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मामला इज्जत का था, इसलिए अनोखेलाल से रहा नहीं गया. न चाहते हुए भी उस ने पूजा से पूछ ही लिया, ‘‘तुम्हारा और ओमवीर का क्या चक्कर है?’’

एकाएक बाप के इस सवाल से पूजा घबरा गई. उस का कलेजा धड़कने लगा. कांपते स्वर में बोली, ‘‘मैं समझी नहीं पापा.’’

‘‘देखो बेटा, ओमवीर हमारे दुश्मन का बेटा है. उस के बाप ने हमारे ताऊ की हत्या की है. इसलिए तुम्हारा उस से दूर रहना ही ठीक रहेगा.’’

पिता की इन बातों से पूजा समझ गई कि आगे का रास्ता कांटों भरा है. पूजा ने कोई जवाब नहीं दिया, इसलिए अनोखेलाल को लगा कि बेटी उस के कहने का मतलब समझ गई है. वह निश्चिंत हो गया. लेकिन पूजा को अब परिवार से ज्यादा ओमवीर प्रिय लगने लगा था. ओमवीर मिला तो उस ने कहा, ‘‘ओमवीर अगर तुम अपनी मोहब्बत को पाना चाहते हो तो कोई कामधाम करो, जिस से वक्तजरूरत हम कहीं लुकछिप कर रह सकें. अगर इसी तरह घूमते रहे तो मुझे खो दोगे. और हां, पापा को कहीं से हमारे मिलनेजुलने का पता चल गया है. इसलिए अब बहुत संभल कर मिलना.’’

इस के बाद ओमवीर काम के लिए इधरउधर हाथपैर मारने लगा. क्योंकि अपने प्यार को पाने के लिए उस पर जुनून सवार था. आसपास उसे कोई काम नहीं मिला तो उस ने सूरत में रहने वाले अपने एक दोस्त को फोन किया. उस का वह दोस्त वहां किसी कपड़े की फैक्ट्री में नौकरी करता था. ओमवीर ने उस से कोई काम दिलाने को कहा तो उस ने उसे सूरत बुला लिया. ओमवीर जानता था कि गांव में रहते हुए वह पूजा को कभी नहीं पा सकेगा. क्योंकि पूजा के घर वालों से उस की ऐसी दुश्मनी थी कि कभी सुलह हो ही नहीं सकती थी. इसलिए पूजा को पाने के लिए उसे भगा कर ले जाना पड़ेगा.

यही वजह थी कि वह दोस्त के कहने पर सूरत चला गया. पूजा ने भी उसे विश्वास दिलाया था कि वह उस के लौटने का इंतजार करेगी. इसलिए ओमवीर निश्चिंत हो कर चला गया था.

दोस्त ने सूरत में ओमवीर को काम दिला दिया था. वह वहां आराम से नौकरी करने लगा था. दूसरेतीसरे दिन वह फोन से पूजा से बात कर लेता था. कुछ दिनों तक तो यह सिलसिला ठीकठाक चलता रहा, लेकिन धीरेधीरे पूजा की ओर से आने वाले फोन कम होने लगे. ओमवीर उसे फोन करता तो बातचीत से उसे लगता कि पूजा अब पहले की तरह उस से बात नहीं करती. उसे बात करने के बजाय फोन काटने में ज्यादा रुचि रहती है. कुछ दिनों बाद पूजा का फोन स्विच औफ बताने लगा.

ओमवीर परेशान हो उठा. पूजा का फोन बंद हो गया था. उस ने उसे अपना नया नंबर भी नहीं दिया था. उसे लगा, पूजा किसी परेशानी में पड़ गई है. अब उसे सूरत आने का पछतावा होने लगा. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसा क्या हो गया कि पूजा उस से बात नहीं कर रही है. उसी बीच गांव गया एक लड़का सूरत आया तो ओमवीर ने उस से गांव का हालचाल पूछा. इस के बाद उस ने पूजा के बारे में पूछा तो उस लड़के ने कहा, ‘‘वह तो मजे में है. मस्ती में घूम रही है.’’

पूजा मजे में है, मस्ती में घूम रही है, यह बात ओमवीर के गले नहीं उतरी. उस के बिना पूजा मजे में कैसे रह सकती है? क्योंकि उस के सूरत आते समय पूजा कह रही थी कि वह उस से दूर रह कर जी नहीं पाएगी. तरहतरह की बातें सोच कर ओमवीर को लगा कि अब यहां उस का रहना ठीक नहीं है. अगर वह यहां रहा तो उस का प्यार उस का नहीं रहेगा.

यही सोच कर ओमवीर लगीलगाई नौकरी छोड़ कर गांव वापस आ गया. घर वालों से उस ने बताया कि वह छुट्टी ले कर आया है. जबकि वह नौकरी छोड़ कर आया था.

