बचपन का मजा, जवानी में बना सजा

दूसरा पहलू : अपनों ने बिछाया जाल

एक जवान औरत की नौटंकी – भाग 3

रीता की तहरीर पर पुलिस ने दीपक कपूर व नीरू के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. पुलिस ने नीरू को थाने बुला कर उस से पूछताछ की तो उस ने स्वीकार कर लिया कि अपनी सास की हत्या उसी ने की थी. दीपक का इस में कोई हाथ नहीं था, लेकिन पुलिस के सख्ती करने पर नीरू ने कुबूल किया कि हत्या में दीपक कपूर भी साथ था. फिर नीरू ने मीरा की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी:

प्रेमी गौरव कपूर की हत्या के बाद नीरू दुखी रहने लगी थी. इस के लिए वह सास को ही कुसूरवार मान रही थी. क्योंकि वही जेल में बंद पति से मिल कर उस के कान भरती थी. इसीलिए उस के पति ने गौरव को मरवा दिया था.

नीरू ने फैसला कर लिया था कि जिस तरह गौरव को तड़पा तड़पा कर मारा गया था, उसी तरह वह सास को भी तड़पा तड़पा कर मारेगी. सास की हत्या कैसे की जाए, इस बारे में उस ने दीपक के साथ सलाहमशविरा किया. फिर दोनों ने एक योजना बना ली. योजना के अनुसार 12 फरवरी, 2014 की शाम को उस ने दीपक को अपने घर बुला लिया. उस समय उस का बेटा कशिश भी घर पर था. बेटे को उस ने फोन रिचार्ज कराने के लिए घर से बाहर भेज दिया.

सास मीरा यादव उस समय कमरे में सोफे पर बैठी थी. नीरू ने सास के सिर पर जमीन में गड्ढा खोदने वाले सब्बल का भरपूर वार किया. एक ही बार में मीरा का सिर फट गया और वह सोफे पर लुढ़क गई. इस के बाद उस ने कई और वार उस के ऊपर किए. थोड़ी देर तड़पने के बाद मीरा यादव की मौत हो गई. सास की हत्या कर के नीरू को बड़ा सुकून मिला.

सास की हत्या करने के बाद सब्बल को उस ने छत पर रखे कूलर के पास छिपा कर रख दिया और दीपक के चले जाने के बाद पुलिस कंट्रोल रूम के 100 नंबर पर फोन कर के सास की हत्या की सूचना दे दी. जिस सब्बल से मीरा यादव की हत्या की गई थी, उसे बरामद करना भी जरूरी था.

नीरू ने बताया था कि वह सब्बल उस ने अपने घर में ही छिपा दिया है. थानाप्रभारी ने वह सब्बल बरामद करने के लिए एसआई हरिशंकर मिश्रा, राजेश यादव, महिला सिपाही श्यामा देवी और प्रीती शाक्य को नीरू यादव के साथ उस के फ्लैट पर भेजा. नीरू ने चौथी मंजिल पर स्थित फ्लैट में पहुंच कर छत पर रखे कूलर के पास छिपा कर रखा सब्बल निकाल कर पुलिस को दे दिया.

पुलिस फर्द बरामदगी की काररवाई करने लगी, तभी मौका देख कर नीरू अपने बेटे कशिश को ले कर कमरे में जाने लगी, तो महिला सिपाहियों ने उसे रोकने की कोशिश की. उसी दौरान उस ने अपने पालतू कुत्ते को उन पर छोड़ दिया. दोनों सिपाही डर के मारे पीछे हट गईं. मौका देख नीरू ने झट से अंदर से दरवाजा बंद कर लिया.

पुलिस ने आवाज लगा कर नीरू से दरवाजा खोलने को कहा, लेकिन उस ने दरवाजा नहीं खोला. इसी दौरान एसआई राजेश कुमार के पास थानाप्रभारी का फोन आया तो राजेश ने उन्हें नीरू वाली बात बताते हुए तुरंत फोर्स भेजने को कहा.

गौरव कपूर की हत्या की तफ्तीश पूरी होने से पहले पुलिस के सामने मीरा यादव की हत्या का मामला सामने आ गया था. इन बातों को देख कर थाना प्रभारी को यह अंदेशा हो रहा था कि कहीं कमरे में बंद हो कर नीरू कोई उल्टासीधा काम न कर बैठे, जिस से नई समस्या पैदा हो जाए. इसलिए वह आवश्यक पुलिस बल के साथ खुद भी उस के घर पहुंच गए. लेकिन वहां उस का कुत्ता खुला हुआ देख कर वह भी घबरा गए.

देखने में वह कुत्ता खतरनाक लग रहा था. हिम्मत कर के थानाप्रभारी आगे बढ़े तो कुत्ते ने उन पर हमला कर के उन्हें घायल कर दिया. किसी तरह कुत्ते को काबू में किया गया. उसी समय फ्लैट में जलने की बू आने लगी और धुआं निकलता हुआ दिखा. यह देख कर पुलिस के हाथपांव फूल गए, क्योंकि फ्लैट के अंदर नीरू अपने बेटे के साथ मौजूद थी.  पुलिस ने दरवाजा तोड़ना शुरू कर दिया.

किसी तरह 2 दरवाजे तोड़ने के बाद पुलिस अंदर पहुंची तो वहां आग लगी थी, धुआं फैला था. आसपास के फ्लैटों में रहने वाले लोगों ने अपने यहां से पानी ला कर आग बुझाई.  धुआं छटा तो नीरू और उस के 13 वर्षीय बेटे की तलाश शुरू की गई. दोनों कहीं नहीं दिखे तो बाथरूम का दरवाजा तोड़ा गया. मांबेटे वहीं मिले, लेकिन बाथरूम में काफी मात्रा में खून फैला हुआ था, वह खून उन की कलाई से बह रहा था. नीरू ने अपनी और बेटे की जान लेने की गरज से नस काट ली थी.

