Hindi Love Story : मांबेटी का कौमन लवर

Hindi Love Story : सुजाता और उस की बेटी ऐश्वर्या बैंक मैनेजर वी. तिरुमला राव से प्यार करती थीं. अपने प्यार को कायम रखने के लिए सुजाता ने बेटी की शादी गुंटा तेजेश्वर से कर दी. बेटी ऐश्वर्या भी कम शातिर नहीं थी, उस ने प्रेमी बैंक मैनेजर पर कब्जा बनाए रखने के लिए ऐसी खूंखार प्लानिंग की कि…

सुबह से दोपहर और दोपहर से शाम हो जाने पर भी गुंटा तेजेश्वर राव के घर वापस नहीं आने पर उस की मम्मी ने फोन लगाया. लेकिन तेजेश्वर का फोन स्विच्ड औफ आ रहा था. इस पर फेमिली वालों को चिंता होने लगी. वे देर रात तक बेचैनी से उस का इंतजार करते रहे. पूरी रात सब ने आंखों में काटी. 30 वर्षीय तेजेश्वर गुंटा तेलंगाना राज्य के जिला जोगुलांबा गडवाल में रहता था. वह लैंड सर्वेयर था. वह जमीन की नापतौल कर रिपोर्ट देने का काम करता था. उस के पास सरकारी लाइसेंंस था. गुंटा तेजेश्वर डांस टीचर भी था. 17 जून, 2025 की सुबह तेजेश्वर के पास एक व्यक्ति का फोन आया कि उसे एक जमीन की नापतौल करानी है. इस पर तेजेश्वर ने अपनी सहमति दे दी.

कुछ देर बाद ही उस के घर के सामने एक कार आ कर रुकी. कार से उतर कर एक व्यक्ति ने तेजेश्वर के मकान पर दस्तक दी और कहा, ”हम ने ही आप को जमीन की नापतौल कराने के लिए फोन किया था. इस पर पहले से तैयार तेजेश्वर कार में बैठ कर जमीन की नापतौल करने के लिए उन के साथ चला गया.’’

तेजेश्वर जब देर रात तक घर नहीं लौटा तो फेमिली वालों ने उसे फोन लगाया, लेकिन उस का फोन नहीं मिला. फेमिली वालों ने उस की तलाश भी की, लेकिन उस का कोई सुराग न मिलने पर दूसरे दिन 18 जून की सुुबह बड़े भाई तेजवर्धन ने उस की गुमशुदगी थाना गडवाल में दर्ज करा दी. भाई ने पुलिस को बताया कि कल 17 जून की सुबह साढ़े 9 बजे कुछ लोग भूमि का सर्वेक्षण कराने के लिए उस के भाई तेजेश्वर को घर से बुला कर कार से ले गए थे. इस के बाद वह लौट कर घर नहीं आया और उस का फोन भी स्विच्ड औफ हो गया.

आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के पन्याम के सुगलिमेट्टा इलाके में नहर के पास 21 जून, 2025 को एक लाश मिली. लाश सड़ीगली हालत में थी. यहां तक कि उस पर कीड़े रेंग रहे थे. वहां से गुजर रहे लोगों की नजर लाश पर पड़ी तो पुलिस को सूचना दी गई. सूचना पर पहुंची पुलिस ने नहर से लाश को बरामद कर लिया. मृतक की बांह पर तेलुगु में ‘अम्मा’ नाम का टैटू गुदा था. इस के साथ ही हाथ में कड़ा पहने था. शव की पहचान होना मुश्किल हो रहा था, तब पुलिस ने आसपास के थानों व राज्यों के थाने में दर्ज गुमशुदगी के बारे में पता किया. इस बीच पुलिस को पता चला कि 3 दिन पहले तेलंगाना राज्य के थाना गडवाल में एक युवक की गुमशुदगी दर्ज हुई थी. इस पर गुमशुदगी दर्ज कराने वाले से संपर्क किया गया.

 60 किलोमीटर दूर मिली लाश

तेजेश्वर के फेमिली वालों ने घटनास्थल पर पहुंच कर शव के कपड़ों, बांह पर गुदे टैटू तथा हाथ के कड़े को देख कर मृतक की शिनाख्त 30 वर्षीय तेजेश्वर राव के रूप में की. गुंटा तेजेश्वर कुरनूल जिले से 60 किलोमीटर दूर गडवाल कस्बे में रहता था. पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. कहने को गुमशुदगी दर्ज होने के बाद गडवाल पुलिस ने तेजेश्वर के मोबाइल फोन की लोकेशन को ट्रैक किया था, लेकिन घर से कुछ दूर जाने के बाद उस का मोबाइल फोन स्विच औफ होने से लोकेशन का पता नहीं चल सका. पुलिस को जांच के दौरान सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि तेजेश्वर सेडान कार में बैठ रहा है.

कार में पहले से 3 लोग बैठे हुए थे. ये लोग तेजेश्वर को अपने साथ कुरनूल  किसी जमीन की नाप कराने के बहाने से ले गए थे. अब पुलिस उन तीनोंं लोगों की तलाश में जुट गई. तेजेश्वर की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कराते समय उस के बड़े भाई तेजवर्धन को उस के लापता होने में पत्नी ऐश्वर्या पर शक था. तेजवर्धन ने पुलिस को बताया कि शादी से कुछ दिन पहले ऐश्वर्या घर से अचानक गायब हो गई थी और 3 दिन बाद वापस आई थी. यह बात हम ने तेजेश्वर को बताई थी. तेजवर्धन ने बताया, ऐश्वर्या से शादी होने के बाद से ही चीजें बिगडऩे लगीं. खासकर भाई के लापता होने पर उस के चेहरे पर शिकन तक नहीं आई. उस ने एक आंसू तक नहीं टपकाया. वो कमरे में जा कर बारबार किसी से फोन पर बात करती थी.

इस केस की शुरुआती जांच पुलिस द्वारा नारमल तरीके से की गई. तब उस ने ऐश्वर्या के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. यहीं से केस पलट गया. पुलिस ने ऐश्वर्या से पूछताछ का सिलसिला शुरू किया, काल के बारे में पूछा तो वह अनजान बनने लगी, लेकिन जब उस के सामने पुलिस ने सबूत रखे तो उस ने घबरा कर अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने पुलिस को बताया कि वह बैंक में साथ काम करने वाले बैंक मैनेजर वी. तिरुमला राव के साथ रिश्ते में थी. दोनों ने तेजेश्वर की हत्या करने की साजिश रची थी. इस के बाद पुलिस ने ऐश्वर्या और उस की मम्मी सुजाता को हिरासत में ले लिया.

गडवाल थाना के एसआई कुम्मारी श्रीनिवास ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज से कार के रजिस्ट्रैशन नंबर के आधार पर कुरनूल से तीनों संदिग्धों नागेश, परशुराम और राजू को हिरासत में लिया गया. उन से सख्ती से पूछताछ करने पर तीनों ने अपना जुर्म कुबूल करते हुए बताया कि बैंक मैनेजर तिरुमला राव ने तेजेश्वर की हत्या के लिए उन्हें साढ़े 3 लाख रुपए की सुपारी दी थी. 2 लाख रुपए एडवांस दिए थे.’’

पुलिस को मोबाइल फोन रिकौड्र्स से भी इस बात का पता चला कि आरोपियों और ऐश्वर्या के बीच लगातार बातचीत हो रही थी. यानी तेजेश्वर के मर्डर की योजना बहुत सोचसमझ कर बनाई गई थी. जांच में पता चला कि बैंक मैनेजर राव ने 3 लोगों नागेश, परशुराम और राजू को कर्ज दिलाने का लालच दे कर उन्हें योजना में शामिल किया गया. उस ने लालच दिया कि अगर वे तेजेश्वर को मार देंगे तो उन्हें साढ़े 3 लाख रुपए और लोन दोनों मिलेंगे.

योजना के अनुसार, 17 जून को तीनों व्यक्ति क्लाइंट बन कर तेजेश्वर के घर पहुंचे और एर्रावली के पास जमीन की नापतौल की बात कही. साजिश से अनजान तेजेश्वर उन के साथ कार में बैठ कर चला गया. पुलिस के अनुसार पहले कार एर्रावली की ओर गई और एनएच-44 से कुछ दूरी पर वीरापुरम स्टेज के पास रुक गई. वहीं पर ड्राइवर सीट की बगल में बैठे तेजेश्वर के सिर पर पीछे से वार कर उस का गला रेता गया और पेट में चाकू मारा गया. लाश को घसीट कर आगे की सीट से पीछे की सीट पर डाला गया, जिस से हत्यारों के कपड़े खून से सन गए.

भाड़े के हत्यारों ने ऐश्वर्या के प्रेमी और बैंक मैनेजर वी. तिरुमला राव को हत्या के बाद तेजेश्वर की लाश मोबाइल पर दिखाई और फिर लाश को नहर में फेंक दिया. हत्यारों ने सोचा कि लाश पानी में बह कर दूर निकल जाएगी और किसी को उस की लाश नहीं मिलेगी. लेकिन नहर में पानी कम होने के चलते लाश वहीं अटक गई, जिस पर लोगों की नजर कई दिन बाद पड़ी. तब तक लाश सड़ गई थी और उस में कीड़े पड़ गए थे. हत्यारों ने अपने खून से सने कपड़े फेंक दिए. फिर ऐश्वर्या के प्रेमी बैंक मैनेजर तिरुमला राव ने उन्हें नए कपड़े दिलवाए.

पुलिस जांच में पता चला कि ऐश्वर्या ने शादी के एक महीने के भीतर ही अपने प्रेमी तिरुमला राव के साथ मिल कर पति तेजेश्वर  को मारने का प्लान बना लिया था. पूछताछ के बाद असली कहानी सामने आई.

मां और बेटी का था एक ही प्रेमी

35 वर्षीय बैंक मैनेजर वी. तिरुमला राव शादीशुदा था. उस की शादी 8 साल पहले हुई थी. नौन बैंकिंग फाइनैंशियल कारपोरेशन (एनबीएफसी) में  वी. तिरुमला राव मैनेजर था. इस मामले में एक चौंकाने वाला मोड़ तब आया, जब इस बात का खुलासा हुआ कि ऐश्वर्या से पहले तिरुमला राव के उस की मम्मी सुजाता से भी अवैध संबंध थे. साल 2016 में जब सुजाता नौन बैंकिंग कारपोरेशन में सफाई कर्मचारी के रूप में काम करती थी, तब उस की मुलाकात वहां के मैनेजर तिरुमला राव से हुई थी और दोनों के बीच अफेयर शुरू हुआ था.

एक दिन सुजाता अपनी 23 वर्षीय बेटी ऐश्वर्या के साथ बैंक गई थी. उस समय  मैनेजर वी. तिरुमला राव वहां नहीं था. कुछ समय बाद वह बैंक आया. वह दिलफेंक किस्म का इंसान था. उस ने बैंक में सुजाता के साथ ऐेश्वर्या को देखा. दोनों की आंखें चार हुईं. दोनों एकदूसरे को देखते ही रह गए. उस का दिल ऐश्वर्या पर आ गया. सुजाता ने मैनेजर को बताया कि वह छुट्टी पर जा रही है. उस की जगह बेटी ऐश्वर्या बैंक में काम करेगी. ऐश्वर्या ने अपनी मम्मी सुजाता की जगह जौइन किया और खुद बैंक मैनेजर राव के करीब आ गई. अब ऐश्वर्या और तिरुमला राव औफिस के बाद मिलते और जी भर कर मोहब्बत की बातें करते. एक दिन राव ने ऐश्वर्या का हाथ अपने हाथ में ले कर कहा, ”ऐश्वर्या, मैं तुम्हारी झील सी गहरी आंखों में डूबना चाहता हूं.’’

ऐश्वर्या ने हंसते हुए कहा, ”तुम्हें रोक कौन रहा है?’’

इस के बाद राव अपने प्यार की नाव ले कर झील में ऐसा उतरा कि 2 जिस्म एक जान हो गए. फिर यह सिलसिला चलता रहा. अब तो दोनों एकदूसरे के बिना रह नहीं पाते थे. ऐश्वर्या मोबाइल पर राव से घंटों बातें करती थी. जब सुजाता को अपनी बेटी ऐश्वर्या और तिरुमला राव के रिश्ते की जानकारी हुई तो उस ने ऐश्वर्या पर दबाव डाला कि वह राव से रिश्ता खत्म कर दे. सुजाता चाहती थी कि ऐश्वर्या की शादी हो जाए ताकि वो अपने प्रेमी तिरुमला राव के साथ अपना रिश्ता पहले की तरह जारी रख सके.

उस ने ऐेश्वर्या को बताया कि उस ने उस के लिए एक रिश्ता देख रखा है. पहले ऐश्वर्या ने मना किया, लेकिन बाद में वह शादी करने को मान गई. गुंटा तेजेश्वर राव की फेमिली में पापा गंता जयराममुलू, मम्मी शकुंतला, भाई तेजवर्धन और बहन सुुषमा थीं. 13 फरवरी, 2025 को ऐश्वर्या के घर वाले रिश्ता ले कर गंता जयराममुलू के घर पहुंचे. गुंटा तेजेश्वर राव का अच्छा काम था. ऐश्वर्या भी बैंक में काम करती थी. दोनों की जोड़ी अच्छी थी, इसलिए दोनों के फेमिली वालों ने रिश्ता पक्का कर दिया. उसी दिन एक छोटा सा फंक्शन भी संपन्न हुआ. शादी की तारीख 18 मई, 2025 तय हुई. इस के बाद शादी की तैयारियां भी दोनों पक्षों ने शुरू कर दीं.

शादी तय हो जाने के बाद तेजेश्वर और ऐश्वर्या मोबाइल पर बात करते रहते थे. ऐश्वर्या उस से प्यार भरी बातें करती थी. इस से तेजेश्वर  उस के मोहपाश में पूरी तरह बंध गया था.

शादी से 5 दिन पहले ऐश्वर्या हो गई गायब

शादी से सिर्फ 5 दिन पहले 13 मई को ऐश्वर्या अपने घर से अचानक गायब हो गई. इस से परिवार में अफरातफरी मच गई. लोग तरहतरह की बातें करने लगे. कुछ का कहना था कि वह किसी और से प्यार करती थी और उस के साथ भाग गई. यह बात तेजेश्वर के फेमिली वालों को भी पता चली. अफवाह थी कि वह कुरनूल में एक बैंक मैनेजर के साथ भाग गई है. हालांकि ऐश्वर्या 16 मई को अचानक अपने घर लौट आई. उस ने सभी से माफी मांगी. ऐश्वर्या ने तेजेश्वर को सफाई देते हुए बताया कि वह मम्मी पर दहेज का दबाव देख कर परेशान हो गई थी. इसी के चलते वह अपनी सहेली के घर चली गई थी.’’

उस ने तेजेश्वर को रोते हुए भरोसा दिलाया कि वह उसे पसंद करती है और उसी से शादी करना चाहती है. जबकि असलियत यह थी कि ऐश्वर्या अपने प्रेमी बैंक मैनेजर तिरुमला राव के पास गई और उस से शादी की जिद करने लगी. उस ने कहा कि वह तेजेश्वर से नहीं, उस से से शादी करना चाहती है. इस पर मैनेजर ने शादी से इंकार करते हुए कहा कि वह पहले से ही शादीशुदा है और उस से शादी नहीं कर सकता. तिरुमला ने ऐश्वर्या को समझाया कि वह तेजेश्वर से शादी कर ले. हम लोगों को कोई अलग नहीं कर सकता. उस की बात मान कर ऐश्वर्या अपने घर लौट आई.

तेजेश्वर बहुत सीधासादा और मेहनती युवक था. घर चलाने के लिए नौकरी के साथसाथ बच्चों को डांस भी सिखाता था. शादी से कुछ दिन पहले ही ऐश्वर्या बिना बताए अचानक घर से चली गई थी, इस से सभी का माथा ठनका. तब फेमिली के लोगों ने तेजेश्वर को समझाया कि ऐसी लड़की से शादी करना ठीक नहीं है. फेमिली द्वारा शादी का विरोध करने वाली बात तेजेश्वर को बुरी लगी. इतना ही नहीं, उस ने ऐश्वर्या को फोन कर के पूछा, ”ऐश्वर्या, तुम मेरे अलावा किसी से प्यार करती हो तो बताओ.’’

ऐश्वर्या ने तेजेश्वर को यकीन दिलाया कि वह उसी से प्यार करती है. तसल्ली होने के बाद तेजेश्वर ने फेमिली वालों से कह दिया कि वह ऐश्वर्या से ही शादी करेगा, वह किसी और से प्यार नहीं करती है. यह एक खौफनाक कहानी की शुरुआत थी, लेकिन किसी को नहीं पता था कि यह रिश्ता एक खतरनाक अंत की तरफ बढ़ रहा है. 18 मई, 2025 को बीचपुल्ली स्थित अंजनी मां के मंदिर में तेजेश्वर और ऐश्वर्या की शादी धूमधाम से संपन्न हो गई. शादी के दौरान गानाबजाना भी हुआ. दोनों पक्षों के लोग शादी में खुशीखुशी शामिल हुए. शादी के बाद तेजेश्वर हंसीखुशी नवविवाहिता ऐश्वर्या को विदा करा कर घर ले आया.

