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20 फरवरी, 2022 की शाम. समय यही कोई साढ़े 5-6 बजे के आसपास का रहा होगा. जाड़े की शाम थी. वैसे भी जाड़ों में दिन छोटे और रात बड़ी होती हैं. उस समय भी शाम हो चली थी और शाम के धुंधलके ने प्रयागराज हाईकोर्ट के पास स्थित पोलो ग्राउंड और सड़क को अंधेरे में घेर रखा था.

चूंकि यह सड़क वीआईपी है और लोगों का आवागमन लगा रहता है. खासकर सुबह और शाम को वाक करने वालों का. उसी पोलो ग्राउंड में एक बहुत ही पुराना और गहरा कुआं भी है. ठंड के बावजूद उस पुराने कुएं से बदबू आ रही थी, जिस की असहनीय दुर्गंध ने वाक करने वालों और राहगीरों को अपने नथुनों पर रुमाल रख कर चलने पर मजबूर कर दिया था. किसी अनहोनी की आशंका के मद्देनजर कुछ लोगों ने पोलो ग्राउंड का चक्कर लगाया कि आखिर माजरा क्या है.

चूंकि आर्मी एरिया में स्थित पोलो ग्राउंड बहुत बड़े दायरे में फैला हुआ है, इसलिए बदबू कहां से आ रही है, यह जानने के लिए लोग सब से पहले कुएं के पास गए. कुआं मुख्य सड़क से सिर्फ 10 कदम की दूरी पर था. सब से पहले कुएं के पास ही लोगबाग गए. जैसेजैसे लोग कुएं के पास बढ़ते गए, बदबू उतनी ही तेजी से उन के नथुनों में घुस रही थी.

शक होने पर वहां मौजूद एक वकील साहब ने फौरन 112 नंबर व संबंधित थाना सिविल लाइंस को सूचना दी कि कुएं से लगातार असहनीय दुर्गंध उठ रही है. जरूर उस में किसी की लाश हो सकती है. हमेशा उस कुएं से लाश ही बरामद की गई है, इसलिए उसे मौत का कुआं ही कहते थे. इस बात में या यह कहनेसमझने में जरा भी समय नहीं लगा कि उस कुएं में किसी का काम तमाम कर के उस की लाश फेंक दी गई है.

बहरहाल, सूचना मिलते ही प्रयागराज के थाना सिविल लाइंस की पुलिस और गश्ती गाड़ी पोलो ग्राउंड के अंदर घुसे और जब कुएं के अंदर झांका तो पाया कि एक सफेद रंग का बोरा उस कुएं में (लगभग सूख चुका है कुआं फिर थोड़ाबहुत पानी उस में अब भी हमेशा रहता है) पड़ा था. कुछ ही देर में एसएसपी अजय कुमार और सीओ संतोष सिंह भी वहां पहुंच गए.

कुआं काफी गहरा था. बोरे को निकालने के लिए इंसपेक्टर वीरेंद्र यादव ने फायर ब्रिगेड को फोन कर दिया. फायर ब्रिगेड कर्मचारियों ने कुएं के अंदर एक लंबी सीढ़ी डाली और अपनेअपने मुंह ढक कर उस के अंदर उतरे. जैसेतैसे बोरे को कुएं से बाहर लाया गया. उसे उठाने में जवानों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी क्योंकि बोरा काफी वजनी था.

बोरे में निकली लड़की की लाश

जब उस बोरे का मुंह खोला तो उस के अंदर एक युवती की लाश देख कर लोग दंग रह गए. अब जबकि बोरे को कुएं से निकाला जा चुका था तो उस में से और भी तेजी के साथ दुर्गंध चारों तरफ फैलने लगी थी.

युवती ने जींस टीशर्ट और पैरों में जूते पहन रखे थे. उस की लाश देख कर पुलिस ने अंदाजा लगाया कि उस की हत्या कोई एक हफ्ता पहले कर के उस की लाश को ठिकाने लगाने के लिए हाथपैर मोड़ कर उसे बोरे में ठूंसठूंस कर भरा गया था. उस के बाद सुतली और सूजे की मदद से बोरे को सिल कर कुएं में फेंका गया होगा.

