घर के 7 लोगों ने ली जलसमाधि: इश्क बना जी का जंजाल

बादली नहाने के बाद आईने के सामने आई तो अपना रूप देख कर खुद ही शरमा गई, उस का गुलाबी बदन नहाने के बाद और भी निखर गया था. यौवन का 21वां वसंत पार होने को था. बादली ने 5 बच्चे जन लिए थे, लेकिन उस का यौवन जस का तस था, तब जब वह 10 बरस पहले शंकरा राम की दुलहन बन कर उस के घर में आई थी. चेहरे पर बढ़ती उम्र की अभी एक भी लकीर नहीं उभरी थी.

आईना देखते ही अपने रूपयौवन पर वह इतरा उठी. एक गर्वीली मुसकान उस के चेहरे पर उभर आई. वह गीले बालों को सुखाने के इरादे से घर की छत पर आ गई. धूप खिली हुई थी. गीले बालों को आगे कर के हाथों से उन का पानी झाडऩे के बाद उस ने जैसे ही झटके से बालों को पीछे किया, किसी के द्वारा गहरी आह भरने की आवाज कानों में पड़ी. उस ने पलट कर देखा तो अपनी छत पर चेलाराम खड़ा नजर आया.

“ऐ, मुझे देख कर यूं आहें क्यों भर रहे हो?’’ बादली ने आंखें तरेरी.

“तुम चीज ही गजब की हो भाभी, आह तो निकलेगी ही मुंह से.’’ चेलाराम ठंडी सांस भर कर बोला, ‘‘मुझे शंकरा राम के भाग्य पर जलन होती है, कम्बख्त चांद ही समेट लाया अपने आंगन में.’’

बादली ने मादक अंगड़ाई ली, ‘‘तुम्हारे आंगन में भी तो सुमन ने उजाला फैला रखा है देवरजी.’’

“उस के साथ अपना मुकाबला मत करो भाभी, सुमन तुम्हारे रूपयौवन के सामने कहीं भी नहीं टिकती. तुम्हारा यह खिलाखिला यौवन किसी की भी रातों की नींद उड़ा सकता है.’’

बादली खिलखिला कर हंस पड़ी, हंसते हुए बोली, ‘‘तुम रात को ठीक से सो पाते हो या नहीं? कहीं मेरा यह यौवन तुम्हें बिस्तर पर करवटें बदलने को मजबूर तो नहीं करता देवरजी?’’

“करता है भाभी. अब तो जिस दिन यह यौवन बाहों में होगा, उसी दिन चैन की नींद आएगी.’’ चेलाराम ने ठंडी सांस भरते हुए बेझिझक मन की बात कह डाली.

“बेशरम!’’ बादली झेंप कर बोली और तेजी से सीढिय़ां उतर कर नीचे आ गई. चेलाराम की मंशा भांप कर वह रोमांच से भर गई. उस के गालों पर लाज की लालिमा उभर आई थी.

जालौर (राजस्थान) के थाना क्षेत्र सांचौर का एक गांव था गलीफा. इसी गांव में खेमाराम का परिवार रहता था. परिवार में उस की पत्नी गोमती, 2 बेटे शंकरा राम और जोगाराम के अलावा 5 बेटियां थीं. शुरू में खेमाराम के पास काफी जमीनजायदाद थी, लेकिन जैसेजैसे उस की बेटियां जवान होती गईं, उस की जमीनजायदाद बिकती चली गई. खेमाराम ने बेटियों की शादी में दिल खोल कर पैसा लुटाया, जिस की वजह से उस पर कंगाली छा चुकी थी.

रिश्ते में बदल गई दोस्ती…

इधर बड़ा बेटा शंकरा राम 31 साल का होने को आ गया था. खेमाराम उसे शादी के बंधन में बांधना चाहता था, लेकिन खेमाराम की खस्ताहालत और शंकरा राम की बढ़ी उम्र की वजह से कोई लडक़ी वाला उस से रिश्ता करने को राजी नहीं हो रहा था. खेमाराम काफी निराश और दुखी रहने लगा था, उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह बेटे शंकरा राम का घर कैसे बसाए.

इसी गांव गलीफा में ही स्वरूप राम अपनी पत्नी और बेटी बादली के साथ रहता था. जमीनजायदाद भी मामूली थी, इसलिए वह अपनी बेटी बादली को ज्यादा पढ़ालिखा नहीं सका. खेमाराम स्वरूप राम का बचपन का मित्र था. दोनों एक ही स्कूल में पढ़े और गांव की मिट््टी में खेलकूद कर बड़े हुए थे. दोनों की शादी होने पर भी उन की दोस्ती बरकरार थी.

स्वरूप राम को मालूम हुआ कि खेमाराम अपने बेटे शंकरा राम के लिए लडक़ी की तलाश कर रहा है तो स्वरूप राम ने दोस्ती को रिश्ते में बदलने का मन बना कर बादली और शंकरा राम की शादी करने की बात खेमाराम से की तो वह खुश हो गया.

शुभ मुहुर्त में शंकरा राम और बादली विवाह बंधन में बंध गए. बादली उस वक्त 20 साल की थी, उसे अपने से 10 साल बड़े और शंकरा राम को पति के रूप में पा कर अधिक खुशी नहीं हुई थी. लेकिन मांबाप के मानसम्मान को ध्यान में रख कर उस ने अधूरे मन से शंकरा को अपना पति स्वीकार कर के उस का घर संभाल लिया.

शंकरा राम खूबसूरत पत्नी पा कर फूला नहीं समाया. बादली के प्यार में वह पगला सा गया. रातदिन वह बादली के आगेपीछे घूमता रहता. समय का पहिया घूमता रहा और बादली एक बेटी और एक बेटे की मां बन गई. परिवार बढ़ रहा था, लेकिन घर की आमदनी नहीं बढ़ रही थी. बादली ने कई बार इस बारे में पति से बात की लेकिन शंकरा राम ने उस की बातों को गंभीरता से नहीं लिया. शंकराराम अपने पिता के साथ खेती में लगा रहता था.

धीरेधीरे बादली कुल मिला कर 5 बच्चों की मां बन गई थी. खेमाराम ने बेटे शंकरा राम के बढ़ते परिवार को ध्यान में रख कर उस के लिए अलग मकान बनवा दिया और जमीन का एक हिस्सा भी उसे अलग से दे दिया. खेमाराम अपनी पत्नी गोमती और बेटे जोगाराम के साथ पुराने मकान में ही रहता रहा.

बादली को नया घर मिला तो उस ने आजादी की सांस ली. अब उसे केवल अपने पति और बच्चों के लिए चूल्हा फूंकना था. सासससुर और देवर के बोझ से उसे मुक्ति मिल गई थी. शंकरा राम सुबह ही तैयार हो कर खेत पर चला जाता था. नाश्ता कर के बच्चे भी गांव में बनी पाठशाला में चले जाते थे. घर में अकेली बादली रह जाती थी. घर का काम निपटा कर वह छत पर जा कर बैठ जाती थी.

2 घर छोड़ कर चेलाराम अपनी पत्नी सुमन और 8 वर्षीय बेटे और 5 साल की बेटी के साथ रहता था. गांव के रिश्ते से बादली को वह भाभी कहता था. चेलाराम की सोच यह थी कि भाभी पर देवर का भी पूरापूरा हक होता है. इसलिए वह उस के नजदीक पहुंचने की कोशिश में लगा रहता था.

देवर से लड़ गए नैना..

बादली उस की हंसीठिठोली का बुरा नहीं मानती थी. गांवदेहात में देवरभाभी के बीच हंसीमजाक का रिश्ता स्वाभाविक माना जाता है. किंतु 2 दिन पहले बाल सुखाने के इरादे से छत पर आई बादली के साथ चेलाराम की जो बात हुई, उस ने बादली के पूरे जिस्म में सनसनाहट भर दी. पहली बार बादली को अहसास हुआ कि चेलाराम उसे पाने के लिए कितना तड़प रहा है.

बादली की उम्र बेशक 31 साल हो गई थी, लेकिन वह अपने आप को 20-21 साल की ही समझती थी. बादली चाहती थी कि शंकरा अभी भी पहले की तरह उसे बाहों में भर कर वह सुख प्रदान करे, जिस की हर युवा औरत कामना करती है. चूंकि बादली से विवाह हुए शंकरा राम को 10 वर्ष हो गए थे, वह अब 41 साल का हो चुका था. पत्नी की भावनाओं को नजरअंदाज कर देता था. ऐसे में बादली के मन में चेलाराम का खयाल आया.

चेलाराम 2-3 दिन उसे नजर नहीं आया. वह गांव में ही था या कहीं बाहर चला गया था, बादली को पता नहीं चला. दूसरे दिन होली थी. बादली चाहती थी कि चेलाराम इस होली पर कुछ ऐसा करे, जिस से होली का त्यौहार हमेशा यादगार बन जाए. उस दिन उस का पति शंकरा राम गांव के लोगों के साथ भांग छानने के लिए निकल गया था. बादली घर में अकेली थी. वह चारपाई पर बैठी चेलाराम के ख्यालों में गुम थी कि पता नहीं कब और कैसे दबे पांव चेलाराम उस के पीछे आ गया. उस ने हाथ में रंग लगा रखा था. बादली सचेत हो पाती, उस से पहले ही चेलाराम ने उस के गालों पर अपने हाथों का रंग रगड़ते हुए कहा, ‘बुरा न मानो भाभी, होली है.’

बादली ने उस के हाथ पकड़ लिए और घूम कर उस की तरफ चेहरा घुमा कर हंसते हुए बोली, ‘‘मैं आज तुम्हारी किसी शरारत का बुरा नहीं मानूंगी देवरजी.’’

“सच भाभी?’’ चेलाराम खुशी से चहक पड़ा, ‘‘फिर तो आज अपनी भाभी को बाहों में लेने की तमन्ना पूरी कर लेता हूं.’’ चेलाराम ने बादली को बाहों के घेरे में ले कर सीने से भींच लिया. बादली की धडक़नें तेज हो गईं. दोनों ही अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाए और अपनी हसरतें पूरी कर डालीं.

प्यार को कोई लाख छिपाने की कोशिश क्यों न करे, वह छिप नहीं पाता. बादली और चेलाराम के प्रेम प्रसंग के किस्से पूरे गांव में दबी जुबान से होने लगे. शंकरा राम सीधे स्वभाव का था. चेलाराम को कुछ कहने की उस की हिम्मत नहीं हो रही थी. इस के लिए वह अपनी पत्नी बादली को ही दोषी मान रहा था. पूरे गांव मे बादली को ले कर उस की थूथू हो रही थी. लोग उसे कायर, दब्बू इंसान और न जाने क्याक्या कह कर ताना मार रहे थे. परेशान हो कर शंकरा राम ने पंचायत बुलवा ली.

पंचायत में दी हिदायत…

25 फरवरी को गांव के पंचों ने पंचायत में चेलाराम पुत्र चेतराम और बादली पत्नी शंकरा राम को हाजिर होने का हुक्म दिया. दोनों पंचायत में उपस्थित हुए तो पंचों ने उन्हें समझाया कि वह जो अमर्यादित काम कर रहे हैं, इस से दूसरी बहूबेटियों पर गलत संदेश जा रहा है. गलीफा गांव की बदनामी हो रही है, सो अलग. इसलिए आज के बाद वह न आपस में मिलेंगे, न बात करेंगे. वे दोनों गांव और अपने परिवारों की इज्जत की खातिर नेकचलनी पर चलेंगे.

पंचायत ने सख्त चेतावनी दी कि आज के बाद यदि उन की शिकायत किसी ने की तो उन दोनों को गांव छोडऩे की सख्त सजा दी जाएगी. कोली समाज का कोई व्यक्ति उन से वास्ता नहीं रखेगा. दोनों ने पंचायत में कसम खा कर कहा कि वे आज से आपस में बात नहीं करेंगे.

