सपना का अधूरा सपना – भाग 3

अभिनय ने आर्यसमाज मंदिर में विधिविधान से सपना से शादी कर के सभी को मिठाई खिलाई. इस के बाद प्रार्थना को उस के घर भेज दिया और सपना को साथ ले कर लोहियानगर स्थित अपने घर आ गया. अभिनय के घर वालों ने सपना को बहू के रूप में स्वीकार कर के उस का भव्य स्वागत किया.

प्रार्थना घर पर पहुंची तो उसे अकेली देख कर घर वालों ने सपना के बारे में पूछा. जब उस ने कहा कि बाजार में सपना उसे चकमा दे कर भाग गई है तो घर वाले बौखला उठे. उन्होंने तुरंत सपना को फोन किया. जब सपना ने बताया कि उस ने अभिनय से शादी कर ली है और अब वह उसी के यहां रहेगी तो कुंवरपाल सपना को समझाने लगा कि उस के इस कदम से उस की कालोनी और समाज में बड़ी बदनामी होगी, इसलिए वह वापस आ जाए.

लेकिन जब सपना ने साफसाफ कह दिया कि अब वह किसी भी सूरत में अभिनय को छोड़ कर नहीं आ सकती तो खीझ कर कुंवरपाल ने फोन काट दिया. इस के बाद पतिपत्नी ने प्रार्थना की जम कर पिटाई की. इस तरह सपना की करनी की सजा प्रार्थना को भोगनी पड़ी.

अगले ही दिन कुंवरपाल ने अपने दोनों सालों नंदकिशोर तथा राधाकिशन को बुलाया और उन से पूछा कि अब क्या किया जाए? एक बार उन के मन में आया कि क्यों न वे अभिनय को मार दें. लेकिन जब इस बात पर उन्होंने गहराई से विचार किया तो उन्हें लगा कि इस मामले में अभिनय की क्या गलती है, भाग कर शादी तो सपना ने की है, इसलिए जो सजा दी जाए, उसे दी जाए. इस तरह सपना घर वालों की आंखों का कांटा बन गई.

कुंवरपाल अकसर फोन कर के सपना को समझाता और धमकी देता रहता था कि उस ने जो किया है, वह ठीक नहीं किया है, वह वापस आ जाए, इसी में उस की भलाई है. अगर उस ने उस का कहना नहीं माना तो वह उसे छोड़ेगा नहीं, भले ही उसे पूरी उम्र जेल में बितानी पड़े. इस तरह सिर नीचा कर के जीने से तो अच्छा है, वह पूरी जिंदगी जेल में ही काट दे.

अभिनय के घर वालों ने सपना को बहू के रूप में स्वीकार तो कर लिया था, लेकिन अभिनय के पिता शिशुपाल सिंह जादौन के मन में एक कसक थी कि वह अपने बेटे की शादी धूमधाम से नहीं कर सके. इसलिए वह चाहते थे कि सपना के घर वाले उस की शादी धूमधाम से कर दें. सपना जानती थी कि उस का बाप ऐसा कतई नहीं करेगा, इसलिए उस ने ससुर से कह दिया कि ऐसा होना नामुमकिन है.

शिशुपाल सिंह को लगा कि बेटे की शादी धूमधाम से नहीं हो सकती तो वह अपने घर इस शादी की दावत कर के अपने परिचितों और रिश्तेदारों को बता दें कि उन के बेटे ने प्रेम विवाह कर लिया है. वह दावत की तैयारी कर रहे थे कि एक दिन कुंवरपाल पत्नी उर्मिला और साली के साथ उन के घर आ पहुंचा.

कुंवरपाल और उस की पत्नी ने सपना और उस की ससुराल वालों से कहा कि जो हो गया, सो हो गया. अब वे अपनी बेटी की शादी सामाजिक रीतिरिवाज के अनुसार धूमधाम से करना चाहते हैं. इसलिए शादी की तारीख तय कर के वे सपना को अपने साथ ले जाना चाहते हैं.

सपना मांबाप के साथ घर जाना तो नहीं चाहती थी. लेकिन अभिनय और उस के ससुर शिशुपाल सिंह ने समझाबुझा कर उसे कुंवरपाल के साथ भेज दिया.

आखिर वही हुआ, जिस बात का सपना को डर था. घर आने के बाद कुंवरपाल सपना को इस बात के लिए राजी करने लगा कि उस ने एटा के जिस लड़के के साथ उस की शादी तय की है, वह उस के साथ शादी कर ले. सपना इस के लिए तैयार नहीं थी. उस का कहना था कि एक बार उस ने अभिनय से शादी कर ली है तो वह अब किसी दूसरे से शादी क्यों करे.

25 जुलाई की शाम को भी कुंवरपाल ने सपना से एटा वाले लड़के से शादी करने की बात कही. लेकिन सपना ने साफ मना कर दिया. इस के बाद रात का खाना खा कर जब घर के सभी लोग सो गए तो कुंवरपाल दबे पांव सपना के कमरे में पहुंचा. अंदर से सिटकनी बंद कर के उस ने एक बार फिर सपना को शादी के लिए मनाना चाहा. लेकिन सपना नहीं मानी तो वह उसे मनाने के लिए करंट लगाने लगा. इसी करंट लगाने में सपना बेहोश हो गई.

सपना का इस तरह बेहोश हो जाना कुंवरपाल को खतरे की घंटी लगा. उस ने सोचा कि अब इस का जिंदा रहना ठीक नहीं है, इसलिए उस ने उस की गर्दन और हाथ पर तार लपेट कर प्लग में लगा दिया, जिस से सपना तड़पतड़प कर मर गई.

सपना को मौत के घाट उतार कर कुंवरपाल ने यह बात पत्नी उर्मिला को बताई तो वह सन्न रह गई. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उस का पति इतना घिनौना काम भी कर सकता है. कुंवरपाल ने गुस्से में सपना को मार तो डाला, लेकिन अब उसे अपने किए पर पछतावा हो रहा था. अब उसे जेल जाने का भी डर सताने लगा था. उस समय रात के 2 बज रहे थे.

पुलिस से बचने के लिए उस ने अन्य बच्चों को जगाया और उन्हें घर से बाहर कर के सपना के मोबाइल फोन का स्विच औफ कर दिया. उन्होंने बच्चों को इस बात की जानकारी नहीं होने दी कि सपना के साथ क्या हुआ है. घर में बाहर से ताला लगा कर कुंवरपाल पत्नी और अन्य बच्चों के साथ फरार हो गया.

पूछताछ के बाद उत्तर कोतवाली पुलिस ने अपनी ही बेटी की हत्या के आरोप में कुंवरपाल सिंह यादव को जेल भेज दिया. कथा लिखे जाने तक बाकी कोई गिरफ्तार नहीं हुआ था. पुलिस उन की तलाश कर रही थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

फरेब के जाल में फंसी नीतू – भाग 3

एक समझदार ससुर की तरह बाबूलाल मऊ नीतू के मायके पहुंचा और दुनिया की ऊंच नीच और इज्जत दुहाई देते उसे मना कर वापस ले आया. यह पिछले साल नवरात्रि की बात है. नीतू दोबारा ससुराल आ गई. पत्नी क्यों मायके चली गई थी और फिर वापस क्यों आ गई और सेक्स से अंजान रामजी को इन बातों से कोई सरोकार नहीं था.

हालात देख बाबूलाल के मन में पाप पनपा और उस ने नीतू से नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दीं. किसी नएनवेले आशिक की तरह बाबूलाल नीतू की हर पसंदनापसंद का खयाल रखने लगा तो नीतू भी उस की तरफ झुकने लगी. आखिर उसे भी पुरुष सुख की जरूरत थी, जिसे वह कहीं बाहर से हासिल करती तो बदनामी भी होती और गलत भी वही ठहराई जाती.

देहसुख का अघोषित अनुबंध तो बाबूलाल और नीतू के बीच हो गया लेकिन पहल कौन और कैसे करे, यह दोनों को समझ नहीं आ रहा था. मियांबीवी राजी तो क्या करेगा काजी वाली बात इन दोनों पर इसलिए लागू नहीं हो रही थी कि दोनों के बीच कोई काजी था ही नहीं. दोनों भीतर ही भीतर सुलगने लगे थे पर शायद लोकलाज का झीना सा परदा अभी बाकी था.

यह परदा भी एक दिन टूट गया जब आंगन में नहाती नीतू को बाबूलाल ने देखा. उस के दुधिया और भरे मांसल बदन को देखते ही बाबूलाल के जिस्म में चीटियां सी रेंगी तो सब्र ने जवाब दे दिया. एकाएक उस ने नीतू को जकड़ लिया.

नीतू ने कोई एतराज नहीं जताया. वह तो खुद पुरुष संसर्ग के लिए बेचैन थी. उस दिन जो हुआ नीतू के लिए किसी मनोकामना के पूरी होने से कम नहीं था. बाबूलाल को भी सालों बाद स्त्री सुख मिला था, सो वह भी निहाल हो गया.

