शहर में रज्जाक की दहशत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जुलाई 2020 में न्यू आनंद नगर, हनुमानताल निवासी मोहम्मद शब्बीर ने अब्दुल रज्जाक की आपराधिक गतिविधियों और अनैतिक कार्य से बनाई गई संपत्ति के बारे में लिखित शिकायत की थी.
आरोपी रज्जाक, उस के बेटे सरताज ने शिकायतकर्ता पर बयान बदलने का दबाव बनाया. अक्तूबर 2020 में शब्बीर ने फिर से शिकायत की तो बापबेटे ने ऐसा धमकाया कि वह आज तक अपना बयान नहीं दर्ज करा पाया.
रज्जाक की दहशत और खौफ के चलते इलाके के लोग डरते थे. आरोपी पर 14 मार्च, 2012 को एनएसए की काररवाई हुई थी. बावजूद उस की आदतों में कोई सुधार नहीं हुआ. उस के कृत्य और आपराधिक वारदात को देखते हुए एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा के प्रतिवेदन पर जिला दंडाधिकारी कर्मवीर शर्मा ने 3 महीने के लिए एनएसए में निरुद्ध करने का आदेश जारी करते हुए वारंट जारी किया.
अकसर दोनों गैंगों में होती थी गैंगवार
दोनों गैंगों के बीच रंजिश इस कदर थी कि एकदूसरे को गैंग के लोग फूटी आंख भी नहीं सुहाते थे. इसी रंजिश का नतीजा 7 अप्रैल, 2004 को जबलपुर के कपूर क्रौसिंग के पास देखने को मिला था. उस दिन मंडला में रेत खदान की नीलामी थी.
रज्जाक और महबूब अली दोनों गैंग के लोग नीलामी में बढ़चढ़ कर बोली लगा रहे थे. हथियारों से लैस दोनों गैंग के लोग वहां मौजूद थे. आखिरकार रेत खदान का ठेका महबूब अली के भाई रहमान को मिल गया था.
रहमान मंडला से रेत नाका का टेंडर ले कर कार से जबलपुर लौट रहा था. मौका पा कर रज्जाक के बेटे सरफराज और गैंग में शामिल मजीद करिया और अब्बास ने अन्य साथियों के साथ मिल कर रहमान अली की कार पर फायरिंग कर दी.
फायरिंग में रहमान अली तो बच निकला, मगर कार में सवार रहमान के दोस्त रजनीश सक्सेना की मौत हो गई. इस के अलावा बबलू खान और चमन कोरी को गंभीर चोटें आई थीं.
इस प्रकरण में भी गोरखपुर थाने में रहमान अली की शिकायत पर हत्या, हत्या के प्रयास का मामला रज्जाक, उस के बेटे सरफराज आदि के खिलाफ दर्ज हुआ था. रज्जाक शातिर बदमाश था, यही वजह थी कि कपूर क्रौसिंग पर हुई रजनीश सक्सेना की हत्या के प्रकरण की जांच में रहमान अली का दावा पलट गया था.
रज्जाक ने अपने रसूख के दम पर जांच में यह साबित कर दिया कि रहमान अली ने अपने साथियों के साथ मिल कर ही रजनीश की हत्या की थी और सरफराज को उस के दोस्तों के साथ फंसाने की साजिश रची गई थी. इस मामले में गोरखपुर पुलिस ने उलटे रहमान अली व अन्य को गिरफ्तार कर जेल भेजा था.
अब्दुल रज्जाक के जुर्म की डायरी में अपराध के तमाम पन्ने दर्ज हैं. अब्दुल रज्जाक इस के बाद जमीन कब्जाने, जमीन खाली कराने से ले कर धमकी दे कर पैसे वसूलने सहित कई तरह के अपराध करने लगा था.
उस की दहशत इस तरह कायम हुई कि कई राजनीतिक दल से जुड़े लोग भी उस से अपने राजनीतिक विरोधियों को ठिकाने लगाने या फिर धमकाने के लिए उस का इस्तेमाल करने लगे.
रज्जाक पर पहले बीजेपी के कुछ कद्दावर नेताओं का वरदहस्त रहा था, बाद में वह कांग्रेस नेताओं का भी खास बन गया था.
अब्दुल रज्जाक जबलपुर शहर का नामी डौन बन चुका था. 2006 में रज्जाक ने गोहलपुर निवासी मोहम्मद अकरम के घर में घुस कर जान से मारने की धमकी दी थी. अकरम ने जब इस की शिकायत पुलिस थाने में दर्ज की और अदालत में मुकदमा चला तो आरोपी ने गवाहों को धमका कर अपने पक्ष में कर लिया था.
बाप सेर तो बेटा सवा सेर
जुर्म की स्याह राहों पर अकेला रज्जाक ही नहीं, उस के बेटे भी उस के साथ कदमताल कर रहे थे. अब्दुल रज्जाक के 3 बेटों में सरफराज और सरताज जुर्म की दुनिया के बेताज बादशाह हैं, उन्हें इस मुकाम पर पहुंचाने में रज्जाक का बड़ा हाथ है.