अगले ही दिन वह पूजा से मिलने के लिए स्कूल जाने वाले रास्ते पर खड़ा हो गया. पूजा उसे देख कर हैरान रह गई. वह सहेलियों के साथ थी, इसलिए ओमवीर ने उस से सिर्फ यही कहा था कि वह शाम को तालाब पर उस का इंतजार करेगा. अगर वह तालाब पर नहीं आएगी तो वह उस के घर पहुंच जाएगा.

पूजा बिना कुछ कहे चली गई. पूजा के इस व्यवहार से ओमवीर को गुस्सा तो बहुत आया था, लेकिन वह कुछ कह नहीं सका था. उसे अहसास हो गया कि दाल में कुछ काला जरूर है. अब उसे शाम का इंतजार था. उसे पता था कि पूजा उस के जुनूनी प्यार को बखूबी जानती है, इसलिए शाम को तालाब पर आएगी जरूर. किसी तरह दिन बिता कर शाम होते ही वह तालाब पर पहुंच गया. थोड़ी देर में पूजा आती दिखाई दी तो उस ने राहत की सांसें ली. आते ही पूजा ने पूछा, ‘‘बोलो, क्या बात है?’’

‘‘यह क्या, पहले तो तुम्हें यह पूछना चाहिए कि मैं वापस क्यों आ गया?’’

‘‘मैं ने नहीं पूछा तो चलो तुम खुद ही बता दो.’’ पूजा ने कहा.

‘‘तुम ने अपना पुराना नंबर बंद कर दिया और नया नंबर नहीं दिया तो मजबूर हो कर मुझे वापस आना पड़ा.’’ कह कर ओमवीर ने पूजा का हाथ पकड़ना चाहा तो उस ने अपना हाथ पीछे खींच लिया.

‘‘बस, इतनी सी बात के लिए तुम अपनी लगीलगाई नौकरी छोड़ कर चले आए. तुम तो जानते ही हो कि इस साल मेरी बोर्ड की परीक्षा है. मैं पढ़ाई में लगी हूं. फिलहाल फालतू की बातों के लिए मेरे पास समय नहीं है.’’

‘‘क्या कहा, मेरा प्यार अब फालतू की बात हो गया. तुम्हारी ही वजह से मैं सूरत में पड़ा था और तुम्हारी ही वजह से लगी लगाई नौकरी छोड़ आया हूं. अब तुम्हारे पास मेरे लिए समय नहीं है. लगता है, तुम बदल गई हो?’’

‘‘तुम ने तो पढ़ाई छोड़ दी है, इसलिए पढ़ाई के महत्त्व को तुम समझ नहीं सकते. लेकिन मुझे पढ़ाई के महत्त्व का पता है. इसलिए मैं अभी फालतू की बातों में पड़ कर डिस्टर्ब नहीं होना चाहती.’’

‘‘मेरे प्यार का क्या होगा?’’ ओमवीर ने पूछा तो पूजा बोली, ‘‘पहले पढ़ाई, उस के बाद प्यार. वैसे भी हमारे और तुम्हारे यहां से दुश्मनी है. मेरे घर वाले कतई नहीं चाहेंगे कि मैं तुम से संबंध रखूं.’’

ओमवीर समझ गया कि अब यह पहले वाली पूजा नहीं रही. यह बदल गई है. इस बदलाव के पीछे जरूर कोई राज है. पूजा जाने लगी तो उस ने पूछा, ‘‘अब कब मिलोगी?’’

‘‘तुम्हें सूरत जा कर अपनी नौकरी करनी चाहिए,’’ पूजा ने कहा, ‘‘यहां मेरे पीछे नहीं घूमना चाहिए.’’

ओमवीर के गांव आने से अनोखेलाल परेशान हो उठा था. क्योंकि वह जानता था कि अब गांव वाले फिर पूजा और ओमवीर को ले कर तरहतरह की चर्चाएं करेंगे.

दूसरी ओर ओमवीर इस बात को ले कर परेशान था कि पूजा उस की उपेक्षा क्यों कर रही है. इस के समाधान के लिए एक दिन उस ने पूजा को फिर घेरा. तब पूजा ने कहा, ‘‘मुझे अपनी पढ़ाई की चिंता है और तुम्हें अपने प्यार की पड़ी है. तुम्हारे इस प्यार से पेट भरने वाला नहीं है. भूखे पेट प्यार भी अच्छा नहीं लगता. मेरी तुम से यही प्रार्थना है कि तुम अपने काम से काम रखो और मुझे अपना काम करने दो.’’

पूजा के इस व्यवहार से ओमवीर परेशान था. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर पूजा बदल क्यों गई? अचानक उसे खयाल आया कि कहीं पूजा किसी दूसरे से तो प्यार नहीं करने लगी. इस के बाद वह अपने हिसाब से इस बारे में पता करने लगा. थोड़े प्रयास के बाद उसे पता चला कि पूजा का अब अल्लीपुर के योगेंद्र से चक्कर चल रहा है.

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