जैसे ही महिमा को यह पता चली कि फिल्म प्रमोटर अक्षय पारिजा ने अर्चना और उस के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया है तो अचानक से महिमा के अंदर तूफान जोश मार गया और सोचने लगी यही सही मौका है और लोहा भी गरम है चोट कर दो. क्योंकि वह भी 3 साल से अर्चना नाग से पीडि़त थी.
उस के बंद आस्तीन से निकल कर कई बार बाहर जाने की उस से कोशिश की थी, लेकिन उस के चंगुल से आजाद नहीं हो सकी थी. उसे आज वह सुनहरा मौका मिल गया था. घिनौनी जिंदगी से आजादी मिलने की.
3 सालों से उसे वेश्यावृत्ति के धंधे में झोंक दिया था. खुद तो कोठे की मौसी बन बैठी थी और कई जिंदगियों को नरक में धकेल दिया था.
हिम्मत जुटा कर महिमा खंडगिरी थाने जा पहुंची और एसएचओ संजय कुमार को आपबीती सुना कर एक लिखित नामजद तहरीर उन्हें सौंप दी. उस तहरीर में उस ने विस्तार से जिक्र किया था कि अर्चना नाग ने कैसे कोल्डड्रिंक और खाने में नशीला पदार्थ मिला कर उसे पिला दिया था.
उस के बाद अर्चना नाग, उस के पति जगबंधु चांद और उस का सहयोगी खगेश्वर नाथ तीनों मिल कर उस की नग्न फिल्म बना कर उसे मानसिक और शारीरिक रूप से नोचनोच खाने लगे थे.
उस की दर्दभरी कहानी सुन कर एकबारगी एसएचओ संजय कुमार के भी रोंगटे खड़े हो गए थे. फिलहाल उन्होंने विधिक काररवाई करते हुए मुकदमा आईपीसी की धरा 341, 328, 324, 354सी, 370, 386, 387, 388, 389, 416 के तहत अर्चना नाग, जगबंधु चांद और खगेश्वर नाथ के खिलाफ दर्ज कर के काररवाई शुरू कर दी थी. यह बात 2 अक्तूबर, 2022 की है.
4 साल में कमाए 30 करोड़
अर्चना नाग के खिलाफ 2 अलगअलग थानों में गंभीर घटनाओं के मुकदमे दर्ज किए गए थे, जिन में एक घटना 3 करोड़ रुपए की मांग करना तो दूसरी उसी के सिंडीकेट की सदस्य महिमा को धोखे से नशीला पदार्थ खिला कर उस की नग्न तसवीरें उतार लेने की. दोनों ही घटनाएं बड़ी और गंभीर थीं, इसलिए अर्चना को गिरफ्तार करना अब पुलिस की मजबूरी थी.
खैर, मामला सैक्स स्कैंडल से जुड़ा हुआ था. कानून के हिसाब से जब तक पुलिस का कोई बड़ा अधिकारी ऐक्शन लेने के लिए सामने नहीं आता, एसएचओ संजय कुमार अर्चना के खिलाफ कुछ नहीं कर सकते थे.
उन्होंने इस घटना की जानकारी डीसीपी प्रतीक सिंह और पुलिस कमिश्नर सोमेंद्र प्रियदर्शी को दे दी थी. पुलिस अधिकारियों ने गुप्त तरीके से अर्चना नाग के खिलाफ सबूत जुटाने शुरू कर दिए थे, ताकि उस के खिलाफ कड़ी से कड़ी काररवाई की जा सके.
पुलिस कमिश्नर सोमेंद्र प्रियदर्शी ने घटना की जांच डीसीपी प्रतीक सिंह को सौंप दी थी. उन्होंने अर्चना की लाइफस्टाइल की पड़ताल की तो उन के पैरों तले से जमीन खिसक गई थी. जांच में उन्होंने पाया कि अर्चना ने 4 सालों में 30 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति अर्जित की थी.
यही नहीं, विदेशी नस्ल के 4 कुत्ते, एक सफेद घोड़ा, महंगी कारें और भुवनेश्वर के मंचेश्वर और सत्य विहार में 3 आलीशान कोठियां हैं. ये सब कुछ महज 4 सालों में अर्जित की थीं.