कुछ साल पहले 2007 में रज्जाक के बेटे सरताज ने जेल में कुरान फाड़े जाने की अफवाह फैला कर शहर में दंगे कराने का भी प्रयास किया था. इस मामले में कई थानों में उस के खिलाफ मामले दर्ज हुए थे. आरोपी सरताज के खिलाफ कानूनी काररवाई हुई तो वह 5 साल तक फरार रहने में सफल रहा. इस के बाद वह गिरफ्तार हो पाया.
2009 में रज्जाक ने बरेला निवासी सुमन पटेल की जमीन कब्जा करने का प्रयास किया था. विरोध करने पर उस के घर में घुस कर गुर्गों से धमकी दिलवाई थी.
जबलपुर शहर के पुलिस थानों में रज्जाक के खिलाफ लगातार बढ़ रहे मुकदमों की संख्या को देखते हुए कलेक्टर ने 16 मार्च, 2012 को उस के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत काररवाई करते हुए उसे जबलपुर जेल भेज दिया.
इस के दूसरे दिन 17 मार्च, 2012 को रज्जाक के बेटे सरताज को नरसिंहपुर जिले के गांव रांकई पिपरिया से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.
जबलपुर जेल में बापबेटे के एक साथ रहने से जेल में भी गैंगवार की आशंका बढ़ गई थी, जिसे देखते हुए जेल के अधिकारियों ने रज्जाक को ग्वालियर और उस के बेटे सरताज को सागर सेंट्रल जेल शिफ्ट कर दिया था.
रज्जाक की बेनामी संपत्ति
अब्दुल रज्जाक ने कई बेनामी संपत्ति अपने करीबियों और 100 से अधिक शेल कंपनियों के नाम पर बनाई है. रज्जाक ने सीधी में ग्रेनाइट का 800 हेक्टेयर में खनन का पट्टा ले रखा था. अनूपपुर शहडोल में भी उस के ग्रेनाइट व आयरन के 16 पट्टे हैं.
बैतूल, शहगढ़ सागर, कटनी छपरा, स्लिमनाबाद, बहोरीबंद, सिहोरा, नरसिंहपुर, देवास, छतरपुर में बड़े पैमाने पर लीज ले रखी है, पिछले 12 सालों में 165 खनिज पट्टे करवा कर खुद अपने बेटों के साथ मिल कर खनन का कारोबार कर रहा है. माइनिंग से ही करोड़ों रुपए की कमाई रज्जाक को हर महीने होती है.
रज्जाक के मुंबई, गोवा, हैदराबाद समेत देश के कई दूसरे शहरों में कारोबार हैं. रज्जाक के विरार मुंबई के भाई ठाकुर और वहीं के राजूभाई से कारोबारी रिश्ते हैं. राजू विरार और भाई ठाकुर के बारे में कहा जाता है कि दोनों दाऊद इब्राहिम की डी कंपनी से जुड़े हैं.
रज्जाक जबलपुर, सिहोरा, कटनी, नरसिंहपुर जिले में पिछले 10 सालों में 6000 एकड़ जमीन का मालिक बन बैठा है.
पुलिस को मिली रज्जाक की काल डिटेल्स में इस बात का खुलासा हुआ है कि रज्जाक पाकिस्तान, बांग्लादेश, दुबई में बैठे अपने आकाओं से बात करता था.
रज्जाक के बारे में कहा जाता है कि वह काली कमाई से होने वाली आमदनी अपने पास नहीं रखता था. वह इतना शातिर है कि अपना सारा पैसा चश्मे के व्यापार से जुड़े एक राजनीतिक दल के प्रवक्ता के घरों में रखता था. इसी तरह नया मोहल्ला, बड़ी ओमती, रद्दी चौकी व आनंद नगर के कई घरों में इस के पैसे रखे जाते थे.
पुलिस सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी में यह बात भी पता चली है कि वह 80 से 100 करोड़ तो इन लोगों के पास हर वक्त कैश रखता था. हिस्ट्रीशीटर अब्दुल रज्जाक के काले कारनामे एकएक कर सामने आने के बाद पुलिस की जांच में यह बात सामने आई है कि अपनी काली करतूत छिपाने के लिए पत्नी के नाम से कारोबार करता है. अधिकतर संपत्ति और कारोबार पत्नी सुबीना बेगम के नाम पर है.
2 कलेक्टरों की बरसती थी इस पर कृपा
रज्जाक ने उत्तर प्रदेश के बांदा के हथियार तस्कर उमर कट्टा से बड़े पैमाने पर अवैध हथियारों की खरीदी की है. उस ने अवैध तरीके से खरीदे इन हथियारों को अपने गांव रांकई, लिंगा पिपरिया, सर्रापीपर से लगे गांव में छिपा कर अपने करीबियों के यहां जमा करवा रखे हैं. जबलपुर में कई रियल एस्टेट के धंधे में इस के सीधे या परोक्ष रूप से जुड़ाव की जानकारी सामने आई है.
सीधी के कलेक्टर रहे विशेष गड़पाले और कटनी कलेक्टर रहे प्रकाश चंद जांगड़े के रहते कई शस्त्र लाइसेंस दोनों जिले से रज्जाक के परिजनों और खास गुर्गों के नाम जारी हुए थे. जैसे ही रज्जाक का प्रकरण तूल पकड़ा, कटनी शस्त्र शाखा से लाइसेंस संबंधी फाइल ही गुम हो गई.