कानपुर (देहात) जनपद के गजनेर थानांतर्गत भिलसी नाम का एक गांव बसा है. कालीचरन अपने परिवार के साथ इसी गांव में रहता था. उस के परिवार में पत्नी के अलावा 3 बेटियां और 2 बेटे थे. कालीचरन किसान था. उस के पास 3 बीघा उपजाऊ जमीन थी. कृषि उपज से ही वह परिवार का भरणपोषण करता था. अब तक उस ने अपनी 2 बेटियों की शादी कर दी थी.
सब से छोटी बेटी का नाम सरोजनी था. वह शादी लायक हुई तो मांबाप को उस की शादी की चिंता हुई. कालीचरन उस के लिए लड़का तलाशने लगा. उस की तलाश औरैया जिले के गांव रैपुरा में खत्म हुई. यहीं का रहने वाला दिनेश सरोजनी के लिए सही लगा तो उन्होंने उस की शादी दिनेश से कर दी.
सरोजनी भले ही साधारण परिवार की थी, लेकिन उस के मन में भी तमाम सपने थे. उसे उम्मीद थी कि पति के यहां उस के सारे सपने पूरे हो जाएंगे. जब वह ससुराल गई तो पता चला कि ससुराल में सास जमुना का हुक्म चलता है. वही सब को इधर से उधर नचाती है.
दिनेश दिबियापुर कस्बे में एक आढ़त पर काम करता था. वह कईकई दिनों बाद घर आता था. जब भी घर आता, शराब की बोतल ले कर आता. जब तक यहां रहता, दिन भर घर के बाहर ही रहता. सरोजनी को बहुत जल्दी ही पता चल गया कि दिनेश न केवल दारूबाज है, बल्कि चरित्रहीन भी है.
शादी के एक सप्ताह बाद ही सरोजनी को गृहस्थी की सारी जिम्मेदारी मिल गई. वह अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभा भी रही थी, लेकिन सास जमुना की चिकचिक उसे चैन नहीं लेने देती थी. घर पर दिनेश होता तब भी, न होता तब भी. वह उसे छोटीछोटी बातों पर डांटती रहती थी.
एक दिन दिनेश शराब पी कर आया तो सरोजनी ने उसे प्यार व तकरार से समझाया. यह तकरार सास ने सुन ली तो गुस्से में बोली, ‘‘तेरा बाप तो इसे शराब ला कर देता नहीं. अपनी कमाई से पीता है. फिर इस में तुझे क्या परेशानी है?’’
‘‘सासू मां, शराब पीना अच्छी बात नहीं. फिर मुझे बदबू भी आती है,’’ सरोजनी ने कहा.
सरोजनी की यह बात दिनेश को इसलिए बुरी लगी, क्योंकि उस ने मां की बात का जवाब दिया था.
उस ने सरोजनी के बाल पकड़े और घसीटता हुआ कमरे में ले गया. इस के बाद उस की जम कर पिटाई की. अभी शादी को एक महीना भी नहीं बीता था कि पति ने उस पर हाथ उठा दिया था.
उस दिन के बाद दिनेश शराब पी कर किसी न किसी बात पर उस की पिटाई करने लगा. सरोजनी को लगा कि दिनेश के साथ जीवन बिताना संभव नहीं है. उस ने निश्चय कर लिया कि वह मायके जाने के बाद दोबारा ससुराल नहीं आएगी.
रक्षाबंधन का त्यौहार आया तो उस का भाई उसे अपने साथ लिवा लाया. मायके में सरोजनी को उदास देख कर एक दिन उस की मां जयदेवी ने उदासी का कारण पूछा तो उस ने बताया कि दिनेश अच्छा इंसान नहीं है. वह शराब पीता है और उस के साथ मारपीट करता है. इसलिए अब वह उस के साथ रहना नहीं चाहती.
तलाक के बाद बेटी की कर दी दूसरी शादी
बेटी की बात सुन कर जयदेवी परेशान हो उठी. शाम को कालीचरन लौटा तो उस ने सारी बात उसे बताई. बेटी के साथ ज्यादती की बात सुन कर कालीचरन भड़क उठा. उस ने कहा हम ने तो कभी बेटी को डांटा तक नहीं और वह उसे पीटता है. उस की यह ज्यादती बरदाश्त के बाहर है.
