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मारवाड़ में उस वक्त खौफ का दूसरा नाम बिशनाराम जालोड़ा था. बिशनाराम जोधपुर जिले के लोहावट के पास जालोड़ा गांव का रहने वाला था. बिशनाराम शुरू से ही शरारती किस्म का युवक था. स्कूल टाइम में भी वह गुट बना कर रहता था. समय के साथसाथ जैसेजैसे वह बड़ा होता गया, अपराध की दुनिया में कदम रखना शुरू कर दिया था.

उस ने अफीम और हथियारों की तस्करी करनी शुरू की तो फिर उस ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. उस ने उसी समय अपना अलग गैंग बनाया, जिस का नाम रखा 0029. जल्दी ही पूरे मारवाड़ में उस के गैंग का आतंक छा गया. यही नहीं, अन्य गैंगों के लीडर भी उस को सलाम ठोंकते थे. इसी दबंगई के कारण कई नेता भी उस के संपर्क में आए. उसी दौरान उस की मुलाकात जोधपुर के बड़े नेता परसाराम मदेरणा से हुई. कुछ ही दिनों में वह परसाराम के चहेतों में शामिल हो गया था.

काफी समय बाद भंवरी देवी अपहरण का पता चला कि भंवरी देवी की हत्या कर उस के शव को जला कर उस की राख को राजीव गांधी लिफ्ट नहर में फेंक दिया गया था. इस आरोप के लगते ही बिशनाराम को जेल की हवा खानी पड़ी. इस केस के आरोप में बिशनाराम को पूरे 10 साल जेल में रहना पड़ा. इन 10 सालों में बिशनाराम के गैंग का पूरी तरह से सफाया हो गया था.

वर्ष 2021 में बिशनाराम की सजा पूरी हुई तो वह जेल से बाहर आ गया. जेल से बाहर आते ही उस ने फिर से पुराने रास्ते पर चलना चालू कर किया. उस ने अपने टूटे गैग को फिर से खड़ा करने की कोशिश की. उस ने अपने कुछ आदमियों के साथ मिल कर फिर से दहशत फैलानी शुरू की.

शादी के कार्यक्रम में ही भिड़ गए गैंगस्टर

अब से कुछ समय पहले बिशनाराम जोधपुर जिले के देचू थाना क्षेत्र के गिलाकोर गांव में एक शादी में शामिल होने गया हुआ था. उसी शादी में गैंगस्टर राजू मांजू भी शामिल था. राजू मांजू को देखते ही बिशनाराम उस से भिड़ गया. 2 गैंगस्टर आमनेसामने आए तो शादी के रंग में भंग पड़ गया. दोनों गैग आपस में भिड़े तो काफी खूनखराबा हुआ. इस मुठभेड़ में राजू मांजू को काफी नुकसान हुआ, साथ ही उस के काफी चोट भी आई थी.

राजू मांजू और बिशनाराम जालोड़ा में काफी पुरानी दुश्मनी थी. बिशनाराम के जेल जाने के दौरान राजू मांजू ने उस के आदमियों को खूब परेशान किया था, जिस से बिशनाराम उस से बुरी तरह से खार खाए हुए था. बिशनाराम पर 57 से भी ज्यादा, हत्या, लूट, अफीम तस्करी, हथियार तस्करी, डकैती जैसे संगीन मामले दर्ज हैं.

गैंगस्टर अनिल मांजू की कहानी भी कुछ कम नहीं. जोधपुर जिले में एक गांव पड़ता है मोरिया मुंजासर. बिश्नोई समाज से ताल्लुक रखने वाला अनिल मांजू इसी गांव का रहने वाला था. अनिल मांजू सीधासादा युवक था. सरकार की तरफ से सरकारी ठेकों की नीलामी में उसे एक शराब की दुकान का ठेका मिल गया. फिर वह उसी दुकान के सहारे अपने परिवार का पालनपोषण करने लगा.

अनिल मांजू ने शराब के ठेके को हलके में लिया था. लेकिन उसे पता नहीं था कि शराब के ठेके चलाने के लिए किन किन रास्तों से गुजरना पड़ता है. ठेकों पर आए दिन कहासुनी होना आम बात है. ठेका चलाने के दौरान एक दिन अनिल मांजू की कहासुनी गैंग 007 के मुख्य सरगना श्याम पूनिया से हो गई.

श्याम पूनिया से पहले पूरे राजस्थान में आनंदपाल के नाम का खौफ था. लेकिन 2017 में आनंदपाल का एनकाउंटर हुआ तो उस का गैंग कमजोर पड़ गया. उसी का फायदा श्याम पूनिया ने उठाया और पूरे राजस्थान में अपना वर्चस्व कायम कर लिया.