बादली ने पंचायत के फैसले का सम्मान करते हुए चेलाराम से मिलना और बात करना बंद कर दिया, किंतु चेलाराम सुधरने को तैयार नहीं था. वह बादली को किसी भी कीमत पर छोडऩे को राजी नहीं हुआ. उस ने बादली के पति शंकरा राम को फोन द्वारा धमकाना शुरू कर दिया. वह बादली को भी रिश्ता तोड़ लेने पर देख लेने की धमकियां देने लगा. इस से शंकरा राम पहले से अधिक परेशान रहने लगा.

पहली मार्च को थाना सांचौर के एसएचओ निरंजन प्रताप सिंह को किसी अंजान व्यक्ति ने एक चौंका देने वाली सूचना दी. उस ने बताया कि उस ने सिद्धेश्वर में नर्मदा नदी के किनारे कई जोड़े जूते और चप्पलें पड़ी देखी हैं. आसपास कोई नजर नहीं आ रहा है, उसे आशंका है कि किसी परिवार के लोगों ने सामूहिक आत्महत्या करने का प्रयास किया है.

एसएचओ ने घड़ी देखी, दिन के 2 बज रहे थे. उन्होंने यह सूचना एसडीएम संजीव कुमार और एसपी जालौर डा. कविता अंग को दे दी. एसएचओ निरंतर प्रताप सिंह, सीओ रूप सिंह और अन्य पुलिस दल के साथ सिद्धेश्वर के लिए रवाना हो गए. जो घटनास्थल फोन पर बताया गया था, वहां सचमुच जूते, चप्पलों का ढेर था. अब तक उच्चाधिकारी भी एसडीआरएफ टीम को ले कर मौके पर पहुंच गए थे. वहां एक 25 साल का युवक खड़ा रो रहा था.

एसएचओ ने उस से पूछा तो उस युवक ने बताया कि उस का नाम जोगाराम है, वह अपने बड़े भाई शंकरा राम की तलाश में यहां आया है. उस का भाई ही अपने परिवार को ले कर बस से सिद्धेश्वर के लिए निकला था.  “यहां जो जूतेचप्पलों का ढेर है, वह सब उस के भाईभाभी और भतीजीभतीजों के हैं. वे सब शायद नदी में कूद गए हैं. उन्हें तलाश कीजिए साहब”.

एसपी डा. कविता अंग ने तुरंत नहर में गोताखोर उतार दिए. कड़ी मशक्कत के बाद पहला शव 4 वर्षीय बच्चे का निकला. जोगाराम ने रोते हुए बताया, ‘यह उस का सब से छोटा भतीजा हितेष है.’ अधिकारियों को विश्वास हो गया कि नहर में और भी शव हैं. गोताखोरों ने तलाश शुरू कर दी. काफी कड़ी मेहनत के बाद नहर से 6 शव और ढूंढ निकाले गए. ये शव शंकरा राम, बादली, उन की बेटियों रमिला (11 वर्ष), कमला (7 वर्ष), संगीता (8वर्ष) और बेटा विक्रम (10 वर्ष) के थे. हितेष की लाश सब से पहले निकाली गई थी.

जोगाराम दहाड़े मार कर रो रहा था. पूरे परिवार की जलसमाधि के बाद एक साथ 7 शव देख कर पुलिस के आला अफसरों की आंखें भी नम हो गई थीं. घटनास्थल पर काफी भीड़ जमा हो गई थी, सभी हैरान खड़े थे. शवों को आवश्यक काररवाई के बाद पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया.

थाना सांचौर में यह दुखद घटना भादंवि की धारा 306 के तहत दर्ज कर ली गई. शंकरा राम के भाई जोगाराम ने इस सामूहिक आत्महत्या के लिए चेलाराम को जिम्मेदार बताया. उस ने अधिकारियों के सामने चेलाराम की काली करतूत का जिक्र कर के उसे गिरफ्तार करने की मांग की.

गलीफा गांव में पोस्टमार्टम के बाद शंकरा राम और उस की पत्नी बादली तथा बच्चों के शव पहुंचे तो पूरा गांव शोक में डूब गया. हर किसी की आंखें भींग गईं. जो बच्चे कल तक गांव की गलियों में खेलतेकूदते थे, उन के शव उन्हें अपने कंधों पर गांव से अंतिम विदाई के लिए ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. फिर एक ही चिता पर उन का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

पुलिस ने जालौर (राजस्थान) में सामूहिक आत्महत्या के पीछे चेलाराम को दोषी मानते हुए उसे गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया. कथा लिखे जाने तक पुलिस चेलाराम के खिलाफ ठोस सबूत एकत्र करने में लगी हुई थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

पति और सास की ली जान: प्यार की चाशनी में डूबी वंदना

एयर फोर्स सार्जेंट ने रची जर, जोरू और जमीन हथियाने की साजिश- भाग 1

13 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश के नगर कानपुर में ऐतिहासिक गंगा मेला की धूम थी. इस मेेले का लुत्फ उठाने के लिए उन्नाव के डेंटल सर्जन गौरव प्रताप सिंह, पत्नी प्रियंका व बेटे रूद्रांश के साथ अपनी क्रेटा कार से कानपुर शहर आए. पहले उन्होंने गंगा तट पर लगे मेले का लुत्फ उठाया, फिर अपनी ससुराल राजीव विहार नौबस्ता पहुंच गए.

होली पर बेटीदामाद को घर आया देख कर कमलेश की खुशी का ठिकाना न रहा. वहीं उन की छोटी बेटी दीपिका भी दीदीजीजा के आने पर खुशी से झूम उठी. प्रियंका जहां अपनी मां कमलेश की बातों में मशगूल हो गई, वहीं डा. गौरव प्रताप सिंह अपनी युवा व खूबसूरत साली से रसभरी बातें करने लगे. चूंकि होली का माहौल था और रिश्ता भी जीजासाली का था, सो उन के बीच हंसीमजाक भी होने लगा. इस बीच डा. गौरव ड्रिंक्स का मजा भी लेते रहे.

शाम लगभग 6 बजे डा. गौरव ने पत्नी प्रियंका से कहा कि उन्हें मुदित श्रीवास्तव से मिलने उस के घर जाना है. एक प्रौपर्टी देखने उस के साथ जाएंगे. पसंद आने पर सौदा भी तय करना है. चूंकि मुदित श्रीवास्तव वायुसेना में सार्जेंट था और चकेरी में उस की तैनाती थी. गौरव से उस की गहरी दोस्ती भी थी. इसलिए प्रियंका ने पति से टोकाटाकी नहीं की. उस के बाद डा. गौरव अपनी क्रेटा कार से दोस्त के घर जाने को रवाना हो गए. उस वक्त उन के पास लगभग 7 लाख रुपए नकद भी थे. पति के जाने के बाद प्रियंका निश्चिंत हो गई.

रात लगभग 9 बजे प्रियंका के मोबाइल फोन पर काल आई. प्रियंका ने स्क्रीन पर नजर डाली तो काल मुदित की थी. प्रियंका ने जैसे ही काल रिसीव की तो मुदित बोला, ‘‘भाभीजी, भाई साहब बेहद नशे में हैं. आप ने उन्हें इस हालत में घर से निकलने ही क्यों दिया. उन के पास मोटी रकम भी है. खैर, वह कार चलाने की हालत में नहीं है, इसलिए हम ने उन्हें उन्नाव जाने वाली बस में बिठा दिया है. कुछ देर बाद वह उन्नाव पहुंच जाएंगे.’’ इस के बाद मुदित ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

मुदित की बात सुन कर प्रियंका घबरा उठी. उस ने मां और बहन को जानकारी दी तो वे भी चिंतित हो गईं. अब तो ज्योंज्यों रात बीतती जा रही थी, त्योंत्यों प्रियंका की परेशानी भी बढ़ती जा रही थी. प्रियंका कभी मुदित को काल करती तो कभी पति के फोन पर संपर्क करने की कोशिश करती. लेकिन दोनों फोन से एक ही संदेश प्राप्त होता, ‘‘आप जिस नंबर से संपर्क करना चाहते हैं, वह अभी बंद है.’’

टूट गई धैर्य की सीमा…

प्रियंका की मां कमलेश उसे धैर्य तो बंधा रही थी, लेकिन धैर्य की भी एक सीमा होती है. प्रियंका का धैर्य भी जब टूट गया तो उस ने बहन दीपिका को साथ लिया और उसी की स्कूटी से रात 12 बजे मुदित के घर जा पहुंची. मुदित उस समय घर पर ही था. उस के कमरे में धुआं भरा था और अजीब सी दुर्गंध आ रही थी. कमरे में मुदित कुछ जला रहा था.

प्रियंका ने धुएं के बाबत पूछा तो मुदित बोला, ‘‘भाभी, हमारी पत्नी नेहा बेटी का इलाज कराने लखनऊ गई है. कई रोज से घर बंद था, सो सफाई कर रहा था. कई मरी हुई छिपकलियां व चूहे निकले हैं. उसी को जलाया है, जिस से बदबू फैली है. आप बैठो, मैं नहा कर आता हूं.’’ कह कर मुदित बाथरूम चला गया.

रात डेढ़ बजे प्रियंका मुदित के साथ थाना चकेरी पहुंची. उस ने ड्ïयूटी अफसर से पति की गुमशुदगी दर्ज करने को कहा लेकिन उस ने गुमशुदगी दर्ज करने से साफ मना कर दिया. अफसर ने कहा, ‘‘तुम्हारे पति को गुम हुए अभी चंद घंटे ही बीते हैं. नियम के मुताबिक हम 24 घंटे बाद ही गुमशुदगी दर्ज कर सकेंगे. आप रात भर इंतजार करें. अगर सुबह तक घर वापस न पहुंचे, तब आना.’’

इस के बाद मुदित श्रीवास्तव अपने घर चला गया और प्रियंका अपनी बहन दीपिका के साथ राजीव विहार स्थित मां के घर आ गई. रात भर मांबेटी परेशान रहीं. उन्होंने रात आंखों ही आंखों में काट दी. इस बीच उन्होंने दरजनों बार डा. गौरव को काल की, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया. प्रियंका ने पति के लापता होने की जानकारी ससुर डा. प्रबल प्रताप सिंह को इसलिएनहीं दी कि कहीं उन की तबियत न बिगड़ जाए.

14 मार्च, 2023 की सुबह करीब साढ़े 9 बजे प्रियंका अपनी मां कमलेश के साथ फिर से थाना चकेरी पहुंची. उस समय एसएचओ रत्नेश सिंह थाने पर मौजूद थे. प्रियंका ने उन्हें सारी बात बताई और पति गौरव की गुमशुदगी दर्ज करने की गुहार लगाई. प्रियंका की बात सुनने के बाद इंसपेक्टर रत्नेश बोले, ‘‘डा. गौरव राजीव विहार (नौबस्ता) से गए हैं, लिहाजा रिपोर्ट थाना नौबस्ता में दर्ज होगी और काररवाई भी वहीं से होगी.’’

परेशान प्रियंका ने तब मुदित को थाने बुला लिया. फिर वह मुदित के साथ थाना नौबस्ता पहुंची. मगर वहां के इंसपेक्टर ने कहा कि डा. गौरव चकेरी गए थे, इसलिए वहीं रिपोर्ट दर्ज कराओ. 2 थानों के बीच चकरघिन्नी बनी प्रियंका मुदित के साथ एसीपी (चकेरी) अमरनाथ यादव के औफिस पहुंची और अपनी व्यथा बताई.