पुलिस ने तुरंत दोनों को एक निजी अस्पताल पहुंचाया. फलस्वरूप उन की जान बच गई. चूंकि नीरू सास की हत्या की अभियुक्त थी, इसलिए पुलिस उसे थाने ले आई. कत्ल के अलावा पुलिस ने उस पर पुलिस के काम में बाधा डालने, आत्महत्या का प्रयास करने तथा बेटे की नस काट कर हत्या का प्रयास करने की धाराएं 309, 353, 352, 307 भी जोड़ दीं.

पूछताछ करने के बाद पुलिस ने नीरू को अदालत पर पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. अगले दिन दीपक को भी गिरफ्तार कर लिया गया. उस ने भी हत्या की बात कुबूल कर ली. उसे भी न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. दूसरी ओर दीपक के परिजनों का कहना है कि दीपक बेकुसूर है. उस का मीरा और नीरू से कोई लेनादेना नहीं था. उसे जबरदस्ती फंसा कर जेल भेजा गया है.

—कथा पुलिस सूत्रों, मीडिया रिपोर्टों पर आधारित

अधिवक्ता पत्नी की जिंदगी की वैल्यू पौने 6 करोड़

एक जवान औरत की नौटंकी – भाग 2

चूंकि नीरू का पति फिर से जेल चला गया था, इसलिए उस ने गौरव से फिर मिलना शुरू का दिया. यह खबर राजा को जेल में मिली तो वह सुन कर तिलमिला उठा. 6 फरवरी, 2014 की रात 10 बजे गौरव अपने घर पर ही था. उसी समय उस के पास किसी का फोन आया कि केबिल खराब है, आ कर देख लो. फोन आने के फौरन बाद गौरव बाइक ले कर निकल पड़ा. वह अभी सेंटर पार्क फजलगंज के पास पहुंचा था कि उसे कुछ लड़कों ने घेर लिया.

इस से पहले कि गौरव कुछ समझ पाता, उन लड़कों ने उस पर लातघूंसों और चाकू से हमला कर दिया. उन के पास तमंचे भी थे. कुछ लोगों ने यह नजारा देखा, लेकिन उन लोगों के हथियारों को देख कर किसी ने पास जाने की हिम्मत नहीं की. उसी दौरान किसी व्यक्ति ने 100 नंबर पर फोन कर के पुलिस को सूचना दे दी कि सेंटर पार्क में एक युवक को कुछ लोग बुरी तरह मार रहे हैं.

सूचना पा कर फजलगंज पुलिस मौके पर पहुंची तो हमलावर फरार हो गए. वहां एक युवक की लहूलुहान लाश पड़ी थी. पुलिस उसे हैलट अस्पताल ले गई. लेकिन तब तक वह मर चुका था. पुलिस ने जब तलाशी ली तो जेब में एक आइडेंटी कार्ड मिला. जिस में गौरव कपूर नाम लिखा था. आईडी कार्ड पर लगी फोटो मरने वाले युवक के चेहरे से मेल खा रही थी, इसलिए पुलिस को लगा कि मरने वाले का नाम गौरव कपूर ही है.

पुलिस ने आइडेंटिटी कार्ड में लिखे फोन नंबर पर काल किया तो पता चला कि वह फोन नंबर गौरव के घर का है. पुलिस ने उस के घर वालों को इस हादसे की सूचना दे दी. घर के लोग तत्काल अस्पताल आ गए. उस के घर वालों को सांत्वना देने के बाद थानाप्रभारी अनिल कुमार शाही ने मृतक के पिता राजेश कपूर से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि उन के बेटे की रंजिश राजा यादव से थी.

पिछले साल भी राजा ने गौरव पर जानलेवा हमला किया था. राजा को शक है कि उस की पत्नी नीरू के अवैध संबंध उस के बेटे से थे. राजा ने खुद या फिर अपने गुर्गों से उन के बेटे की हत्या कराई है. अभी पिछले महीने भी खोया मंडी में उस के गुर्गों ने गौरव पर हमला किया था, जिस की सूचना थाने में दर्ज कराई गई थी.

9 फरवरी, 2014 को गौरव का पोस्टमार्टम कराने के बाद उस की लाश उस के घर वालों को सौंप दी गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि गौरव की बाईं कनपटी पर गोली मारी गई थी. वह गोली दाईं आंख के नीचे से निकल गई थी. उस की नाक की हड्डियां भी टूटी मिलीं थीं. उस के शरीर पर धार और नोंकदार हथियार के कुल 10 घाव मिले.

एक गहरा वार दिल तक गया था, जबकि दूसरे वार से किडनी को क्षति पहुंची थी. इस के अलावा उस के चेहरे, हिप और छाती पर भी धारदार हथियारों के कई घाव मिले. डाक्टर ने उस की मौत का कारण अधिक खून बह जाना माना था.  राजेश कपूर की तहरीर पर पुलिस ने राजा यादव के अलावा रानी गंज निवासी अभिलाष द्विवेदी और 4 अन्य लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया था.

रिपोर्ट दर्ज करने के बाद पुलिस ने तहकीकात की तो पता चला कि राजा यादव पहले से ही जेल में है. थानाप्रभारी अनिल कुमार शाही ने मुखबिर व सर्विलांस के जरिए अभिलाष और अमित को दबोच लिया. पूछताछ में दोनों ने बताया कि राजा यादव को शक था कि गौरव कपूर के उस की पत्नी नीरू यादव से नाजायज संबंध हैं. इसी वजह से उस ने गौरव को मारने की सुपारी उन्हें दी थी.