श्याम पूनिया सोशल मीडिया पर हर रोज महंगे और खतरनाक हथियारों के साथ अपने फोटो डालता था. साथ ही वह पुलिस को चेतावनी देते हुए तरहतरह के वीडियो शेयर करता था. उन्हीं वीडियों से लोगों के मन में उस के प्रति डर बैठ गया था, जिस के कुछ समय बाद ही यह गैंग पुलिस की नजरों में चढ़ गया. तब पुलिस ने उसे जनवरी, 2020 में महाराष्ट्र के कोल्हापुर से गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की.

अनिल मांजू ने उस बात को हलके में लिया, लेकिन श्याम पूनिया के लिए वह कहासुनी अहम मायने रखती थी. श्याम पुनिया चाहता तो उसी वक्त अनिल मांजू के साथ कुछ भी कर सकता था. लेकिन उस समय तो वह चुप रहा. बाद में मौका पाते ही उस ने अनिल मांजू की शराब की दुकान में आग लगा दी, जिस से उस की दुकान की सारी शराब जल कर नष्ट हो गई.

शराब की दुकान में आग लगने के बाद अनिल मांजू पूरी तरह से बरबाद हो गया था. इस मामले में अनिल मांजू ने कानूनी काररवाई भी की. लेकिन श्याम पूनिया के खिलाफ पुलिस ने कोई ऐक्शन नहीं लिया. जिस के कारण अनिल मांजू बुरी तरह से टूट गया. उस के मन मे श्याम पूनिया के खिलाफ बदले की भावना की आग धधक उठी. उसी बदले की भावना के कारण अनिल मांजू ने एक बहुत ही बड़ा कदम उठाने का प्रण लिया. उसी प्रण के तहत उस ने श्याम पूनिया के घर में आग लगा दी.

एक घटना ने बना दिया अनिल के गैंगस्टर

अनिल मांजू जानता था कि उस ने शेर की मांद में हाथ डाला है, जिस का भविष्य में खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है. उसी का मुकाबला करने के लिए उस ने उसी समय मांजू गैंग की नींव रख दी. धीरेधीरे उस ने भी अपने गैंग का विस्तार कर लिया. तभी से पूनिया और मांजू गैंग में आए दिन लड़ाईझगड़े होते रहते हैं.

फिलहाल गैंग 0029 की बागडोर भी अनिल मांजू ने ही थाम रखी है. अनिल मांजू लोहावट थाने का हिस्ट्रीशीटर है, जिस पर अपहरण डकैती, अवैध रूप से जमीनों पर कब्जा, पुलिस पर फायरिंग, साथ ही जानलेवा हमला करने के अनेक अपराधों के मुकदमे दर्ज हैं.

अपराध की दुनिया में एक और नाम आता है, गैंगस्टर लारेंस विश्नोई का. राजस्थान से लारेंस विश्नोई का पुराना नाता रहा है. जिस का नेटवर्क पूरे राजस्थान में फैला है. लारेंस विश्नोई पंजाब प्रांत के फाजिल्का अबोहर का रहने वाला है. लारेंस के पिता पंजाब पुलिस में एक कांस्टेबल थे.

देखने में स्मार्ट होने के साथसाथ लारेंस की रुचि स्पोर्ट में थी. अच्छी पढ़ाई के लिए वह चंडीगढ़ आया और वहां पर डीएवी कालेज में दाखिला लिया. उस की अच्छी पर्सनालिटी और पैसे वाला होने के कारण उस के दोस्तों ने उसे कालेज चुनाव लडऩे के लिए प्रेरित किया. उस ने छात्र संघ का चुनाव लड़ा, लेकिन वह उस में कामयाब नहीं हुआ. उस से हार सहन नहीं हुई तो उस ने जीतने वालों से बदला लेने के लिए एक अलग ही रास्ता चुना.

उस ने अपमान का बदला लेने के लिए एक रिवौल्वर खरीदी. फिर उस ने दंबगई दिखाते हुए अन्य गुटों से भिड़ंत शुरू कर दी. उसी दौरान उस पर पहला मामला दर्ज हुआ. उस के बाद उस ने विरोधी गुटों को सबक सिखाने के लिए एक बड़े गैंगस्टर जग्गू भगवानपुरिया से हाथ मिला लिया, जिस ने उसे जुर्म की दुनिया के सारे पैंतरे सिखाए.

हालांकि लारेंस विश्नोई इस वक्त जेल में है. लेकिन जेल में रहने के बाद भी उस के अपराधों में कमी नहीं आई. इस वक्त लारेंस विश्नोई पर अलगअलग अपराधों के मुकदमे दर्ज हैं.

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