5 महीने में प्रेमी को कीं 2 हजार काल्स

पुलिस की जांच में यह बात भी सामने आई कि शादी के दूसरे दिन ही तेजेश्वर ने अपनी नवविवाहिता पत्नी ऐश्वर्या का व्यवहार बदला हुआ पाया. वह पूरा दिन फोन पर बातें करती थी. तेजेश्वर को ऐश्वर्या के फोन पर ज्यादा बात करने पर शक होने लगा. उसे यह बात पसंद नहीं थी. इस से वह परेशान रहने लगा. उस ने सारी बात अपने फेमिली वालों को भी बताई, लेकिन सभी ने यही समझा कि नई शादी है, ऐश्वर्या को एडजस्ट करने में थोड़ा वक्त लगेगा. इस से दोनों के बीच कहासुनी होने लगी. गुस्से से ऐश्वर्या ने तेजेश्वर को अपने प्यार की राह में रोड़ा बनने पर रास्ते से हटाने की साजिश प्रेमी के साथ रच डाली.

ऐश्वर्या के मोबाइल की काल डिटेल्स से पुलिस को पता चला कि फरवरी से जून महीने तक उस ने अपने प्रेमी तिरुमला राव को 2 हजार से ज्यादा काल्स कीं. लंबी वीडियो कालिंग हुई थी. यहां तक कि शादी के दिन भी दोनों वीडियो काल पर जुड़े रहे. ऐश्वर्या के प्रेमी बैंक मैनेजर तिरुमला राव ने इस हत्या के लिए लोन एप्लिकेशन का इस्तेमाल किया था और बैंक से 20 लाख रुपए लिए थे. इसी में से भाड़े के हत्यारों को हत्या के लिए 2 लाख रुपए एडवांस दिए थे.

तिरुमला राव की शादी को 8 साल हो चुके थे, लेकिन इतने साल बाद भी पत्नी के कोई बच्चा नहीं हुआ. इस से वह अपनी पत्नी की भी हत्या करवाना चाहता था. उस का इरादा था कि पत्नी की हत्या के बाद वह ऐश्चर्या से शादी कर लेगा. लेकिन बाद में उस की योजना बदल गई और उस ने पत्नी की हत्या नहीं कराई. पुलिस पूछताछ के दौरान आरोपियों ने अपना जुर्म कुबूल करते हुए बताया कि हाल ही में हुए राजा मर्डर केस के बारे में उन्हें पता चला. उस केस से प्रेरित हो कर उन्होंने बिलकुल उसी तरह तेजेश्वर को रास्ते से हटाने की साजिश रची.

ऐश्वर्या ने बताया कि उस ने और उस के प्रेमी तिरुमला राव ने पहला प्लान फेल होने पर पुलिस को बेवकूफ बनाने के लिए दूसरा प्लान भी तैयार कर रखा था. ऐश्वर्या को तेजेश्वर से कोई लगाव नहीं था. वह सिर्फ बैंक मैनेजर के साथ रहना चाहती थी. इस के अलावा वह तेजेश्वर की संपत्ति भी अपने नाम करवाना चाहती थी. दूसरे प्लान में तय हुआ कि ऐश्वर्या पति तेजेश्वर के साथ घूमने के लिए घर से निकलेगी तो रास्ते में सुपारी किलर तेजेश्वर पर हमला कर उसे मार देंगे. इस के बाद ऐश्वर्या अपने प्रेमी तिरुमला राव के साथ भाग जाएगी. पुलिस इसे किडनैपिंग और मर्डर केस मान कर भटकती रहेगी. हालांकि यह प्लान बाद में बदल दिया गया और उन्होंने अगला तरीका चुना.

पति की बाइक पर लगाया था जीपीएस

जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि शातिर ऐश्वर्या पति तेजेश्वर की हत्या का इस से पहले भी 5 बार प्रयास कर चुकी थी. इस के लिए उस ने पति की बाइक में चुपके से जीपीएस डिवाइस लगा दी थी. वह तेजेश्वर की पलपल की जानकारी सुपारी किलर्स को उपलब्ध कराने लगी. इस के साथ ही तेजेश्वर पर नजर रखने के लिए मोहन नाम के एक पड़ोसी को भी काम पर रख रखा था, लेकिन वह तेजेश्वर की हत्या कराने में तब सफल नहीं हो पाई थी.

तेजेश्वर के पापा गंटा जयरामुलू को पहले तो बेटे की डैडबौडी देख कर यकीन ही नहीं हुआ कि यह उन का बेटा है, लेकिन जब हाथ में पहना कड़ा देखा तो वह फूटफूट कर रोने लगे. उन्होंने रोते हुए कहा कि हम ने खुशीखुशी तेजेश्वर की शादी की थी. तब नहीं मालूम था कि जिसे बहू बना कर लाए हैं, वही बेटे की जान ले लेगी. अब घर में सन्नाटा है. बेटे की तसवीरें देखता हंू तो तकलीफ होती है. यही सोचता हंू कि आखिरी वक्त तेजेश्वर ने कितना दर्द झेला होगा.

मेरे बेटे ने किसी का क्या बिगाड़ा था. वह सीधेसादे तरीके से जिंदगी जी रहा था. जिन लोगों ने उसे मारा है, उन्हें छोडऩा नहीं चाहिए. हत्यारों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए. तभी तेजेश्वर व हमारे परिवार को इंसाफ मिलेगा. इस मामले में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना पुलिस दोनों ने मिल कर काम किया था. हत्याकांड के मुख्य आरोपी ऐश्वर्या और उस का प्रेमी तिरुमला राव थे. इस के अलावा ऐश्वर्या की मम्मी सुजाता भी शामिल थी. सुजाता को इस पूरे मामले की जानकारी थी.

पुलिस इस सनसनीखेज हत्याकांड का परदाफाश करते हुए 8 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी थी. इन में ऐश्वर्या, प्रेमी तिरुमला राव, ऐश्वर्या की मम्मी सुजाता और तिरुमला राव के पापा तिरुपतैया, जोकि एक पूर्व हैडकांस्टेबल था और जिस ने अपने बेटे तिरुमला राव को बचाने के लिए उस की मदद भी की थी, के अलावा 3 सुपारी किलर नागेश, राजेश और परशुराम तथा तेजेश्वर का पीछा करने वाले पड़ोसी मोहन को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

आरोपियों से हत्या में प्रयुक्त एक चाकू, 2 छुरे, 10 मोबाइल फोन, एक जीपीएस डिवाइस, कार आदि अहम सबूत बरामद कर लिए गए थे. पुलिस को जांच में पता चला कि तिरुमला राव और ऐश्वर्या तेजेश्वर की हत्या के बाद लद्दाख भागने की योजना बना चुके थे. इस के लिए तिरुमला राव ने 20 लाख का लोन भी ले रखा था और फ्लाइट टिकट भी बुक कर दिए थे.

यह दिल दहला देने वाला हत्याकांड था. शादी के महज एक महीने बाद तेजेश्वर की उस की पत्नी ऐश्वर्या और उस के प्रेमी बैंक मैनेजर वी. तिरुमला ने मिल कर हत्या कर दी. हत्या की इस साजिश में सिर्फ प्रेम ही नहीं, बल्कि एक थ्रिलर फिल्म जैसी प्लानिंग और कई किरदार शामिल थे. योजना थी कि तेजेश्वर की हत्या के बाद उस की प्रौपर्टी व पैसों को भी हड़प लिया जाएगा. इस कहानी का सब से चौंकाने वाला मोड़ यह है कि आरोपियों ने हत्या से पहले मेघालय में हुए राजा रघुवंशी हनीमून मर्डर केस की प्लानिंग की तर्ज पर पूरी योजना बनाई थी.

पति की हत्या के बाद भी ऐश्वर्या अपनी ससुराल में ही रही, ताकि किसी को शक न हो. पुलिस ने सभी आरोपियों से पूछताछ कर उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. एसपी (टी) श्रीनिवास राव ने इस केस का वर्कआउट करने वाली पुलिस टीम की सराहना की है.

 

 

Hindi love Story in Short : अपने अस्पताल की मैनेजर से चक्कर डाक्टर पत्नी खल्ल्लास

Hindi love Story in Short : मैडिकल की पढ़ाई करने के दौरान ही राकेश रोशन और सुरभि राज को प्यार हो गया. फेमिली वालों की मरजी के बिना दोनों ने शादी भी कर ली थी. आगे चल कर दोनों ने एक आधुनिक अस्पताल बनवाया. अस्पताल में तैनात एचआर मैनेजर अलका से डा. राकेश की आंखें 4 हो गईं. इन दोनों की जुनूनी मोहब्बत में 35 वर्षीया डा. सुरभि राज ऐसी पिसी कि…

”यार अलका, आजकल मैं बहुत टेंशन में रहता हूं,’’ डा. राकेश रोशन ने अपनी प्रेमिका अलका से आगे कहा, ”लगता है सुरभि को हमारे संबंधों पर शक हो गया है. तभी तो वह आजकल मुझ से उखड़ीउखड़ी सी रहती है और हम दोनों पर नजर भी गड़ाए हुए है कि मैं कहां जा रहा हूं? तुम से कब मिल रहा हूं? हमारे बीच बात क्या हो रही है…’’

”हां, मुझे भी ऐसा लगता है कि सुरभि मैम को हमारे अफेयर के बारे में पक्की जानकारी हो चुकी है. तभी तो वह मुझे भी शक की नजरों से घूरघूर कर देखती हैं.’’ जवाब देते वक्त अलका के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ झलक रही थीं.

”अलका, बात यह है कि मैं तुम्हें दूर कर भी नहीं सकता और न ही तुम्हारे बिना जीने की कल्पना ही कर सकता हूं. मुझे तो यही लगता है कि अब सुरभि को रास्ते से हटाना ही होगा.’’

”मगर कैसे?’’ अलका ने सवाल दागा, ”तुम्हारे लिए उसे रास्ते से हटाना इतना आसान नहीं होगा राकेश, जितना आसान तुम समझ रहे हो. वो तुम्हारी पत्नी है.’’

”जानता हूं मैं. मगर उसे रास्ते से हटाने के लिए चक्रव्यूह की रचना करनी होगी. ऐसी रचना, जिस से सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. फिलहाल, ससुराल वालों को हमारे खटास होते रिश्तों के बारे में भनक लग चुकी है. ऐसे में अगर मैं ने कोई कदम उठाया और उसे कुछ हुआ तो सीधा शक हम पर ही आ जाएगा, इसलिए मैं चाहता हूं कि हम उसे ऐसे ठिकाने लगाएं कि न तो किसी को हम पर शक हो और न ही कोई सबूत मिले. इस के लिए हमें जबरदस्त प्लान करना होगा.’’ कहते हुए राकेश के चेहरे पर अजीब सी शैतानी चमक थिरक उठी थी.

”हूं. तो कैसा प्लान किया जाए, जिस से सुरभि की मौत के बाद किसी को हम पर शक न हो?’’ अलका ने फिर से सवाल दागा.

प्रेमिका का सवाल सुन कर राकेश ने कुछ पल के लिए चुप्पी साध ली. फिर कुछ देर सोचने के बाद बोला, ”यही कि अपने इस खतरनाक प्लान में कुछ और भरोसेमंद लोगों को शामिल करूंगा, जो हमारे लिए हर वक्त खड़े रहते हैं.’’

”किस की बात कर रहे हो तुम? कौन है जो हमारे भरोसे पर खरा उतर सकता है? हमें कदम बहुत फूंकफंूक कर उठाने होंगे.’’

पटना के अगमकुआं का रहने वाला डा. राकेश रोशन उर्फ चंदन सिंह और अलका यह सोच कर काफी परेशान थे कि अच्छाभला उन का प्यार चल रहा था, बीच में अचानक सुरभि कहां से आ टपकी कि सारा मजा ही किरकिरा हो गया. ऊपर से पैसों का हिसाब लेने लगी, सो अलग. मेरी बिल्ली मुझ से म्याऊं कर रही है. उस की ये बातें अब बरदाश्त के बाहर हो गई थीं, इसलिए इस का कुछ इंतजाम करना ही होगा.

”तो बताया नहीं तुम ने? हमारी प्लानिंग में किसे शामिल करना चाहतेे हो, जो हमारे राज को राज बनाए रखने में हमारा साथ देगा?’’ अलका ने एक बार फिर पूछा.

”मैं ने इस योजना में अपने छोटे भाई रमेश और अस्पताल के कर्मचारी अनिल और मसूद आलम को शामिल करने का फैसला किया है मेरी जान. ये तीनों मेरे सब से खास और हमराज हैं. तीनों इतने वफादार हैं कि अपनी जान तो दे सकते हैं, लेकिन जीते जी अपना मुंह नहीं खोलेंगे.’’ राकेश ने कहा. राकेश का जबाव सुन कर अलका खुशी से झूम उठी और राकेश को खींच कर अपनी बांहों में भर लिया. यह बात घटना से करीब 3 महीने पहले यानी जनवरी, 2025 की है. प्रेमिका अलका के साथ योजना बनाने के बाद राकेश ने अगले दिन हौस्पिटल के अपने औफिस में एक मीटिंग बुलाई.

उस मीटिंग में राकेश ने अपने छोटे भाई रमेश, हौस्पिटल के दोनों कर्मचारी अनिल और मसूद आलम को बुलाया था. इस मीटिंग में उस ने अलका को भी शामिल किया था. राकेश ने गार्ड को सख्त हिदायत दे रखी थी कि केबिन में सीक्रेट मीटिंग चल रही है. किसी को भी उस के केबिन की ओर मत आने देना.

”जानते हो, आप सभी को यहां क्यों बुलाया गया है?’’ राकेश ने सभी से सवाल किया था

”नहीं, सर.’’ राकेश के छोटे भाई रमेश ने सवाल का जबाव देते हुए आगे कहा, ”हमें नहीं पता, हमें यहां क्यों बुलाया गया है.’’

”एक सीक्रेट काम के लिए हम ने यहां आप सभी को जिस काम के लिए बुलाया है, वह आप सभी के बिना संभव नहीं हो सकता.’’

”कैसा काम, सर?’’ रमेश ने फिर सवाल किया था.

”बताता हूं…बताता हूं…पहले आप सभी वादा करो कि इस मीटिंग की भनक बाहर नहीं जानी चाहिए.’’

राकेश की बात सुन क र सभी एकदूसरे का मुंह ताकने लगे और एक सुर में कहा कि इस की भनक बाहर तक नहीं जाएगी. एक पल के लिए हम सांस लेना तो भूल सकते हैं, किंतु मालिक के साथ गद्दारी कभी नहीं कर सकते. हम सभी की ओर से आप निश्चिंत रहें.

”दैट्स वैरी गुड. हमें सभी से यही उम्मीद थी.’’ राकेश ने अपनी बात आगे जारी रखी, ”दरअसल, मैं पत्नी सुरभि राज को अपने रास्ते से हमेशाहमेशा के लिए हटाना चाहता हूं. इस काम में आप सभी की हेल्प चाहिए. बताओ, आप सभी मेरा साथ दोगे?’’

राकेश की बात सुन कर सभी सन्न रह गए. पलभर केबिन में गहरी खामोशी छाई रही. फिर रमेश ने ही खामोशी तोड़ी, ”हां, साथ देने के लिए तैयार हैं, लेकिन हमें करना क्या होगा?’’

”इस योजना को इस तरीके से अंजाम देना होगा कि हम पुलिस के शक के चक्रव्यूह में कभी भी न फंसें और न ही पुलिस को कभी यह शक हो कि घटना को हम ने अंजाम दिया है.’’

”फिर तो हर कदम फूंकफूंक कर रखना होगा.’’ इस बार अनिल बोला था.

”कैसे करना होगा, इसे आप सभी तय करोगे. रही बात पैसों की तो पैसों की चिंता मत करो, पैसों का इंतजाम हो जाएगा. बस काम बिलकुल परफेक्ट होना चाहिए.’’

”सर, मेरे जानने वालों में कई हार्डकोर क्रिमिनल हैं, जो काम को बड़े सफाई से अंजाम दे सकते हैं. उन से बात करनी होगी. वे कई मर्डर कर चुके हैं.’’ मसूद आलम बोला.

”फिर देर किस बात की.’’ राकेश उतावला हो कर आगे बोला, ”अभी कांटैक्ट कर के उसे सुपारी दे दो, मसूद.’’

”थोड़ी मोहलत दे दो सर, मैं उन से बात कर के आप को बता दूंगा.’’