अब यह रोजरोज का काम हो गया था. दोनों को रोकनेटोकने वाला कोई नहीं था. रामजी जैसे ही बिस्तर पर आ कर सोता था, नीतू सीधे बाबूलाल के कमरे में जा पहुंचती थी.

उम्र और रिश्तों का लिहाज नाजायज संबंधों में नहीं होता और आमतौर पर उन का अंत में किसी तीसरे का रोल जरूर रहता है. पर इन दोनों पर यह बात लागू नहीं थी. ससुर की मर्दानगी पर निहाल हो चली नीतू ने एक दिन बाबूलाल से साफ कह दिया कि अब मुझ से शादी करो नहीं तो…

इस ‘नहीं तो’ में छिपी धमकी बाबूलाल को समझ आ रही थी और मजबूरी भी, लेकिन जो जिद नीतू कर रही थी उसे वह पूरी नहीं कर सकता था. अब जा कर बाबूलाल को समाज और रिश्तों के मायने समझ आए. समझाने और मना करने पर नीतू झल्लाने लगी थी, जिस से बाबूलाल घबराया हुआ रहने लगा था. नीतू की लत तो उसे भी लग गई थी पर उस पर लदी शर्त उस से पूरी करते नहीं बन रही थी.

साफ है बाबूलाल बहू के जिस्म को तो भोगना चाहता था लेकिन समाज को ठेंगा बता कर उसे पत्नी बनाने की बात सोचते ही उस के पैरों तले से जमीन खिसकने लगती थी. जितना वह समझाता था नीतू उसी तादाद में एक बेतुकी जिद पर अड़ती जा रही थी.

अब बाबूलाल नीतू से बचने के बहाने ढूंढने लगा था, जिन में से एक उसे मिल भी गया था कि फसल पक रही है, इसलिए उसे चौकीदारी के लिए खेत पर सोना पड़ेगा. इस के लिए उस ने खेत में झोपड़ी भी डाल ली थी.

नीतू जब शहर से मजदूरी कर लौटती थी तब तक बाबूलाल खेत पर जा चुका होता था. कुछ दिन ऐसे ही बिना मिले गुजरे तो नीतू का सब्र जवाब देने लगा. वैसे भी वह महसूस रह रही थी कि बाबूलाल अब उस में पहले जैसी दिलचस्पी नहीं लेता. 25 मार्च को नीतू जब सहेलियों के साथ लौटी तो उसे याद आया कि अगले दिन उसे मायके जाना है.

मायके जाने से पहले वह अपनी प्यास बुझा लेना चाहती थी. इसलिए सीधे खेत पर पहुंच गई और बाबूलाल को इशारा किया कि आज रात वह यहीं रुकेगी तो बाबूलाल के हाथ के तोते उड़ गए, क्योंकि रात में दूसरे किसान तंबाकू और बीड़ी के लिए उस के पास आते रहते थे.

समझाने की कोशिश बेकार थी फिर भी बाबूलाल ने दूसरे किसानों के आनेजाने की बात बताई तो नीतू ने खुद अपने हाथों से अपने कपड़े उतार लिए और धमकी देते हुए बोली, ‘‘खुले तौर पर मुझ से बीवी की तरह पेश आओ नहीं तो पुलिस में रिपोर्ट लिखा दूंगी.’’ उस दिन सुबह वह बाबूलाल से कह भी रही थी कि रात में घर पर ही मिलना.

रोजरोज की धमकियों और परेशानियों से तंग आ गए बाबूलाल को कुछ नहीं सूझा तो उस ने बेरहमी से नीतू की हत्या कर दी और स्तनों को खरोंचा, जिस से मामला सामूहिक बलात्कार का लगे. नीतू का गुप्तांग भी उस ने इसी वजह के चलते जलाया था.

नीतू की हत्या पर वह उस की लाश को कंधे पर उठा कर ले गया और आम के बाग में फेंक आया. पुलिस को दिए शुरुआती बयान में वह रामजी को फंसा देना चाहता था जिस से खुद साफ बच निकले. पर ऐसा नहीं हो पाया.

ससुर बहू के अवैध संबंधों का यह मामला अजीब इस लिहाज से है कि इसे और ज्यादा ढोने की हिम्मत नीतू में नहीं बची थी और वह अधेड़ ससुर को ही पति बनाने पर उतारू हो आई थी यानी राजकुमार, हेमामालिनी, कमल हासन और पद्मिनी कोल्हापुरे अभिनीत फिल्म ‘एक नई पहेली’ की तर्ज पर वह अपने ही पति की मां बनने तैयार थी.

बड़ी गलती बाबूलाल की है जिस की सजा भी वह भुगत रहा है. उस ने पहले पागल बेटे की शादी करा दी और जब बेटा बहू की शारीरिक जरूरतें पूरी नहीं कर पाया तो खुद पाप की दलदल में उतर गया.

नीतू रखैल की तरह नहीं रहना चाह रही थी. साथ ही वह दुनियादारी की परवाह भी नहीं कर रही थी, इसलिए उस से छुटकारा पाने के लिए बाबूलाल को उस की हत्या ही आसान रास्ता लगा पर कानून के हाथों से वह भी नहीं बच पाया.

सपना का अधूरा सपना – भाग 2

सपना के परिवार में पिता कुंवरपाल सिंह यादव, मां उर्मिला यादव, 3 बहनें प्रार्थना, मधु और भावना के अलावा 1 छोटा भाई आशीष था. कुंवरपाल का दूध का अच्छाखासा व्यवसाय था. फिरोजाबाद के ही थाना सिरसागंज के गांव सिकरामऊ में उस की खेती की काफी जमीन भी थी. फिरोजाबाद के सुदामानगर की जिस नवनिर्मित कालोनी में कुंवरपाल रहता था, उस में उस की गिनती संपन्न लोगों में होती थी. उस का काफी बड़ा मकान भी था.

कुंवरपाल को राजनीति से लगाव था, इसलिए उस ने तमाम नेताओं से संबंध बना रखे थे. संबंध की ही वजह से उस के यहां तमाम नेताओं का आनाजाना लगा रहता था. सिरसागंज के विधायक से तो कुंवरपाल की दांत काटी दोस्ती थी. कुंवरपाल के 2 साले थे. दोनों ही एक राजनीतिक दल में पदाधिकारी थे. उन का अपने क्षेत्र में खासा रुतबा था. इस का असर उन की बहन यानी कुंवरपाल की पत्नी उर्मिला पर भी था. रौबरुतबे की ही वजह से पतिपत्नी कालोनी में किसी को कुछ नहीं समझते थे. वे जल्दी से किसी से बात भी नहीं करते थे.

सपना ने घर के नजदीक ही स्थित लिटिल ऐंजल्स कान्वेंट स्कूल से इंटर करने के बाद एम.जी. कालेज से ग्रैजुएशन किया. इस के बाद वह कोई प्रोफेशनल कोर्स करना चाहती थी. थोड़ी कोशिश के बाद उस का बीएड में हो गया, जिस के लिए उस ने दाऊदयाल महिला महाविद्यालय में दाखिला ले लिया.

सपना जिन दिनों हाईस्कूल में पढ़ रही थी, उन्हीं दिनों उस की मुलाकात अभिनय राणा से हुई थी. अभिनय सुदामानगर से 2 किलोमीटर दूर स्थित लोहियानगर में रहता था. उस के परिवार में पिता शिशुपाल सिंह जादौन, मां प्रेमा देवी जादौन और एक बड़ा भाई अभिषेक जादौन था. पिता उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही थे. जादौन परिवार के पास काफी पुश्तैनी प्रौपर्टी थी, इसलिए इस परिवार का रहनसहन रईसों जैसा  था. उन दिनों वह बारहवीं में पढ़ रहा था.

एक दिन सपना स्कूटी से कोचिंग से घर जा रही थी, तभी एक बाइक सवार की टक्कर से गिर पड़ी. बाइक सवार तो भाग गया, लेकिन डिवाइडर से टकराने की वजह से सपना के पैर से खून बहने लगा. पीछे से आ रहे अभिनय ने उसे उठाया और मरहमपट्टी करा कर उसे उस के घर पहुंचाया. अभिनय का यह सेवाभाव सपना के दिल को छू गया. उस की छवि उस के दिल में एक अच्छे युवक की बन गई.

सपना जिस कोचिंग में पढ़ती थी, उसी में अभिनय भी पढ़ता था. अभिनय की गिनती कोचिंग इंस्टीट्यूट में अच्छे लड़कों में होती थी. ऐसी ही बातों से वह सपना के दिल की धड़कन बन गया. आमनेसामने पड़ने पर दोनों एकदूसरे को देख कर मुसकरा देते थे. कभीकभार बातचीत भी हो जाती थी. किसी दिन दोनों ने एकदूसरे के मोबाइल नंबर ले लिए तो दोनों के बीच लंबीलंबी बातें होतेहोते प्यार का भी सिलसिला शुरू हो गया.

