संजय मिश्रा की ‘वध’ में क्यों अहम है ‘मनोहर कहानियां’ मैगजीन का रोल, जानें निर्देशक से

नौ दिसंबर को प्रदर्शित होने जा रही संजय मिश्रा व नीना गुप्ता के अभिनय से सजी थ्रिलर फिल्म ‘‘वध’’ की कहानी काफी रोचक है. इसमें अपने बेटे की वजह से परेशानियां झेल रहे बुजुर्ग शिक्षक शंभूनाथ मिश्रा (संजय मिश्रा) को हालातों के चलते मजबूरन प्रजापति पांडे (सौरभ सचदेव) का वध करना पड़ता है, उसके बाद क्या होता है, यह तो फिल्म देखने पर पता चलेगा. लेकिन इस फिल्म में शिक्षक मिश्रा ही नहीं पुलिस के अफसर भी ‘‘दिल्ली प्रेस पत्र प्रकाशन’’ की मशहूर पत्रिका ‘‘मनोहर कहानियां’’ पढ़ते हुए और इस पत्रिका को लेकर चर्चा करते नजर आएंगे.

जब इस फिल्म का टीजर, ट्रेलर के अलावा पोस्टर जारी किया गया था, तभी से सवाल उठ रहे थे कि इसमें अभिनेता संजय मिश्रा ‘मनोहर कहानियां’ पत्रिका पढ़ते हुए क्यों नजर आ रहे हैं? आज जब हमने फिल्म देखी,तो हमें काफी कुछ समझ में आ गया. लेकिन हमारे दिमाग में सवाल उठा कि आखिर इस फिल्म में किसी अन्य पत्रिका की बजाय ‘‘मनोहर कहानियां’’ को ही निर्माता निर्देशक व लेखक ने क्यों चुना?
इस सवाल का जवाब पाने के लिए हमने फिल्म के एक लेखक व निर्देशक जसपाल सिंह संधू से बात की.

लेखक, निर्देशक व अभिनेता जसपाल संधू का नाम सिनेमा जगत में नया नही है. वह इससे पहले अंग्रेज, लव पंजाब, लाहोरिया, वेख बरातन चालियां, भलवान सिंह, गोलक बुगनी बैंक ते बटुआ, अफसर जैसी पंजाबी फिल्मों का निर्माण तथा ‘अंग्रेज’ और ‘उड़ा ऐडा’ जैसी पंजाबी फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं.

अब जसपाल सिंह संधू ने अब राजीव बरनवाल के साथ मिलकर हिंदी फिल्म ‘‘वध’’ का लेखन व निर्देशन करने के साथ साथ इसमें विधायक का अहम किरदार भी निभाया है. इस फिल्म को कोविड के ही दौर में सभी नियमों का पालन करते हुए फिल्माया गया. कुछ सीन बाद में फिल्माए गए. पहले इस फिल्म का नाम ‘ग्वालियर’ था. लेकिन ‘मनोहर कहानियां’ को इस फिल्म के साथ जोड़ने के साथ ही फिल्म का नाम बदलकर ‘‘वध’’ कर दिया गया.

हमने जसपाल सिंह संधू से सवाल किया कि उन्होने इस फिल्म में ‘मनोहर कहानियां’ पत्रिका को ही क्यो जोड़ा?

पूरी फिल्म देखने के बाद ‘मनोहर कहानियां’ पत्रिका अपने आप में एक किरदार की तरह मौजूद नजर आती है?

इस पर जसपाल सिंह संधू ने कहा-‘‘देखिए, फिक्शन में हमें एक बड़ा ब्रांड चाहिए था. हमें ‘मनोहर कहानियां’ से बड़ा ब्रांड नजर ही नहीं आया. जब पानी खरीदने जाते हैं, तो हम ‘बिसलरी’ ही खरीदते हैं. तो फिर हम अपनी इतनी बड़ी फिल्म के लिए किसी अन्य नाम पर समझौता कैसे कर सकते थे.

हमने अपनी फिल्म की शूटिंग कोविड काल में ग्वालियर में शुरू कर दी थी. उस दौरान हमने काफी शूटिंग कर ली थी. पर तब तक हमें ‘मनोहर कहानियां’ पत्रिका का नाम उपयोग करने की इजाजत नहीं मिली थी. इसलिए हमने कुछ सीन रोक रखे थे. जब हमें प्रकाशक से इजाजत मिली, तब हमने उन सीन्स को फिल्माया.

इसमें से पुलिस स्टेशन में पुलिस वाले को ‘मनोहर कहानियां’ पत्रिका देते हुए संजय मिश्रा के जो संवाद वाला लंबा पूरा सीन आपने फिल्म में देखा है,वह भी हमने बाद में फिल्माया है. हम इतना कह सकते हैं कि फिल्म में ‘मनोहर कहानियां’ जोड़ने से हम फिल्म ‘वध’ की कहानी को कहने में रोचकता पैदा करने में सफल रहे हैं.’’

‘‘लव फिल्मस’’ प्रस्तुत फिल्म ‘‘वध’’ का निर्माण लव रंजन, अंकुर गर्ग,जतिन चैधरी,मयंक जोहरी, नीरज रुहिल ने किया है. फिल्म के निर्देशक जसपाल सिंह संधू व राजीव बरनवाल हैं.
फिल्म को अभिनय से संवारने वाले कलाकार हैं- संजय मिश्रा, नीना गुप्ता, मानव विज, सौरभ सचदेव, दिवाकर कुमार, तान्या लाल, उमेश कौशिक, अभितोष सिंह राजपूत, प्रांजल पटेरिया व अन्य.

टीवी एक्ट्रेस सुरभि तिवारी : भंवर में फंसी जिंदगी – भाग 3

दिल्ली पहुंचते ही सुरभि की ननदों और सास की प्रताड़ना फिर शुरू हो गई. ननदें सुरभि को मोटी कह कर ताने मारने लगीं. पतली होने के लिए फास्टिंग करने का दबाव बनाने लगीं. जैसेतैसे कुछ महीने बीत गए. प्रवीण का 7 जनवरी, 2020 को जन्मदिन आने वाला था.

सास ने सुरभि से कहा, ‘‘अच्छी साड़ी पहन कर तैयार हो जाओ और मेरे साथ चलो. हम भाजपा दफ्तर के अलावा कुछ नेताओं के घर जाने वाले हैं.’’

किंतु सुरभि ने मना कर दिया. उस के बाद हर दिन घर के अंदर झगड़े होने लगे. अगले महीने ही 10 फरवरी, 2020 को शादी की पहली सालगिरह थी. परिवार ने इसे जश्न के तौर पर मनाने का निर्णय कर किसकिस को बुलाना है, उस की सूची बनाई जाने लगी.

सुरभि ने भी दिल्ली के अपने कुछ दोस्तों को बुलाने की सूची बनाई, मगर सास ने उसे किसी दोस्त या रिश्तेदार को बुलाने से मना कर दिया. इस बात पर सुरभि की सास के अलावा ननदों से भी काफी कहासुनी हो गई थी.

इतना ही नहीं, एक बार सुरभि बीमार हो गई थी. पैरों में काफी सूजन थी. सुरभि ने पड़ोसी से पूछ कर एक मसाज करने वाली महिला को बुलवा लिया था.

संयोग से वह मुसलिम थी. बात 16 फरवरी, 2020 की थी. वह मुसलिम महिला किचन में तेल गर्म करने गई तो ननद श्वेता ने उसे खूब डांटा कि वह उस के किचन में कैसे घुस आई. महिला सुरभि के पास जा कर रोेने लगी. उस वक्त प्रवीण घर में नहीं था.