”तो फिर ठीक है, आज की मीटिंग यहीं खत्म करता हूं. 2 दिनों बाद फिर यहीं मिलते हैं और उस दिन फाइनल रूपरेखा तैयार होनी चाहिए, क्योंकि हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं बचा है.’’

इस के बाद सभी केबिन से बाहर निकले और अपनेअपने कामों में जुट गए. 2 दिनों बाद फिर राकेश, रमेश, अनिल, मसूद और अलका उसी केबिन में मिले, जहां पहले मीटिंग हुई थी.

”मुझे लगता है कि सभी ने अपनीअपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा दिया होगा?’’ राकेश ने रमेश की ओर देखते हुए सवाल किया.

”यस सर, प्लान तैयार हो चुका है, बस शिकार को घेरना बाकी है. जैसे ही शिकार उस जाल में आया, समझिए कि उस का काम तमाम हो जाएगा. लेकिन इस से पहले हमें यहां (हौस्पिटल) के सभी सीसीटीवी कैमरे बंद करने होंगे, ताकि हमारे क्रियाकलाप उस में कैद न हो सकें, वरना पुलिस से हमें कोई बचा नहीं सकता.’’

”रमेश सर बिलकुल ठीक कह रहे हैं, सर.’’ अलका ने रमेश का समर्थन किया, ”सीसीटीवी कैमरे बंद नहीं हुए तो हमारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा और हम सभी पकड़े जाएंगे.’’

”मैं कोई भी रिस्क नहीं ले सकता. ऐसा ही होगा. यहां के सभी सीसीटीवी कैमरे बंद कर दिए जाएं. कोई पूछेगा तो कह देंगे कि खराब हो गए थे.’’

डा. सुरभि राज की हत्या की पूरी फुलप्रूफ योजना बन गई थी. सुरभि का देवर रमेश और मसूद आलम ने सुपारी किलर को मोटी रकम दे कर हायर कर लिया था. यह बात घटना से करीब डेढ़ महीने पहले की है. पति, देवर और पति की प्रेमिका अलका ने मिल कर इतनी बड़ी और खतरनाक साजिश रच डाली, जिस की भनक सुरभि को कानोकान तक नहीं लगी.

हां, यह सच था कि पति की इश्कबाजी और प्रेमिका के ऊपर पानी की तरह पैसे बहाने से डा. सुरभि पति डा. राकेश से परेशान भी थी और नाराज भी.

खैर, इधर सुपारी किलर सुरभि की हत्या का कौन्ट्रैक्ट लेने के बाद उस की रेकी करता रहा. वह कब घर से निकलती है? किस के साथ और किस रास्ते से हो कर जातीआती है? उस ने तकरीबन 15 दिनों तक रेकी की, लेकिन इस दौरान उसे इतना मौका नहीं मिला कि सुरभि की हत्या को अंजाम दे सके.

इधर राकेश यह सोचसोच कर परेशान हो रहा था क्योंकि टास्क अभी तक पूरा नहीं हुआ था. तब उस ने सुरभि को आतेजाते रास्ते में मारने का प्लान कैंसिल करवा दिया. फिर उस ने उसे हौस्पिटल में ही मारने का प्लान बनाया. योजना के अनुसार, घटना से करीब 20 दिन पहले राकेश ने रमेश से कह कर हौस्पिटल के सारे सीसीटीवी कैमरे खराब करवा दिए, जिस से उस में घटना की कोई रिकौर्डिंग न हो सके. उस ने खुद भी हौस्पिटल आनाजाना कम कर दिया. ताकि इस बीच कोई घटना घटे तो उस पर कोई शक न कर सके. इस दौरान डा. सुरभि रोजाना हौस्पिटल आतीजाती रही.

बात 22 मार्च, 2025 की है. रोजाना की तरह डा. सुरभि घर के कामकाज निबटा कर करीब साढ़े 11 बजे हौस्पिटल गई थी और दूसरी मंजिल पर बने अपने केबिन में बैठी जरूरी फाइलों को निबटाने में बिजी थी. हौस्पिटल मरीजों से भरा हुआ था. डा. राकेश बीमारी का बहाना बना कर घर पर आराम कर रहा था. दोपहर 2 बजे के करीब 2 युवक सुरभि के केबिन में चुपके से घुस गए. दोनों सुपारी किलर थे, जो उस की हत्या करने के पैसे ले चुके थे. अचानक अपने केबिन में 2 अनजान युवकों को देख कर सुरभि घबरा गई, ”कौन हो तुम लोग? बिना नौक किए मेरे केबिन में कैसे घुस आए? सिक्योरिटी…सिक्योरिटी…’’

गोलियों से भून डाला डा. सुरभि को जैसे ही उस ने आवाज लगाने की कोशिश की एक झन्नाटेदार चांटा उस के गाल पर पड़ा.

”चुप हरामजादी, एकदम चुप.’’ एक युवक ने अपनी कमर में खोंस कर रखा साइलेंसरयुक्त पिस्टल निकाल कर सुरभि की कनपटी पर तान दिया, ”जरा भी चूंचपड़ की या शोर मचाया तो सारी गोलियां भेजे में उतार दूंगा.’’

”मुझे मार क्यों रहे हो? मैं ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है.’’ सुरभि हाथ जोड़ते हुए दोनों युवकों के सामने गिड़गिड़ाई, ”छोड़ दो मुझे…’’ वो आगे कुछ और कहती, इस से पहले युवक ने ताबड़तोड़ गोलियों से उसे छलनी कर दिया.

सुरभि अपने ही खून में सनी रिवौल्विंग चेयर पर एक ओर लुढ़क गई. वह मर चुकी थी. फर्श पर खून फैल गया था. डा. सुरभि राज मर गई है, यह इत्मीनान हो जाने के बाद दोनों युवकों ने पिस्टल से साइलेंसर निकाल कर पिस्टल अपनी कमर में खोंस लिया और फिर उसी रास्ते बाहर निकल गए, जिस रास्ते से वे हौस्पिटल में दाखिल हुए थे. लेकिन जातेजाते हत्यारे ने रमेश को फोन कर के ‘टारगेट पूरा हो गया’ की सूचना भी दे दी थी. सूचना पा कर रमेश खुशी से झूम उठा और यह बात बड़े भाई डा. राकेश को बता दी. यह खबर सुन कर राकेश भी मन ही मन खुश हो गया. फिर उस ने रमेश को अच्छी तरह समझाया कि वहां हत्या का कोई सबूत नहीं रहना चाहिए.

केबिन के फर्श पर फैले खून को इस तरह साफ कराना कि देखने से लगे कि यहां कुछ भी नहीं हुआ था. रमेश ने भाई को भरोसा दिलाया कि वैसा ही होगा, जैसा वह चाहते हैं. वगैर वक्त गंवाए रमेश ने हौस्पिटल में झाड़ूपोंछा लगाने वाली बाई बीना को फोन कर के वापस हौस्पिटल झूठ बोल कहते हुए बुलाया कि सुरभि मैडम को खून की उल्टियां हो रही हैं, आ कर उन का केबिन साफ कर दो फिर चली जाना. मालिक का आदेश मिलते ही बीना हौस्पिटल आ गई थी, जो एक घंटे पहले ही वहां से काम निबटा कर अपने घर गई थी.

ऐसे नष्ट किए मौके के सबूत

खैर, बीना हौस्पिटल पहुंची और उन के केबिन में दाखिल हुई. डा. सुरभि राज अपनी चेयर पर एक ओर लुढ़की हुई थीं. बीना को इस की भनक तक नहीं थी कि उस की मालकिन की हत्या की जा चुकी है. उस ने तो सिर्फ वही किया, जो उसे करने के लिए कहा गया था. उस ने फर्श पर फैले खून को बड़ी सफाई से साफ कर दिया. फर्श की सफाई करते हुए गोलियों के पीतल के 7 खाली खोल मिले. उन्हें नीचे फर्श से उठा कर उस ने मेज पर रख दिए और फिर दरवाजा बंद कर वापस घर लौट गई थी. उसे समझ में नहीं आया था कि वह क्या चीज थी और फर्श पर क्यों पड़े हैं.

हौस्पिटल का वार्डबौय दीपक, जो डा. सुरभि राज का सब से खासमखास और वफादार था. पता नहीं क्यों उसे सुरभि मैडम को ले कर कुछ बेचैनी सी हो रही थी. शाम के साढ़े 4 बज गए थे. उन की केबिन से कोई हरकत नजर नहीं आ रही थी तो उस ने केबिन का दरवाजा खोल कर भीतर झांका. डा. सुरभि को चेयर पर औंधे मुंह पड़ा देख कर उस के मुंह से चीख निकल पड़ी और वह उलटे पांव दूसरी मंजिल से दौड़ता नीचे हाल में आया. हाल में चीखचीख कर डा. सुरभि की हालत के बारे में सब को बता दिया.

दीपक की बात सुन कर अस्पताल के सभी स्टाफ दौड़ेभागे उन की केबिन में पहुंचे तो देखा वह अचेत पड़ी हुई थीं और शरीर खून से भीगा था. आननफानन में उन्हें एंबुलेंस से पटना एम्स ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था. इधर डा. राकेश कुमार ने झूठ बोलते हुए शाम साढ़े 4 बजे अपने ससुर राजेश सिन्हा को फोन किया कि सुरभि अचानक बीमार हो गई है. उसे पटना एम्स में भरती किया गया है, आ कर उसे देख लें. बेटी के अचानक बीमार होने की खबर मिली तो वह घबरा गए. क्योंकि दिन में ही तो उन्होंने उस से बात की थी, तब उस ने किसी बीमारी के बारे में कोई जिक्र नहीं किया था. अचानक क्या हो गया उसे? वह समझ नहीं पा रहे थे.

आननफानन में वह घर से सीधा पटना एम्स पहुंचे, जहां सुरभि के भरती होने की सूचना मिली थी. जब वह हौस्पिटल पहुंचे तो पता चला कि बेटी की गोली मार कर हत्या कर दी गई है. इतना सुनते ही वह पछाड़ खा कर फर्श पर गिरे और यह सोच कर और भी परेशान हो गए कि आखिर दामाद ने उन से झूठ क्यों बोला कि बेटी बीमार है. फिर उन्होंने अगमकुआं थाने को फोन कर के बेटी सुरभि की हत्या की सूचना दी.

एशिया हौस्पिटल की डायरेक्टर डा. सुरभि राज की हत्या की सूचना मिलते ही पुलिस के हाथपांव फूल गए थे. एसएचओ रामायण राम ने घटना की सूचना एएसपी अतुलेश कुमार झा, एसपी अखिलेश झा और एसएसपी अवकाश कुमार को दे कर खुद एम्स हौस्पिटल पहुंचे. थोड़ी देर बाद सभी पुलिस अधिकारी भी हौस्पिटल पहुंच गए, जहां मृतका के पिता राजेश सिन्हा दहाड़ मार कर रो रहे थे. शहर की कानूनव्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस ने डा. सुरभि राज की डैडबौडी अपने कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दी थी. सुरभि के पापा राजेश सिन्हा ने दामाद डा. राकेश कुमार, उस के छोटे भाई रमेश और अस्पताल की एचआर मैनेजर अलका को नामजद करते हुए पुलिस को तहरीर सौंपी.

पुलिस ने तहरीर के आधार पर तीनों के खिलाफ हत्या की धारा में मुकदमा दर्ज कर के आगे की काररवाई शुरू कर दी. एसपी अखिलेश झा के नेतृत्व में पुलिस फोर्स धुनकी मोड़ स्थित एशिया हौस्पिटल पहुंची और जांच की काररवाई आगे बढ़ाई तो जो पहली जानकारी मिली, उसी से पुलिस का शक भी मजबूत होने लगा. पता चला कि सुरभि की हत्या दोपहर तकरीबन 2 बजे के आसपास हुई थी और पुलिस को सूचना शाम साढ़े 4 बजे के करीब दी गई. यही नहीं, जिस केबिन में डा. सुरभि की हत्या की गई थी, फर्श पर खून का एक कतरा तक मौजूद नहीं था. बड़ी सफाई के साथ फर्श से खून को साफ कर सबूत को मिटा दिया गया था. पुलिस की निगाह सीसीटीवी कैमरे पर गई.

जब वह डिजिटल वीडियो रिकौर्डिंग सिस्टम (डीवीआर) तक पहुंची तो और भी चकरा गई. डीवीआर गायब था. इस बारे पुलिस ने जब हौस्पिटल के मालिक डा. राकेश से पूछा तो उस ने बताया पिछले 20 दिनों से डीवीआर खराब पड़ी है, उसे मरम्मत के लिए दुकान पर दिया गया है. राकेश का जबाव सुन कर पुलिस आश्चर्यचकित रह गई. पुलिस को लगा कि कुल मिला कर एक बड़ी साजिश के तहत डा. सुरभि राज की हत्या की गई थी और बड़ी सफाई से एकएक सबूत को गायब कर दिया गया.

अस्पताल के कर्मचारियों, मृतका के फेमिली वालों और सूत्रों से प्राप्त जानकारी के आधार पर पुलिस को पूरी तरह से नामजद आरोपियों पर शक मजबूत होने लगा. पुलिस डा. राकेश, रमेश और अलका को हिरासत में ले कर अगमकुआं थाने लौट आई. वहां सीओ अतुलेश झा और एसपी अखिलेश झा ने तीनों से सख्ती से अलगअलग पूछताछ की तो उन्होंने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. राकेश के बयान के आधार पर पुलिस ने हौस्पिटल से गायब डीवीआर मसूद आलम के घर से बरामद कर लिया. अब इस केस में अनिल का नाम भी जुड़ गया था. पुलिस ने मसूद आलम और अनिल को गिरफ्तार कर पूछताछ की तो सुरभि का गायब मोबाइल फोन राकेश के पास से बरामद कर लिया, जिस पर गोली के निशान मौजूद थे.

यही नहीं, पांचों आरोपियों की निशानदेही पर एप्पल कंपनी का एक सिल्वर रंग का मैकबुक, एक एचपी कंपनी का प्रो बुक, 2 पैन ड्राइव, विभिन्न कंपनियों के 15 सिमकार्ड, एक ग्रे कलर की टोपी और 7 मोबाइल फोन बरामद किए. पूछताछ में पांचों आरोपियों ने डा. सुरभि राज की साजिशन हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. पूछताछ में हत्या की जो कहानी सामने आई, वह अवैध संबंधों की बुनियाद पर रचीबसी निकली. 35 वर्षीय सुरभि राज मूलरूप से पटना के रहने वाले राजेश सिन्हा की बेटी थी. राजेश सिन्हा की 5 बेटियां थीं, बेटा एक भी नहीं था. उन्होंने बेटियों को बेटे की तरह परवरिश कर पढ़ायालिखाया, ताकि वे खुद के पैरों पर खड़े हो कर अपनी घरगृहस्थी की जिम्मेदारियां संभाल सकें.

पांचों बेटियों में सुरभि सब से बड़ी थी. वह निहायत समझदार और पढ़ाई में अव्वल भी थी. उस का सपना था भविष्य में एक ऐसा बिजनैस खड़ा करना, जिस में पैसे तो आएं, साथ ही समाजसेवा भी होती रहे.

मैडिकल की पढ़ाई में परवान चढ़ा प्यार

बात 2015 की है. कालेज का दौर था. जिस मैडिकल कालेज में वह पढ़ती थी, उसी में राकेश रोशन उर्फ चंदन सिंह भी पढ़ता था. नोट्स लेतेदेते दोनों में गहरी दोस्ती हो गई थी. इस दोस्ती ने कब प्यार का रूप ले लिया, उन्हें पता ही नहीं चला. उन्हें पता तो तब चला जब दोनों एकदूसरे के बिना रह नहीं पाते थे. कालेज कैंपस से अलग होते ही दोनों तड़पने लगते थे. 3 साल तक दोनों का प्यार यूं ही चलता रहा और साल 2018 में प्रेमीप्रेमिका से पतिपत्नी बन गए थे. हालांकि सुरभि के फेमिली वालों को यह रिश्ता मंजूर नहीं था, लेकिन औलाद की खुशी के आगे दिल पर पत्थर रख कर उन्हें झुकना पड़ा था.

 

शादी के बाद डा. राकेश पटना के एक निजी अस्पताल में नौकरी करने लगा था. डा. सुरभि राज भी उसी निजी हौस्पिटल में पति के साथ नौकरी करने लगी थी. दोनों साथसाथ नौकरी करते थे. उसी अस्पताल में अलका नाम की युवती भी नौकरी करती थी. वह खूबसूरत थी. तब उस की उम्र 25 साल के करीब रही होगी, जब पहली बार राकेश की नजर उस पर पड़ी तो वह उस की खूबसूरती को एकटक निहारता ही रह गया था. इस दरमियान सुरभि भी 2 बच्चों की मां बन चुकी थी.

