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इफ्तखाराबाद के अब्दुल रशीद को कानपुर की एक टेनरी में नौकरी मिल गई थी. कुछ सालों बाद उन्होंने कानपुर के मुसलिम बाहुल्य इलाके राजीवनगर में जमीन खरीदकर अपना छोटा सा  मकान बना लिया और परिवार के साथ उसी में रहने लगे. कालांतर में उन के 7 बच्चे हुए, जिन में 3 बेटे थे और 4 बेटियां. वक्त के साथ उन के सभी बच्चे बड़े हो गए तो उन्होंने 2 बड़ी बेटियों की शादी कर दी.

कई साल पहले अब्दुल रशीद की शरीक ए हयात का इंतकाल हो गया तो वह टेनरी की नौकरी छोड़ कर छोटे बेटे अतीक अहमद के साथ बेल्ट बनाने का काम करने लगे. उन के दोनों बड़े बेटों, रईस अहमद और अनीस अहमद ने अपनी मरजी से शादियां कर ली थीं और अलग मकान ले कर रहने लगे थे. अब अब्दुल रशीद के घर में 4 ही लोग बचे थे, वह, उन की 2 बेटियां शमीम बानो और आफरीन और छोटा बेटा अतीक अहमद.

शमीम और आफरीन दोनों ही जवान थीं, लेकिन आर्थिक परेशानियों के चलते उन की शादियां नहीं हो पा रही थीं. अब्दुल रशीद और अतीक सुबह को काम पर निकल जाते थे तो फिर दिन छिपने के बाद ही घर लौट कर आते थे. शमीम और आफरीन दिन भर घर में अकेली रहती थीं. उन पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं थी.

खाली रहने की वजह से शमीम की दोस्ती रूबीना नाम की एक युवती से हो गई. रूबीना ने 5 साल पहले अपनी पसंद के एक युवक से शादी की थी. इस में उस के घर वालों की सहमति भी शामिल थी. लेकिन शादी के बाद रूबीना एक बार ससुराल जाने के बाद दोबारा नहीं गई. नतीजतन उस का तलाक हो गया. इस के कुछ दिनों बाद रूबीना ने एक ऐसे आदमी से शादी कर ली, जिस की पहले से ही 2 बीवियां थीं.

इस बात को ले कर खूब हंगामा हुआ. उस आदमी की दोनों बीवियों ने भी रूबीना को जम कर लताड़ा और गालीगलौज की. उन्होंने अपने पति को भी चेतावनी दी. फलस्वरूप रूबीना को उस आदमी का भी साथ छोड़ना पड़ा. इस तरह रूबीना एक बार फिर अकेली रह गई. अब तक उस के मातापिता की मृत्यु हो चुकी थी और वह अपने भाई शाहिद और भाभी जरीना के साथ राजीवनगर में ही रह रही थी. भैयाभाभी का उस पर कोई कंट्रोल नहीं था, वह पूरी तरह आजाद थी.

रूबीना जैसा ही हाल शमीम बानो का भी था. उस के 2 भाई अपनी पत्नियों के साथ अलग रहते थे. पिता और छोटा भाई सुबह काम पर चले जाते थे तो फिर रात में ही लौटते थे. उन के जाने के बाद शमीम पूरी तरह आजाद हो जाती थी यानी अपनी मरजी की मालिक. एक ही मोहल्ले में रहने और एक जैसी आदतों की वजह से दोनों में दोस्ती हो गई. दोनों साथसाथ घूमने लगीं.

शमीम खूबसूरत थी. उस पर मोहल्ले के कई लड़कों की निगाहें जमी थीं, जिन में एक उस के चाचा वहीद का बेटा सिद्दीक भी था. करीबी रिश्तेदार होने की वजह शमीम और सिद्दीक के बीच नजदीकी संबंध बन गए. फिर जल्दी ही ऐसा समय भी आया, जब दोनों एकदूसरे को तनमन से समर्पित हो गए.

