दोस्त क्यों बना दरिंदा
नीलम और गणेश की उम्र में भले ही 10 साल का अंतर था, नीलम को गणेश और उस की बातें सुहाती थीं. वह उसके प्रति आकर्षित हो गई थी. कहने को गणेश प्यार मोहब्बत की बातें करता था, लेकिन नीलम गणेश को अपना दोस्त मानती थी.
सिकंदरा क्षेत्र के जंगल में दरिंदगी की शिकार नीलम की हालत में सुधार होने के बाद 13 मार्च, 2023 को नीलम के कोर्ट में बयान दर्ज हुए.
नीलम के गांव वालों का कहना था कि अब तक के इतिहास में गांव में यह पहली घटना है. अब तक गांव की किसी बेटी के साथ इस तरह की दरिंदगी नहीं हुई. इस घटना से गांव वाले आक्रोशित थे. उन का कहना था कि नीलम की हालत के जिम्मेदार को वह खुद अपने हाथों से सजा देंगे.
नीलम से शांति सेना ने भेंट की
14 मार्च, 2023 को महिला शांति सेना की कुंदनिका शर्मा, शीला बहल, वत्सला प्रभाकर, व रीता कपूर पीड़िता नीलम से मिलीं और अपने स्तर से उस की हरसंभव सहायता करने का भरोसा दिया.
पुलिस आयुक्त डा. प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि घटनास्थल से किशोरी की चप्पलें, दुपट्टा, सिर पर जिस ईंट से प्रहार किया वो ईंट, अंदरूनी कपड़े, बाल, शराब की एक खाली बोतल, 2 खाली गिलास, नमकीन के खाली पाउच, पौलीथिन, प्लास्टिक बौक्स में एक पर्स, आधार कार्ड आदि सबूत जमा कर लिए.
फील्ड यूनिट ने भी अलग से नमूनेे लिए. वहीं आरोपियों का डीएनए नमूना भी लिया गया. मुकदमा में सामूहिक दुष्कर्म सहित कई धाराएं बढ़ाई गईं. दोनों आरोपियों गणेश व संतोष के खिलाफ नाबालिग को बहलाफुसला कर अगवा करने की धारा 363, 366 व 376 डी ए, हत्या का प्रयास धारा 307, गला घोंट कर जंगल में फेंक कर साक्ष्य नष्ट करना धारा 201, आरोपियों का एक राय होना धारा 34 व बच्चों के प्रति लैंगिक अपराध की धारा 5/6 पोक्सो एक्ट के तहत अभियोग दर्ज किया गया है. सनसनीखेज वारदात में दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश किया गया जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.
अनजाने प्यार के खौफनाक अंजाम सामने आते रहते हैं. इस के बावजूद युवा पीढ़ी सबक लेने को तैयार नहीं है. बढ़ते महिला अपराधों के बीच जहां लड़कियों को लगातार सतर्क किया जा रहा है, वहीं कुछ किशोरियां ऐसी हैं, जो घर वालों से ऊपर हो कर अपनी मनमरजी से प्रेम करना और कहीं घूमना अपना अधिकार समझती हैं. समस्या तब होती है, जब ऐसी किशोरियोंं के साथ कोई अनहोनी हो जाती है.
3 जुलाई, 2023 को इस मामले में अभियोजन और बचाव पक्ष ने अपनेअपने तर्क, गवाह न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए थे. अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 9 गवाह पेश किए गए. इन में पीड़िता नीलम भी शामिल थी.
कौनकौन से सबूत बने सजा के आधार
घटना के 3-4 दिन बाद जब नीलम को पूरी तरह होश आया तब उस ने बताया कि उसे होली खेलने के बहाने से गांव के बाहर बुलाया गया. आरोपी उसे रुनकता ले गए. उसे मिठाई खिलाई. फिर गाड़ी को जंगल की ओर मोड़ दिया. दोनों ने उस के साथ रेप किया.
जब उस ने घर जा कर सारी बात बताने की बात कही तो दोनों ने मारने की कोशिश की. घटनास्थल व आरोपियों के कब्जे से पुलिस ने बाइक, औनलाइन भुगतान इलैक्ट्रोनिक साक्ष्य, वहीं मोबाइल की काल डिटेल, फोन की लोकेशन, सीसीटीवी फुटेज भी साक्ष्य के रूप में कोर्ट में पेश किए गए.
अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए 9 गवाहों में चिकित्सक डा. वंदना तुलसी, डा. के.सी. भगत, डा. मोहित गोपाल वार्ष्णेय के अलावा पुलिसजनों हैडकांस्टेबल सत्यवीर सिंह, विवेचक एसआई कुंवरपाल सिंह, वादी मुकदमा, प्रधानाचार्य तेज प्रकाश सिंह के साथ मुख्य गवाह सुरक्षागार्ड जयप्रकाश, जिस ने सब से पहले नीलम को जंगल में देखा था, की गवाही कराई गई. पीड़िता नीलम ने न्यायालय में कहा कि वह चाहती है कि दोनों दरिंदों को फंासी होनी चाहिए.
अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक (पोक्सो एक्ट) विजय किशन लवानिया और सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सुभाष गिरि के साथ ही वादी के वरिष्ठ अधिवक्ता संतोष दीक्षित ने न्यायालय में प्रभावी पैरवी की.
रिपोर्ट में देरी व अज्ञात में दर्ज कराने पर आरोपियों के अधिवक्ताओं दिनेश नांबर व अरविंद शर्मा के तर्कों को काटते हुए उन्होंने कहा कि मी लार्ड, कोई स्त्री या लड़की जब गायब हो जाती है तो सर्वप्रथम उसे खोजने का ही प्रयास किया जाता है. प्रयास विफल होने पर ही पुलिस को सूचना दी जाती है.
लड़की के मामले में संबंधित परिवार के साथ सामाजिक निंदा व अपमान का प्रश्न भी खड़ा हो जाता है. ऐसी स्थिति में रिपोर्ट में देरी होना स्वाभाविक है. इस मामले में भी इस बात की कल्पना नहीं की जा सकती कि पीड़िता व उस का परिवार प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखाने को अविलंब तत्पर हो जाएं.
संबंधित मामले में वादी ने अपनी तहरीर में ही कथन किया है कि पीड़िता की तलाश करते रहे और 10 मार्च, 2023 को सुबह 8 बजे उसे सूचना मिली कि उस की बेटी के साथ दुष्कर्म कर घायल अवस्था में जंगल में फेंक दिया है. 8 बजे सूचना मिलने के बाद उसी दिन 10:34 बजे थाने पर तहरीर दे कर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करा दी थी.
न्यायालय ने माना कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने में कोई भी असामान्य विलंब नहीं है. दोनों अभियुक्तों गणेश व संतोष ने दोस्ती के नाम पर नीलम को धोखा दे कर उस के साथ बलात्कार किया और शिकायत करने की बात पर उसे मरणासन्न कर जंगल में फेंक कर भाग गए. स्कूल के प्रधानाचार्य ने अभिलेखों के अनुसार बताया कि घटना के समय नीलम की उम्र 14 साल थी.
अभियोजन पक्ष ने दोनों को अधिक से अधिक दंड देने की न्यायालय से अपील की. वहीं अभियुक्तों के अधिवक्ताओं ने कोर्ट से अपील करते हुए कहा कि यह अभियुक्तगणों का प्रथम अपराध है तथा अभियुक्तगण इस अपराध में लगातार जेल में निरुद्ध चले आ रहे हैं. उन का आपराधिक इतिहास नहीं है, दोनों नवयुवक हैं, इसलिए अभियुक्तों को न्यूनतम दंड दिया जाए.
दोष सिद्ध होने के बाद इस मामले की पत्रावली दंडादेश हेतु 4 जुलाई, 2023 को न्यायाधीश के समक्ष पेश की गई. अभियुक्तों गणेश व संतोष को कारागार से न्यायिक अभिरक्षा में न्यायालय में लाया गया. दोनों कोर्टरूम के कटघरे में सिर झुकाए खड़े रहे.
पोक्सो कोर्ट के जज प्रमेंद्र कुमार ने दोषसिद्ध दोनों अभियुक्तों संतोष व गणेश को नीलम व गवाहों के बयान के आधार पर सभी धाराओं में दोषी करार देते हुए यौन अपराध शिशु संरक्षण अधिनियम (पोक्सो एक्ट) 2012 की धारा 5जी/6 के अंतर्गत कठोर आजीवन कारावास व एक लाख रुपए जुरमाना की सजा सुनाई गई. वहीं धारा 363 भादंसं में 3 वर्ष के कारावास व 5 हजार रुपए जुरमाना, धारा 366 भादंसं में 7 वर्ष के कारावास व 15 हजार के जुरमाना, धारा 307 सपठित 34 भादंसं में आजीवन कारावास व 70 हजाररुपए का जुरमाना, धारा 201 भादंसं में 5 वर्ष के कारावास व 10 हजार रुपए का जुरमाना लगाया.
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के नियम-7(2) एवं धारा 357-क की उपधारा (2) के अंतर्गत पीड़िता यथोचित प्रतिकर प्राप्त करेगी, जिसे दिए जाने हेतु इस निर्णय की एक प्रति जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, आगरा को प्रेषित करने व अभियुक्तगण गणेश व संतोष का सजायावी वारंट बना कर उन्हें सजा भुगतने के लिए जिला कारागार, आगरा भेजने का आदेश दिया गया.
इस केस में न्यायालय ने भी सुनवाई में तत्परता दिखाई और मात्र 116 दिनों में ही फैसला सुना दिया. सिकंदरा पुलिस ने घटना में 7 दिन में कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी. रुनकता पुलिस चौकी प्रभारी कुंवरपाल सिंह ने मुकदमे की विवेचना की. पीड़िता को इंसाफ दिलाने में पुलिस और अभियोजन ने अहम भूमिका निभाई.द्य
—कथा पुलिस सूत्रों व कोर्ट के निर्णय पर आधारित. पीड़िता का नीलम काल्पनिक नाम है.