दोनों में प्यार गहराया तो वे एकदूसरे की पसंद का खयाल रखने लगे. इस तरह प्यार की नाव पर सवार हुए उन्हें एकएक कर के 5 साल बीत गए. इस बीच सपना ने ग्रैजुएशन कर लिया तो अभिनय बीएसपी कर के ठेकेदारी करने लगा. इस समय वह फिरोजाबाद का एक बड़ा शराब व्यवसाई माना जाता है. शहर और कस्बों में उस की अंग्रेजी शराब और देशी शराब की तमाम दुकानें हैं. उस के कई बार भी हैं. अभिनय भले ही शराब का बड़ा कारोबारी बन चुका था, लेकिन सपना के प्रति उस का प्यार वैसा ही था.

सपना ने ग्रैजुएशन कर के बीएड में दाखिला ले लिया था. 5 सालों से उस का जो प्यार चोरीछिपे चल रहा था, अब तक कई लोगों की नजरों में आ चुका था. वे कुंवरपाल के परिचित थे, इसलिए यह बात उस तक पहुंच गई. जानकारी होने पर कुंवरपाल ने सपना को बुला कर अभिनय और उस से प्यार के बारे में पूछा तो उस ने इस बात को इसलिए नहीं छिपाया, क्योंकि अभिनय हर तरह से कुंवरपाल का दामाद बनने लायक था.

लेकिन जब कुंवरपाल को पता चला कि सपना का प्रेमी ठाकुर है तो वह बौखला उठा. उस ने चीखते हुए कहा, ‘‘यादवों ने चूड़ी पहन रखी है क्या, जो ठाकुर का लौंडा उन की लड़कियों के साथ गुलछर्रे उड़ाएगा.’’

बाप के गुस्से को देख कर सपना की समझ में आ गया कि उस का बाप ऊंची जाति से भी उतनी ही नफरत करता है, जितनी नीची जाति वालों से. कुंवरपाल ने उस से साफसाफ कह दिया कि आज से ही वह उस लड़के से सारे संबंध खत्म कर ले. अगर उस के साथ कहीं दिखाई दे गई तो वह उसे काट कर रख देगा.

कुंवरपाल ने भले ही अपना आदेश सुना दिया था, लेकिन सपना को अभिनय के बिना अपनी दुनिया अंधकारमय नजर आ रही थी. इसलिए उस ने भी तय कर लिया कि कुछ भी हो जाए, वह अभिनय का साथ किसी भी हालत में नहीं छोड़ेगी. इसलिए उस ने तुरंत फोन कर के सारी बातें अभिनय को बता दीं. अभिनय ने उस का हौसला बढ़ाते हुए कहा, ‘‘चिंता करने की कोई बात नहीं है. हम दोनों ही बालिग हैं, इसलिए अपनी जिंदगी के फैसले खुद लेने में सक्षम हैं.’’

प्रेमी की इस बात से सपना को काफी सुकून मिला. लेकिन अब उस के घर से अकेली निकलने पर पाबंदी लगा दी गई. इसी के साथ कुंवरपाल ने उस की शादी के लिए लड़के की तलाश भी जोरशोर से शुरू कर दी. वह बीएड की पढ़ाई पूरी होते ही सपना की शादी कर देना चाहता था.

इधर कुंवरपाल सपना की शादी के लिए लड़का ढूंढ रहा था, उधर उस ने अभिनय से शादी करने का फैसला कर लिया था. यह अप्रैल, 2014 की बात है.

दरअसल, सपना मौका निकाल कर अभिनय से बातें तो कर ही लेती थी, कभीकभार घर वालों की चोरी से मिल भी लेती थी. कुंवरपाल को संदेह था कि बेटी कोई भी उल्टासीधा कदम उठा सकती है, इसलिए उस ने रजिस्ट्रार औफिस के कर्मचारियों से सांठगांठ कर ली थी कि अगर सपना वहां विवाह के लिए आवेदन करती है तो तुरंत उसे इस बात की जानकारी दे दी जाए.

सपना के घर से निकलने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई, जिस से उस का बीएड भी पूरा नहीं हो सका. उस का फोन भी छीन लिया गया था. ऐसे में सपना का साथ उस की छोटी बहन प्रार्थना ने दिया. बहन की भावनाओं का खयाल रखते हुए वह कभीकभार अपने फोन से उस की बात अभिनय से करा देती थी.

29 मई, 2014 को प्रार्थना की मदद से सपना घर से बाहर निकली और वहां पहुंच गई, जहां अभिनय 2-3 महिलाओं और 4-5 पुरुषों के साथ उस का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. उस ने फिरोजाबाद के ही उलाऊखेड़ा प्रांगण में बने आर्यसमाज मंदिर में विधिविधान से विवाह करने की व्यवस्था पहले से ही कर रखी थी, इसलिए सपना को साथ ले कर वह सीधे वहीं पहुंच गया.

फरेब के जाल में फंसी नीतू – भाग 2

यह एक अजीब सी बात इस लिहाज से थी कि हत्या के मामले में किसी भी पिता की कोशिश बेटे को बचाने की रहती है. लेकिन बाबूलाल इस का अपवाद था. हालांकि संभावना इस बात की भी थी कि वह वाकई सच बोल रहा हो क्योंकि रामजी घोषित तौर पर मंदबुद्धि वाला था और गुस्सा आ जाने पर ऐसा कर भी सकता था. लेकिन इस थ्यौरी में आड़े यही बात आ रही थी कि कोई मंदबुद्धि इतनी प्लानिंग से हत्या नहीं कर सकता.

अभयराज सिंह ने नीतू के बारे में जानकारियां इकट्ठी करने के लिए एक लेडी कांस्टेबल को काम पर लगा दिया था. अलबत्ता अभी तक की जांच में ऐसी कोई बात सामने नहीं आई थी जिस से यह लगे कि नीतू के चालचलन में कोई खोट थी. ये सब बातें अभयराज ने जब आला अफसरों से साझा कीं तो उन्होंने बाबूलाल को टारगेट करने की सलाह दी.

महिला कांस्टेबल की दी जानकारियों ने मामला सुलझाने में बड़ी मदद की. पता यह चला कि नीतू दूसरी महिलाओं के साथ मजदूरी करने ब्यौहारी जाती थी और शाम तक लौट आती थी. 25 मार्च को यानी हादसे के दिन भी वह मजदूरी करने गई थी. लेकिन लौटते वक्त वह गांव के बाहर से ही अपने ससुर बाबूलाल से मिलने खेत की तरफ चली गई थी.

बाबूलाल शक के दायरे में तो पहले से ही था पर इस खुलासे से उस पर शक और गहरा गया था. चूंकि उसे धर दबोचने के लिए कोई पुख्ता सबूत या गवाह नहीं था. इसलिए पुलिस ने बारबार पूछताछ करने का अपना परंपरागत तरीका आजमाया.

इस पूछताछ में उस के साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं की गई और न ही कोई यातना दी गई. पुलिस ने तरहतरह से उसे धर्मग्रंथों का हवाला दिया कि जो जैसे कर्म करता है उसे वैसा ही फल भुगतना पड़ता है. फिर चाहे वह नीचे धरती पर मिले या ऊपर कहीं मिले.

धर्मगुरुओं  की तरह प्रवचन दे कर जुर्म कबूलवाने का शायद यह पहला मामला था. कर्म फल और पाप पुण्य की पौराणिक कहानियों का बाबूलाल पर वाजिब असर पड़ा और उस ने अपना गुनाह कबूल कर लिया.

यह डर था या ग्लानि थी यह तो शायद बाबूलाल भी न बता पाए, लेकिन नीतू की हत्या की जो वजह उस ने बताई वह वाकई अनूठी थी. कहानी सुनने से पहले पुलिस ने उस की निशानदेही पर खेत में छिपाई गई चप्पलें व साड़ी बरामद करने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई.

बहू नीतू की हत्या की वजह बताते हुए बाबूलाल का चेहरा सपाट था. बाबूलाल तब किशोरावस्था में था जब उस के पिता संतोषी राठौर की मौत हो गई थी. शादी के बाद पत्नी भी ज्यादा साथ नहीं निभा पाई, लेकिन इन तकलीफों से बड़ी उस की तकलीफ मंदबुद्धि बेटा रामजी था.

जवान होते रामजी को देख बाबूलाल का कलेजा मुंह को आता था कि उस के बाद यह लड़का किस के भरोसे रहेगा. कम अक्ल रामजी को पालतेपोसते बाबूलाल ने कई जगह उस की शादी की बात चलाई लेकिन जिस ने भी रामजी की मंदबुद्धि के चर्चे सुने उस ने बाबूलाल के सामने हाथ जोड़ लिए. खेतीकिसानी बहुत ज्यादा भी नहीं थी, इसलिए बाबूलाल ज्यादा पैसों के लिए खेतों में हाड़तोड़ मेहनत करता था, जिस के चलते 54 साल की उम्र भी उस पर हावी नहीं हो पाई थी.

