पुलिस जब उत्तम नगर में स्थित वर्मा टेलर की दुकान पर पहुंच गई. जयकिशन ने मृतक की फोटो टेलर को दिखाई गई तो उस ने तुरंत बता दिया, ”यह तो राजेश वर्मा है. इसे खुशीराम के नाम से भी बुलाते हैं. अपनी बीवी बच्चों के साथ यह आरजेड ए-113 नंबर मकान में नंदराम पार्क में रहता है.’’
एसआई जयकिशन कांस्टेबल मनदीप के साथ टेलर वर्मा द्वारा बताए पते पर पहुंचे तो घर के अंदर राजेश वर्मा की पत्नी निशा वर्मा मिली. दरवाजे पर पुलिस को देख कर वह घबरा गई. एसआई जयकिशन ने उसे राजेश की फोटो दिखाते हुए पूछा, ”यह तुम्हारे पति हैं?’’
”हां…’’ निशा ने सिर हिलाया, ”यह कल दोपहर को घर से यह कर गए थे कि बाइक ठीक करा कर आ रहा हूं. कल से यह घर नहीं लौटे हैं.’’
”अब नहीं लौटेंगे, इन की हमें बवाना थानाक्षेत्र में डैडबौडी मिली है.’’ कांस्टेबल मनदीप ने गंभीर स्वर में बताया.
सुनते ही निशा दहाड़े मार कर रोने लगी. थोड़ी देर पति के लिए विलाप कर लेने के बाद उस ने सुबकते हुए पूछा, ”मेरे पति की मौत कैसे हो गई? वह तो घर से अच्छेभले गए थे.’’
”उन की किसी ने हत्या की है.’’ एसआई जयकिशन ने कहा, ”तुम्हारे पति की किसी से दुश्मनी थी क्या?’’
”जी, 2 साल पहले 2002 में उन के भाई सुरेश वर्मा की किसी ने हत्या कर दी थी. सुरेश की पत्नी सज्जन देवी पति की मौत के बाद हमारे साथ रही. फिर अपने मायके चली गई. अभी कुछ दिन पहले सज्जन देवी के भाई यहां आ कर सज्जन देवी का संपत्ति में हिस्सा मांगने लगे. तब मेरे पति ने उन्हें 4 लाख रुपए दे दिए थे, लेकिन वह इस से संतुष्ट नहीं थे. उन्होंने धमकी दी थी कि संपत्ति में बराबर का हिस्सा उन की बहन सज्जन देवी को नहीं दिया तो परिणाम भयंकर होंगे. मुझे शक है मेरे पति की हत्या सज्जन देवी के भाइयों ने ही की है.’’
”उन का नाम, पता हमें नोट करवाओ.’’ एसआई जयकिशन ने कहा.
निशा वर्मा ने सज्जन देवी के दोनों भाइयों के नाम और पते एसआई जयकिशन को नोट करवा दिए.
”पोस्टमार्टम होने के बाद तुम्हारे पति राजेश की डैडबौडी तुम्हें अंतिम संस्कार करने के लिए सौंप दी जाएगी. तुम कल बवाना थाने में आ जाना.’’ कांस्टेबल मनदीप ने कहा.
”आ जाऊंगी साहब.’’ निशा अपने आंसू पोंछते हुए भर्राए गले से बोली.
एसआई जयकिशन कांस्टेबल मनदीप के साथ थाने के लिए लौट गए.
राजेश वर्मा उर्फ खुशी राम की हत्या में सज्जन देवी के भाई संजय व सतीश का हाथ है. यह बात हरियाणा के सलाना गांव जा कर पुलिस द्वारा तफ्तीश करने पर गलत साबित हुई. गांव के कई जिम्मेदार लोगों से संपर्क करने पर पुलिस को यह मालूम हुआ कि सज्जन देवी और उस के भाई एक महीने से गांव में ही हैं, वह दिल्ली नहीं गए हैं. उन का राजेश की हत्या में हाथ नहीं हो सकता.
पुलिस को सज्जन देवी ने एक चौंकाने वाली बात बताई, ”साहब, निशा मक्कार औरत है. उस का अपने ननदोई बालेश कुमार के साथ चक्कर चल रहा है. यह बात मेरे जेठ राजेश को भी मालूम थी, उन का बालेश को ले कर कई बार निशा से झगड़ा भी हुआ था.’’
