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बोरी में मिली रूपा की लाश

दरअसल, 16 सितंबर, 2022 को अचानक लखनऊ में कृष्णा नगर थाने के एसएचओ आलोक कुमार राय को विजय नगर पुलिस चौकी के इंचार्ज एसआई महेश कुमार ने एक सूचना दी. उन्होंने बताया कि रामदास खेड़ा के बाग में ट्यूबवैल के गहरे गड्ढे में संदिग्ध बोरे को तैरते हुए देखा है. उस से तेज बदबू आ रही है. उस में कोई लाश होने की आशंका है.

सूचना पाते ही एसएचओ आलोक कुमार राय अपने सहयोगी एसआई सुधा सिंह, अभय कुमार वाजपेई, सिपाही योगेंद्र सिंह यादव और प्रदीप कुमार को साथ ले कर घटनास्थल पर जा पहुंचे. उन्होंने विजय नगर पुलिस चौकी के इंचार्ज महेश कुमार को भी बुलवा लिया.

महेश कुमार ने आलोक कुमार राय को बताया कि इस की सूचना उन्हें विजय नगर निवासी विजय शंकर यादव ने दी थी. उन्होंने ही बताया था कि उन के बाग के ट्यूबवैल के गड्ढे के पानी में कुछ किसानों ने एक बोरे को तैरते हुए देखा था. उस में से तेज दुर्गंध आ रही थी.

घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने राहगीरों की मदद से उस बोरे को बाहर निकलवाया. बोरा खोला तो उस में एक युवती की लाश निकली, जो सड़ चुकी थी. स्थानीय लोगों और कुछ राहगीरों ने ही बताया कि वह गंगाखेड़ा के रामसिंह के गर्ल्स हौस्टल में रहती थी और पास के ही कालोनी से आतीजाती थी.

जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि युवती का शव काफी फूल चुका था. शव देखने से ही लग रहा था कि 2-3 दिनों का पुराना है.

पुलिस ने गर्ल्स हौस्टल का पता लगा लिया, जहां वह पढ़ाई के सिलसिले में रहती थी. वहीं मालूम हुआ कि वह पढ़ाई के साथसाथ नौकरी भी करती थी.

स्कूल प्रबंधन ने युवती के शव की शिनाख्त रूपा गुप्ता के रूप में की. स्कूल के हौस्टल में लिखे पते के अनुसार रूपा प्रयागराज की रहने वाली थी और वह लखनऊ के एक गर्ल्स हौस्टल में रह कर पढ़ाई कर रही थी.

करीब 9 महीने पहले उस ने पंडितखेड़ा के निकट प्रेमचंद शुक्ला के मकान में किराए पर रहना शुरू किया था. हौस्टल के रिकौर्ड से उस के प्रयागराज स्थित घर की पूरी जानकारी मिल गई.

16 सितंबर, 2022 को ही अपराध शाखा के इंसपेक्टर राजदेव प्रजापति के साथ डीसीपी अपर्णा रजत कौशिक, एसीपी अरविंद कुमार वर्मा और एडिशनल सीपी राजेश कुमार श्रीवास्तव ने भी घटनास्थल का मुआयना किया. उस के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

इस वारदात की सूचना कृष्णानगर पुलिस ने प्रयागराज के थाने मेजा को भी दे दी. वहां की पुलिस ने तुरंत गांव विसर्जन में रूपा के घर वालों से संपर्क किया. रूपा की मौत की खबर उस के भाई, पिता राजेंद्र प्रसाद गुप्ता और मां नंदिनी देवी को दे दी.

यह खबर सुनते ही सभी के होश उड़ गए. तब राजेंद्र प्रसाद गुप्ता ने कृष्णानगर पुलिस से संपर्क किया. उस थाने की पुलिस ने उन्हें लखनऊ आ कर शव की पहचान करने के लिए कहा.

नंदिनी देवी ने 17 सितंबर को मोर्चरी जा कर शव की पहचान रूपा के रूप में कर ली. फिर पोस्टमार्टम के बाद शव उन्हें सौंप दिया गया. नंदिनी देवी और उन के बेटे ने रूपा की हत्या की रिपोर्ट थाने में दर्ज करवा दी, जिस में हर्षित और उस के मातापिता को आरोपी बनाया गया.