फिर एक दिन पागल कहे जाने वाले रामजी की तब मानो लाटरी लग गई, जब बात चलाने पर नीतू के घर वाले रामजी से उस की शादी करने तैयार हो गए. नीतू गठीले बदन की चंचल लड़की थी, जिसे पत्नी बनाने का सपना आसपास के गांवों के कई युवक देख रहे थे.

गोरीचिट्टी नीतू की खूबसूरती के चर्चे हर कहीं थे पर लोग यह जानकर हैरान रह गए कि उस की शादी रामजी से हो रही है, जिसे गांव की भाषा में पागल, सभ्य लोगों की भाषा में मंदबुद्धि और आजकल सरकारी जुबां में मानसिक रूप से दिव्यांग कहा जाता है.

जब नीतू के घर वालों ने रिश्ते के बाबत हां भर दी तो बाबूलाल की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. घर में बहू के पांव पड़ेंगे, अरसे बाद छमछम पायल बजेगी और जल्द ही पोता उस की गोद में होगा जैसी बातें सोच कर वह अपनी गुजरी और मौजूदा जिंदगी के दुख भूलता जा रहा था.

उधर रामजी पर इस का कोई असर नहीं पड़ा था, वह तो अपनी दुनिया में मस्त था, जैसे कुछ हो ही नहीं रहा हो. शादी के नए कपड़े, धूमधड़ाका, बैंडबाजा बारात वगैरह उस के लिए बच्चों के खेल जैसी बातें थीं. पर बाबूलाल का मन कह रह था कि बहू के आते ही वह सुधर भी सकता है.

खुशी से फूले नहीं समा रहे बाबूलाल को आने वाली परेशानियों और दुश्वारियों का अहसास तक नहीं था. नीतू बहू बन कर आई तो वाकई घर में रौनक आ गई. पर यह रौनक चार दिन की चांदनी सरीखी साबित हुई.

सुहागरात के वक्त नीतू शर्माती लजाती कमरे में बैठी पति का इंतजार कर रही थी कि वह आएगा, रोमांटिक और प्यार भरी बातें करेगा, फिर मन की बातों के बाद धीरे से तन की बात करेगा और फिर… फिल्मों और टीवी सीरियलों में देखे सुहागरात के दृश्य नीतू की जवानी और सपनों को पर लगा रहे थे जिन्हें सोच कर ही वह रोमांचित हुई जा रही थी.

रामजी कमरे में आया और बगैर कुछ कहे सुने बिस्तर पर गया तो नीतू एकदम से कुछ समझ नहीं पाई. उस रात रामजी ने कुछ नहीं किया तो यह सोच कर नीतू ने खुद के मन को तसल्ली दी कि होगी कोई वजह और आजकल के मर्द भी शर्माने में औरतों से कम नहीं हैं.

यह सिलसिला लगातार चला तो शर्म छोड़ते खुद नीतू ने पहल की लेकिन यह जानसमझ कर वह सन्न रह गई कि रामजी मानसिक ही नहीं बल्कि शारीरिक तौर पर भी अक्षम है. एक झटके में आसमान से जमीन पर गिरी नीतू की हालत काटो तो खून नहीं जैसी हो गई थी.

घर के कामकाज करती नीतू को लगने लगा था कि उस की हैसियत एक नौकरानी से ज्यादा कुछ नहीं है और बाबूलाल व रामजी ने उसे धोखा दिया है. यह सोच कर वह चोट खाई नागिन की तरह फुंफकारने लगी. इस पर रामजी ने उसे मारना पीटना शुरू कर दिया तो वह मायके चली गई और दहेज की रिपोर्ट भी लिखा दी. बेटेबहू के बीच अनबन की असल वजह जब बाबूलाल को पता चली तो वह अवाक रह गया.

अब उसे समझ आया कि क्यों बातबात पर नीतू गुस्सा होती रहती है. इधर दहेज की रिपोर्ट तलवार बन कर उस के सिर पर लटक रही थी. रामजी को तो कोई फर्क नहीं पड़ता था लेकिन पुलिस काररवाई से उस का नप जाना तय था.

सपना का अधूरा सपना – भाग 1

फिरोजाबाद की नवनिर्मित कालोनी सुदामानगर के रहने वाले कुंवरपाल सिंह यादव के जानवरों के लगातार रंभाने  से पड़ोसियों का ध्यान उन की ओर गया. इस की वजह यह थी कि वे इस तरह रंभा रहे थे, जैसे उन्हें कई दिनों से चारापानी न मिला हो. उन के रंभाने से परेशान हो कर पड़ोसी कुंवरपाल के घर गए तो पता चला कि घर में बाहर से ताला बंद है.

कुंवरपाल का इस तरह ताला बंद कर के घर छोड़ कर जाना हैरान करने वाला था. क्योंकि उन्होंने तमाम गाएं और भैंसें पाल रखी थीं, इसलिए उन्हें छोड़ कर वह पूरे परिवार के साथ कहीं नहीं जा सकते थे. लोगों को किसी अनहोनी की आशंका हुई तो कालोनी के 2 लड़के कुंवरपाल के बगल वाले घर की सीढि़यों से चढ़ कर छत के रास्ते उन के घर जा पहुंचे.

नीचे कमरे में उन्होंने जो देखा, उन की चीख निकल गई. एक कमरे में पड़े तखत पर एक लाश पड़ी थी. लड़कों ने उसे पहचान लिया, वह कुंवरपाल की बड़ी बेटी सपना की लाश थी. उस के दोनों हाथों में नंगा तार बंधा था, जिस का दूसरा छोर स्विच बोर्ड के पास नीचे फर्श पर पड़ा था. देखने से ही लग रहा था कि उसे करंट लगा कर मारा गया था.

उन लड़कों के चीखने से बाहर खड़े लोग समझ गए कि अंदर कोई अनहोनी घटी है. जब लड़कों ने बाहर आ कर पूरी बात बताई तो उन्हें थोड़ा राहत महसूस हुई कि घर के बाकी लोग जहां भी हैं, सुरक्षित हैं. फिर भी लोगों के मन में आशंका तो थी ही, इसलिए तरहतरह की बातें होने लगीं.

जिस ने भी कुंवरपाल की बेटी सपना की हत्या के बारे में सुना, उस के घर की ओर भागा. यह इलाका फिरोजाबाद की उत्तर कोतवाली के अंतर्गत आता था, इसलिए सूचना पा कर कोतवाली प्रभारी शशिकांत शर्मा एसएसआई के.पी. सिंह, एसआई अर्जुनलाल वर्मा, सिपाही धर्मेंद्र सिंह, श्यामसुंदर और उमेशचंद को साथ ले कर कुंवरपाल के घर आ पहुचे.

कोतवाली प्रभारी शशिकांत शर्मा ताला तोड़वा कर कुछ लोगों के साथ घर के अंदर पहुंचे तो तखत पर पड़ी लाश देख कर हैरान रह गए. क्योंकि लाश देख कर ही लग रहा था कि लड़की की हत्या करंट लगा कर बड़ी बेरहमी से की गई थी. उन्होंने फोटोग्राफर बुला कर घटनास्थल की और लाश की फोटोग्राफी कराई. इस के बाद लाश का बारीकी से निरीक्षण शुरू किया. मृतका की गर्दन पर करंट लगाने के निशान साफ नजर आ रहे थे. दाएं हाथ की अंगुली में तो करंट लगाने से छेद हो गया था.

मामला हत्या का था, इसलिए कोतवाली प्रभारी शशिकांत शर्मा ने घटना की जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दे दी. घर के अन्य लोग गायब थे, इसलिए पुलिस को संदेह हो रहा था कि कहीं इस हत्या में घर वालों का ही हाथ तो नहीं है. क्योंकि ऐसा कहीं से नहीं लग रहा था कि मृतका के घर में अकेली होने पर बाहर के लोगों ने आ कर उस की हत्या की हो. क्योंकि वहां न तो लूटपाट का कोई निशान था, न दुष्कर्म का. पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा कर कुंवरपाल के मकान को सील कर दिया. यह 26 जुलाई, 2014 की घटना थी.

उसी दिन शाम 5 बजे के आसपास फिरोजाबाद के ही लोहियानगर का रहने वाला अभिनय राणा जिलाधिकारी विजय करन आनंद के आवास पर अपने कुछ साथियों के साथ पहुंचा. जिलाधिकारी से मिल कर उस ने बताया कि सुदामानगर में जिस लड़की की हत्या हुई है, वह उस की पत्नी सपना थी. उस की हत्या उस के पिता कुंवरपाल यादव ने पत्नी उर्मिला यादव तथा 2 सालों नंदकिशोर और राधाकिशन के साथ मिल कर की थी.

