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12 सितंबर, 2019 को कानपुर नगर के मोहल्ला रामादेवी के रहने वाले कुछ लोगों ने कानपुर-फतेहपुर रेलवे लाइन के किनारे 2 लाशें पड़ी देखीं तो उन्होंने यह खबर मोहल्ले के लोगों को दे दी. चूंकि रामादेवी मोहल्ला लाइनों के नजदीक था, इसलिए कुछ ही देर में दरजनों लोग मौके पर पहुंच गए.

रेलवे लाइनों से किनारे रेल से कटे हुए 2 शव पड़े थे. उन में एक शव युवती का था और दूसरा युवक का. युवती की उम्र करीब 17-18 साल थी, जबकि युवक 21-22 साल का रहा होगा. लाशों को देखने से लग रहा था कि वे प्रेमीप्रेमिका रहे होंगे.

इस घटना की जानकारी स्थानीय सभासद के.के. पांडेय को हुई तो वह भी घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने लाइन किनारे 2 शव पड़े होने की सूचना थाना चकेरी पुलिस को दे दी.

थाना चकेरी के थानाप्रभारी रणजीत राय ने पहले यह जानकारी अपने अफसरों को दी फिर श्यामनगर चौकी इंचार्ज राघवेंद्र आदि के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचे. उन के वहां पहुंचने के कुछ देर बाद एसएसपी अनंत देव तिवारी तथा एसपी (साउथ) रवीना त्यागी भी घटनास्थल पर आ गई थीं. आला अधिकारियों ने आते ही घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण शुरू कर दिया.

पुलिस ने वहां मौजूद लोगों से शवों की शिनाख्त कराने का प्रयास किया, लेकिन एकत्र लोगों में से कोई भी उन की शिनाख्त नहीं कर पाया. तब एसपी (साउथ) रवीना त्यागी ने एक सिपाही को मृतक के बैग की तलाशी लेने को कहा.

सिपाही ने बैग की तलाशी ली तो उस में से मृतक का ड्राइविंग लाइसेंस, मोबाइल फोन, युवती के साथ खिंचाई गई फोटो तथा आई लव यू लिखा तकिया मिला. फोटो से लग रहा था कि प्रेमी युगल वैष्णो देवी गए थे.

युवती की लाश के पास एक लेडीज बैग पड़ा था. पुलिस ने उस की तलाशी ली तो उस के अंदर एक लेडीज पर्स मिला, जिस के ऊपर दिबियापुर (औरैया) ज्वैलर्स लिखा था. पर्स के अंदर मोबाइल फोन, चूडि़यां, बिंदी तथा शृंगार का सामान था.

बैग से कुछ कपड़े तथा हाईस्कूल की मार्कशीट मिली. मार्कशीट में उस का नाम शिवांगी तथा पिता का नाम कन्हैयालाल गौतम लिखा था. इस से अनुमान लगाया कि युवती शायद दिबियापुर की रहने वाली रही होगी.

मृत युवक के बैग से जो ड्राइविंग लाइसेंस बरामद हुआ, उस में उस का नाम नागेंद्र सिंह यादव, पिता का नाम जितेंद्र सिंह यादव, निवासी बाला का पुरवा (खागा) जिला फतेहपुर लिखा था.

निरीक्षण के बाद एसपी (साउथ) रवीना त्यागी ने थाना चकेरी थानाप्रभारी रणजीत राय को आदेश दिया कि वह दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाएं और उन के परिजनों को सूचना दे दें.

थानाप्रभारी रणजीत राय ने दोनों शवों को पोस्टमार्टम हेतु कानपुर के लाला लाजपतराय अस्पताल भिजवा दिया. साथ ही मृतकों के घर वालों को भी सूचना भेज दी.

दूसरे रोज मृतक के घर वाले लाला लाजपत राय अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे. एसआई राघवेंद्र कुमार वहां मौजूद थे. राघवेंद्र ने परिजनों को मृतक युवक की लाश दिखाई तो वे फफक पड़े और बोले, ‘‘यह लाश नागेंद्र सिंह की है.’’

लाश की शिनाख्त नागेंद्र के पिता जितेंद्र सिंह यादव, चाचा राजेंद्र तथा बुआ आशा देवी ने की थी.

