बेवफा पत्नी और प्रेमी की हत्या – भाग 3

नाजायज रिश्तों का भांडा फूटा

नाजायज रिश्तों को कोई लाख छिपाने की कोशिश क्यों न करे, लेकिन वह छिप नहीं पाते. किसी तरह पड़ोसियों को रागिनी और रिंकू के अवैध संबंधों की भनक लग गई. शोभाराम के दोस्तों ने कई बार उसे उस की पत्नी और रिंकू के संबंधों की बात बताई, लेकिन उस ने उन की बातों पर ध्यान ही नहीं दिया. क्योंकि उसे पत्नी पर पूरा भरोसा था.

जबकि सच्चाई यह थी कि वह उस के साथ लगातार विश्वासघात कर रही थी. रागिनी कुंवारे रिंकू यादव की इतनी दीवानी हो गई थी कि वह पति को कुछ समझती ही नहीं थी.

नाजायज रिश्तों का भांडा तब फूटा जब एक रोज शोभाराम ने अपनी पत्नी रागिनी और रिंकू को अपने ही घर में आपत्तिजनक स्थिति में रंगेहाथों पकड़ लिया. रिंकू ने जब शोभाराम को देखा तो वह फुरती से भाग गया. उस ने भी उस से कुछ नहीं कहा. लेकिन उस ने रागिनी को खूब खरीखोटी सुनाई और दोबारा ऐसी हरकत न करने की हिदायत दे कर छोड़ दिया.

उस दिन के बाद से कुछ दिनों तक रिंकू का रागिनी के यहां आनाजाना लगभग बंद रहा. पर यह पाबंदी ज्यादा दिनों तक कायम न रह सकी. मौका मिलने पर दोनों फिर से शोभाराम की आंखों में धूल झोंकने लगे. पर अब वह काफी सावधानी बरत रहे थे.

पत्नी को समझाने का प्रयास किया

रागिनी की बेटी अब तक 8 साल की हो चुकी थी. वह अपनी उम्र से कुछ ज्यादा समझदार थी. रिंकू के घर आने पर वह ताकझांक में लगी रहती थी. बेटी उस के नापाक रिश्तों में बाधा न बने, इसलिए रागिनी ने उसे ननिहाल रहने को भेज दिया.

बेटी के ननिहाल में रहने पर रागिनी पूरी तरह आजाद हो गई. शोभाराम राजमिस्त्री था. वह सुबह घर से निकलता तो फिर शाम को ही घर आता था. दोपहर में रागिनी चालाकी के साथ रिंकू को बुला लेती फिर दोनों रंगरलियां मनाते. पति के आने से पहले रागिनी सतीसावित्री बन जाती थी.

cShobharam (Aropi)

लेकिन चालाकी के बावजूद शोभाराम ने एक रोज फिर से पत्नी को रिंकू के साथ रंगेहाथ पकड़ लिया. उस रोज शोभाराम सुबह काम पर तो गया था, लेकिन तबीयत खराब होने की वजह से वह दोपहर में ही वापस घर आ गया था. इस बार उस ने रिंकू को खूब खरीखोटी सुनाई और पत्नी की जम कर पिटाई की. इस के बाद रिंकू का घर आनाजाना बंद हो गया.

जनवरी 2023 के पहले सप्ताह में रागिनी ने एक और बेटी को जन्म दिया. बेटी के जन्म से शोभाराम को खुशी नहीं हुई, क्योंकि उसे शक था कि यह बेटी जरूर रागिनी और रिंकू के नाजायज रिश्तों की निशानी है. लेकिन समाज के डर से उस ने जुबान बंद रखी.

बेटी के जन्म के बाद शोभाराम को लगा कि रागिनी ने रिंकू के साथ संबंध खत्म कर लिए हैं. यह उस की भूल थी. रागिनी अब भी मौका मिलने पर रिंकू से मिलने का प्रयास करती रहती थी. उसे झटका तब लगा, जब उस ने एक रोज रिंकू को शाम के धुंधलके में अपने घर से निकलते देख लिया.

शोभाराम की अब गांव में खूब बदनामी होने लगी थी. गांव के युवक उसे देख कर पत्नी के चरित्र को ले कर फब्तियां कसने लगे थे. उस ने पत्नी को बड़ी बेटी की दुहाई देते हुए समझाया, लेकिन रागिनी पर कोई असर नहीं पड़ा.

आखिर अपनी इज्जत का जनाजा उठते देख कर उस का धैर्य जवाब देने लगा. अब उस से पत्नी की बेवफाई बरदाश्त नहीं हो रही थी. इसी सब का नतीजा था कि उस ने मन ही मन एक खतरनाक मंसूबा पाल लिया. वह मंसूबा था रिंकू और बेवफा पत्नी की हत्या का.

