Love Story: आरती जिस अनमोल को प्यार करती थी, उस की बड़ी बहन पूजा भी उसी से प्यार करती थी. जबकि अनमोल सिर्फ आरती से प्यार करता था. अंत में पूजा ने ऐसा क्या किया कि अनमोल न उस का हो सका और न आरती का  पूजा ने अपनी छोटी बहन को डांटने वाले अंदाज में कहा, ‘‘आरती, मैं ने तुम से कितनी बार कहा कि पड़ोसियों के घरों में ताकझांक मत किया करो, पर तुम हो कि सुनती ही नहीं हो.’’

‘‘नहीं दीदी, मैं ताकझांक नहीं कर रही थी. बिल्ली रसोई की ओर जा रही थी, मैं तो उसे भगा रही थी.’’ आरती ने अपनी सफाई में कहा तो पूजा हलके गुस्से में बोली, ‘‘जानती हूं, कौन सी बिल्ली थी और कौन सा बिल्ला. तुम जल्दी से तैयार हो जाओ, टयूशन का वक्त हो गया है. और हां, सीधे जाना और सीधे लौट आना. रास्ते में बिल्लीबिल्ले का खेल मत खेलना, समझी.’’

आरती बड़बड़ाती हुई कमरे में चली गई और पूजा घर के कामों में लग गई. 17 वर्षीया आरती शर्मा और 20 वर्षीया पूजा शर्मा, दोनों सगी बहनें थीं. दोनों में बहुत प्रेम था. दोनों बहनों की तरह नहीं, बल्कि सखीसहेलियों की तरह मिलजुल कर रहती थीं, मिलबांट कर खाना, मिलबांट कर पहनना, सब कुछ साथसाथ चलता था. लेकिन पिछले करीब 2 महीनों से दोनों बहनें एकदूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाती थीं, खास कर पूजा को आरती. आरती पूजा की आंखों में हर समय खटकती रहती थी, इसीलिए दोनों बहनों में छोटीछोटी बात को ले कर तकरार होने लगती थी. ऐसे में छोटी होने के नाते आरती को ही चुप रह जाना पड़ता था.

लुधियाना के औद्योगिक क्षेत्र ढंडारी खुर्द में वीरेंद्र शर्मा का परिवार रहता था. शर्माजी के परिवार में पत्नी संजू शर्मा व 3 बेटियां क्रमश: पूजा, आरती और कुसुम तथा 10 साल का एक बेटा था. वीरेंद्र शर्मा मूलत: समस्तीपुर, बिहार के निवासी थे. कई साल पहले वह यहां काम की तलाश में आए थे. बाद में जब उन्हें एक इलैक्ट्रिकल फैक्ट्री में काम मिल गया तो उन्होंने किराए का मकान लेकर अपनी पत्नी और बच्चों को भी लुधियाना बुलवा लिया. फिलहाल वह मकान नंबर 950, नजदीक सुजीत सिनेमा, बलदेव सिंह दा बेहड़ा, ढंडारी कला, लुधियाना में रह रहे थे. वीरेंद्र शर्मा ने अपनी पत्नी संजू को भी पास की एक एक्सपोर्ट गारमेंट की फैक्ट्री में अच्छे मासिक वेतन पर लगवा दिया था. परिवार का गुजरबसर बड़े मजे से हो रहा था. पूजा और आरती 10वीं में पढ़ रही थीं. छोटी बेटी कुसुम भी सातंवी में थी. घर में किसी प्रकार की कमी नहीं थी.

वीरेंद्र शर्मा की बड़ी बेटी पूजा पढ़ाई के साथसाथ एक डाक्टर के क्लिनिक पर नर्सिंग एंड कंपाउंडर का काम भी सीख रही थी. शर्मा दंपति के काम पर चले जाने के बाद पूजा ही छोटी बहनों एवं भाई का ख्याल रखती थी. उन के खानपान से ले कर स्कूल भेजने तक का जिम्मा उसी पर था, जिसे वह बखूबी निभा रही थी. लेकिन इन दिनों अपनी छोटी बहन आरती को ले कर पूजा काफी परेशान थी. उस की इस परेशानी का कारण था अनमोल. अनमोल जिस दिन शर्मा परिवार के पड़ोस में रहने आया था, उसी दिन से पूजा की मुश्किलें बढ़ गई थीं. अनमोल 20 साल का सुदंर और स्मार्ट युवक था, स्वभाव से हंसमुख और मिलनसार. वह मूलत: गया, बिहार का रहने वाला था और लुधियाना के फोकल प्वाइंट क्षेत्र की किसी फैक्ट्री में काम करता था.