निशा वर्मा ने बताया चौंकाने वाला सच
एसआई जयकिशन के लिए यह जानकारी अहम थी. वह दिल्ली लौटे तो उन्होंने 2 पुलिस वाले भेज कर निशा को बवाना थाने में बुलवा लिया.
निशा को अपने सामने बिठा कर एसआई जयकिशन ने बगैर कोई भूमिका बांधे सवाल दाग दिया, ”राजेश की हत्या तुम्हारे इशारे पर हुई है निशा, हमें यह बात तुम्हारे प्रेमी बालेश कुमार ने बता दी है.’’
”झूठ है साहब.’’ निशा बौखला कर बोली, ”भला मैं अपने पति की हत्या क्यों करवाऊंगी, वह तो मेरे सुहाग थे.’’
”अगर पति को सुहाग मानती थी तो बालेश से तुम ने अवैध संबंध क्यों बना रखे थे?’’
निशा वर्मा ने सिर झुका लिया. धीरे से बोली, ”बालेश से मेरा प्रेम संबंध शादी से पहले का रहा है. राजेश से शादी के बाद मैं ने बालेश से संबंध खत्म करने की कोशिश की, लेकिन बालेश ने ऐसा नहीं होने दिया. मैं इस के लिए दोषी ठहराई जा सकती हूं, किंतु मैं ने बालेश के द्वारा अपने पति की हत्या नहीं करवाई है. मैं अपने बच्चों की कसम खाती हूं, मुझे नहीं मालूम मेरे पति की हत्या किस ने की है.’’
”तुम्हारा पति 20 तारीख की दोपहर में घर से गया था. क्या उस के देर तक न लौटने पर तुम ने फोन कर के मालूम किया था कि वह कहां है?’’
”मैं पूरा दिन अपने पति का इंतजार करती रही थी, परेशान हो कर मैं ने रात को 8 बजे उन्हें फोन मिलाया तो सुंदर लाल ने उठाया. वह नशे में लग रहा था. उस ने कहा था कि राजेश मेरे साथ है. अभी घर लौट आएगा.’’
”यह सुंदर कौन है?’’ एसआई जयकिशन ने पूछा.
”बालेश का भाई है साहब.’’
एसआई जयकिशन की आंखों में तीखी चमक उभरी, ”सुंदर कहां रहता है?’’
”वह विकास विहार, मानस कुंज रोड, उत्तम नगर में ही रहता है. उस का मकान नंबर क्यू-7 है.’’
एसआई जयकिशन ने कांस्टेबल मनदीप के साथ 2 कांस्टेबल उत्तमनगर सुंदर लाल को बुलाने के लिए रवाना कर दिए. शाम तक वह सुंदर लाल को उस के घर से पकड़ कर थाने में ले आए. सुंदर लाल 31 साल का हृष्टपुष्ट युवक था. उस का चेहरा सामान्य था. किसी प्रकार की घबराहट चेहरे पर नजर नहीं आ रही थी. एसएचओ राम अवतार मीणा भी वहां आ गए थे. उन के सामने सुंदर लाल से पूछताछ शुरू हुई.
एसआई जयकिशन ने उस के चेहरे पर नजरें जमा कर पूछा, ”तुम कल रात को अपने साले राजेश के साथ थे. तुम घर पहुंच गए, लेकिन राजेश अभी तक अपने घर नहीं पहुंचा है. बताओ, राजेश कहां है?’’
”मैं ने तो उसे 7 बजे ही घर के लिए भेज दिया था साहब… वह घर क्यों नहीं पहुंचा, मैं क्या जानूं.’’
एसआई जयकिशन ने खींच कर एक करारा थप्पड़ उस के गाल पर रसीद कर दिया, ”झूठ बोलता है, रात 8 बजे तो तूने निशा का फोन रिसीव किया था और उस को बताया था कि राजेश तेरे साथ है.’’
”नहीं साहब, मुझे निशा का कोई फोन नहीं आया था.’’
एसआई जयकिशन ने पास में खड़े कांस्टेबल मनदीप को इशारा करते हुए कहा, ”यह बगैर डंडे खाए सच नहीं बोलेगा, टार्चर रूम में ले जा कर इस की खातिरदारी करो.’’