अपने मंसूबे को अमली जामा पहनाने के लिए वह दोनों पर नजर रखने लगा था. शोभाराम कभी काम पर जाता तो कभी नहीं भी जाता. कभी जाता तो घंटे-2 घंटे बाद ही लौट आता. रागिनी अच्छी तरह जान गई थी कि उस का पति उस पर नजर गड़ाए है. इसलिए वह स्वयं सतर्क थी और उस ने प्रेमी रिंकू को भी सतर्क कर दिया था कि वह उस के घर तभी आए, जब वह उसे फोन कर बुलाए.

कैसे हुआ प्रेमीप्रेमिका का मर्डर

14 जून, 2023 की सुबह 8 बजे शोभाराम काम पर चला गया. दिन भर काम करने के बाद वह शाम 6 बजे घर आया. उस समय रागिनी छत पर थी. वह कमरे में पड़े तख्त पर लेट गया और थकान दूर करने लगा. रात 8 बजे के लगभग शोभाराम ने खाना खाया फिर तख्त पर लेट गया. कुछ देर बाद ही वह गहरी नींद में सो गया.

इधर रागिनी ने घर का काम निपटाया, फिर बेटे को पति के साथ लिटा दिया और खुद छोटी बेटी के साथ कमरे में पड़ी चारपाई पर लेट गई. लेकिन नींद उस की आंखों से कोसों दूर थी. उसे रहरह कर प्रेमी की याद आ रही थी. महीना भर से अधिक का समय बीत गया था, वह रिंकू से मिलन नहीं कर पाई थी. जब उस से नहीं रहा गया तो उस ने फोन कर रिंकू यादव को घर बुला लिया. दोनों मकान की छत पर पहुंचे और मौजमस्ती में जुट गए.

इधर रात 12 बजे के बाद शोभाराम लघुशंका के लिए उठा तो उस की नजर कमरे में पड़ी चारपाई पर गई. चारपाई पर छोटी बेटी तो सो रही थी, लेकिन पत्नी गायब थी. उस ने चंद मिनट उस के वापस आने का इंतजार किया, फिर वह घर में उस की खोज करने लगा. उस ने घर का कोनाकोना छान मारा, लेकिन रागिनी उसे कहीं नहीं दिखी. तभी उस के मन में विचार आया कि रागिनी कहीं छत पर तो नहीं.

यह विचार आते ही शोभाराम दबे पांव सीढ़ियां चढ़ता हुआ छत पर पहुंचा. छत का दृश्य देख कर शोभाराम का खून खौल उठा. उस की भुजाएं फड़कने लगीं और कुछ कर गुजरने को तत्पर हो उठीं. दरअसल, छत पर रागिनी और रिंकू यादव अर्धनग्न अवस्था में एकदूसरे से गुथे पड़े थे. पत्नी की सीत्कार उस के कानों में गरम सीसा घोल रही थी.

शोभाराम ने पास पड़ी ईंट उठाई और रागिनी पर छाए रिंकू के सिर पर भरपूर प्रहार किया. प्रहार से रिंकू का सिर फट गया और खून की धार बहने लगी. पति के रूप में रागिनी ने साक्षात मौत को देखा तो वह प्रेमी के ऊपर लेट गई और गिड़गिड़ाने लगी, ”मेरे राजा को मत मारो, उस के बिना मैं कैसे जीवित रहूंगी?’‘

यह सुनते ही शोभाराम का गुस्सा और बढ़ गया. उस ने दूसरा वार पत्नी रागिनी के सिर पर किया तो उस का भी सिर फट गया और खून का फव्वारा छूट पड़ा. इस के बाद शोभाराम ने अनगिनत प्रहार रागिनी और रिंकू के सिर और चेहरे पर किए तथा दोनों को मौत के घाट उतार दिया.

इस के बाद वह छत पर ही बैठा बीड़ी पीता रहा. कुछ देर बाद उस ने मोबाइल फोन से डायल 112 पर पुलिस कंट्रोल रूम को डबल मर्डर की सूचना दी. सूचना पाते ही थाना पुलिस व अन्य अधिकारी घटनास्थल आ गए. पुलिस ने दोनों शवों को कब्जे में ले कर जांच शुरू की तो इन हत्याओं के पीछे अवैध संबंधों की बात सामने आई.

16 जून, 2023 को पुलिस ने हत्यारोपी शोभाराम दोहरे को औरैया की जिला अदालत में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. मृतका रागिनी के तीनों बच्चे अपने नानानानी के घर पल रहे थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

ऐसी भी एक सीता – भाग 1

रामानंद विश्वकर्मा 6 अप्रैल, 2023 को जब दुबई से गोरखपुर के गांव मल्हीपुर में स्थित अपने घर आया तो घर वालों की खुशियों का ठिकाना ही नहीं था. वह पूरे 2 साल 2 महीने के बाद लौटा था, इसलिए सब के चेहरे खुशी के मारे खिले हुए थे. कोई दौड़ कर उसे बिसकुट पानी ला रहा था तो कोई उस के हाथ से अटैची ले कर उस के कमरे में रख रहा था. घर वाले जानते थे कि वह सब के लिए कुछ न कुछ कीमती गिफ्ट जरूर लाया होगा.