अभिनय राणा ने सपना को पत्नी बताया ही नहीं था, बल्कि पत्नी होने के तमाम सुबूत भी जिलाधिकारी को दिए थे. सुबूत देख कर जिलाधिकारी को समझते देर नहीं लगी कि यह औनर किलिंग का मामला है. उन्होंने तुरंत अभिनय राणा की तहरीर पर कोतवाली प्रभारी शशिकांत शर्मा को सपना की हत्या का मुकदमा दर्ज करने का आदेश कर दिया था.

अभिनय राणा जिलाधिकारी आवास से सीधे उत्तर कोतवाली पहुंचा और जिलाधिकारी के आदेश वाली तहरीर तथा सारे सुबूत कोतवाली प्रभारी शशिकांत शर्मा के सामने रख दिए तो उस तहरीर और सुबूतों के आधार पर उन्होंने अभिनय राणा की पत्नी सपना की हत्या का मुकदमा उस के पिता कुंवरपाल सिंह यादव, मां उर्मिला यादव तथा दोनों मामाओं, नंदकिशोर और राधाकिशन के नाम दर्ज करा कर मामले की जांच की जिम्मेदारी खुद संभाल ली.

नामजद मुकदमा दर्ज होते ही अभियुक्तों की तलाश में कोतवाली प्रभारी शशिकांत शर्मा ने अपनी टीम के साथ लगभग दर्जन भर जगहों पर छापे मारे, लेकिन एक भी अभियुक्त उन के हाथ नहीं लगा. वह मुखबिरों के साथसाथ सर्विलांस की भी मदद ले रहे थे. लेकिन सभी अभियुक्तों के मोबाइल बंद थे, इसलिए उन्हें सर्विलांस का कोई फायदा नहीं मिल रहा था.

घटना से पूरे 15 दिनों बाद रक्षाबंधन के अगले दिन यानी 11 अगस्त को किसी मुखबिर से शशिकांत शर्मा को कुंवरपाल के बारे में पता चल गया कि वह कहां छिपा है. फिर क्या था, शशिकांत शर्मा ने अपने सहयोगियों एसएसआई के.पी. सिंह, एसआई अर्जुनलाल वर्मा, सिपाही धर्मेंद्र सिंह, उमेशचंद और श्यामसुंदर के साथ रात 2 बजे छापा मार कर कुंवरपाल सिंह यादव को गिरफ्तार कर लिया.

कुंवरपाल राजनीतिक पहुंच वाला आदमी था. उस ने अपनी इस पहुंच के बल पर पुलिस पर दबाव बनाने की कोशिश भी की, लेकिन उस की एक नहीं चली. उस ने जिसे भी फोन किया, उस ने उस समय किसी भी तरह की मदद करने से मना कर दिया. इस तरह उस की गिरफ्तारी के बाद उस की जानपहचान का कोई भी नेता उस के काम नहीं आया.

थाने ला कर कुंवरपाल से पूछताछ शुरू हुई. जाहिर सी बात है, कोई भी जल्दी से यह नहीं स्वीकार करता कि उस ने अपराध किया है. कुंवरपाल भी झूठ बोलता रहा. लेकिन पुलिस के पास उस के हत्यारे होने के तमाम सुबूत थे. इसलिए उन्हीं सुबूतों के बल पर पुलिस ने उस से स्वीकार करा लिया कि सपना की हत्या उसी ने की थी.

इस के बाद कुंवरपाल ने सपना की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह कंपा देने वाली थी. उस के द्वारा सुनाई गई कहानी और अभिनय राणा द्वारा सुनाई गई कहानी को मिला कर सपना की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस तरह थी.

उत्तर प्रदेश के जिला फिरोजाबाद की नवनिर्मित कालोनी सुदामानगर के रहने वाले कुंवरपाल सिंह यादव की बड़ी बेटी सपना के जवानी में कदम रखते ही वह नौजवानों का सपना बन गई थी. उस की उम्र का वह हर नौजवान उस का सपना देखने लगा था, जिस ने उसे एक बार देख लिया था.

लेकिन हर किसी का सपना कहां पूरा होता है. पूरा होता भी कैसे, सपना अकेली थी, जबकि उस का सपना देखने वाले तमाम नौजवान थे. जवान और खूबसूरत सपना यादव जल्दी ही सहपाठियों की ही नहीं, कालेज के तमाम नौजवानों के दिल की धड़कन बन चुकी थी.

यही नहीं, कालोनी और जिस रास्ते से वह आतीजाती थी, उस रास्ते के भी तमाम नौजवान उसे हसरतभरी नजरों से ताकते थे. उसे देखने वाला हर नौजवान उस की नजदीकी के लिए बेताब रहने लगा था. सपना का सपना देखने वाले भले ही तमाम लोग थे, लेकिन उन में से कोई भी सपना का सपना नहीं था. उस का सपना तो कोई और ही था.

फरेब के जाल में फंसी नीतू – भाग 1

लाश की हालत देख कर पुलिस वाले तो दूर की बात कोई भी आम आदमी बता देता कि हत्यारा या हत्यारे मृतका से किस हद तक नफरत करते होंगे. साफ लग रहा था कि हत्या प्रतिशोध के चलते पूरी नृशंसता से की गई थी और युवती के साथ बेरहमी से बलात्कार भी किया गया था.

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को जोड़ते जिला शहडोल के ब्यौहारी थाने के इंचार्ज इंसपेक्टर सुदीप सोनी को भांपते देर नहीं लगी कि मामला उम्मीद से ज्यादा गंभीर है. 25 मार्च की सुबहसुबह ही उन्हें नजदीक के गांव खामडांड में एक युवती की लाश पड़ी होने की खबर मिली थी. वक्त न गंवा कर सुदीप सोनी ने तुरंत इस वारदात की खबर शहडोल से एसपी सुशांत सक्सेना को दी और पुलिस टीम ले कर खामडांड घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए.

गांव वाले जैसे उन के आने का ही इंतजार कर रहे थे. पुलिस टीम के आते ही मारे उत्तेजना और रोमांच के उन्होंने सुदीप को बताया कि लाश गांव से थोड़ी दूर आम के बगीचे में पड़ी है. पुलिस टीम जब आम के बाग में पहुंची तो लाश देखते ही दहल उठी. ऐसा बहुत कम होता है कि लाश देख कर पुलिस वाले ही अचकचा जाएं.

लाश लगभग 24 वर्षीय युवती की थी, जिस की गरदन कटी पड़ी थी. अर्धनग्न सी युवती के शरीर पर केवल ब्लाउज और पेटीकोट थे. ब्लाउज इतना ज्यादा फटा हुआ था कि उस के होने न होने के कोई माने नहीं थे. दोनों स्तनों पर नाखूनों की खरोंच के निशान साफसाफ दिखाई दे रहे थे.

पेटीकोट देख कर भी लगता था कि हत्यारे चूंकि उसे साथ नहीं ले जा सकते थे इसलिए मृतका की कमर पर फेंक गए थे. युवती के गुप्तांग पर जलाए जाने के निशान भी साफसाफ नजर आ रहे थे. गाल पर दांतों से काटे जाने के निशान देख कर शक की कोई गुंजाइश नहीं रह गई थी कि मामला बलात्कार और हत्या का था.

खामडांड छोटा सा गांव है जिस में अधिकतर पिछडे़ और आदिवासी रहते हैं इसलिए पुलिस को लाश की शिनाख्त में दिक्कत पेश नहीं आई. लाश के मुआयने के बाद जैसे ही सुदीप सोनी गांव वालों से मुखातिब हुए तो पता चला कि मृतका का नाम नीतू राठौर है और वह इसी गांव के किसान बाबूलाल राठौर की बहू और रामजी राठौर की पत्नी है.

सुदीप ने तुरंत उपलब्ध तमाम जानकारियां सुशांत सक्सेना को दीं और उन के निर्देशानुसार जांच की जिम्मेदारी एसआई अभयराज सिंह को सौंप दी. चूंकि लाश की शिनाख्त हो चुकी थी इसलिए पुलिस के पास करने को एक ही काम रह गया था कि जल्द से जल्द कातिल का पता लगाए.

कागजी काररवाई पूरी कर  के नीतू की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई. नीतू की हत्या की खबर उस के मायके वालों को भी दे दी गई थी जो मऊ गांव में रहते थे. मौके पर अभयराज सिंह को कोई सुराग नहीं लग रहा था. अलबत्ता यह बात जरूर उन की समझ में आ गई थी कि कातिल उन की पहुंच से ज्यादा दूर नहीं है. छोटे से गांव में मामूली पूछताछ में यह उजागर हुआ कि नीतू के घर में उस के ससुर बाबूलाल और पति रामजी के अलावा और कोई नहीं है.

