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गाजियाबाद शहर के नंदग्राम थाने में किसी अज्ञात व्यक्ति ने फोन कर सूचना दी कि नंदग्राम में एक व्यक्ति ने गोली मार कर खुद को घायल कर लिया है, उसे इलाज के लिए एमएमजी अस्पताल में भरती करवाया गया है. उस वक्त रात के 3 बज रहे थे.  सूचना मिलते ही नंदग्राम थाने के एसएचओ प्रदीप कुमार त्रिपाठी तुरंत 2 कांस्टेबलों को साथ ले कर एमएमजी अस्पताल के लिए खाना हो गए. वह अस्पताल पहुंचे तो मालूम हुआ कि उस घायल व्यक्ति की हालत काफी नाजुक थी, इसलिए उसे यूपी से दिल्ली के जीटीबी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया है. यह घटना 4 मार्च, 2023 की है.

एसएचओ प्रदीप कुमार त्रिपाठी दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में आ गए. यहां उन्हें बताया गया कि उस व्यक्ति की मृत्यु हो गई है. श्री त्रिपाठी भारी मन से उस व्यक्ति की लाश का निरीक्षण किया तो चौंक पड़े. उस व्यक्ति के बाईं कनपटी पर गोली का गहरा जख्म था. गोली बाईं कनपटी पर चलाई गई थी, जो उस के सिर के दाहिनी ओर से निकल गई थी. यह देखने से अनुमान लगाया गया कि यह व्यक्ति लेफ्ट हैंडर रहा है.

कनपटी पर मारी थी गोली

लाश के पास एक युवक और एक महिला बैठे रो रहे थे. एसएचओ त्रिपाठी ने युवक के कंधे पर सहानुभूति से हाथ रख कर सांत्वना देते हुए कहा, ‘‘इस की मौत का मुझे गहरा दुख है. क्या तुम इस के बेटे हो?’’

“जी नहीं.’’ वह युवक उठ कर सुबकते हुए बोला, ‘‘यह मेरे चाचा कपिल कुमार थे.’’

“ओह!’’ श्री त्रिपाठी ने युवक के चेहरे पर नजरें जमा कर पूछा, ‘‘क्या तुम्हारे चाचा लेफ्ट टेंडर थे?’’

“नहीं साहब, मेरे चाचा अपने दाहिने हाथ से सारा काम करते थे.’’

श्री त्रिपाठी के माथे पर बल पड़ गए. उन्होंने फिर से लाश का जख्म देखा. गोली बाईं कनपटी पर ही सटा कर चलाई गई थी. ऐसा कोई दाहिने हाथ से हर काम करने वाला व्यक्ति कभी नहीं कर सकता था. स्पष्ट था कि गोली मृतक ने स्वयं नहीं चलाई है, यानी इसे किसी दूसरे व्यक्ति ने गोली मारी है. सीधेसीधे यह हत्या का केस था.

“अपने चाचा का नाम, पता नोट करवाओ.’’ एसएचओ प्रदीप कुमार त्रिपाठी ने बेभीर स्वर में कहा और साथ आए कांस्टेबल सोनू मावी को नामपता नोट करने का हुक्म दे कर वह कुछ दूरी पर चले गए. उन्होंने इस संदिग्ध घटना की जानकारी डीसीपी निपुण अग्रवाल और एसीपी आलोक दुबे को दे दी. अधिकारियों को यहां आने में समय लग सकता था. श्री त्रिपाठी ने मृतक के भतीजे से घटना की जानकारी लेने के लिए

उस से पूछा, ‘‘तुम्हें इस घटना की जानकारी कैसे हुई?’’

उस युवक का नाम सचिन था. आसू पोंछते हुए उस ने कहा, ‘‘सर, मैं कस्बा फलावदा, मेरठ में रहता हूं. रात को मैं जब अपने कमरे में सो रहा था, मेरे मोबाइल की घंटी बजी तो मेरी नींद टूट गई. इतनी रात को कौन फोन कर रहा है, यह जानने के लिए मैं ने मोबाइल उठाया तो उस पर मेरी चाची शिवानी का नंबर था. चाची शिवानी ने मुझे बताया कि चाचा कपिल ने खुद को गोली मार ली है.

