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पलभर में रामानंद की मौत की खबर घर पहुंच गई थी. जैसे ही ये खबर घर पहुंची, वैसे ही घर में रोना शुरू हो गया और मातम छा गया. फौरन घर के और लोग भी भागते हुए मौके पर पहुंचे, जहां जमीन पर रामप्रीत बिलखबिलख कर रो रहे थे. इस बीच भीड़ में से ही किसी ने इस की सूचना गीडा थाने को दे दी थी. घटना की सूचना मिलते ही इंसपेक्टर मदनमोहन मिश्र एसआई शिव प्रकाश सिंह, चौकी इंचार्ज पिपरौली आलोक राय आदि को ले कर मौके पर पहुंचे, जोकि थाने से करीब 5 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में स्थित था.

पुलिस ने लाश तालाब से बाहर निकलवा कर उस का निरीक्षण किया और जरूरी काररवाई पूरी कर वह पोस्टमार्टम के लिए बाबा राघवदास मैडिकल कालेज भिजवा दी.

पुलिस ने मौके पर मौजूद मृतक रामानंद विश्वकर्मा के घर वालों से उस की मौत के बारे में पूछा तो घर वाले कोई उत्तर नहीं दे सके कि उस की मौत कैसे हुई. बस इतना ही बता सके थे कि 6 अप्रैल को बेटा विदेश से घर लौटा था और रात में खाना खा कर सोया, उस के बाद उस की लाश तालाब में तैरती मिली.

घर वालों का जवाब सुन कर इंसपेक्टर मदन मोहन मिश्र के पैरों तले जमीन खिसक गई थी. वह सोचने लगे कि ऐसा कैसे हो सकता है कि घर में सोए व्यक्ति की करीब एक किलोमीटर दूर लाश मिले. उन्हें मामला गंभीर दिखा और उस में हत्या की बू आने लगी है. जबकि मौके पर मौजूद गांव वाले उस की मौत पानी में डूबने से हुई बता रहे थे.

रामानंद की मौत पूरी तरह रहस्य की काली चादर में लिपटी हुई थी. हत्या के शक के आधार पर इंसपेक्टर मदन मोहन ने मौके की जांचपड़ताल की, लेकिन वहां ऐसा कोई संघर्ष का निशान नहीं मिला, जिस से यह साबित हो सके कि मृतक ने हत्यारों का कोई विरोध किया हो. खैर, लाश देख कर पुलिस किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के सही कारण के बारे में पता लग सकता था.

कागजी काररवाई करतेकरते दोपहर के 12 बज गए थे. कागजी काररवाई पूरी करने के बाद इंसपेक्टर मदन मोहन पुलिस टीम के साथ थाने वापस लौट गए थे. मृतक रामानंद के पिता रामप्रीत विश्वकर्मा को भी थाने बुला लिया था. वहां उन्होंने उस से लिखित तहरीर ले ली थी, ताकि जांच की काररवाई आगे बढ़ाई जा सके.

पुलिस को क्यों हुआ मृतक की पत्नी पर शक

अगले दिन यानी 8 अप्रैल, 2023 को रामानंद विश्वकर्मा की पोस्टमार्टम की रिपोर्ट थाने पहुंच गई. इंसपेक्टर मदन मोहन के टेबल पर पड़ी थी. रिपोर्ट पढ़ कर इंसपेक्टर मिश्र चौंके बिना नहीं रह सके थे, क्योंकि रिपोर्ट में मृतक की मौत गला दबाने से हुई बताई गई. मतलब बात शीशे की तरह साफ हो चुकी थी कि पानी में डूबने से रामानंद की मौत नहीं हुई थी, बल्कि रिपोर्ट में उस की गला दबा कर हत्या की गई थी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ जाने के बाद इंसपेक्टर मदन मोहन मिश्र पूरी तरह एक्टिव हो गए और उसी दिन दोपहर में अपनी टीम को ले कर वह उसी जगह पहुंच गए, जहां लाश पाई गई थी. वहां भी जांच में मौके से संघर्ष के कोई निशान नहीं मिले.