कुछ दिन बाद दिनेश पत्नी को विदा कराने ससुराल पहुंचा, लेकिन सरोजनी ने उस के साथ जाने से साफ मना कर दिया. दिनेश अपमानित हो कर वापस घर आ गया. इस के बाद दिनेश कई बार ससुराल गया. पत्नी से मिन्नतें कीं, लेकिन सरोजनी टस से मस नहीं हुई. आखिर सहमति से दोनों का तलाक हो गया.
मायके में सरोजनी तो खुश थी, लेकिन कालीचरन की आंखों की नींद हराम थी. वह तलाकशुदा बेटी का घर बसाना चाहता था, लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही थी. कई महीनों की दौड़धूप के बाद उसे ललित पासवान पसंद आ गया.
ललित पासवान कानपुर शहर से 15 किलोमीटर दूर विधनू कस्बे का रहने वाला था. वह कस्बे के तुलसियापुर (नई बस्ती) मोहल्ले में रहता था. यहां उस का अपना निजी मकान था. मकान के भूतल पर उस की किराने की दुकान थी. ललित दुजहा था. यानी उस की शादी पासी खेड़ा (भीतर गांव) निवासी गीता के साथ हुई थी.
गीता से एक बेटी अनन्या थी. अनन्या जब 5 साल की थी, तभी बीमारी के दौरान गीता की मौत हो गई. ललित को बेटी के पालनपोषण में दिक्कत हो रही थी, सो वह शादी के लिए लालायित था.
ललित और सरोजनी की उम्र में लगभग 10 साल का अंतर था. इस के बाद भी कालीचरन अपनी बेटी का विवाह ललित के साथ करने को राजी हो गया था. उस के 2 कारण थे. पहला कारण यह था कि उस की बेटी सरोजनी भी तलाकशुदा थी.
दूसरा कारण था कि कालीचरन को भय सता रहा था कि बेटी के कदम डगमगा गए तो समाज में उस की बदनामी होगी. अत: खामियों के बावजूद कालीचरन ने 10 जनवरी, 2017 को अपनी बेटी सरोजनी का विवाह ललित पासवान के साथ कर दिया.
शादी के बाद सरोजनी ललित की दुलहन बन कर ससुराल आ गई. उन्होंने बड़े प्यार से जिंदगी की शुरुआत की. दोनों एकदूसरे को असीम प्यार करते थे. ललित सरोजनी की हर जरूरत पूरी करता था. सरोजनी भी ललित की खूब सेवा करती थी. ललित के प्यार में वह इस कदर डूब गई थी कि अपने मांबाप को भी भूल गई थी.
सरोजनी सुंदर होने के साथ तेजतर्रार भी थी, इसलिए ललित उस से दबादबा सा रहता था. कुछ ही दिनों के बाद सरोजनी पति को अपनी अंगुलियों पर नचाने लगी थी. किराने की दुकान से होने वाली आमदनी तथा खेती से होने वाली आमदनी का हिसाब वह खुद रखने लगी थी. उस ने कस्बे की बैंक में बचत खाता भी खोल लिया था.
ललित के परिवार वालों का मानना था कि ललित की दूसरी पत्नी उस की बेटी अनन्या का पालनपोषण ठीक से नहीं करेगी और उस के साथ सौतेला व्यवहार करेगी. लेकिन उन का यह सोचना गलत साबित हुआ. सरोजनी अनन्या का पालनपोषण बड़े लाड़प्यार से कर रही थी. वह उसे अपनी बेटी जैसा व्यवहार कर रही थी.
वह अनन्या की हर जिद पूरी करती थी. अनन्या सरोजनी को मम्मी ही कहती थी. उसे कभी एहसास ही नहीं हुआ कि वह उस की सौतेली मां है. लाड़प्यार और खानपान का ही परिणाम था कि अनन्या अपनी उम्र से अधिक की दिखने लगी थी.