इस कहानी की शुरुआत होती है उत्तर प्रदेश के जिला बाराबंकी के थाना असंद्रा के एक छोटे से गांव मल्लपुर मजरे सुपामऊ से. 40 वर्षीय अजय शुक्ला इसी गांव का रहने वाला था और वह किसी तरह अपने परिवार का भरणपोषण करता था. उस की शादी कई साल पहले संतोष कुमारी के साथ हुई थी.
समय के साथसाथ संतोष कुमारी 5 बच्चों की मां बनी. घर में बच्चों के हो जाने के बाद अजय शुक्ला बहुत ही खींचतान कर बच्चों का लालनपालन कर पाता था.
घर की आर्थिक स्थिति डगमगाने से वह लगभग 15 लाख रुपयों के कर्ज के बोझ में दब गया था. नशे और जुए का आदी होने के कारण उस ने अपनी जुतासे की जमीन भी बेच डाली थी. लेकिन जमीन बेच कर उस ने पैसे जुए और शराब में उड़ा दिए. जिस के बाद उस की पत्नी हर वक्त उस से खफा रहती थी.
अब से लगभग 6 साल पहले संतोष कुमारी कुछ सामान खरीदने के लिए महमूदपुर गई थी. नीरज कुमार विश्वकर्मा महमूदपुर में ही एक घड़ी और मोबाइल की दुकान चलाता था. अपने घर का सामान खरीदने के बाद वह जैसे ही अपने घर वापस आ रही थी, उस की नजर एक मोबाइल की दुकान पर बैठे नीरज कुमार पर पड़ी.
संतोष कुमारी का चलते वक्त मोबाइल नीचे गिर गया था, जिस के कारण उस का मोबाइल का स्क्रीन गार्ड टूट गया था. वह स्क्रीन गार्ड लगवाने के लिए उस के पास पहुंची. उसी दौरान दोनों की पहली मुलाकात हुई थी. नीरज कुमार के व्यवहार से संतोष कुमारी पहली ही मुलाकात में काफी प्रभावित हुई थी.
जब तक नीरज कुमार ने उस के मोबाइल पर स्क्रीन गार्ड लगाया, तब तक उस ने नीरज से सारी जानकारी जुटा ली थी. उस के बाद वह उस का मोबाइल नंबर भी ले आई थी.
उस दिन के बाद नीरज कुमार संतोष कुमारी के दिल में बस गया. संतोष कुमारी उस से बात करने के लिए बेचैन हो उठी. उस ने कई बार उसे फोन मिलाने की कोशिश की, लेकिन वह हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी. उस की समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि वह किस बहाने से उसे फोन करे.
आखिरकार उस ने एक दिन हिम्मत कर के उस ने फोन मिलाया. नीरज कुमार तुरंत ही उस की आवाज पहचान गया. फिर उस दिन दोनों की काफी समय तक बात हुई. दोनों के बीच एक बार फोन पर बात हुई तो आगे यह सिलसिला बढ़ता ही गया.
दरअसल, संतोष कुमारी को नीरज कुमार से प्यार हो गया, जिस से वह अकसर उस से घंटों घंटों तक बात करने लगी थी. उस के बाद दोनों ही मिलने के लिए बेचैन रहने लगे थे. संतोष कुमारी उस से मिलने के लिए कोई न कोई बहाना बना कर घर से निकल जाती और फिर उस की दुकान पर पहुंच जाती. अजय शुक्ला तो सुबह ही रिक्शा ले कर घर से निकल जाता और देर शाम को ही घर पहुंचता था.
इस दौरान संतोष कुमारी नीरज कुमार को फोन करती. वह नीरज कुमार से अपने घर आने के लिए कहती, लेेकिन नीरज अपनी दुकान के चलते उस के पास नहीं आ पाता था. फिर उस के घर आने पर उस के अन्य परिवार वाले भी ऐतराज उठा सकते थे.