मृतक युवक के परिजन अभी मोर्चरी में ही थे कि युवती के घर वाले भी वहां आ गए. एसआई राघवेंद्र ने उन्हें युवती का शव दिखाया तो पिता कन्हैयालाल गौतम फफक कर रो पड़े और बोले, ‘‘साहब, यह शव मेरी बेटी शिवांगी उर्फ बिट्टो का है. वह पिछले 2 सप्ताह से घर से गायब थी.’’

शव की शिनाख्त शिवांगी के पिता कन्हैयालाल गौतम, दादा शिवराम तथा फूफा सुंदर ने की थी. शिनाख्त के बाद दोनों शवों का पोस्टमार्टम कराया गया. इस के बाद शव उन के परिजनों को सौंप दिए गए. दोनों के घर वालों ने आपसी सहमति से भैरवघाट पर एक ही चिता पर दोनों का दाहसंस्कार कर दिया.

नागेंद्र और शिवांगी कौन थे, वे प्यार के बंधन में कैसे बंधे, फिर ऐसी क्या परिस्थिति बनी, जिस से उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा, यह सब जानने के लिए हमें उन के अतीत की ओर लौटना पड़ेगा.

उत्तर प्रदेश के जिला फतेहपुर की खागा तहसील के अंतर्गत एक गांव बाला का पुरवा है. इसी गांव में जितेंद्र सिंह यादव अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी माया देवी के अलावा 3 बेटे नागेंद्र सिंह, शेर सिंह, वीर सिंह तथा 3 बेटियां थीं. जितेंद्र कानपुर के फजलगंज स्थित एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में ट्रक ड्राइवर की नौकरी करता था.

जितेंद्र सिंह यादव का बड़ा बेटा नागेंद्र सिंह शारीरिक रूप से हृष्टपुष्ट और स्मार्ट था. उस का मन न तो पढ़ाई में लगता था और न ही खेतीकिसानी के काम में. जितेंद्र चाहता था कि नागेंद्र पढ़लिख कर कोई सरकारी नौकरी करे पर नागेंद्र ने हाईस्कूल पास करने के बाद पढ़ाई बंद कर दी थी.

बेटा कहीं आवारा लड़कों की संगत में न पड़ जाए, इसलिए जितेंद्र ने उसे भी ट्रक चलाना सिखा दिया. वह उसे अपने साथ ले जाने लगा.

नागेंद्र जब ट्रक चलाने में एक्सपर्ट हो गया तो उस ने उस का हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनवा दिया. जितेंद्र ने अपने बेटे नागेंद्र को भी अपनी कंपनी में काम पर लगा दिया. पितापुत्र जब दोनों ट्रक चलाने लगे तो उन्होंने गडरियनपुरवा में एक कमरा किराए पर ले लिया. नागेंद्र जब ट्रक ले कर धनबाद या कोलकाता जाता, तब जितेंद्र कमरे में आराम करता और जब जितेंद्र बाहर जाता तो नागेंद्र आराम करता था.

जितेंद्र की बहन आशा देवी की ससुराल औरैया जिले के गांव बूढ़ादाना में थी. आशा देवी अपनी बेटी आरती की शादी कर रही थीं. शादी की तारीख 8 मार्च, 2019 तय हुई थी. रीतिरिवाज के अनुसार शादी का पहला निमंत्रण मामा को भेजा जाता है. इसलिए आशा देवी भी निमंत्रण कार्ड ले कर अपने भाई जितेंद्र के घर बाला का पुरवा पहुंची.

चूंकि शादी वाली तारीख पर जितेंद्र को ट्रक ले कर बिहार जाना था, इसलिए उस ने नागेंद्र को उस की बुआ के घर शादी समारोह में शामिल होने के लिए बूढ़ादाना भेज दिया. नागेंद्र ने अपनी फुफेरी बहन आरती की शादी में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया और खूब काम किया.

इसी शादी समारोह में नागेंद्र की नजर शिवांगी पर पड़ी. शिवांगी आरती की नजदीकी सहेली थी, जो उस के पड़ोस में ही रहती थी. वह सहेली की शादी में खूब सजधज कर आई थी. अपनी सहेलियों में वह कुछ ज्यादा ही खूबसूरत दिख रही थी. जैसे ही नागेंद्र की नजरें शिवांगी से मिलीं तो वह मुसकरा पड़ी. इस से नागेंद्र के दिल में हलचल मच गई. शिवांगी का गुलाब सा चेहरा नागेंद्र के दिल में बस गया.

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