यूंतो मध्य प्रदेश के जबलपुर को संस्कारधानी कहा जाता है, मगर यह शहर मुजरिम और उन के ठिकानों के लिए भी जाना जाता है. जबलपुर शहर में अब्दुल रज्जाक, महादेव पहलवान, पिंकू काला, छोटू चौबे की डबल टू डबल टू गैंग, विजय यादव की वी कंपनी, सावन बेन की सावन हौआ गैंग, रावण उर्फ ऋषभ शर्मा जैसे दरजनों गैंगस्टरों का आतंक रहा है.
इन गैंगस्टरों का काम शहर में अपने बाहुबल के दम पर रंगदारी वसूलना और सुपारी ले कर हत्या जैसी वारदात को अंजाम देना था. इन गैंगस्टर में अब्दुल रज्जाक उर्फ रज्जाक पहलवान का रिकौर्ड ज्यादा खौफनाक रहा है.
अब्दुल रज्जाक का बचपन भी जबलपुर के ओमती थाना इलाके के रिपटा नाला के पास नया मोहल्ला में बीता है. जबलपुर के इस कुख्यात गैंगस्टर रज्जाक पहलवान के नाम से बड़ेबड़े अपराधी भी खौफ खाते हैं.
30 साल की उम्र में जुर्म की दुनिया में कदम रखने वाला अब्दुल रज्जाक आज भले ही 62 साल का हो गया है, मगर मध्य प्रदेश के खूंखार गैंगस्टर्स की लिस्ट में उस का नाम अभी भी शुमार किया जाता है.
कभी पुलिस की आंखों की किरकिरी रहे अब्दुल रज्जाक पर मध्य प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र के पुलिस थानों में करीब 86 आपराधिक मामले दर्ज हैं. इतना ही नहीं, इटली और अमेरिका मेड रायफल और धारदार हथियारों के दम पर जबलपुर में अपने जुर्म का साम्राज्य खड़ा करने वाले कुख्यात गैंगस्टर अब्दुल रज्जाक के गैंग में सैकड़ों की संख्या में उस के गुर्गों की पूरे इलाके में तूती बोलती है.
अब्दुल रज्जाक की आसपास के जिलों में ही नहीं बल्कि मुंबई, गोवा, हैदराबाद जैसे शहरों के अलावा दुबई, दक्षिण अफ्रीका में भी करोड़ों रुपयों की प्रौपर्टी के साथ माइनिंग का अवैध कारोबार भी फैला हुआ है.
अब्दुल रज्जाक के गैंग में उस के भाई, बेटे और भतीजे के साथ बड़ा गिरोह है, जिस पर जमीन कब्जाने, गैंगवार, अवैध हथियारों की तसकरी, हत्या, बमबारी जैसे संगीन मामलों में मध्य प्रदेश के अलगअलग थानों में केस दर्ज है. आरोपी अपने बाहुबल का उपयोग कर के अदालतों में गवाहों को पलट देता है. चुनावों में शराब और पैसे बांट कर नेताओं को अपने हाथ की कठपुतली बनाने वाले कुख्यात रज्जाक पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों के नेताओं की छत्रछाया हमेशा बनी रही, जिस से उस के अपराध सिर चढ़ कर बोलते रहे.
नरसिंहपुर में पुलिस एनकाउंटर में ढेर जबलपुर के कुख्यात बदमाश गोरखपुर निवासी विजय यादव को रज्जाक ने ही अपराध का ककहरा सिखाया.
एक वक्त ऐसा भी आया, जब विजय यादव को उस ने अपना चौथा बेटा बना लिया था. विजय यादव घर भी नहीं जाता था. पर बाद में इन दोनों के रिश्तों में खटास आ गई. यही खटास विजय यादव के अंत की वजह भी बनी.
रज्जाक गैंग का संबंध दूसरे प्रदेश के अपराधियों से भी है. यही वजह है कि दूसरे प्रदेशों में आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने के बाद अपराधी फरारी काटने रज्जाक के ठिकानों पर महीनों पड़े रहते हैं.
रज्जाक के खौफ के चलते या तो गवाह बदल जाते हैं या फिर शिकायतकर्ता ही अपनी रिपोर्ट वापस ले लेते हैं. इस गैंगस्टर के डर से कई लोगों ने अपनी कीमती जमीन उसे औनेपौने दामों पर बेच दी. कई तो दहशत में उस के खिलाफ थाने में शिकायत तक नहीं करा पाए.
आरोपी ने जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, हैदराबाद, गोवा, मुंबई, दुबई, साउथ अफ्रीका तक होटल, खनिज, प्रौपर्टी का बिजनैस खड़ा कर लिया है. खुद उस का बेटा सरताज पहले से दुबई में शिफ्ट हो चुका है.
डेयरी के धंधे से गैंगस्टर बनने तक का सफर
अब्दुल रज्जाक कभी अपने परिवार के साथ मिल कर दूध का धंधा करता था. रज्जाक को बचपन से ही पहलवानी और कसरत का शौक था, इसी कारण लोग उसे पहलवान के नाम से जानते थे.
पहलवानी करतेकरते ताकत और दौलत का नशा रज्जाक पर इस कदर हावी हुआ कि उस ने दूध डेयरी के बाद टोल टैक्स वसूलने वाले टोल बूथ के ठेके लेने शुरू कर दिए. यहीं से उस के गैंगस्टर बनने की दिलचस्प कहानी शुरू होती है.