लेकिन झील सी गहरी एक जोड़ी आंखें परदे की ओट से छिप कर रामानंद को देख रही थीं. उसे ऐसा लगा था, जैसे उसे कोई परदे के पास खड़ा एकटक देखे जा रहा हो. पलट कर उस ने जब परदे की ओर देखा तो वहां कोई नहीं था. फिर उस ने सोचा कि ये उस का कोई भ्रम रहा होगा. वहां कोई खड़ा हो कर भला उसे क्यों देखेगा. उस से मिलने भी तो आ सकता है.

थोड़ी देर मांबाप के पास बैठने और पानी पीने के बाद रामानंद उठ क र अपने कमरे में चला गया, जहां उस की पत्नी सीतांजलि, जिसे वह प्यार से सीता कहता था. वह उस के इंतजार में कब से पलकें बिछाए बैठी थी. परदे की ओट से छिप कर वही पति को निहार रही थी.

पति को देखते ही सीता का चेहरा खुशियों से खिल उठा था. वह इतनी खुश थी कि उस के मुंह से कोई बोल नहीं फूट रहे थे. रामानंद भी कम खुश नहीं था पत्नी को देख कर. सालों बाद दोनों का मिलन हुआ था.

दरअसल, शादी के 6 महीने बाद ही रामानंद पत्नी सीता को मांबाप की सेवा के लिए घर पर छोड़ कर दुबई कमाने चला गया था. उस ने पत्नी से वायदा किया था कि जब वह दुबई से लौट कर आएगा तो उसे भी विदेश अपने साथ ले जाएगा. बाकी जीवन के सुखी पल दोनों वहीं साथ बिताएंगे.

घर में उस शाम रामानंद की पसंद का खाना बनाया था. लंबा सफर तय कर रामानंद भी घर पहुंचा था, इसलिए वह भी थक कर चूर हो गया था. इसलिए बिस्तर पर लेटते ही खर्राटे भरने लगा.

इधर सीता रसोई के काम में लगी रही. चौकाबरतन से निबट कर वह भी बिस्तर की ओर हो ली. एक नजर बिस्तर पर सो रहे पति पर डाली और प्यार से उस के गाल को स्पर्श किया. वह हौले से मुसकराई फिर वह भी सो गई.

अगली सुबह यानी 7 अप्रैल की सुबह जब सीता की आंखें खुलीं तो देखा पति उस के पास बिस्तर पर नहीं था तो उठ कर बैठ गई. कमरे का दरवाजा भिड़ा हुआ था और सिटकनी खुली थी. बिस्तर पर बैठी सीता कुछ देर तक कुछ सोचती रही, फिर बिस्तर से उतर कर नित्यक्रिया में जुट गई.

विदेश से लौटा रामानंद कैसे हुआ लापता

सुबह के 8 बज चुके थे. रामानंद अभी तक कहीं नहीं दिखा तो पत्नी सीता को चिंता हुई और उस ने ससुर रामप्रीत से पति के बारे में पूछा, ”पापाजी, आप ने उन्हें देखा है? क्या आप से कुछ बोल कर कहीं गए हैं? आखिर इतना समय हो गया, वह कहीं नजर नहीं आ रहे हैं?’‘

”नहीं बहू?’‘ राममप्रीत ने आगे कहा, ”सुबह से मैं ने रामानंद को घर से बाहर कहीं जाते हुए नहीं देखा, आखिर कहां चला गया?’‘ रामप्रीत के चेहरे पर परेशानी की लकीरें उभर आई थीं.

”पापाजी, पता करिए कहां गए वो? घबराहट के मारे दिल बैठा जा रहा है.’‘

”घबराओ मत बहू,’‘ ससुर ने आगे कहा, ”बरसों बाद लौटा है, कहीं बैठा यार दोस्तों के साथ गप्पें लड़ा रहा होगा, थोड़ी देर में आ ही जाएगा.’‘

”ठीक है, पापाजी.’‘ कह कर सीता रसोई की ओर बढ़ गई और सभी के लिए नाश्ता बनाने लगी.

इधर रामप्रीत भी यह सोच कर हैरान हुए जा रहे थे कि सचमुच बेटा सुबह से कहीं नहीं दिख रहा है. न तो उसे कहीं घर से बाहर जाते हुए देखा और न आते हुए ही. आखिर वह कहां गया. वाकई ये तो चिंता वाली बात है. इतना सोच कर रामप्रीत का मन घर पर नहीं लगा और वह पत्नी से बता कर बेटे को ढूंढ़ने गांव में निकल गए.

