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राजस्थान, मारवाड़ में अफीम तस्करी से होती मोटी कमाई के चलते कई गैंगों में वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो चुकी है. जिस के कारण क्षेत्र में अफीम, डोडा पोस्त की तस्करी के वर्चस्व को ले कर सक्रिय गैंगों के बीच लड़ाईझगड़े विकराल रूप लेते जा रहे हैं. जिस के कारण क्षेत्र में आए दिन लड़ाईझगड़े व हत्याएं होना आम बात हो चुकी है.

मारवाड़ में इस वक्त राजू मांजू के गैंग के अलावा दूसरे नंबर पर श्याम पूनिया, तीसरे नंबर पर कैलाश मांजू, चौथे नंबर पर अनिल मांजू और पांचवें नंबर पर मांगीलाल नोखड़ा का गैंग सक्रिय है.

ये पांचों ही गैंग राजस्थान की सूर्यनगरी जोधपुर के माने जाते हैं, जिन का सिक्का राजस्थान ही नहीं, बल्कि देश के कई हिस्सों में भी चलता है. इन गैंग संचालकों का अफीम तस्करी से ले कर राजनीति के साथ ही अपराध की दुनिया से भी बहुत ही नजदीकी का रिश्ता रहा है. जिन की दहशत पूरे राजस्थान में गंूजती है.

राजू मांजू जोधपुर जिले के लोहावट तहसील के जंबहेश्वर गांव का निवासी है. राजू मांजू का नाम भले ही अपराध से जुड़ा हुआ है, लेकिन उस के प्रति लोगों का नजरिया कुछ अलग हट कर है. राजू मांजू का नाम एक समाजसेवी के रूप में भी सामने आता है. राजू मांजू ने प्रण लिया कि वर्ष 2025 तक कोई भी आवारा गाय सडक़ पर नहीं दिखेगी.

गैंगस्टर्स की दूसरी लिस्ट में नाम आता है, श्याम पूनिया का. श्याम पूनिया जोधपुर जिले के भिंयासर गांव का निवासी है. श्याम पुनिया ने ही गैंग 077 की नींव रखी थी. जिस के अपराध की दुनिया में कदम रखते ही उस का वर्चस्व पूरे मारवाड़ में फैल गया था.

श्याम पूनिया राजस्थान के टौप- 6 मोस्टवांटेड के रूप में जाना जाता था. जोधपुर, चुरू, बीकानेर के कई थानों में उस के खिलाफ अनेक मामले दर्ज हैं. श्याम पूनिया को महाराष्ट्र के कोल्हापुर से गिरफ्तार किया गया था. वह तभी से जेल में बंद है. कभीकभार जेल से जमानत पर आ भी जाता है. जेल में रहने के बावजूद भी वह वहीं से वारदातों को अंजाम देता रहता है.

गैंगस्टर्स के तीसरे नंबर पर आता है नाम कैलाश मांजू का नाम. कैलाश मांजू जोधपुर जिले के भाटेलाई पुरोहितान गांव का रहने वाला वहां का पूर्व सरपंच है. कैलाश मांजू पर कई थानों में रंगदारी, लूट व फायरिंग के मामले दर्ज हैं. इस गैंगस्टर को मारने के लिए राजू फौजी ने 80 लाख की सुपारी दी थी, लेकिन कैलाश मांजू के पास पहुंचने से पहले ही सुपारी किलर पुलिस के हत्थे चढ़ गए थे.

चौथे नंबर का गैंग सरगना अनिल मांजू जोधपुर जिले के मुंजासर गांव का रहने वाला है. यह शराब की एक दुकान चलाता था. कुछ लेनदेन को ले कर उस की श्याम पूनिया से दुश्मनी हो गई. जिस के बाद श्याम पूनिया ने उस की दुकान में आग लगा दी. अपने को बरबाद होते देख उस ने भी जुर्म की दुनिया में कदम रख दिया. अनिल मांजू ने अपना बदला लेते हुए श्याम पूनिया के घर को आग के हवाले कर दिया. उस के बाद वह गैंग 0029 में शामिल हो गया.