पुलिस के सामने आया सच

इसी रिपोर्ट के बाद कृष्णानगर पुलिस ने 18 सितंबर को हर्षित के पिता प्रेमचंद्र शुक्ला, पत्नी माधुरी शुक्ला और उन के बेटे हर्षित शुक्ला के साथ कृष्णानगर थाने गए.

एसएचओ ने तीनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया. उन से रूपा हत्याकांड के सिलसिले में अलगअलग पूछताछ की गई. तब उन्होंने अपना जुर्म कुबूल कर लिया.

इसी दौरान रूपा गुप्ता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई. रिपोर्ट के अनुसार रूपा की गला दबा कर हत्या एवं जबरन शारीरिक संबंध बनाए जाने की पुष्टि हुई. डाक्टरी रिपोर्ट और आरोपियों के बयानों के आधार पर एसएचओ आलोक कुमार राय ने भादंवि की धारा 302/ 201 के तहत आरोपियों को उसी रोज गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

आरोपियों से पूछताछ के बाद रूपा हत्याकांड के संबंध में जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

उत्तर प्रदेश के जिला प्रयागराज की मूल निवासी रूपा पढ़ाई में अव्वल और परिवार की लाडली थी. सो उसे पिता ने स्कूली शिक्षा के बाद आगे की पढ़ाई के लिए एक साल पहले लखनऊ भेज दिया था.

लखनऊ आ कर वह पढ़ाई के साथसाथ अपने खर्च के लिए छोटीमोटी नौकरी की तलाश में भी लग गई थी. संयोग से उसे लखनऊ के गंगानगर स्थित रामसिंह के गर्ल्स हौस्टल में नौकरी मिल गई थी.

गर्ल्स हौस्टल में ही उस के रहने की भी व्यवस्था थी, लेकिन उस ने पडिंतखेड़ा स्थित विजय नगर कालोनी में प्रेमचंद्र शुक्ला के मकान में एक कमरा किराए पर ले लिया था. वहां रहते हुए प्रेमचंद्र के बेटे हर्षित शुक्ला के संपर्क में आई. उन की लगातार मुलाकातें होने के चलते वे एकदूसरे से प्रेम करने लगे.

दोनों हाथों से लुटाने लगा पैसा

हर्षित रूपा के रूप पर मोहित हो गया था तो रूपा की नजर सुखीसंपन्न हर्षित पर थी. रूपा जो कुछ फरमाइश करती थी, उसे हर्षित तुरंत पूरी करता था. यह कहें कि हर्षित अपने मांबाप का पैसा दोनों हाथों से उस पर लुटाने लगा था.

हर्षित एक मनचला और रसिकमिजाज अविवाहित युवक था. उस की रूपा में बड़ी दिलचस्पी को देखते हुए प्रेमचंद्र शुक्ला ने ऐतराज जताया था और रूपा से कमरा भी खाली करने को कह दिया था. किंतु हर्षित ने अपने मांबाप को समझाबुझा कर उसे किराए पर रखने को राजी कर लिया था.

रूपा काफी सुंदर थी. बनसंवर कर रहती थी. आधुनिक रहनसहन उसे पसंद था. किसी के साथ भी छूटते ही हंसीमजाक करने लगती थी. उस की मनचली आदतों को देख कर कोई भी उस का दीवाना बन जाता था. हर्षित और रूपा एकदूसरे के प्रति काफी करीब आ गए.

हर्षित की नजर भले ही रूपा की देह और सौंदर्य पर थी, जबकि रूपा की नजर उस के मातापिता की धनदौलत पर थी. दोनों एकदूसरे की ललक और लालच से अनजान थे, लेकिन प्रेमातुर थे. एक दिन मौका पा कर दोनों ने अपने मन की बात एकदूसरे से कह दी. उन्होंने तय किया, उन्हें शादी करनी चाहिए. लेकिन समस्या थी कि दोनों अलगअलग जाति के थे.

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