UP Crime News : सीमा की हरकतों से तंग आ कर पति ने ही नहीं, पालनेपोसने वाले दादादादी ने भी साथ रखने से मना कर दिया था. इस के बाद उसे सहारा दिया सौतेले पिता गुलाब खान ने. लेकिन वह उन की भी न हो सकी और उस ने जो किया, आज सलाखों के पीछे है. मामला एक रिटायर्ड अग्निशमन कर्मचारी गुलाब खान की बेरहमी से हत्या का था, इसलिए सूचना मिलते ही संबंधित थाना जगदीशपुरा के थानाप्रभारी अजयपाल सिंह के अलावा अन्य कई थानों की पुलिस के साथ एसएसपी शलभ माथुर, एसपी (सिटी) समीर सौरभ, एएसपी शैलेश कुमार पांडेय भी घटनास्थल पर आ गए थे.

शव के निरीक्षण से पता चला कि पहले सिर पर किसी भारी चीज से मार कर बेहोश किया गया था, उस के बाद गले में रस्सी लपेट कर गला घोंट दिया गया था. गुलाब खान की मौत गला घोंटने से हुई थी या सिर पर गंभीर चोट लगने से, यह पोस्टमार्टम के बाद ही पता चल सकता था. जिस मकान में हत्या की गई थी, वह उन का अपना मकान था, लेकिन उसे देख कर ही लग रहा था कि उस मकान में कोई रहता नहीं था. फर्श पर जमी धूल से साफ लग रहा था कि वहां महीनों से कोई नहीं आया था. इस बात ने पुलिस वालों को यह सोचने को मजबूर कर दिया था कि उस दिन गुलाब खान इस मकान में क्या करने आए थे?

मकान में 2 दरवाजे थे, एक दरवाजा बगल में बनी मसजिद के बराबर में खुलता था, जबकि दूसरा दरवाजा एक ऐसी सुनसान गली में खुलता था, जिस का उपयोग महिलाएं सिर्फ दैनिक क्रिया से निवृत्त होने के लिए करती थीं. निरीक्षण में एसएसपी शलभ माथुर ने देखा कि उस दिन मकान का सुनसान गली की ओर खुलने वाला दरवाजा खोला गया था. क्योंकि फर्श पर जमी धूल में उस ओर 3-4 तरह के जूतों के आनेजाने के निशान साफ दिखाई दे रहे थे. निशान भी ताजे थे, जिन में जूतों की तल्ले की डिजाइन तक साफ नजर आ रही थी. पूछताछ में पता चला कि मृतक गुलाब खान बेर का नगला में काफी सालों से रह रहे थे. उन के 2 छोटे भाई भी वहीं पास में ही रहते थे. मोहल्ले में उन के 2 मकान थे.

एक मकान में वह अपनी पत्नी और बेटी सीमा के साथ रहते थे, जबकि यह दूसरा मकान पुराना और जर्जर होने की वजह से खाली पड़ा था. इसे वह तुड़वा कर दोबारा बनवाने के बारे में सोच रहे थे. गुलाब खान के परिवार में पत्नी और 2 बेटे थे. दोनों ही बेटे अपनेअपने परिवारों के साथ अलगअलग मकानों में रह रहे थे. एसएसपी शलभ माथुर जब उन के दोनों बेटों, सलीम और इमरान से पूछताछ की तो उन्हें पता चला कि मृतक गुलाब खान ने 2 शादियां की थीं. पहली पत्नी से गुलाब खान को 2 बेटे, सलीम और इमरान थे, जबकि दूसरी पत्नी शाहीन से उन की अपनी कोई संतान नहीं थी. सीमा जो इस समय उन के साथ रह रही थी, वह शाहीन के पहले पति की बेटी थी.

