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11 दिसंबर, 2013 को अब्दुल रशीद और अतीक सुबह को अपने काम पर चले गए. शमीम और आफरीन घर में अकेली रह गईं. उस दिन शमीम के बड़े भाई की पत्नी जरीना ने खीर बनाई थी. शाम को 6 बजे वह एक कटोरे में खीर ले कर शमीम को देने आई. दरवाजा शमीम की जगह आफरीन ने खोला. वह जरीना को देखते ही घबराई सी बोली, ‘‘भाभी, अंदर आओ. देखो, अप्पी को पता नहीं क्या हो गया है. किसी ने उन का गला काट दिया है, लगता है मर गई हैं.’’

जरीना उस वक्त मुख्य दरवाजे की दहलीज पर खड़ी थी. आफरीन की बात सुन कर वह 2 कदम पीछे हट गई. उस ने सहमते हुए कहा, ‘‘मैं तुम्हारे घर में दाखिल नहीं होऊंगी. मोहल्ले के लोगों को बुला लो.’’

आफरीन ने यह बात सामने पान की गुमटी पर बैठने वाले व्यक्ति को बताई. लेकिन उस ने भी अंदर जा कर देखने की हिम्मत नहीं की. अलबत्ता उस ने यह बात आसपास के लोगों को जरूर बता दी. इस का नतीजा यह हुआ कि कुछ ही देर में यह खबर पूरे इलाके में फैल गई. अब्दुल रशीद के घर के सामने तमाम लोग जमा हो गए. लेकिन डर की वजह से कोई भी अंदर नहीं गया.

इसी बीच किसी ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर दिया. शमीम और आफरीन की बड़ी बहन तहसीन और दूसरे भाई की पत्नी भी उसी मोहल्ले में रहती थीं. खबर मिलते ही वे दोनों भी आ गईं. हिम्मत कर के बड़ी बहन और भाभी अंदर गईं. अंदर शमीम की लाश खून से लथपथ पड़ी थी. वे उसे देखते ही रोने लगीं. जरा सी देर में कोहराम मच गया.

पुलिस कंट्रोल रूम से सूचना मिलते ही यशोदानगर पुलिस चौकी के इंचार्ज जय वीर सिंह अपने सहयोगियों कांस्टेबल राम नारायण, आजाद, शिव प्रताप यादव, रामलखन और राजेश सिंह के साथ घटनास्थल पर आ गए. घटनास्थल की स्थिति देखने के बाद जयवीर सिंह ने इस मामले की जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी.

राजीवनगर के एफ ब्लौक में एक युवती का कत्ल हो गया है, यह पता चलते ही थाना नौबस्ता के प्रभारी आलोक कुमार यादव कांस्टेबल सुमित नारायण यादव, नीरज कुमार यादव, रणजीत सिंह यादव, देवेश कुमार आदि के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचे. पुलिस ने अंदर जा कर देखा तो शमीम तख्त के ऊपर बिस्तर पर औंधे मुंह पड़ी थी. उस के गले से काफी मात्रा में खून रिसा था, जिस से बिस्तर गीला हो गया था.

बिस्तर पर बिछी चादर के एक कोने पर संभवत: हत्यारे ने अपने खून सने हाथ पोंछे थे. वहां भी काफी खून लगा हुआ था. अभी थानाप्रभारी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सीओ रोहित मिश्र फौरेंसिक टीम के साथ आ पहुंचे.

पुलिस ने नंबर पूछ कर शमीम के पिता को इस घटना की खबर देनी चाहिए तो उन का फोन स्विच्ड औफ मिला. आफरीन कुछ नहीं बता पा रही थी, इसलिए पुलिस घर के मुखिया अब्दुल रशीद के आने का इंतजार करने लगी.

अब्दुल रशीद रात 9 बजे अपने बेटे अतीक के साथ घर लौटे तो दरवाजे पर पुलिस की जीप और पुलिस वालों को खड़ा देख परेशान हो गए. उन की समझ में नहीं आया कि उन के घर के बाहर इतनी भीड़ क्यों है. उन्होंने घर के अंदर जा कर देखा तो वह गश खा कर गिरतेगिरते बचे. 3-4 लोगों ने मिल कर उन्हें जैसेतैसे संभाला.

अब्दुल रशीद से भी कोई महत्त्वपूर्ण बात पता नहीं चली तो थानाप्रभारी आलोक कुमार यादव ने प्राथमिक काररवाई पूरी कर के मृतका शमीम की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. इस के साथ ही अब्दुल रशीद की तहरीर पर भादंवि की धारा 302/201 के तहत अज्ञात हत्यारों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया.

अब्दुल रशीद ने पुलिस को बताया कि दिल्ली में रहने वाले सिराज के साथ शमीम के प्रेमसंबंध थे. जबकि वह उस की शादी अपनी पसंद के लड़के से करना चाहते थे. उन्होंने उस की शादी भी तय कर दी थी. इस पर सिराज ने धमकी दी थी कि अगर शमीम की शादी कहीं और की तो उसे जान से मार देगा. अब्दुल रशीद ने यह भी बताया कि सिराज से शमीम की जानपहचान रूबीना ने ही कराई थी.

आफरीन ने अपने बयान में पुलिस को बताया कि दोपहर 2 बजे शमीम के मोबाइल पर किसी का फोन आया था. फोन पर बात करने के बाद शमीम ने उस से कहा था कि कोई उस से मिलने आ रहा है, इसलिए वह कुछ समय के लिए घर से बाहर चली जाए और उस के सामने न पड़े, क्योंकि उस की नजर अगर उस पर पड़ गई तो वह उसे पसंद कर लेगा.

आफरीन ने आगे बताया कि पहले तो वह घर से बाहर नहीं जाना चाहती थी, लेकिन जब शमीम ने आने वाले की एक फोटो दिखाई तो वह मान गई और घर से निकल कर अंबेडकर पार्क की तरफ चली गई. उस वक्त शमीम भी उस के साथ थी, क्योंकि आने वाले ने उस से अंबेडकर मूर्ति के पास मिलने को कहा था. यह साढ़े 3 बजे की बात है.

आफरीन के अनुसार वह अंबेडकर पार्क के पास से होते हुए घर के पीछे वाली गली में चली गई थी और वहीं बैठ कर बहन के फोन का इंतजार करने लगी थी. अगले 3 घंटे उस ने वहीं बिताए और जब 6 बजने को आए और अंधेरा छाने लगा तो वह वहां से उठ कर घर लौट आई. उस समय घर का दरवाजा उढ़का हुआ था. वह अंदर पहुंची तो उस ने शमीम को खून से लथपथ मरा हुआ पाया.

यह सब बताने के बाद आफरीन कमरे में गई और एक तसवीर थानाप्रभारी को देते हुए कहा कि शमीम से यही लड़का मिलने आने वाला था. उस ने यही फोटो उसे दिखाई थी.

थानाप्रभारी ने फोटो को गौर से देखा, वह किसी 16-17 साल के लड़के की फोटो थी. उस फोटो को देख कर ऐसा नहीं लगता था कि वह हत्यारा हो सकता है. दूसरी बात यह भी थी कि उस लड़के का नामपता किसी को मालूम नहीं था. ऐसे में उसे तलाश करना आसान नहीं था.

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