एसीपी के आदेश पर हुई सूचना दर्ज…

प्रियंका की व्यथा सुनने के बाद एसीपी (चकेरी) अमरनाथ यादव ने फोन पर चकेरी इंसपेक्टर रत्नेश सिंह से बात की और उन्हें तत्काल रिपोर्ट दर्ज कर काररवाई का आदेश दिया. आदेश पाते ही रत्नेश सिंह ने डा. गौरव की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कर ली. गुमशुदगी की सूचना दर्ज होने के बाद पुलिस सक्रिय हुई. सब से पहले एसएचओ ने मुदित और प्रियंका से अलगअलग पूछताछ की और उन के बयान दर्ज किए. दोनों के बयानों में भारी विरोधाभास था.

प्रियंका का कहना था कि डा. गौरव अपनी क्रेटा कार से शाम 6 बजे घर से निकले थे, जबकि मुदित का कहना था कि डा. गौरव उस के घर पर साढ़े 5 बजे आ गए थे. इस के अलावा भी कई ऐसी बातें थीं, जो मेल नहीं खा रही थीं. शक होने पर इंसपेक्टर रत्नेश सिंह ने प्रियंका और मुदित की फोन लोकेशन ट्रेस की तो 13 मार्च, 2023 की रात 10-11 बजे के बीच मुदित की लोकेशन रूमा के पास मिल रही थी, जबकि प्रियंका की उस के राजीव विहार स्थित घर की थी.

डा. गौरव के  फोन की लोकेशन पता की गई तो उस की लोकेशन भी रात 10-11 बजे के बीच रूमा की मिल रही थी. इस से जाहिर हो रहा था कि मुदित और डा. गौरव साथसाथ थे. मुदित ने प्रियंका को रात 9 बजे फोन कर बताया था कि डा. गौरव नशे में है, गाड़ी नहीं चला सकते, इसलिए उन्होंने उसे उन्नाव जाने वाली बस में बैठा दिया है. जबकि रात 10 बजे डा. गौरव के फोन की लोकेशन रूमा में थी. जाहिर था कि मुदित झूठ बोल रहा था.

एंकर इशिका मर्डर केस: प्यार पर ज़ोर नहीं

“इशिका आज मैं आ रहा हूं, तुम मुझ से मिलोगी न?’’ प्रेम भरी मनुहार के साथ रोहन पांडु ने कहा.

“भला क्यों, तुम्हें क्या काम है मुझ से…’’ इशिका शर्मा ने इठलाते हुए कहा.

“देखो, नाराजगी छोड़ दो. प्लीज इशिका प्लीज.’’ रोहन अब गिड़गिड़ाते हुए बोला.

“रोहन, मैं तुम से नहीं मिलना चाहती. तुम्हारा व्यवहार मुझे और मम्मीपापा को भी पसंद नहीं है.’’

“इशिका, भला मैं तुम्हारा कभी बुरा चाहता हूं क्या, मैं ने हमेशा ही तुम्हारा कहना माना है. मदद भी की है. यहां तक कि रिपोर्टिंग में भी मैं ने तुम्हारा हर पल साथ दिया है. इस के बावजूद भी क्या तुम मुझे ऐसे ही भुला दोगी?’’ रोहन पांडु ने स्वर में मानो मिश्री घोलते हुए कहा, ‘‘देखो, मैं तुम्हें हमेशा आगे भी मदद करूंगा. तुम जैसे चाहोगी, वैसा ही होगा. बस, एक बार मिल लो फिर सारे गिलेशिकवे दूर हो जाएंगे.’’

“अच्छा, आज नहीं बाद में. आज मम्मीपापा कोरबा गए हुए हैं फिर कभी आना.’’ इशिका ने कहा. यह खबर सुन कर रोहन पांडु खुशी से उछलते हुए बोला, ‘‘इशिका, ऐसा है तो मैं आता हूं. किसी बढिय़ा होटल में तुम्हें खाना भी खिलाऊंगा. बहुत दिन हो गए, हम लोगों ने साथ बैठ कर खाना नहीं खाया, मूवी नहीं देखी. मजा आ जाएगा पहले की तरह. ठीक है, मैं आ रहा हूं.’’ कह कर उस ने काल डिसकनेक्ट कर दी. इशिका शर्मा (21 वर्ष) से बात करने के बाद रोहन पांडु (22 वर्ष) बहुत खुश हुआ.

यह बात 12 फरवरी, 2023 की है. छत्तीसगढ़ का जिला जांजगीर चांपा एक ऐतिहासिक नगर है, जिसे कृषि प्रधान जिले के रूप में भी जाना जाता है. यहां मुख्यरूप से कृषि आधारित व्यवसाय हैं. इसी शहर के वार्ड नंबर 18 में पत्रकार गोपाल शर्मा पत्नी एवं 2 बच्चों इशिका शर्मा और आर्यन शर्मा के साथ रहते थे.

इशिका से बात करने के बाद उसी रात को लगभग 9 बजे बिलासपुर से अपनी गाड़ी पर रोहन पांडु अपने मित्र राजेंद्र सूर्या के साथ इशिका के घर आ पहुंचा. रोहन को देख कर के इशिका ने हंस कर उस का ऐसे स्वागत किया, मानो कोई मनमुटाव वाली बात ही नहीं थी.  राजेंद्र के साथ रोहन पहले भी कई बार वहां आ चुका था. इन की दोस्ती से इशिका के पिता गोपाल शर्मा भी वाकिफ थे.

इशिका पिछले 6 साल से एक एंकर के रूप में शहर में एक जानापहचाना नाम हो गई थी. गोपाल शर्मा को अपनी पत्रकार बिटिया पर गर्व था, जो यूट्यूब पर पत्रकार के रूप में जानापहचाना नाम बन चुकी थी. यूट्यूब पर चलने वाले उस के शो को हजारों लोग देखते थे. जब इशिका ने 6 साल पहले पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा तो इसी दरमियान रोहन पांडु से उस की मुलाकात हुई थी. वह उस के सहायक के रूप में काम करता था. पत्रकारिता में कमाया नाम रोहन मूलरूप से बिलासपुर जिले के मस्तूरी के गांव भदौरा का रहने वाला था और संपन्न परिवार से था. वह पत्रकारिता का शौक रखता था.

इशिका से मिलने के बाद धीरेधीरे वह उस की ओर आकर्षित होता चला गया. इशिका भी अल्हड़ उम्र में उस की तरफ आकर्षित होती चली गई. इसी बीच इशिका शर्मा पत्रकारिता के क्षेत्र में एक बड़ा नाम बन गई. वह पत्रकारिता करिअर के साथसाथ अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान दे रही थी. वह एलएलबी की पढ़ाई कर रही थी. साथ ही उस ने राजधानी रायपुर स्थित कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय में दाखिला भी ले लिया था. वह यहां से इलैक्ट्रौनिक मीडिया से एमएससी कर रही थी.

रोहन पांडु अपने मित्र राजेंद्र सूर्या के साथ इशिका शर्मा के घर पर बैठा बातें कर रहा था. रोहन लगभग 2 महीने बाद उस से मिलने के लिए आया था. रोहन ने औपचारिक बातों के बीच पूछा, ‘‘अंकल और आंटी कोरबा कैसे गए हैं?’’ इसी समय इशिका के फोन पर किसी की काल आई. काल रिसीव करने के बाद वह रोहन को अनदेखा कर फोन पर हंसहंस कर बातें करने लगी. काफी देर तक इशिका मोबाइल पर बात करने में व्यस्त रही.

रोहन पांडु यह देख कर पहलू बदलने लगा. उसे समझते देर नहीं लगी कि इशिका किसी दूसरे लडक़े से मोबाइल पर बात कर रही है. वह बातें भी कर रही थी और हंसते हुए रोहन की ओर देख भी रही थी. यह देख कर के रोहन को बहुत गुस्सा आ रहा था. जब फोन पर बातचीत बंद हुई तो रोहन ने कड़े शब्दों में कहा, ‘‘तुम नहीं सुधरोगी, मैं ने लाख समझाया. मुझे तो यही लगता है कि शायद मैं ही तुम्हें समझ नहीं पाया.’’

रोहन की बात का जवाब देते हुए इशिका ने कहा, ‘‘तुम मुझ पर बंधन लगा रहे हो, यह अच्छी बात नहीं है.’’

“जब तुम मेरी हो और मैं तुम्हारा तो फिर बंधन तो बन ही गया.’’

“रोहन, मैं अगर तुम से शादी नहीं करना चाहूं तो..?’’

“यह तो तुम्हारी मरजी है. मैं तो अपने दिल की बात बहुत पहले तुम्हें बता चुका हूं और इसीलिए तुम पर अधिकार रखता हूं.’’

“देखो रोहन, अभी तो जिन्होंने मुझे पैदा किया है न, उन की भी बहुत सी बातों को मैं नहीं मानती हूं. रही बात तुम्हारी तो तुम और हम सिर्फ दोस्त हैं, इस से आगे और कुछ नहीं.’’

“तुम कभी कुछ कहती हो और कभी कुछ, तुम्हें समझना मेरे वश की बात नहीं है. मगर मैं यह कैसे बरदाश्त करूं कि मेरे सामने ही तुम किसी दूसरे लडक़े से बात कर रही हो.’’

“रोहन, जैसे तुम मेरे दोस्त हो, वैसे कई लडक़े मेरे दोस्त हैं और तुम इन सब बातों को दिल पर मत लो.’’ इशिका ने बड़े सख्त लहजे में साफसाफ कहा फिर उसे जाने क्या लगा कि वह चेहरे पर मुसकान बिखेरती हुई बोली, ‘‘चलो ठीक है, अब आगे क्या करना है, बताओ…’’.  रोहन ने राजेंद्र की ओर देखते हुए हाथों को नीचे झटकते हुए कहा, ‘‘चलो ठीक है, अब होटल चलते हैं, वहीं खाना खाएंगे.’’ इस के बाद वे दोनों घर से होटल के लिए निकल गए.

सोमवार, 13 फरवरी 2023 को सुबह लगभग 10 बजे गोपाल शर्मा ने बेटे आर्यन को फोन लगाया. जब उस ने कई बार काल करने के बाद भी फोन रिसीव नहीं किया तो इशिका को फोन किया. मगर उस ने भी काल रिसीव नहीं की. कई दफा काल लगाने के बाद भी जब दोनों ने काल रिसीव नहीं की तो गोपाल शर्मा और उन की पत्नी जानकी शर्मा चिंतित हो गए. दोपहर लगभग 11 बजे कालोनी के गार्ड रघु को गोपाल शर्मा ने फोन कर कहा, ‘‘रघु, मैं कल से कोरबा आया हुआ हूं. इशिका और आर्यन दोनों को मैं ने कई बार फोन किया, लेकिन वे फोन रिसीव नहीं कर रहे हैं. हमें बड़ी चिंता हो गई है. जरा घर जा कर दोनों में से किसी से बात तो कराओ. आज संडे है, हो सकता है दोनों सोए हुए हों.’’

गोपाल शर्मा के कहने पर कालोनी का गार्ड रघु यादव गोपाल शर्मा के घर पर पहुंचा. भीतर झांकने लगा तो देखा दरवाजा खुला हुआ था. वह भीतर चला गया. तभी देखा कि इशिका मृत पड़ी हुई थी. यह देख कर रघु घबरा गया और शोर मच कर पड़ोसियों को बुला लिया. लोगों ने देखा एक कमरे में आर्यन सोया हुआ था. उसे जगाया गया तो वह उठ बैठा. स्थिति समझते में उसे थोड़ी देर लगी फिर बहन को मृत पड़ा देख कर रोने लगा. उसे समझ नहीं आया कि इशिका को किस ने मार दिया.  इसी बीच किसी ने पुलिस को खबर दे दी. थोड़ी ही देर में पुलिस वहां पहुंच गई.

पत्रकार की बेटी थी इशिका..