कई महीने पहले सीमा अपने पति से लड़झगड़ कर यहां आ गई थी और तब से यहां सौतेले पिता और मां के साथ रह रही थी. पुलिस ने जब उस से बात करनी चाही तो पता चला कि वह गायब है. उस का मोबाइल भी बंद था. गुलाब खान भले ही सीमा के सौतेले पिता थे, लेकिन वह उन्हीं के साथ रह रही थी, इसलिए हत्या के बाद उस के इस तरह अचानक गायब हो जाने और मोबाइल फोन बंद होने से पुलिस हत्या के तार उस से जोड़ने लगी. एसएसपी शलभ माथुर ने थाना जगदीशपुरा के थानाप्रभारी अजयपाल सिंह से सीमा का पता लगाने को कहा.

पुलिस ने डौग स्क्वायड भी बुलवा लिया था. वह भी उसी सुनसान गली वाले दरवाजे से बाहर निकला था, इसलिए अनुमान लगाया गया कि हत्यारे उसी गली से आए थे और हत्या कर के उधर से ही निकल गए थे. गुलाब खान के घर वालों ने बताया था कि 11 बजे के करीब वह केबल ठीक कराने की बात कह कर घर से निकले थे. उस के बाद लौट कर नहीं आए. रात 9 बजे शाहीन बेगम ने इमरान को बुला कर उन के घर न लौटने की बात बताई तो पिता को ढूंढ़ते हुए वह बेर का नगला स्थित पुराने घर पर पहुंचा तो उसे पिता की हत्या के बारे में पता चला. इस के बाद उस ने पुलिस को सूचना दी.

थानाप्रभारी अजयपाल सिंह ने घटनास्थल की काररवाई निपटा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए एसएम मैडिकल कालेज भिजवा दिया. सौतेली बहन सीमा के इस तरह अचानक गायब हो जाने से इमरान को लग रहा था कि हत्या उसी ने की है, इसलिए उस ने पिता की हत्या का मुकदमा सीमा और उस के अज्ञात साथियों के खिलाफ दर्ज करा दिया. एसएसपी शलभ माथुर ने इस मामले की जांच थानाप्रभारी अजयपाल सिंह को सौंप दी. हत्या की यह घटना ताजनगरी आगरा के थाना जगदीशपुरा के मोहल्ला बेर का नगला में 9 सितंबर, 2014 को घटी थी.

मामला पुलिस के ही सहयोगी अग्निशमन विभाग के रिटायर्ड कर्मचारी की हत्या का था, इसलिए पुलिस इस मामले के खुलासे के लिए तत्परता से जुट गई थी. सीमा की तलाश में थानाप्रभारी अजयपाल सिंह जगहजगह छापे मार रहे थे. सर्विलांस टीम की भी मदद ली जा रही थी, लेकिन सीमा का फोन लगातार बंद आ रहा था. दूसरी ओर मृतक की पत्नी शाहीन बेगम बेटी सीमा की तलाश के लिए पुलिस पर दबाव बनाए हुए थी. उस ने बेटी को तलाश के लिए आगरा जोन के आईजी, डीआईजी और एसएसपी शलभ माथुर को भी प्रार्थना पत्र दिए थे.

सीमा आगरा पुलिस के लिए पहेली बनती जा रही थी. वह पिता की हत्या कर के लापता है या किसी हादसे का शिकार हो गई है, यह उस के मिलने पर ही पता चल सकता था. एकएक कर के दिन गुजरते जा रहे थे, लेकिन न गुलाब खान के हत्यारे का पता चल रहा था, न सीमा के बारे में कोई जानकारी मिल रही थी. एएसपी शैलेश कुमार पांडेय ने देखा कि थाना पुलिस इतनी मेहनत करने के बाद भी खाली हाथ है तो उन्होंने खुद मामले से जुड़े सारे पहलुओं पर गहनता से विचार किया और इस के बाद मृतक गुलाब खान की पत्नी शाहीन बेगम का मोबाइल सर्विलांस पर लगवाने के साथ अपने कुछ मुखबिर भी सीमा के बारे में पता लगाने के लिए लगा दिए थे.