शाम को प्रवीण के आने पर सुरभि ने दिन की घटना के बारे में शिकायत की. प्रवीण ने जब बहन से इस बारे बात की तब उस के साथ दोनों बहनें उलझ पड़ीं. यहां तक कि उसे ही डांटते हुए कहा, ‘‘मेरी मां ने जमीन बेच कर तुम्हें पायलट बनाया है. यह घर और तुम्हारी सारी प्रौपर्टी हमारी है. अभी का अभी तुम अपनी पत्नी सुरभि को ले कर घर से निकल जाओ.’’

सुरभि मजबूर हो कर चली आई मायके

यह सुरभि के लिए एक नई समस्या थी. उस वक्त सुरभि के ससुर व उन का मैडिकल सहायक हीरालाल भी मौजूद थे. उन्होंने इस पर जरा भी प्रतिक्रिया नहीं जताई. उस के बाद  16 फरवरी, 2020 को सुरभि दिल्ली से मुंबई आ गई. उस के बाद वह दोबारा दिल्ली नहीं गई.

दिल्ली से मुंबई आते समय वह अपने जेवर ले कर आई थी, जो उस ने रिश्तेदारों को दे दिए थे. जाते वक्त वह उसे वापस नहीं मिले. सुरभि के मुंबई पहुंचने पर प्रवीण उस से अकसर वीडियो काल कर हालसमाचार लेने लगा. एक महीने बाद ही कोरोना काल का दौर आया और पूरे देश में लौकडाउन लगा दिया गया. मुंबई का जीवन भी ठप हो गया. फिल्में और सीरियलों की शूटिंग बंद हो गई. इसी के साथ सुरभि की आमदनी भी रुक गई.

दूसरी तरफ पति अकसर वीडियो काल कर के पूछता था कि वह कहां है? क्या कर रही है? इत्यादि बातों से वह एकदम तंग आ चुकी थी. वह उसे न काम करने दे रहा था और न ही खर्च के लिए पैसे ही दे रहा था.

इधर मुंबई में अपने किस्त पर खरीदे फ्लैट में सुरभि के दिन मां के साथ गुजर रहे थे. सुरभि के पास कोई जमापूंजी नहीं थी. फ्लैट की ईएमआई चल रही थी. अंधेरी के लोखंडवाला में फ्लैट होने के चलते मेंटिनेंस का भी काफी खर्च था.

छोटेछोटे खर्चों का सुरभि देती थी पति को हिसाब प्रवीण उसे सिर्फ 20 हजार रुपए घर खर्च वगैरह के लिए देता था. लेकिन उस के खर्च की एकएक पाई का हिसाब लेता था. घर के राशन से ले कर आटोरिक्शा आदि तक के बिल वाट्सऐप पर मंगवाता था. आटोरिक्शा के मीटर की फोटो खींच कर प्रवीण के पास भेजनी पड़ती थी.

क्रेडिट कार्ड सुरभि के पास था, पर उस का ओटीपी प्रवीण के फोन पर ही आता था. जब भी सुरभि औनलाइन सामान मंगवाती थी, तब प्रवीण से ओटीपी मांग कर ही पेमेंट कर पाती थी.

प्रवीण हर माह लिखा कर सुरभि के हस्ताक्षर सहित कागज वाट्सऐप पर मंगाता था कि सुरभि ने कितने रुपए की सब्जी खरीदी. यहां तक कि 20 रुपए का वड़ा पाव खरीदा तो उस का भी बिल भेजना होता था. एक बार सुरभि ने पानीपूरी का पैकेट खरीद लिया था तो प्रवीण ने डांट कर कहा था कि घर में रह कर सामान्य खाना ही खाए. पानीपूरी खाना तो फिजूलखर्ची है.

इस तरह प्रवीण से मिल रहे मेंटल टार्चर से सुरभि डिप्रेशन में चली गई थी. एक तरफ कोरोना से बचाव करना था तो दूसरी तरफ पति की मानसिक प्रताड़ना की शिकार थी. एक बार वह नजदीक के कोकिलाबेन अंबानी अस्पताल में इलाज कराने गई तो प्रवीण ने वह रकम यह कह कर नहीं दी कि यह गलत है. प्रवीण ने सुरभि से कहा कि उसे हर बार चैरिटी अस्पताल में इलाज कराना चाहिए.

एक बार मिल्लत नगर, अंधेरी के चैरिटी अस्पताल में जब वह अपना इलाज कराने गई, तब उस के कुछ दोस्तों ने देख कर सुरभि को सलाह दी कि इस तरह की नरक की जिंदगी जीने के बजाय उसे अपने पति से तलाक ले लेना चाहिए.

उन की सलाह पर ही सुरभि ने मन को कड़ा करते एक दिन फोन पर प्रवीण से यह बात कह दी. प्रवीण ने कह दिया कि वह उसे तलाक नहीं देगा. पूरी जिंदगी तड़पाएगा.

आखिरकार 20 जून, 2022 को मुंबई के वर्सोवा पुलिस थाने में एपीआई युवराज दलवी के सामने पति प्रवीण कुमार सिन्हा, सास लीलावती सिन्हा, ननद श्वेता व शिल्पा सिन्हा के खिलाफ सुरभि ने एक शिकायत दी.

मामला अदालत में गया और 498ए, 377, 406 आदि भादंवि की धाराओं के तहत  मुकदमा दर्ज कर लिया गया. कथा लिखे जाने तक अदालत में इस मामले की सुनवाई शुरू हो चुकी थी.

इस तरह से ‘शगुन’, ‘कुमकुम’, ‘हरी मिर्च लाल मिर्च’, ‘कुलवधू’, ‘दीया और बाती हम’ व ‘एक रिश्ता साझेदारी का’ सहित कई सफल टीवी सीरियलों की अदाकारा सुरभि तिवारी ने महज 13 वर्ष की उम्र से अभिनय करना शुरू कर दिया था.

सीरियल ‘शगुन’ से उसे जबरदस्त सफलता मिली थी. 2009 में सुरभि तिवारी ने ‘म्हाडा’ की लौटरी से अंधेरी इलाके में मकान खरीदा, जिस के लिए स्टेट बैंक औफ इंडिया से 30 लाख रुपए का कर्ज भी लिया, जिस की ईएमआई जारी है.

वह अभिनय में इस कदर व्यस्त रही कि विवाह कर घर गृहस्थी बसाने के बारे में सोचने का मौका तक नहीं मिला था. उसे आखिरी बार ‘एक रिश्ता साझेदारी का’ सीरियल में देखा गया था.         द्य

(कथा सुरभि तिवारी से हुई बातचीत और   एफआईआर नंबर 03

टीवी एक्ट्रेस सुरभि तिवारी : भंवर में फंसी जिंदगी – भाग 2

प्रवीण ने मान लीं सुरभि की शर्तें

30 अक्तूबर, 2017 को प्रवीण और सुरभि की दूसरी मुलाकात जुहू के होटल नोवाटेल में हुई. वह डेटिंग लंबी थी. डिनर के साथसाथ करीब 2 घंटे लंबी बातचीत के दौरान प्रवीण ने शादी के बाद की जिंदगी के बारे में काफी बातें की.

प्रवीण ने कहा कि वह मुंबई में अपना मकान खरीद लेगा और अपने साथ सुरभि की मां को भी रखेगा. उस ने वादा किया कि सुरभि की इच्छा के मुताबिक उस की उम्र को देखते हुए जल्द ही परिवार भी आगे बढ़ा लेगा. वास्तव में उस वक्त तक सुरभि 39 की हो चुकी थी और शादी के बाद जल्द मां बनना चाहती थी.