जब से राकेश और सुरभि ने हौस्पिटल में नौकरी शुरू की थी, हौस्पिटल की बेशुमार आमदनी देख कर उन की आंखें फटी रह गईं. दोनों ने मिल कर एक अपना भी नर्सिंग होम बनाने के ठान ली. साल 2020 में दोनों ने अपने सपनों को पंख देना शुरू किया और अगमकुंआ थाना क्षेत्र के धुनकी मोड़ पर एक प्लौट खरीद कर एक बड़ा अस्पताल बनवाया, जिस नाम ‘एशिया हौस्पिटल’ रखा. अस्पताल को चलाने के लिए डा. राकेश रोशन और डा. सुरभि राज ने दिनरात जीतोड़ मेहनत की और कौन्ट्रैक्ट पर शहर के मानेजाने डाक्टरों को अपने अस्पताल में पैनल पर रख लिया. अस्पताल चल निकला और रुपयों की बरसात होने लगी.

राकेश और सुरभि ने अपने सपने जी लिए जो उन्होंने ठाना था, उसे पूरा कर लिया था. डा. सुरभि ने अस्पताल का पूरा दायित्व पति के कंधों पर छोड़ दिया और खुद वहां जानाआना कम कर दिया. राकेश का दिल अभी भी अलका के लिए धड़क रहा था. फोन पर अभी भी दोनों के बीच बातचीत होती रहती थी. अलका चाहती थी, वह भी उसी के साथ उसी के अस्पताल में काम करे. उस ने अपनी दिली इच्छा राकेश के सामने रख दी.

राकेश के दिल में अलका के लिए पहले से ही सौफ्ट कार्नर था, जैसे ही उस का प्रस्ताव आया तो वह न नहीं कर सका और उसे अपने वहां बुला लिया. यही नहीं उसे एचआर मैनेजर बना दिया. राकेश की इस दयालुता पर वह नतमस्तक हो गई थी. राकेश के दिल में पहले से जन्मे प्यार ने अंकुरित हो कर पौधे का रूप ले लिया था. अलका भी उसे पंसद करने लगी थी. यह जानते हुए भी कि डा. राकेश शादीशुदा है और उस के 2 बच्चे हैं. फिर भी अलका राकेश को अपना दिल दे बैठी और उस के दिल पर अपनी हुकूमत चलाने लगी.

4 साल तक उन का प्यार परदे के पीछे छिपा रहा. आखिरकार डा. सुरभि को कहीं से भनक लग ही गई कि उस के पति का एचआर मैनेजर अलका के बीच काफी दिनों से अफेयर चल रहा है और उस के पति अलका पर पैसा पानी की तरह बहा रहे हैं. सुरभि यह यह कतई बरदाश्त नहीं कर सकती थी कि उस का सिंदूर बंट जाए. उस ने इस पर पति से सवाल किया और अलका को नौकरी से हटाने का दबाव बनाया, लेकिन पति डा. राकेश ने उस की दोनों बातें मानने से इंकार कर दिया. पति की यह बात डा. सुरभि को काफी नागवार लगी और उस ने फैसला कर लिया किवह अलका को अपने यहां से हटा कर ही दम लेगी.

सुरभि के जिद्दी स्वभाव से राकेश अच्छी तरह परिचित था. किसी कीमत पर वह अलका को अपने से दूर होने देना नहीं चाहता था. इस बात को ले कर पतिपत्नी के बीच मनमुटाव तक हो गया और झगड़े भी होने लगे. सुरभि घर की सारी बातें मायके खासकर अपनी मम्मी और पापा को बताया करती थी. प्रेम विवाह करने पर अब उसे पछतावा हो रहा था. सुरभि किसी कीमत पर पति को मनमानी नहीं करने देना चाहती थी. इस के लिए वह घर में बैठने की बजाए नर्सिंगहोम में बैठना शुरू कर दिया. यह बात घटना से करीब डेढ़ महीने पहले की है.

सुरभि के हौस्पिटल आने से डा. राकेश की परेशानियां बढ़ गई थीं. अब न तो वह खुल कर प्रेमिका अलका से रंगीन बातें कर सकता था और न ही पैसों की मनमानी ही कर सकता था. दिन पर दिन सुरभि पति के प्रति सख्त होती जा रही थी. पत्नी का यह रूप देख कर राकेश परेशान हो गया. इसी परेशानी को दूर करने के लिए उस ने सुरभि को रास्ते से हटाने की खतरनाक योजना बना ली थी. उसी योजना के तहत राकेश ने हौस्पिटल के अपने खासमखास सिपहसालारों भाई रमेश कुमार, अनिल, मसूद आलम और प्रेमिका अलका के साथ मिल कर सुरभि को मौत के घाट उतार दिया था.

सुरभि की हत्या करवा कर डा. राकेश रोशन ने अपने रास्ते के कांटे को हमेशाहमेशा के लिए उखाड़ फेंका था. साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने सुरभि हत्याकांड की गुत्थी तो फिलहाल सुलझा ली थी. जांच में यह बात भी साबित हो गई थी कि डा. राकेश रोशन, रमेश, अलका, अनिल और मसूद आलम ने मिल कर ही डा. सुरभि राज की हत्या करवाई थी, लेकिन करीब 3 माह बीत जाने के बाद भी उस पिस्टल को पुलिस ढूढ नहीं पाई, जिस से उस की हत्या की गई. और न ही वो हत्यारे ट्रेस हो सके थे, जिन्होंने उस की हत्या की थी.

 

 

 

UP Crime News : पति को टुकड़े कर सीमेंट से ड्रम में जमाया

UP Crime News : सौरभ राजपूत मर्डर केस के बाद प्लास्टिक का नीला ड्रम चर्चा में गया है. 27 वर्षीय मुसकान रस्तोगी ने प्रेमी साहिल शुक्ला के साथ सिर्फ विदेश में नौकरी करने वाले पति सौरभ राजपूत की क्रूरतम तरीके से हत्या की, बल्कि उस की लाश के टुकड़े कर ड्रम में डाल कर ऊपर से सीमेंट कंक्रीट का घोल भर दिया. जिस सौरभ के साथ उस ने घर से भाग कर शादी की थी, आखिर उसी के प्रति इतनी क्रूर कैसे हो गई मुसकानï? पढ़ें, लव क्राइम की यह चौंकाने वाली कहानी.

”साहिल, तुम्हें तो पता ही है कि हमारे प्यार की जानकारी पति सौरभ को हो चुकी है.

वह लगातार निगरानी कर रहा है. उस ने एक बार पहले तो किसी तरह तलाक का केस वापस ले लिया था, लेकिन इस बार वह लंदन से लौटने के बाद क्या गुल खिलाएगा, कुछ पता नहीं. मुझे तो लग रहा है कि उस के रहते हमारी प्रेम कहानी अधूरी रह जाएगी या फिर यह कोई ऐसा मोड़ न ले ले, जिस से हमारी जिंदगी नरक बन जाए. इस से बेहतर तो यही है कि सौरभ को ही ठिकाने लगा दिया जाए क्योंकि इस के अलावा अब हमारे सामने कोई रास्ता नहीं है.’’ मुसकान ने प्रेमी से कहा.

”किस तरह ठिकाने लगाया जाए?’’ साहिल ने सवाल दाग दिया.

”अरे, किसी सुपारी किलर से बात करो.’’

”मेरठ में इस तरह का कोई गैंग मेरी जानकारी में नहीं है और भाड़े के हत्यारे रकम भी बहुत मांगते हैं.’’ साहिल बोला, ”इतने हाईप्रोफाइल मर्डर के पता नहीं 10 लाख की डिमांड करें या 20 लाख की.’’

”जानू, फिर तुम्हीं कोई रास्ता बताओ. यह काम क्या तुम नहीं कर सकते?’’

साहिल शुक्ला ने इस पर चुप्पी साध ली.

”बोलते क्यों नहीं? बुजदिल हो क्या? मैं तुम्हारे लिए सब कुछ छोडऩे को तैयार हूं और तुम डर रहे हो. सौरभ लंदन से घर आने वाला है, इसलिए यह काम जल्द करना होगा.’’

यह बात नवंबर 2024 की है. मुसकान रस्तोगी इसी तरह प्रेमी साहिल शुक्ला के साथ पति सौरभ की हत्या की प्लानिंग कर रही थी कि उस की हत्या भी हो जाए और कोई उन पर शक भी न करे. उसी दौरान सौरभ राजपूत का नवंबर 2024 में लंदन से भारत आने का कार्यक्रम स्थगित हो गया. सौरभ ने सोचा कि फरवरी 2025 में ही अपने घर जाएगा, क्योंकि इसी महीने उस की पत्नी मुसकान और बेटी का जन्मदिन था. सौरभ का घर लौटने का कार्यक्रम स्थगित हो जाने पर दोनों प्रेमी युगल बहुत उदास हुए. जैसेतैसे दोनों मौजमस्ती करते रहे. साथ जीने की कसमें दोहराते रहे.

इस तरह साल 2024 गुजर गया. फिर अचानक फोन पर सौरभ राजपूत ने पत्नी मुसकान रस्तोगी को बताया, ”जानू, मैं फरवरी, 2025 में निश्चित रूप से मेरठ आ रहा है. तुम्हारा जन्मदिन भी सेलिब्रेट होगा और हम दोनों के प्यार की निशानी बेटी के जन्मदिन पर भी पार्टी करेंगे.’’

यह खबर मिलने पर फिर से मुसकान और साहिल सौरभ कुमार की हत्या करने की साजिश बुनने में सक्रिय हो गए. इस के बाद उन्होंने तय कर लिया कि वह सौरभ की हत्या किसी किलर से नहीं कराएंगे, क्योंकि किसी बाहरी व्यक्ति से हत्या कराने का राज कुछ दिनों में खुल ही जाता है. इसलिए उन्होंने खुद ही उस की हत्या करने का प्लान बनाया, जिस से उस की हत्या राज ही बन कर रह जाए. मुसकान और साहिल ने ये प्लान बनाया कि हत्या के बाद या तो लाश के टुकड़े कर के अलगअलग जगहों पर फेंक देंगे या फिर लाश को कहीं सुनसान जगह पर दबा देंगे. ऐसी सुनसान जगह भी वह खोजने लगे.

साहिल शुक्ला ऐसी जगह तलाशने लगा, जहां हिंदू मृतक बच्चों या मृत पशुओं को दफनाते हों. दोनों ने शव को दफनाने के लिए एक जगह की तलाश की. वे एक गांव पहुंचे, जहां मृत जानवरों को दफनाया जाता था. सौरभ के शव को ठिकाने लगाने के लिए उन्हें यही जगह सही नजर आई.

मुसकान ने कैसे बनाया हत्या का प्लान

अपनी योजना के अनुसार 22 फरवरी, 2025 को मुसकान मेरठ के शारदा रोड पर एक डाक्टर के पास गई. यहां उस ने डाक्टर को बताया कि वह डिप्रेशन का शिकार है. रात को उसे नींद नहीं आती, सिर मैं दर्द रहता है. डाक्टर ने परची पर दवाइयां लिख दीं. डाक्टर की लिखी हुई दवाइयों से वह संतुष्ट नहीं हुई. इस के बाद उस ने गूगल का सहारा लिया. उस ने नींद की दवा और नशीली दवाओं के बारे में जानकारी हासिल की. इस के बाद उस ने डाक्टर की लिखी हुई परची पर ही उसी की राइटिंग से मेल खाती राइटिंग में अतिरिक्त दवाओं के नाम भी जोड़ दिए.

इस के बाद वह और साहिल खैरनगर गए. योजनानुसार वहां उन्होंने नींद की गोलियों के अलावा कुछ और भी दवाइयां खरीदीं. दोनों ने इस के बाद 800 रुपए की कीमत वाले 2 ऐसे चाकू खरीदे, जो चाकू पशु वध करने वाले कसाई प्रयोग करते हैं. दुकानदार ने पूछा किस काम के लिए छुरा चाहिए तब मुसकान ने बताया कि कभीकभी मुरगा काटने के लिए काम में लेना है. ब्लीचिंग पाउडर, परफ्यूम और पौलीथिन कट्टा खरीदा. 2 मजबूत किस्म के टूरिस्ट बैग भी खरीदे गए. साहिल ने कहा कि सौरभ को शराब पीने का शौक है. उसे शराब में नशे की गोलियां मिला कर दे देना. फिर मुझे फोन करना, मैं आ जाऊंगा. दोनों मिल कर सौरभ की गरदन काट कर हत्या कर देंगे. लाश के टुकड़े कर के इन बैगों में भर लेंगे और उन्हें इस गांव में गड्ïढा खोद कर दबा देंगे.

25 फरवरी, 2025 की रात को मुसकान का जन्मदिन था. इसलिए 24 फरवरी, 2025 को सौरभ लंदन से मेरठ अपने घर आ गया. 25 फरवरी को पतिपत्नी और बेटी ने मिल कर मुसकान के जन्मदिन को सादा तरीके से ही सेलिब्रेट किया, क्योंकि 28 फरवरी को बेटी का छठा जन्मदिन था. उस के जन्मदिन को बड़े उत्साह और जोशोखरोश के साथ मनाए जाने की लालसा के साथ सौरभ राजपूत मेरठ स्थित अपने घर आया था. दूसरे यह कि उस के पासपोर्ट की डेट भी एक्सपायर होने जा रही थी, उस का रिन्यूअल भी कराना था. बेटी का जन्मदिन उन्होंने बड़े उत्साह के साथ मनाया. पतिपत्नी और बेटी ने जम कर डांस भी किया, यह वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. अच्छे होटल से मनपसंद खाने का और्डर किया गया.

सब कुछ टेबल पर सजा दिया गया था. केक काटने के बाद सब से पहले बेटी को केक खिला कर जन्मदिन सेलिब्रेट किया गया. तीनों खाने की टेबल पर पहुंचे, तभी मुसकान ने अंगरेजी शराब का क्र्वाटर ला कर टेबल पर रख दिया. यह उच्च क्वालिटी की शराब  सौरभ लंदन से ही शौकिया इस्तेमाल करने के लिए लाया था. गिलास में नशीली गोलियां पीस कर डाल रखी थीं, जिस में शराब डाल कर सौरभ को दी जानी थी. लेकिन शराब का क्वार्टर देख कर ही सौरभ ने शराब पीने से इनकार कर दिया. उस ने कहा कि तबीयत ठीक नहीं है.

यह सुन कर मुसकान को गहरा धक्का लगा. इस से मुसकान रस्तोगी को लगा कि शायद सौरभ को उस पर कोई शक हो गया है. उस ने जल्दी से किचन में जा कर गिलास को धोया. 3 गिलास पानी ला कर टेबल पर रख दिए. उधर साहिल शुक्ला मुसकान का फोन न आने से बेचैन था. रात भर वह प्रेमिका मुसकान रस्तोगी के फोन का इंतजार करता रहा. नींद आंखों से कोसों दूर थी. अपनी तरफ से वह फोन कर नहीं सकता था, न ही कोई मैसेज भेज सकता था. वह जानता था, यदि सौरभ कुमार बेहोश नहीं हुआ होगा और उस ने फोन कर दिया तो सारी प्लानिंग फेल हो जाएगी. इधर मुसकान रस्तोगी की रात भी करवट बदलबदल कर ही कटी. फरवरी का महीना 28 दिन का था.

पहली मार्च को पतिपत्नी और बेटी ने शौपिंग की. घर पर मौजमस्ती की. रात को खाना होटल से ही मंगाया और खाना खा कर सो गए. 2 मार्च, 2025 को दोनों में तनातनी की बातें होने लगीं, लेकिन मुसकान ने उसे बहुत खूबसूरत अंदाज में टाल दिया. कहने लगी कि जानू, पुरानी बातों को भूल जाओ. मेरा इस संसार में तुम्हारे अलावा कोई नहीं है. मैं जिंदगी भर सिर्फ तुम्हारी ही बन कर रहूंगी. हम दोनों के बीच कभी कोई तीसरा नहीं आएगा. ऐसी प्यार भरी बातें सुन कर सौरभ राजपूत का दिल पिघल गया. उस ने आगे कोई मनमुटाव वाली बात नहीं की. मुसकान के दिमाग में तो अपनी योजना को पूरी करने का खाका घूम रहा था.

2 मार्च, 2025 का दिन मुसकान ने अपने पति से प्यार का नाटक कर के गुजार दिया. 3 मार्च को मुसकान ने कहा कि मैं मायके जा रही हूं. बेटी को भी मम्मी के पास छोड़ आऊंगी. फिर हम दोनों ही जवानी के इन खूबसूरत पलों का आनंद लेंगे. सौरभ इनकार नहीं कर सका. बात में कोई झोल भी नहीं थी. कोई साजिश भी नजर नहीं आ रही थी. यह बात 3 मार्च को दोपहर के खाना खाने के बाद की है.

सीने पर बैठ कर गोदा पति को

कुछ देर घर रुकने के बाद सौरभ राजपूत ने भी सोचा कि वह भी अपनी मम्मी के घर घूम आए. यहां उस की मम्मी बेचैनी से उस का इंतजार कर रही थी. क्योंकि करीब 2 साल बाद उन का बेटा लंदन से वापस मेरठ आया था. सौरभ को देखते ही मम्मी की आंखें भर आईं. मम्मी ने उस की पसंदीदा सब्जी लौकी के कोफ्ते बनाए. काफी शाम हो चुकी थी. उस की मम्मी बोली, ”खाना खा ले बेटा!’’