फजलगंज पुलिस अभी इस मामले की जांच कर रही थी कि किसी ने 12 फरवरी, 2014 को नजीराबाद थाना क्षेत्र में शिवधाम अपार्टमेंट में रह रही राजा यादव की बूढ़ी मां मीरा यादव की दिनदहाड़े बेरहमी से हत्या कर दी. पुलिस को यह खबर मृतका की बहू नीरू यादव ने दी.

खबर पा कर नजीराबाद थानाप्रभारी सैय्यद मोहम्मद अब्बास अपने साथ सबइंसपेक्टर राजबहादुर सिंह, हरीशंकर मिश्रा, राजेश कुमार, कांस्टेबल नागेश कुमार, धर्मेश कुमार, श्यामा देवी व प्रीति शाक्य को ले कर घटनास्थल पर पहुंचे. पुलिस ने देखा कि सोफे पर एक बूढ़ी औरत खून से लथपथ पड़ी थी. मृतका 60 वर्षीया मीरा यादव थी. उस की सांस चल रही थी. आननफानन में फोन कर के एंबुलेंस बुला कर उसे हैलट अस्पताल पहुंचाया गया. डाक्टरों ने उस का तुरंत इलाज शुरू कर दिया. लेकिन वह बोलने की स्थिति में नहीं थीं. देर रात को उस ने दम तोड़ दिया.

पुलिस ने नीरू यादव से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस की ननद रीता नर्सिंगहोम में अपनी ड्यूटी पर गई थी. जबकि वह बाजार गई हुई थी. देर शाम जब वह बाजार से लौटी तो सास को बुरी तरह घायल पाया. सास को उस हालत में देख कर वह घबरा गई और उस ने यह सूचना पुलिस को दे दी. थानाप्रभारी सैयद मोहम्मद अब्बास ने जब उस से पूछा कि उस समय तुम्हारा बेटा कहां था तो नीरू ने बताया कि वह मोबाइल रिचार्ज कराने गया था.

थानाप्रभारी को इस बात पर हैरानी हुई कि घर में खतरनाक कुत्ता होते हुए भी कोई अनजान व्यक्ति वहां कैसे आ गया. जबकि कुत्ता खुला हुआ था. इस से पुलिस को लगा कि हत्या में जरूर किसी परिचित का हाथ है. क्षेत्राधिकारी नजीराबाद ममता कुरील भी मौके पर पहुंच गईं. उन्होंने नीरू से बात की तो उन्हें भी लगा कि वारदात में जरूर किसी जानने वाले का हाथ है.

पुलिस दोनों हत्याओं की गुत्थी सुलझाने में लगी थी कि 12 फरवरी की देर रात मीरा की बेटी रीता यादव ने पुलिस को लिखित तहरीर दी, जिस में लिखा था कि उस की मां की हत्या उस की भाभी नीरू ने गौरव कपूर के चचेरे भाई दीपक कपूर के साथ मिल कर की है. रीता ने पुलिस को बताया कि रात में जब वह ड्यूटी से घर लौटी तब नीरू और दीपक घर की सीढि़यों से उतर रहे थे. वह दीपक को अपने घर में देख कर चौंकी भी. बाद में जब वह घर के अंदर पहुंची तो मां खून से लथपथ पड़ी थी.

खुद ही लिख डाली मौत की स्क्रिप्ट – भाग 3

परिवार के साथ बैठ कर बनाया प्लान

कल्लू ऐशोआराम पर बड़ी रकम खर्च करता था. यही कारण रहा कि उस पर कर्ज बढ़ता चला गया. जिन से कर्ज लिया था, वह आए दिन तगादा करने घर पर आते थे. इस वजह से कल्लू का घर से निकलना मुश्किल हो गया था.

कल्लू जब लिए गए कर्ज की मासिक किस्त नहीं भर पा रहा था तो प्राइवेट बैंक के लोन वसूली करने वाले कर्मचारी उसे मकान नीलाम करने की धमकी देने लगे थे. जिस बैंक से कल्लू ने कार लोन लिया था, वह भी कार खींच कर ले जाने की तैयारी में थे. कर्ज में कल्लू बुरी तरह डूब चुका था. आसपास रहने वाले लोगों की नजर में उस के ऐशोआराम की जिंदगी की पोल खुल गई. इन सब कारणों से अब कल्लू को कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था.

एक दिन उस ने अपनी पत्नी से कहा, “मुझ पर कर्ज बढ़ता ही जा रहा है, मेरे मन में एक विचार आ रहा है.”

“कैसा विचार? कुछ उलटापुलटा मत कर लेना. कामधंधा अच्छे से करो. पैसा आएगा तो धीरेधीरे कर्ज भी पटा देंगे.” प्रियंका ने उसे ढांढस बंधाते हुए कहा.

“नहीं प्रियंका, इतना कर्ज अब कामधंधा करने से नहीं चुकेगा. यदि किसी तरह मैं अपने आप को मरा हुआ साबित कर दूं तो कर्ज से मुक्ति मिल जाएगी और जो हम ने बीमा पौलिसी ले रखी हैं, उस से तुम्हें लाखों रुपए भी मिल जाएंगे.” कल्लू ने अपना प्लान समझाते हुए कहा.

कल्लू ने अपने इस प्लान की जानकारी साथ में रहने वाले छोटे भाई दीनदयाल को भी बताई तो उस ने भी सहमति दे दी. इस साजिश में उस की पत्नी और परिवार ने भी साथ देने का वादा किया. कल्लू ने खुद को मरा साबित करने के लिए टीवी पर कई क्राइम शो देखे और अपने प्लान को अंतिम रूप दिया.