पुलिस यह सोच कर हैरान थी कि आखिर उस के हाथ ऐसा कौन सा कुबेर का खजाना लग गया था, जो चंद सालों में धनपति बन गई थी.
इन सभी बातों का खुलासा अर्चना नाग के गिरफ्तार होने के बाद ही होता. उस के खिलाफ पुलिस ने काफी सबूत इकट्ठा कर लिए थे.
सबूत इकट्ठा करने के बाद पुलिस ने अर्चना नाग, उस के पति जगबंधु चांद और उस के सहयोगी खगेश्वर नाथ को 7 अक्तूबर, 2022 को उस के घर जगमारा न्यू रोड, खंडगिरी से गिरफ्तार कर लिया और उन्हें अदालत के सामने पेश कर झारपाड़ा जिला जेल भेज दिया.
अर्चना नाग के गिरफ्तार होने के बाद पुलिस जांच में जो आईने की तरह सच सामने आया, उस से ओडिशा राज्य के कूल्हे हिल गए थे. प्रदेश में भूचाल सा आ गया था. पता चला कि अर्चना ने सैक्स स्कैंडल के जरिए प्रदेश सरकार के करीब 25 मंत्रियों, 18 विधायकों, नौकरशाहों, फिल्मकारों और बड़ेबड़े उद्योगपतियों को हनीट्रैप का शिकार बनाया था.
प्रदेश में बीजू जनता दल की सरकार है. वे मंत्री और विधायक इसी दल के थे, जो अर्चना नाग के हनीट्रैप का शिकार बने थे. विपक्षी पार्टी भाजपा, उन मंत्रियों और विधायकों के नाम उजागर करने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री बीजू पटनायक पर दबाव बना रही थी.
प्रदेश सरकार ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि कानून सही तरीके से अपना काम कर रहा है. सही समय आने पर उन के नामों का खुलासा किया जाएगा. जो इस हनीट्रैप का शिकार बने हैं और उन की नजदीकियां नाग से हैं. सरकार की नीयत पर संदेह न करें, उस पर भरोसा रखें.
पुलिस जब तक जांच की काररवाई पूरी करती है, आइए तब तक हम पढ़ते हैं ये अर्चना नाग कौन है? उस का जन्म कहां हुआ था? उस की परवरिश किन हालात में हुई थी? उस की जगबंधु चांद से मुलाकात कैसे हुई? आदि.
27 वर्षीय खूबसूरत अर्चना नाग का जन्म ओडिशा के कालाहांडी जिले के छोटे से गांव केसिंगा में हुआ था. उस के मांबाप बहुत गरीब थे. वह 2 भाईबहन थी, जिन में वह सब से बड़ी थी. अर्चना के पिता की बरसों पहले स्वाभाविक मौत हो चुकी थी. पति की मौत के बाद घर की जिममेदारी का बोझ अर्चना की मां के कंधों पर आ गया था.
बच्चों की परवरिश के लिए मां ने नौकरी की. नौकरी की कमाई से ही वह अपने बच्चों की परवरिश करती रही. बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की कोशिश की. उन की अच्छी शिक्षा पर पैसे खर्च किए, उन्हें किसी चीज की कमी नहीं होने दी.
यह भी सच है कि खुद नीलम भूखी रह जाती थी मगर बच्चों को कभी भूखा नहीं सोने दिया. आखिरकार, दोनों बच्चे ही तो उस की आंखों के तारे थे.
जिस मुफलिसी और गरीबी के दौर से वह अपने बच्चों को ले कर जी रही थी, उस निर्धनता का बेटी अर्चना को दिल की गहराई से एहसास था.
पति ने दिखाया अमीर बनने का रास्ता
गरीबी का अक्स अर्चना के बाल दिमाग पर ऐसा उभरा था कि जैसेजैसे वह सयानी होती जा रही थी, बस यही सोचती थी कि कब वह दिन आएगा, जब वह गरीबी की मैली चादर फेंक कर दौलत के नरम बिस्तर का सुख भोगेगी.