इशिका के पिता गोपाल शर्मा नगर के प्रतिष्ठित पत्रकार थे, अत: लोगों की भीड़ भी घटनास्थल पर जुटती चली गई. गोपाल शर्मा को रघु यादव ने सारी जानकारी मोबाइल पर दी तो वह घबरा गए और बोले कि मैं पत्नी के साथ तुरंत निकल रहा हूं. पुलिस वहां पहुंच चुकी थी. एसपी विजय अग्रवाल से भी इशिका अकसर मिलती रहती थी, इसलिए जब उन्होंने उस की हत्या की बात सुनी तो वह भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

तत्काल पुलिस ने डौग स्क्वायड बुलवाई ताकि हत्यारे तक पहुंचा जा सके. मगर खोजी कुत्ता पास ही मोहल्ले में जा कर वापिस आ गया. पुलिस के सामने अब एक अंधी हत्या का मामला था. विजय अग्रवाल ने कोतवाल लखन केवट को निर्देश दिया कि मामला गंभीर है, जांच में तेजी लाई जाए. पुलिस ने इशिका के भाई आर्यन से पूछताछ की तो उस ने बताया कि कल रात को रोहन पांडु और राजेंद्र सूर्या जब घर आए तो कुछ समय बाद रोहन ने दीदी से कहा, ‘‘चलो होटल में डिनर करते हैं.’’ इस पर इशिका ने कहा, ‘‘मैं खाना नहीं खाऊंगी.’’ रोहन के कहने पर बाद में तय हुआ कि रोहन पांडु और राजेंद्र सूर्या जा कर होटल से खाना ले कर आएंगे और घर पर ही खाना खा लिया जाएगा. दोनों चले गए. रात को सभी लोगों ने खाना खाया और फिर उसे पता नहीं क्या हुआ.

अब पुलिस के समक्ष सारी कहानी स्पष्ट थी. नगर कोतवाल और जांच अधिकारी लखन केवट को यह समझते देर नहीं लगी कि रोहन पांडु ने ही खाने में नींद की गोलियां मिला दी होंगी, जिस के कारण आर्यन को नींद आ गई और उन दोनों लोगों ने इस के बाद इशिका की हत्या कर दी. इशिका की डैडबौडी को देख कर पुलिस पहली नजर में ही समझ गई थी कि उस की गला घोट कर हत्या की गई है.

पुलिस कप्तान विजय अग्रवाल इस लोमहर्षक हत्याकांड को ले कर बेहद संजीदा थे. उन्होंने इस के लिए आरोपियों को धर दबोचने के लिए एसपी चंद्रशेखर परमार के निर्देशन में 3 पुलिस टीमें गठित कर दीं. टीमों में इंसपेक्टर मनीष परिहार, लोकेश केवट एसआई कामिक हक, सुरेश धु्रव के अलावा गोपाल सतपति, दिलीप सिंह, मुकेश पांडेय, बलवीर सिंह, राजकुमार चंद्रा, जितेंद्र सिंह परिहार, मनीष राजपूत, वीरेंद्र टंडन, विवेक सिंह आदि को शामिल किया गया. एसपी ने 24 घंटे के अंदर आरोपियों को गिरफ्तार करने के निर्देश दिए.

पुलिस को आर्यन शर्मा के बयान के आधार पर राहुल पांडु पर शक था, क्योंकि वही राजेंद्र सूर्या के साथ वारदात वाले दिन घर पर आया था. पुलिस ने निकटवर्ती जिले की पुलिस के सहयोग से आखिर मुख्य आरोपी राहुल पांडु को मुंगेली मार्ग से गिरफ्तार कर लिया. जांजगीर मुख्यालय ला कर जब उस से पूछताछ शुरू की तो उस ने न सिर्फ इशिका की हत्या की बात स्वीकारी बल्कि वारदात में अपने दोस्त राजेंद्र सूर्या के शामिल होने का खुलासा कर दिया. पुलिस ने रोहन की निशानदेही पर दूसरे आरोपी राजेंद्र सूर्या (22 वर्ष) को भी भदौरा जिला बिलासपुर से गिरफ्तार कर लिया.

रोहन ने बताया कि वह गिरफ्तारी के डर से रायगढ़ शहर चला गया था, जहां वह अपने दोस्तों से मिला और अपने लंबे बाल कटवा दिए, ताकि उस की पहचान न हो सके. इस के बाद वह शिवरीनारायण और शिवरीनारायण से कवर्धा पहुंचा. यहां अपने दोस्तों से मिल कर वह फिर कवर्धा से मुंगेली जा रहा था, तभी पुलिस ने रास्ते में उसे धर लिया. दोनों आरोपियों को घटनास्थल पर ले जा कर पुलिस ने पूछताछ की और सारे सबूत इकट्ïठा किए. आरोपी रोहन पांडु और राजेंद्र सूर्या दोनों भदौरा थाना क्षेत्र मस्तूरी जिला बिलासपुर के निवासी हैं.

आर्यन को दी थी नींद की गोलियां..

हिरासत में ले कर पूछताछ करने पर इशिका शर्मा हत्याकांड के आरोपी राहुल पांडु और राजेंद्र सूर्या ने पुलिस के सामने सारी कहानी उगल दी. रोहन पांडु ने बताया कि 12 फरवरी, 2023 की रात जब वह राजेंद्र सूर्या के साथ होटल ड्रीम पौइंट से खाना पैक करवा कर निकला तो पहले नहर किनारे जा कर दोनों ने शराब पी और वहीं तय किया कि इशिका के अब पर निकल आए हैं, जिस से वह उड़ रही है, इसलिए उस की हत्या कर दी जाए.

दोनों जब घर पहुंचे तो इशिका को फोन पर बात करते देख कर मानो रोहन पांडु के तनबदन में आग लग गई. बातचीत खत्म हुई तो होटल से लाया खाना खाने के लिए बैठ गए. इशिका के साथ आर्यन और राजेंद्र सूर्या खाना खा रहे थे. आर्यन के खाने में रोहन ने पहले ही मैडिकल स्टोर से लाई नींद की गोलियां मिला दी थीं. खाना खाने के बाद जब वह ऊंघने लगा तो राजेंद्र सूर्या ने उसे सहारा दे कर के उस के कमरे में सुला दिया.

थोड़ी ही देर में इशिका और रोहन में फिर बहस शुरू हो गई. रोहन ने तड़प कर कहा, ‘‘इशिका, आज तुम फैसला कर लो कि तुम सिर्फ मेरी हो.’’ इस पर नाराज हो कर इशिका बोली, ‘‘यार तुम्हारा दिमाग खराब है. मैं पढ़ाई कर रही हूं, मुझे कुछ बनना है. मेरे कुछ सपने हैं, तुम्हें इंतजार करना होगा. कर सकते हो तो करो, नहीं तो तुम्हारा हमारा रास्ता अलगअलग है. यह बात तुम अच्छी तरह समझ लो.’’ रोहन ने गुस्से में कहा, ‘‘मुझे तुम्हारे रंग सही नहीं लग रहे हैं. तुम तो पढ़लिख कर के मुझे भूल जाओगी. तुम तो अभी से जाने कितने लडक़ों के फेरे में हो. मेरा क्या होगा?’’

“मेरे कुछ सपने हैं जो मैं ने तुम्हें बता दिए हैं. अगर तुम इंतजार कर सकते हो तो करो और सुन लो मुझे किस से बात करनी है और नहीं करनी है, यह मुझे मत बताया करो.’’…और कर दिया काम तमाम.

इतना सुनना था कि रोहन का पारा चढ़ गया. वह समझ गया कि इशिका जिसे वह जान से ज्यादा प्यार करता है, उस के हाथों से निकलती चली जा रही है. अब उसे कुछ करना ही होगा. यह सोच कर वह गुस्से से आगे बढ़ा और इशिका को कई थप्पड़ जड़ दिए. जब उस ने विरोध किया तो उस का गला पकड़ लिया. वह तड़पने लगी. अपने आप को छुड़ाने लगी तो राजेंद्र सूर्या ने भी उसे पैरों से पकड़ लिया और दोनों ने मिल कर उस का गला दबा कर उस की हत्या कर दी.

हत्या के बाद घर पर रखे हुए सोने के सिक्के, अंगूठी, अन्य ज्वैलरी के अलावा इशिका की स्कूटी ले कर के वहां से निकल गए. ताकि पुलिस को यह लगे कि किसी ने चोरी करने की नीयत से घर में प्रवेश किया और हत्या कर दी. पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ के बाद उन की निशानदेही पर 3 मोबाइल फोन, सोने की अंगूठी, चांदी का सिक्का, सोने का लौकेट, सोने का ब्रेसलेट, एक स्मार्ट वाच, चांदी की मूर्ति, ब्रेसलेट, कान की फुल्ली और स्कूटी नंबर सीजी11एवाई6292 भी बरामद कर ली.

पुलिस ने दोनों आरोपियों रोहन पांडु और राजेंद्र सूर्या को गिरफ्तार कर भारतीय दंड विधान की धारा 302, 397 के तहत मामला दर्ज कर दोनों को 14 फरवरी, 2023 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, जांजगीर के समक्ष पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

(अपराध कथा पुलिस सूत्रों से बातचीत पर आधारित है)

फुटबॉल खिलाड़ी शालिनी की अधूरी प्रेम कहानी – भाग 3

रवि पुलिस को बतातेबताते अतीत के झरोखे में चला गया…

उस ने बताया कि अभी हफ्ता भर पहले की ही बात है. उस ने मुझे फोन कर के कहा कि वह मुझ से वैलेंटाइंस डे पर मिलने प्रयागराज आ रही है.

मैं ने उस से चहकते हुए पूछा, ‘‘सच बताओ रोली (शालिनी को रवि प्यार से रोली कहता था), मजाक मत करो. क्या सच में तुम मुझ से मिलने वैलेंटाइंस डे पर प्रयागराज आओगी? इतने दिनों बाद तुम ने फोन किया है, मुझे यकीन ही नहीं हो रहा है कि मेरी तुम से बात हो रही है.’’

‘‘अरे बुद्धू, मैं तुम्हारी रोली ही हूं और तुम्हीं से बात कर रही हूं. तुम किसी भूत या चुड़ैल से बात नहीं कर रहे हो. यकीन नहीं आ रहा तो अपने कान में कस कर चिकोटी काट कर देखो पता चल जाएगा.’’ इतना कह कर  शालिनी बात करतेकरते हंसने लगी.

‘‘हांहां, चलो, यकीन हो गया. अच्छा, अब यह बताओ कि गुड़गांव से तुम आ कब रही हो?’’ रवि ने उत्सुकता से पूछा.

‘‘सुनो, मैं 14 फरवरी को प्रयागराज पहुंच जाऊंगी. उस दिन हम दोनों खूब मौजमस्ती और सैरसपाटा करेंगे. उस के बाद मैं वापस दिल्ली चली जाऊंगी.’’ शालिनी ने कहा.

‘‘क्यों, क्या तुम अपने घर नहीं जाओगी?’’

‘‘अरे नहीं बाबा. और यह बात तुम मेरे घर पर पापा या दीदी किसी से भी नहीं बताना क्योंकि मैं ने पापा से पहले ही कह रखा है कि मैं होली पर घर आऊंगी. मुझे इधर छुट्टी नहीं मिल रही है. समझे?’’ शालिनी ने बताया.

‘‘हां, समझा. ठीक है, मुझे तुम्हारे आने का बेसब्री से इंतजार है.’’ रवि बोला.

इस के बाद हम दोनों के बीच काफी देर तक बातें होती रहीं. अंतत: वह घड़ी भी आ गई जब 14 फरवरी की शाम शालिनी प्रयागराज जंक्शन के प्लेटफार्म पर उतरी. उस के आने से पहले ही रवि ने 10 हजार रुपए का मोबाइल बतौर सरप्राइज गिफ्ट खरीद रखा था. वह शालिनी को वैलेंटाइंस डे पर मोबाइल उपहार में देना चाहता था ताकि उस की प्रेमिका का प्यार और ज्यादा बढ़े.