नीतू और रामजी की शादी अब से कोई 4 साल पहले हुई थी. बाबूलाल का अधिकांश वक्त खेत में ही बीतता था और इन दिनों तो फसल पकने को थी इसलिए दूसरे किसानों की तरह वह खाना खाने ही घर आता था. फसल की रखवाली के लिए वह रात में सोता भी खेत पर ही था.

इसी पूछताछ में जो अहम जानकारियां पुलिस के हाथ लगीं उन में से पहली यह थी कि रामजी एक कम बुद्धि वाला आदमी है और आए दिन नीतू से उस की खटपट होती रहती थी. दूसरी जानकारी भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं थी कि 2 साल पहले 2016 में इन पतिपत्नी के बीच जम कर झगड़ा हुआ था. झगड़े के बाद नीतू मायके चली गई थी और उस ने ससुर व पति के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया था, पर बाद में सुलह हो जाने पर नीतू वापस ससुराल आ गई थी.

ब्यौहारी थाने में पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया और नीतू का शव उस के ससुराल वालों को सौंप दिया. दूसरे दिन ही उस का अंतिम संस्कार भी हो गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि उस की हत्या धारदार हथियार से गला काट कर की गई थी.

ये जानकारियां अहम तो थीं लेकिन हत्यारों तक पहुंचने में कोई मदद नहीं कर पा रही थीं. गांव वाले भी कोई ऐसी जानकारी नहीं दे पा रहे थे जिस से कातिल तक पहुंचने में कोई मदद मिलती.

नीतू के अंतिम संस्कार के बाद पुलिस ने उस के मायके वालों से पूछताछ की तो उन्होंने सीधेसीधे हत्या का आरोप बाबूलाल और रामजीलाल पर लगाया. उन का कहना था कि शादी के बाद से ही बापबेटे दोनों नीतू को दहेज के लिए मारतेपीटते रहते थे. लेकिन नीतू की हत्या जिस तरह हुई थी उस से साफ उजागर हो रहा था कि हत्या बलात्कार के बाद इसलिए की गई थी कि हत्यारा अपनी पहचान छिपा सके. वैसे भी आमतौर पर दहेज के लिए हत्याएं इस तरह नहीं की जातीं.

रामजी राठौर के बयानों से पुलिस वालों को कुछ खास हासिल नहीं हुआ, क्योंकि बातचीत करने पर ही समझ आ गया था कि यह मंदबुद्धि आदमी कुछ भी बोल रहा है. पत्नी की मौत का उस पर कोई खास असर नहीं हुआ था. अभयराज सिंह को वह कहीं से झूठ बोलता नहीं लगा. मंदबुद्धि लोगों को गुस्सा आ जाए तो वे हिंसक भी हो उठते हैं पर इतने योजनाबद्ध तरीके से हत्या करने की बुद्धि उन में होती तो वे मंदबुद्धि क्यों कहलाते.

बाबूलाल से पूछताछ की गई तो उस ने अपने खेत पर व्यस्त होने की बात कही. लेकिन हत्या का शक बेटे रामजी पर ही जताया. इशारों में उस ने पुलिस को बताया कि रामजी चूंकि पागल है इसलिए गुस्से में आ कर पत्नी की हत्या कर सकता है.

बाबूलाल ने अपनी बात में दम लाते हुए यह भी कहा कि मुमकिन है कि नीतू रामजी के साथ सोने से इनकार कर रही हो, इसलिए रामजी को उसे मारने की हद तक गुस्सा आ गया हो और इसी पागलपन में उस ने नीतू की हत्या कर डाली हो.

रेपिस्ट बाप ठहराया गुनहगार

17 जुलाई, 2023 को मुरादाबाद पोक्सो कोर्ट प्रथम की अदालत में कुछ ज्यादा ही गहमागहमी थी. उस दिन अब से 5 साल पहले गांव रतनपुर कलां निवासी रीना नाम की महिला ने थाना मझोला, मुरादाबाद में 19 जून, 2018 को अपने पति बलवीर उर्फ राजेश के खिलाफ उस की 11 साल की बेटी के साथ लगातार बलात्कार करने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

17 जून, 2023 को उक्त केस का फैसला विशेष न्यायाधीश (पोक्सो ऐक्ट) कोर्ट नंबर (1) डा. केशव गोयल की अदालत में इस बहुचर्चित केस का फैसला आना था. उस दिन अदालत खचाखच भरी हुई थी. अदालत परिसर में वकीलों, पुलिस वालों व मीडिया का जमावड़ा था. न्यायाधीश डा. केशव गोयल ने जैसे ही कोर्ट रूम में प्रवेश किया तो वहां उपस्थित लोगों, वकीलों, पुलिस वालों ने उन्हें खड़े हो कर सम्मान दिया. न्यायाधीश ने लोगों को बैठने का इशारा करते हुए कुरसी पर बैठते ही आदेश दिया कि अदालत की काररवाई शुरू की जाए.

न्यायाधीश का आदेश मिलते ही सरकारी वकील मनोज वर्मा व अभिषेक भटनागर ने दलील देते हुए एक स्वर में कहा, “मी लार्ड, हम अदालत में 6 गवाहों को प्रस्तुत कर चुके हैं, जिन के बयानों से साफ जाहिर है कि अदालत के कटघरे में खड़ा व्यक्ति बलवीर उर्फ राजेश ने ही अपनी सगी बेटी नीलम, जिस की उम्र घटना के समय 11 साल थी, के साथ बलात्कार किया व लगातार करता रहा. इस घिनौने कृत्य वाले व्यक्ति को कठोरतम सजा दी जाए. ऐसा व्यक्ति समाज में रहने लायक नहीं है, इस को कितनी भी बड़ी सजा दी जाए वह कम है.”

बचाव पक्ष के वकील शमशाद अहमद ने कहा, “मी लार्ड, मेरे मुवक्किल को झूठा फंसाया जा रहा है. मामला 2 करोड़ रुपए से संबंधित है. मेरे मुवक्किल ने अपना पुश्तैनी मकान व खेती की जमीन बेच कर 2 करोड़ रुपए अर्जित किए थे. पत्नी रीना उन्हें हड़पना चाहती थी. रीना को जब पैसा नहीं दिया गया तो उस ने झूठा केस करा दिया.”

वकील शमशाद अहमद ने अदालत को भरोसा दिलाते हुए कहा, “वह निर्दोष है व शादीशुदा है. उस के परिवार के पालनपोषण का पूरा दायित्व उस पर है. उसे कम से कम सजा दी जाए.”

इस का विरोध करते हुए सरकारी वकील मनोज वर्मा व अभिषेक भटनागर ने अदालत को बताया, “मी लार्ड, अभियुक्त बलवीर उर्फ राजेश की बड़ी बेटी नीलम का बयान ही अहम है, जिस ने अपने साथ हुई दङ्क्षरदगी के विषय में बयान दर्ज करवाया है कि उस के साथ क्या हुआ है.

“धारा 164 के तहत पीडि़ता के बयान, पीडि़ता की मां रीना का शपथ पत्र, मौखिक बयान थाना मझोला की कांस्टेबल नीतू चौधरी का मौखिक बयान शपथ पत्र, मुरादाबाद जिला चिकित्सालय की मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका (सीएमएस) डा. सुनीता द्वारा मौखिक बयान का शपथ पत्र, एएचएम इंटर कालेज रतनपुर के टीचर जावेद खान का बयान व शपथ पत्र कि पीडि़ता लडक़ी कक्षा- 6 तक स्कूल में पढ़ी थी, उस की जन्म तिथि 5 जनवरी, 2009 है.

“मी लार्ड, ये सारे सबूत आरोपी को सजा दिलाने के लिए अहम हैं. इसलिए आरोपी बलवीर उर्फ राजेश को कठोरतम सजा दी जाए.”

जज ने बलवीर को सुनाई सजा

वकीलों की बहस सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश डा. केशव गोयल ने कहा कि अदालत में पेश किए गए तमाम सबूतों, गवाहों के बयानों और दोनों पक्षों के वकीलों की जिरह के बाद अदालत आरोपी बलवीर उर्फ राजेश को दोषी ठहराती है.

उन्होंने भादंसं की धारा-6 पोक्सो ऐक्ट के तहत उसे 20 वर्ष कैद की सजा के अलावा 80 हजार रुपए का जुरमाना भी लगाया. उन्होंने कहा कि अर्थदंड अदा न किए जाने की स्थिति में मुजरिम को 1 माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा. धारा 376 (भादंसं) का आरोप उक्त दंडादेश में समाहित माना जाएगा.

भादंवि की धारा 323 में उसे 6 माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. अर्थदंड की 80 हजार की धनराशि में से 60 हजार रुपए पीडि़ता को दिए जाएंगे. सभी सजाएं साथसाथ चलेंगी. उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व में जिला कारागार में बिताई गई अवधि उपरोक्त दंड में समायोजित की जाएगी.