प्रवीण ने इस पर भी हामी भर दी थी. उस के एक सप्ताह के भीतर ही 6 नवंबर, 2017 को प्रवीण ने एक बार फिर मुंबई पहुंच कर सांताक्रुज स्थित होटल ग्रैंड हयात में सुरभि से मुलाकात की. उन्होंने उस रोज भी मुंबई में अपना स्थायी ठिकाना बनाने का आश्वासन देते हुए बताया कि उस की  एअरलांइस कंपनी इंडिगो से ट्रांसफर की बात हो गई है. शादी के 6 महीने बाद वह दिल्ली से मुंबई शिफ्ट हो जाएगा, किंतु तब तक उसे दिल्ली में ही रहना होगा.

इस पर सुरभि तिवारी ने कुछ देर सोच कर आगे का निर्णय मां के ऊपर छोड़ दिया. किंतु अगले दिन 7 नवंबर, 2017 को ही सुरभि ने ‘सायकोरियन मैट्रीमोनी सर्विसेस’ को फोन कर दूसरे लड़के की प्रोफाइल मांगी.

इस की जानकारी प्रवीण को भी हो गई. उस ने अपनी मां लीलावती सिन्हा को आगे कर दिया. अंतत: लीलावती ने सुरभि से फोन पर बात की और बीच का रास्ता निकालते हुए शादी का माहौल बनाने लगी.

लीलावती के फैसले को सुरभि और उस की मां भी नहीं बदल पाईं. फिर भी शादी की तारीख तय नहीं हो पा रही थी. सुरभि की शूटिंग के साथसाथ प्रवीण संग डेटिंग भी चलती रही.

बदला गिरगिट जैसा रंग 

अंतत: सुरभि ने अपने विचार बदल लिए. उन्होंने 10 दिसंबर, 2018 को दिल्ली के फैमिली कोर्ट में जा कर शादी कर ली. हालांकि हिंदू विधि विधान से उन की शादी 10 फरवरी, 2019 को यारी रोड, मुंबई में संपन्न हुई.

शादी के अगले रोज ही वे 9 दिनों के लिए हनीमून पर गोवा चले गए. दोनों गोवा के होटल में ठहरे. सुरभि ने महसूस किया कि प्रवीण बदला हुआ नजर आ रहा है. उस के बातचीत करने के ढंग और व्यवहार में से नरमी गायब हो चुकी है. वह उस के साथ एक तानाशाह की तरह पेश आ रहा है.

यही नहीं, रात को बैड पर जाने से पहले ही कह दिया कि वह अभी बच्चा नहीं चाहता है. जिंदगी के मजे लेना चाहता है. देश के विभिन्न शहरों के अलावा विदेश घूमना चाहता है. उस के बाद ही बच्चे की प्लानिंग करेगा. इस पर जब सुरभि ने कहा कि बच्चा पैदा करने की उम्र काफी निकल चुकी है, तब वह उसे झिड़क दिया करता.

सुरभि ने प्रवीण में बदलाव और भी कई स्तर पर महसूस किए. बच्चे की बात पर प्रवीण का निर्णय सुन कर सन्न रह गई. उसे जोर का झटका लगा. सुरभि के विरोध पर प्रवीण ने समझा कर उसे चुप करवा दिया.

हनीमून के 9 दिन बाद सुरभि अपने पति प्रवीण सिन्हा के साथ दिल्ली में द्वारका स्थित फ्लैट पर पहुंची. उस का स्वागत सास लीलावती सिन्हा, ससुर ब्रजेंद्र सिन्हा, 2 ननदें श्वेता सिन्हा और शिल्पा सिन्हा ने किया. वहां जा कर उसे पता चला कि अगले महीने 5 मार्च, 2019 को दिल्ली में शादी के रिसैप्शन का आयोजन किया गया है.

सुरभि के आते ही प्रवीण ने उस के सामने सादा कंप्यूटर पेपर और पेन देते हुए कहा, ‘‘इस पर लिख दो कि मैं ने तुम से बगैर दहेज लिए यह शादी की है. हम इस का प्रयोग आरा और पटना की चुनावी जनसभाओं में करेंगे, जिस से मेरी मां को चुनाव में जीतने के लिए अधिक से अधिक वोट मिलेंगे.’’

इस पर सुरभि तुनकती हुई बोली, ‘‘तो आप ने दहेज इस वजह से नहीं लिया कि मेरा इस्तेमाल राजनीतिक स्वार्थ के लिए कर सकें.’’

‘‘तुम हर बात को गलत ढंग से क्यों देखती हो. जब मेरी मां यानी कि अब तुम्हारी सास विधायक बन जाएगी, तब इस का फायदा तुम्हें और हम सभी को मिलेगा.’’

सुरभि को अपनी तरह से चलाना चाहते थे ससुराल वाले

घर के लोग शादी के रिसैप्शन की तैयारियों में जुट गए थे. मेहमानों के अलावा एक अलग लिस्ट पत्रकारों की भी बनी थी, लेकिन प्रवीण और उस की मां ने सुरभि को सख्त हिदायत दी थी कि वह मीडिया के सामने अकेली नहीं आएगी. उसे यहां मुंबई की बात भूलनी होगी. सब से महत्त्वपूर्ण हिदायत यह थी कि रिसैप्शन में जो भी उपहार मिलेंगे, उस पर उस का कोई अधिकार नहीं होगा. इस के साथ ही और भी कई तरह की हिदायतें दी गईं, जिसे सुन कर वह अंदर ही अंदर आने वाली विपत्तियों की कल्पना कर सिहर गई.

रिसैप्शन में लीलावती सिन्हा ने खुद को पटना में भाजपा की सक्रिय सदस्य के रूप में कार्यरत व एक माहिर राजनेता के तौर पर पेश किया. उन्होंने मीडिया के सामने सुरभि को चांदी का मुकुट पहना कर प्रदर्शित किया और उसे दहेज के बगैर लाई बहू के रूप में प्रचारित किया.

7 मार्च के बाद जब सुरभि की मां और भाई वापस मुंबई लौट आए, तब सास लीलावती ने भी अपना पैंतरा बदलते हुए सुरभि से तीखे लहजे में कहा, ‘‘देखो, अब तुम एक बिहारी परिवार की बहू हो. हमारे समाज की मान्यताओं के अनुसार रहो. कब, किस से, किस तरह मिलनाजुलना है, वह मैं बताऊंगी. अब डेली सोप वाले टीवी सीरियल में अभिनय करने के बजाय वेब सीरीज और फिल्मों में अभिनय करो. जब शूटिंग हो तब दिल्ली से मुंबई जाओ. अन्यथा दिल्ली या पटना में ही रहो.’’

इस के अलावा सास ने यह भी कहा कि वह उस के साथ कुछ भाजपा नेताआें से मिले और जब जरूरत हो, तब मेरे साथ राजनीतिक क्षेत्र में काम करना भी शुरू करे.

हालांकि सुरभि ने इस का विनम्रता से विरोध जताया कि उस की राजनीति में रुचि नहीं है और किसी नेता से मिलने की इच्छा भी नहीं रखती है. अभिनय को नहीं छोड़ सकती है. वह सिर्फ एक्टर ही बनी रहना चाहती है.

उस के बाद तो सुरभि की सास और उन की ननदों ने कठोर तेवर अपना लिए. उन के बदले हुए तेवर का असर सुरभि की निजी जिंदगी पर भी पड़ा. आए दिन किसी न किसी बहाने से प्रवीण की बहनें और मां उसे प्रताडि़त करने लगीं.

एक तरफ सुरभि के सामने सास और ननदों के ताने थे, दूसरी तरफ पति का अमानवीय व्यवहार. सुरभि ने अपनी समस्या मां सरिता तिवारी, भाई सौरभ तिवारी, बहन सारिका शुक्ला व सारिका के पति राजीव शुक्ला को भी सुनाई. उन से इस बारे में फोन पर बातें होती रहती थीं.