बेटे के जो भी दोस्त उन्हें रास्ते में मिले, सब से वह बेटे रामानंद के बारे में पूछते. लेकिन किसी ने भी उन से यह नहीं कहा कि वह उस से मिला है, बल्कि उन्हें तो यह भी पता नहीं था कि रामानंद दुबई से कब घर वापस आया है. बेटे के दोस्तों का जवाब सुन कर रामप्रीत हैरान रह गए कि बेटा न घर में है, न ही दोस्तों से ही मिला तो वह गया कहां? यह सोच कर रामप्रीत का माथा चकरा गया था.

रामप्रीत यही सोच रहे थे कि अब वो कहां जाएं और किस से बेटे के बारे में पूछें. तभी गांव का किशोर नाम का एक लड़का दौड़ता हुआ सीधा रामप्रीत के पास आ कर रुका. उस के चेहरे के हावभाव से ऐसा लग रहा था, जैसे वह कोई जरूरी बात बताना चाहता है.

किशोर ने उन से कहा, ”चाचा… चाचा…’‘ जोरजोर से हांफते हुए दुबलेपतले किशोर ने सामने दाईं ओर हाथ दिखाते हुए कुछ कहना चाहा, ”उधर तालाब…’‘

”हांहां बेटा, क्या कहना चाहते हो. थोड़ा सांस तो ले लो, फिर बताओ जो कहना चाहते हो.’‘ रामप्रीत ने किशोर का ढांढस बंधाते हुए कहा.

थोड़ी देर में जब वह सामान्य स्थिति में हो गया तो किशोर ने कहा, ”चाचा, गांव के बाहर वाले तालाब के किनारे एक लाश पड़ी है. वह लाश आप के बेटे रामानंद की है.’‘

”क्या?’‘ चौंक कर रामप्रीत बोले, ”मेरे बेटे रामानंद की लाश है! मुझे तेरे कहे पर विश्वास नहीं हो रहा है बेटा, ले चलो मुझे वहां, जहां लाश पड़ी है.’‘

”भला मैं आप से मजाक क्यों करने लगा चाचा, जो मैं ने देखा, वही मैं ने कहा. मेरी बातों पर आप को यकीन नहीं है तो खुद चल कर देख लीजिए, तब तो आप को मेरी बातों पर यकीन हो जाएगा, मैं झूठ नहीं बोल रहा.’‘ किशोर ने रामप्रीत को सफाई देते हुए कहा और उन्हें अपने साथ ले कर गांव के बाहर स्थित तालाब के पास गया.

तालाब के किनारे लोगों का मजमा लगा हुआ था और तमाशबीन बन कर लोग पानी में तैर रही लाश देख रहे थे.

भीड़ देख कर रामप्रीत का कलेजा जोरजोर से धड़कने लगा था. वह भीड़ को चीरते हुए सीधे तालाब के किनारे पहुंचे, जहां लाश पड़ी हुई थी. लाश देख कर उन का शरीर थरथर कांपने लगा और वह धम्म से जमीन पर जा गिरे. मौके पर जमा भीड़ ने उन्हें संभाला और टांग कर तालाब के पास से थोड़ी दूर ला कर बैठा दिया.

कैसे हुई रामानंद की मौत

रामप्रीत सिर पर दोनों हाथ रख बिलखबिलख कर रोने लगे. लाश उन के बेटे रामानंद विश्वकर्मा की ही थी. मौके पर जमा लोग उस की तालाब में डूब कर मरने की बात कर रहे थे. यह सुन कर रामप्रीत हैरान थे कि बेटा जब घर में सो रहा था तो वह कब तालाब के पास आया कि उस की पानी में डूबने से मौत हो गई. तमाशबीन लोग भी यही सोचसोच कर हैरान थे कि अभी तो कल ही विदेश से लौट कर आया था और कैसे? क्या हुआ कि इस की मौत हो गई.

बेवफा पत्नी और प्रेमी की हत्या – भाग 2

रागिनी क्यों नहीं जाना चाहती थी ससुराल

रागिनी ने अच्छी तरह शोभाराम को देखा सुहागरात को. वह सांवले रंग और इकहरे शरीर का था. उस ने कपड़े उतारे तो हीरो जैसी बौडी की आरजू करने वाली रागिनी के सारे अरमानों पर पानी फिर गया.

उस रात शोभाराम रागिनी का तन तो जीतने में सफल रहा, किंतु मन नहीं जीत सका. शोभाराम उस की कल्पना से एकदम उलट था. इसलिए सफल यौनाचार भी उसे आनंद से नहीं भर सका.

