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आजाद कुटिया, बर्रा, कानपुर निवासी सुरेश यादव के 2 बेटे हैं- सुधीर और सुनील. परिवार हर तरह से संपन्न है, किसी चीज की कोई कमी नहीं. इस परिवार के 2 मकान हैं और दामोदर नगर, नौबस्ता में एक रेस्टोरेंट. सुरेश यादव पत्नी रंजना और छोटे बेटे सुनील के साथ रेस्टोरेंट खुद चलाते हैं. उन का बड़ा बेटा सुधीर बिल्डिंग बनवाने के ठेके लेता है, साथ ही वह समाजवादी पार्टी का नेता भी था.

सुधीर की शादी गांधी नगर, इटावा निवासी विजयकुमार यादव की बेटी बीना से हुई थी. बीना सीधीसादी औरत थी, सद्गृहणी. पूरे परिवार को बांध कर रखने वाली बीना एक बेटी एंजल की मां बन चुकी थी. 5 साल की एंजल सुबह स्कूल जाती थी और दोपहर को लौट आती थी. परिवार के अन्य सदस्य भी सुबहसुबह अपनेअपने कामों पर चले जाते थे. उन लोगों के जाने के बाद बीना घर में अकेली रहती थी.

8 जून को रविवार था, छुट्टी का दिन. उस दिन सुरेश यादव और रंजना जब रेस्टोरेंट पर जाने लगे तो एंजल भी उन के साथ चलने की जिद करने लगी. बीना ने भी सासससुर से उसे साथ ले जाने की सिफारिश की तो वे इनकार नहीं कर सके. मातापिता और बेटी के जाने के कुछ देर बाद सुधीर भी अपने काम पर चला गया. बाद में दोपहर में सुनील भी रेस्टोरेंट पर चला गया. घर में अकेली रह गई बीना.

रेस्टोरेंट का काम निपटा कर सुरेश यादव पत्नी रंजना और पोती एंजल के साथ रात 10 बजे घर लौटे तो हमेशा की तरह ऊपर जाने वाले जीने के दरवाजे की कुंडी अंदर से बंद थी. सुरेश और रंजना ने कई बार घंटी बजाई, बीना को आवाज दीं, लेकिन न तो दरवाजा खुला और न कोई हलचल सुनाई दी.

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