अपने अच्छे व्यवहार के कारण वह जल्दी ही पूरे मोहल्ले वालों से घुलमिल गया था. मोहल्ले की कई जवान लड़कियां उसे पसंद करती थीं. जबकि अनमोल किसी की ओर आंख तक उठा कर नहीं देखता था. वह बस अपने काम से मतलब रखता था. सुबह जल्दी उठ कर वर्जिश करना, फिर स्नान वगैरह से फारिग हो कर खाना बनाना और साढ़े 8 बजे तक काम पर चले जाना. शाम को 7 बजे काम से लौट कर खाना बनाना, अपने कमरे में बैठ कर टीवी देखना, खाना और उस के बाद सो जाना. अनमोल की रोजाना की यही दिनचर्या थी. छुट्टी वाले दिन भी अधिकांश समय वह अपने कमरे में बैठ कर गुजारता था. आरती ने जब से अनमोल को देखा था, तभी से वह उस की दीवानी बन गई थी. उस की नजरें अक्सर अनमोल का पीछा किया करती थीं.

सुबह काम पर जाने से ले कर, छत पर एक्सरसाइज करने तक आरती अनमोल को देखा करती थी, इस के बावजूद अभी तक उसे अनमोल से बात करने का एक भी मौका नहीं मिला था. उस के मन में यह डर भी बना हुआ था कि कहीं अनमोल उस की किसी बात का बुरा न मान जाए. कमोबेश यही हालात अनमोल की भी थी. वह भी मन ही मन आरती को चाहने लगा था. आरती भी इतनी खूबसूरत थी कि कोई भी उसे देख कर नजरअंदाज नहीं कर सकता था. गोरा रंग, गोल चेहरा, पूरी पीठ पर घने बाल, गुदाज शरीर और गजगामिनी जैसी चाल. मोहल्ले के कई युवक उसे देख कर आहें भरा करते थे, परंतु आरती केवल अनमोल की ओर आकर्षित थी.

चाहत दोनों ओर थी. आखिर एक दिन अनमोल के दिल ने आरती के दिल की बात सुन ली. उस दिन अनमोल के मकान मालिक घर पर नहीं थे. आरती का परिवार भी कहीं गया हुआ था. दोनों अपनेअपने घरों में अकेले थे. आरती को यह मौका सही लगा. वह अपनी नोटबुक उठा कर गणित का एक सवाल पूछने के बहाने अनमोल के कमरे पर जा पहुंची. आरती को इस तरह अपने सामने, अपने कमरे में देख कर अनमोल चौंका. उस ने अपनी घबराहट पर काबू पा कर आरती से पूछा.‘‘आप,आप यहां..?’’

‘‘जी हां, आप से मिलना चाहती थी, इसलिए चली आई.’’

‘‘अच्छा किया आपने. आइए बैठिए.’’ अनमोल ने कहा तो आरती कमरे में बिछे एकमात्र तख्त पर बैठते हुए बोली,‘‘अनमोलजी, सच कहूं, मैं आई तो गणित का सवाल पूछने के बहाने हूं, पर सच्चाई यह है कि मैं आप से दोस्ती करना चाहती हूं,’’ आरती ने अनमोल की आखों में झांकते हुए कहा, ‘‘बताइए, करेंगे मुझ से दोस्ती?’’

आरती द्वारा दिए गए इस खुले निमंत्रण से अनमोल गदगद हो उठा. वह आरती के पास आ कर पर बैठ गया और उस का हाथ अपने हाथ में ले कर बोला, ‘‘आरती, मैं तुम्हें दिल की गहराइयों से प्यार करता हूं. अगर तुम मुझ से शादी करने का वादा करो तो मुझे तुम्हारी दोस्ती स्वीकार है, मैं केवल टाइम पास करने के लिए तुम से दोस्ती नहीं करना चाहता.’’

अनमोल की बातें सुन कर आरती जैसे उस की दीवानी हो गई. उस ने अपने आप को अनमोल की बाहों के  हवाले करते हुए मन की गहराइयों से कहा, ‘‘मैं मरते दम तक अपना प्यार निभाऊंगी अनमोल.’’