उन के इस उपाय का उन्हें फायदा भी मिला. सर्विलांस से जहां सीमा के ठिकाने का पता चल गया, वहीं मुखबिरों से सीमा के ऐसे 4 दोस्तों के बारे में पता चला, जो उस के बहुत खास थे. सीमा के इस तरह छिपने से साफ हो गया था कि गुलाब खान की हत्या में किसी न किसी रूप में उस का हाथ जरूर है. इस के बाद जहां थानाप्रभारी अजयपाल सिंह ने सहयोगियों की मदद से सीमा को गिरफ्तार कर लिया, वहीं दूसरी ओर एएसपी शैलेश कुमार पांडेय ने मुखबिर की सूचना पर आवास विकास कालोनी के सेक्टर-8 में रहने वाले 2 सगे भाई नितिन सक्सेना, दीपक सक्सेना, इन के दोस्त मोनू जादौन और श्रीनगर कालोनी के रहने वाले इन के एक अन्य दोस्त अक्षय गौड़ को थाने बुलवा लिया.

पुलिस इन सभी को पूछताछ के लिए एक ऐसे कमरे में ले गई, जहां इन्हें जूते उतार कर जाना पड़ा. शैलेश कुमार पांडेय ने कमरे के बाहर एक प्रिंट एक्सपर्ट बैठा रखा था. लड़कों के अंदर जाते ही उस ने जूतों के तल्ले की डिजाइन घटनास्थल पर मिले जूतों के तल्ले की डिजाइन से मिलाया तो दोनों की डिजाइन मिल गई. प्रिंट एक्सपर्ट ने जैसे ही यह बात एएसपी शैलेश कुमार पांडेय को बताई, उन्होंने चारों लड़कों पर शिकंजा कस दिया. अभी तक उन लड़कों का कहना था कि उन का इस हत्या से कोई लेनादेना नहीं है. जो भी किया है सीमा ने किया है.

लेकिन जूतों के तल्लों के निशानों के मिल जाने के अलावा उन के मोबाइल फोन की लोकेशन भी वहां की मिली थी, इसलिए जब लड़कों को पता चला कि पुलिस ने उन के खिलाफ सारे सुबूत जुटा लिए हैं तो वे फूटफूट कर रोने लगे. इस के बाद सीमा तथा चारों लड़कों को आमनेसामने बिठा कर जब गुलाब खान की हत्या के बारे पूछताछ शुरू हुई तो सीमा और उस के उन चारों दोस्तों ने हत्याकांड की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी.

नौकरी के दौरान जिन दिनों गुलाब खान शाहजहांपुर में तैनात थे, उन्हीं दिनों अचानक बीमारी से उन की पत्नी नफीसा बेगम की मौत हो गई थी. वह अपनी पत्नी को बहुत प्यार करते थे. नफीसा बेगम से उन्हें 2 बेटे सलीम और इमरान थे, उस समय जिन की उम्र 10-11 साल थी. नौकरी के साथसाथ 2 नाबालिग बेटों को संभालना गुलाब खान के लिए काफी मुश्किल हो रहा था, इसलिए जब उन के दोस्त वकीलुद्दीन उन के लिए दूसरी शादी का प्रस्ताव लाए तो वह मना नहीं कर सके.

वकीलुद्दीन की दूर के रिश्ते की एक बहन थी शाहीन बेगम. दोस्त होने के नाते वकीलुद्दीन को पता था कि गुलाब खान के पास पैसे की कमी नहीं है. इसलिए वह अपनी बेटी की शादी उन के बेटे सलीम से करना चाहते थे. वह इस के लिए मना न कर सके, यही सोच कर वकीलुद्दीन उन की शादी करा कर उन पर एहसान करना चाहता था. इस में वह कामयाब भी हो गया. नफीसा बेगम की मौत के मात्र 3 महीने बाद ही वकीलुद्दीन ने शाहीन बेगम का निकाह गुलाब खान से करा दिया था.