मुलजिम बलवीर उर्फ राजेश मूलत: उत्तर प्रदेश के जिला मुरादाबाद के थाना पाकबड़ा के अंतर्गत रतनपुर कलां कस्बे का निवासी है. उस का विवाह गांव हजरत नगर गढ़ी की रीना से हुआ था. शादी के बाद बलवीर उर्फ राजेश 4 बच्चों का पिता बना, जिन में 2 बेटियां तथा 2 बेटे हैं. बलवीर शुरू से ही आपराधिक प्रवृत्ति का था.

घटना से 5 साल पहले बलवीर की छोटी बेटी सीमा का जब जन्म हुआ था, तब रीना ने बलवीर की बुआ की बेटी कमलेश को घरेलू कामकाज के लिए बुला लिया था. बलवीर ने नाबालिग कमलेश के साथ बलात्कार किया, जिस कारण रतनपुर कलां कस्बे में रोष व्याप्त हो गया. समाज ने बलवीर का हुक्कापानी बंद कर दिया था.

शर्मिंदगी के कारण रीना अपनी छोटी बेटी को ले कर अपने मायके हजरत नगर गढ़ी आ गई थी. बलवीर को कस्बे के लोगों ने लानतें देनी शुरू कीं. बलवीर जब बदनाम होने लगा तो उस ने रतनपुर कलां कस्बे से अपना मकान व खेती की जमीन जिस का मूल्य करीब 2 करोड़ रुपए था, बेच कर 2 बेटों व बड़ी बेटी नीलम को ले कर मुरादाबाद के थाना मझोला के अंतर्गत कांशीराम कालोनी में आ कर रहने लगा था. उस समय नीलम की उम्र 11 साल थी.

बड़ी बेटी से किया रेप

एक दिन बलवीर खूब शराब पी कर घर आया था. उस ने अपनी बड़ी बेटी नीलम को अपनी हवस का शिकार बना डाला. नीलम के दोनों भाई छोटे नासमझ थे. पिता के डर की वजह से नीलम ने यह बात किसी को नहीं बताई. इस के बाद तो बलवीर नीलम के साथ रोजाना ही बलात्कार करता रहा. जब कभी नीलम ने विरोध करती तो वह उस के साथ मारपीट करता था. नीलम जब रोतीचिल्लाती कहती कि मुझे मेरी मां के पास ले चलो तो वह अकसर उस के साथ मारपीट करता था.

अब बलवीर को यह एहसास हो गया कि मामला अगर खुल गया तो क्या होगा. बेटी नीलम ने यदि मोहल्ले वालों को बता दिया तो उसे जेल जाना पड़ सकता है. बलवीर अपने 2 बेटोंव बेटी नीलम के अलावा सगी बुआ की बेटी कमलेश के साथ रहता था. कमलेश उस के साथ पत्नी की तरह रहती थी. उस के कुकर्मों का भेद न खुले, इस के लिए उस ने गजरौला जिला अमरोहा के पास कांकाठेर में एक मकान खरीद लिया और उस में जा कर शिफ्ट हो गया था. वहां पर भी वह अपनी बेटी नीलम को अपनी हवस का शिकार बनाता रहा.

पिता के दुष्कर्म से नीलम जब ज्यादा ही परेशान हो गई तो एक दिन वह अपने पिता से भिड़ गई. जोरजोर से चिल्लाने लगी तो बलवीर की कथित पत्नी कमलेश ने उसे खाने में चूहेमार दवा मिला कर खिला दी. इस के बाद उस की हालत बिगड़ गई तो उसे उल्टी दस्त होने लगे.

जहर उल्टी दस्तों में निकल गया. जब नीलम नौरमल हुई तो भेद खुलने के डर से बलवीर ने उस से कहा कि ठीक है, हम तुम्हें तुम्हारी मम्मी के पास ले चलेंगे. लेकिन तू इस बात का ध्यान रखना कि बलात्कार की बात अगर किसी को बताई तो मैं तेरे दोनों भाइयों की हत्या कर दूंगा.

नीलम ने वादा कर लिया कि वह किसी को नहीं बताएगी. फिर फरवरी 2018 में बलवीर अपनी बेटी नीलम को थाना पाकबड़ा के आगे गांव गुमसानी के पास छोड़ कर चला गया. गांव गुमसानी में नीलम की बुआ पनवेश्वरी का घर था, वह वहां पर चली गई थी. इस की सूचना पनवेश्वरी ने नीलम की मां रीना को दी. सूचना मिलते ही वह अपनी बेटी नीलम को ले कर अपने मायके हजरत नगर गढ़ी चली आई.

गांव में रीना का खर्च उस के भाई उठा रहे थे. बेटी नीलम ने मां को बताया कि पहले पापा बलवीर मुरादाबाद की कांशीराम नगर कालोनी में रहते थे, अब वह गजरौला के गांव कांकाठेर में रह रहे हैं.

रीना ने बेटी से कहा कि देखो, तुम लोग अब बड़े हो रहे हो. अब अपनी जरूरत का सामान जब बांधो और चलो, तुम्हारे पापा बलवीर के पास चलते हैं. वहीं पर हम सभी रहेंगे.

इतना सुनते ही नीलम फफकफफक कर रोने लगी और बोली, “मम्मी, मैं वहां पर अब कभी नहीं जाऊंगी.”

बेटी को इस तरह रोता देख मां रीना बोली, “बेटी, क्या बात है?”

तब नीलम ने रोते हुए बताया कि पापा उस के साथ गंदा काम करते हैं. रोजाना शराब पी कर आना व मेरे साथ रोजाना गंदा काम करना उन की आदत में शुमार था.

इतना सुनते ही रीना गश खा कर जमीन पर गिर गई और बेहोश हो गई. जब उसे होश आया तो उस ने सीने पर पत्थर रख कर बेटी नीलम से कहा, “मैं अब उसे कभी माफ नहीं करूंगी.”

रीना अपनी बेटी को ले कर मुरादाबाद मोहल्ला खुशहालपुर अपने रिश्तेदार करतार सिंह के पास पहुंची. करतार सिंह एक जानेमाने वकील थे. रीना और ऊषा ने सारी बातें उन्हें बताईं. बात सुन कर उन का भी सिर शर्म से झुक गया. उन्होंने एसएसपी के नाम रीना की तरफ से एक प्रार्थना पत्र दिया.

पत्र पढ़ कर तत्कालीन एसएसपी हेमराज मीणा भी स्तब्ध रह गए. बोले समाज में यह क्या हो रहा है इंसान भी अब जानवर बन चुका है. उन्होंने रीना के प्रार्थना पत्र पर लिखा कि तुरंत इन की रिपोर्ट दर्ज कर इस व्यक्ति को गिरफ्तार कर जेल की सलाखों में पहुंचाया जाए.

मशक्कत के बाद बलवीर चढ़ा पुलिस के हत्थे

उस समय थाना मझोला के एसएचओ विकास सक्सेना थे. उन्होंने तुरंत ही बलवीर के खिलाफ मुकदमा लिख कर पहले मुरादाबाद के कांशीराम कालोनी में दबिश दी. पता चला कि वह वहां से मकान खाली कर गजरौला के कांकाठेर में मकान खरीद कर रह रहा है. पुलिस ने कांकाठेर गांव में दबिश दी तो वह पहले ही मकान में ताला डाल कर कथित पत्नी कमलेश व दोनों बेटों के साथ फरार हो गया था.

कांकाठेर गांव में वह अपना नाम बदल कर रह रहा था. उस ने अपना नाम राजेश बता रखा था. पता चला कि बलवीर उर्फ राजेश ने कुछ समय पहले वैगनआर गाड़ी खरीदी थी. वह अपने परिवार के साथ उस गाड़ी से फरार हो गया था.

पुलिस ने उस का फोन नंबर सर्विलांस पर लगा रखा था. पुलिस को उस की लोकेशन राजस्थान में मिली थी. पुलिस ने राजस्थान में छापा मारा तो वहां से भी फरार हो चुका था. अब उस की लोकेशन पंजाब व हरियाणा की आ रही थी.

वकील करतार सिंह भी पुलिस के साथ उसे पकड़वाने में मदद कर रहे थे. पुलिस को गाड़ी की जरूरत थी, लेकिन रीना के पास इतना पैसा नहीं था कि वह कोई गाड़ी किराए पर ले कर पंजाब हरियाणा जा सके. तब एसएचओ विकास सक्सेना ने अपने पास से 5 हजार रुपए दिए, 5 हजार रुपए रीना के वकील करतार सिंह ने दिए. 10 हजार रुपए में इन्होंने टैक्सी स्टैंड से गाड़ी बुक कर पंजाब व हरियाणा की खाक छानते रहे.