13 अप्रैल, 2023 को कल्लू ने पत्नी प्रियंका, छोटे भाई दीनदयाल चढ़ार के साथ भोपाल के भानपुर स्थित अपने घर पर यह प्लान बनाया कि पत्नी और भाई पड़ोसियों को यह कह देंगे कि कल्लू की एक्सीडेंट में मौत हो गई है. इस के बाद कल्लू भानपुर भोपाल स्थित अपने घर से इंद्रपुरी स्थित एक होटल में गया और रूम ले लिया. पत्नी प्रियंका और छोटा भाई दीनदयाल भानपुर स्थित घर पर ही रुक गए.

मौका देख कर दोनों ने रोनापीटना शुरू कर दिया. जब पड़ोसियों ने उन से रोने का कारण पूछा तो बोल दिया कि कल्लू का विदिशा में एक्सीडेंट हो गया है और मौत हो गई है. उन्होंने पड़ोसियों को बताया कि हम गांव के लिए निकल रहे हैं. यहां से दोनों अपने गांव पहुंचे और गांव जा कर रहने लगे.

कल्लू ने मोबाइल सिम प्रियंका के मोबाइल में डाल दी और खुद नया नंबर ले लिया. जब कर्जदारों के फोन आए तो पत्नी ने उन्हें भी कल्लू की मौत की कहानी सुना दी.

दोस्त को बनाया बलि का बकरा

कल्लू ने खुद को मृत घोषित करने के लिए प्लान तो बना लिया, लेकिन इस के लिए उसे एक लाश की जरूरत थी. भोपाल के आरिफ नगर, करोंद निवासी 25 साल के सलमान खान से उस की दोस्ती थी. कुछ साल पहले दोनों भोपाल के शिखा होटल में काम करते थे.

सलमान मूलरूप से विदिशा के गंज बासौदा का रहने वाला था. वह अपनी बहन के पास भोपाल के आरिफ नगर में रहता था. एक ही जिले के होने के कारण सलमान की दोस्ती कल्लू से हो गई. कल्लू ने अपने ही दोस्त से दगाबाजी कर उस की हत्या की प्लानिंग कर डाली.

सलमान नौकरी की तलाश में था. सलमान की इसी कमजोरी का फायदा उठाते हुए कल्लू ने नौकरी दिलाने का झांसा देते हुए कहा, “सलमान भाई, उदयपुरा में एक अस्पताल में मेरा एक परिचित है, वह तुम्हारी नौकरी लगवा देगा. तुम मेरे साथ उदयपुरा चलो.”

अंधा क्या चाहे दो आंखें. सलमान झट से तैयार हो गया. 19 अप्रैल को दोनों भोपाल से बस में सवार हो कर उदयपुरा रवाना हो गए. रात करीब 9 बजे वे बस से सिलवानी पहुंचे और एक ढाबे पर दोनों ने खाना खाया. खाना खा कर रात करीब 11 बजे कल्लू सलमान से बोला, “भाई, रात में उदयपुरा के लिए बस तो मिलेगी नहीं, सडक़ पर पैदल चलते हैं, रास्ते में कोई ट्रक मिलेगा तो लिफ्ट ले कर उदयपुरा चलेंगे.

सिलवानी से रात करीबन 11 बजे पैदल उदयपुरा जाने के लिए दोनों पठापोड़ी गांव के तिराहा पर पहुंच गए. वहां पहुंच कर कल्लू ने सलमान से कहा, “पैदल चल कर काफी थक गए हैं थोड़ा आराम कर लेते हैं, फिर आगे बढ़ते हैं.”

इस के बाद दोनों तिराहे पर जगह देख कर बैठ गए. कुछ देर बाद कल्लू ने कहा, “यहां बैठना खतरे से खाली नहीं है, कोई हमें चोर न समझ बैठे. आगे खेत में आराम से बैठेंगे.”

इस के बाद दोनों एक खेत पर पहुंचे. खेत में मूंग की फसल थी और वहां ठंडक का अहसास भी हो रहा था. कल्लू ने सलमान से कहा, “कुछ देर लेट कर आराम कर लेते हैं, फिर उदयपुरा चलेंगे.”

यहां सलमान ने सहमति देते हुए खेत में रुमाल आंखों पर डाल कर आंखें बंद कर लीं. कल्लू भी बगल में सो गया, मगर नींद उस से कोसों दूर थी. सलमान के गले में अंगोछा डला हुआ था. थकान की वजह से सलमान को जल्द ही नींद आ गई. कल्लू ने मौका पा कर सलमान के गले में पड़े अंगोछे को कस कर खींच दिया, फिर उस ने उसे पीछे की ओर इतनी जोर से खींचा कि वह बेसुध हो गया यानी उस की मौत हो गई.

कल्लू ने खेत के किनारे पड़े बड़े पत्थर को उठा कर सलमान के चेहरे पर 3-4 बार दे मारा. चेहरा बुरी तरह से कुचलने के बाद उस का मोबाइल, पर्स समेत सब कुछ निकाल लिया. इस के बाद कल्लू ने अपना आधार कार्ड और पाकेट डायरी, जिस में उस ने अपने घर का मोबाइल नंबर लिखा था, वह सलमान की जेब में रख दिया और सलमान की लाश को खेत पर ही छोड़ कर भोपाल लौट आया. भोपाल आ कर उस ने फोन कर के गांव में रह रही अपनी पत्नी प्रियंका को सलमान को मारने की पूरी बात बता दी.

अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो, कानून के लंबे हाथ उस तक पहुंच ही जाते हैं. ऐसा ही कल्लू चढ़ार के मामले में हुआ. पुलिस ने कल्लू की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त पत्थर, सलमान का पर्स और मोबाइल भी बरामद कर लिया.

23 अप्रैल, 2023 को तीनों आरोपियों कल्लू चढ़ार, दीनदयाल चढ़ार और प्रियंका के खिलाफ धारा 302 और 201 के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें रायसेन जेल भेज दिया गया.

24 अप्रैल को रायसेन जिले के सिलवानी पुलिस थाने में एसपी विवेक साहबाल ने प्रैस कौन्फ्रैंस कर घटना का खुलासा किया. चादर से ज्यादा पैर पसारने की कल्लू की फितरत ने उसे संगीन जुर्म करने पर मजबूर कर दिया. अपने दोस्त का कत्ल कर उस परिवार का चिराग बुझा दिया और खुद को पत्नी, भाई के साथ जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

दूसरा पहलू : अपनों ने बिछाया जाल – भाग 5

अंत में वही हुआ, जिस का डर था. अचानक दोपहर को सुरेंद्र के मोबाइल पर अहमदाबाद के एक पुलिस स्टेशन से फोन आया. फोन करने वाले इंसपेक्टर ने उसे धमकाते हुए कहा था कि उस का भाई यहां की एक लड़की को भगा ले गया है. उस के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज है. वह सब कुछ सचसच बता दे, वरना मुसीबत में पड़ सकता है.

सुरेंद्र ने कहा था कि उस के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाले आज भी उसे नहीं पहचानते. वह उन से कभी मिला ही नहीं है. यह उस के छोटे भाई की ससुराल वालों की किसी रंजिश का मामला है, जिस में उस का भाई मोहरा बना है. अगर लड़की के मांबाप के फोन की काल डिटेल्स निकलवा कर जांच की जाए तो सारी हकीकत पता चल जाएगी.

अब तक बात और भी बिगड़ चुकी थी. रिश्तेदारी दुश्मनी में बदलने लगी थी. सुरेंद्र के घर वालों पर चारों ओर से दबाव पड़ रहा था. अच्छा था कि सुकृति साथ थी, वरना पुलिस कब का उसे अंदर कर चुकी होती.

सुरेंद्र को अपने वकील से जो पता चला, वह हैरान करने वाला था. अहमदाबाद से जो फोन सुरेंद्र को किया गया था, वह किसी पुलिस थाने से नहीं था. क्योंकि अहमदाबाद के किसी भी थाने में किसी लड़की की भगाने की कोई रिपोर्ट अभी तक दर्ज नहीं थी. यह सुरेंद्र और उस के घर वालों को डरानेधमकाने के लिए किया गया था. जिस से वह सीधेसीधे सौदेबाजी के लिए मजबूर हो जाए.

नाटकीय ढंग से एक दिन अचानक मनु और मिंटू अहमदाबाद में रश्मि के सामने प्रकट हो गए. इस के बाद रश्मि के फोन लगातार सुरेंद्र के पास आने लगे. जल्दी आओ, वरना मामला पुलिस में गया तो फिर कुछ नहीं हो सकेगा. सुरेंद्र को वकीलों ने मना किया कि कानूनी तौर पर उस का जाना ठीक नहीं है. बात उस पर भी थोपी जा सकती है.

लेकिन सुरेंद्र ने रिस्क लेना ही ज्यादा उचित समझा. फ्लाइट पकड़ कर वह मातापिता को साथ ले कर अहमदाबाद जा पहुंचा.

रश्मि ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं थी, लेकिन थी बहुत बड़ी खिलाड़ी. उस ने बड़े प्रोफेशनली ढंग से बात को टैकल किया. एक तरफ वह केस दर्ज कराने की बात कर के डरा रही थी तो दूसरी ओर मामला रफादफा करने का लालच भी दे रही थी. बात वाकई गंभीर थी. मनु सिर झुकाए मौन खड़ा था.

कुल मिला कर बात लेनदेन पर आ गई. आंटी की ओर से एक मुश्त 20 लाख रुपए की मांग की गई. मांग भी इस ढंग से की गई कि कम ज्यादा करने की कोई गुंजाइश नहीं थी. मनु जैसे मन ही मन तौबा करते हुए अपनी बातों से संकेत कर रहा था कि इस बार बचा लो, भविष्य में इन लोगों से कोई संपर्क नहीं रखेगा. मां और सुरेंद्र ने अकेले में मनु से बात की. मनु ने सारी घटना संक्षेप में बता दी. पहले भी वे लोग उस से काफी पैसे इसी तरह ऐंठ चुके थे.

घर से भागने की योजना रश्मि की थी. दरअसल उसी ने सारी व्यवस्था की थी. इस बीच फोन पर वह उन्हें वापस न लौटने की बात कहती रही. उस की योजना थी कि वह अपनी बेटी की शादी मनु से कर देगी. तलाक की भी उसे कोई जरूरत नहीं पड़ेगी. लेकिन सुकृति ने धैर्य से काम लिया, इसलिए उस की योजना फेल हो गई. उस ने सोचा था कि नाराज हो कर सुकृति मांबाप के घर चली जाएगी. लेकिन सुकृति ने ऐसा नहीं किया, यहीं बात बिगड़ गई.