सौरभ कहने लगा, ”मम्मी, आप ऐसा करो कि लौकी के कोफ्ते की सब्जी मुसकान को भी बहुत पसंद है. आप पैक कर दो. हम दोनों साथ ही खा लेंगे.’’

उधर मुसकान ने प्रेमी से कह दिया कि हमारी योजना आज अंजाम तक पहुंच जाएगी. तुम तैयार रहना, मैं ने बेटी को भी अपनी मम्मी के घर छोड़ दिया है. कोशिश करूंगी कि आज रात को खाने में उस को नींद की गोलियां मिला कर दे दूं. सौरभ राजपूत अपनी मां के घर से लौकी के कोफ्ते पैक करा कर लाया था, मुसकान ने उस की सब्जी में नींद की गोलियां मिला कर उसे खिला दीं. इस तरह मुसकान ने अपने पति को बेहोश कर दिया. रात लगभग 11 बजे सौरभ गहरी नींद में सो गया. लगभग 12 बजे मुसकान ने प्रेमी साहिल शुक्ला को मुसकान ने फोन किया. साहिल करीब साढ़े 12 बजे मुसकान के घर पहुंच गया. साहिल शुक्ला ने भी चैक कर के देखा कि सौरभ राजपूत बेहोश है या नहीं.

पूरा यकीन हो जाने पर साहिल शुक्ला ने मुसकान को इशारा किया. इशारा पाते ही मुसकान सौरभ के सीने पर आ कर बैठ गई. तभी बाजार से लाया गया छुरा पति के सीने में घुसेड़ दिया. सौरभ की तेज चीख निकली, लेकिन नींद में होने की वजह से वह कोई विरोध नहीं कर सका. दूसरे साहिल ने उस के पैर दबोच रखे थे. इस के बाद जिस ने पैर पकड़े हुए थे, उस ने उस छुरे को पकड़ लिया और जिस ने छुरा पकड़ा हुआ था, उस ने पैरों को पकड़ लिया. फिर साहिल ने एक के बाद एक छुरे से सीने पर वार किए. सौरभ रो रहा था. गिड़गिड़ा रहा था. कह रहा था कि जैसा तुम कहोगे, मैं वैसा करूंगा. मुझे माफ कर दो, मुझे छोड़ दो. मैं तुम्हें तलाक दे दूंगा. मैं तुम से बहुत दूर चला जाऊंगा. तुम्हारी जिंदगी में कभी लौट कर नहीं आऊंगा. वह इस तरह से गिड़गिड़ाता चला गया, लेकिन दोनों पर इन बातों का कोई असर नहीं पड़ रहा था.

यह आवाज, दवाओं के नशे में दबी उस की चीखपुकार दोनों कातिलों के कानों तक पहुंच तो रही थी. मगर उस की चीख और उस की इल्तेजा का दोनों पर कोई असर नहीं पड़ रहा था. वह अपना काम बड़े इत्मीनान से बहुत आराम से कर रहे थे. आखिरकार लगभग 25 से 30 मिनट तक वह व्यक्ति ऐसे ही दर्द से तड़पता रहा और फिर दम तोड़ दिया. उस की नब्ज को टटोल कर देखने के बाद सौरभ राजपूत की लाश को दोनों खींच कर बाथरूम में ले गए. उस के हाथों को काट दिया गया. गरदन धड़ से अलग कर दी गई. ब्लीचिंग पाउडर से सब धो कर साफ किया गया.

उस के बाद साहिल शुक्ला जो बैग खरीद कर लाया था, उस में गरदन और हाथों को रख कर ठिकाने लगाने के लिए अपने साथ अपने घर ले गया. मुसकान कटे हुए शरीर के शेष भाग को डबल बैड में डाल कर उसी बैड पर लेटी रही. साहिल शुक्ला बैग ले कर वापस मुसकान के पास आया 4 मार्च की बात है. उस ने कहा कि कहीं दूर ले जा कर फेंकने का मौका नहीं लगा, इसलिए इसे ठिकाने लगाने का कोई और तरीका सोचते हैं. नई योजना के तहत दोनों ने घंटाघर से प्लास्टिक का एक बड़ा नीला ड्रम और स्थानीय बाजार से सीमेंट खरीदा.

हत्या के बाद शादी कर मनाया हनीमून

मुसकान के घर लौट कर उन्होंने धड़ को ड्रम में डाल दिया. उस के बाद साहिल ने सिर और हाथ निकाल कर सीमेंट और कंक्रीट का घोल ड्रम में डाल दिया. सीमेंट और कंक्रीट के घोल से उन्होंने ड्रम को सील कर दिया. इस तरह सौरभ के क्षतविक्षत शरीर को कंक्रीट की कब्र में दफना दिया गया. हत्या के बाद हिल स्टेशन घूमने का प्रोग्राम बनाया. साहिल ने एक ट्रैवल एजेंसी से हिमाचल के 15 दिनों के टूर के लिए 54 हजार रुपए में एक टैक्सी बुक की. ट्रैवल एजेंसी को सािहल ने अपना नाम विकास बताया था. मुसकान ने पड़ोसियों को बताया था कि वह कई दिन के टूर पर हिमाचल घूमने जा रही है.

4 मार्च, 2025 को टैक्सी ड्राइवर अजब सिंह की स्वीट डिजायर कार से मुसकान और टूर पर निकल गए. वह सब से पहले शिमला पहुंचे. वहां पर दोनों ने एक मंदिर में शादी की. उस के बाद हनीमून मनाने के लिए मनाली चले गए. शिमला के एक होटल में साहिल का जन्मदिन मनाने की मुसकान ने प्लानिंग की. मुसकान ने ड्राइवर अजब सिंह से एक केक मंगाया. उस से कहा गया कि इस बात को गुप्त रखना, क्योंकि वह साहिल को सरप्राइस देना चाहती थी. साहिल का जन्मदिन मनाया गया. इस दौरान उन्होंने केक काटा और डांस किया. केक काटते और किस करते दोनों का एक वीडियो भी वायरल हुआ है.

दोनों ने कसोल में होटल पूर्णिमा में 10 मार्च को चैकइन करने के बाद 16 मार्च तक वहां रहे. 6 दिनों तक ठहरने के दौरान उन्होंने ज्यादातर समय कमरे में ही बिताया. ड्राइवर को जितना भी पेमेंट किया, मुसकान ने ही अपने यूपीआई से किया था. साहिल ने पेमेंट कभी नहीं किया. कुल मिला कर टोटल जितने दिन वे टूर पर रहे, सभी पेमेंट मुसकान के मोबाइल से औनलाइन ही किया गया. सौरभ का मोबाइल भी मुसकान के पास ही था. वह लगातार उसी के मोबाइल से अपनी बेटी और अपने मम्मीपापा से भी कांटेक्ट कर रही थी और सौरभ के घर वालों से भी कांटेक्ट में थी. दोनों परिवारों को उस ने फोन से गुमराह किया.

शिमला की हसीन वादियों की तसवीर और वीडियो देख कर ये लोग समझते रहे कि सौरभ अपनी पत्नी मुसकान के साथ शिमला की वादियों में मौजमस्ती कर रहा है. 17 मार्च को रात के 10 -11 बजे के करीब शिमला से लौटे, तब मुसकान और साहिल एक साथ ही मुसकान के कमरे पर रुके. उन्हें अब तो किसी तरह का खौफ नहीं था. मुसकान का पति सौरभ अब ड्रम में कैद था. वह भी इस तरह से जो बाहर न निकल सके.

पेरेंट्स ने किया बेटी को पुलिस के हवाले

दोनों ने ड्रम का मुआयना किया. ड्रम इतना भारी था कि उन से खिसक नहीं रहा था. इस में से हलकीहलकी बदबू भी आ रही थी. सुबह उठ कर साहिल ने 3-4 मजदूरों की व्यवस्था की, जिस से ड्रम को कहीं ठिकाने लगाया जा सके. मजदूर इस मकान के दूसरे गेट से बुलाए गए, जोकि कभी प्रयोग में नहीं आता था. यह रास्ता एक पतली गली में खुलता है. मजदूरों ने ड्रम को निकालने की कोशिश की, लेकिन बहुत भारी होने तथा बदबू आने के कारण वे ड्रम को घर से बाहर नहीं निकाल सके. सो वे वापस चले गए. इस से मुसकान और साहिल दोनों घबरा गए. दोनों ने काफी  चिंतन किया कि अब क्या किया जाए. तो मुसकान ने कहा कि मैं अब अपने मम्मीपापा से सलाह करती हूं. उस के बाद सोचेंगे कि क्या करना है.

यह कह कर मुसकान ने अपनी मम्मी को फोन किया. फिर उस के बाद मायके पहुंची. मुसकान ने मम्मीपापा को पति सौरभ की हत्या करने की बात बताई. प्रमोद रस्तोगी और उन की पत्नी कविता रस्तोगी 18 मार्च, 2025 को मुसकान रस्तोगी उर्फ शोभी (27 साल) को साथ ले कर मेरठ के थाना ब्रह्मïपुरी पहुंच गए. वहां मौजूद एसएचओ रमाकांत पचेरी को उन्होंने बताया कि इस लड़की ने मेरे दामाद सौरभ राजपूत को बहुत बुरी तरह से मार दिया है. इस को गिरफ्तार कर के जेल भेज दो. उस के बाद इसे फांसी चढ़ा दो. हम अपनी इस बेटी को कभी देखना नहीं चाहते.

एसएचओ ने जैसे ही ये बात सुनी, उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ. वह सोचने पर मजबूर हो गए कि शायद ये भारत के पहले ऐसे मांबाप होंगे जो अपनी ही बेटी को फांसी चढ़ते हुए देखना चाहते हैं और ये पहले ही ऐसे मांबाप होंगे, जो अपनी बेटी का हाथ पकड़ कर थाने लाए हैं. एसएचओ रमाकांत पचेरी ने शुरुआती पूछताछ के बाद मामले की जानकारी उच्च अधिकारियों को दी. एसएचओ पुलिस फोर्स ले कर उस स्थान पर पहुंचे, जहां पर मुसकान रस्तोगी ने अपने प्रेमी साहिल शुक्ला के ठहरे होने का पता बताया था.

साहिल शुक्ला उस स्थान पर आराम से बेखौफ बैठा था. किसी तरह की घबराहट व शिकन उस के चेहरे पर नहीं थी. 2 सिपाहियों ने आगे बढ़ कर उसे हिरासत में ले लिया. आराम से बिना किसी झंझट के पुलिस साहिल शुक्ला को पकड़ कर थाने ले आई. साहिल शुक्ला ने भागने की भी कोई कोशिश नहीं की. उच्च अधिकारी भी सक्रिय हो गए. फिर दोनों से पूछताछ शुरू की गई. मैराथन पूछताछ के बाद एक नए तरह की हत्या का मामला सामने आया. किसी की हत्या कर के तंदूर, फ्रिज, सूटकेस, ईंट भट्ठा, डबल बैड, सेफ्टी टैंक आदि में लाश छिपाने के अनेक मामले देश में चर्चित हो चुके हैं. अब यह मामला सीमेंट ड्रम किलर के नाम से जाना जाएगा. दोनों ने पहले तो पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन अलगअलग पूछताछ हुई तो उन्होंने पूरा सच उगल दिया.

हत्या के इस खुलासे ने मेरठ ही नहीं, पूरे प्रदेश और देश के लोगों की दिमाग की चूलें हिला दीं. पुलिस का अनुमान है कि यह तरीका शायद फिल्म देख कर दोनों को आया होगा. इतनी जानकारी मिलने पर पुलिस ने छापा मार कर ड्रम बरामद किया. उस में से  शव निकालने की कोशिश की. लेकिन कामयाबी नहीं मिली. पंचनामा भर कर उसे ऐसे ही पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया गया. ड्रम मेरठ के एक सरकारी अस्पताल के मुर्दाघर पहुंचा. ड्रम जरूरत से ज्यादा भारी था, न यह ड्रम खुल पा रहा था, न ही इसे तोड़ा जा सका था. लिहाजा पुलिस ने तय किया कि इस ड्रम को मशीन से काटा जाए. कुछ देर में ही मशीन और मैकेनिक मुर्दाघर में बुला लिए गए. अब बारी ड्रम को काटने की थी.

बड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार ड्रम को काटने में कामयाबी मिली. दरअसल, इस ड्रम के अंदर सीमेंट कंक्रीट का घोल भर दिया गया था, जिस की वजह से वह जम कर पत्थर की तरह सख्त हो चुका था. अब ड्रम काटने के बाद उस के अंदर जमे हुए सीमेंट के टुकड़ों को भी मशीन से काटने का काम शुरू हो गया. थोड़ी देर बाद सारे टुकड़े अलग हो गए. फिर उन्हीं टुकड़ों में से 4 टुकड़ों में बिखरी सौरभ राजपूत की लाश निकली. ड्रम में टुकड़ों में बंद होने के पूरे 14 दिन बाद काली पौलीथिन में सौरभ की लाश के 4 टुकड़े निकले. डाक्टरों की एक टीम द्वारा पोस्टमार्टम किया गया.

सीएमओ अशोक कटारिया ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा कि शव की हालत काफी खराब थी. बौडी को गलाने के लिए सीमेंट से प्लास्टर किया गया था. दांत हिल रहे थे. स्किन ढीली पड़ गई थी. गरदन के चारों तरफ घाव थे. दाएं कान से 7 सेंटीमीटर नीचे घाव मिला. जबड़े के दाईं ओर 4 सेंटीमीटर का घाव मिला. ठोड़ी से 6 सेंटीमीटर नीचे जख्म था. बाएं कान से 8 सेंटीमीटर नीचे और जबड़े के बाएं कोने से 4 सेंटीमीटर नीचे जख्म मिले. 3 जख्म बाईं छाती पर मिले. एक जख्म 6 सेंटीमीटर गहरा था. छुरी दिल को चीरते हुए निकल गई थी. सौरभ के पैर धड़ की तरफ मुड़े थे, जिन्हें सीधा करना मुश्किल हो गया था.

इस तरह दोनों शातिर कातिलों की गिरफ्तारी होने के बाद सौरभ हत्याकांड का खुलासा हुआ. इस सनसनीखेज मामले ने मेरठ को ही नहीं, बल्कि देश भर के लोगों को सन्न कर दिया. यह कहानी प्यार, धोखे और अपराध की एक दुखद मिसाल है, जहां एक प्रेम प्रसंग ने एक निर्दोष की जान ले ली. मुसकान उत्तर प्रदेश के महानगर मेरठ की मास्टर कालोनी, ब्रह्मपुरी क्षेत्र की रहने वाली थी. उस के परिवार में पेरेंट्स के अलावा एक छोटा भाई है. मुसकान के पापा प्रमोद रस्तोगी मेरठ में किराने की दुकान चलाते थे. मम्मी कविता रस्तोगी एक गृहिणी थीं, जो परिवार की देखभाल करती थीं. परिवार की आर्थिक स्थिति औसत है, न ज्यादा अमीर न ही गरीब.

मुसकान ने सौरभ से भाग कर की थी शादी

मुसकान अपने परिवार में सब से बड़ी संतान थी और शुरू में उसे घर में काफी लाड़प्यार मिला. पड़ोसियों के अनुसार, वह बचपन में शांत और आज्ञाकारी थी, लेकिन किशोरावस्था में आते ही उस का व्यवहार बदलने लगा. उस की पढ़ाई मेरठ के विवेकानंद स्कूल से शुरू हुई. मुसकान के नाना ज्योतिषी थे और सौरभ के परिवार के लोग मुसकान के घर जाते थे. इस दौरान दोनों में प्रेम प्रसंग हुआ. 2015 में जब मुसकान की सौरभ से दोस्ती हुई. दोनों के दिलों में प्यार का अंकुर फूटा और देखते ही देखते विशाल वृक्ष के रूप में फैल गया.

मुसकान की सुंदरता, बौडी लैंग्वेज व फिगर किसी फिल्मी हीरोइन से कम नहीं थी. सौरभ के शरीर से भी उस का यौवन छलक रहा था. इन के प्रेम प्रसंग की बात दोनों के परिवारों को पता लगी. अब दोनों ही ने अपनेअपने बच्चों को इस संबंध को खत्म करने की सलाह दी, लेकिन इन दोनों पर तो प्यार का भूत सवार हो चुका था. इन्होंने अपने घर वालों की कोई बात नहीं मानी और विवाह के लिए दबाव बनाने लगे. सौरभ एक राजपूत परिवार से था, जबकि मुसकान रस्तोगी थी. इस अंतरजातीय विवाह को ले कर दोनों परिवारों में असहमति थी. प्यार की खातिर मुसकान और सौरभ ने अपनेअपने परिजनों से बगावत कर दी और दोनों घर छोड़ कर फरार हो गए.

