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ऊपर से आदेश मिलते ही एसएसपी जितेंद्र राणा ने काररवाई शुरू कर दी. उन्हें आरोपियों के छिपे होने के स्थान के बारे में पता था. पांचों आरोपी प्रताप, रविशंकर, कन्हैया, चंदन और भूषण सिंह विधायक अनंत के घर में छिपे थे. 22 जून, 2015 को पुलिस पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर के पटना पुलिस लाइन ले आई.

इस के बाद पुलिस ने पत्रकार वार्ता आयोजित की और पुटुस यादव के हत्यारों को पत्रकारों के सामने पेश कर के हत्या का खुलासा कर दिया. उन पांचों ने पत्रकारों के सामने अपना अपराध स्वीकार करते हुए बताया कि छोटे सरकार यानी विधायक अनंत सिंह ने चारों लडक़ों को जान से मार देने के लिए कहा था. उन में से एक ने लिख कर भी दे दिया.

पांचों आरोपियों के अपराध स्वीकार करने के बाद एसएसपी जितेंद्र राणा विधायक अनंत सिंह की गिरफ्तारी की तैयारी में लग गए. लेकिन अचानक उसी रात उन का तबादला पटना से मोतिहारी कर दिया गया और रातोंरात उन की जगह तेजतर्रार एसएसपी विकास वैभव सिंह को चार्ज दे दिया गया. कहा जाने लगा कि जितेंद्र राणा का तबादला अनंत सिंह ने करवाया है.

यह बात राजद अध्यक्ष लालूप्रसाद यादव को काफी नागवार गुजरी. चूंकि वह नितीश कुमार सरकार को समर्थन दे रहे थे, इसलिए दबाव बना कर उन्होंने अपने खास विकास वैभव को चार्ज दिलवाया था. लालूप्रसाद यादव और अनंत सिंह के बीच वर्षों से छत्तीस का आंकड़ा चला आ रहा था, इसलिए उन्होंने मौके का फायदा उठाया और अनंत सिंह की गिरफ्तारी के लिए मुख्यमंत्री नितीश कुमार पर दबाव बनाया.

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