कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

कई सवालों में घिरी टिकटौक स्टार और भारतीय जनता पार्टी की नेता सोनाली फोगाट की संदिग्ध मौत की जांच सीबीआई को सौंप दी गई. इसी के साथ सारे जहां में यह बात भी फैल गई, ‘एक थी सियासत की सयानी सोनाली. जिस की हरियाणवी फिल्म का नाम है- म्हारो छोरी छोरों से कम है के!’

उन की इकलौती बेटी यशोधरा फोगाट का सपना था कि वह 21 सितंबर, 2022 को मां का 43वां जन्मदिन धूमधाम से मनाए. किंतु यह सपना ठीक एक माह पहले 22 अगस्त को अचानक से सदमे में बदल गया.

सुंदर, मिलनसार, हंसमुख और घरपरिवार और गांव में सब से अलग दिखने वाली मध्यम किसान परिवार की लड़की सोनाली किशोरावस्था की दहलीज पार करने वाली थी. गांव के खेतोंखलिहानों में कुलांचे मारती हुई जब तंग गलियों से हो कर घर पहुंचते ही खिलखिला कर हंस देती थी, तब अकसर उसे अपनी मां संतोष ढाका की डांट सुननी पड़ती थी, ‘‘कित्ती बार कहा है इस तरह उछलकूद मत किया कर. बातबात पर ऐसे ना खिलखिलाया कर. अब तुम्हारी दौड़नेकूदने की उमर ना है!’’

‘‘क्यों ना है अम्मा?’’ सोनाली तपाक से पूछ बैठती.

‘‘तू लड़की जात है, कोई ऊंचनीच हो गई तब?’’ मां सतोष चिंता जताती हुई बोलीं.

‘‘अरे अम्मा, तुम भी न जाने किस जमाने में जी रही हो... दुनिया कहां से कहां चली गई. हम हरियाणा की छोरी हैं...खेलती हैं, कूदती हैं, मेडल जीतती हैं. पुलिस बने हैं, जहाज उड़ावे हैं. मौका मिले तब मंत्री भी बने हैं. का का न करे हैं हम छोरियां...तू क्या जाने हमें. कुछ ना तो खेतां में ट्रैक्टर तो चला ही देवे हैं,’’ आंगन में कूदतीफांदती सोनाली बोलती चली गई.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 12 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...