उन लोगों ने भी कई बार फोन कर प्रवीण को समझाने की कोशिश की, लेकिन बात और बिगड़ गई. बच्चे के नाम पर प्रवीण ने कहा, ‘‘तुम्हें हालात समझने चाहिए. ऐसा करो, हमें अभी बच्चे की जरूरत नहीं है. तुम कुछ दिन मुंबई में ही रह कर अभिनय करिअर को संवारो. मैं यहां किसी अच्छे कारोबार की योजना बना रहा हूं.’’

पतिपत्नी के बीच बढ़ गए मतभेद

मार्च में होली के दिन सुरभि अपने मायके मुंबई चली आई. जल्द ही प्रवीण दिल्ली लौट आया. बीचबीच में वह सुरभि को बुला कर अपने साथ फ्लाइट में ले जाने लगा. उन के बीच तनाव कुछ कम हो गया था. एक दिन पति को खुश देख कर सुरभि ने कहा, ‘‘आप अभी मुंबई में ही हो. तो फ्लैट तलाश कर खरीद लो.’’

जवाब में प्रवीण ने कहा, ‘‘यह तय है कि मैं मुंबई में घर नहीं खरीद सकता. और यहां किराए का भी मकान नहीं ले सकता. क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं है. मेरे सारे पैसे खर्च हो चुके हैं. तुम्हें मेरे साथ दिल्ली में ही आ कर रहना होगा.’’

इस बात पर सुरभि और प्रवीण के बीच काफी बहस हुई. अंतत: प्रवीण अकेले ही दिल्ली लौट आया. पतिपत्नी के बीच बढ़ते मतभेद को देख कर सुरभि की मां ने सुरभि को कुछ दिनों तक पति के साथ रहने की सलाह दी. मां के कहने पर 2-3 दिन के बाद सुरभि भी दिल्ली आ गई.

टीवी एक्ट्रेस सुरभि तिवारी : भंवर में फंसी जिंदगी – भाग 1

लंबे समय तक चलने वाले सीरियलों की दमदार अभिनेत्री सुरभि तिवारी की वैवाहिक जिंदगी 3 साल में ही लड़खड़ा गई. उन्हें न अच्छे ‘शगुन’ और ‘कुलवधू’ की अनुभूति हो पाई और न ही पायलट पति प्रवीण कुमार के संग साझेदारी का रिश्ता ही निभाना संभव हो पाया. मुंबई, दिल्ली और पटना तक के सफर में विधायक बनने का सपना संजोए सास लीलावती सिन्हा के लिए वह एक प्रचारक मात्र थी तो पति के लिए कुछ और. यौन हिंसा की शिकार ‘दीया और बाती हम’, ‘हरी मिर्च लाल मिर्च’ और ‘तोता वेड्स मैना’ की सुरभि का अब क्या होगा…पूछ रहे हैं उन के प्रशंसक.

करीब 6 साल पहले नवंबर 2016 की बात है. ‘शगुन’ सीरियल की अभिनेत्री सुरभि तिवारी एक सीरियल की शूटिंग से फारिग हो कर रात के साढ़े 9 बजे अंधेरी स्थित अपने फ्लैट लौट रही थी. कैब सामान्य गति से अपनी लेन में थी. उस के साथ सहकलाकार और सहेली अपूर्वा भी थी. तभी उस की मां का फोन आया था.

मां देरी होने पर चिंता जता रही थीं. तब सुरभि ने फोन पर जवाब में मां को समझाया, ‘‘बस मां, मैं 20 मिनट में पहुंच रही हूं. ये कैब वाले भैया गाड़ी थोड़ी धीमी चला रहे हैं. वैसे भी मेरे साथ अपूर्वा है न.’’

‘‘मां चिंता कर रही हैं न!’’ बगल में बैठी सहेली अपूर्वा बोली.

‘‘हां यार, मां को हमेशा एक ही चिंता रहती है… देर हो गई… रात हो गई… जमाना ठीक नहीं है…’’ सुरभि बोलने लगी.

‘‘मां हैं न! हर मां को बच्चों के भविष्य के साथसाथ सुरक्षा की भी चिंता रहती है. ऐसा कर तू अब शादी कर ले. फिर देखना तुम्हारी मां की यह चिंता हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी,’’ अपूर्वा बोली.

‘‘तू तो ऐसे बोल रही है, जैसे लड़का कहीं रखा हुआ हो, और जा कर मैं उसे उठा ले जाऊं मंडप पर.’’ सुरभि बोली.

‘‘ऐसा ही समझ. अपने फील्ड के किसी को पसंद कर लाइफ पार्टनर बना ले.’’ अपूर्वा ने समझाया.

‘‘अरे ना बाबा ना,’’ सुरभि तुरंत बोल पड़ी.

‘‘क्यों अपने फील्ड के लड़के में क्या कमी है? एक से बढ़ कर एक हैं सारे. …और बिहार यूपी के भी तो हैं.’’ अपूर्वा ने तर्क किया.

‘‘बात कमी की नहीं, मेरी पसंद की है. मैं चाहती हूं कि मेरा लाइफ पार्टनर हमारे फील्ड से अलग का हो. क्योंकि दिन भर सेट पर शूटिंग के बाद जब घर पर रहूं तब वहां कैमरा, सीन, सीरियल, चैनल आदि की बातें न हों. किसी तरह के कंप्टीशन की भावना दिमाग में हलचल न पैदा करे. मैं ऐसे व्यक्ति से शादी करना चाहती हूं, जो फिल्म या टीवी जगत का न हो, भले ही वह डाक्टर, इंजीनियर या कोई बैंककर्मी या फिर बिजनैसमैन ही क्यों न हो!’’ सुरभि बोली.

‘‘हां यार, तुम ने कहा तो सही है, लेकिन किस्मत भी तो कुछ होती है.’’ अपूर्वा ने कहा.

‘‘मैं भी देखती हूं मेरी किस्मत में क्या है?’’ सुरभि बोली.

‘‘किस्मत क्या होती है मैडमजी, वह तो कर्म से बदलती रहती है.’’ सुरभि को रोजाना घर तक छोड़ने वाला कैब ड्राइवर अचानक बोल पड़ा. उस की बात सुन दोनों हंस पड़ी.

‘‘लो, अब इस की भी सुनो.’’ अपूर्वा बोली. फिर चुप्पी छा गई.

लांकि तब तक सुरभि के दिमाग में शादी की बात बैठ गई थी. वह सोच में पड़ गई, ‘38 की होने को आई. अभी नहीं तो कब करेगी शादी? अपूर्वा ठीक ही तो कह रही है मेरी जाति, समाज में इतनी उम्र की लड़कियों को तो कोई पूछता ही नहीं. आखिर कहां तलाशा जाए मम्मी की पसंद का पारिवारिक फैमिली का लड़का.’

‘‘क्या सोचने लगी? अरे मैट्रीमोनियल साइट्स हैं न इस के लिए.’’ अपूर्वा उस के मन को भांपते हुए बोली.

जवाब में सुरभि मुसकरा दी. कुछ देर बाद बोली, ‘‘तुम्हारी नजर में कोई विश्वसनीय साइट हो तो बताना.’’

‘‘अब तो समझो हो गई शादी.’’ अपूर्वा हंसते हुए बोली.

मैट्रीमोनियल साइट से मिला जीवनसाथी

सुरभि को शादी के लिए टोकने वाली अकेली अपूर्वा ही नहीं थी. घर में मां से ले कर सेट पर साथ काम करने वाले दूसरे संगीसाथी भी घर बसाने के लिए जब तब कह देते थे. एक दिन सुरभि ने आखिरकार शादी करने का निर्णय ले लिया. दिसंबर, 2016 में उस ने सहेली की मदद से ‘सायकोरियन मैट्रीमोनी सर्विसेज’ में अपनी प्रोफाइल रजिस्टर करवा दी.

