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उमेश पाल हत्याकांड में पुलिस रिमांड पर भेजे गए माफिया डौन से नेता बने अतीक अहमद और अशरफ ने 15 अप्रैल, 2023 की शाम को बताया था कि उन्हें काफी घबराहट हो रही है. उस वक्त रात के 10 बजने वाले थे. दरअसल, वे 2 दिन पहले ही अतीक के 19 वर्षीय बेटे असद अहमद की पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई थी, जिस से वह विचलित हो गए थे. उसी दिन अतीक की कोर्ट में पेशी हुई थी. वह बेटे की मौत से इतने आहत हो गए थे कि सिर पर पकड़ लिया था.

बेटे की मौत से बेहाल अतीक को बारबार छोटा भाई अशरफ दिलासा दे रहा था. हवालात में उसे जूट के बोरे का बिस्तर मिला था. ऊपर से भिनभिनाते काटते मच्छरों के बीच पुलिस की सख्तियां बनी हुई थीं. उन दोनों से पूछताछ भी जारी थी. थाने की हाजत में अतीक और अशरफ काफी डर गए थे. वे काफी असहज महसूस कर रहे थे.

दोनों की हालत बिगड़ती देख कर धूमनगंज थाने के इंसपेक्टर राजेश कुमार मौर्य ने उन की मैडिकल जांच के लिए तत्परता दिखाई. उन्होंने थाने के 7 एसआई विजय सिंह, सौरभ पांडे, सुभाष सिंह, विवेक कुमार सिंह, प्रदीप पांडे, विपिन यादव, शिव प्रसाद वर्मा एवं एक हैडकांस्टेबल विजय शंकर और 10 कांस्टेबल सुजीत यादव, गोविंद कुशवाहा, दिनेश कुमार, धनंजय शर्मा, राजेश कुमार, रविंद्र सिंह, संजय कुमार प्रजापति, जयमेश कुमार, हरि मोहन और मान सिंह के साथ दोनों को बोलेरो वाहन से रात करीब सवा 10 बजे मोतीलाल नेहरू मंडल चिकित्सालय अस्पताल भेज दिया गया.

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आरक्षी चालक महावीर सिंह गाड़ी चला रहा था. इस काफिले के साथ एक सरकारी जीप भी थी. दोनों को ले कर पुलिस टीम रात करीब साढ़े 10 बजे कोल्विन रोड पर मोतीलाल नेहरू मंडल चिकित्सालय पहुंची थी. अस्पताल के गेट पर गाड़ी खड़ी कर तमाम पुलिसकर्मी अतीक और अशरफ को ले कर अस्पताल की ओर बढ़े, जबकि महावीर सिंह और सतेंद्र कुमार गाडिय़ों की सुरक्षा में वहीं रुक गए.

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