इधर बड़ी बहन शमीम चाचा के लड़के सिद्दीक से इश्क लड़ा रही थी तो उधर छोटी आफरीन भी 22 की हो चुकी थी. आफरीन शमीम से ज्यादा खूबसूरत भी थी और स्मार्ट भी. सिद्दीक यूं तो आफरीन को बचपन से देखता आया था, लेकिन शमीम से शारीरिक संबंध बनने के बाद उस का आफरीन को देखने का भी नजरिया बदल गया था. वह शमीम से ज्यादा आफरीन में दिलचस्पी लेने लगा. शमीम को हालांकि यह अच्छा नहीं लगा, लेकिन वह कर भी क्या सकती थी.

सिद्दीक से मोहभंग हुआ तो शमीम अपनी दोस्त रूबीना के और भी ज्यादा करीब आ गई. इस के बाद दोनों कानपुर के ही नहीं बल्कि दिल्ली तक के चक्कर लगाने लगीं. शमीम के पैर चूंकि पहले ही घर से बाहर निकल चुके थे, इसलिए अब्दुल रशीद चाह कर भी उस पर पाबंदी नहीं लगा सके. जब उस का मन होता रूबीना के साथ चली जाती और जब मन होता घर लौट आती. पिछले साल शमीम जब ईद के दिन दिल्ली चली गई तो अब्दुल रशीद को बहुत बुरा लगा. वह वापस लौटी तो उन्होंने उसे डांटाफटकारा भी, पर उस पर कोई असर नहीं हुआ.

शमीम के बाहर चली जाने के बाद आफरीन घर में अकेली रह जाती थी. इस का फायदा उठाया सिद्दीक ने. वह अपना ज्यादा से ज्यादा समय आफरीन के साथ गुजारने लगा. इस का नतीजा यह हुआ कि प्यार के नाम पर दोनों एकदूसरे के बेहद करीब आ गए. यहां तक कि दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया.

इसी बीच शमीम एक बार रूबीना के साथ दिल्ली गई तो उस ने लौट कर बताया कि रूबीना दिल्ली के एक युवक से उस की शादी की बात चला रही है. उस युवक का वह फोटो भी साथ लाई थी. घर में किसी की इतनी हिम्मत नहीं थी कि उस का विरोध करता. वैसे भी सभी चाहते थे कि किसी तरह उस की शादी हो जाए तो अच्छा है. दिल्ली से लौटने के बाद शमीम का अधिकतर समय फोन पर बतियाने में बीतने लगा. वह आफरीन से बताती थी कि वह उसी युवक से बातें करती है, जिस से शादी करेगी.

जब से शमीम का दिल्ली वाले लड़के से चक्कर चला था, वह ज्यादातर घर में ही रहने लगी थी. इस से आफरीन को परेशानी होती थी, क्योंकि वह सिद्दीक से नहीं मिल पाती थी. यह देख कर उस ने अपने इस प्रेमी से घर के बाहर मिलना शुरू कर दिया. जब यह बात शमीम को पता चली कि उस का पूर्व प्रेमी उस की छोटी बहन के साथ इश्क लड़ा रहा है तो उसे बहुत बुरा लगा. उस ने आफरीन को समझाने की कोशिश की कि वह सिद्दीक के चक्कर में न पड़े, क्योंकि वह अच्छा लड़का नहीं है.

शमीम आफरीन से कई साल बड़ी थी, तजुर्बेकार भी थी. वह जानती थी कि सिद्दीक आफरीन का फायदा उठा कर उसे किनारे लगा देगा. इसलिए वह कोशिश करने लगी कि वे दोनों न मिल पाएं. लेकिन यह बात आफरीन को बुरी लगती थी और सिद्दीक को भी. इस की एक वजह यह थी कि शमीम अपने मामले में हमेशा से आजाद रही थी, जबकि वह उन दोनों पर पाबंदी लगाना चाहती थी.

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