अपनी प्रोफाइल में उस ने स्पष्ट रूप से लिख दिया था कि वह किस तरह के व्यक्ति से शादी करना चाहती हैं. इसी के साथ उस ने अपनी कुछ शर्तें भी रखीं. उन में एक महत्त्वपूर्ण शर्त यह भी थी कि वह शादी के बाद मुंबई में ही रहेगी. वह एक्टिंग शादी के बाद भी जारी रखेगी.

कुछ दिन बाद ही मैरिज ब्यूरो की तरफ से कई लड़कों के बायोडाटा सुरभि के ईमेल पर आ गए. उन्हीं में एक इंडिगो एअरलाइंस में कार्यरत पायलट प्रवीण कुमार सिन्हा का प्रोफाइल भी था.

उम्र के अंतर और कदकाठी, पर्सनैलिटी, प्रोफेशन के लिहाज से सुरभि के लिए वह सूटेबल था. सिर्फ शर्त के मुताबिक एक ही कमी थी कि उस की पोस्टिंग दिल्ली में थी. वह दक्षिणपश्चिमी दिल्ली के द्वारका इलाके में अपनी 2 बहनों श्वेता और शिल्पा सिन्हा के साथ रहता था. फिर भी वह सुरभि और उस की मां को जंच रहा था. उन्होंने सोचा क्यों न एक बार लड़के से बात की जाए.

पायलट की नौकरी तो मुंबई में भी की जा सकती है. इसी उम्मीद के साथ सुरभि ने काफी कुछ सोचविचार के बाद सितंबर, 2017 में पहली बार प्रवीण से बात की. उन की एक कैफे हाउस में मुलाकात हुई.

सुरभि ने सिर्फ एक ही सवाल किया, ‘‘क्या आप को मेरी सारी शर्तें मंजूर हैं?’’

इस पर प्रवीण चुप रहा. सुरभि कभी उस के चेहरे को तो कभी अपने हाथ में लिए कौफी के कप को देखती रही. जवाब का इंतजार था.

प्रवीण ने अपनी कौफी का प्याला उठाया. बोला, ‘‘शर्तें बदली भी जा सकती हैं.’’

‘‘कम से कम 2 शर्तें तो नहीं,’’ सुरभि तुरंत बोली.

‘‘…तो फिर मैं ही खुद को बदल लूंगा.’’ प्रवीण के इतना कहते ही सुरभि के चेहरे पर चमक आ गई.

‘‘हमारे पास मौके हैं तरक्की की मंजिल तक पहुंचने के लिए न कि शर्तों में बंध कर लड़खड़ाने के लिए.’’ प्रवीण बोला.

कौफी के अंतिम घूंट तक सुरभि को इतना तो अहसास हो ही गया था कि प्रवीण एक सुलझा हुआ और साथ देने वाला इंसान है. प्रवीण ने साफ लहजे में कह दिया था कि उसे मुंबई आ कर रहने में कोई आपत्ति नहीं है.

वैसे वह मूल निवासी आरा, बिहार का है. पढ़ाई पटना में हुई और नौकरी मिली तब दिल्ली के पालम एयरपोर्ट से सटे द्वारका में आ कर रहने लगा. प्रवीण ने स्पष्ट किया कि एविएशन के उस के कई दोस्त दिल्ली से आ कर मुंबई रहने लगे हैं, इसलिए वह भी ऐसा आसानी से कर सकता है.

उस रोज दोनों के बीच विवाह की सहमति बन गई. अब उन के बातविचार पर परिवार के अभिभावकों की मुहर लगनी बाकी थी. हालांकि सुरभि जल्दबाजी नहीं करना चाहती थी. उस ने अपनी तरफ से सब कुछ समझने के लिए थोड़ा समय लिया. उस ने प्रवीण के बारे में कुछ और जानकारियां जुटा लीं.

पता चला कि प्रवीण की मां लीलावती सिन्हा भाजपा की एक सक्रिय नेता हैं और विधायक बनने के प्रयास में हैं. उन की बिहार की राजनीति में अच्छी दखल है.

कृतिका की रहस्यमय हत्या की हैरतअंगेज कहानी – भाग 3

क्राइम ब्रांच विजय द्विवेदी के पीछे लग गई. फलस्वरूप सन 2012 के शुरुआती दौर में उसे गिरफ्तार कर लिया गया. उस वक्त वह कांग्रेसी नेता सुरेश कलमाड़ी को अपना शिकार बनाने की कोशिश कर रहा था. कलमाड़ी से भी उस ने खुद को जनार्दन द्विवेदी का भतीजा बताया था. क्राइम ब्रांच ने उसे अपनी कस्डटी में ले कर पूछताछ की तो सारा मामला सामने आ गया.

यह बात जब कृतिका को पता चली तो वह स्तब्ध रह गई. विजय द्विवेदी के संपर्क और एक साल तक उस के साथ रहने के बावजूद भी वह उस की हकीकत नहीं जान पाई थी. दरअसल, वह उस से भी बड़ा ऐक्टर था. बहरहाल, विजय द्विवेदी के ठगी का परदा उठा नहीं कि कृतिका ने उस से तलाक ले लिया. उस का साथ छोड़ कर वह अलग रहने लगी. वह अपनी जिंदगी अपनी तरह से बिता रही थी. छोटे पर्दे पर उस के लिए काम की कोई कमी नहीं थी. हत्या के पहले उस ने खुशीखुशी अपना बर्थडे मनाया था. उस के 2-3 दिनों बाद ही उस की हत्या हो गई थी.

धीरेधीरे इस घटना को घटे लगभग एक माह के करीब हो गया. लेकिन अभी तक अभियुक्तों के बारे में पुलिस को कोई जानकारी नहीं मिली थी. पुलिस अपनी तफ्तीश की कोई दिशा तय करती, तभी सांताकु्रज के कालिया लैब की रिपोर्ट देख कर उन का ध्यान एमडी ड्रग्स की तरफ गया. इसी बीच कृतिका के परिवार वालों ने बताया कि अपनी पहली शादी और तलाक के बाद वह काफी दुखी थी, जिस के चलते वह ड्रग्स लेने लगी थी.

जांच अधिकारियों ने उन के इसी बयान को आधार बना कर जांच करने का फैसला किया. एसीपी अरुण चव्हाण ने एक नई टीम का गठन किया. इस टीम में उन्होंने क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर उदय राजशिर्के, नंदकुमार गोपाल, खार पुलिस थाने के असिस्टैंट इंसपेक्टर जोगदंड, वैशाली चव्हाण, दयानायक और सावले आदि को शामिल किया. टीम के लोगों को अलगअलग जिम्मेदारी सौंपी गई.

सीनियर इंसपेक्टर सी.एस. गायकवाड़ के निर्देशन में जांच टीम ने पुन: घटनास्थल का निरीक्षण किया और सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली. इस कोशिश में पुलिस को एक फुटेज में 2 संदिग्ध युवकों की परछाइयां नजर आईं. लेकिन उन का चेहरा स्पष्ट नहीं था. इस के अलावा पुलिस ने करीब 200 लोगों से पूछताछ करने के अलावा कृतिका के फोन की 2-3 सालों की काल डिटेल्स और डाटा निकलवाया. इस के बाद पुलिस को तफ्तीश की एक हल्की सी किरण नजर आई. इसी के सहारे पुलिस कृतिका के हत्यारे ड्रग्स सप्लायर तक पहुंचने में कामयाब हो गई.