मतलब आईने की तरह साफ था कि हत्या कहीं और कर के लाश को तालाब में फेंक दिया गया था. पुलिस मौके की जांच कर के मृतक रामानंद के घर पहुंची और उस कमरे की तलाशी में जुट गई थी, जहां घटना वाली रात वह सोया था.

पुलिस ने कमरे की गहनतापूर्वक जांच की. जांच के दौरान बेड के नीचे से टूटी हुई प्रेग्नेंसी किट, एक डायरी, एक फोटो और एक टूटा हुआ मोबाइल फोन बरामद हुआ. पुलिस ने इन सामानों को बतौर साक्ष्य अपने कब्जे में ले लिया था, पता चला कि वह मोबाइल मृतक का था.

घर वालों से पूछताछ करने पर पता चला कि टूटा हुआ मोबाइल मृतक रामानंद का है. इस से एक बात तो स्पष्ट हो गई थी कि जो कुछ भी हुआ था, इसी कमरे में घटा था.

पुलिस के शक के घेरे में मृतक की पत्नी सीतांजलि आ गई थी, क्योंकि उस का बयान बारबार बदलता जा रहा था, लेकिन पुलिस ने फिलहाल जानबूझ कर उस की ओर से अपना ध्यान हटा लिया था, ताकि वह कोई ऐसी वैसी हरकत करे और पुलिस की शिकंजे में फंस जाए.

कमरे की तलाशी लेने के बाद पुलिस रामप्रीत से उन की बहू सीतांजलि और खुद रामप्रीत का सेलफोन नंबर ले कर वापस थाने लौट गई. फिर सीतांजलि के मोबाइल फोन नंबर की एक महीने की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स देख कर इंसपेक्टर मदन मोहन उछल पड़े.

मृतक रामानंद की पत्नी सीतांजलि के फोन पर अकसर एक ही नंबर से काल आता था और उसी नंबर पर इस की ओर से भी काल की जाती थी. दोनों के बीच में घंटोंघंटों तक बातें होती थीं. यही नहीं, जिस रोज रामानंद घर में सोया था और रहस्यमय तरीके से उस की लाश तालाब के किनारे मिली थी, उस रात भी उसी नंबर पर सीतांजलि ने करीब 8 बार बात की थी. इस बात ने पुलिस के शक को और पुख्ता कर दिया था कि पति की मौत में पत्नी का हाथ अवश्य है.

यही नहीं, जिस नंबर से अकसर सीतांजलि के फोन पर काल आती थी और काल जाती थी, पुलिस ने उस नंबर को भी खंगाल डाला. वह नंबर किसी बृजमोहन विश्वकर्मा के नाम पर आवंटित था, जो गोरखपुर जिले के ही खजनी थाना क्षेत्र के रामपुर पांडेय का रहने वाला था.

गुप्तरूप से पुलिस ने उस के बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला वह शख्स मृतक के सगे बहनोई का छोटा भाई निकला. वह मुंबई में रह कर कमाता था. रिश्ते में सीतांजलि, बृजमोहन की सलहज लगती थी.

पुलिस छानबीन के दौरान मृतक के कमरे से डायरी और फोटोग्राफ बरामद हुआ था. उस डायरी में लिखी मजमून और फोटो ने रामानंद की हत्या होना और हत्या में पत्नी का शामिल होना दोनों साबित कर दिया था.

पुलिस के पास सीतांजलि और बृजमोहन विश्वकर्मा को गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य इकट्ठा हो गए थे. फिर देर किस बात की थी.

9 अप्रैल, 2023 को पुलिस ने सीतांजलि को हिरासत में ले उस से कड़ाई से पूछताछ की तो उस ने पलभर में ही अपना जुर्म कुबूल कर लिया. उस ने बताया कि पति की हत्या उस ने अपने प्रेमी बृजमोहन विश्वकर्मा और उस के दोस्त अभिषेक चौहान के साथ मिल कर की है. हत्या करने के बाद बृजमोहन लखनऊ तो अभिषेक मध्य प्रदेश फरार हो गया.

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