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इंसपेक्टर मदन मोहन मिश्र ने केस के खुलने की जानकारी एसएसपी गौरव ग्रोवर और एसपी (नार्थ) मनोज अवस्थी को बताई तो दोनों अधिकारियों ने फरार दोनों आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस की 2 टीमें गठित कीं. एक टीम को लखनऊ तो दूसरी टीम को मध्य प्रदेश रवाना कर दिया.

लखनऊ के गोमती नगर से पुलिस ने बृजमोहन विश्वकर्मा को गिरफ्तार कर अदालत में पेश कर ट्रांजिट रिमांड पर ले कर 11 अप्रैल को गोरखपुर ले आई. उसी दिन शाम 4 बजे पुलिस लाइन के मनोरंजन कक्ष में एसएसपी गौरव ग्रोवर ने एक पत्रकार वार्ता आयोजित कर पत्रकारों को इस केस के खुलासे की जानकारी दी.

पुलिस पूछताछ में रामानंद विश्वकर्मा की हत्या की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—

30 वर्षीय रामानंद विश्वकर्मा मूलरूप से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के थाना गीडा के मल्हीपुर गांव का रहने वाला था. पिता रामप्रीत विश्वकर्मा के 3 बच्चों में 2 बेटे और एक बेटी थी. रामानंद दूसरे नंबर का था. बेटी रंजना सब से बड़ी थी और मंझले रामानंद से छोटा एक बेटा और था. यही रामप्रीत का खुशहाल परिवार था.

रामप्रीत किसान थे. खेतीबाड़ी कर के अपने परिवार का भरणपोषण करते थे. खैर, बेटी सयानी हो चुकी थी. उन्होंने बेटी के लिए योग्य वर तलाशना शुरू कर दिया था. उस की शादी खजनी थाना क्षेत्र के गांव रामपुर पांडेय में कर दी थी.

उस के बाद साल 2020 के सितंबर में गोरखपुर के चिलुआताल की रहने वाली सीतांजलि के साथ मंझले बेटे रामानंद की शादी कर एक और बड़ी जिम्मेदारी से मुक्त हो गए. अब बचा था एक छोटा बेटा तो वह अभी पढ़ रहा था, इसलिए उस की तरफ उन का कोई खास ध्यान नहीं था.

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