अब्दुल रज्जाक का जन्म 1959 में मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के छोटे से मुसलिम बाहुल्य गांव राकई पिपरिया में हुआ था. उस के वालिद अब्दुल वहीद रज्जाक के जन्म के कुछ ही महीनों के बाद अपनी पैतृक संपत्ति बेच कर राकई से जबलपुर के नया मोहल्ला में रहने लगे थे.
अब्दुल वहीद ने गौर नदी के पास बरेला में दूध की डेयरी खोल कर अपने धंधे की शुरुआत की. रज्जाक ने क्राइस्ट चर्च स्कूल से 8वीं तक पढ़ाई की और फिर पिता के साथ दूध की डेयरी में हाथ बंटाने लगा. डेयरी के धंधे में खूब पैसा कमाने के बाद रज्जाक ने वहां पर 40 एकड़ जमीन खरीद ली.
दूध डेयरी से हुई कमाई के बाद रज्जाक 1990 में टोल टैक्स बैरियर के ठेके में उतरा. रज्जाक ने प्रकाश खंपरिया, लखन घनघोरिया (कांग्रेस विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री), शमीम कबाड़ी, सिविल लाइंस स्थित पुराने आरटीओ परिसर में रहने वाले मुन्ना मालवीय (फैक्ट्री में तब एकाउंटेंट) के साथ मिल कर मंडला जिले के बीजाडांडी, सिवनी जिले के छपारा, नागपुर के भंडारा और जबलपुर के तिलवारा और मेरेगांव में टोल बूथ के ठेके ले लिए थे. अपनी गुंडागर्दी और दहशत की वजह से देखते ही देखते वह ठेकेदारी के इस कारोबार में स्थापित हो गया.
पुलिस के रिकौर्ड में इस कुख्यात गैंगस्टर के जुर्म का हर पन्ना स्याह है. ठेके के धंधे में उतरने के बाद रज्जाक की प्रतिस्पर्धा बढ़ गई थी. इस के बाद उस ने अपना एक गैंग बना लिया. गोरखपुर का महबूब अली गैंग भी इसी धंधे में था.
टोल नाका का ठेका लेने के बाद रज्जाक का सामना टोलनाका ठेकेदार महबूब अली से हुआ. उन दिनों जबलपुर सहित आसपास के जिलों के कई टोल बूथों के ठेके महबूब अली के पास थे.
बादशाहत कायम करने के लिए गैंगवार
1991 में रज्जाक ने टोल बूथों की नीलामी में बढ़चढ़ कर बोली लगाई और महबूब अली के ठेके हथिया लिए. इस बात को ले कर महबूब अली रज्जाक को अपना सब से बड़ा दुश्मन समझने लगा. टोल ठेका में वर्चस्व स्थापित करने से शुरू हुई गिरोहबंदी गैंगवार में तब्दील हो गई.
रज्जाक ने बसस्टैंड मदनमहल में पहली बार 6 फरवरी, 1996 को महबूब गैंग पर जानलेवा हमला कर दिया. इस प्रकरण में रज्जाक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई थी. यहीं से रज्जाक चर्चाओं में आया और उस की बादशाहत कायम हुई.
रज्जाक ने अपनी बादशाहत कायम करने के लिए अपने गुर्गों की मदद से लोगों को धमकी देना, मकान और जमीन को कौडि़यों के भाव में खरीदना शुरू कर दिया.
महबूब अली की सल्तनत पर जब रज्जाक ने कब्जा कर लिया तो महबूब अली गैंग भी रज्जाक से इंतकाम लेने के लिए कमर कस चुकी थी. जबलपुर शहर में दोनों गैंगों के बीच आए दिन मारपीट और खूनखराबा की घटनाएं आम हो चुकी थीं. शहर के लोग हरदम इन के खौफ के साए में रहते थे.
रज्जाक पर हमले की फिराक में रह रहे महबूब अली ने 29 अगस्त, 2000 को हाईकोर्ट जबलपुर के पास अब्दुल रज्जाक पर गोली चला कर कातिलाना हमला किया. इस वारदात के बाद दोनों गैंग एकदूसरे के खून के प्यासे बन गए.
पैसे और प्रभाव से पलट जाते थे गवाह
अब्दुल रज्जाक अपने ऊपर हुए कातिलाना हमले से इस कदर बौखला गया कि हर वक्त वह बदला लेने की योजना बनाता रहता. आखिरकार 14 जुलाई, 2003 को गोरखपुर क्षेत्र में महबूब अली के छोटे भाई अक्कू उर्फ अकबर की गोली मार कर हत्या कर दी गई.
इस हत्या में अब्दुल रज्जाक सहित उस के गैंग के 19 गुर्गों को आरोपी बनाया गया था. लेकिन रज्जाक ने पैसे और अपने प्रभाव का उपयोग कर गवाहों को प्रभावित कर दिया. इस के चलते कोर्ट से वह दोषमुक्त हो गया.
रज्जाक इस मामले में धारा 120बी आईपीसी का आरोपी बना था, मगर उस ने घटना वाले दिन को ग्वालियर स्टेशन पर आरपीएफ में बिना टिकट यात्रा में खुद का चालान करा कर प्रकरण से बचने के प्रयास में सफल रहा.
2006 में रज्जाक ने गोहलपुर निवासी मोहम्मद अकरम के घर में घुस कर जान से मारने की धमकी दी थी. इन सभी मामलों में आरोपी ने गवाहों को धमका कर अपने पक्ष में कर लिया था.