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इसी दौरान तरुण को सिविललाइंस थाने में यातायात पुलिस के सीसीटीवी का काम मिल गया तो उस की इमेज भी एक पुलिस वाले की बन गई. यह दीगर बात थी कि वह सिर्फ डाटा रिकौर्ड करने का काम करता था.

तरुण की गुमशुदगी से इस कहानी का गहरा ताल्लुक है, यह पुलिस वालों को उस वक्त और समझ आ गया जब उन की जानकारी में यह बात भी आई कि बेबी और शांतनु कुछ दिनों तक साथसाथ रहे थे. बाद में दोनों अपनेअपने घरों को लौट आए थे.

दरअसल, दोनों का जी एकदूसरे से भर गया था या कोई और वजह थी, यह तो किसी को नहीं पता. लेकिन बात तब गंभीर लगी जब पिछले साल सितंबर में बेबी के बड़े बेटे नीलेश मांडले की लाश संदिग्ध अवस्था में बिलासपुर कोटा रेलवे लाइन पर मिली.

बेबी को शक था कि कहीं तरुण ने उस से बदला लेने के लिए नीलेश की हत्या कर या करवा न दी हो. जबकि पुलिस की जांच में इसे खुदकुशी माना गया था. इस से बेबी को लगा कि नीलेश के पुलिस से नजदीकी संबंध होने के चलते पुलिस वाले मामले को खुदकुशी करार दे कर दबा रहे हैं.

इस बारे में उस ने शांतनु से बात की तो शांतनु ने अपने बेटे तरुण का पक्ष लिया. इस से बेबी और ज्यादा तिलमिला उठी. उसे लगा कि बापबेटे दोनों उसे बेवकूफ बना रहे हैं. शांतनु की चाहत उस के शरीर तक ही सीमित है, उसे नीलेश की मौत से कोई लेनादेना नहीं है. नीलेश की जगह अगर तरुण मरा होता तो उसे समझ आता कि जवान बेटे को खो देने का दर्द क्या होता है.

जिस तरह दोनों अपनेअपने परिवार से अलग हुए थे, इस मसले पर विवाद होने के बाद अपनेअपने घरों को कुछ इस तरह लौट गए, मानो कुछ हुआ ही न हो. शांतनु राजकुमारी और तरुण के पास अपने घर चला गया और बेबी बालाराम और दोनों बेटों के पास चली गई.

तरुण के गायब होने का इस कहानी से संबंध जोड़ते हुए पुलिस ने तफ्तीश शुरू की और दूसरे दिन सुबह को बेबी और बालाराम को थाने बुला लिया. जब दोनों से तरुण के बाबत पूछताछ की गई तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं पता. चूंकि दोनों सच बोलते लग रहे थे, इसलिए पुलिस वालों ने उन्हें जाने दिया.

लेकिन तरुण का अभी तक कहीं अतापता नहीं था. अब तक किसी को उस के और मेघा के प्रेम प्रसंग के बारे में कुछ मालूम भी नहीं था. अगर वह किसी हादसे का शिकार हुआ होता तो अब तक उस का पता चल जाता, लेकिन पूछताछ और जांच में ऐसी कोई बात या घटना सामने नहीं आई थी, जो तरुण से ताल्लुक रखती हो.

लेकिन जांच के दौरान पुलिस वालों को पता चला कि तरुण आखिरी बार मेघा गोयल के साथ दिखा था, जो लिंगियाडीह की रहने वाली थी. पूजा और इमरान नाम के 2 गवाहों ने इस बात की पुष्टि की थी कि मेघा 1 जनवरी की दोपहर तरुण की बाइक पर सवार हो कर उस के साथ आर.के. नगर की तरफ जाती हुई दिखी थी.

मेघा तक पहुंचने के लिए पुलिस ने मोबाइल फोनों का सहारा लिया. तरुण के फोन की काल डिटेल्स निकालने पर पता चला कि पहली जनवरी को उस की एक खास नंबर पर ज्यादा और काफी लंबी बातें हुई थीं. लेकिन यह नंबर उस ने सेव नहीं किया था.

तरुण का मोबाइल नंबर ट्रेस करने पर पता चला कि उस की लोकेशन दोपहर 2 बजे से ले कर शाम 6 बजे तक आर.के. नगर में थी. बाद में उस की लोकेशन कोटा की मिली जो बिलासपुर से 30 किलोमीटर दूर है.

पुलिस वालों ने बेबी और बालाराम को पूछताछ के बाद जाने तो दिया, लेकिन दोनों पर शक बरकरार था. तरुण के फोन के इस अज्ञात नंबर और बेबी के फोन की लोकेशन एक साथ मिल रही थी. यह बात इस लिहाज से खटके की थी कि कहीं यह नंबर बेबी का ही तो नहीं है. इधर तरुण की गुमशुदगी की चर्चा पूरे बिलासपुर और छत्तीसगढ़ में होने लगी थी.

अब तक यह भी साफ हो गया था कि तरुण आखिरी बार कोटा में था. लेकिन किस हालत में, यह पता नहीं चल पा रहा था. मेघा के फोन के सहारे पुलिस ने उसे धर दबोचा तो एक नई सनसनीखेज और रोमांचक कहानी इस तरह सामने आई.

शुरू में मेघा ने यह तो मान लिया कि तरुण उस के साथ था, लेकिन उस ने यह कहते पुलिस को गुमराह करने की कोशिश भी की कि वह अपने घर चला गया था. लेकिन जल्दी ही वह पुलिस वालों के सामने टूट गई और तरुण की हत्या की बात स्वीकार ली. उस ने हैरतंगेज बात यह बताई कि कत्ल की इस वारदात में उस का साथ बेबी और बालाराम सहित उन के 2 बेटों योगेश और अभिषेक ने भी दिया था.

तरुण की हत्या की योजना बेबी ने ही बनाई थी, जो शांतनु से अलग होने के बाद से ही बदले की आग में जल रही थी. इसी दौरान उसे पता चला कि उस के बड़े बेटे नीलेश का प्रेम प्रसंग मेघा गोयल से था. दोनों साथसाथ पढ़ते थे.
बेबी जब मेघा से मिली तो उस की चंचलता देख उस की बांछें खिल उठीं. बातों ही बातों में उसे पता चला कि मेघा भी नीलेश की मौत के बाद से खार खाए बैठी है और उस के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है.

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