दरअसल, कृतिका को ड्रग्स लेने की आदत पड़ गई थी. उसे ड्रग्स आसिफ अली उर्फ सन्नी सप्लाई करता था. वह सिर्फ कृतिका को ही नहीं, बल्कि और भी कई फिल्मी हस्तियों को ड्रग्स सप्लाई किया करता था. इस चक्कर में वह जेल भी गया था. पूछताछ में उस ने बताया कि वह जेल जाने के पहले कृतिका को ड्रग्स सप्लाई करता था, लेकिन उस के जेल जाने के बाद कृतिका उस के दोस्त शकील उर्फ बौडी बिल्डर से ड्रग्स लेने लगी थी.

शकील उर्फ बौडी बिल्डर थाणे पालघर जनपद के उपनगर नालासोपारा (वेस्ट) की एक इमारत में किराए की काफी मोटी रकम दे कर रहता था. ड्रग्स सप्लाई के दौरान कृतिका और शकील खान की अच्छी दोस्ती हो गई थी. इसी के चलते वह कई बार कृतिका को उधारी में ड्रग्स दे देता था. फलस्वरूप कृतिका पर उस के 6 हजार रुपए बकाया रह गए थे. कृतिका उस का पैसा दे पाती, उस के पहले ही वह अगस्त, 2016 के पहले हफ्ते में जेल चला गया था.

शकील नसीम खान के अपने गिनेचुने ग्राहक थे. उन लोगों को ड्रग्स सप्लाई करने के लिए शकील खान बादशाह उर्फ साधवी लालदास से ड्रग्स लेता था. दोनों के बीच उधारी चलती रहती थी. नवंबर, 2016 में जब शकील जेल से बाहर आया तो उस के दोस्त बादशाह ने उस से अपने पैसों की मांग की. कृतिका पर उस के 6 हजार रुपए बाकी थे. दरअसल, एक ही धंधे में होने के कारण शकील खान ने बादशाह से ड्रग्स ले कर कृतिका को सप्लाई किया था. बादशाह ने जब शकील खान पर दबाव बनाया तो उस ने कृतिका से अपने बकाया  पैसों की मांग शुरू कर दी. लेकिन कृतिका उस का पैसा देने में आनाकानी कर रही थी. इस बीच करीब 6 महीने का समय निकल गया.

घटना के दिन शकील खान अपने दोस्त बादशाह को यह कह कर कृतिका के घर ले गया कि पैसा वह कृतिका के घर पर देगा. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. रात का खानापीना करने के बाद चलते समय जब शकील खान ने कृतिका से अपने पैसे मांगे तो उस ने पैसे देने में मजबूरी जताई. इस की वजह से दोनों में विवाद बढ़ गया.

कृतिका ने चिल्ला कर लोगों को एकत्र करने की धमकी दी तो शकील खान को गुस्सा आ गया. उस ने कृतिका के साथ मारपीट शुरू कर दी. शकील खान के पास लोहे का पंच था, जिस से उस ने कृतिका पर कई वार किए. इस के अलावा उस ने पास पड़ी किसी भारी चीज से भी उस के सिर पर वार कर दिया, जिस से उस की मौत हो गई. इस बीच उस का दोस्त बादशाह उन दोनों का बीच बचाव करता रहा. लेकिन कृतिका की जान नहीं बच सकी.

कृतिका की हत्या करने के बाद शकील खान ने कमरे का एसी चालू कर दिया. उस के बाद कृतिका के बदन के सारे जेवर और 22 सौ रुपए नकद ले कर बादशाह के साथ वहां से चला गया. बहरहाल, इन दोनों अभियुक्तों को पुलिस टीम ने 8 जुलाई को रात को नालासोपारा और पनवेल से गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में दोनों ने अपना गुनाह स्वीकार कर लिया है.

विस्तृत पूछताछ के बाद उन के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर के उन्हें अदालत पर पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में आर्थर जेल भेज दिया गया. दोनों अभियुक्त अभी जेल में हैं. लेकिन जांच अधिकारियों के सामने अभी भी एक प्रश्न मुंह बाए खड़ा है कि क्या मात्र 6 हजार रुपए के लिए कृतिका की हत्या की गई. ऐसा लगता तो नहीं है. क्योंकि 6 हजार रुपए न तो ड्रग्स सप्लायरों के लिए बड़ी रकम थी और न ही कृतिका के लिए. बहरहाल मामले की जांच अभी जारी है.

कृतिका की रहस्यमय हत्या की हैरतअंगेज कहानी – भाग 2

उस की हत्या में भी इमारत के सिक्योरिटी गार्ड राजकुमार का हाथ था. इसी थ्योरी के आधार पर इंसपेक्टर दया नायक ने अपनी टीम के साथ तफ्तीश उसी इमारत से शुरू की, जिस में कृतिका रहती थी. उन्होंने इमारत के आसपास रहने वालों से पूछताछ की, वहां लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले, वहां के सिक्योरिटी गार्डों से पूछताछ की और संदेह के आधार पर उसे हिरासत में भी लिया. उस इमारत का दूसरा सिक्योरिटी गार्ड लखनऊ गया हुआ था. उस की तलाश में पुलिस की एक टीम लखनऊ भी भेजी गई. लेकिन वहां से उसे खाली हाथ लौटना पड़ा.crime story

27 वर्षीया मौडल और अभिनेत्री कृतिका उत्तराखंड के हरिद्वार की रहने वाली थी. उस के पिता हरिद्वार के सम्मानित व्यक्ति थे. ऐशोआराम में पलीबढ़ी कृतिका खूबसूरत भी थी और महत्वाकांक्षी भी. वह ग्लैमर की लाइन में जाना चाहती थी. जबकि उस का परिवार चाहता था कि वह पढ़लिख कर कोई अच्छी नौकरी करे. कृतिका के सिर पर अभिनय और बौलीवुड का भूत कुछ इस तरह सवार था कि उसे मांबाप की कोई भी सलाह अच्छी नहीं लगती थी. वह बौलीवुड में जाने के लिए स्कूल और कालेजों के हर प्रोग्राम में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती थी. इसी के चलते उसे अनेक पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र मिल चुके थे.

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद कृतिका बौलीवुड की रंगीन दुनिया में काम पाने के लिए प्रयास करने लगी. इस के लिए उस ने अपना फोटो प्रोफाइल तैयार करा लिया था, जिसे वह विभिन्न विज्ञापन एजेंसियों को भेजती रहती थी. कुछ एक एजेंसियों ने उसे रिस्पौंस भी दिया और उसे औडिशन के लिए भी बुलाया. मौडलिंग की दुनिया में वह कुछ हद तक कामयाब भी हो गई थी. इस से उस का हौसला काफी हद तक बढ़ गया. उसे मौडलिंग के औफर मिलने लगे थे.

वैसे बता दें कि कृतिका मौडल नहीं बनना चाहती थी, क्योंकि शरीर के कपड़े उतार कर देह की नुमाइश करना उसे अच्छा नहीं लगता था. पर फिल्मों में काम करने की ललक उसे ऐसे विज्ञापनों में काम करने को मजबूर करती रही और इन्हीं के सहारे वह मुंबई जा पहुंची.

सन 2009 में कृतिका मायानगरी मुंबई आ गई और मौडलिंग करने लगी. मौडलिंग के साथसाथ वह बौलीवुड की दुनिया में भी अपनी किस्मत आजमाती रही. इसी चक्कर में उस ने मौडलिंग एजेंसियों के कई औफर भी ठुकराए. परिणाम यह हुआ कि उस के पास मौडलिंग एजेसियों के औफर आने बंद हो गए. इस बीच वह कई फिल्म निर्माताओं और निर्देशकों से भी मिली. लेकिन उन से उसे आश्वासन तो मिले, पर काम नहीं.