मनु कब तक घर से भागता फिरता. इसलिए रश्मि के जाल से मुक्त होने के लिए एक दिन वह वापस आ गया. रश्मि एक तीर से 2 शिकार करना चाहती थी. एक तरफ ऐसा कर के वह मिंटू को मनु के साथ ब्याह देना चाहती थी. क्योंकि उसे पता था कि मनु का परिवार काफी समृद्ध है. दूसरे इस घटना से उस के जेठ का घर भी तबाह हो जाने वाला था. अनजाने में वह अपनी 4 बीघा जमीन की कीमत वसूल कर सकती थी. अगर यह सब पूरे न भी हुए तो अंत में होने वाले समझौते से उसे ही लाभ होने वाला था.

मोलभाव के बाद अंत में 15 लाख रुपए पर समझौता हो गया. सब वापस लौट गए. लेकिन इस घटना ने सभी को ऐसा सबक सिखा दिया, जिस की कल्पना करना असंभव था. दूसरी ओर पैसों के लिए खून के रिश्तों को तारतार कर दिया था.

एक जवान औरत की नौटंकी – भाग 1

कानपुर के थाना नजीराबाद के लाजपत नगर का रहने वाला राजा यादव अपने इलाके का माना हुआ बदमाश था. उस के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज थे और थाने में उस की हिस्ट्रीशीट खुली हुई थी. इस वजह से वह या तो अकसर घर से फरार रहता था या फिर जेल में. ऐसे बदमाश जमाने के सामने खुद को भले ही दबंग समझते हों, लेकिन सच्चाई यह है कि जब वे जेल से बाहर होते हैं तो उन के घर वालों का अमन चैन गायब रहता है. आए दिन उन्हें पुलिस से अपमानित होना पड़ता है.

राजा यादव के परिवार में पत्नी नीरू यादव और 3 वर्षीय बेटे कशिश के अलावा मां मीरा यादव थीं. उस के पिता केदारनाथ की कुछ दिनों पहले मौत हो चुकी थी. पति के अकसर जेल में बंद होने की वजह से उस की पत्नी नीरू को आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही थी. वह चूंकि पढ़ीलिखी थी, इसलिए एक जीवन बीमा कंपनी में एजेंट बन गई. इस काम में वह जीजान से मेहनत करने लगी तो उसे ठीकठाक आमदनी होने लगी.

नीरू जो काम करती थी वह ऐसा था, जिस की वजह से उसे दिन में अकसर बाहर रहना पड़ता था. उस की सास मीरा यादव को यह पसंद नहीं था कि बहू घर से बाहर घूमे. लेकिन वह यह भी समझती थी कि बहू के कमाने से ही घर का खर्च चल रहा है, इसलिए वह चाहते हुए भी नीरू को घर से बाहर घूमने से मना नहीं कर पाती थी.

मीरा यादव की 2 बेटियां थीं, जिन में से एक नवाबगंज, कानपुर में ब्याही थी, जबकि छोटी रीता यादव की शादी देहरादून में हुई थी. लेकिन पति से विवाद के चलते वह पिछले एक साल से मायके में रह रही थी. किसी पर बोझ न बने, इसलिए वह एक प्राइवेट नर्सिंगहोम में नौकरी करती थी.

कानपुर के ही थाना फजलगंज के अंतर्गत दर्शनपुरवा के रहने वाले राजेश कपूर के परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटे गौरव उर्फ गगन कपूर और प्रतीक कपूर थे. प्रतीक 8वीं में पढ़ता था जबकि गौरव बीए सेकेंड ईयर में. गौरव पढ़ाई के साथसाथ अपने चाचा के काम में हाथ बंटाता था. उस के चाचा केबिल औपरेटर थे. पूरे इलाके में उन के ही केबिल की सर्विस थी. गौरव कंप्लेंट डील करता था. कंज्यूमर की शिकायत आने पर वही शिकायत करने वाले के घर जा कर केबिल वगैरह चेक कर के शिकायत का निपटारा करता था.

पिछले साल जनवरी की बात है. नीरू के टीवी पर कोई भी चैनल नहीं आ रहा था. उस ने गौरव कपूर को फोन कर के शिकायत की कि उस के यहां केबिल नहीं आ रहा है. कंप्लेंट मिलने पर गौरव नीरू यादव के घर गया. उस समय नीरू की सास मीरा यादव कहीं गई हुई थीं और बेटा कशिश स्कूल में था. घर पर नीरू अकेली थी. 34 साल की नीरू भले ही एक बच्चे की मां थी, लेकिन अभी भी वह जवान थी. पति के अकसर घर से बाहर रहने की वजह से उस की शारीरिक भूख पूरी नहीं हो पाती थी.

गौरव कपूर गोराचिट्टा औसत कदकाठी का बलिष्ठ युवक था. वह पढ़ालिखा भी था. उसे देख कर उस की कामना जागी तो उस ने गौरव को अपने मन में बसा लिया. गौरव ने जब केबिल ठीक कर दिया तो नीरू ने उस की खूब खातिर की और प्यार भरी बातें भी. चायपानी के बाद गौरव जब वहां से जाने लगा तो नीरू बोली, ‘‘अब कब आओगे?’’

‘‘जब भी आप के यहां केबिल न आने की शिकायत मिलेगी, चला आऊंगा. हम तो आप के नौकर हैं.’’

‘‘मैं तुम्हें नौकर नहीं समझती, यह तो तुम्हारा काम है. तुम मुझे यह बताओ कि क्या केबिल ठीक करने ही आ सकते हो या ऐसे भी? अरे, मैं भी पंजाबन कुड़ी हूं. राजा से लवमैरिज की तो यादव बन गई. कम से कम अपना समझ कर ही आ जाया करो.’’ नीरू ने कहा तो गौरव बोला, ‘‘ठीक है, आप जब भी बुलाएंगी, मैं चला आऊंगा.’’