दोनों ही अपने घर वालों के लिए बहुत ही दुलारे और प्यारे थे. इसलिए दोनों को तलाश कर के घर बुला लिया गया. सौरभ राजपूत और मुसकान रस्तोगी के बीच प्रेम प्रसंग चलता रहा. सौरभ के घर वाले किसी भी कीमत पर मुसकान से विवाह करने के लिए राजी नहीं थे. अंजाम यह हुआ कि दोनों ने खुद निर्णय लेते हुए सन 2016 में प्रेम विवाह कर लिया. हालांकि मुसकान की जिद के आगे उस के पेरेंट्स को झुकना पड़ा. लेकिन सौरभ के परिवार ने इस शादी को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया था.

शादी के बाद मुसकान सौरभ के साथ इंदिरानगर फेज वन में किराए के मकान में रहने लगी. शादी के समय सौरभ मर्चेंट नेवी में दुबई में नौकरी कर रहा था. हालांकि शादी के एक साल बाद ही नौकरी छोड़ कर सौरभ राजपूत मेरठ वापस आ गया और यहीं दिल्ली रोड पर एक प्लाईवुड कंपनी में नौकरी करने लगा. अब उस की माली हालत पहले जैसी नहीं रही. दुबई में नेवी की नौकरी में खूब पैसा मिलता था. दुबई के रुपए की वैल्यू भी अथिक थी, जिस से भारतीय रुपए काफी मिल जाते थे. आर्थिक तंगी से जूझ रहे सौरभ ने अपने पेरेंट्स से संबंध नौरमल किए. समय के साथ स्थिति सामान्य हो गई. सौरभ के फेमिली वाले भी धीरेधीरे सामान्य हो गए, क्योंकि सौरभ अपनी मां से मिलने अकसर जाता रहता था. इस तरह मुसकान को ले कर अपने घर वापस आ गया.

2019 में उन की एक बेटी हुई. शुरुआती सालों में उन की गृहस्थी ठीक चली, लेकिन बाद में रिश्तों में दरारें आने लगीं. बेटी की पैदाइश के बाद मुसकान ने घर में कोहराम मचाना शुरू कर दिया. आए दिन सासससुर से झगड़ा होने लगा. सौरभ की स्थिति गले में हड्ïडी अटकने जैसी हो गई, जिसे न उगल सकता था न निगल सकता था. मुसकान को समझाने के सभी प्रयास विफल हो गए. तंग आ कर उस के मम्मीपापा ने दोनों को घर से निकालने की चेतावनी दे दी. मुसकान यही चाहती थी. इसी बात को ले कर झगड़ा और कोहराम मचाया करती थी.

सौरभ राजपूत के पिता का नाम मुन्नालाल राजपूत है. सौरभ का एक भाई राहुल उर्फ बबलू है. मां रेणु देवी हैं. परिवार मेरठ के ही ब्रह्मपुरी में रहता है. सौरभ के घर वालों ने मुसकान रस्तोगी के पेरेंट्स पर भी सौरभ हत्याकांड में शामिल होने का आरोप लगाया है. इन का कहना है कि जब उस की शादी हुई, हमारे घर में आ कर वो 2 साल तक बहुत अच्छे से रही. घर में हर चीज उसे हम ने उपलब्ध कराई. उस की दुबई में जौब थी. मुसकान का जैसे ही अपने मायके आनाजाना शुरू हुआ तो उस के तेवर बदलने लगे.

सौरभ दुबई चला गया था. उस के बाद मुसकान ने घर में बातबात पर लड़ाईझगड़ा शुरू कर दिया. कहने लगी कि तुम्हारे घर में भूत हैं, बलाएं हैं. हम उसे हमेशा टाल देते थे. मम्मी को बहुत परेशान करती थी. कभी भी रात में उठ जाती थी, सारे बरतन फेंकने लग जाती थी. 6 महीने की बेटी को भी जमीन पर रख कर धमकी देती थी कि मैं इसे फेंक दूंगी. उस की एक ही रट थी, मैं घर छोड़ कर जाऊंगी. मुझे जाने दो. तभी उस ने ये लाइन बोली थी कि मैं तुम्हें तुम्हारे लड़के का मुंह नहीं देखने दूंगी.

सौरभ अपनी पत्नी मुसकान के साथ मेरठ के इंदिरा नगर में किराए पर रहने लगा. मुसकान के महंगे शौक थे, जिस के चलते उस ने परिवार से दूरी बना ली. एक बार की बात है. करीब एक साल की उस की बच्ची लगातार रो रही थी. रोतेरोते काफी देर हो गई. उस के रोने की आवाजें मकान मालिक तक पहुंचीं. मकान मालिक जब उस बच्ची के पास पहुंचा तो उस ने उस की मम्मी को ढूंढना शुरू किया. उसे मुसकान एक पुरुष के साथ आपत्तिजनक स्थिति में मिली. मकान मालिक को उसे बहुत बुरा लगा. हालांकि मुसकान को भी यह बात पता चल गई थी कि मकान मालिक ने उसे इस हालत में देख लिया है.

बाद में उस ने मकान मालिक को शांत करने की कोशिश की. उस के हाथपैर जोड़े, लेकिन मकान मालिक शांत नहीं हुआ. बल्कि उस ने सीधे सौरभ को फोन मिलाया और कहा कि तुम्हारी पत्नी को मैं ने किसी दूसरे मर्द के साथ आपत्तिजनक हालत में देखा है. तुम अपना घर बिगडऩे से बचा सकते हो तो बचा लो. सौरभ ने अपनी पत्नी को डांटाफटकारा. मुसकान ने भी कसम खाई कि ऐसी गलती कभी दोबारा नहीं करेगी. यह बात आईगई हो गई.

पेरेंट्स के प्यार से अछूता रहा साहिल

साहिल शुक्ला मेरठ के ब्रह्मपुरी इलाके का रहने वाला था. उस की पारिवारिक स्थिति काफी अस्थिर रही. साहिल की नानी सरोजनी शुक्ला के बयान के अनुसार, उस की मम्मी ज्योति का निधन 18 साल पहले हो चुका था, जब वह काफी छोटा था. उस के पापा नोएडा में काम करते थे. उन्होंने दूसरी शादी कर ली थी. इस तरह साहिल का बचपन मम्मी की गैरमौजूदगी और पिता की कम मौजूदगी के बीच बीता, जिस ने शायद उस के व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव डाला. वह अपने नानानानी के साथ रहता था. साहिल की नानी सरोजिनी शुक्ला ने बताया कि साहिल ऊपर के कमरे में रहता था. लैपटाप पर कुछ काम करता रहता था. उन्हें उस के बारे में कोई जानकारी नहीं है. उस की पढ़ाई का खर्चा उस के पापा कभीकभी भेज दिया करते थे.

साहिल और मुसकान की दोस्ती स्कूल के दिनों से शुरू हुई थी. दोनों मेरठ के विवेकानंद स्कूल में आठवीं कक्षा तक साथ पढ़े थे. इस के बाद दोनों के रास्ते अलग हो गए. लेकिन सालों बाद विवेकानंद स्कूल में आठवीं तक साथ पढऩे वाले स्टूडेंट्स ने एक वाट्सऐप ग्रुप बनाया. साहिल और मुसकान भी उस ग्रुप में मेंबर बने थे. यहां से दोनों की फिर से बातचीत शुरू हुई. मुसकान की शिक्षा ज्यादा आगे नहीं बढ़ी. वह आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ चुकी थी. वहीं साहिल ने अपनी पढ़ाई जारी रखी.

साहिल के कमरे में पुलिस को शराब की बोतलें, बिखरे कपड़े और दीवारों पर तंत्रमंत्र से जुड़ी अजीबोगरीब तसवीरें मिलीं. कमरे में भगवान शिव की तसवीरों के साथसाथ साधना और तंत्र से जुड़े चित्र मिले, जो उस ने खुद बनाए थे. मुसकान ने इस कमजोरी का फायदा उठाया और स्नैपचैट पर फरजी आईडी बना कर साहिल को यह विश्वास दिलाया कि उस की मृत मम्मी की आत्मा उस से बात कर रही है और सौरभ की हत्या का आदेश दे रही है.

साहिल इस बहकावे में आ गया, जो उस की आसानी से प्रभावित होने वाली मानसिकता को दिखाता है. पुलिस का मानना है कि वह इस बहाने खुद को कानूनी सजा से बचाने की कोशिश भी कर रहा है. पुलिस ने साहिल शुक्ला और मुसकान उर्फ शोभी से पूछताछ करने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. सीमेंट ड्रम किलर की पूरी कमान एसपी (सिटी) मेरठ आयुष विक्रम सिंह संभाले हुए हैं. पूरे मामले की हर पहलू से जांच कराई जा रही है. मुसकान रस्तोगी और साहिल शुक्ला जेल में बंद हैं. अभी तक कोई भी दोनों के परिवार में से जेल में उन से मुलाकात करने नहीं गया.

बेटी इस समय अपनी नानी के घर है. क्योंकि सौरभ राजपूत के अपने घर वालों से संबंध ज्यादा अच्छे नहीं थे. पापा ने तो अपनी चलअचल संपत्ति से भी सौरभ राजपूत को बेदखल कर दिया था. घटना की खबर भाई को भी लाश मिलने के बाद हुई थी. भाई राहुल की तहरीर पर ही मुकदमा दर्ज किया गया था. UP Crime News

खौफ का दूसरा नाम था राशिद कालिया

खौफ का दूसरा नाम था राशिद कालिया – भाग 3

पुलिस के अनुसार पिंटू सेंगर 20 जून, 2020 को अपनी इनोवा कार से जेके कालोनी आशियाना स्थित समाजवादी पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष चंद्रेश सिंह के घर जाने के लिए निकला था. कार को उस का ड्राइवर रूपेश चला रहा था. चंद्रेश के घर के सामने पहुंचने पर फोन पर बात करते हुए पिंटू सेंगर अपनी कार से नीचे उतर गया और फिर सड़क के किनारे खड़े हो कर बात करने लगा.

इसी बीच 2 बाइकों पर सवार हो कर आए 4 बदमाशों ने पिंटू सेंगर पर चारों तरफ से ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हेलमेट लगाए हमलावरों ने करीब 15 फायर सीधेसीधे पिंटू सेंगर के ऊपर किए. गोली लगने के बाद लहूलुहान हो कर पिंटू सेंगर जमीन पर गिर पड़ा.

इस के बाद चारों बदमाश जाजमऊ की ओर फरार हो गए थे. वहीं इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल छा गया था. चालक रूपेश के शोर मचाने पर आगे आए लोग आननफानन में सेंगर को निजी अस्पताल ले गए, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था.

मृतक नरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सेंगर पर चकेरी, किदवई नगर और कोहना थाने में कुल 28 केस दर्ज थे. पिंटू सेंगर गैंगस्टर और गुंडा एक्ट की काररवाई के साथ भूमाफिया भी घोषित हो चुका था. उस पर हत्या के प्रयास, प्रौपर्टी हथियाने, हत्या, रंगदारी जैसे संगीन धाराओं में केस दर्ज थे. पिंटू सेंगर ने 2007 में बसपा से विधायक का चुनाव लड़ा था, हालांकि उसे चुनाव में हार मिली थी. पिंटू सेंगर ने राजनीति में अच्छी पकड़ बना रखी थी और उस ने अपने विरोधियों की करोड़ों की प्रौपर्टी जब्त कराई थी.

नरेंद्र सिंह 4 भाइयों में सब से बड़ा था. उस का छोटा भाई धर्मेंद्र एयरफोर्स से रिटायर्ड था. उस से छोटा भाई देवेंद्र उर्फ बबलू भारतीय सेना में था और सब से छोटा भाई शैलेंद्र फील्ड गन फैक्ट्री में काम करता था. पिंटू सेंगर के पिता सोने सिंह भी फील्ड गन फैक्ट्री से रिटायर्ड थे.

पिंटू सेंगर हत्याकांड की सुपारी 40 लाख रुपए में तय हुई थी. इस में राशिद कालिया को 10 लाख रुपए मिलने थे. पुलिस का दबाव बढऩे पर वह बिना पैसा लिए ही फरार हो गया था.

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मायावती को चांद पर जमीन दी थी नरेंद्र सेंगर ने

राशिद कालिया द्वारा गोली से ढेर हुए कानपुर के बसपा नेता नरेंद्र सिंह सेंगर उर्फ पिंटू सेंगर ने 15 जनवरी, 2010 को बसपा सुप्रीमो मायावती को चांद पर जमीन देने का बेशकीमती तोहफा दिया था. उस ने 16 जनवरी, 2010 को मीडिया से बातचीत में बताया था कि उस ने अमेरिका स्थित लुनर रिपब्लिक सोसाइटी से चांद पर 3 एकड़ का टुकड़ा खरीदा था.

पिंटू सेंगर ने पत्रकारों को जमीन खरीद संबंधी कागजात भी दिखाए थे, जिस पर लुनर रिपब्लिक सोसाइटी की सचिव हेड्स बार्टन के हस्ताक्षर थे. कागजात पर जमीन की कीमत का जिक्र नहीं था. उस समय पिंटू सेंगर ने संवाददाताओं को जानकारी देते हुए बताया था कि जब मैं बहनजी को यह उपहार दे रहा हूं तो कीमत मेरे लिए मायने नहीं रखती.

हालांकि मायावती के लिए चांद पर जमीन खरीदने की बात कह कर पिंटू सेंगर को पार्टी से निकाल दिया था. बाद में पिंटू सेंगर ने दोबारा पार्टी जौइन कर ली थी. यह भी कहा जाता था कि पिंटू सेंगर सांसद रही फूलन देवी का भी बहुत करीबी था. वर्ष 2010 में वह भोगनीपुर से विधायक का चुनाव लडऩे की तैयारी में था.

राशिद कालिया जिस पिंटू सेंगर की हत्या में वांछित था, उसे 20 जून, 2020 को कानपुर के थानाक्षेत्र में कत्ल किया गया था. इस मामले में पुलिस ने 15 आरोपियों को जेल भेजा था. इन में से कक्कू नाम के आरोपी की जेल में ही मौत हो गई थी. पिंटू सेंगर को मारने के लिए 4 शूटर पलसर और केटीएम बाइकों पर सवार हो कर आए थे.

पुलिस के मुताबिक पलसर बाइक को अहसान कुरैशी चला रहा था जबकि उस के पीछे राशिद कालिया बैठा था. वहीं केटीएम बाइक फैसल कुरैशी चला रहा था और उस के पीछे आरोपी सलमान बैठा था. उन चारों ने मिल कर स्वचालित हथियारों से एक साथ गोलियां बरसा कर पिंटू सेंगर को मौत के घाट उतार दिया था.

कानपुर के चर्चित बसपा नेता पिंटू सेंगर मर्डर केस के मुख्य शूटर राशिद कालिया का एनकाउंटर होने के बाद पिंटू सेंगर परिवार ने राहत की सांस ली थी. पिंटू सेंगर के मर्डर के बाद उन का पूरा परिवार दहशत में था. पिंटू सेंगर के घर वालों को कभी मुकदमा वापस लेने तो कभी पैरवी नहीं करने की धमकियां कई बार मिली थीं, लेकिन परिवार कभी भी पीछे नहीं हटा था.

इस संबंध में मृतक पिंटू सेंगर के भाई धर्मेंद्र सेंगर ने मीडिया से बातचीत में कहा, ”मेरे सगे भाई पिंटू सेंगर की हत्या 20 जून, 2010 को दिनदहाड़े गोलियों से भून कर कर दी गई थी.

”शूटर राशिद कालिया और उस के गैंग ने पप्पू स्मार्ट से सुपारी ले कर इस निर्मम हत्या को अंजाम दिया था. पप्पू स्मार्ट गिरोह के मुख्य शूटर राशिद कालिया को झांसी में उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने एनकाउंटर में मार गिराया.

”उस की मौत की खबर मिलने के बाद अब हमारे पूरे परिवार ने चैन की सांस ली है. इस गैंग के मुखिया पप्पू स्मार्ट और सभी सदस्यों का इसी तरह से एनकाउंटर होना चाहिए. हमारे परिवार के लोग दहशत के चलते ठीक से जी नहीं पा रहे थे.’’

बसपा नेता पिंटू सेंगर की मौत के बाद उस के भाई धर्मेंद्र सिंह केस की पैरवी कर रहे हैं. उन्होंने खुद आरोपियों को फांसी की सजा तक पहुंचाने के लिए कानून की पढ़ाई की. मौजूदा समय में धर्मेंद्र सिंह सेंगर एलएलबी फाइनल ईयर में हैं.

धर्मेंद्र का कहना है कि वह केस की अच्छी तरह से पैरवी कर के एकएक आरोपी को फांसी की सजा तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे, ऐसा दृढ़ निश्चय उन्होंने कर रखा है. इसीलिए वह कानून की पढ़ाई कर रहे हैं.