गुलाब खान ने जिस शाहीन बेगम से निकाह किया था, उस का पहले भी निकाह हो चुका था. 2 बेटियों के पैदा होने के बाद उस के पति की मौत हो गई थी. गुलाब खान से शादी की बात चली तो शाहीन बेगम की पहले पति की दोनों बेटियां इस में रोड़ा बनने लगीं. लेकिन बड़ेबूढ़ों ने इस मसले को बैठ कर हल कर दिया. तय हुआ कि शाहीन की बड़ी बेटी सीमा अपने दादादादी के पास रहेगी और छोटी बेटी रीना मां के साथ, जिस की सारी जिम्मेदारी गुलाब खान को उठानी पड़ेगी.

गुलाब खान की भी जरूरत थी, इसलिए उन्होंने इस शर्त को स्वीकार कर लिया. लगभग साल भर बाद उन का तबादला मैनपुरी हो गया तो वह शाहीन बेगम, उस की बेटी रीना और अपने दोनों बेटों को ले कर वहां चले गए. गुलाब खान के दोनों बेटे अपनी सौतेली बहन रीना को सगी बहन की तरह मानते थे, इसलिए रीना भी उन्हें उसी तरह मानती थी. इस की वजह यह थी कि शाहीन बेगम सलीम और इमरान को सगी मां जैसा प्यार कर रही थी.

समय का पंछी अपने हिसाब से उड़ता रहा. गुलाब खान का तबादला आगरा हुआ तो उन्होंने आगरा में स्थाई रूप से बसने का फैसला कर लिया और वहां के थाना जगदीशपुरा के मोहल्ला बेर का नगला में अपना मकान बनवा लिया. अब तक उन्होंने बेटों सलीम खान और इमरान खान की शादियां कर दी थीं. दूसरी ओर शाहीन बेगम की बड़ी बेटी सीमा की भी शादी उस के दादादादी ने उस के चचेरे भाई नफीस के साथ कर दी थी.

सीमा मांबाप के साथ नहीं रहती थी. दादादादी का उस पर उतना दबाव नहीं था, जितना एक बच्चे को अपनी जिंदगी संवारने के लिए होना चाहिए, इसलिए वह उच्छृंखल स्वभाव की हो गई थी. जवानी में कदम रखते ही वह बेलगाम घोड़ी की तरह दौड़ने लगी तो शादी के बाद उस का पति नफीस भी उस पर लगाम नहीं लगा सका. एक बच्चे की मां बन जाने के बाद भी जब सीमा की आदत में कोई सुधार नहीं आया तो नफीस उस से छुटकारा पाने के बारे में सोचने लगा.

चूंकि सीमा नफीस की चचेरी बहन थी, इसलिए नफीस उसे छोड़ना नहीं चाहता था. लेकिन सीमा के घर के बाहर इतने यारदोस्त बन गए थे कि उस के पास पति और बच्चे के लिए समय ही नहीं रहता था. नफीस ने उसे बहुत समझाया, पर वह अपनी आदत सुधारने को राजी नहीं थी. तब आजिज आ कर नफीस ने उसे सदासदा के लिए छोड़ दिया. सीमा की बदचलनी से दादादादी भी तंग आ चुके थे, इसलिए उन्होंने भी उसे साथ रखने से मना कर दिया. नफीस ने सीमा से पैदा हुए 6 साल के बेटे शान मोहम्मद को अपने पास रख लिया था. यह लगभग साल भर पहले की बात है

दोनों बेटों की शादी करने के बाद गुलाब खान ने शाहीन बेगम की बेटी रीना की भी अच्छे घर में शादी कर दी थी. रिटायर होने के बाद गुलाब खान को जो पैसे मिले थे, उसे उन्होंने दोनों बेटों सलीम और इमरान में बांट दिए थे. तब शाहीन बेगम ने उन के इस फैसले का विरोध किया था, लेकिन पति के आगे उस की एक नहीं चली थी. गुलाब खान ने यह कह कर उस का मुंह बंद कर दिया था कि जब तक वे जिंदा हैं, उन के खर्च भर के लिए पेंशन तो मिलती ही रहेगी, जिस से आराम से उन की जिंदगी गुजर जाएगी. इमरान और सलीम के अपनेअपने परिवार थे. उन्होंने मकान खरीद लिए थे और अपनेअपने परिवार के साथ अपनेअपने मकान में रहते थे.