उस दिन के बाद से आरती और अनमोल के बीच प्रेम का अटूट बंधन बंध गया. इस के बाद आरती के स्कूल जाते समय रास्ते में, अनमोल के काम पर जाने या वापस लौटते वक्त, फिर सुबह छत पर उस के वर्जिश करते समय, जहां कहीं भी मौका मिलता, दोनों मिल लेते. इस मामले में दोनों बहुत ऐहतियात बरतते थे कि किसी को उन के प्रेम की भनक न लगे. पर इश्कमुश्क ऐसी चीजें हैं, जो कभी छिपाए नहीं छिपतीं. आखिर एक दिन उन दोनों की प्रेम कहानी की भनक आरती की बहन पूजा को लग ही गई. एक बार अनमोल के मकान मालिक 2 दिनों के लिए शहर से बाहर गए हुए थे. शर्मा दंपति अपनेअपने काम पर चले गए. पूजा की छोटी बहन और भाई स्कूल गए हुए थे. दोपहर बाद पूजा डाक्टर के क्लिनिक पर चली गई. घर पर केवल आरती ही थी. उस दिन अनमोल ने भी काम से छुट्टी ले रखी थी और अपने कमरे पर आरती का इंतजार कर रहा था.

पूजा के क्लिनिक पर चले जाने के बाद आरती अनमोल के कमरे पर पहुंच गई. अंदर से कमरे का दरवाजा बंद कर के दोनों एकदूसरे की बाहों में समा गए. जब 2 युवा दिल एकदूसरे की बाहों में सिमट कर एक साथ धड़कने लगते हैं तो सारी दूरियां खुद ब खुद खत्म हो जाती हैं. आरती और अनमोल के साथ भी यही हुआ. सारे बंधन तोड़ कर अनमोल और आरती एकाकार हो गए. इत्तफाक से उस दिन किसी वजह से पूजा क्लिनिक से घर लौट आई . उस वक्त घर पर आरती नहीं थी.

‘घर खुला छोड़ कर कहां चली गई यह लड़की?’ बड़बड़ाते हुए पूजा आरती को खोजने के लिए घर से बाहर निकल आई. तभी अचानक उस की नजर साथ वाले मकान पर गई. पूजा ने देखा, आरती अनमोल के कमरे से बाहर निकल रही थी. उस के पीछे अनमोल भी था. आरती के बाल और कपड़े अस्तव्यस्त थे. आरती की हालत देख कर पूजा को समझते देर नहीं लगी कि आरती अनमोल के साथ बंद कमरे में कौन सा खेल खेल कर निकली है. पूजा को खड़ा देख कर अनमोल अपने कमरे में लौट गया, जबकि आरती सिर झुकाए अपने घर आ गई. पूजा ने आरती को आड़े हाथों लिया और साथ ही कभी फिर अनमोल से न मिलने की चेतावनी दी.

पूजा ने उसे कलमुंही, बदचलन और बेशरम तक कहा. आखिर अपने अपमान से तिलमिला कर आरती ने अपने और अनमोल के संबंधों के बारे में सब कुछ उजागर करते हुए कह दिया, ‘‘दीदी, मैं कोई आवारा या बदचलन नहीं हूं. मैं अनमोल से प्यार करती हूं और हम दोनों शादी करना चाहते हैं.’’

‘‘अच्छा, अपनी अय्याशी को प्यार का नाम दे कर प्रेम शब्द को ही बदनाम करने लगी. अभी तू इतनी बड़ी नहीं हुई है कि अपनी शादी के फैसले खुद ही करने लगी,’’ पूजा ने चीखते हुए कहा, ‘‘एक बात कान खोल कर सुन ले. तेरी या मेरी शादी वहीं होगी, जहां मम्मीपापा चाहेंगे.’’

अनमोल को ले कर दोनों बहनों में खूब तकरार हुई. बढ़तेबढ़ते बात यहां तक पहुंच गई कि आरती ने चुनौती दे दी कि वह अनमोल से शादी कर के दिखाएगी. जबकि पूजा कह रही थी कि उस के जीते जी उस का यह सपना पूरा नहीं होगा. दरअसल, आरती को अनमोल से मिलने के लिए रोकना पूजा का फर्ज नहीं, बल्कि स्वार्थ था. वह अनमोल पर बुरी तरह से फिदा थी और चाहती थी कि उस की शादी अनमोल से हो जाए. अपने इसी स्वार्थ की वजह से पूजा ने आरती और अनमोल के संबंधों को ले कर अपने मम्मीपापा के कान भरने शुरू कर दिए. उन्होंने भी आरती को खूब बुराभला कहा और घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी.