14 फरवरी को तय समय पर शालिनी का प्रेमी रवि ठाकुर स्टेशन पहुंचा. उसे बाइक पर बिठाया और सीधे रेलवे स्टाफ की लोको कालोनी स्थित अपने आवास पर ले आया.

यहां गौरतलब है कि शालिनी धुरिया को 13 फरवरी को ही प्रयागराज आना था लेकिन ट्रेन मिस हो जाने के कारण वह 14 फरवरी को वहां पहुंची थी.

क्या शालिनी के और भी बौयफ्रैंड थे?

बहरहाल, जब रवि उसे ले कर अपने कमरे पर पहुंचा तो उस समय उस के घर वाले टीवी देख रहे थे. शालिनी फ्रैश होने चली गई. जब वह फ्रैश हो रही थी तो रवि ने शक के आधार पर उस का मोबाइल चैक किया. उसे शक था कि उस की प्रेमिका दिल्ली जा कर बदल गई है. उस के कई लोगों के साथ संबंध बन गए होंगे. मोबाइल की गैलरी में फोटो में शालिनी कई लड़कों के साथ स्टाइल में दिखी. फिर क्या था रवि को उस पर गहरा शक हो गया.

शालिनी जब बाथरूम से निकली तो रवि ने उस से पूछा, ‘‘रोली, तू दिल्ली जा कर बहुत बदल गई है. बेवफा है तू. अब तू पहले वाली रोली नहीं रही.’’

‘‘जुबान संभाल कर बात करो रवि, अगर मैं तुम से सच्चा प्यार न करती तो इतनी दूर तुम से मिलने नहीं आती. अपनी औकात में रह कर बात करो. क्या सबूत है तुम्हारे पास जो मुझ पर इतना बड़ा इलजाम लगा रहे हो.’’

‘‘अरे छिनाल, शरम कर जरा. सबूत है तेरा ये मोबाइल. इस में तेरे यारों के साथ खिंचवाई गई फोटो.’’ रवि गुस्से में बोला.

‘‘क्या कहा, छिनाल? तेरी हिम्मत कैसे हुई, यह कहने की?’’

‘‘एक बार नहीं सौ बार कहूंगा मादर…कहीं कहीं.’’ रवि ने उसे गाली दी.

अब शालिनी से सहा नहीं गया. उस ने एक जोरदार थप्पड़ रवि के गाल पर जड़ दिया. रवि तिलमिला उठा. गुस्से में गाली देते हुए बोला, ‘‘तेरी मां की… साली, तेरी इतनी हिम्मत कि मुझे थप्पड़ मारा…’’

शालिनी भी आपे से बाहर थी, ‘‘और नहीं तो क्या तेरी पूजा करूं. तूने मुझे समझ क्या रखा है अपनी रखैल? साले, अपने भाई के टुकड़ों पर पलने वाला मुझ पर इलजाम लगाता है. मैं इतनी बड़ी कंपनी में काम कर रही हूं. मेरा सभी के साथ उठनाबैठना, खानापीना, घूमनाफिरना है तो सब क्या मेरे यार हो गए. मैं पागल हूं जो इतनी दूर तुझ से मिलने यहां आई.’’

‘‘पता नहीं किसकिस को बयाना दे रखा होगा तूने. कौन जाने क्या खेल खेल रही है मेरे साथ फुटबाल की तरह.’’

रवि का इतना कहना था कि शालिनी ने फिर उसे झन्नाटेदार तमाचा जड़ दिया. फिर क्या था दोनों के बीच ठेठ इलाहाबादी बोली में गालीगलौज और मारपीट होने लगी.

‘‘मादर…बहुत हाथ उठने लगे हैं तेरे. तू ऐसे नहीं मानेगी…’’ कह कर रवि ने जोर से शालिनी की गरदन पकड़ ली. शालिनी गरदन छुड़ाने के लिए तड़पने लगी लेकिन अब रवि के ऊपर शैतान सवार हो चुका था. थोड़ी देर में शालिनी के प्राणपखेरू उड़ चुके थे. गला घोटे जाने से उस की जीभ और आंखें दोनों बाहर आ गई थीं.

रवि ठाकुर को जब होश आया तब तक काफी देर हो चुकी थी. अब उसे लाश ठिकाने लगानी थी. उस ने अकेले ही शालिनी के शव को बोरे में भरा. सूजे और सुतली से बोरे का मुंह सिला और अकेले ही रात के 9 बजे उस की डेडबौडी बाइक पर रख कर पोलो ग्राउंड वाले पुराने कुएं में फेंक आया.

सब कुछ अकेले ही कर डाला उस ने और किसी को पता तक नहीं चला? सेना की गश्ती गाड़ी, क्यूआरटी और हाईकोर्ट पर हमेशा चैकिंग में लगे रहने वाले पुलिस के जवान सभी नदारद रहे उस समय? न शालिनी की लड़ाईझगड़े के दौरान किसी ने चीखें सुनीं? जबकि पीछे वाले कमरे में रवि के घर वाले मौजूद थे. उन्हें भी इस की जरा भी भनक नहीं लगी? सवाल बहुत हैं मगर कोई फायदा नहीं.

इंसपेक्टर वीरेंद्र कुमार यादव ने रवि की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त मोबाइल और आलाकत्ल बरामद कर न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

फुटबॉल खिलाड़ी शालिनी की अधूरी प्रेम कहानी – भाग 2

शालिनी ने एलडीसी कालेज से मार्केटिंग का कोर्स किया हुआ था. एक अच्छी फुटबाल खिलाड़ी होने के साथसाथ उसे मार्केटिंग का भी अच्छा अनुभव था. इसलिए उस की नौकरी लगने में कोई परेशानी नहीं हुई. दिल्ली में शालिनी किराए का कमरा ले कर रहती थी.

फरवरी में उस की मकान मालकिन ने हमारे घर फोन कर जब पूछा कि शालिनी प्रयागराज पहुंची कि नहीं तो हम सन्न रह गए. क्योंकि मकान मालकिन ने बताया कि शालिनी 13 फरवरी, 2022 को ही प्रयागराज के लिए रवाना हो गई थी.

पिता ने लिखाई बौयफ्रैंड के खिलाफ रिपोर्ट

जब हम लोगों ने यह सुना तो आश्चर्यचकित रह गए क्योंकि शालिनी ने कुछ ही दिनों पहले फोन कर के हमें बताया था कि वह अभी नहीं आ पाएगी. अभी उसे छुट्टी नहीं मिल रही है. होली के अवसर पर वह प्रयागराज आएगी. मकान मालकिन के अनुसार उसे अब तक दिल्ली वापस आ जाना चाहिए था. तभी से हम लोग परेशान थे.

इस के बाद उस के मोबाइल पर कई बार काल की, लेकिन हर बार उस का मोबाइल स्विच्ड औफ मिला. जब शालिनी की मकान मालकिन ने हमें बताया कि वह कह कर निकली थी कि प्रयागराज अपने घर जा रही है और 2-4 दिन में वापस आ जाएगी. तभी किसी अनहोनी की आशंका के मद्देनजर बिना पुलिस को सूचना दिए उस की खोजबीन कर रहे थे.

उस की तलाश में शालिनी का प्रेमी रवि भी साथसाथ रातदिन उन के साथ एक किए हुए था. शालिनी का मोबाइल भी स्विच्ड औफ था, जिस से हमारी परेशानी और भी बढ़ गई थी. पूरा परिवार उस की चिंता कर रहा था और जब वह हमें मिली भी तो लाश के रूप में. इतना कह कर राजेंद्र प्रसाद रोने लगे. राजेंद्र प्रसाद से रवि के खिलाफ तहरीर ले कर पुलिस ने जांचपड़ताल शुरू कर दी.

आगे की काररवाई के लिए सिविल लाइंस थाना पुलिस को कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि शालिनी का प्रेमी जोकि रेलवे स्टाफ क्वार्टर की लोको कालोनी में अपने बड़े भाई के साथ रहता था. उस समय वह थाने में ही मौजूद था. शालिनी के परिवार के साथ उस की खोजबीन का नाटक वह शुरू से ही कर रहा था.

रवि ठाकुर को फौरन पुलिस ने अपनी कस्टडी में ले लिया और पूछताछ शुरू कर दी. शुरुआत में उस ने पुलिस को काफी बहकाने और भटकाने की कोशिश की लेकिन जब पुलिस ने सख्ती की तो उस ने शालिनी धुरिया की हत्या कर के लाश को बोरे में भर कर कुएं में फेंकने से ले कर सभी जुर्म स्वीकार कर लिए.

वैलेंटाइंस डे पर मिलने इतनी दूर से आई शालिनी की हत्या की जो कहानी सामने उभर कर आई, वह इस प्रकार निकली—

शालिनी धुरिया उर्फ रोली और उस का प्रेमी रवि ठाकुर दोनों ही फुटबाल के अच्छे खिलाड़ी थे. शालिनी के कोच अनिल सोनकर ने ‘मनोहर कहानियां’ को बताया कि शालिनी जब महज 6-7 साल की थी, तभी से उस का रुझान फुटबाल की तरफ था. सदर बाजार फुटबाल ग्राउंड में वह फुटबाल की प्रैक्टिस करती थी.

शालिनी एक अच्छी फुटबाल खिलाड़ी थी. गजब का स्टैमिना था उस के अंदर.  बहुत ही प्रतिभाशाली खिलाड़ी थी वह. तपती दोपहर में भी वह बड़ी ही मेहनत, लगन और ईमानदारी के साथ इतने बड़े फुटबाल मैदान में अकेले दम पर बाउंड्री पर चूने का छिड़काव करती थी.

अपनी मेहनत और लगन से शालिनी धुरिया ने महिला फुटबाल खिलाड़ी के रूप में बेहतरीन खिलाड़ी की छवि बना ली थी. अपनी बेहतरीन परफार्मेंस के चलते स्टेट व नैशनल लेवल पर शालिनी ने सिर्फ उत्तर प्रदेश के जिलों में, बल्कि गोवा, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, समेत विभिन्न राज्यों व जिलों में प्रयागराज जिले का तो नाम रोशन किया ही, साथ ही सदर बाजार फुटबाल एकेडमी का भी परचम फहराया था.

शालिनी ने खेल के साथसाथ अपनी पढ़ाईलिखाई भी जारी रखी थी और गंगापार इलाके से बीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद पर्ल्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, गुरुग्राम में नवंबर 2021 से जौब करने लगी थी. खेल के दौरान ही शालिनी को रवि ठाकुर नाम के फुटबाल खिलाड़ी से प्यार हो गया था. रवि मूलरूप से बिहार के जिला जहानाबाद के गांव मकदूमपुर का रहने वाला था.

उस के पिता दिनेश सिंह रेलवे में नौकरी करते थे. उन की पोस्टिंग प्रयागराज में ही थी, इसलिए सिविल लाइंस की रेलवे कालोनी में उन्हें क्वार्टर मिला हुआ था. उन्होंने करीब 5-6 साल पहले वीआरएस ले लिया और अपनी जगह अपने बड़े बेटे दिनेश ठाकुर को नौकरी पर लगवा दिया था.

रवि इलाहाबाद स्पोर्टिंग फुटबाल एकेडमी का होनहार खिलाड़ी था. वह स्कूल नैशनल से अंडर 17  के तहत सीनियर स्टेट चैंपियनशिप खिलाड़ी भी रहा है. खेल के साथ वह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से बीए सेकेंड ईयर की पढ़ाई भी कर रहा था.

शालिनी और रवि की प्रेम कहानी की शुरुआत लगभग 7-8 साल पहले खेल के दौरान मैदान में हुई थी. दोनों ही फुटबाल के अच्छे खिलाड़ी थे, इसलिए प्रेम परवान चढ़ने में समय नहीं लगा. दोनों के पास एकदूसरे से मिलने का भरपूर समय था. खेल के बहाने रोज मुलाकात स्वाभाविक थी.