इमरान का मकान आवास विकास कालोनी के सेक्टर-11 में था, जो बेर का नगला से ज्यादा दूर नहीं था, इसलिए वह मांबाप का हालचाल लेता रहता था. गुलाब खान अपने सगे बेटों की जो मदद कर  रहे थे, वह शाहीन बेगम को अच्छा नहीं लगता था. दूसरी ओर शाहीन बेगम की बड़ी बेटी सीमा अपनी हरकतों से बसीबसाई गृहस्थी तो बरबाद कर ही चुकी थी, दादादादी ने भी साथ रखने से मना कर दिया था, इसलिए अब उस के पास अपना कोई ठिकाना नहीं रह गया था. चूंकि उस के तमाम दोस्त उस का खर्च उठा रहे थे, इसलिए वह एक होटल में कमरा ले कर रहने लगी थी.

होटल में रहते हुए वह पढ़ेलिखे बेरोजगारों को सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर ठगने लगी. सरकारी नौकरी के नाम पर किसी से 10-5 लाख रुपए ऐंठ लेना कोई मुश्किल काम नहीं है. थोड़ीबहुत जो मुश्किल होती है, उसे आसान करने के लिए सीमा ने अपने पास रेलवे के अधिकारियों के लैटर पैड, उन की मुहरें, रेलवे भरती के पेपर्स आदि साथ लिए रहती थी. धीरेधीरे उस ने अपना जाल लखनऊ और इलाहाबाद तक फैला दिया था. लखनऊ के चार बाग रेलवे स्टेशन के एक कर्मचारी के साथ मिल कर उस ने कई लोगों के लाखों रुपए हड़प लिए थे. सीमा ने रेलवे के उस कर्मचारी के साथ मिल कर लोगों को ठगने का जो उपाय खोज निकाला था, वह ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका. एक समय ऐसा भी आ गया, जब उसे शाहजहांपुर छोड़ कर भागना पड़ा.

क्योंकि नौकरी लगवाने के लिए जिन लोगों से उस ने रुपए लिए थे, काम न होने पर वे अपने रुपए वापस मांगने लगे थे. इस से उसे लगा कि अब अगर वह वहां रही तो वे उसे पकड़ कर पुलिस के हवाले कर देंगे. इसी डर से उस ने अपना सारा सामान बटोरा और मां शाहीन बेगम के पास आगरा आ गई. मां और सौतेले पिता के साथ रहने के लिए भी सीमा ने बहुत बढि़या चाल चली थी. आगरा आने से पहले उस ने पिता और भाइयों को फोन किया था कि आगरा में शिक्षा विभाग में उसे नौकरी मिल गई है, जिस की वजह से वह वहां आ रही है. इस के बाद वह आगरा आ गई और मांबाप के साथ रहने लगी थी. वे उसे बोझ न समझें, इस के लिए एक दिन उस ने शाहीन बेगम से कहा था, ‘‘मां मैं अपने लिए किराए का मकान देख रही हूं. मकान मिलते ही यहां से चली जाऊंगी.’’

शाहीन ने लगभग डांटते हुए कहा था, ‘‘सीमा, तू कैसी बातें कर रही है. इतना बड़ा घर है, जिस में हम 2 ही लोग तो रहते हैं. पूरा घर खाली ही पड़ा रहता है, तू साथ रहेगी तो हमें सहारा ही मिलेगा.’’

