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शाम का धुंधलका छाने लगा था. हर्षित शुक्ला की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. वह बरामदे में बैठा  कभी सामने मेन गेट को तो कभी स्कूटी की दूर से थोड़ी सी भी आवाज आने पर रास्ते की तरफ देखने लगता था.

उसे रूपा गुप्ता का बेसब्री से इंतजार था. बेचैन और चिंतित होने के साथसाथ वह गुस्से में भी था. सोच रहा था कि उस ने आने में इतनी देर क्यों कर दी. उस के बेचैन होने की वजह भी थी. दरअसल, उस की मां ने दिन में उसे ले कर खूब खरीखोटी सुनाई थी. पिता ने भी जबरदस्त डांट लगाई थी.

इस से पहले मांबाप ने उसे इस कदर कभी नहीं डांटा था. डांट खा कर वह एकदम से गुमसुम सा हो गया था. मन ही मन इस का सारा दोष वह रूपा पर ही मढ़े जा रहा था, जबकि वह उस से बेइंतहा मोहब्बत करता था. लेकिन उसी ने मोहब्बत की आड़ में जो पीड़ा पहुंचाई थी. उसे जितना भूलने की कोशिश करता, उतना ही उस के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही थी.

उस ने अपने मांबाप से बड़ी बात छिपा ली थी, उस बारे में कम से कम अपनी मां को तो बता दिया होता. खैर! वह यह भी जानता था कि अब उस में कुछ बदला नहीं जा सकता था, सिवाय रूपा के प्रति नाराजगी दिखाने और उसे कोसने के. उस के सीने पर सांप लोट रहा था. उस वक्त हर्षित के दिमाग में जो बातें उमड़घुमड़ रही थीं, वही उस की बेचैनी का मुख्य कारण थीं.

वह समझ नहीं पा रहा था कि उस की आंखें धोखा कैसे खा गईं? खुद को कोसे भी जा रहा था कि रूपा के काफी करीब रह कर भी उस के मन को कैसे नहीं समझ पाया? उस की गतिविधियों का जरा भी अंदाजा क्यों नहीं लगा पाया?

उस के दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था. कुछ अच्छा था तो कुछ बुरा और खतरनाक भी था. उन में फर्क नहीं कर पा रहा था. दुविधाओं से वह घिर चुका था. उलझनों से भर चुका था. इसी उधेड़बुन में उसे बरामदे में तेज कदमों की आहट सुनाई दी. आवाज की तरफ नजर उठा कर देखा तो रूपा तेजी से अपने कमरे में जाने के लिए सीढि़यों की ओर बढ़ी जा रही थी.

चोरीछिपे कर ली थी शादी

करीब 25 साल की रूपा गुप्ता हर्षित की प्रेमिका से पत्नी बनी थी, जिस से उस ने मंदिर में परिवार समाज से छिप कर शादी रचा ली थी. वह पिछले कुछ महीनों से हर्षित के घर में ही एक कमरा किराए पर ले कर रह रही थी. उस का कमरा ऊपरी मंजिल पर था.

हालांकि रूपा उस के अलावा गंगाखेड़ा स्थित रामसिंह गर्ल्स हौस्टल में भी रहती थी. जरूरत के मुताबिक वह वहां अकसर हौस्टल में ठहर जाती थी.

रूपा मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला प्रयागराज के कस्बा विसर्जन खुर्द की रहने वाली थी. उस के पिता का नाम राजेंद्र गुप्ता था और वह अपने परिवार में 3 भाईबहनों के बीच सब से छोटी थी. उस के पिता एक किसान थे.

बात 12 सितंबर, 2022 की है. उस रोज रूपा हर्षित की तरफ देखे बगैर तेजी से अपने कमरे में जा रही थी. जबकि उस ने हर्षित को देख लिया था. उसे देख कर रूपा ने मुसकराने की भी जरूरत नहीं समझी, जबकि पहले अकेले में होती थी, तब आतेजाते हर्षित से गले लग कर मिलती थी.

