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थाने में आने के बाद एसआई हरेंद्र ने दोनों को अपने सामने बिठाया तो रवि परेशान स्वर में बोला, ''सर, हमें यह तो बताइए, आप किस जुर्म में हम दोनों को थाने लाए हैं?’’

''आलोक सिंह की हत्या के जुर्म में तुम्हें यहां लाया गया है.’’ एसआई अपने स्वर को गंभीर बना कर बोले, ''आलोक सिंह को तो तुम पहचानते होगे? उस की हत्या हुई है.’’

''कौन आलोक?’’ रवि हैरानी से बोला, ''मेरे पहचान के 2-3 लोग हैं साहब, जिन का नाम आलोक सिंह है.’’

''मै देवला गांव, पक्षी विहार में रहने वाले आलोक सिंह की बात कर रहा हूं.’’

''अरे.’’ रवि बुरी तरह चौंका, ''क्या आलोक सिंह की हत्या हो गई है? कब, कैसे?’’

''बनो मत.’’ एसआई हरेंद्र गुर्राए, ''आलोक सिंह की तुम ने ही हत्या की है.’’

''यह झूठ है साहब, मैं तो आलोक को बड़े भाई की तरह मानता था. बहुत इज्जत करता था उन की.’’

''ओह!’’ एसआई हरेंद्र सिंह मुसकराए, ''तभी उस की इज्जत से खेल रहे थे. क्या तुम्हारे आलोक की बीवी प्रियंका के साथ नाजायज संबंध नहीं हैं?’’

रवि ने सिर झुका लिया. कुछ क्षणों तक वह खामोश रहा फिर बोला, ''यह ठीक है साहब कि मेरे प्रियंका के साथ नाजायज संबंध हैं. लेकिन इस में मेरा जितना दोष है, उतना दोष प्रियंका का भी है. उसी ने मुझे अपने प्रेमजाल में फांसा था. मुझे उस ने खुला निमंत्रण दिया था तो मैं बहक गया. वैसे प्रियंका अच्छी औरत नहीं है साहब, उस का पहले सर्वेश से भी प्रेम संबंध रहा है.’’ रवि ने बात खत्म कर सिर खुजाया फिर बोला, ''मैं समझ गया साहब, हत्या किस ने की है?’’

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