नीरू गौरव से जिस तरह अपनेपन से बातें कर रही थी, उस से उस ने यही अनुमान लगाया कि शायद वह उस का बीमा करना चाहती है. 2 दिनों बाद ही नीरू ने गौरव को अपने यहां बुलाया और बीमा की बातों के बजाय और बहुत सारी बातें कीं. इस के बाद नीरू जब भी अकेली होती, उसे बुला कर प्यार भरी बातें करती. इस से गौरव समझ गया कि नीरू का इरादा कुछ और ही है. फिर क्या था, गौरव ने भी खुद को नीरू के रंग में रंगना शुरू कर दिया. यानी उस का झुकाव भी नीरू की तरफ हो गया.

इस के बाद दोनों के मिलने का सिलसिला शुरू हो गया. नीरू गौरव को कभी रेस्टोरेंट में ले जाती तो कभी उसे अपने घर बुला कर उस के साथ घंटों तक बातें करती. मीरा यादव को बहू की यह आदत अच्छी नहीं लगती थी. उस ने नीरू को कई बार समझाया भी, लेकिन उस ने गौरव से मिलना नहीं छोड़ा. इस पर मीरा यादव बहू पर बदचलनी का लांछन लगाने लगी. लेकिन नीरू ने सास की बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, वह गौरव से लगातार मिलती रही.

धीरेधीरे दोनों बेहद करीब आ गए. इस बीच मीरा ने बहू की बातें जेल में बंद अपने बेटे राजा यादव तक पहुंचा दी थीं. पत्नी की बदचलनी की बात सुन कर राजा को गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन जेल में बंद होने की वजह से वह कड़वा घूंट पी कर रह गया.

कुछ दिनों बाद जब राजा जेल से जमानत पर बाहर आया तो सब से पहले उस ने पत्नी की खबर ली. फिर वह गौरव की तलाश में लग गया. अक्तूबर, 2013 में एक दिन लाजपत नगर में उसे गौरव दिख गया तो राजा ने उसे जम कर पीटा और गोली मार दी. गोली लगने से गौरव बुरी तरह घायल हो गया. उसे उस के घर वालों ने अस्पताल में भरती कराया. गौरव के बयान के आधार पर थाना नजीराबाद में राजा यादव के खिलाफ जान से मारने की कोशिश की रिपोर्ट दर्ज हुई. पुलिस ने राजा को गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया. अस्पताल में कुछ दिनों इलाज कराने के बाद गौरव कपूर ठीक हो कर घर आ गया.

खुद ही लिख डाली मौत की स्क्रिप्ट – भाग 2

21 अप्रैल की शाम कल्लू की पत्नी प्रियंका अपने देवर और सास के साथ सिलवानी थाने पहुंची, जहां से उन्हें सिविल अस्पताल ले जाया गया. अस्पताल की मोर्चरी में रखे शव और कपड़ों के आधार पर तीनों ने बताया कि यह लाश कल्लू चढ़ार की ही है.

जब टीआई भारत सिंह ने दीनदयाल और उस की मां से कहा कि घर पर खबर कर दो कि परिवार के लोग अंतिम संस्कार की तैयारी कर लें तो दीनदयाल बोला, “साहब, हमारे पिताजी को यह खबर सुन कर हार्टअटैक आ सकता है. हम तो घर जा कर ही सब बताएंगे.”

पुलिस को तीनों के हावभाव देख कर यह नहीं लग रहा था कि कल्लू की मौत से किसी को सदमा पहुंचा हो. दूसरी बात मरने वाले की उम्र 25 साल के करीब थी, जबकि जेब में मिले आधार कार्ड में उम्र 34 साल थी.

पुलिस को पूरा मामला संदिग्ध लग रहा था, इसी वजह से सिलवानी थाने के टीआई भारत सिंह ने एसडीओपी राजेश तिवारी, एडीशनल एसपी अमृत मीणा और एसपी विवेक कुमार साहबाल को मामले की जानकारी देते हुए डैडबौडी के साथ उन के गांव थाना क्षेत्र त्योंदा के गांव बागरोद जाने का निर्णय लिया था.

पुलिस ने चिता से उठाया शव

गांव वालों की तस्दीक के बाद टीआई भारत सिंह, एसआई आरती धुर्वे को जब पूरी तरह यकीन हो गया कि यह डैडबौडी कल्लू की नहीं है तो उन्होंने श्मशान में मौजूद लोगों से कहा, “जिस कल्लू चढ़ार का क्रियाकर्म करने आप लोग आए हैं, यह डैडबौडी उस की नहीं है. डैडबौडी को चिता से हटाइए, अब इस का अंतिम संस्कार नहीं होगा.”

पुलिस की इस काररवाई से वहां मौजूद कल्लू के परिवार के लोग भौंचक रह गए. चिता पर लेटे युवक को मुखाग्नि देने की तैयारी चल ही रही थी कि पुलिस ने शव को चिता से बाहर निकाला. पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लिया और इस की सूचना एसपी विवेक कुमार साहबाल को दे दी. इस के बाद कल्लू चढ़ार की पत्नी प्रियंका, भाई दीनदयाल और मां कलाबाई को ले कर थाने आ गई.

तब तक लाश की हालत काफी खराब हो चुकी थी, इस वजह से आवश्यक काररवाई कर रात में ही पुलिस ने वार्ड नं 3 इंदिरा आवास कालोनी के मुक्तिधाम में जेसीबी मशीन से गड्ढा खुदवा कर लाश को दफना दिया, क्योंकि मृतक मुसलिम लग रहा था.

पूछताछ में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

दूसरे दिन 22 अप्रैल को पुलिस ने तीनों से सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने यह स्वीकार कर लिया कि यह डैड बौडी कल्लू की नहीं है. तीनों ने बताया कि यह लाश भोपाल में रहने वाले सलमान खान की है.

