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एकलौती बिटिया होने की वजह से मालती अपने मांबाप की लाडली थी. उस के पापा के पास इतना कुछ था कि जब जो चाहा उसे मिला. पापा बालमुकुंद चौहान और मम्मी उस की हर इच्छा को पूरा करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे.  मांबाप के प्यार की वजह से बलिग होतेहोते मालती काफी जिद्ïदी हो गई थी. वैसे उसे ज्यादा जिद करने की जरूरत नहीं पड़ती थी, वह जो भी कह देती, मम्मीपापा और भाई आंख मूंद कर पूरी कर देते थे.

मूलरूप से मध्य प्रदेश में ग्वालियर जिले की भितरवार तहसील के मोहनगढ़ गांव के रहने वाले बालमुकुंद चौहान और भूपेंद्र जाट आमनेसामने रहते थे. इस वजह से उन का न सिर्फ एकदूसरे के परिवार से घरोवा था, बल्कि पड़ोस में रहने की वजह से दोनों परिवारों का एकदूसरे के घर आनाजाना भी था.  मालती और भूपेंद्र सिंह का बेटा पवन साथ में खेल कर बड़े हुए थे.

मालती खूबसूरत थी तो पवन भी कम आकर्षक नहीं था. वह लंबाचौड़ा, गोराचिट्टा युवक था. अपने आकर्षक व्यक्तित्त्व के बल पर वह किसी को भी बांध लेने की क्षमता रखता था, इसलिए पवन से मिलना मालती को भी अच्छा लगता था.

किशोरावस्था में हुआ प्यार

किशोरावस्था में कदम रखते ही पवन मालती की ओर आकर्षित हो गया था. कई साालों तक चोरीछिपे दोनों का प्यार परवान चढ़ता गया. लेकिन परिवार वालों के डर की वजह से अपने मन की बात अपने घरवालों से कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाया. हालांकि मालती ने बिना किसी संकोच के अपने मातापिता को बता दिया था कि वह पवन से प्यार करती है और उसे अपना जीवनसाथी बनाना चाहती है.

इस पर उस के पापा ने उसे बड़े प्यार से समझाया, ‘‘बेटी, पवन से रिश्ता जुडऩा नामुमकिन है. इस की पहली वजह तो यह है कि वह हमारी बिरादरी का नहीं है और दूसरे उस की और हमारे परिवार की हैसियत बराबर नहीं है. वह हमारे मुकाबले कुछ भी नहीं है.’’

पापा की बात यह सुन कर मालती के पैरों तले की जमीन खिसक गई. मालती के मम्मीपापा करते थे कि उन की बेटी जिद्ïदी स्वभाव की है. उस की इस आदत को देखते हुए मम्मीपापा ने उस के घर से निकलने पर सख्त पाबंदी लगा दी. मालती समझ गई कि अब पवन के साथ जिंदगी बिताने का उस का सपना महज सपना ही बन कर रह जाएगा. क्योंकि घर वाले उस का रिश्ता प्रेमी पवन के साथ नहीं करेंगे.

उधर बालमुकुंद चौहान मालती की शादी के लिए लडक़ा तलाशने लगे. काफी दौड़धूप के बाद बालमुकुंद चौहान को दतिया जिले के इंदरगढ़ में रहने वाला सोनू चौहान अपनी बेटी के लिए पसंद आ गया. इस के बाद उन्होंने बड़ी धूमधाम से मालती की शादी सोनू चौहान के साथ कर दी.  मालती दुलहन बन कर ससुराल पहुंच गई. सोनू मालती जैसी खूबसूरत पत्नी पा कर काफी खुश था. यही वजह थी कि वह पत्नी की हर इच्छा का खयाल रखता था.

इस के बावजूद मालती अपने प्रेमी पवन को नहीं भुला पाई. उसे जब भी मौका मिलता, वह फोन पर अपनी सहेली से प्रेमी पवन के बारे में बतियाना शुरू कर देती और पवन के बारे में सारी जानकारी ले लेती. धीरेधीरे 2 साल गुजर गए, पवन भी मालती को नहीं भुला सका था. दिनरात मालती उस के खयालों में छाई रहती. वह अपनी जिंदगी मालती की यादों में काटना चाहता था. इस वजह से उस ने शादी भी नहीं की थी.

शादी के बाद बने रहे संबंध

उधर मालती के मम्मीपापा और भाई को लगने लगा था कि शादी के बाद मालती पवन को भूल चुकी होगी, इसलिए उन्होंने उसे गांव में किसी के भी घर आनेजाने की छूट दे दी. पवन और मालती मौके की तलाश में रहने लगे, एक दिन मौका पा कर सब की नजरों से बचते हुए दोनों मिले. इस मुलाकात में मालती ने बताया कि वह अपनी शादी से जरा भी खुश नहीं है तो पवन चौंका. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि मालती अब भी उसे अपने दिल में बसाए हुए होगी.

उसे लगता था कि मालती उसे भुला कर अपने पति के प्रेम में रम गई होगी. पवन ने मालती से पूछा, ‘‘क्या तुम अब भी मेरे साथ जिंदगी गुजारने को तैयार हो?’’

“हां, मैं तुम्हारे लिए अपना बसाबसाया घर छोडऩे को तैयार हूं.’’

मायके से मालती ने भागना उचित नहीं समझा. क्योंकि इस से उस के मायके वालों की बदनामी होती. फिर योजना के अनुसार, दोनों ने एकदूसरे के नए मोबाइल नंबर ले लिए. मालती ने पवन का मोबाइल नंबर सहेली के नाम से सेव कर लिया.

3 दिन बाद मालती का पति सोनू उसे लेने अपनी ससुराल मोहनगढ़ आया तो वह बेमन से ससुराल चली गई. ससुराल में किसी को भी उस के शादी से पूर्व के प्रेम प्रसंग के बारे में जानकारी नहीं थी, इसलिए उसे देर रात मोबाइल पर बतियाते देख किसी को उस पर संदेह नहीं हुआ. ससुराल वाले यही समझते रहे कि वह अपने मांबाप की लाडली बेटी है उन्हीं से बतियाती होगी.

इत्तफाक से एक दिन मालती के पति सोनू की देर रात अचानक नींद टूट गई, तब उस ने उसे किसी पुरुष से खिलखिला कर हंसते हुए वीडियो कालिंग पर बात करते हुए देखा. इस से सोनू को मालती पर शक हो गया. उसे कतई उम्मीद नहीं थी कि शादी के बाद भी पत्नी का किसी अन्य पुरुष से चक्कर चल रहा होगा. काफी प्रयत्न करने पर सोनू को पता चला कि मालती का प्रेम प्रसंग मोहनगढ़ गांव के पवन से चल रहा है. इस जानकारी से सोनू को गहरा झटका लगा.

अब इसे ले कर आए दिन पतिपत्नी के बीच झगड़ा होने लगा. धीरेधीरे उन के रिश्तों में दरार आती चली गई. यह दरार इतनी बढ़ी कि सोनू ने अपने सुसर को फोन कर उन से साफ कह दिया कि अब वह मालती को पत्नी के तौर पर अपने घर पर नहीं रख सकता. आप इंदरगढ़ आ कर मालती को हमेशा के लिए ले जाएं.

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