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घटना की सूचना मिलते ही एसएचओ हिमांशु कुमार सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. थोड़ी देर बाद वह मौके पर पहुंच कर जांचपड़ताल में जुट गए और इस की जानकारी एसपी योगेंद्र कुमार और एसडीपीओ चंदन कुमार को भी दे दी.

उधर मृतका के पिता नंदकिशोर को बुलवाने के लिए उस के घर एक कांस्टेबल को भेज दिया.

अदावत नहीं थी तो क्यों हुई हत्या

सूचना मिलने के कुछ देर बाद एसपी योगेंद्र कुमार और एसडीपीओ चंदन कुमार भी मौके पर पहुंच चुके थे. उस के थोड़ी देर बाद फोरैंसिक टीम भी वहां पहुंच कर अपनी आवश्यक काररवाई में जुट गई थी.

पुलिस अधिकारियों ने पैनी नजरों से लाश का मुआयना किया. पड़ताल के दौरान पता चला कि बड़ी बेरहमी से हत्यारों ने किसी तेज धारदार हथियार से उस की गला रेत कर हत्या की थी. मौत से पहले मृतका ने हत्यारों के चंगुल से बचने के लिए काफी हद तक अपना बचाव करने की कोशिश की थी.

मौके से एक चाकू रखने वाला खोखा बरामद हुआ. सबूत के तौर पर पुलिस ने उसे अपने कब्जे में ले लिया. इस के बाद एसएसपी एसएचओ को आवश्यक काररवाई करने का निर्देश दे कर रवाना हो गए.

खैर, एसएचओ हिमांशु कुमार सिंह ने लाश पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवा दी और नंदकिशोर से तहरीर ले कर थाने आ गए. उन्होंने तहरीर के आधार पर आईपीसी की धारा 302, 201, 120बी, 34 के तहत अज्ञात हत्यारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी.

एसएचओ हिमांशु कुमार ने विवेचना शुरू करने के बाद कुछ जरूरी जानकारी लेने के लिए नंदकिशोर को थाने बुलवाया और उन से पूछताछ की कि उन की किसी से कोई दुश्मनी तो नहीं है. इस के अलावा उन्हें किसी पर शक हो तो बता दें.

इस पर नंदकिशोर ने बताया कि उन की न तो किसी से कोई दुश्मनी थी और न विवाद. उन्हें किसी पर शक भी नहीं है. हां, इतना जरूर है कि लाली के पास मोबाइल था, वह मौके से नहीं मिला और न ही वह घर पर है.

नंदकिशोर के इस बयान ने एसएचओ हिमांशु सिंह को सोचने पर विवश कर दिया. उन्होंने यह बात एसपी योगेंद्र कुमार और एसडीपीओ चंदन कुमार को बताई. यह जान कर वे भी सोचने पर विवश हो गए.

हत्यारों का मृतका का फोन अपने साथ ले जाना इस बात की ओर इशारा कर रहा था कि उस में हत्या से जुड़ा कोई गहरा राज छिपा था, तभी वे मोबाइल फोन अपने साथ ले गए. या यह भी हो सकता है कि हत्यारा नंदकिशोर के जानपहचान वाला कोई हो और हत्या का राज छिपाने के लिए अपने साथ ले गया हो.

हत्या का नहीं मिल रहा था सुराग

यह सब करतेकरते एक सप्ताह बीत चुका था. पुलिस जांच जहां से चली थी, वहीं आ कर रुक गई. लाली हत्याकांड की गुत्थी की कोई कड़ी पुलिस के हाथ लग ही नहीं रही थी. जिस नंबर को बातचीत के लिए लाली उपयोग करती थी, वह नंबर घर वालों के पास ही नहीं था इसलिए पुलिस को हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए लोहे के चने चबाने पड़ रहे थे. बड़ी मुश्किल से मृतका का फोन नंबर पुलिस के हाथ लगा.

इस के बाद उस नंबर की काल डिटेल्स पुलिस ने निकलवाई और उस की जांच में जुट गई. मृतका के मोबाइल पर आखिरी बार साढ़े 7 बजे काल आई थी. उस के बाद उस के मोबाइल पर कोई काल नहीं आई और फोन स्विच्ड औफ हो गया था.

जिस नंबर से लाली को फोन आया था, नंदकिशोर को थाने बुलवा कर एसएचओ ने उस नंबर को ट्रेस कराया. नंदकिशोर ने बता दिया कि उन्हें नहीं पता कि वह नंबर किस का है.

भले ही नंदकिशोर उस नंबर को नहीं पहचान सके, लेकिन पुलिस उस संदिग्ध नंबर की तलाश में जुट गई. पुलिस की यह कोशिश रंग लाई. 4-5 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद उस नंबर की पूरी कुंडली तैयार हो चुकी थी.

वह नंबर अहमदपुर (घाघरा) निवासी विकेश कुमार महतो के नाम था. पुलिस अब इस गुत्थी को सुलझाने में जुटी थी कि विकेश का नंबर लाली की काल डिटेल्स में कैसे आया? विकेश और लाली एकदूसरे को कैसे जानते थे?

पुलिस ने जल्द ही इस गुत्थी को भी सुलझा लिया. पता चला कि लाली की हत्या त्रिकोण प्रेम प्रसंग के चलते हुई थी. इस घटना को अकेले विकेश ने अंजाम नहीं दिया बल्कि लाली के पहले प्रेमी बिट्टू ने भी उस का साथ दिया था.

विकेश और बिट्टू दोनों भाइयों ने स्वीकारा जुर्म

प्रेम प्रसंग में असफल 2 चचेरे भाई बिट्टू और विकेश ने मिल कर लाली की हत्या की थी. पुलिस ने दोनों के खिलाफ वैज्ञानिक साक्ष्य जुटा लिए थे ताकि अदालत में आरोपियों के खिलफ मजबूत केस बन सके और उन्हें इस की सजा मिल सके.

विकेश और बिट्टू के खिलाफ पुलिस के पास पर्याप्त साक्ष्य जमा हो चुके थे. 27 अगस्त, 2022 को सुबहसुबह पुलिस ने दोनों के घर दबिश दे कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया और थाने ले आई. थाने में दोनों से जब सख्ती से पूछताछ शुरू हुई तो जल्द ही दोनों ने घुटने टेक दिए और अपने जुर्म कुबूल कर लिए.

आरोपियों विकेश और बिट्टू के इकरार ए जुर्म के बाद पुलिस ने अज्ञात हत्यारों के स्थान पर विकेश और बिट्टू को नामजद कर दिया था और दोनों को अदालत के सामने पेश कर उन्हें जेल भेज दिया था. पुलिस पूछताछ के बाद लक्की उर्फ लाली हत्याकांड की जो दिलचस्प कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

नंदकिशोर साद की सब से बड़ी बेटी थी लक्की उर्फ लाली. सुंदर और चंचल. चंचलता उस के रगरग में समाई थी. उस की आंखों से ले कर उस के सुर्ख होंठों तक चंचलता के पैमाने छलकते थे. उसे पीने वाले आशिकों की कमी भी नहीं थी.

बात उन दिनों की है जब लाली 16 साल की अल्हड़ थी. अपनी ही गलियों में खोई लाली को पता ही नहीं था कि एक युवक की आंखें उस के हुस्न के पैमाने को कब से ताड़ रही थीं. उस युवक का नाम बिट्टू महतो था.

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