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कैलाश मांजू का कहना है कि जब लारेंस को पता चला कि वह भरतपुर की जेल में बंद है तो उस ने उस से पुरानी दुश्मनी का बदला लेने के लिए उसी जेल में बंद गणेश मांजू के साथ मिल कर हमला करने का प्लान बनाया. इस मामले को ले कर वह सब से पहले आनंदपाल के भाई मंजीत से मिला. लेकिन उस ने मुझ पर हमला करने से साफ मना कर दिया.

उस के बाद उस ने इस बारे में मांगीलाल नोखड़ा से बात की तो उस ने भी उस का साथ देने से साफ मना कर दिया. उस के बाद उस ने दीपक गुर्जर को हमले की जिम्मेदारी दी, लेकिन इस से पहले कि वह उस पर हमला कर पाता, उस से पहले ही बोरानाड़ा की पुलिस ने उसे अरेस्ट कर लिया.

वर्ष 2018 में कैलाश मांजू पैरोल पर जेल से बाहर आ गया. उस के बाद लारेंस फिर से उस से बदला लेने का मौका तलाशने लगा. वर्ष 2022 में कैलाश ने जैसलमेर घूमने का प्लान बनाया. उसी दौरान लारेंस विश्नोई ने फिर से उस की हत्या कराने के लिए गोल्डी बराड़ से मदद मांगी. इस बार गोल्डी बराड़ के शूटरों मलकीत सिंह और हरदीप सिंह को उसे मारने की सुपारी दी गई.

सुपारी मिलते ही मलकीत सिंह और हरदीप सिंह दोनों जोधपुर पहुंच गए. जोधपुर पहुंचते ही दोनों गणेश मांजू से मिले. वहीं से दोनों कैलाश की हत्या करने के इरादे से जैसलमेर आए, लेकिन वहां पर भी उन्हें उस पर हमला करने का मौका नहीं मिला.

उस के बाद दोनों वहां से पंजाब के भटिंडा चले गए. 22 जुलाई, 2022 को भटिंडा पुलिस ने दोनों को दबोच लिया. उन के पास से 7 पिस्टल बरामद हुई थीं. पुलिस पूछताछ में उन्होंने बताया था कि वह कैलाश मांजू की हत्या करने का प्लान बना कर आए थे.

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