हर्षित ने पाया कि रूपा कुछ बुदबुदाती हुई सीढि़यां चढ़ रही थी. उस ने सिर्फ इतना ही सुना, ‘लगता है दाल में कुछ काला है. रोजाना जानेमन मुसकरा कर हैलो हाय करते थे. उसे देख कर मैं ही हायहैलो करूं. न जाने क्यों मुझे उस की घूरती नजरें खूंखार लग रही थीं.’

रूपा कुछ समय में ही अपने कमरे में पहुंच गई थी. कमरे की लाइट औन करने के बाद बैड पर एक तरफ अपना पर्स फेंका और कमरे में ही बनी छोटी सी रसोई की तरफ बढ़ गई.

तभी कमरे में थोड़ी हलचल सुनाई दी. अभी वह दरवाजे की तरफ पीछे मुड़ने ही वाली थी कि हर्षित ने दोनों हाथों से उस की कमर पकड़ ली. पकड़ मजबूत थी. रूपा उस का हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी. इस के बाद जो हुआ, उस की सिर्फ कल्पना ही की जा सकती थी.

रूपा को ले कर पासपड़ोस के लोग भी चर्चा करते रहते थे. यहां तक कि उस पर गहरी नजर रखते थे. वह कब आई गई? कब घर से निकली? हर्षित के साथ कहां देखी गई? आदि आदि. रूपा की छोटीछोटी गतिविधियों पर हर्षित के मातापिता के अलावा कई लोगों की नजर बनी रहती थी.

बीते 2 दिनों से रूपा पड़ोसियों को नजर नहीं आई थी. एक पड़ोसन से रहा नहीं गया और वह 14 सितंबर की सुबहसुबह को हर्षित की मां माधुरी शुक्ला से पूछ बैठी, ‘‘दीदी, रूपा 2 दिनों से दिखाई नहीं दे रही है? प्रयागराज गई हुई है क्या?’’

‘‘हांहां…’’ जरा भी देर किए बगैर माधुरी बोली, ‘‘उस के घर से फोन आया था. पिताजी की तबियत अचानक बिगड़ गई थी.’’ं इतना कह कर माधुरी शुक्ला ने अपने घर का मेन गेट बंद किया और तेज कदमों से अपने कमरे में चली गई.

माधुरी शुक्ला का इस तरह से घर के अंदर जाना उस पड़ोसन को कुछ अटपटा लगा, लेकिन इस ओर उस ने ध्यान नहीं दिया.

पड़ोसियों को आश्चर्य तब हुआ, जब 17 सितंबर, 2022 को पुलिस टीम हर्षित और उस के पिता प्रेमचंद शुक्ला को ढूंढती हुई मोहल्ले में आई. मोहल्ले के लोगों ने उन के घर जा कर देखा तो पाया कि वहां ताला लगा था.

मोहल्ले वालों को पता चला कि रूपा की हत्या हो चुकी है. पुलिस उस की हत्या की तहकीकात के सिलसिले में आई है. पुलिस को पता चला था कि रूपा इस घर में किराए पर रहती थी. उस की लाश पुलिस ने इसी इलाके के एक पानी भरे गड्ढे से बरामद की गई थी.

एसआई महेश कुमार और अभय कुमार वाजपेई ने मोहल्ले वालों से प्रेमचंद शुक्ला, उन की पत्नी माधुरी शुक्ला और उन के बेटे हर्षित के बारे में जानकारी ली और उन के घर आते ही थाने आने को कहा.

रूपा की अचानक मौत और प्रेमचंद शुक्ला के परिवार के अचानक लापता होने से मोहल्ले के लोग हैरान हो गए. वे समझ नहीं पा रहे थे कि अचानक क्या हो गया जो रूपा की मौत हो गई और पूरा परिवार घर से लापता हो गया. दाल में जरूर काला है या फिर पूरी दाल ही काली है. मोहल्ले वाले उन सभी के बारे में तरहतरह की अटकलें लगाने लगे थे.

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