इन की प्रेम कहानी के बारे में दोनों के ही परिजन भलीभांति परिचित थे. शालिनी तो रवि के प्यार में ऐसी दीवानी हो गई थी कि उस ने अपने हाथ पर प्रेमी रवि का नाम तक गुदवा लिया था. इस तरह इन का प्यार परवान चढ़ता गया.

लेकिन एक दिन रवि की थोड़ी सी गलतफहमी ने सब कुछ उजाड़ दिया. जब रवि को हिरासत में लिया तो पूछताछ करने पर रवि ने पुलिस को बताया, ‘‘हां सर, मैं ने उस चुड़ैल का गला दबा कर हत्या की है. वह थी ही इसी लायक. मेरी सच्ची मोहब्बत का उस ने गलत फायदा उठाया था बेवफा कहीं की. मोहब्बत तो बेपनाह मैं उस से करता था और उस के मर जाने के बाद भी करता हूं.

‘‘लेकिन क्या करूं उस के बिगड़ैल रवैए और हाईप्रोफाइल लाइफस्टाइल की चाह ने मुझे उस की हत्या करने पर मजबूर कर दिया. हालांकि मैं ऐसा नहीं करना चाहता था लेकिन उस के थप्पड़ से मैं इतना आहत हो गया था कि बरदाश्त नहीं कर पाया. रोक नहीं सका खुद को और…’’

कनाडा से बुला कर शादी, फिर हत्या – भाग 2

दूसरी तरफ सुनील मोनिका की खुबसूरती, स्वभाव, आचरण और व्यवहारिकता पर मर मिटा था. वह गांव की हो कर भी शहरी वातावरण में आसानी से फिट हो जाती थी. धाराप्रवाह अंगरेजी बोलना सीख गई थी. कंप्यूटर, इंटरनेट सर्फिंग, सोशल साइटों से संबंधित बारीकियां और दूसरी टेक्निकल जानकारियां भी हासिल कर चुकी थी. मोनिका अगर अपने करिअर के प्रति महत्त्वाकांक्षी बनी हुई थी तो सुनील उसे लाइफ पार्टनर बनाने का मन बना चुका था. दोनों का प्रेम प्रसंग बढ़ता जा रहा था.

पढ़ाई के लिए कनाडा पहुंची मोनिका

समय अपनी गति से चल रहा था तो वहीं मोनिका भी अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रही थी. उस ने बीए की पढ़ाई पूरी करने के अलावा आइलेट्स की परीक्षा भी पास कर ली. उसे 2 सफलताएं एक साथ मिल गई थीं, जिस से उस के विदेश जाने की राह और आसान हो गई थी.

हालांकि इस के लिए उस के मौसेरे भाई विकास ने भी तैयारी की थी, लेकिन वह आइलेट्स की परीक्षा पास नहीं कर पाया था, जिस से उसे कनाडा का वीजा नहीं मिल पाया. फिर भी उसे खुशी इस बात की थी कि बहन मोनिका को स्टूडेंट वीजा मिल गया था. उसे वहां बिजनैस मैनेजमेंट यानी एमबीए की पढ़ाई करनी थी.

उन की इस खुशी में सुनील भी शामिल था, लेकिन उस के मन में एक टीस भी थी कि मोनिका कनाडा चली जाएगी और जब उसे उस की याद सताएगी तब क्या करेगा? वह एक तरह से उस की गैरमौजूदगी में अपनी तन्हाई को ले कर चिंतित हो गया था. उस ने भारी मन से 5 जनवरी, 2022 को दिल्ली के अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट से मोनिका को कनाडा के लिए विदा कर दिया था.

मोनिका के परिवार वालों के लिए संतोष और बेहद खुशी की बात थी कि कनाडा में उस की पढ़ाई का सारा इंतजाम हो गया था. उस के सुनहरे भविष्य को ले कर उस का भाई विकास समेत मौसामौसी और मम्मीपापा सभी खुश थे. इसे वे गर्व की बात समझते थे और परिचितों को बताने से नहीं चूकते थे. इस से उन की सामाजिक मानमर्यादा बढ़ गई थी. गांव के लोगों के बीच उन की प्रतिष्ठा भी बढ़ गई थी.

अगर कोई उदास था तो वह था सुनील. मोनिका के जाने के बाद वह उस के प्रेम की रूमानियत और रोमांस में खोया रहने लगा था. मोनिका की यादें उसे सताती रहती थीं. वैसे वह उस से फोन पर बातें कर लिया करता था, लेकिन वहां मोनिका पढ़ाई की व्यस्तता और रातदिन में समय के फर्क के कारण ज्यादा समय तक बात नहीं कर पाती थी. जबकि सुनील चाहता था कि वह उस से लंबी बातें करे. अपने दिल की बात उसे सुनाए. उस की यादों में खोए हुए अपने गम के हाल बताए.

कुछ ऐसा ही मोनिका के घर वालों के साथ भी था, लेकिन वे उस की पढ़ाई और व्यस्तता को समझते हुए कुछ सेकेंड के लिए ही सही, हर रोज हालसमाचार ले लिया करते थे. समय बीतता रहा और मोनिका से फोन पर संपर्क होने का समय भी बढ़ता चला गया. घर वालों की उस से 2-3 दिन में बातें होने लगीं. धीरेधीरे कर हफ्ते में और फिर 2 हफ्ते में बात होने लगी.

एक समय ऐसा भी आया, जब मोनिका की घर वालों से 2-2 हफ्ते तक बात नहीं हो पाई. यह सिलसिला हफ्ते से महीने में बदल गया. लेकिन जून, 2022 के बाद घर के किसी भी सदस्य से मोनिका की बात नहीं हो पाई. जबकि इस से पहले परिवार में किसी न किसी सदस्य से मोनिका की थोड़ी ही सही, मगर हालचाल, पढ़ाई या जरूरतें आदि की बात हो जाती थी. इस तरह से उस की कुशलता की खबर पूरे परिवार को मिल जाती थी.

अचानक बंद हो गया मोनिका से संपर्क

जून, 2022 के बाद जब मोनिका की कोई काल नहीं आई और उस के घर वालों द्वारा काल किए जाने पर भी उस से बात नहीं हो पाई, तब वे चिंतित हो गए. वे समझ नहीं पा रहे थे कि अचानक क्या हो गया, जो कनाडा गई मोनिका से भारत में किसी से बात नहीं हो पा रही है. न तो फोन काल और न ही वाट्सऐप मैसेज. उस से संपर्क एकदम से खत्म गया था.

इस तरह 5 महीने निकल गए थे और मोनिका का भारत में किसी से संपर्क नहीं हो पा रहा था. आखिरकार, उस के घर वालों ने गन्नौर थाने में 26 अक्तूबर, 2022 को मोनिका के अपहरण की शिकायत दर्ज करवा दी. पुलिस द्वारा अपहरण के लिए किसी पर संदेह की बात पूछे जाने पर घर वालों ने सुनील का नाम ले लिया था, जिस से कुछ महीने में अच्छी दोस्ती हो चुकी थी.

मोनिका के घर वाले 2 दिनों तक गन्नौर पुलिस की काररवाई से संतुष्ट नहीं हुए. वे 28 अक्तूबर, 2022 को एसपी से मिले. फिर भी उन्हें मोनिका के बारे में कोई सूचना नहीं मिल पाई. दूसरी तरफ मोनिका के अपहरण में सुनील का नाम आने से वह नाराज हो गया था. गुस्से में उस ने मोनिका के मौसामौसी के गुमड़ी गांव स्थित घर पर 2 नवंबर, 2022 को काफी हंगामा किया. यहां तक कि उस के आदमियों ने परिवार के सदस्यों पर हमले भी किए. यह सब सीसीटीवी कैमरे में रिकौर्ड हो चुका था.

काफी प्रयास के बाद 16 नवंबर, 2022 को सुनील के खिलाफ मोनिका के अपहरण का केस दर्ज हो पाया. फिर भी उस के खिलाफ पुलिस ने कोई सख्त काररवाई नहीं की, गिरफ्तारी तो दूर की बात थी. आखिरकार मोनिका के परिजनों ने हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज से मिल कर न्याय की गुहार लगाई.

इस का असर यह हुआ कि मोनिका के गायब होने की जांच रोहतक रेंज के आईजी को सौंप दी गई. उन्होंने तुरंत मामले की गंभीरता को देखते हुए मोनिका की तलाशी के लिए सीआईए-2 की टीम को इस मामले की जांच के निर्देश दिए.

घर वालों ने सुनील पर जताया शक

मोनिका की तलाशी के सिलसिले में पुलिस के लिए एकमात्र संदिग्ध सुनील ही था. उस के घर वालों के अलावा गांव के कुछ लोगों ने बताया की मोनिका को अकसर सुनील के साथ देखा गया था. वह उस की गाड़ी से ही कालेज या कोचिंग के लिए दिल्ली जाती थी. वापस भी उसी के साथ आती थी. गांव वालों की निगाह में सुनील उस के साथ बहन का रिश्ता बनाए हुए था. सुनील की लंबी चमकती गाड़ी वीआईपी नंबर की थी, जिसे हर कोई पहचानता था.

पूछताछ से पहले पुलिस ने उस के आपराधिक रिकौर्ड की छानबीन की. पता चला कि सुनील पहले भी आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त पाया गया था. उस के खिलाफ थाना गन्नौर में मारपीट, अवैध हथियार, जान से मारने का प्रयास आदि के 7 मुकदमे दर्ज थे. उस के खिलाफ नया मामला मोनिका के अपहरण का दर्ज हो चुका था, जिस के लिए उसे भादंवि की धारा 365 का आरोपी बनाया गया था.

 

फुटबॉल खिलाड़ी शालिनी की अधूरी प्रेम कहानी – भाग 1

20 फरवरी, 2022 की शाम. समय यही कोई साढ़े 5-6 बजे के आसपास का रहा होगा. जाड़े की शाम थी. वैसे भी जाड़ों में दिन छोटे और रात बड़ी होती हैं. उस समय भी शाम हो चली थी और शाम के धुंधलके ने प्रयागराज हाईकोर्ट के पास स्थित पोलो ग्राउंड और सड़क को अंधेरे में घेर रखा था.

चूंकि यह सड़क वीआईपी है और लोगों का आवागमन लगा रहता है. खासकर सुबह और शाम को वाक करने वालों का. उसी पोलो ग्राउंड में एक बहुत ही पुराना और गहरा कुआं भी है. ठंड के बावजूद उस पुराने कुएं से बदबू आ रही थी, जिस की असहनीय दुर्गंध ने वाक करने वालों और राहगीरों को अपने नथुनों पर रुमाल रख कर चलने पर मजबूर कर दिया था. किसी अनहोनी की आशंका के मद्देनजर कुछ लोगों ने पोलो ग्राउंड का चक्कर लगाया कि आखिर माजरा क्या है.

चूंकि आर्मी एरिया में स्थित पोलो ग्राउंड बहुत बड़े दायरे में फैला हुआ है, इसलिए बदबू कहां से आ रही है, यह जानने के लिए लोग सब से पहले कुएं के पास गए. कुआं मुख्य सड़क से सिर्फ 10 कदम की दूरी पर था. सब से पहले कुएं के पास ही लोगबाग गए. जैसेजैसे लोग कुएं के पास बढ़ते गए, बदबू उतनी ही तेजी से उन के नथुनों में घुस रही थी.

शक होने पर वहां मौजूद एक वकील साहब ने फौरन 112 नंबर व संबंधित थाना सिविल लाइंस को सूचना दी कि कुएं से लगातार असहनीय दुर्गंध उठ रही है. जरूर उस में किसी की लाश हो सकती है. हमेशा उस कुएं से लाश ही बरामद की गई है, इसलिए उसे मौत का कुआं ही कहते थे. इस बात में या यह कहनेसमझने में जरा भी समय नहीं लगा कि उस कुएं में किसी का काम तमाम कर के उस की लाश फेंक दी गई है.