इस के बाद पुलिस ने सलमान भोपाल के पास करोंद का रहने वाला था. सलमान खान के पिता साबिर खान को घटना की सूचना दी गई और तहसीलदार की उपस्थिति में 22 अप्रैल को लाश को गड्ढे से बाहर निकाला गया.

सलमान के घर वालों की शिनाख्त के आधार पर डैडबौडी उन के सुपुर्द कर दी गई. पुलिस पूछताछ में तीनों ने पुलिस को यह भी बताया कि कल्लू जिंदा है और कल्लू ने ही अपने दोस्त मोहम्मद सलमान खान का कत्ल किया है.

एसपी विवेक कुमार साहबाल के निर्देश पर हत्यारोपी की तलाश हेतु सिलवानी एसडीओपी राजेश तिवारी के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया, टीम में टीआई भारत सिंह, एसआई आरती धुर्वे, संतोष कुमार दांगी, एएसआई संतोष रघुवंशी, साइबर सेल से एएसआई सुरेंद्र, हैडकांस्टेबल योगेंद्र सिंह राजपूत, कांस्टेबल नीतू चंदेल, नवीन पांडे, मुकेश यादव को शामिल किया गया.

पुलिस ने कल्लू की पत्नी प्रियंका से कल्लू का मोबाइल नंबर और फोटो ले कर उस की तलाश शुरू कर दी. साइबर सेल की मदद से कल्लू की लोकेशन भोपाल के पास भानपुर की मिल रही थी. पुलिस टीम ने दिनरात मेहनत कर के सलमान खान के हत्यारे कल्लू चढ़ार को खोज निकाला.

पुलिस की एक टीम कल्लू की तलाश में जब तक भोपाल पहुंची, उस समय कल्लू भोपाल के बस स्टैंड पर सागर जाने वाली बस में बैठा हुआ था. पुलिस ने मोबाइल लोकेशन के आधार पर कल्लू को धर दबोचा. पुलिस टीम जब कल्लू को भोपाल से सिलवानी ले कर आ रही थी तो कल्लू ने चलती गाड़ी में गेट खोल कर भागने की कोशिश की, परंतु पुलिस ने उसे पकड़ लिया.

चलती गाड़ी से कूदने पर घायल हुए कल्लू का पहले पुलिस ने सिलवानी अस्पताल में इलाज करवाया. इस के बाद सिलवानी थाने आ कर जब पुलिस ने उस से सख्ती के साथ पूछताछ की तो कल्लू ने जो कहानी सुनाई, वह काफी सनसनीखेज निकली.

ऐशोआराम के लिए ले रखा था कर्ज

विदिशा जिले के बागरोद गांव में रहने वाले भगवान दास चढ़ार के 2 बेटों और 2 बेटियों में कल्लू सब से बड़ा था. उस का रंग काला होने के कारण लोग बचपन में उसे कल्लू कह कर बुलाते थे और बाद में यही उस का असली नाम हो गया. जवान होतेहोते कल्लू गलत संगत में पड़ गया.

जब वह 19 साल का था, तब गांव के एक पंडित से विवाद होने पर उसे चाकू मार कर फरार हो गया था. बाद में पुलिस के सामने सरेंडर कर वह जेल भेज दिया. फिर जमानत मिलने के बाद वह भोपाल चला गया था. कल्लू 20 साल की उम्र में गांव छोड़ कर भोपाल चला गया और कैटरिंग का काम करने लगा था.

कैटरिंग का काम करने के दौरान उस का संपर्क एक तलाकशुदा महिला से हुआ, उस महिला का एक बेटा भी था. बाद में उस महिला के साथ वह लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगा. कुछ साल बाद घर वालों ने कल्लू की शादी प्रियंका से कर दी और प्रियंका भी 2 बच्चों की मां बन गई.

भोपाल के करोंद इलाके में खुद का मकान बना कर रह रहे कल्लू का रहनसहन और शौक किसी रईस से कम नहीं थे. अपने ऐशोआराम के लिए उस ने बैंक और साहूकारों से कर्ज ले रखा था. कल्लू ने प्राइवेट बैंक से लोन ले कर कार खरीद ली थी. कल्लू अपनी दोनों बीवी और बच्चों का खर्च उठा रहा था.

शराब और अय्याशी के शौक के चलते उस का हाल आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया की तरह था. अपने शौक पूरा करने के लिए उस ने कुछ लोगों से लाखों रुपए का कर्ज ब्याज पर ले रखा था. कर्ज देने वाले जब उस से रुपए मांगते तो वह किसी दूसरे से रुपए ले कर उस का कर्ज चुका देता.

कल्लू के शौक और खर्च कम नहीं हो रहे थे और आमदनी घटती जा रही थी. कल्लू भोपाल और आसपास के इलाकों में शादीविवाह के फंक्शन में हलवाई का काम करता था. उस ने मकान खरीदने के लिए 13 लाख रुपए, 9 लाख की गाड़ी और किराना की दुकान खोलने के लिए 5 लाख रुपए का कर्ज बैंकों से ले रखा था. कुछ साहूकारों से लिए गए 6-7 लाख के कर्ज को मिला कर करीब 30 से 35 लाख रुपए का कर्ज कल्लू पर था. आए दिन कर्ज देने वाले घर पर आ कर उसे उलाहना देने लगे. कल्लू की पत्नी भी इस से परेशान रहने लगी.

कर्ज से छुटकारा पाने के लिए कल्लू ने क्या योजना बनाई? पढ़िए कहानी के अगले अंक में.

फूल खिलने से पहले ही उजड़ गया गुलिस्तां