मायके लौटने पर रागिनी का गुस्सा मां पर फूटा. वह मायके गई तो अपनी मम्मी पर बरस पड़ी, ”मम्मी, तुम लोगों ने अपनी बड़ी बेटियों के लिए सुंदर, सजीले वर खोजे और मुझे कालेकलूटे, मरियल और नीरस आदमी के पल्ले बांध दिया. तुम ने क्या देख कर उसे मेरे लिए पसंद किया था.’‘

मम्मी ने उसे समझाया, ”बेटी, लड़के की शक्लसूरत नहीं, उस के गुण देखे जाते हैं. शोभाराम में शराब, जुआ, सट्टा जैसा कोई ऐब नहीं है. वह मेहनती और कमाऊ है. कुछ दिन साथ रहोगी तो वही सांवला, मरियल और सीधा सा पति संसार का सब से सुंदर लगने लगेगा.’‘

”मम्मी, शोभाराम मुझे पसंद नहीं, अब मैं ससुराल नहीं जाऊंगी.’‘ रागिनी गुस्से से बोली.

”बेटा, ससुराल तो तुझे जाना होगा,’‘ मां ने निर्णय सुनाने के साथ नसीहत दी, ”शोभाराम जैसा है, उसी रूप में उसे मन से स्वीकार करो. मैं कह रही हूं न, जल्द ही वह तुझे अच्छा लगने लगेगा.’‘

रागिनी की एक न चली. मम्मीपापा की जिद के चलते रागिनी की एक न चली और उसे ससुराल जाना पड़ा. शोभाराम के साथ वह पति धर्म भी निभाती रही, परंतु उसे दिल से स्वीकार नहीं कर सकी. इस बीच वह एक बेटी व एक बेटे की मां बन गई.

इन्हीं दिनों शोभाराम के पिता जगदीश दोहरे की बीमारी के चलते मौत हो गई. पिता की मौत के बाद घर की सारी जिम्मेदारी शोभाराम के कंधे पर आ गई.

वक्त गुजरता रहा. गुजरते वक्त के साथ रागिनी के मन की कसक बढ़ती गई. अकेली होती तो उठतेबैठते अपने भाग्य को कोसती रहती, ‘मेरी तो किस्मत फूटी थी, जो हड्डी के ढांचे जैसा पति मुझे मिला. मेरे अरमान मिट्टी में मिल गए. क्या पूरी उम्र मुझे यंू ही घुटघुट कर जीना होगा?

उस वक्त रागिनी की कल्पना भी नहीं थी कि जल्द ही घुटन से उसे मुक्ति मिलने वाली है और उस का साइड इफेक्ट बेहद खतरनाक होगा.

रागिनी के घुटन भरे जीवन में रिंकू यादव नाम के युवक की एंट्री हुई. हुआ यह कि एक दिन घर का सीलिंग फैन खराब हो गया. रागिनी ने यह बात शोभाराम को बताई, ”बिना पंखे के बच्चों को नींद कैसे आएगी? मुझे भी परेशानी होगी? इसे जल्दी ठीक करा दो.’‘

”परेशान मत हो,’‘ शोभाराम मुसकराया, ”होमगार्ड लायक सिंह का बेटा रिंकू यादव बिजली मिस्त्री है. उसे बुला लाता हूं, जो खराबी होगी, सुधार देगा.’‘

प्यार में सीलिंग फैन कैसे बना मददगार

20 वर्षीय रिंकू यादव गांव के पश्चिमी छोर पर रहता था. उस के पिता लायक सिंह यादव थाना सहार में होमगार्ड थे. रिंकू का बड़ा भाई कुलदीप यादव आगरा में चमड़े का बैग बनाने वाली किसी फैक्ट्री में काम करता था. उस की 2 बहनें थीं, जिन की शादी हो चुकी थी. रिंकू सहायल कस्बे में एक बिजली की दुकान पर काम करता था.

कुछ देर बाद शोभाराम रिंकू के घर पहुंचा. रिंकू उस समय घर पर ही था. शोभाराम ने उसे घर का पंखा खराब होने के बाबत बताया और रिंकू को घर ले आया.

रिंकू यादव शोभाराम के घर पहुंचा तो उस की नजर रागिनी पर पड़ी. दोनों ने एकदूसरे को गौर से देखा. उन की नजरें मिलीं तो पल भर में ही दोनों के दिल में कुछकुछ होने लगा. रिंकू सोचने लगा कि लंगूर के पहलू में हूर कैसे आ गई? यह अप्सरा तो मेरे नसीब में होनी चाहिए थी.

अपनी उम्र से कई साल छोटे, लंबेतगड़े और साफ रंगत वाले रिंकू यादव को देख कर रागिनी भी बहुत प्रभावित हुई.