“मैं ने तुरंत घर के लोगों को यह बात बताई और बाइक से नंदग्राम के लिए निकल पड़ा. रास्ते में ही चाची से मालूम हुआ कि चाचा को दिल्ली जीटीबी अस्पताल में रेफर कर दिया गया है, इसलिए मैं सीधा यहां आ गया. यहां डाक्टरों ने चाचा को मृत घोषित कर दिया था.’’

“तुम्हारी चाची शिवानी ने तुम्हें बताया कि तुम्हारे चाचा ने आत्महत्या कर ली है, लेकिन मेरा अनुमान है यह सुसाइड नहीं बल्कि हत्या का मामला है. क्या तुम बता सकते हो, तुम्हारे चाचा को कौन गोली मार सकता है?’’

सच की तलाश में जुटी पुलिस

इस खुलासे से सचिन चौंक पड़ा. उस ने हैरत से एसएचओ त्रिपाठी की ओर देखा और बोला, ‘‘चाचा कपिल तो बहुत सज्जन आदमी थे साहब, उन की तो किसी से दुश्मनी भी नहीं थी.’’

“तुम्हारी चाची और चाचा के बीच कोई अनबन चल रही हो, ऐसा कुछ तुम्हें मालूम है?’’

“पतिपत्नी के बीच हर घर में थोड़ी बहुत खटपट होती ही रहती है साहब. दोनों के बीच कोई बड़ा झगड़ा तो कभी नहीं हुआ और न चाची कभी रूठ कर अपने मायके गईं. मैं अकसर चाचा के घर आताजाता रहता हूं, वहां सब कुछ सामान्य दिखाई देता था. यदि चाचा की हत्या का शक आप को है तो मेरी प्रार्थना है कि आप इस केस की गहराई से जांच करें.’’

“वह तो मैं करूंगा ही, तुम्हारी चाची का भी बयान मुझे लेना पड़ेगा. चूंकि अभी वह बयान देने की स्थिति में नहीं है, उस से बाद में बात की जाएगी.’’ श्री त्रिपाठी ने कहा और दूसरी आवश्यक काररवाई निपटाने में लग गए. करीब एक घंटे बाद गाजियाबाद से डीसीपी निपुण अग्रवाल और एसीपी आलोक दुबे अस्पताल में आ गए. दोनों अधिकारियों ने लाश का निरीक्षण करने के बाद यही शंका प्रकट की कि कपिल ने आत्महत्या नहीं की है, उस की हत्या की गई है.

एसीपी आलोक दुबे ने अपने निर्देशन में इस मामले की गहनता से जांच करने के लिए थाना नंदग्राम के एसएचओ प्रदीप कुमार त्रिपाठी के नेतृत्व में पुलिस टीम का गठन कर दिया. इस में एसआई हरेंद्र सिंह, हैडकांस्टेबल सगीर खान, कांस्टेबल सोनू मावी आदि को शामिल किया गया. कागजी काररवाई पूरी कर के कपिल की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. निर्देश देने के बाद पुलिस अधिकारी वापस चले गए.

कपिल के पैतृक गांव फलावदा से उस के कई रिश्तेदार जीटीबी अस्पताल आ गए थे. सभी कपिल की पत्नी शिवानी को अपने साथ ले कर नंदग्राम लौट गए. उन के साथ एसएचओ श्री त्रिपाठी भी नंदग्राम के लिए निकले. उन्हें उस जगह की जांच करनी थी, जहां कपिल द्वारा गोली मार कर आत्महत्या करने की बात शिवानी ने बताई थी. वह देखना चाहते थे कि कपिल की पत्नी शिवानी की बात में कितनी सच्चाई है.

घटनास्थल पर मिले कुछ सबूत

कपिल कुमार कस्बा फलावदा, जिला मेरठ का मूल निवासी था. उस के पिता बलवीर सिंह की मृत्यु हो चुकी थी. कपिल कुछ साल पहले काम के सिलसिले में उत्तर प्रदेश के शहर गाजियाबाद के नंदग्राम में आ कर रहने लगा था.  नंदग्राम में वह अपनी पत्नी शिवानी उर्फ सीमा और 2 बेटों के साथ कुंदन सिंह रावत के मकान में किराए पर रहता था. कपिल हंसमुख और मिलनसार व्यक्ति था. उस के परिवार में भी किसी प्रकार की परेशानी नहीं थी. अपनी पत्नी और बच्चों को खुश रखने के लिए वह कोई कमी नहीं छोड़ता था.

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