बहरहाल, सूचना मिलते ही प्रयागराज के थाना सिविल लाइंस की पुलिस और गश्ती गाड़ी पोलो ग्राउंड के अंदर घुसे और जब कुएं के अंदर झांका तो पाया कि एक सफेद रंग का बोरा उस कुएं में (लगभग सूख चुका है कुआं फिर थोड़ाबहुत पानी उस में अब भी हमेशा रहता है) पड़ा था. कुछ ही देर में एसएसपी अजय कुमार और सीओ संतोष सिंह भी वहां पहुंच गए.

कुआं काफी गहरा था. बोरे को निकालने के लिए इंसपेक्टर वीरेंद्र यादव ने फायर ब्रिगेड को फोन कर दिया. फायर ब्रिगेड कर्मचारियों ने कुएं के अंदर एक लंबी सीढ़ी डाली और अपनेअपने मुंह ढक कर उस के अंदर उतरे. जैसेतैसे बोरे को कुएं से बाहर लाया गया. उसे उठाने में जवानों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी क्योंकि बोरा काफी वजनी था.

बोरे में निकली लड़की की लाश

जब उस बोरे का मुंह खोला तो उस के अंदर एक युवती की लाश देख कर लोग दंग रह गए. अब जबकि बोरे को कुएं से निकाला जा चुका था तो उस में से और भी तेजी के साथ दुर्गंध चारों तरफ फैलने लगी थी.

युवती ने जींस टीशर्ट और पैरों में जूते पहन रखे थे. उस की लाश देख कर पुलिस ने अंदाजा लगाया कि उस की हत्या कोई एक हफ्ता पहले कर के उस की लाश को ठिकाने लगाने के लिए हाथपैर मोड़ कर उसे बोरे में ठूंसठूंस कर भरा गया था. उस के बाद सुतली और सूजे की मदद से बोरे को सिल कर कुएं में फेंका गया होगा.

पानी में पड़ेपड़े उस युवती की लाश लगभग फूल चुकी थी. चेहरा भी पहचानने में नहीं आ रहा था. सिविल लाइंस पुलिस ने वहां मौजूद लोगों से लाश की शिनाख्त करने को कहा, लेकिन वहां मौजूद कोई भी शख्स उसे पहचान पाने में असमर्थ था.

लड़की कौन थी? कहां की रहने वाली थी? यह सब जानने के लिए जब महिला पुलिस ने उस के कपड़ों की तलाशी ली तो उस में कुछ भी नहीं मिला. हां, मृतका की बाईं कलाई पर एक टैटू बना हुआ था और उस पर रवि नाम लिखा हुआ था.

बहरहाल, लाश का पंचनामा भरने के बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. एसएसपी अजय कुमार ने हत्या के इस मामले को सुलझाने के लिए सीओ संतोष सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई. टीम में थाना वीरेंद्र सिंह यादव, एसएसआई इंद्रदत्त द्विवेदी, एसआई वजीउल्लाह खान, अरविंद कुमार कुशवाहा, कांस्टेबल राहुल कुमार गोला, राहुल कुमार, महिला कांस्टेबल इंदु आदि को शामिल किया.

अगले दिन कुएं में मिली जवान युवती की लाश की खबर शहर के सभी अखबारों में छपी और साथ ही उस की कलाई पर बने टैटू पर रवि नाम गुदे होने का जिक्र किया गया तो पुलिस को उस की शिनाख्त के लिए ज्यादा भागदौड़ की जरूरत नहीं पड़ी.

मृतका निकली राष्ट्रीय स्तर की फुटबाल खिलाड़ी

प्रयागराज के ही थाना शिवकुटी के मोहल्ला शिलाखाना में रहने वाले राजेंद्र प्रसाद ने अगले दिन यानी 21 अप्रैल को जब अखबार में यह पढ़ा कि एक जवान युवती की डेडबौडी पोलो ग्राउंड के अंदर पुराने कुएं से थाना सिविल लाइंस पुलिस ने बरामद की है, उस के हाथ पर बने टैटू पर ‘रवि’ नाम लिखा हुआ है तो वह थाने पहुंचे और इंसपेक्टर वीरेंद्र यादव से मिले.

वीरेंद्र यादव से उन्होंने डेडबौडी देखने की इच्छा जाहिर की तो बिना एक पल गंवाए इंसपेक्टर ने उन्हें अपने मातहतों के साथ पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया.

लाश के चेहरे से जब कफन हटाया गया तो उस के पिता और परिजन फफकफफक कर रोने लगे. शव की शिनाख्त हो चुकी थी. मृतका का नाम शालिनी धुरिया उर्फ रोली था. उस के पिता राजेंद्र प्रसाद, मां व भाईबहन ने उसे पहचान लिया. घर वाले यह जान कर हैरान थे कि शालिनी तो गुड़गांव में नौकरी कर रही थी तो प्रयागराज कब आ गई.

शालिनी पूरे परिवार की लाडली थी. उस की हत्या से घर वालों का रोरो कर बुरा हाल था. पेशे से ईरिक्शा ड्राइवर राजेंद्र प्रसाद के 4 बच्चों में सब से बड़ी बेटी श्रद्धा, उस से छोटी शालिनी उर्फ रोली व उस से छोटे भाई बहन अंकित और स्वाति थे.

बहरहाल, उस के अंतिम संस्कार के बाद घर वालों से, खासकर शालिनी के पिता से जब यह पूछा गया कि उस की कलाई पर जो रवि नाम लिखा हुआ है, वह कौन है? शालिनी का उस से क्या संबंध है? शालिनी यहां से पहले कहां रहती थी?

पुलिस को इन सवालों का जवाब मिलना जरूरी था, तभी वह शालिनी के हत्यारों तक पहुंच सकती थी. पूछताछ के दौरान शालिनी के पिता राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि रवि उन की बेटी का दोस्त है.

‘‘उस का आप के घर भी आनाजाना था?’’ इंसपेक्टर वीरेंद्र यादव ने पूछा.

उन्होंने बताया कि शालिनी बहुत होनहार थी. वह राष्ट्रीय स्तर की फुटबाल प्लेयर थी. परिवार की माली हालत को देखते हुए 2021 में दूसरे लौकडाउन के खत्म होने के बाद वह नवंबर महीने में गुड़गांव चली गई थी. और एक प्राइवेट कंपनी में जौब करने लगी थी.

कनाडा से बुला कर शादी, फिर हत्या – भाग 1

मूलरूप से हरियाणा के रोहतक की रहने वाली मोनिका बेहद खूबसूरत थी. लेकिन फिलहाल अपने मम्मीपापा के साथ सोनीपत के गांव गुमड़ी में रह रही थी. वह दिल्ली विश्वविद्यालय में बीए की छात्रा थी. क्लास के लिए वह गुमड़ी से बस से दिल्ली आतीजाती थी.

छुट्टी के दिनों को छोड़ कर करीब 40 किलोमीटर का सफर वह अकेली तय करती थी. उस पर पढ़ाई का भूत सवार था. वह फाइनल ईयर में थी. आगे वह सीधे विदेश में जा कर पढ़ाई करने का मन बना चुकी थी. वहां मैनेजमेंट का कोई अच्छा कोर्स करने की महत्त्वाकांक्षा थी. उस की तमन्ना पूरी करने के लिए 2 परिवारों का साथ भी मिला हुआ था.

उन में एक उस के अपने मम्मीपापा का परिवार था और दूसरा परिवार उस के मौसामौसी का भी था, जहां वह रहती थी. वह 2 मौसेरे भाइयों की दुलारी, प्यारी इकलौती बहन थी. उस की मौसी ने उस की मां से मांग कर अपनी बेटी का नाम दे दिया था.

सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. मोनिका बीए की पढ़ाई के साथसाथ आइलेट्स अर्थात इंटरनैशनल इग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम कंप्यूटर के लिए कोचिंग भी कर रही थी. इस तरह से उस पर पढ़ाई का काफी बोझ था. ऊपर से बस से थका देने वाला सफर भी तय करना होता था.

एक बार कालेज जाते समय उसे अमीर नौजवान सुनील ने देख लिया था. वह बस में थी, जबकि सुनील अपनी महंगी गाड़ी में था. दोनों की मंजिल दिल्ली की तरफ ही थी. दरअसल, सुनील उस की मौसी का पड़ोसी था और वह अपनी भाभी की बदौलत उसे जानतापहचानता था. उसे अपने बिजनैस के सिलसिले में गुडग़ांव और दिल्ली नियमित जाना होता था.

उस के बारे में पड़ोसी भाभी सोनिया ने बताया था. साथ ही सुझाव दिया था कि वह चाहे तो बस के बजाय उस की गाड़ी से दिल्ली जा सकती है. उसे कोई आपत्ति नहीं होगी. हालांकि मोनिका ने इस तरह से किसी का एहसान लेना ठीक नहीं समझते हुए बस से ही आनाजाना रखा. एक दिन सुनील उर्फ शिल्ला अपनी गाड़ी से जाते हुए मोनिका से टकरा गया.

संयोग से उस दिन मोनिका जिस बस में सवार थी, उस में कुछ खराबी आ गई थी और सभी यत्रियों के साथ वह भी सडक़ के किनारे दूसरी बस के इंतजार में थी. बेचैन और चिंतित मोनिका से एक सहयात्री महिला कंधे पर हाथ रख कर बताया कि उधर पीछे की गाड़ी से कोई आवाज दे कर उसे बुलाने का इशारा कर रहा है.

मोनिका ने उस ओर देखा, तब तक एक कार उस के पास आ कर ही रुक गई थी. दूसरी तरफ ड्राइविंग सीट पर बैठे युवक ने अपना परिचय सुनील के रूप में दिया और उसे गाड़ी में बैठने को कहा. मोनिका हिचकिचाई. उस के कुछ बोलने से पहले ही सुनील ने मोबाइल फोन का स्पीकर औन कर उस के सामने कर दिया. दूसरी तरफ से आवाज आ रही थी. ‘‘हैलो, सुनील, बोलो क्या बात है?’’

“भाभीजी, मोनिका से बात कीजिए…’’

“मोनिका…तुम्हारे पास?’’ उधर से चिंतातुर आवाज आई.

“जी भाभी, उस की बस खराब हो गई है, दूसरी बस का इंतजार कर रही है. मैं उसे अपनी गाड़ी में लिफ्ट देने के लिए बोल रहा हूं, लेकिन वह हिचकिचा रही है. शायद मुझे नहीं पहचानती है.’’ सुनील बोला.

दूसरी तरफ से उस की भाभी सोनिया की आवाज आई, ‘‘अरे उसे फोन तो दो, मैं बात करती हूं. तुम्हारे बारे में बताती हूं.’’

“फोन का स्पीकर औन है, आप बोलिए वह सुन रही है.’’ सुनील बोला. तब तक मोनिका भी सोनिया की आवाज पहचान चुकी थी. वह बोली, ‘‘भाभीजी नमस्ते, आप ने इन के बारे में ही बताया था क्या?’’

“अरे हां मोनिका. यही तो मेरा प्यारा देवर है. बहुत अच्छा लडक़ा है. तुम्हें अपनी गाड़ी से कालेज तक छोड़ देगा. साथ चली जाओ. कोई चिंता की बात नहीं है. समझो, जैसा तुम्हारा भाई विकास वैसा ही सुनील.’’ सोनिया उसे समझाती हुई बोली. तब तक सुनील गाड़ी का गेट खोल चुका था. एक हाथ से साथ वाली सीट पर रखी फाइल और डायरी को आगे डैशबोर्ड पर रखते हुए बैठने के लिए इशारा कर दिया. मोनिका तब तक आश्वस्त हो चुकी थी और पीठ से अपना बैग उतार कर गाड़ी में बैठ गई.