बिजली का पंखा ठीक करने के दौरान रिंकू रागिनी पर आंखों से तीर चलाता रहा. उस का हर तीर रागिनी के जिगर में हलचल करता रहा. आंखों की मूक भाषा में रागिनी भी बहुत कुछ उस से कहती रही. रिंकू अपना काम कर के चला गया. जबकि रागिनी उस के खयालों में गुम हो गई.

उस दिन के बाद रिंकू यादव अकसर शोभाराम के घर आने लगा. वह ऐसे समय आता, जब शोभाराम घर पर नहीं होता. वह किसी न किसी बहाने घर आता और रागिनी को लाइन मारता. रागिनी भी तिरछी नजरों से रिंकू को देख कर मुसकराती रहती.

मन में जो आकर्षण था, उसे चमकीला बनाने के लिए रिंकू व रागिनी ने देवरभाभी का रिश्ता जोड़ लिया. रिश्ता बना तो बातचीत शुरू हो गई. जल्द ही बातचीत हंसीमजाक तक पहुंच गई. इस के बाद उस में अश्लीलता भी घुलने लगी.

cRinku yadav (Mratak)

अपने से 8 साल छोटे रिंकू की बातों का रागिनी भी हंस कर जवाब दे दिया करती थी. रिंकू रागिनी को रिझाने के लिए उस की तारीफ किया करता था. एक रोज उस ने कहा, ”भाभी, तुम्हें देख कर कोई नहीं कह सकता कि तुम 2 बच्चों की मां हो, तुम तो अभी भी जवान दिखती हो.’‘

अपनी तारीफ सुन कर रागिनी गदगद हो गई थी. इस के बाद एक दिन उस ने कहा, ”भाभी, तुम में गजब का आकर्षण है. कहां तुम और कहां शोभाराम भाई. दोनों की कदकाठी, रंगरूप और उम्र में जमीनआसमान का अंतर है. तुम्हारे सामने तो वह कुछ भी नहीं है.’‘

अपनी तारीफ सुन कर रागिनी अंदर ही अंदर जहां एक ओर फूली नहीं समाई, वहीं दिखावे के लिए उस ने मंदमंद मुसकराते हुए कहा,”झूठे कहीं के, तुम जरूरत से ज्यादा तारीफ कर रहे हो? मुझे तुम्हारी इस तारीफ में दाल में कुछ काला नजर आ रहा है. तुम्हारे भैया को आने दो, बताती हूं, उन से.’‘

इतना कह कर वह जोरजोर से हंसने लगी. हकीकत यह थी कि रागिनी रिंकू को मन ही मन चाहती थी. उस ने केवल दिखावे के लिए यह बात कही थी. रिंकू हर हाल में उसे पाना चाहता था. रागिनी के हावभाव से वह समझ चुका था कि रागिनी भी उसे पसंद करती है. लेकिन वह इजहार नहीं कर पा रही है.

एक दिन दोपहर को रागिनी के दोनों बच्चे सो रहे थे. शोभाराम बाजार गया था. गरमियों के दिन थे. गली में सन्नाटा पसरा था. रिंकू ऐसे ही मौके की तलाश में था. वह रागिनी के घर पहुंच गया. इधरउधर की बातों और हंसीमजाक के बीच रिंकू ने रागिनी का हाथ अपने हाथ में ले लिया.

रागिनी ने इस का विरोध नहीं किया. चेहरे मोहरे से गोरेचिट्टे गबरू जवान रिंकू यादव के हाथों का स्पर्श कुछ अलग ही था. रागिनी का हाथ अपने हाथ में ले कर रिंकू एकटक उस के चेहरे पर निगाहें टिकाए रहा.

अचानक रिंकू की तंद्रा भंग करते हुए रागिनी ने कहा, ”अरे ओ देवरजी, किस दुनिया में खो गए. छोड़ो मेरा हाथ. अगर किसी ने देख लिया तो जानते हो कितनी बड़ी बदनामी होगी.’‘

रागिनी की बात सुन कर रिंकू बोला, ”यहां कोई देख लेगा तो अंदर कमरे में चलें?’‘

”नहीं… नहीं… आज नहीं. वो बाजार गए हैं, किसी भी समय आ सकते हैं. फिर कभी अंदर चलेंगे.’‘ रागिनी ने कहा तो रिंकू ने उस का हाथ छोड़ दिया.

लेकिन वह मन ही मन बेहद खुश था, क्योंकि उसे रागिनी की तरफ से हरी झंडी मिल गई थी. फिर एक दिन मौका मिलते ही रागिनी और रिंकू ने मर्यादा की दीवार तोड़ अपनी हसरतें पूरी कीं. इस के बाद शोभाराम की आंखों में धूल झोंक कर रागिनी, रिंकू के साथ अकसर मौजमस्ती करने लगी. अवैध रिश्तों का यह सिलसिला करीब एक साल तक ऐसे ही चलता रहा.