वहीं दूसरी ओर पिंटू सेंगर का केस लड़ रहे वकील संदीप शुक्ला ने राशिद कालिया के एनकाउंटर के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी है.

संदीप शुक्ला ने कहा, ”राशिद कालिया ने भाड़े पर इतने मर्डर किए कि उस का पुलिस रिकौर्ड कहीं भी दर्ज तक नहीं है, आज तक उन का खुलासा भी नहीं हो पाया है. इस तरह के शूटर का एनकाउंटर जनता के लिए राहत की बात है. इस तरह के अपराधियों को पालने वाले पप्पू स्मार्ट जैसे अपराधियों को संरक्षण देने वालों के खिलाफ भी कड़ी से कड़ी काररवाई होनी चाहिए.’’

(कहानी पुलिस सूत्रों पर आधारित, कथा में मनोहर नाम परिवर्तित है.)

खौफ का दूसरा नाम था राशिद कालिया – भाग 2

सुपारी किलर राशिद कालिया मूलरूप से उत्तर प्रदेश के शहर महोबा का रहने वाला था, लेकिन कानपुर में ही उस का बचपन बीता था और कानपुर से ही उस ने अपराध जगत में अपना पहला कदम रखा था.

उस का बचपन कानपुर बेगमपुरवा के जम्मे वाली पार्क से क्रिकेट खेलने से शुरू हुआ था. कुछ मोहल्ले की आबोहवा ऐसी थी कि अपनी दबंगई से राशिद उर्फ कालिया ने बम बनाना सीखा और फिर यहीं से उस के अपराध की दुनिया में कदम रखा था.

राशिद की लंबाई जब औसत से कुछ ज्यादा हुई तो लोग उसे राशिद ऊंट के नाम से जानने लगे. बातबात पर बमबाजी और गोली चलाना उस का शौक बन गया था. यहीं से उस की दहशत का दौर शुरू हुआ और उस के बाद उसे चरस, स्मैक की लत लग गई.

तब उस समय के क्रिमिनल शफीक बोल्ट, सरताज चिट्ठा, पप्पू चिकना और रईस हनुमान का उस ने साथ पकड़ लिया. कुछ दिनों तक इन शातिर अपराधियों की शागिर्दी करने के बाद राशिद का कद बढ़ता चला गया.

राशिद कालिया के खिलाफ 20 साल पहले कानपुर के चकेरी थाने में पहला मुकदमा दर्ज हुआ था. इस के 15 साल के बाद झांसी में मोहसिन के अपहरण के बाद हत्या से उस का नाम चर्चा में आया था. अपराध की दुनिया में उस ने फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और एक के बाद एक हत्याएं करता चला गया. कई हत्याओं में तो पुलिस उस का सुराग भी नहीं लगा सकी.

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प्रेमिका के पिता के साथ बनाया था भोर के लुटेरों का गैंग

राशिद कालिया की इसी बीच रेलवे कालोनी में रहने वाले एक अपराधी से नजदीकियां बढ़ीं और उस के घर आनेजाने के दौरान उस की बेटी से मोहब्बत शुरू हो गई. उस के बाद राशिद ने अपनी प्रेमिका के पिता के साथ ही भोर के लुटेरों का गैंग खड़ा कर दिया था.

चुन्नीगंज बस अड्डे से निकलने वाले कारोबारी, रेलवे स्टेशन से निकलने वाले यात्रियों से लूटपाट करने वाले इस राशिद के गैंग ने पुलिस की नाक में दम कर के रख दिया था.

वेश बदलने में माहिर प्रेमिका के पिता और राशिद ने मिल कर माल रोड पर विल्स सिगरेट कंपनी के कैश को लूटा. इस के बाद इस गैंग ने पीछा कर के दोपहिया वाहनों की लूट और चेन स्नैचिंग की ताबड़तोड़ कई वारदातों को अंजाम दिया.

राशिद उर्फ कालिया के खिलाफ सब से पहला मुकदमा चकेरी थाने में 2003 में दर्ज हुआ था. इसी साल दूसरा मुकदमा भी चकेरी थाने में, फिर 2006 में रेलबाजार थाने और फिर एक के बाद एक 13 मुकदमे राशिद कालिया के खिलाफ दर्ज हो गए थे.

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10 जिलों में थी राशिद कालिया की दहशत, उस के बाद पेशेवर शूटर बन गया

यूपी एसटीएफ के अनुसार छोटेमोटे अपराध करने वाले राशिद कालिया की 2009 में झांसी में मोहसिन के अपहरण और हत्या के बाद पेशेवर शूटर के रूप में उस की पहचान उभरने लगी. एक के बाद एक उस ने भाड़े में कई हत्याओं को अंजाम दिया.

कानपुर, झांसी से ले कर उत्तर प्रदेश के 10 से ज्यादा जिलों में उस ने कई हत्याएं कीं और फिर फरार हो गया. कोई पता ही नहीं लगा सका था कि आखिर ये हत्याएं किस ने की थीं.

शार्प शूटर राशिद उर्फ कालिया इतने शातिराना अंदाज में वारदात को अंजाम देता था कि उस का सुराग लगाना पुलिस के लिए बड़ा मुश्किल हो जाता था. यही वजह है कि राशिद कालिया ने दरजनों मर्डर किए, लेकिन उन के सुराग पुलिस की लिखापढ़ी में आज भी दर्ज तक नहीं हैं.

एक से 10 लाख रुपए में राशिद कालिया हत्या की सुपारी ले लिया करता था. पिंटू सेंगर का प्रोफाइल बड़ा होने के कारण उस ने 10 लाख रुपए की सुपारी ली थी और अपने गैंग के साथ पिंटू सेंगर को बीच चौराहे पर घेर कर हत्या कर के फरार हो गया था.

ठिकाने बदलने में माहिर था राशिद कालिया

उत्तर प्रदेश के झांसी में हुए एसटीएफ के एनकाउंटर में मारा गया राशिद कालिया बिना मोबाइल और सोशल मीडिया एकांउट के भी अपराध के कौन्ट्रैक्ट ले लेता था. उस ने शहर में 4 ठिकाने बना रखे थे, जहां से वह सुपारी उठाता था. इन ठिकानों पर ही उसे कौन्ट्रैक्ट मिलते थे और फिर वहीं पर उसे रकम भी मिल जाती थी. अपराध से कमाई गई रकम राशिद उर्फ कालिया अपने ससुराल वालों व घर वालों के बीच बांट दिया करता था.

वह अपना कोई भी फोन नहीं रखता था लेकिन कौन्ट्रैक्टर को पता रहता था कि राशिद के लिए मैसेज कहां भेजना है. राशिद कालिया के इन ठिकानों के बारे में एसटीएफ ने उत्तर प्रदेश पुलिस को जानकारी दी है. उस के बाद उन पर विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है.

राशिद की एक खास बात और थी कि वह घटना को अंजाम दे कर दोबारा फिर उसी ठिकाने पर पहुंच जाता था और वहां से कौन्ट्रैक्ट देने वालों से पैसे लेने के बाद फिर से अंडरग्राउंड हो जाता था.

शहर में उस ने बाबूपुरवा, बजरिया, चिश्ती नगर और चमनगंज में ठिकाने बना रखे थे. एसटीएफ के प्रवक्ता के अनुसार सन 2004 में बाबूपुरवा क्षेत्र में एक हत्या हुई थी, उस में पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी. उस केस में पुलिस को राशिद के शामिल होने की पूरी आशंका थी, मगर पुलिस को राशिद के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले थे.

लगभग 8-9 साल पहले लखनऊ के चिनहट में राशिद कालिया ने एक डकैती की घटना को अंजाम दिया था, मगर इस मामले में वह दूसरे नाम से जेल चला गया था. बाद में पुलिस को इस बात की जानकारी हुई, मगर तब तक वह जमानत पर बाहर आ गया था.

आपराधिक घटनाओं में राशिद हर महीने लाखों रुपए कमा लेता था, मगर खुद पर उस का केवल हजार रुपए माह का खर्चा था. राशिद का ससुर बस चलाता था. राशिद और उस के ससुराल वाले घर बदलने में बड़े माहिर थे. हर 3-4 महीने में वह अपने ठिकाने बदल लेते थे, ताकि पुलिस उन्हें परेशान न कर सके.

40 लाख में ली थी बसपा नेता नरेंद्र सेंगर की सुपारी

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के जन्मदिन पर चर्चा में आए बसपा नेता नरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सेंगर जिस ने मायावती को चांद पर जमीन उपहार में देने की बात कही थी, उस की 20 जून, 2020 की दोपहर को हत्या कर दी गई थी.

मूलरूप से गोगूमऊ निवासी नरेंद्र सिंहउर्फ पिंटू सेंगर चकेरी के मंगला विहार में परिवार के साथ रहता था और छात्र राजनीति के बाद राजनीतिक दलों में सक्रिय हो गया था. बसपा की सीट पर पिंटू सेंगर छावनी क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव लड़ा था. उस समय उस की मां शांति देवी गजनेर की कठेठी से जिला पंचायत सदस्य थीं और पिता सोने सिंह गोगूमऊ के प्रधान थे.

खौफ का दूसरा नाम था राशिद कालिया – भाग 1

गैंगस्टर रहे पिंटू सेंगर की हत्या (Pintu Sengar Murder) जिन 4 शूटरों ने की थी, उन में राशिद कालिया (Rashid Kalia) मुख्य आरोपी था. सवा  लाख के इनामी बदमाश राशिद कालिया ने ही कट्टा अड़ा कर आखिरी गोली दागी थी पिंटू सेंगर को. पिंटू को कुल 19 गोलियां मारी गई थीं.

वारदात में 4 शूटरों राशिद कालिया उर्फ वीरू के अलावा सलमान बेग, फैसल कुरैशी और एहसान शामिल थे. चारों अपराधी पिंटू पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा कर जब भाग रहे थे, तभी पिंटू सेंगर को जमीन से खड़ा होते देख बाइक सवार राशिद कालिया (Sharp Shooter Rashid Kalia) दोबारा पिंटू सेंगर के पास आया और उस के सीने पर कट्टा सटा कर उसे आखिरी गोली मार कर मौत के घाट उतार दिया था.

उत्तर प्रदेश एसटीएफ  (UP STF) के एनकाउंटर स्पैशलिस्ट (Encounter Specialist) इंसपेक्टर  घनश्याम यादव (Inspector Ghanshyam Yadav) एक विशेष गश्त पर थे, तभी उन का मोबाइल फोन बजने लगा. इंसपेक्टर यादव ने मोबाइल पर नंबर देखा तो वह उन के विश्वस्त मुखबिर मनोहर (परिवर्तित नाम) का नंबर था.

”हां, कहो मनोहर कैसे फोन किया?’’ इंसपेक्टर यादव ने फोन रिसीव करते हुए कहा.

”हुजूर एक खास खबर है,’’ मनोहर ने फुसफुसाते हुए कहा.

”खबर क्या है बताओ न!’’ इंसपेक्टर ने पूछा.

”साहब, खबर बहुत बड़ी और बहुत गोपनीय है. मिल कर ही बता सकता हूं. आप बताइए, आप अभी कहां पर हैं?’’ मनोहर ने कहा.

इंसपेक्टर घनश्याम यादव ने मुखबिर को अपने पास बुला लिया. थोड़ी ही देर बाद मनोहर ने पहुंच कर जो खबर इंसपेक्टर यादव को दी, वह भी सुन कर एकदम चौंक से गए थे.

इंसपेक्टर धनश्याम यादव ने तुरंत मनोहर को अपनी गाड़ी में बिठाया और सीधे डीएसपी संजीव कुमार दीक्षित के पास ले गए. संजीव दीक्षित ने जब यह खबर सुनी तो फिर सीधे एसटीएफ के अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) अमिताभ यश तक पहुंच गई. उन्होंने इस खबर का तत्काल संज्ञान लेने के लिए उचित दिशानिर्देश जारी कर दिए.

पिछले काफी समय से एसटीएफ के अपर पुलिस महानिदेशक अमिताभ यश (ADG Amitabh Yash) के निर्देश पर इनामी और भाड़े पर हत्या करने वाले दुर्दांत अपराधियों की धरपकड़ के लिए एक विशेष अभियान चला रहे थे, जिस के सुखद परिणाम सामने भी आ रहे थे.

कानपुर में 3 साल पहले बीएसपी नेता और प्रौपर्टी डीलर पिंटू सेंगर की हत्या में राशिद कालिया उर्फ घोड़ा का नाम आया था. एफआईआर में राशिद कालिया आरोपी भी था. लंबे समय से पुलिस को उस की तलाश थी, लेकिन सफेदपोशों के तगड़े नेटवर्क के कारण राशिद कालिया हर बार पुलिस से बचता चला आ रहा था.

इस दुर्दांत अपराधी की खबर सुनने के बाद एसटीएफ के डिप्टी एसपी संजीव दीक्षित और इंसपेक्टर घनश्याम यादव ने मऊरानी पुलिस टीम के साथ झांसी में डेरा डाल दिया. 18 नवंबर, 2023 मंगलवार की सुबह मुखबिर की सटीक सूचना पर जब उत्तर प्रदेश की एसटीएफ ने पुलिस टीम के साथ झांसी के मऊरानीपुर में जब राशिद उर्फ कालिया की चारों तरफ से घेराबंदी की तो दुर्दांत अपराधी राशिद ने एसटीएफ की टीम पर ही गोलियों की बौछार कर दी.

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बदमाश की तरफ से चलाई गोली टीम का नेतृत्व कर रहे डिप्टी एसपी संजीव कुमार दीक्षित और एसटीएफ के इंसपेक्टर घनश्याम यादव को लगी. दोनों ही अधिकारी चूंकि बुलेटप्रूफ जैकेट पहने हुए थे, इसलिए उन्हें ज्यादा नुकसान नहीं हुआ. दोनों पुलिस अधिकारी घायल हो गए.

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इस के बाद एसटीएफ ने स्वचालित हथियारों से राशिद पर फायरिंग करनी शुरू कर दी. एसटीएफ की तरफ से की गई फायरिंग में गोली राशिद कालिया को लग गई और वह जमीन पर गिर पड़ा.

गंभीर हालत में राशिद कालिया को उपचार के लिए मऊरानीपुर सीएचसी ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद डाक्टरों ने उसे झांसी मैडिकल कालेज के लिए रेफर कर दिया. झांसी मैडिकल कालेज में डाक्टरों ने राशिद उर्फ कालिया को मृत घोषित कर दिया.

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लखनऊ में एसटीएफ के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) अमिताभ यश ने मीडिया को विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि राशिद उर्फ कालिया की पहचान सुनिश्चित करना बड़ा मुश्किल था, क्योंकि उत्तर प्रदेश पुलिस के पास पिछले 20 सालों से राशिद उर्फ कालिया की कोई तसवीर नहीं थी. पुलिस कई वर्षों से इस अज्ञात अपराधी का पीछा कर रही थी.

उन्होंने कहा कि कुछ लोगों की मदद से कालिया की पहचान का पता लगाया गया, जिन्होंने उस की पहचान की और 18 नवंबर शनिवार सुबह करीब 7 बजे झांसी के मऊरानीपुर इलाके के पास उस के स्थान और गतिविधि के बारे में जानकारी दी, जहां पर वह एक व्यक्ति को मारने की सुपारी लेने के बाद उसे निशाना बनाने आया था.

राशिद उर्फ कालिया अपने खतरनाक मंसूबे में एक बार फिर कामयाब होता, इस से पहले ही एसटीएफ ने उस की घेराबंदी कर दी.

एडीजी अभिताभ यश ने कहा कि मारे गए बदमाश राशिद कालिया पर 40 हत्याओं सहित कई आपराधिक मामले थे और उस पर कानपुर पुलिस कमिश्नरेट से एक लाख रुपए का और झांसी पुलिस की ओर से 25 हजार रुपए का इनाम घोषित था. उन्होंने कहा कि कालिया के आपराधिक रिकौर्ड में कई हाईप्रोफाइल मामले शामिल थे.

इस में सब से उल्लेखनीय मामला वर्ष 2020 में कुख्यात गैंगस्टर से राजनेता बने पिंटू सेंगर की हत्या का था. एडीजी ने बताया कि राशिद कालिया कानून से बचने के लिए हमेशा लोप्रोफाइल रहता था, इस में उसे विशेषज्ञता हासिल थी. उस के नाम अकेले कानपुर में 13 गंभीर अपराध दर्ज थे.

राशिद कालिया महोबा का मूल निवासी था, लेकिन वह कानपुर, लखनऊ और झांसी में भी सक्रिय था. गिरफ्तारी से बचने के लिए वह अकसर अपना स्थान बदलता रहता था.

उन्होंने कहा कि आरोपी के पास से पुलिस ने एक फैक्ट्री निर्मित पिस्तौल, 2 बुलेट मैगजीन, एक देसी बंदूक और साथ ही उस के पास से कारतूस और एक बाइक बरामद की. यह वही बाइक थी, जिस पर राशिद कालिया मुठभेड़ के समय सवार था.