दरअसल, आरती पटना में अपने दादादादी के पास रह कर पढ़ती थी. यहां वह केवल एग्जाम की तैयारी के लिए आई थी, ताकि पढ़ने में आसानी रहे. पटना में आरती के एग्जाम 17 मार्च को शुरू होने थे. 13 मार्च, 2015 को आरती को अपने पिता वीरेंद्र शर्मा के साथ एग्जाम देने पटना जाना था. इस के लिए अभी एक, डेढ़ महीने का समय था. इसलिए वीरेंद्र शर्मा ने पूजा को सख्त निर्देश दे कर आरती पर नजर रखने का जिम्मा सौंप दिया. कहते हैं, प्रेमियों पर अगर अंकुश लगा दिया जाए तो उन की भावनाएं और ज्यादा भड़कती हैं. यही हाल आरती का भी हुआ. हर वक्त पूजा द्वारा रोकटोक करने से आरती इतना परेशान हो गई कि एक दिन दोपहर के समय वह पूरी तैयारी के साथ अनमोल की फैक्ट्री जा पहुंची.

उस ने अनमोल को सब कुछ साफसाफ बता कर कहा ‘‘अनमोल, मैं रोजरोज के लड़ाईझगड़ों से तंग आ चुकी हूं. इसलिए आज मैं हमेशा के लिए अपना घर छोड़ कर तुम्हारे पास आ गई हूं. हम दोनों शादी कर के अपनी अलग दुनिया बसाएंगे, जहां रोकनेटोकने वाला कोई नहीं होगा.’’

आरती का इरादा जानने के बाद अनमोल घबरा गया. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि उसे कैसे समझाए. ऐसा नहीं था कि अनमोल आरती से प्यार नहीं करता था. वह वाकई उसे बहुत चाहता था, वह उस से अलग रहने की कल्पना तक नहीं कर सकता था, लेकिन जैसा आरती कह रही थी, ऐसा करने के लिए उस ने अभी सोचा नहीं था. अनमोल चाहता था कि यह शादी आरती के मातापिता के आशीर्वाद से हो. लेकिन जब आरती अपनी जिद पर अड़ी रही तो वह उसे अपने एक दोस्त के घर ले गया. 2 दिनों तक दोनों उस दोस्त के घर ठहरे. इस बीच वह आरती को हर तरह से समझाने का प्रयास करता रहा. उस ने आरती से वादा किया कि जल्द ही वह अपने मातापिता से बात कर के उन्हें उस के मम्मीपापा के पास भेजेगा. इस वादे के बाद आरती अपने घर वापस लौटने को तैयार हो गई.

इधर आरती के लापता होने से शर्मा दपंति परेशान थे, सब से अधिक पेरशानी पूजा को थी. उसे डर था कि कहीं आरती और अनमोल शादी न कर लें. खैर, सब मिल कर आरती को ढूंढते रहे. इसी बीच 2 दिनों बाद आरती सकुशल घर लौट आई तो सब ने चैन की सांस ली. शर्मा दंपति ने तय किया कि आरती पर अब भविष्य में इतनी सख्ती न की जाए. लेकिन पूजा अपनी हरकतों से बाज नहीं आई. मौका मिलते ही वह आरती को जलीकटी सुनाने से बाज नहीं आती थी. बहरहाल वक्त इसी तरह गुजरता रहा. आरती और अनमोल का छिपछिप कर मिलना जारी रहा, दोनों मोबाइल फोन पर भी आपस में बातें कर लिया करते थे. चाह कर भी पूजा आरती का कुछ नहीं बिगाड़ पा रही थी.

28 फरवरी, 2015 की बात है. प्रदीप सिंह अपने घर से खेतों की ओर जा रहा था. रास्ते में उस के ताऊ बलदेव सिंह का मकान पड़ता था. हालांकि बलदेव सिंह इस मकान में नहीं रहते थे. यह मकान उन्होंने वीरेंद्र शर्मा को किराए पर दे रखा था. इस मकान की देखभाल का जिम्मा उन्होंने अपने भतीजे प्रदीप सिंह को सौंप रखा था. प्रदीप सिंह जब अपने ताऊ के घर के पास पहुंचा तो उस ने मकान के अंदर चीखनेचिल्लाने की आवाजें सुनीं.