पानी में पड़ेपड़े उस युवती की लाश लगभग फूल चुकी थी. चेहरा भी पहचानने में नहीं आ रहा था. सिविल लाइंस पुलिस ने वहां मौजूद लोगों से लाश की शिनाख्त करने को कहा, लेकिन वहां मौजूद कोई भी शख्स उसे पहचान पाने में असमर्थ था.

लड़की कौन थी? कहां की रहने वाली थी? यह सब जानने के लिए जब महिला पुलिस ने उस के कपड़ों की तलाशी ली तो उस में कुछ भी नहीं मिला. हां, मृतका की बाईं कलाई पर एक टैटू बना हुआ था और उस पर रवि नाम लिखा हुआ था.

बहरहाल, लाश का पंचनामा भरने के बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. एसएसपी अजय कुमार ने हत्या के इस मामले को सुलझाने के लिए सीओ संतोष सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई. टीम में थाना वीरेंद्र सिंह यादव, एसएसआई इंद्रदत्त द्विवेदी, एसआई वजीउल्लाह खान, अरविंद कुमार कुशवाहा, कांस्टेबल राहुल कुमार गोला, राहुल कुमार, महिला कांस्टेबल इंदु आदि को शामिल किया.

अगले दिन कुएं में मिली जवान युवती की लाश की खबर शहर के सभी अखबारों में छपी और साथ ही उस की कलाई पर बने टैटू पर रवि नाम गुदे होने का जिक्र किया गया तो पुलिस को उस की शिनाख्त के लिए ज्यादा भागदौड़ की जरूरत नहीं पड़ी.

मृतका निकली राष्ट्रीय स्तर की फुटबाल खिलाड़ी

प्रयागराज के ही थाना शिवकुटी के मोहल्ला शिलाखाना में रहने वाले राजेंद्र प्रसाद ने अगले दिन यानी 21 अप्रैल को जब अखबार में यह पढ़ा कि एक जवान युवती की डेडबौडी पोलो ग्राउंड के अंदर पुराने कुएं से थाना सिविल लाइंस पुलिस ने बरामद की है, उस के हाथ पर बने टैटू पर ‘रवि’ नाम लिखा हुआ है तो वह थाने पहुंचे और इंसपेक्टर वीरेंद्र यादव से मिले.

वीरेंद्र यादव से उन्होंने डेडबौडी देखने की इच्छा जाहिर की तो बिना एक पल गंवाए इंसपेक्टर ने उन्हें अपने मातहतों के साथ पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया.

लाश के चेहरे से जब कफन हटाया गया तो उस के पिता और परिजन फफकफफक कर रोने लगे. शव की शिनाख्त हो चुकी थी. मृतका का नाम शालिनी धुरिया उर्फ रोली था. उस के पिता राजेंद्र प्रसाद, मां व भाईबहन ने उसे पहचान लिया. घर वाले यह जान कर हैरान थे कि शालिनी तो गुड़गांव में नौकरी कर रही थी तो प्रयागराज कब आ गई.

शालिनी पूरे परिवार की लाडली थी. उस की हत्या से घर वालों का रोरो कर बुरा हाल था. पेशे से ईरिक्शा ड्राइवर राजेंद्र प्रसाद के 4 बच्चों में सब से बड़ी बेटी श्रद्धा, उस से छोटी शालिनी उर्फ रोली व उस से छोटे भाई बहन अंकित और स्वाति थे.

बहरहाल, उस के अंतिम संस्कार के बाद घर वालों से, खासकर शालिनी के पिता से जब यह पूछा गया कि उस की कलाई पर जो रवि नाम लिखा हुआ है, वह कौन है? शालिनी का उस से क्या संबंध है? शालिनी यहां से पहले कहां रहती थी?

पुलिस को इन सवालों का जवाब मिलना जरूरी था, तभी वह शालिनी के हत्यारों तक पहुंच सकती थी. पूछताछ के दौरान शालिनी के पिता राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि रवि उन की बेटी का दोस्त है.

‘‘उस का आप के घर भी आनाजाना था?’’ इंसपेक्टर वीरेंद्र यादव ने पूछा.

उन्होंने बताया कि शालिनी बहुत होनहार थी. वह राष्ट्रीय स्तर की फुटबाल प्लेयर थी. परिवार की माली हालत को देखते हुए 2021 में दूसरे लौकडाउन के खत्म होने के बाद वह नवंबर महीने में गुड़गांव चली गई थी. और एक प्राइवेट कंपनी में जौब करने लगी थी.

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