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एक दिन योगेश ने निशा और अपने ससुर से कहा कि वह अपने पैतृक घर सागर चला जाएगा, वहीं कुछ करेगा. ससुराल में रहते हुए खुले मन से कुछ नहीं कर पाएगा. उस के बाद वह निशा और बच्चों को ले कर सागर आ गया. विदिशा और सागर के बीच सडक़ मार्ग से करीब 112 किलोमीटर की दूरी है. निशा अस्पताल की नौकरी नहीं छोडऩा चाहती थी. इस पर पति ने उसे सागर से डेली अप-डाउन करने की सलाह दी. निशा इस पर राजी हो गई और सागर में रहते हुए नौकरी के लिए विदिशा आने लगी. इस दरम्यान वह जरूरत के मुताबिक कभी विदिशा तो कभी सागर में ठहर जाती थी.

इस तरह से निशा शनिवार को सागर आ जाती थी और रविवार को रह कर अगले रोज सोमवार को विदिशा चली जाती थी. एक दिन योगेश ने निशा से कहा कि उसे विदिशा में रुकने की जरूरत नहीं है. वह सागर से विदिशा रोज आनाजाना करे. निशा को यह बात पसंद नहीं आई. इस का मुख्य कारण था, रोज आनेजाने पर आने वाला खर्च. उस का वेतन बहुत ही साधारण था. उस में से उसे घरेलू खर्चे भी करने होते थे और आनेजाने के किराए पर भी खर्च करना था. इस पर निशा ने मना कर दिया. फिर क्या था, योगेश आगबबूला हो गया. उस ने नाराजगी दिखाते हुए चेतावनी दी कि वह गलत कर रही है. अपने पति की बातों की उपेक्षा करना ठीक नहीं है.

निशा और योगेश के बीच नौकरी पर सागर से विदिशा आनेजाने को ले कर आए दिन तकरार होने लगी. इस की जानकारी जब प्रेम नारायण को हुई, तब उन्होंने योगेश को समझाने की कोशिश की और सलाह दी कि वह पहले की तरह परिवार समेत विदिशा शहर में ही रहे. किंतु जब योगेश ने अपने ससुर के प्रस्ताव को सिरे से इनकार कर दिया, तब दोनों के बीच विवाद काफी बढ़ गया. उन के बीच आए दिन झगड़े होने लगे. जबकि प्रेम नारायण ने योगेश से पूछा कि रोजरोज यहां से ड्ïयूटी पर जानाआना आसान नहीं है. निशा नौकरी कर रही है तो फिर दिक्कत क्या है, वह आखिर चाहता क्या है?

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