‘‘बचाओ… बचाओ, मार दिया… ओह.’’ का शोर सुन कर वह रुक गया. तभी उस ने देखा वीरेंद्र शर्मा की बड़ी बेटी तेजी से मकान से निकल कर एक ओर चली गई. उस के पीछे शर्मा की छोटी बेटी कुसुम चिल्लाते हुए निकली, ‘‘पूजा ने आरती को मार डाला, बचाओ.’’

शोर सुन कर प्रदीप सिंह ने मकान के भीतर जा कर देखा तो आरती रसोई में फर्श पर खून से लथपथ पड़ी थी. उस के शरीर पर गहरेगहरे घाव साफ दिखाई दे रहे थे. आरती की छोटी बहन कुसुम जोरजोर से रो रही थी. प्रदीप सिंह ने नीचे झुक कर आरती की नब्ज टटोल कर देखी, वह मर चुकी थी. समय व्यर्थ न करते हुए प्रदीप सिंह ने तुरंत इस घटना की सूचना थाना फोकल प्वाइट को दी, साथ ही उस ने वीरेंद्र शर्मा को भी आरती की मौत के बारे में बता दिया. वह अभी फोन कर के हटे ही थे कि अस्पताल की एंबुलैंस वहां आ गई. दरअसल पुलिस को गुमराह करने के लिए पूजा ने ही 108 नंबर पर एंबुलैंस के लिए फोन किया था कि उस की छोटी बहन आरती गिर कर घायल हो गई है.

कुछ ही देर में थाना फोकल प्वाइंट के थानाप्रभारी इंसपेक्टर सुरेंद्र सिंह पुलिस चौकी ढडारी के इंचार्ज एएसआई जोगिदंर सिंह, चौकीइंचार्ज ईश्वर कालोनी एएसआई जसबीर सिंह, हेडकांस्टेबल जसपाल सिंह, कांस्टेबल बलजीत कुमार व लेडी कांस्टेबल किरनपाल घटनास्थल पर पहुंच गए. घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया गया. मृतका आरती के शरीर पर अनगिनत गहरे घाव थे, जिन में से उस समय भी खून रिस रहा था. घाव देख कर ऐसा लगता था, जैसे मृतका की हत्या गहरी रंजिश और नफरत के तहत की गई थी. जिस छुरी से उस की हत्या की गई थी, वह भी घटनास्थल से बरामद हो गई थी. कुछ ही देर में क्राइम टीम व डीसीपी जसवंत संधु, एसीपी रूपेंद्र कौर तथा मृतका के मातापिता भी घटनास्थल पर पहुंच गए थे. क्राईम टीम ने कई कोणों से लाश के फोटो लिए और कई जगह से फिंगरप्रिंट उठाए.

सुरेंद्र सिंह ने मृतका के पिता वीरेंद्र शर्मा और मां संजू शर्मा के बयान लिए गए. वीरेंद्र शर्मा के अनुसार, मृतका आरती के पड़ोस में रहने वाले युवक अनमोल के साथ प्रेमसंबंध थे. घटना वाले दिन से पहले 27 फरवरी को अनमोल उन के पड़ोस वाला कमरा खाली कर के कहीं चला गया था. इसी बात को ले कर आरती की अपनी बड़ी बहन पूजा के साथ तकरार हुई थी. शायद वैसा आज भी हुआ हो और उसी झगड़े में आरती की हत्या हो गई हो. बहरहाल, सुरेंद्र सिंह ने मृतका के पिता व पड़ोसियों के बयान दर्ज करने के बाद लाश को अपने कब्जे में ले कर लाश पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भिजवा दी. थाने लौट कर सुरेंद्र सिंह ने इस मामले को पूजा को नामजद करते हुए हत्या का मुकदमा दर्ज कर उस की तलाश शुरू कर दी.

अपनी बहन आरती की हत्या कर के पूजा घटनास्थल से फरार तो हो गई थी, पर उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह कहां जाए? क्योंकि उस समय उस के पास एक भी पैसा नहीं था. यह बात सुरेंद्र सिंह भी अच्छी तरह जानते थे. वह यह भी समझते थे कि अक्सर बिना पैसे वाले लोग ट्रेन में ही यात्रा करते हैं. इसलिए उन्होंने एएसआई जसबीर सिंह को ढंडारी रेलवे स्टेशन की ओर भेजा. इंसपेक्टर सुरेंद्र सिंह का अनुमान सही निकला. ढंडारी रेलवे स्टेशन के पास से ही एएसआई जसबीर सिंह ने पूजा को गिरफ्तार कर लिया.