गुलाब खान ने भी पत्नी की हां में हां मिलाई. इस तरह छलकपट से सीमा ने गुलाब खान के घर में अड्डा जमा लिया. नौकरी पर जाने की बात कह कर वह रोज सुबह घर से निकलती थी तो शाम को 6 बजे के बाद ही लौटती थी. इसी तरह लगभग 6 महीने बीत गए. लेकिन एक दिन सीमा की पोल खुल गई. हुआ यह कि किसी चीज का सर्वेक्षण करने उसी औफिस के कुछ कर्मचारी बेर का नगला आए, जहां सीमा ने नौकरी करने की बात गुलाब खान को बता रखी थी. लेकिन उन कर्मचारियों ने सीमा को पहचानने से इनकार करते हुए कहा कि इस नाम की कोई औरत उन के यहां नौकरी नहीं करती.

सीमा की इस हरकत का गुलाब खान को बहुत आफसोस हुआ. एक जवान औरत का इस तरह घर से पूरे दिन गायब रहना कोई अच्छे लक्षण नहीं थे. इसलिए उन्होंने कहा कि वह अपनी हरकतों पर लगाम लगाए, वरना उन का घर छोड़ कर शाहजहांपुर चली जाए. शाहजहांपुर तो वह वैसे भी नहीं जा सकती थी, इसलिए अपनी इस गलती के लिए उस ने क्षमा मांगते हुए वादा किया कि अब आगे से वह ऐसा कुछ भी नहीं करेगी. शाहीन बेगम ने भी पति को समझाया कि आगे से वह ऐसा नहीं करेगी. अपना ठिकाना छिनने के डर से सीमा ने बेशरमी वाली अपनी हरकतों पर कुछ दिनों के लिए रोक लगा ली. लेकिन कुछ दिनों बाद कंप्यूटर सीखने के बहाने वह फिर घर से बाहर जाने लगी और अपने यारदोस्तों से मिलने लगी.

आगरा आने के बाद सीमा को अपनी मां से यह तो पता चल गया था कि गुलाब खान ने अपनी सारी जमापूंजी अपने दोनों बेटों के नाम कर दी है. मां के हिस्से में अब केवल पेंशन आती है. जिस मकान में वे रहते हैं, वह और मसजिद के किनारे वाला मकान अभी गुलाब खान के नाम थे. गुलाब खान के साथ सीमा को रहते करीब 10 महीने हो चुके थे. अब तक उस के बारे में गुलाब खान सब कुछ जान चुके थे. इसी के साथ उन्होंने यह भी गौर किया था कि सीमा के आने के बाद शाहीन बेगम के व्यवहार में जबरदस्त बदलाव आ गया था, जिस से उन्हें लगने लगा कि मांबेटी उन की संपत्ति हड़पने की साजिश रच रही हैं.

यह संदेह होने पर उन्होंने करीब डेढ़ महीने पहले अपने दोनों मकानों की रजिस्ट्री अपने दोनों बेटों, सलीम और इमरान के नाम करा दी थी. गुलाब खान ने यह काम शाहीन और उस की शातिर बेटी सीमा से छिपा कर किया था, लेकिन न जाने कैसे दोनों को इस बात की जानकारी हो गई. सीमा ने मां को भड़काने की कोशिश की. शाहीन भड़की तो नहीं, लेकिन उसे बुरा जरूर लगा. उस ने भले ही पति से कुछ नहीं कहा, लेकिन सीमा ने मां को उस का हक दिलाने की ठान ली. उस ने इस बारे में अपने दोस्तों से बात की तो उन्होंने जो सलाह दी, वह काफी भयानक थी. सीमा ने दोस्तों की मदद से गुलाब खान की हत्या की योजना बना डाली. क्योंकि उसे लगता था कि पिता के पास जो बचा है, उन के मरने के बाद वह मां के नाम हो जाएगा. अब उसे उचित समय का इंतजार था.