यूपी एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश राशिद कालिया एनकाउंटर के बाद फिर सुर्खियों में आ गए. अब तक अमिताभ यश ने डकैत ददुआ और विकास दुबे सहित कई नामी अपराधियों को मार गिराने में सफलता अर्जित की है. माफिया अतीक अंसारी के बेटे का एनकाउंटर करने में भी वह काफी चर्चा में आए थे.

पिछले साल उत्तर प्रदेश में 8 आईपीएस अधिकारियों का तबादला और प्रमोशन किया गया था, जिन में अमिताभ यश भी शामिल थे. पहले आईजी के पद पर रह चुके अमिताभ यश को 2022 में एसटीएफ (स्पैशल टास्क फोर्स) का चीफ नियुक्त किया गया था.

किस्तों वाली सुपारी : शादीशुदा का प्यार पड़ा जान पर भारी

किस्तों वाली सुपारी : शादीशुदा का प्यार पड़ा जान पर भारी – भाग 3

गुरविंदर जरूरतमंद था, वह एक लड़की से प्रेम करता था और लड़की के घर वाले शादी के लिए तैयार नहीं थे. अपनी प्रेमिका से शादी करने के लिए उस ने घर से भाग कर कोर्टमैरिज करने की योजना बनाई थी और इस सब के लिए उसे पैसों की सख्त जरूरत थी.

बलविंदर ने जब गुरविंदर को मनदीप की हत्या के बदले 15 लाख रुपए देने का औफर दिया तो वह झट से तैयार हो गया. बलविंदर ने उस से कहा कि वह जिस दिन हत्या करेगा, उस दिन 5 लाख रुपए और बाकी के 10 लाख रुपए वह एक साल की किस्तों में देगा. इस पर गुरविंदर राजी हो गया था.

मनदीप की हत्या की सुपारी लेने के बाद गुरविंदर ने 4 महीने पहले मनदीप की रेकी करनी शुरू कर दी थी. गुरविंदर को पता था कि मनदीप कितने बजे घर से निकलता है और कहां कहां जाता और रुकता है.

गुरविंदर को इतना तक पता था कि मनदीप कौन सी जगह पर कितना समय गुजारता है. पेंच यहां फंसा कि वह हत्या करेगा कैसे? उस के पास हथियार तक नहीं था.

इस के लिए उस ने बलविंदर से 20 हजार रुपए हथियार खरीदने के लिए मांगे. पैसे ले कर वह कुछ समय पहले बलविंदर के साथ फिरोजपुर गया और .32 बोर के रिवौल्वर की 6 गोलियां खरीदीं. वहीं उस ने गोली चलाने की भी ट्रेनिंग ली और खरीदी हुई 6 गोलियों में से एक गोली भी चलाई. बाकी की बची 5 गोलियां उस ने मनदीप की हत्या करने के लिए रख ली थीं.

गोलियां खरीदने के बाद बलविंदर ने गुरविंदर से पूछा कि बिना रिवौल्वर के गोली कैसे चलाओगे? तब गुरविंदर  टालमटोल करता रहा. लेकिन उस ने इस का इंतजाम पहले ही कर लिया था.

गुरविंदर की मां डाबा इलाके में रहने वाले एक प्रौपर्टी डीलर के घर खाना पकाने का काम करती थी और वहीं रहती थी. गुरविंदर भी अकसर वहीं रहता था. वह कभीकभार जसपाल बांगड़ स्थित अपने घर भी चला जाता था. उसे अपने मालिक के बारे में पूरी जानकारी थी कि वह सुबह 11 बजे से पहले घर से नहीं निकलते. उस के मालिक के पास भी .32 बोर की रिवौल्वर थी. वह पिछले डेढ़ महीने से मालिक बिल्ला की रिवौल्वर ले कर घर से निकल जाता था. वारदात वाले दिन भी आरोपी बिल्ला का रिवौल्वर ले कर चला गया था.

गुरविंदर ने बलविंदर को यह नहीं बताया था कि उस के पास रिवौल्वर है या नहीं, इसलिए बलविंदर को गुरविंदर पर शक होने लगा कि वह काम कर पाएगा या नहीं. इस के लिए उस ने अपने एक खास दोस्त अमनपाल से बात की और कहा वह गुरविंदर की रेकी करे. गुरविंदर जहां मनदीप की रेकी कर रहा था, वहीं बलविंदर के कहने पर अमनपाल गुरविंदर की रेकी करने लगा था.

वारदात वाले दिन सुबह अमनपाल और गुरविंदर एक स्कूल के पास मिले और वारदात को अंजाम देने के बाद फिर से वहीं मिलने की बात की. जिस समय गुरविंदर सिंह वारदात को अंजाम देने दुगरी फेज-1 पहुंचा और मनदीप के इंतजार में कार के पास खड़ा हो गया, जबकि अमनपाल दूसरी तरफ खड़ा उस पर नजर रखे हुए था.

जैसे ही गुरविंदर ने मनदीप को गोलियां मारीं तो अमनपाल ने तुरंत बलविंदर को फोन कर बता दिया कि काम हो गया है. वारदात को अंजाम देने के बाद गुरविंदर अमनपाल से मिला और उसे पूरा यकीन दिलाने के लिए रिवौल्वर से निकाले हुए 5 खाली खोखे दे दिए.

उस के बाद वह अपने घर गया और अपने मालिक की रिवौल्वर रख कर कपड़े बदले. फिर वह बलविंदर से पैसे लेने के लिए निकल पड़ा. पर इस घटना के बाद बलविंदर ने अपना फोन बंद कर दिया था.

गुरविंदर का बयान दर्ज करने के बाद पुलिस ने उस की निशानदेही पर अमनपाल को गिरफ्तार कर लिया और हत्या में प्रयोग रिवौल्वर भी दुगरी से बरामद कर ली.

13 अक्तूबर को पुलिस ने गुरविंदर और अमनपाल को अदालत में पेश कर पूछताछ के लिए 2 दिन के रिमांड पर लिया. विस्तार से पूछताछ करने के बाद आरोपी गुरविंदर और अमनपाल को पुन: 15 अक्तूबर को अदालत में पेश किया गया, जहां अदालत के आदेश पर उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.

दूसरी ओर मृतक मनदीप बंसल के घर वालों और व्यापार मंडल के सदस्यों ने अस्पताल में हंगामा खड़ा कर दिया था. वे मनदीप का पोस्टमार्टम नहीं होने दे रहे थे. उन की मांग थी कि जब तक सभी हत्यारे पकड़े नहीं जाएंगे, लाश का पोस्टमार्टम नहीं होने देंगे. पुलिस कमिश्नर सुखचैन सिंह गिल ने अस्पताल पहुंच कर उन्हें समझाया और आश्वासन दिया, तब कहीं जा कर मृतक का पोस्टमार्टम किया गया.

सिविल अस्पताल के 3 डाक्टरों डा. रिपुदमन, डा. गुरिंदरदीप  ग्रेवाल और डा. दविंदर के पैनल ने लाश का पोस्टमार्टम किया. रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मनदीप की पीठ पर 2 गोलियां दाईं तरफ और 2 बाईं तरफ लगीं, जो दिल और फेफड़े में जा घुसीं, जिस से उस की मौत हो गई थी. एक गोली उस की बाजू में लगी थी.

दूसरी तरफ वारदात में प्रयोग किए गए रिवौल्वर के असली मालिक का रहस्य पुलिस के लिए बरकरार था. पहले गुरविंदर की तरफ से बताया गया कि जिस घर में वह रहता है, उस ने उस के मालिक बिल्ला का रिवौल्वर चुरा कर मनदीप की हत्या की थी.

लेकिन जब पुलिस ने रिकौर्ड खंगाला तो सामने आया कि बिल्ला के पास रिवौल्वर है ही नहीं. पुलिस द्वारा बरामद किया गया रिवौल्वर उसी इलाके के रहने वाले एक अन्य व्यक्ति का था. जब पुलिस ने उस तक पहुंचने की कोशिश की तो वह घर से फरार हो गया.

सूत्रों के अनुसार मामले में एक कांग्रेसी नेता मैदान में उतर आया था, जो एक स्वयंभू प्रधान को बचाना चाहता था. उस की भूमिका इस हत्याकांड में है या नहीं, पुलिस इस मामले की भी जांच करेगी. इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड बलविंदर सिंह कथा लिखने तक नहीं पकड़ा गया था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

किस्तों वाली सुपारी : शादीशुदा का प्यार पड़ा जान पर भारी – भाग 2

कुछ रिश्ते कुदरत तय करती है, जो मर्यादाओं और खून के धागों से बंधे होते हैं. कुछ रिश्ते समाज बनाता है, जो मजबूरी की सलाखों में जकड़े होते हैं. और कुछ रिश्ते ऐसे भी होते हैं जो दिल की धड़कनों पर सवार, चाहत की मझदार में तैरते हैं.  मनदीप बंसल और शादीशुदा कर्मजीत कौर का इसी तरह का संबंध था. दोनों अच्छे दोस्त तो थे ही, इन के बीच अच्छाखासा रोमांटिक अफेयर भी था.

जब कोई इंसान अपनी जिंदगी के अहम फैसले को बिना सोचेसमझे या लापरवाही से लेता है, तो ऐसा कर के वो जुए की बाजी खेल रहा होता है. अगर जीत गए तो ठीक, लेकिन हार हुई तो उस की अपनी जिंदगी और कइयों की जिंदगियां इस कदर बरबाद होती हैं कि संभलने का दूसरा मौका तक हाथ नहीं आता है.

बलविंदर ने पत्नी को लाख समझाने का प्रयास किया, लेकिन पत्नी पर इस का फर्क नहीं पड़ा. क्योंकि अब पानी उस के सिर के ऊपर से गुजर चुका था. करीब 2 साल पहले मंदीप और कर्मजीत कौर घर से भाग गए. इस से बलविंदर की बड़ी बदनामी हुई. शर्म के मारे वह समाज में किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहा.

उस ने अपने स्तर पर दोनों की तलाश शुरू की, पर 2 दिनों बाद वे दोनों अपनेअपने घर लौट आए. पत्नी के इस शर्मनाक कारनामे से बलविंदर किसी से आंख मिलाने लायक नहीं रहा. पत्नी के वापस आ जाने के बाद उस ने बिना किसी से कोई बात किए और बिना कुछ कहे रातोंरात अपना गुरु अंगतदेव नगर वाला मकान छोड़ दिया. वह अपने परिवार के साथ कोठी नंबर-9, खन्ना एन्क्लेव, धांधरा रोड पर आ कर रहने लगा था. इस बात को पूरे 2 साल बीत चुके थे और लगभग सभी लोग इस बात को भूल भी चुके थे.

अपनी तफ्तीश को आगे बढ़ाने से पहले पुलिस के सामने यह बात लगभग पूरी तरह से साफ हो गई थी कि अपनी बेइज्जती का बदला लेने के लिए ही बलविंदर ने मनदीप की हत्या करवाई थी. अब पुलिस का टारगेट भाड़े के वे हत्यारे थे, जिन्होंने इस घटना को अंजाम दिया था. सो उन की तलाश में पुलिस ने पूरे क्षेत्र के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालनी शुरू की. सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में हत्यारे का चेहरा स्पष्ट दिखाई दे रहा था. वह बाइक पर आया था और वारदात को अंजाम दे कर निकल गया था.

हत्यारा कैमरे में कैद तो हो गया था पर पुलिस अभी पता नहीं लगा पाई थी कि वह कौन शख्स है. इसी बीच पुलिस को सूचना मिली कि दुगडी मार्केट में एक बाइक लावारिस खड़ी है. पुलिस ने वह बाइक अपने कब्जे में ले ली. पुलिस ने जब आगे की जांच की तो पता चला कि 5 अक्तूबर को वह बाइक गुरुद्वारा आलमगीर साहब के बाहर से चोरी हुई थी. चोरी की रिपोर्ट उस ने थाना डेहलों में दर्ज करवाई थी.

पुलिस ने जांच की तो जानकारी मिली कि वह बाइक वही थी, जो सीसीटीवी कैमरे में दिखी थी. इस का मतलब यह हुआ कि हत्यारे ने चोरी की बाइक से वारदात को अंजाम दिया था.

कैमरे में कैद हत्यारा वैसे तो पुलिस के सामने था पर सफलता अभी बहुत दूर थी. सीसीटीवी फुटेज से पुलिस को यह भी जानकारी मिल गई थी कि मौके पर हत्यारे ने आधे घंटे तक इंतजार किया था. इस का मतलब यह था कि मंजीत की हत्या की प्लानिंग बहुत पहले ही बना ली गई थी. हत्यारे ने वारदात को अंजाम देने के लिए पूरी रेकी की हुई थी.

मौका देख कर उस ने मनदीप को गोली मारी और फरार हो गया. प्रत्यक्षदर्शियों ने भी यही बताया था कि हत्यारा 9 बजे के करीब उस निर्माणाधीन कोठी के सामने आ कर खड़ा हो गया था. उस ने फरार होने के लिए ही बाइक सीधी कर के लगा रखी थी. वह वहां काफी समय तक मनदीप का इंतजार करता रहा था.

बहरहाल पुलिस ने काफी भागदौड़ करने के बाद हत्यारे की पहचान कर ली थी. उस का नाम गुरविंदर सिंह था और वह शिमला पुरी का रहने वाला था. गुरविंदर के बारे में अधिक जानकारी जुटाई तो पुलिस को पता चला कि गुरविंदर कंप्यूटर हार्डवेयर इंजीनियर है. वह किसी कंप्यूटर हार्डवेयर की दुकान पर काम करता था.

गुरविंदर के बारे में जानकारी मिलते ही पुलिस ने चारों ओर अपना जाल बिछा दिया. काफी मेहनत के बाद पुलिस ने वारदात के 15 घंटों बाद मनदीप हत्याकांड के सुपारी किलर शूटर गुरविंदर को दुगडी से धर दबोचा.

थाने में पुलिस के उच्चाधिकारियों के सामने जब उस से पूछताछ की तो उस ने बड़ी आसानी से अपना अपराध स्वीकार करते हुए बताया कि उसी ने बलविंदर के कहने पर मनदीप की हत्या का सौदा 15 लाख रुपए में तय किया था.

15 लाख रुपए उसे एक साल की अवधि में किस्तों के रूप में मिलने थे. पेशगी के तौर पर उसे 20 हजार रुपए अवैध रिवौल्वर खरीदने के लिए दे दिए गए थे और एक हजार रुपए उसे मनदीप की हत्या से कुछ समय पहले दिए गए थे.

बाकी 5 लाख रुपए मनदीप की हत्या करने के बाद देना तय हुआ था. यानी ये पैसे सुपारी किलर गुरविंदर की शादी से एक दिन पहले 13 अक्तूबर को देने थे. गुरविंदर पर इसी बात का दबाव था. इसी वजह से उस ने सही समय पर मनदीप की हत्या कर भी दी थी.

अब उसे कौंट्रैक्ट की पहली किस्त के 5 लाख रुपए मिलने थे. इस से पहले कि उसे सुपारी की यह 5 लाख रुपए की किस्त मिलती, पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. गुरविंदर को अब भी उम्मीद थी कि बलविंदर उसे पैसे देगा क्योंकि कौंट्रैक्ट के अनुसार समय रहते उस ने मनदीप की हत्या कर दी थी.

14 अक्तूबर को मनजीत बंसल को अपनी नई कोठी में गृहप्रवेश करना था और 14 अक्तूबर को ही गुरविंदर की भी शादी होनी थी. शादी में खर्च किए जाने वाले रुपए उसे मनदीप की हत्या करने के बाद ही मिलने थे.

बलविंदर सिंह और हार्डवेयर की दुकान पर काम करने वाले आरोपी गुरविंदर की मुलाकात करीब 6 महीने पहले हुई थी. जल्द ही वह दोनों एकदूसरे के दोस्त बन गए थे. गुरविंदर सिंह ने बातोंबातों में बलविंदर सिंह को बताया था कि 14 अक्तूबर को उस की शादी है और उसे काफी पैसों की जरूरत है.

गुरविंदर की शादी वाली बात को ध्यान में रखते हुए बलविंदर ने मनदीप को मौत के घाट उतारने की पूरी प्लानिंग बनाई. 2 साल से उस के अंदर जो चिंगारी धीरेधीरे सुलग रही थी अब उसे बुझाने का समय आ गया था. वैसे भी बीते 2 सालों में वह खामोश नहीं बैठा था.

अपनी बेइज्जती का बदला लेने के लिए उस ने अपनी कोशिशें जारी रखी थीं और सही समय का इंतजार कर रहा था. दूसरे उस के पास ऐसा कोई आदमी भी नहीं था, जो इस काम को अंजाम तक पहुंचा सकता. उसे गुरविंदर जैसे जरूरतमंद आदमी की तलाश थी.