पहली मुलाकात का हुआ दिल पर असर

इस तरह से मोनिका और सुनील की पहली मुलाकात हुई थी. कुछ समय तक दोनों शांत बैठे रहे. थोड़ी देर में बातचीत का सिलसिला सुनील ही शुरू करते हुए बोला, ‘‘मोनिकाजी, मैं आप को अच्छी तरह जानता हूं. शायद आप मुझे नहीं पहचानती हैं, इसलिए गाड़ी में बैठने से झिझक रही थीं. मैं आप के मौसामौसी के पड़ोस में रहता हूं. सुबहसुबह ही काम के सिलसिले में दिल्ली एनसीआर को निकल पड़ता हूं. आप को मैं ने कई बार पैदल जाते हुए और बस का इंतजार करते देखा था. सोचता था कि आप को साथ लेता चलूं, लेकिन मैं यही सोच कर नहीं बोल पाता था कि आप कुछ गलत न समझ लें…’’

मौन बनी मोनिका सुनील की बात सुन रही थी. गाड़ी अपनी गति से सडक़ पर अपनी लेन में चल रही थी. सुनील बोला, ‘‘आप चाहें तो लौटते वक्त मुझे फोन कर दीजिएगा. मैं उधर से भी आप को साथ ले लूंगा. मेरा फोन नंबर नोट कीजिए 97xxxxxxxx’’ सुनील फोन नंबर बोलने लगा.

मोनिका बगैर कुछ बोले, अपने मोबाइल पर उस का नंबर टाइप करने लगी. तुरंत उसी नंबर पर उस ने काल भी कर दी. सुनील के मोबाइल पर इनकमिंग काल आ चुकी थी.

“आप का नंबर है? लास्ट डिजिट 34 है न?’’ सुनील ने कहा.

“जी…मुझे हुडा सिटी सेंटर मेट्रो पर उतार दीजिएगा. वहां से यूनिवर्सिटी की मेट्रो ले लूंगी.’’ मोनिका बोली.

“ठीक है, वापसी भी वहीं से होगी न? मुझे काल कर देना मैं मेट्रो के पास आ जाऊंगा.’’

“देखती हूं…’’

इस तरह से मोनिका और सुनील की पहली जानपहचान से अच्छी दोस्ती में बदलने में ज्यादा देर नहीं लगी. उन की अकसर मुलाकातें होने लगीं. मोनिका और सुनील साथ गाड़ी में आनेजाने लगे. समय बचता तो वे गुडग़ांव के किसी काफी होम या रेस्टोरेंट में कुछ समय साथ भी गुजारने लगे थे.

यह कहना गलत नहीं होगा कि दोनों के दिल में प्रेम अगन सुलग चुकी थी. कुंवारे और अमीर सुनील को पा कर मोनिका अच्छे भविष्य के सपने देखने लगी थी. उसे एहसास होने लगा था कि उस ने विदेश में पढ़ाई करने के जो सपने देखे हैं, उसे पूरा करने में सुनील की मदद उसे अवश्य मिलेगी.

 

एयर होस्टेस का अधूरा प्यार – भाग 3

बेंगलुरु पहुंचे अर्चना के मातापिता…

13 मार्च, 2023, बेंगलुरु के साउथ डिवीजन के डीसीपी सी.के. बाबा अपने औफिस में बैठे हुए एक फाइल देख रहे थे, तब उन के औफिस में एक पुरुष और महिला बदहवास हालत में पहुंचे. दोनों की बदहवास हालत देख कर सी.के. बाबा ने फाइल बंद कर दी और हैरानी से पूछा, ‘‘आप कौन हैं और इतने परेशान क्यों हैं?’’

“मेरा नाम देवनाथ धीमान है, यह मेरी पत्नी है. मैं बनखेड़ी जिला कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश क्षेत्र का रहने वाला हूं.’’

“अरे, आप इतनी दूर से यहां मेरे औफिस में आए हैं.’’ चौंक कर सी.के. बाबा अपनी कुरसी पर सीधे हो गए. देवनाथ के चेहरेपर नजरें जमा कर उन्होंने पूछा, ‘‘इस की वजह बताएंगे.’’

“सर, मेरी बेटी का नाम अर्चना है. वह बेंगलुरु में श्री लक्ष्मी मंदिर रोड पर स्थित श्री रेणुका रेजीडेंसी में रहने वाले आदेश से मिलने के लिए 11 मार्च को दुबई से यहां आई थी. आदेश ने मुझे फोन कर के बताया है कि अर्चना ने उस के फ्लैट की चौथी मंजिल से कूद कर आत्महत्या कर ली है.

“सर, मेरी बेटी अर्चना एयर होस्टेस थी. वह दुबई एयरलाइंस में सर्विस कर रही थी. अर्चना बहादुर लडक़ी थी, शिक्षित थी. वह आत्महत्या जैसा कदम कदापि नहीं उठा सकती. मुझे पूरा यकीन है कि मेरी बेटी अर्चना को आदेश ने धक्का दे कर हत्या का षडयंत्र रचा है, आप उसे गिरफ्तार कीजिए.’’

“अर्चना यहां बेंगलुरु में आदेश से मिलने क्यों आई थी, उस का आदेश के साथ क्या संबंध था?’’ डीसीपी सी.के. बाबा ने पूछा.

“अर्चना बहुत संस्कारी और समझदार लडक़ी थी सर. पता नहीं कैसे वह आदेश के प्रेमजाल में फंस गई. आदेश ने न जाने क्या जादू कर दिया था कि वह उस के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगी थी. दुबई में एयरलाइंस में चयन होने पर वह वहां चली गई थी. अर्चना मुझे सब खुल कर बता देती थी. उस ने आदेश की भी विडियो काल के द्वारा मुझ से पहचान करवाई थी.’’

“हूं.’’ सी.के. बाबा ने गंभीरता से सिर हिलाया, ‘‘मामला गंभीर है, मैं खुद इस की जांच करूंगा.’’ कहने के बाद डीसीपी ने घटनास्थल से संबंधित पुलिस स्टेशन कोरमंगला से संपर्क कर के वहां के आईपी (इंसपेक्टर औफ पुलिस) से बात की तो आईपी ने बताया, ‘‘सर, आदेश नाम के युवक ने 11 मार्च की रात को ही थाने में आ कर रिपोर्ट दर्ज करवा दी थी. उस ने बताया था कि अर्चना ने शराब पी रखी थी. बालकनी में उस ने बैलेंस खो दिया, इस से वह नीचे गिर गई और उस की मौत हो गई. वह अर्चना को लोगों की मदद से सेंट जोंस अस्पताल ले कर गया था, जहां डाक्टरों ने जांच के बाद अर्चना को मृत घोषित कर दिया था. हम ने लाश कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दी है सर.’’

“क्या आप ने घटनास्थल पर जा कर जांच की है?’’ डीसीपी बाबा ने आईपी से पूछा.

“की है सर. आदेश के फ्लैट की बालकनी इतनी ऊंची है सर कि वहां से कोई व्यक्ति नीचे गिर ही नहीं सकता, यह एक्सीडेंटल डेथ का मामला नहीं लग रहा है सर. अर्चना नशे में थी, मेरा अनुमान है कि आदेश ने ही अर्चना को नीचे फेंका होगा. मैं पूरी घटना की बारीकी से जांच कर रहा हूं. मैं पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहा हूं.’’

“आप इंतजार मत कीजिए, आदेश को पकड़ कर मेरे पास लाइए. उस ने गुनाह किया होगा तो यहां मैं कुबूल करवा लूंगा.’’

“ठीक है सर, दूसरी ओर से कोरमंगला थाने के आईपी ने कहा. डीसीपी सी.के. बाबा ने काल डिसकनेक्ट कर देवनाथ धीमान और उन की पत्नी को कक्ष में बैठा दिया. उन्हें अब आदेश को यहां लाने का इंतजार था. एक घंटे बाद ही आदेश को ले कर कोरमंगला थाने के आईपी अपनी पुलिस टीम के साथ वहां आ गए.

आदेश ने स्वीकार किया जुर्म…

आदेश को डीसीपी बाबा ने अपने सामने बिठाया और बहुत ही नरम लहजे में कहा, ‘‘तुम अच्छे घर के शिक्षित युवक हो, जवान हो, जवानी में प्यार भी हो जाता है, तुम ने सैकड़ों मील दूर की लडक़ी अर्चना को कैसे प्यार के जाल में फंसाया, फिर उस की हत्या कर दी, मुझे यही जानना है. यदि सचसच बताओगे तो तुम्हारे हित में होगा, वरना सच खुलवाने के लिए हमारे पास बहुत उपाय होते हैं.’’

आदेश ने गहरी सांस ली और भावुक स्वर में बोला, ‘‘मैं अर्चना को बहुत प्यार करता था सर. डेटिंग ऐप पर अर्चना ने मेरी फै्रंड रिक्वेस्ट स्वीकार की थी. पहले हम अच्छे दोस्त बने, फिर यह दोस्ती प्यार में बदल गई. मेरे लिए अर्चना कांगड़ा से यहां रहने आ गई. हम लिवइन रिलेशन में रहने लगे. प्यार में हम ने जिस्मानी संबंध भी बना लिए. अर्चना मुझ से शादी करना चाहती थी. इस के लिए मैं भी राजी था कि एक दिन…’’

आदेश ने रुक कर सांसें दुरुस्त की फिर बताने लगा, ‘‘अर्चना दुबई में नौकरी कर रही थी. 2-3 दिन की छुट्टी मिलने पर वह अचानक बेंगलुरु आ गई. मुझे सरप्राइज देने के लिए अपना बैग बरामदे में रख कर वह दबे पांव कमरे में आ गई. उस समय मेरे कंप्यूटर पर एक कालगर्ल मुझे प्रपोज कर रही थी.

“उस वक्त उस लडक़ी के शरीर पर वस्त्र नहीं थे. गरमी के कारण मैं ने भी कमीज उतार रखी थी. सर, वह कंप्यूटर की अश्लील साइट थी. अर्चना ने समझा कि मैं किसी लडक़ी के साथ चैटिंग कर रहा हूं. उस ने मुझे बुराभला कहा और बैग उठा कर अपनी किसी सहेली के यहां चली गई. वहीं से वह दुबई चली गई.

“वह रूठी हुई थी, मेरा फोन भी नहीं उठा रही थी. 11 मार्च को वह अपने आप मेरे पास आ गई. उस दिन फोरम माल में शापिंग की, एक फिल्म देखी और व्हिस्की की बोतल खरीद कर फ्लैट पर आ गए. अर्चना ने और मैं ने बालकनी में बैठ कर शराब पी. अर्चना ने ज्यादा पी ली थी, वह मुझ से उसी लडक़ी की चैटिंग वाली बात पर लडऩे लगी तो मुझे गुस्सा आ गया.

“मैं ने उसे उठा कर बालकनी से फेंक दिया. मैं नशे में था, मुझे होश आया तो मैं नीचे भागा. नीचे अर्चना लहूलुहान पड़ी थी. मैं आसपास रहने वाले लोगों की मदद से उसे सेंट जोंस अस्पताल ले गया, जहां डाक्टर ने अर्चना को मृत घोषित कर दिया. अर्चना की हत्या कर के मैं पछता रहा हूं, वह मेरी बहुत अच्छी दोस्त थी. मैं ने उसे खो दिया.’’

आदेश द्वारा जुर्म कबूल करने के बाद कोरमंगला थाने में अर्चना के पिता देवनाथ धीमान की ओर से आदेश के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत केस दर्ज कर लिया गया. फिर पूछताछ के बाद उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

कथा लिखने तक पुलिस आदेश के खिलाफ ठोस सबूत जुटा रही थी ताकि उसे कोर्ट से कड़ी से कड़ी सजा दिलवाई जा सके.