थाने में हुई पूछताछ में पूजा ने स्वीकार कर लिया कि गुस्से में उसी ने अपनी छोटी बहन आरती की हत्या की थी. पूजा ने बताया कि आरती के पड़ोस में रहने वाले अनमोल के साथ प्रेमसंबंध थे. आरती के संबंध का पूरा परिवार विरोध करता था. पिताजी की इच्छा थी कि आरती पढ़लिख कर उच्चशिक्षा प्राप्त करे. 17 मार्च, 2015 को आरती के एग्जाम पटना सरकारी स्कूल में होने वाले थे. पिताजी उसे ले कर 13 मार्च को पटना जाने वाले थे. अनमोल ने जब हमारे पड़ोस वाला कमरा खाली किया तो हमें संदेह हुआ कि कहीं आरती और अनमोल की यह कोई चाल न हो. अनमोल ने शायद किसी योजना के अंतर्गत कमरा खाली किया है.

अब दोनों घर से भाग जाना चाहते हैं. क्योंकि इस घटना से लगभग डेढ़ महीना पहले आरती कहीं चली गई थी. अनमोल भी 2 दिन अपने घर से गायब रहा था. 2 दिनों बाद आरती घर लौट आई थी. हमें संदेह था कि आरती अनमोल, दोनों घर से भागने की नीयत से गायब हुए थे और किन्हीं कारणों से वापस लौट आए थे. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए जब अनमोल ने अपना कमरा खाली किया तो हमें संदेह हुआ कि यह आरती और अनमोल के घर से भागने की योजना है. यह बात मैं ने मातापिता को बता कर अपना संदेह व्यक्त किया और उसी दिन से मैं आरती पर नजर रखने लगी. अनमोल के कमरा बदलने के बाद आरती लगातार फोन द्वारा अनमोल से संपर्क बनाए रही.

घटना वाले दिन भी सुबहसुबह काफी देर आरती फोन पर किसी से बातें करती रही. मुझे यकीन था कि वह फोन अनमोल का ही था. उस के बाद मैं नहाने के लिए बाथरूम में गई. नहाने के लिए जैसे ही मैं कपड़े उतारने लगी, तभी जिद कर के आरती जबरदस्ती नहाने बैठ गई. उस ने कहा.‘‘सौरी दीदी, मुझे जरा जल्दी है, कहीं जाना है.’’

उस की यह बात सुन कर मुझे विश्वास हो गया कि आरती अनमोल के साथ भाग जाने वाली है. अभी मैं यह सोच ही रही थी कि तभी आरती के फोन पर किसी का फोन आया. नहाना छोड़ कर आरती फोन सुनने लगी. मैं ने आरती को यह कहते सुना, ‘तुम थोड़ा इंतजार करो, मैं तैयार हो कर अभी आती हूं.’

यह सुनते ही मेरा संदेह विश्वास में बदल गया. मैं ने आरती से पूछा, ‘‘क्या तुम अनमोल के साथ कहीं भाग जाना चाहती हो?’’

मेरी बात सुन कर आरती आगबबूला हो गई, जैसे उस की चोरी पकड़ी गई हो. उस ने चिल्लाते हुए कहा, ‘तुम ऐसे ही मेरा पीछा करोगी तो नहीं भागना होगा, तब भी भाग जाऊंगी.’ आरती की इस विद्रोही भाषा से मेरे तनबदन में आग लग गई. मैं ने आव देखा न ताव, पास में पड़ी सब्जी काटने वाली छुरी उठा कर आरती पर अंधाधुंध वार कर के उस की हत्या कर दी. जो लड़की कुल की मर्यादा को कलंकित करे, उस का मर जाना ही बेहतर है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, आरती के शरीर पर कुल 20 घाव थे. सब से घातक घाव वे थे जो आरती के पेट पर किए गए थे. इन्ही घावों की वजह से आरती के फेफड़े फट गए थे और हार्ट पंक्चर हो गया था, जिस से उस ने दम तोड़ दिया था.

पूछताछ के बाद एसआई अश्विनी कुमार ने 1 मार्च, 2015 को पूजा को सीजीएम रणजीव कुमार की आदलत में पेश कर के 2 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया. हत्या में प्रयुक्त छुरी पहले ही बरामद हो चुकी थी, सो रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद पूजा को 3 मार्च, 2015 को अदालत में दोबारा पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक अभिरक्षा में जिला कारगार भेज दिया गया. Love Story

कथा पुलिस सुत्रों पर आधारित.

 

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...