इस सब के चलते एक तरह से वह निराशा से घिर गई थी. तभी एक पार्टी में उस की मुलाकात दिल्ली के बिजनैसमैन राज त्रिवेदी से हुई. जल्दी ही राज त्रिवेदी और कृतिका ने शादी कर ली. शादी के बाद दोनों दिल्ली आ गए. लेकिन कृतिका अपनी शादीशुदा जिंदगी में अधिक दिनों तक खुश नहीं रह पाई और एक साल में ही राज त्रिवेदी से तलाक ले कर आजाद हो गई. अपनी शादी की असफलता से कृतिका टूट सी गई थी, लेकिन उस ने अपने सपनों को नहीं टूटने दिया था.crime story

दिल्ली में रहते हुए कृतिका की मुलाकात शातिर ठग विजय द्विवेदी से हुई. विजय द्विवेदी मुंबई के कई बड़े फिल्मी सितारों और राजनेताओं को चूना लगा चुका था. जिन में फिल्म जगत के जानेमाने अभिनेता गोविंदा, टीवी और भोजपुरी फिल्मों की अभिनेत्री श्वेता तिवारी तथा बालाजी टेलीफिल्म्स की मालिक एकता कपूर और कांग्रेस के कद्दावर नेता अमरीश पटेल शामिल थे.

30 वर्षीय विजय द्विवेदी मूलरूप से दिल्ली का रहने वाला था. वह मध्यवर्गीय परिवार से संबंध रखता था, साथ ही सुंदर और आकर्षण व्यक्तित्व का मालिक था. खुद को वह कांग्रेस के कद्दावर नेता जनार्दन द्विवेदी का भतीजा बता कर लोगों को अपना परिचय बड़े ही रौब रुतबे वाले अंदाज में देता था. इस से लोग उस के प्रभाव में आ जाते थे. उस ने कृतिका को भी अपना परिचय इसी तरह दिया था. महत्वाकांक्षी कृतिका उस के प्रभाव में आ गई.

विजय द्विवेदी ने कृतिका को जब दिल्ली के एक मौल में शौपिंग करते देखा था, तभी उस ने सोच लिया था कि उसे किसी भी कीमत पर पाना है. वह कृतिका की सुंदरता पर कुछ इस तरह रीझा था कि जबतब कृतिका के आसपास शिकारी चील की तरह चक्कर लगाने लगा. आखिर एक दिन उसे कृतिका के करीब आने का मौका मिल ही गया.

कृतिका के करीब आते ही वह उस की तारीफों के पुल बांधने लगा, साथ ही उस ने उस की दुखती रगों पर हाथ भी रख दिया.उस ने कहा कि उस के जैसी युवती को मौडल, टीवी एक्ट्रेस या फिर फिल्म अभिनेत्री होना चाहिए. उस का यह तीर निशाने पर लगा. नतीजा यह हुआ कि शादी और फिर तलाक होने के बाद भी कृतिका के दिल में बौलीवुड के जो सपने बरकरार थे, उन्हें हवा मिल गई.

आखिरकार विजय द्विवेदी ने कृतिका को अपनी झूठी बातों से अपने प्रेमजाल में फांस लिया. कृतिका की नजदीकियां पाने के लिए उस ने उस की कमजोरी पकड़ी थी. उसे करीब लाने के लिए ही उस ने हाईप्रोफाइल अभिनेताओं और राजनीतिक रसूखदारों के नाम लिए थे. बात बढ़ी तो दोनों की मुलाकातें भी बढ़ गईं. कृतिका को भी विजय द्विवेदी से प्यार हो गया. कृतिका को अपनी मुट्ठी में करने के बाद विजय द्विवेदी ने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया और कृतिका से शादी कर ली.

सन 2011 में कृतिका विजय द्विवेदी के साथ अपनी किस्मत आजमाने वापस मुंबई आ गई. दोनों अंधेरी वेस्ट के लोखंडवाला कौंपलेक्स इलाके में किराए के एक फ्लैट में साथसाथ रहने लगे. मुंबई आने के बाद कृतिका फिर से बौलीवुड की गलियों में संघर्ष करने लगी. दूसरी ओर विजय द्विवेदी अपने शिकार ढूंढने लगा था. बहरहाल, इस बार एक तरफ कृतिका उर्फ ज्योति चौधरी की किस्मत रंग लाई, वही दूसरी ओर विजय द्विवेदी की किस्मत के सितारे गर्दिश में आ गए.

कृतिका को जल्द ही फिल्म ‘रज्जो’ में कंगना रनौत के साथ एक बड़ा मौका मिल गया. यह फिल्म सन 2013 में बन कर रिलीज हुई तो दर्शकों को कृतिका का अभिनय पसंद आया. इस के बाद कृतिका के सितारे चमकने लगे. फिल्म ‘रज्जो’ के बाद टीवी धारावाहिक ‘परिचय’ से उस की एंट्री एकता कपूर की कंपनी में हो गई.

इस के साथ ही उसे क्राइम धारावाहिक ‘सावधान इंडिया’ में भी काम मिलने लगा. जहां सन 2013 से कृतिका का कैरियर संवरना शुरू हुआ, वहीं विजय द्विवेदी के कैरियर का सितारा सन 2012 डूब गया था. कांग्रेस नेता अमरीश पटेल को ठगने के बाद उस के कैरियर की उल्टी गिनती शुरू हो गई थी.

कांग्रेस नेता अमरीश पटेल के ठगे जाने की खबर जब उन की पार्टी के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी को मिली तो वह सन्न रह गए थे. उन्होंने इस मामले का संज्ञान लेते हुए इस की शिकायत तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण से कर दी कि कोई उन्हें अपना चाचा बता कर उन की छवि खराब करने की कोशिश कर रहा है. मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने यह मामला क्राइम ब्रांच को सौंप दिया.

कृतिका की रहस्यमय हत्या की हैरतअंगेज कहानी – भाग 1

छोटे शहरों से बड़े सपने ले कर सैकड़ों लड़कियां आए दिन सपनों की नगरी मुंबई पहुंचती हैं. लेकिन इन में से गिनीचुनी लड़कियों को ही कामयाबी मिलती है. दरअसल, फिल्म इंडस्ट्री भूलभुलैया की तरह है, जहां प्रवेश करना तो आसान है, लेकिन बाहर निकलना बहुत मुश्किल. क्योंकि यहां कदमकदम पर दिगभ्रमित करने वाले मोड़ों पर गलत राह बताने वाले मौजूद रहते हैं, जिन के अपनेअपने स्वार्थ होते हैं.

फिल्म इंडस्ट्री में एक तरफ जहां श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित, हेमामालिनी, काजोल, जैसी अभिनेत्रियों ने अपने अभिनय का परचम लहराया, वहीं दूसरी ओर दिव्या भारती, स्मिता पाटिल, जिया खान, नफीसा जोसेफ, शिखा जोशी, विवेका बाबा, मीनाक्षी थापा और प्रत्यूषा बनर्जी जैसी सुंदर व प्रतिभावान छोटे व बड़े परदे की अभिनेत्रियों ने भावनाओं में बह कर अथवा अपनी नाकामयाबी की वजह से जान गंवाई.

सच तो यह है कि प्राण गंवाने वाली किसी भी अभिनेत्री की मौत का सच कभी सामने नहीं आया. अब ऐसी अभिनेत्रियों में एक और नाम जुड़ गया है कृतिका उर्फ ज्योति चौधरी का.

घटना 12 जून, 2017 की है. सुबह के करीब 10 बजे का समय था. मुंबई के उपनगर अंधेरी (वेस्ट) स्थित अंबोली पुलिस थाने के चार्जरूम में तैनात ड्यूटी अधिकारी को फोन पर खबर मिली कि चारबंगला स्थित एसआरए भैरवनाथ हाउसिंग सोसाइटी की 5वीं मंजिल के फ्लैट नंबर 503 में से दुर्गंध आ रही है.