हसरतों ने इस तरह भरी उड़ान
इसी सब से बचने के लिए संतोष कुमारी के दिमाग में एक आइडिया आया. उस ने सोचा कि अगर किसी तरह से उस के पति की दोस्ती नीरज कुमार से हो जाए तो उस के घर आने की सारी बाधाएं खत्म हो जाएंगी. यही सोच कर उस ने एक दिन अपने मोबाइल का स्क्रीन गार्ड जानबूझ कर तोड़ दिया.
अगली सुबह जब उस का पति अजय शुक्ला घर से निकल रहा था तो उस ने कहा, ”तुम महमूदपुर में तो आते जाते रहते हो. मेरा मोबाइल ले जाओ.’’
उस के बाद उस ने नीरज कुमार की दुकान का हवाला देते हुए कहा, ”आप उस पर नीरज की दुकान से स्क्रीन गार्ड लगवा लाना.’’
अजय शुक्ला अपनी बीवी का मोबाइल ले कर नीरज कुमार की दुकान पर पहुंचा. उस के पहुंचने से पहले ही संतोष कुमारी ने नीरज को फोन कर समझा दिया था कि आज मेरे पति तुम्हारी दुकान पर आएंगे. किसी भी तरह से तुम उन के साथ दोस्ती गांठ लेना. अगर तुम ने उन से दोस्ती कर ली तो हमारा मिलनेजुलने का रास्ता साफ हो जाएगा.
अजय शुक्ला के दुकान पर पहुंचते ही नीरज कुमार ने उस के साथ मीठीमीठी बातें की, जिस के बाद अजय शुक्ला भी उस से काफी प्रभावित हुआ. फिर जल्दी ही दोनों के बीच दोस्ती भी हो गई. उसी दोस्ती की आड़ में नीरज कुमार उस के घर आनेजाने लगा था. जिस के बाद दोनों प्रेमियों के बीच मिलने का रास्ता साफ हो गया था.
अजय शुक्ला हमेशा ही शाम को शराब के नशे में धुत हो कर अपने घर पहुंचता था. उस के बाद नीरज कुमार भी अपनी दुकान बंद कर के अजय शुक्ला के घर आ जाता था. देखते ही देखते दोनों में दांत काटी दोस्ती हो गई, जिस के बाद वह अजय शुक्ला के हर दुखसुख में काम आने लगा था.
कभी कभार ज्यादा रात हो जाने के कारण नीरज कुमार अजय शुक्ला के घर पर ही रुक जाता था. इस दौरान जब कभी भी अजय शुक्ला को पैसे की जरूरत होती तो नीरज ही उस के काम आता था.
धीरेधीरे अजय शुक्ला नीरज कुमार का लाखों रुपयों का कर्जदार हो गया था. जिस के कारण अजय शुक्ला नीरज कुमार के अहसानों तले दबता चला गया, जिस का नीरज कुमार भरपूर लाभ ले रहा था.
जब नीरज कुमार विश्वकर्मा का उस के घर कुछ ज्यादा ही आनाजाना हो गया तो उस के परिवार वाले ऐतराज करने लगे. उन्होंने कई बार इस बात की शिकायत अजय शुक्ला से की, लेकिन उस ने हर बार उन की बातों को एक कान सुना और दूसरे से निकाल दिया.
यही बात जब घर से निकल कर गांव में फैलनी शुरू हुई तो अजय शुक्ला को थोड़ा बुरा लगने लगा. उस के बाद उसे भी अपनी पत्नी और नीरज विश्वकर्मा के बीच अवैध संबंधों का शक हो गया था. जिस के बाद अजय शुक्ला अकसर ही अपनी पत्नी से झगडऩे लगा था, जिस की जानकारी संतोष कुमारी ने नीरज विश्वकर्मा को भी दे दी थी.
अजय ने कई बार नीरज को अपने घर आने जाने से रोकना चाहा तो उस ने उस से साफ कहा कि भाई मेरा पैसा मुझे वापस कर दो. मैं तुम्हारे घर क्या तुम्हारे गांव की तरफ नहीं आऊंगा. लेकिन अजय शुक्ला को उस समय बहुत ही मजबूरी थी. न तो वह जुआ खेलना ही छोड़ सकता था और न ही वह बिना शराब के रह सकता था.