हैं.

एटीएम कार्ड के क्लोन बना कर ठगी की जा रही है. पिछले कुछ सालों से औनलाइन शौपिंग करने वाले ग्राहकों के डेटा भी चोरी किए जाने लगे हैं. बैंक व बीमा उपभोक्ताओं के डेटा भी गुपचुप तरीकों से चुराए जा रहे हैं. यही कारण है कि अब हत्या, लूट और डकैती से ज्यादा साइबर अपराध के मामले सामने आ रहे हैं.

बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में तो कुछ जगहों पर साइबर अपराध के बाकायदा अघोषित स्कूल भी चल रहे हैं. इन स्कूलों में युवाओं को साइबर अपराधों के नित नए पैंतरे सिखाए और बताए जाते हैं. साइबर अपराधों के मास्टरमाइंड आम जनों से ठगी करने के रोजाना नए तरीके ईजाद कर रहे हैं.

पिछले कुछ सालों से देश में कालसेंटरों की बाढ़ सी आ गई है. इन में तीनचौथाई कालसेंटर किसी न किसी तरह का फरजीवाड़ा कर रहे हैं. ग्राहकों के चुराए गए डेटा इन्हीं फरजी कालसेंटर चलाने वालों को बेचे जाते हैं.

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