ड्यूटी पर तैनात अधिकारी ने मामले की डायरी बना कर इस की जानकारी सीनियर क्राइम इंसपेक्टर दयानायक को दी. इंसपेक्टर दयानायक मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत अपने साथ पुलिस टीम ले कर घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. उन्होंने इस मामले की जानकारी थानाप्रभारी वी.एस. गायकवाड़ और वरिष्ठ अधिकारियों के साथसाथ पुलिस कंट्रोल रूम को भी दे दी थी.crime story

जब पुलिस टीम घटनास्थल पर पहुंची, तब तक वहां काफी लोगों की भीड़ एकत्र हो गई थी. भीड़ को हटा कर पुलिस टीम कमरे के सामने पहुंची. पुलिस ने वहां मौजूद लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि उस फ्लैट में 2-3 सालों से फिल्म और टीवी अभिनेत्री कृतिका उर्फ ज्योति चौधरी किराए पर रह रही थी. लेकिन वह अपने फ्लैट में कब आती थी और जाती थी, इस की जानकारी किसी को नहीं थी. चूंकि उस का काम ही ऐसा था, इसलिए किसी ने उस के आनेजाने पर ध्यान नहीं दिया था. पासपड़ोस के लोगों से भी उस का संबंध नाममात्र का था. पता चला कि कई बार तो वह शूटिंग पर चली जाती थी तो कईकई दिन नहीं लौटती थी.

फ्लैट की चाबी किसी के पास नहीं थी. जबकि फ्लैट बंद था. इंसपेक्टर दया नायक ने वरिष्ठ अधिकारियों से बात कर के फ्लैट का दरवाजा तोड़वा दिया. दरवाजा टूटते ही अंदर से बदबू का ऐसा झोंका आया कि वहां खड़े लोगों को सांस लेना कठिन हो गया. नाक पर रूमाल रख कर जब पुलिस टीम फ्लैट के अंदर दाखिल हुई तो कमरे का एसी 19 डिग्री टंप्रेचर पर चल रहा था. संभवत: हत्यारा काफी चालाक और शातिर था. लाश लंबे समय तक सुरक्षित रहे और सड़न की बदबू बाहर न जाए, यह सोच कर उस ने एसी चालू छोड़ दिया था. लाश की स्थिति से लग रहा था कि कृतिका की 3-4 दिनों पहले ही मौत हो गई थी.

इंसपेक्टर दया नायक अभी अपनी टीम के साथ घटनास्थल का निरीक्षण और मृतका कृतिका के पड़ोसियों से पूछताछ कर रहे थे कि अंबोली पुलिस थाने के थानाप्रभारी वी.एस. गायकवाड़, डीसीपी परमजीत सिंह दहिया, एसीपी अरुण चव्हाण, क्राइम ब्रांच सीआईडी यूनिट-9 के अधिकारी और फौरेंसिक टीम भी मौके पर पहुंच गई. फौरेंसिक टीम का काम खत्म हो जाने के बाद पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने घटनास्थल का सरसरी निगाह से निरीक्षण किया. थानाप्रभारी वी.एस. गायकवाड़ से जरूरी बातें कर के अधिकारी अपने औफिस लौट गए.

अधिकारियों के जाने के बाद थानाप्रभारी वी.एस. गायकवाड़ ने इंसपेक्टर दया नायक और सहयोगियों के साथ मिल कर घटनास्थल और मृतका कृतिका के शव का बारीकी से निरीक्षण किया. कृतिका का शव उस के बैडरूम में बैड पर चित पड़ा था. शव के पास ही उस का मोबाइल फोन और ड्रग्स जैसा दिखने वाले पाउडर का एक पैकेट पड़ा था. पुलिस ने कृतिका का मोबाइल अपने कब्जे में ले लिया और पाउडर के पैकेट को जांच के लिए सांताकु्रज के कालिया लैब भेज दिया. फोन से कृतिका के घर वालों का नंबर निकाल कर उन्हें इस मामले की जानकारी दे दी गई.

घटनास्थल की जांच में कृतिका के बर्थडे का एक नया फोटो भी मिला, जिस में वह 2 युवकों और 3 युवतियों के बीच पीले रंग की ड्रेस में खड़ी थी और काफी खुश नजर आ रही थी. वह फोटो संभवत: 5 और 8 जून, 2017 के बीच खींची गई थी. कृतिका की हत्या बड़ी ही बेरहमी से की गई थी. उस के सिर पर किसी भारी चीज से वार किया गया था, साथ ही उस की हत्या में अंगुलियों में पहने जाने वाले नुकीले पंजों का इस्तेमाल किया गया था. कृतिका के शरीर पर कई तरह के जख्मों के निशान थे, जिस से लगता था कि हत्या के पूर्व कृतिका के और हत्यारों के बीच काफी मारपीट हुई थी. हत्या में इस्तेमाल चीजों को पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया.

बैड पर कृतिका का खून बह कर बिस्तर पर सूख गया था और उसकी लाश धीरेधीरे सड़नी शुरू हो गई थी. घटनास्थल की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद पुलिस टीम ने कृतिका के शव को पोस्टमार्टम के लिए विलेपार्ले स्थित कूपर अस्पताल भेज दिया. घटनास्थल की प्राथमिक काररवाई पूरी करcrime story

के पुलिस टीम थाने लौट आई. थाने आ कर थानाप्रभारी वी.एस. गायकवाड़ ने इस मामले पर अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विचारविमर्श किया और तफ्तीश का काम इंसपेक्टर दया नायक को सौंप दिया.

उधर कृतिका की मौत का समाचार मिलते ही उस के परिवार वाले मुंबई के लिए रवाना हो गए. कृतिका की हत्या हो सकती है, यह वे लोग सोच भी नहीं सकते थे. मुंबई पहुंच कर उन्होंने कृतिका का शव देखा तो दहाड़ें मार कर रोने लगे. पुलिस की जांच टीम ने उन्हें बड़ी मुश्किल से संभाला. पोस्टमार्टम के बाद कृतिका का शव उन्हें सौंप दिया गया.

इंसपेक्टर दया नायक ने कृतिका के परिवार वालों के बयान लेने के बाद थानाप्रभारी वी.एस. गायकवाड़ के दिशानिर्देशन में अपनी जांच की रूपरेखा तैयार की, ताकि उस के हत्यारे तक पहुंचा जा सके. एक तरफ इंसपेक्टर दया नायक अपनी तफ्तीश का तानाबाना तैयार कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ पुलिस कमिश्नर दत्तात्रय पड़सलगीकर और जौइंट पुलिस कमिश्नर देवेन भारती के निर्देश पर क्राइम ब्रांच सीआईडी यूनिट-9 के इंसपेक्टर महेश देसाई भी इस मामले की छानबीन में जुट गए थे.

फिल्मों, सीरियल अथवा मौडलिंग करने वाली लड़कियों पर पासपड़ोस के लोगों, सोसायटी में काम करने वालों, ड्राइवरों और गार्डों वगैरह की नजर रहती है. उदाहरणस्वरूप वडाला की रहने वाली पल्लवी पुरकायस्थ को ले सकते हैं, जिस की हत्या इमारत के कश्मीरी सिक्योरिटी गार्ड ने उस की सुंदरता पर फिदा हो कर दी थी.

ऐसी ही एक और घटना अक्तूबर, 2016 में गोवा के पणजी में घटी थी. वहां सुप्रसिद्ध ब्यूटी फोटोग्राफर और जानी मानी परफ्यूमर मोनिका घुर्डे का शव सांगोल्डा विलेज की सपना राजवैली इमारत की दूसरी मंजिल पर मिला था.