Short Kahani in Hindi : सरकार ने बालविवाह जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ भले ही सख्त कानून बना दिए हों, लेकिन देश के ग्रामीण इलाकों में ये प्रथाएं आज भी जारी हैं. जोधपुर की कृति भारती ने इन प्रथाओं के खिलाफ जो पहल की है, उस की राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना की जा रही है. राजस्थान के जिला जोधपुर के लूणी गांव की रहने वाली लक्ष्मी का विवाह सतलाना गांव के रहने वाले राकेश के साथ तब हुआ था, जब वह मात्र एक साल की थी और उस के दूल्हे राकेश की उम्र मात्र 3 साल. उस की यह शादी उस की नानी की मौसर (मृत्युभोज) पर हुई थी.
लक्ष्मी सयानी हुई तो उस की ससुराल वाले मुकलावा (गौने) की तैयारी करने लगे. लक्ष्मी ससुराल जाती, उस के पहले ही उस की ससुराल में एक ऐसी घटना घट गई, जिसे सुन कर लक्ष्मी अंदर तक हिल गई. वह जानती थी कि उस का विवाह बचपन में ही हो चुका है, इसलिए ससुराल जाने से मना करना उस के लिए आसान नहीं है. इस के बावजूद उस ने तय कर लिया कि वह बचपन में हुए इस विवाह को नहीं मानेगी और ससुराल नहीं जाएगी. भले ही उस का विवाह हो चुका है, लेकिन अभी भी वह तनमन से कुंवारी है.
वह ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं थी, लेकिन दुनियादारी जानती थी, अपना भलाबुरा भी समझती थी. काफी सोचसमझ कर लक्ष्मी ने अपने भाई हनुमान से कह दिया कि वह अपने बचपन के विवाह को नहीं मानती, इसलिए ससुराल नहीं जाएगी. जब इस बात की जानकारी लक्ष्मी के घर तथा ससुराल वालों को हुई तो हंगामा मच गया. पंचायतें होने लगीं और लक्ष्मी पर ससुराल जाने का दबाव बनाया जाने लगा. इस पर भी लक्ष्मी राजी नहीं हुई तो उसे धमकाया जाने लगा. यह विवाह कैसे टूटे, लक्ष्मी इस का उपाय खोजने लगी. तभी उसे एक ऐसी शख्सियत के बारे में पता चला, जो उसे इस काम में मदद कर सकती थी. इस के बाद वह एक हौकर की मदद से भाई के साथ उस शख्सियत के पास जा पहुंची.