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पुलिस हर प्रकार से विपिन शुक्ला की तलाश कर के थक चुकी थी. मुखबिरों का भी सहारा लिया गया था. लेकिन उन से भी कोई लाभ नहीं मिला. शहर के बदनाम लोगों से भी पूछताछ की गई, पर नतीजा शून्य ही रहा.

इंसपेक्टर वेदप्रकाश पर एसएसपी स्वप्न शर्मा की ओर से काफी दबाव डाला जा रहा था. इसलिए उन्होंने नए सिरे से जांच करते हुए एयरफोर्स कालोनी के निवासियों और कैंटीन कर्मचारियों से पूछताछ की. इस पूछताछ में उन्हें लगा कि विपिन की गुमशुदगी में कालोनी के ही किसी आदमी का हाथ है.

उन्होंने अपने मुखबिरों को कालोनी वालों पर नजर रखने को कहा. पुलिस और मुखबिर कालोनी में सुराग ढूंढने में लगे थे. अगले दिन यानी 21 फरवरी को वेदप्रकाश ने शैलेश को पूछताछ करने के लिए थाने बुलाना चाहा तो पता चला कि बिना एयरफोर्स अधिकारियों से इजाजत लिए पूछताछ करना संभव नहीं है.

इस पर वेदप्रकाश ने एयरफोर्स के अधिकारियों से इजाजत ले कर सार्जेंट शैलेश से उन्हीं के सामने पूछताछ शुरू की. दूसरी ओर एसएसपी स्वप्न शर्मा के आदेश पर एसपी औपरेशन गुरमीत सिंह और डीएसपी देहात कुलदीप सिंह के नेतृत्व में एक सर्च टीम तैयार की गई, जिस में एयरफोर्स के अधिकारियों सहित 40 जवानों, छोटेबड़े 85 पुलिस वालों और 30 मजदूरों सहित एयरफोर्स के स्निफर डौग एक्सपर्ट की टीम को शामिल किया गया.

इस भारीभरकम टीम ने एयरफोर्स कालोनी में सुबह 9 बजे से सर्च अभियान शुरू करते हुए एकएक क्वार्टर की तलाशी लेनी शुरू की. दूसरी ओर सार्जेंट शैलेश से पूछताछ चल रही थी. पूछताछ में शैलेश ने बताया कि अन्य लोगों की तरह उस की भी विपिन से जानपहचान थी. लेकिन वह उस की गुमशुदगी के बारे में कुछ नहीं जानता. लेकिन थानाप्रभारी के पास कुछ ऐसी जानकारियां थीं, जिन्हें शैलेश छिपाने की कोशिश कर रहा था.

शैलेश से अभी पूछताछ चल ही रही थी कि कालोनी में सर्च अभियान चलाने वाली टीम में शामिल स्निफर डौग भौंकते हुए सार्जेंट शैलेश शर्मा के क्वार्टर में घुस गया. कुत्ते के पीछे पुलिस अफसर भी घुस गए. सार्जेंट शैलेश शर्मा को भी वहीं बुला लिया गया. पूरे क्वार्टर में अजीब सी दुर्गंध फैली थी. जब विश्वास हो गया कि इस क्वार्टर में लाश जैसी कोई चीज है तो पुख्ता सबूत के लिए इलाका मजिस्ट्रैट और तहसीलदार भसीयाना को बुला लिया गया.

सब की मौजूदगी में जब सार्जेंट शैलेश के क्वार्टर की तलाशी ली गई तो वहां से जो बरामद हुआ, उस की किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. वहां का लोमहर्षक दृश्य देख कर पत्थरदिल एयरफोर्स और पुलिस के जवानों के भी दिल कांप उठे. कुछ लोगों को तो चक्कर तक आ गए.

क्वार्टर में लापता विपिन शुक्ला की लाश के 16 टुकड़े पड़े थे, जिन्हें काले रंग की 16 अलगअलग थैलियों में पैक कर के पैकेट बना कर फ्रिज में रखा गया था. लाश के टुकड़े बरामद होते ही सार्जेंट शैलेश ने इलाका मजिस्ट्रैट, तहसीलदार, एयरफोर्स के अधिकारियों और पुलिस के वरिष्ठ अफसरों के सामने अपना अपराध स्वीकार कर लिया.

उस ने बताया कि उसी ने अपनी पत्नी अनुराधा और अपने साले शशिभूषण के साथ मिल कर विपिन शुक्ला की हत्या कर के लाश के टुकड़े कर के फ्रिज में रखे थे. पुलिस ने लाश के टुकडे़ और फ्रिज कब्जे में ले लिया. लाश के टुकड़ों का पंचनामा कर के उन्हें पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल भिजवा दिया.

अपहरण की धारा 365 के तहत दर्ज इस मुकदमे में योजनाबद्ध तरीके से की गई हत्या की धारा 302, 120बी और लाश को खुर्दबुर्द करने के लिए धारा 201 जोड़ दी गई. सार्जेंट शैलेश और उस की पत्नी अनुराधा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. इस हत्या का तीसरा आरोपी शशिभूषण फरार हो गया था.

उस की तलाश में पुलिस टीम उत्तराखंड भेजी गई. उसी दिन शाम को यानी 21 फरवरी, 2017 को एसपी औपरेशन गुरमीत सिंह ने प्रैसवार्ता कर इस हत्याकांड के संबंध में विस्तार से जानकारी दी, साथ ही दोनों गिरफ्तार अभियुक्तों शैलेश और अनुराधा को मीडिया के सामने पेश किया.

पुलिस अधिकारियों द्वारा पूछताछ करने पर सार्जेंट शैलेश और अनुराधा ने विपिन शुक्ला की गुमशुदगी से ले कर हत्या करने तक की जो कहानी बताई, वह अवैधसंबंधों और बदनामी से बचने के लिए की गई हत्या का नतीजा थी—

सार्जेंट शैलेश मूलरूप से उत्तराखंड का निवासी था. लगभग 7 साल पहले उस की अनुराधा से शादी हुई थी. उस का एक 5 साल का बेटा है. इन दिनों उस की पत्नी गर्भवती थी.

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