बेवफा पत्नी और प्रेमी की हत्या – भाग 1

शोभाराम ने नफरत से दोनों लाशों को देखा. फिर वहीं बैठ कर बीड़ी सुलगा कर पीने लगा. एक लाश उस की पत्नी रागिनी की थी और दूसरी रिंकू की थी. छत पर उस ने दोनों को रंगेहाथ रंगरलियां मनाते पकड़ा था. उस के बाद उस ने दोनो की ईंट से सिर कूंच कर हत्या कर दी थी.

बीड़ी के कश के साथ शोभाराम के मन में तरहतरह के विचार आजा रहे थे. इन्हीं विचारों के बीच शोभाराम ने जेब में पड़ा मोबाइल निकाला और पुलिस कंट्रोल रूम के 112 नंबर पर काल की. उस समय रात के 12 बज रहे थे और आसमान में बादल गरज रहे थे.

शोभाराम की काल डायल 112 के एसआई पंकज मिश्रा ने रिसीव की. उन्होंने पूछा, ”बताइए, आप को क्या परेशानी है? आप कौन और कहां से बोल रहे हैं?’‘

”साहब, मेरा नाम शोभाराम दोहरे है. मैं गांव नंदपुर से बोल रहा हूं. मैं ने डबल मर्डर किया है. आप जल्दी से आ कर मुझे गिरफ्तार कर लो.’‘

शोभाराम के मुंह से डबल मर्डर की बात सुन कर पंकज मिश्रा दंग रह गए. फिर वह सोचने लगे, ‘कहीं शोभाराम शराबी तो नहीं और नशे में गुमराह कर रहा है.Ó अत: वह कड़कदार आवाज में बोले, ”इतनी रात बीतने के बावजूद अभी तक तेरा नशा उतरा नहीं, जो डबल मर्डर की सूचना दे रहा है.’‘

”साहब, मैं शराबी नही हूं. मैं पूरे होशोहवास में हूं. मैं सच बोल रहा हूं. मैं ने रागिनी और उस के प्रेमी रिंकू यादव को मार डाला है. दोनों लाशें मेरे मकान की छत पर पड़ी हैं. यकीन हो तो आ जाइएगा.’‘

शोभाराम ने जिस आत्मविश्वास के साथ बात की, उस से एसआई पंकज मिश्रा को यकीन हो गया कि वह जो बता रहा है, वह सच है. अत: उन्होंने सूचना से पुलिस अधिकारियों को अवगत कराया फिर सहयोगियों के साथ नंदपुर गांव पहुंच गए.

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शोभाराम का घर गांव के पूर्वी छोर पर था. पुलिस जीप वहीं जा कर रुकी. शोभाराम पुलिसकर्मियों को छत पर ले गया, जहां 2 लाशें पड़ी थीं. लाशें देख कर एसआई पंकज मिश्रा सिहर उठे. उन्होंने तत्काल शोभाराम को हिरासत में ले लिया. डबल मर्डर की यह घटना उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के नंदपुर गांव में 14 जून, 2023 की रात घटी थी.

डबल मर्डर से मचा हड़कंप

डबल मर्डर की सूचना से जिले के पुलिस अधिकारियों में भी हड़कंप मच गया था. कुछ देर बाद ही एसएचओ आर.डी. सिंह, सीओ (सिटी) प्रदीप कुमार, एसपी चारू निगम तथा एएसपी दिगंबर कुशवाहा घटनास्थल पर आ गए.

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पुलिस अधिकारियों ने बड़ी बारीकी से घटनास्थल का निरीक्षण किया. हत्यारे शोभाराम ने बड़ी बेरहमी से दोनों की ईंट से कूंच कर हत्या की थी. मृतकों में रागिनी व रिंकू यादव था. रागिनी की उम्र 30 वर्ष के आसपास थी. रिंकू की उम्र 22 वर्ष के आसपास थी. दोनों के शव अर्धनग्नावस्था में थे. छत पर शवों के करीब ही खून से सनी ईंट पड़ी थी, जिसे पुलिस ने सुरक्षित कर लिया.

पौ फटते ही नंदपुर गांव में सनसनी फैल गई. जिस ने भी 2 हत्याओं की बात सुनी, उसी ने दांतों तले अंगुली दबा ली. कुछ ही देर में शोभाराम के घर के बाहर भारी भीड़ जुट गई. मीना यादव को जब पता चला कि शोभाराम ने उस के बेटे रिंकू को मार डाला है तो वह बदहवास हालत में घटनास्थल पहुंची और बेटे का शव देख कर फूटफूट कर रोने लगी.

महिलाओं ने उन्हें किसी तरह संभाला. रिंकू के पिता लायक सिंह होमगार्ड थे. वह सहार थाने में ड्यूटी पर थे. उन्हें बेटे की हत्या की खबर लगी तो वह भी गांव आ गए. बेटे का शव देख कर वह भी बिलखने लगे.