9 सितंबर, 2014 को 11 बजे के आसपास गुलाब खान टीवी का केबल ठीक कराने के लिए केबल वाले के यहां जाने की बात कह कर घर से निकले. सीमा मौका ढूंढ़ ही रही थी. इसलिए उन के घर से निकलते ही वह भी उन के पीछे लग गई. वह मसजिद के बगल वाला मकान दिखाने की जिद कर के उन्हें वहां ले गई. चाबी वह साथ ले कर आई थी. गुलाब खान को भला इस में क्या ऐतराज हो सकता था. वह जैसे ही राजी हुए सीमा ने अपने दोस्तों अक्षय गौड़, मोनू जादौन, नितिन सक्सेना और दीपक सक्सेना को फोन कर के मकान के पीछे वाले दरवाजे पर बुला लिया.

गुलाब खान सीमा को ले कर वहां पहुंचे तो सीमा ने मुख्य दरवाजा बंद कर के जा कर पीछे वाला दरवाजा खोल दिया. अंदर आ कर चारों ने गुलाब खान को दबोच लिया और उन के मुंह में कपड़ा ठूंस दिया. इस के बाद सीमा ने वहीं पड़ी एक ईंट उठाई और पूरी ताकत से सिर पर दे मारी. चोट इतनी तेज थी कि उसी एक वार में गुलाब खान होश गंवा बैठे. इस के बाद सभी गुलाब खान को घसीट कर किचन में ले गए और रस्सी से गला घोंट कर मार डाला. गुलाब खान को खत्म कर के सीमा के चारों साथी जिस तरह पीछे के दरवाजे से आए थे, उसी तरह पीछे के ही दरवाजे से चले गए. जाते समय वे वह ईंट भी साथ लेते गए, जिस से पिता के सिर पर चोट पहुंचा कर सीमा ने बेहोश किया था.

उस ईंट को जाते समय उन्होंने रास्ते में फेंक दिया था. अक्षय, मोनू, दीपक और नितिन के जाने के बाद सीमा पीछे वाले दरवाजे पर ताला लगा कर बाहर आई और बाहर से ताला बंद कर के घर आ गई. सीमा अपने इन्हीं चारों दोस्तों की मदद से अपने पिता की लाश को एक वैन से रात में ले जा कर शहर की सीमा से बाहर फेंकना चाहती थी. इस के लिए उस ने पूरी तैयारी भी कर रखी थी. वह लाश को ठिकाने लगा पाती, उस के पहले ही शाहीन बेगम ने सीमा को बताए बगैर इमरान को फोन कर दिया कि सुबह 11 बजे के निकले उस के अब्बू अभी तक घर नहीं आए हैं.

सौतेली मां के इस फोन ने इमरान को परेशान कर दिया. वह तुरंत मां के पास पहुंचा और उस से बातचीत कर के पिता को ढूंढ़ने निकल पड़ा. जब वह वहां पहुंचा था, सीमा घर में ही थी. जब इमरान ने मां से पुराने घर की चाबी मांगी तो उसे लगा कि अब उस की पोल खुल सकती है, इसलिए इमरान के पीछे वह भी घर से निकल गई थी. रात में ही सीमा अपने एक दोस्त के यहां मैनपुरी चली गई थी. उस के इस तरह बिना किसी को बताए गायब हो जाने से लोगों को उस पर शक हो गया था. उस ने पुलिस को परेशान तो किया, लेकिन अंतत: पकड़ी गई. पूछताछ के बाद थाना जगदीशपुर पुलिस ने सीमा और उस के चारों दोस्तों अक्षय, मोनू, नितिन और दीपक को अदालत में पेश किया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया.

सीमा के पकड़े जाने के बाद उस के चचेरे भाइयों ने उस के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई है कि नौकरी दिलाने के नाम पर उस ने उन से 40 हजार रुपए लिए थे. लेकिन उन्हें न नौकरी मिली है, न रुपए. UP Crime News

 

 

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