शाम के यही कोई 5 बजे अचानक रक्षा जोर से चिल्लाई तो उस की चीख सुन कर चचेरी भाभी रश्मि ही नहीं, आसपड़ोस वाले भी उस के पास आ गए थे. उस के पास आने वालों को उस से यह नहीं पूछना पड़ा था कि वह चिल्लाई क्यों थी? क्योंकि वह जिस कमरे में खड़ी थी, सामने ही पलंग पर 55 वर्षीया सुनीता की लाश पड़ी थी. उन के दोनों हाथ बंधे थे और मुंह में कपड़ा ठुंसा था. कमरे की अलमारी का सामान बिखरा हुआ था.
स्थिति देख कर ही लोग समझ गए कि यह लूट के लिए हत्या का मामला है. सभी हैरान थे कि दिनदहाड़े घर में अन्य लोगों के होते हुए यह सब कैसे हो गया और किसी को पता तक नहीं चला. किसी ने मृतका सुनीता के पति राजकुमार गुप्ता को फोन कर के इस घटना के बारे में बता दिया था.
आते ही राजकुमार गुप्ता पड़ोसियों की मदद से पत्नी सुनीता को इस उम्मीद से मोहल्ले के ही शांति मिशन हौस्पिटल ले गए कि शायद उन में अभी जान शेष हो. लेकिन अस्पताल के डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
घटना की सूचना पुलिस को भी दे दी गई थी. लेकिन घंटा भर गुजर जाने के बाद भी पुलिस घटनास्थल पर नहीं पहुंची. मजबूरन राजकुमार गुप्ता को थाना नौबस्ता जा कर हत्या और लूट की जानकारी देनी पड़ी. इस के बाद थानाप्रभारी आलोक यादव अधिकारियों को घटना की सूचना दे कर पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचे. उन के पहुंचने के थोड़ी देर बाद ही एसएसपी यशस्वी यादव तथा अन्य अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंच गए.
मामला पेचीदा और रहस्यमय लग रहा था, इसलिए सुबूत जुटाने के लिए फोरेंसिक टीम को भी बुला लिया गया था. फोरेंसिक टीम ने अपना काम कर लिया तो अधिकारियों ने कमरे में जा कर लाश का निरीक्षण शुरू किया.
कमरे में रखी लोहे की अलमारी खुली पड़ी थी. उस में रखे गहनों के डिब्बे और सामान इधरउधर बिखरा पड़ा था. गहने और अलमारी में रखी रकम गायब थी. घटनास्थल और शव का निरीक्षण करने के बाद पुलिस ने पंचनामा तैयार कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. इस के बाद पूछताछ शुरू हुई.
पुलिस को जब पता चला कि घटना के समय मकान के पीछे वाले कमरे में मृतका की बहू रश्मि और भतीजी रक्षा लैपटौप पर शादी की वीडियो देख रही थीं तो यह बात पुलिस के गले नहीं उतरी क्योंकि आगे वाले कमरे में लूट और हत्या हो गई और पीछे के कमरे में मौजूद इन दोनों महिलाओं को इस की भनक तक नहीं लगी थी.
पुलिस ने दोनों से काफी पूछताछ की. इस की एक वजह यह भी थी कि बहू अभी नवविवाहिता थी. पुलिस को शक था कि कहीं उसी ने अपने किसी प्रेमी से ऐसा न कराया हो? काफी पूछताछ के बाद भी जब पुलिस का शक दूर नहीं हुआ तो पुलिस ने सच्चाई का पता लगाने के लिए एक युक्ति अपनाई.
शक की गुंजाइश न रहे, इस के लिए पुलिस अधिकारियों ने फोरेंसिक टीम की मदद से लूट और हत्या का नाटक करने का विचार किया. नाटक कर के पुलिस ने यह जानने की कोशिश की कि घटना के समय मृतका सुनीता बाहर वाले कमरे में चिल्लाई होगी तो उन की चीख या आवाज पीछे के कमरे में बैठी रश्मि और रक्षा को सुनाई दी होगी या नहीं.
कई बार पुलिस ने लूट और हत्या का नाटक कर के देखा, सचमुच आगे वाले कमरे की आवाजें पीछे वाले कमरे में नहीं पहुंच रही थीं. इस से पुलिस को लगा कि इस मामले में मृतका की नवविवाहिता बहू रश्मि का कोई दोष नहीं है. लेकिन भतीजी रक्षा जिस तरह घबराई हुई थी और नजरें चुरा रही थी, उस से वह पुलिस की नजरों में चढ़ गई. पुलिस का ध्यान उस पर जम गया. शक के आधार पर पुलिस ने उस का लैपटौप और मोबाइल कब्जे में ले लिया.