रिंकू यादव की हत्या से नंदपुर गांव की यादव जाति में गुस्से की आग भड़क उठी थी. उन में आक्रोश इस बात से था कि शोभाराम जैसे छोटी जाति के व्यक्ति ने उन की बिरादरी के युवक की हत्या कर दी थी. इस हत्या से उन की प्रतिष्ठा पर आंच आई है. नवयुवकों में गुस्सा कुछ ज्यादा था.

एसपी चारू निगम व एएसपी दिगंबर कुशवाहा को जब यादव बिरादरी में जन आक्रोश की जानकारी हुई तो उन्होंने कई थानों की पुलिस फोर्स को घटनास्थल पर बुलवा लिया और नंदपुर गांव की हर गली के मोड़ पर पुलिस पहरा लगा दिया. यही नहीं, उन्होंने हर स्थिति से निपटने के लिए पीएसी का कैंप भी लगा दिया.

कड़ी सुरक्षा के बीच पुलिस अधिकारियों ने मृतक रिंकू व मृतका रागिनी के शवों को सीलमोहर करा पोस्टमार्टम के लिए औरैया के जिला अस्पताल भिजवा दिया.

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शोभाराम दोहरे को पुलिस सुरक्षा में थाना सहायल लाया गया. यहां पर पुलिस अधिकारियों ने उस से घटना के संबंध में पूछताछ की. शोभाराम ने अधिकारियों के सामने दोनों हत्याओं का जुर्म कुबूल कर पूरी घटना की जानकारी दी. उस ने इस घटना में किसी अन्य के शामिल होने से साफ इंकार किया.

चूंकि शोभाराम ने जुर्म कुबूल कर लिया था और पुलिस ने आलाकत्ल खून सनी ईंट भी बरामद कर ली थी, इसलिए एसएचओ आर.डी. सिंह ने मृतक रिंकू यादव की मां मुन्नी देवी की तहरीर पर भादंवि की धारा 302 के तहत शोभाराम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा शोभाराम को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस पूछताछ में उस ने इस हत्याकांड की जो वजह बताई, वह एक बेवफा पत्नी की कहानी निकली.

उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जनपद के थाना रसूलाबाद के अंतर्गत एक गांव है-झकर गढ़ा. रागिनी इसी गांव की रहने वाली थी. उस के पिता राजाराम दोहरे गांव के दबंग किसान थे. 3 बहनों में रागिनी सब से छोटी, सब से दुलारी और बेहद खूबसूरत थी. राजाराम अपनी 2 बड़ी बेटियों का विवाह कर चुके थे. अब वह रागिनी का घर बसाना चाहते थे. इस बारे में घर में बात भी होने लगी थी.

शादी की चर्चा चलते ही रागिनी का मन गुदगुदाने लगा. खुली आंखों से वह जीवनसाथी के सुहाने सपने देखने लगी थी. वह सोचती कि मेरे दोनों जीजा हैंडसम हैं तो पिता मेरे लिए भी सैकड़ों में से किसी एक को चुनेंगे क्योंकि अपनी बहनों से मैं ज्यादा हसीन जो हूं.

रागिनी की तमन्ना थी कि उस का पति फिल्मी हीरो जैसा और खूब प्यार करने वाला हो. राजाराम की तलाश जारी थी. इसी तलाश के दौरान राजाराम को शोभाराम के बारे में पता चला.

जगदीश दोहरे औरैया जिले के नंदपुर गांव के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी सरला के अलावा 2 बेटियां व एक बेटा शोभाराम था. बेटियों की वह शादी कर चुके थे. शोभाराम अभी कुंवारा था. बापबेटे दोनों मिल कर अपनी जमीन पर मौसमी सब्जियों की खेती करते थे और शहर कस्बे में बेचते थे. शोभाराम राजमिस्त्री भी था.

राजाराम ने नंदपुर गांव जा कर जगदीश दोहरे से मुलाकात की और उन के बेटे शोभाराम के साथ अपनी बेटी रागिनी की शादी करने की बात की.

जगदीश की पत्नी सरला की मौत हो चुकी थी. इसलिए जगदीश भी बेटे का विवाह करने के इच्छुक थे. इसलिए पहले लड़की देखने की इच्छा जताई. इस के बाद उन्होंने झकर गढ़ा गांव जा कर रागिनी को देखा तो वह उन्हें पसंद आ गई. फिर सन 2012 की पहली लगन में रागिनी और शोभाराम का विवाह हो गया.

विवाह मंडप में रागिनी ने पहली बार पति को देखा था. शोभाराम सूट पहने था, सिर पर सेहरा बंधा था, उस के चारों ओर घर वालों का हुजूम था, इसलिए रागिनी उसे नजर भर कर देख नहीं पाई.