मांगीलाल नोखड़ा का गैंग पांचवें नंबर पर आता है. मांगीलाल नोखड़ा लारेंस बिश्नोई गैंगस्टर का करीबी माना जाता है. मांगीलाल नोखड़ा पर कोई 25 से भी ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं. कई बार वह पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर फरार हो चुका था. लेकिन कुछ ही दिनों बाद मध्य प्रदेश में एक मुठभेेड़ के दौरान उसे गिरफ्तार कर लिया गया था. हालांकि वह इस वक्त जेल में बंद है, फिर भी वह अपने गुर्गों के सहारे जेल से ही नशीले पदार्थों की तस्करी करता हैै.  जोधपुर के इन टौप-5 गैंगस्टर्स की दहशत पूरे राजस्थान में है.

शुरू हुई वर्चस्व की लड़ाई

इन गैंगस्टर्स के वर्चस्व की कहानी की शुरूआत होती है पहली सितंबर, 2011 से. इस दिन दोपहर को जोधपुर के जलीवाड़ा निवासी भंवरी देवी अचानक गायब हो गई. भंवरी देवी एक साधारण परिवार से थी और वह गांव के एक उपकेंद्र में सहायक नर्स के पद पर तैनात थी.

भंवरी देवी देखनेभालने में खूबसूरत थी. बनठन कर रहना उस का सब से बड़ा शौक था. यही कारण रहा कि नौकरी करने के बावजूद भी फिल्मों में नाम कमाने की उस के अंदर महत्त्वाकांक्षा जागी. उसी महत्त्वाकांक्षा के चलते वह कभीकभी बीच में ही नौकरी छोड़ कर राजस्थानी फिल्मों की शूटिंग पर चली जाती थी. जिस के कारण ड्यूटी से गायब रहने के कारण उसे सस्पेंड कर दिया गया.

भंवरी देवी की राजनीति में भी अच्छी पहुंच थी. उसी पहुंच की बदौलत उस ने नेता मलखान सिंह और मंत्री महीपाल मदेरणा की मदद से अपने निलंबन को रद्द करवा लिया था. दोनों नेताओं से नजदीकियों के चलते भंवरी देवी पर ग्लैमर से ज्यादा राजनीति का नशा चढऩे लगा था.

भंवरी देवी के अचानक गायब होते ही उस के परिवार में भूचाल आ गया. गुप्त सूत्रों से पता चला कि भंवरी देवी का अपहरण हुआ था. भंवरी देवी के पति अमरचंद ने उस की हर जगह खोज की, लेकिन उस का कहीं भी अतापता नहीं चला. अमरचंद सिंह जानता था कि उस के मलखान सिंह और महीपाल मदेरणा के साथ अच्छे संबंध थे, इसलिए अमरचंद पत्नी के गायब होने के बाद दोनों से मिले, लेकिन दोनों नेताओं ने उस की इस मामले में कोई सहायता करने से साफ इंकार कर दिया.

भंवरी देवी के अपहरण मामले ने उस वक्त राजस्थान में खूब तूल पकड़ा. इस मामले में मलखान सिंह और महीपाल मदेरणा भी लपेटे में आ गए थे. भंवरी देवी के पति अमरचंद ने आरोप लगाया कि उस की पत्नी का अपहरण जलदाय मंत्री परसराम मदरेणा के पुत्र महिपाल मदरेणा ने ही कराया था.

इस आरोप के लगते ही पूरे मारवाड़ में तहलका मच गया. इस मामले ने तूल पकड़ा तो इस की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी. सीबीआई ने इस केस की कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए जांचपड़ताल की तो कहानी महीपाल मदेरणा से शुरू हो कर बिशनाराम विश्नोई उर्फ बिशना जांगू जालोड़ा पर जा कर खत्म हुई.

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