पुलिस ने थाने आ कर राजकुमार गुप्ता द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर उन के घर हुई लूट और पत्नी सुनीता की हत्या का मुकदमा अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज कर के जांच शुरू कर दी. विवेचना में क्या हुआ, यह जानने से पहले आइए थोड़ा राजकुमार गुप्ता के बारे में जान लेते हैं.
राजकुमार गुप्ता 2 भाई हैं. बड़े भाई रामप्रसाद कानपुर के ही थाना विधनू के मोहल्ला न्यू आजादनगर में रहते हैं. उन की परचून की दुकान है. उन के परिवार में पत्नी के अलावा बेटी रक्षा और बेटा मनीष है. जबकि राजकुमार अपने परिवार के साथ कानपुर के थाना नौबस्ता के मोहल्ला पशुपतिनगर में रहते हैं.
उन के परिवार में पत्नी सुनीता और एक बेटा तथा एक बेटी थी. बेटी की शादी उन्होंने पहले ही कर दी थी. अब वह एक बेटे की मां है. राजकुमार का तंबाकू का बिजनैस है.
सब कुछ ठीकठाक चल रहा था, लेकिन 2-3 महीने से न जाने कौन राजकुमार को परेशान कर रहा था. बारबार फोन कर के वह उन से मोटी रकम की मांग कर रहा था. 5 दिसंबर को उन के एकलौते बेटे हिमांशु की शादी थी. हिमांशु राजकुमार का एकलौता बेटा था. उन के पास किसी चीज की कमी नहीं थी, इसलिए वह बेटे की शादी खूब धूमधाम से करना चाहते थे.
शादी की तारीख नजदीक आते ही राजकुमार के नजदीकी रिश्तेदार आने लगे थे. उन की बेटी शिवांगी भी अपने डेढ़ वर्षीय बेटे शुभम के साथ भाई की शादी में शामिल होने के लिए आ गई थी. 3 दिसंबर की शाम 6 बजे अचानक शिवांगी का बेटा शुभम घर के बाहर से गायब हो गया. बच्चे के इस तरह गायब होने से घर में हड़कंप मच गया. क्या किया जाए, लोग इस बात पर विचार कर ही रहे थे कि राजकुमार के मोबाइल फोन पर किसी ने शुभम के अपहरण की बात कह कर 15 लाख रुपए की फिरौती मांगी. शुभम के अपहरण की बात सुन कर घर में रोनापीटना मच गया.
अपहर्त्ता ने राजकुमार गुप्ता को पुलिस में न जाने की हिदायत दी थी. लेकिन कुछ लोगों के कहने पर वह अपने रिश्तेदारों के साथ थाना नौबस्ता जा पहुंचे. उन्होंने थानाप्रभारी को वह मोबाइल नंबर, जिस से फिरौती के लिए फोन आया था, दे कर बच्चे को अपहर्त्ताओं से मुक्त कराने की गुजारिश करने लगे.
वे लोग पुलिस से बच्चे को मुक्त कराने की गुजारिश कर ही रहे थे कि तभी उन्हें घर से फोन कर के बताया गया कि एक आदमी बच्चे को मोटरसाइकिल से घर के सामने छोड़ गया है. बच्चा सकुशल मिल गया तो थाना नौबस्ता पुलिस ने इस मामले में कोई काररवाई नहीं की. जबकि उसे उस मोबाइल नंबर के बारे में पता करना चाहिए था. बहरहाल, भले ही बच्चा वापस आ गया था, लेकिन राजकुमार और उस के घर वाले इस घटना से परेशान थे.
5 दिसंबर को राजकुमार के बेटे हिमांशु की शादी थी. शादी से एक दिन पहले किसी ने राजकुमार गुप्ता को फोन कर के कहा कि वह 15 लाख रुपए की व्यवस्था कर के बताए गए स्थान पर पहुंचा दें वरना शादी से पहले उन के बेटे हिमांशु की हत्या कर दी जाएगी.
एकलौते बेटे के साथ कहीं कुछ अनहोनी न घट जाए, इस के मद्देनजर राजकुमार गुप्ता ने एक बार फिर थाना नौबस्ता जा कर पुलिस को 15 लाख की अवैध वसूली वाले फोन के बारे में बताया और अपने बेटे की सुरक्षा का आग्रह किया. लेकिन थाना नौबस्ता पुलिस ने राजकुमार की न तो रिपोर्ट दर्ज की और न उन के द्वारा बताए फोन नंबरों के बारे में कोई जांच की.