बलवीर उर्फ राजेश अपनी लोकेशन लगातार बदल रहा था. पता चला कि वह पंजाब हरियाणा से भाग कर अमरोहा आ गया था. पुलिस ने उस की लोकेशन ट्रेस कर गजरौला जिला अमरोहा से उसे गिरफ्तार कर लिया था. पूछताछ करने पर उस ने आसानी से अपना अपराध स्वीकार कर लिया था. बेटी नीलम ने अदालत को अपनी आपबीती 164 के बयान में बताई. कोर्ट में यही बयान अहम माना गया.

20 जून, 2018 को जिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. सुनीता पांडेय ने पीडि़ता नीलम का मैडिकल परीक्षण किया. डा. सुनीता पांडेय ने अपने शपथ में कहा कि उस दिन थाना मझोला की कांस्टेबल वंदना, उस की मां रीना नीलम को ले कर अस्पताल आई थीं. पीडि़ता पूरे होशोहवास में थी.

पीडि़ता शादीशुदा नहीं थी, उस की माहवारी 10 दिन पहले हुई थी. पीडि़ता के सैक्स आर्गन्स पूरी तरह से विकसित थे. डा. सुनीता पांडेय द्वारा पीडि़ता की योनि के द्रव की स्लाइड बनाई गई थी. उस को पैथोलौजिस्ट के पास जीवित शुक्राणु के लिए भेजा था.

आयु के लिए रेडियोलौजिस्ट के पास एक्सरे के लिए रेफर किया. पीडि़ता के आंतरिक प्राइवेट पाट्र्स पर भी कोई चोट के निशान नहीं थे. हाइमन पुराना फटा जुड़ा हुआ था, यह रिपोर्ट डा. सुनीता पांडे के द्वारा तैयार की गई थी. साक्ष्य के रूप में अदालत ने इसे माना जो अभियुक्त को सजा सुनाने में अहम रहा.

इस मामले में सजा दिलवाने में कोर्ट के 2 कोर्ट मोहर्रिर महेश व पूनम का अहम रोल रहा. इन्होंने गवाहों की समय से कोर्ट में गवाही करवाई, जिस में अभियुक्त को 20 साल का कारावास हो सका.

सजा सुनाए जाने के बाद पुलिस ने मुजरिम बलवीर उर्फ राजेश को हिरासत में लेने के बाद मुरादाबाद की जिला जेल पहुंचा दिया.

—कथा में कमलेश व नीलम परिवर्तित नाम है.

प्रेमी के लिए सिंदूर मिटाया

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब पंद्रह किलोमीटर दूर सुखी सेवनिया थाने के टीआई वी.बी.एस. सेंगर थाना परिसर में ही मौजूद विश्राम कक्ष में आराम के लिए गए थे. वे नींद की आगोश में जाते उस से पहले थाने में एक बदहवास हालत में महिला आई. उस ने अपना नाम अनीता कुशवाह बताया. वह थाना क्षेत्र की एकता नगर कालोनी में रहती थी.

उस ने बताया कि वह महाशिवरात्रि पर्व मनाने के लिए रायसेन में स्थित अपने मायके गई थी. वहां से लौट कर आई तो घर पर पति बबलू कुशवाह नहीं मिला.

यह सुनकर टीआई भी विचलित हुए. क्योंकि वे बबलू कुशवाह को जानते थे. वह ग्राम सचिव था और अकसर कालोनी की समस्याओं या परेशानियों को ले कर थाने आताजाता था. उन्हें भी खटका और अनहोनी की आशंका को सोचते हुए बिना देरी उस की पत्नी अनीता कुशवाह की शिकायत पर 21 फरवरी, 2023 की दोपहर लगभग डेढ़ बजे गुमशुदगी दर्ज कर ली.

इस के अलावा लापता व्यक्ति के संबंध में तहरीर को ले कर की जाने वाली काररवाई शुरू कर दी गई. टीआई ने तुरंत ही इलाका भ्रमण में निकले एसआई टिंकू जाटव को फोन कर के एकता नगर में जा कर पड़ताल करने के आदेश दिए. वह अपने हमराह हवलदार रामेश्वर और मनोहर राय के साथ मौके पर पहुंच गए. वहां वे मामले की तफ्तीश करते तब तक पीछे से अनीता कुशवाह भी रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद घर आ चुकी थी.

सुराग ऐसा मिला कि पुलिस को परेशान करने वाली कडिय़ां जुड़ती चली गईं

अनीता कुशवाह से एसआई टिंकू यादव ने उस के पति बबलू कुशवाह के बारे में कुछ जानकारी लेनी चाही, जैसे उस के करीबी दोस्त, दुश्मन, उठनेबैठने वाले लोगों के नाम आदि. पत्नी ने बताया कि बबलू कुशवाह भोपाल शहर के कबाडख़ाने में रेलवे बर्थ के फरनीचर को बनाने का काम करता था. कई अन्य सवालों पर अनीता कुशवाह ने कोई ठोस मदद पुलिस को नहीं की.

इस के बाद पुलिस ने एकता नगर कालोनी की गलियों में ही पड़ताल का दायरा बढ़ाया. यह कालोनी भोपाल शहर से विस्थापित कर के बसाए गए परिवारों की थी. इस में एक घर उस के 2 छोटे भाइयों सोनू कुशवाह और मोनू कुशवाह का भी था. इस के अलावा एक अन्य गली में उस की मां कमला बाई का भी मकान था. सभी मकानों में एक विशेष बात यह थी कि केवल बबलू कुशवाह का मकान पूरी तरह से बना था, बाकी मकान अर्ध निर्मित थे.

पता चला कि नजदीक ही सेना का सामरिक महत्त्व वाला संस्थान है, जिस कारण एकता नगर में किसी भी मकान को पक्का बनाने की अनुमति नहीं दी जाती थी. बबलू कुशवाह पहले आ गया था, इस कारण ही उस का मकान ठीक तरह से बना था.

इन्हीं छोटीछोटी बातों के बीच पुलिस को पता चला कि बबलू कुशवाह की एकता नगर में रहने वाले असलम खान से नहीं बनती थी. पुलिस संदेह के आधार पर असलम खान को तलाशते हुए उस के पास पहुंची. वह मिल गया और पुलिस उसे पूछताछ के लिए तुरंत थाने ले आई.

लाश तक पहुंचने में पुलिस को आया पसीना

सुखी सेवनिया भोपाल देहात क्षेत्र में आने वाला थाना है. इस के बाद दूसरा जिला लग जाता है. कई गांव और बस्तियां दूरदूर बनी हैं. शुरुआती जांच और असलम खान को थाने में ले कर आतेआते रात हो चली थी. असलम खान पहले तो पुलिस के सामने नहीं टूटा. इसी बीच हवलदार मनोज राय ने मामले की जांच कर रहे एसआई टिंकू जाटव के कान में आ कर एक चौंका देने वाली जानकारी दी.

उस ने बताया कि असलम खान के लापता हुए बबलू कुशवाह की पत्नी अनीता के साथ अवैध संबंध हैं. इन्हीं कारणों से एक साल पहले दोनों के बीच जम कर विवाद भी हुआ था. यह बात हवलदार मनोज राय को बबलू कुशवाह के आसपास रहने वाले लोगों से पता चली थी. यह पता चलते ही टिंकू जाटव सख्त हुए और मनोवैज्ञानिक तरीके से असलम खान से पूछताछ की तो उस ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया.

उस ने स्वीकार कर लिया कि बबलू कुशवाह की उस ने हत्या कर दी है. उस की लाश पुलपातरा नाले के पास छिपा दी है. हत्या की बात सुनते ही पूरे थाने में हडक़ंप मच गया. टीआई ने यह जानकारी एसडीओपी मंजु चौहान और एसपी (देहात) किरणलता केरकेट्टा को भी दी. मामला संवेदनशील भी था, क्योंकि मारने वाला दूसरे धर्म का असलम खान था. मामला सांप्रदायिक रंग न ले, उस से पहले ही पुलिस असलम खान को ले कर उस जगह पर पहुंची, जहां उस ने लाश को ठिकाने लगाया था.

लाश पुलपातरा नाले के पास सफेद पौलीथिन में लिपटी हुई थी. उस पर हरी घास कुछ इस तरह से बिछा दी थी ताकि शक न हो. घटनास्थल के नजदीक से काफी बदबू भी आ रही थी.

लाश बरामद होने के बाद पुलिस ने मौके पर बबलू कुशवाह के छोटे भाई सोनू कुशवाह को भी बुला लिया था. उस ने उस लाश की शिनाख्त अपने भाई बबलू कुशवाह के रूप में की. उस समय रात काफी हो चली थी इसलिए सुबह होते ही पुलिस ने फोरैंसिक टीम बुला ली थी.

पत्नी ने मिटाए थे घर में फैले सबूत

बबलू कुशवाह की लाश मिलने की खबर स्थानीय लोगों के अलावा मीडिया वालों को मिल चुकी थी. डा. सुनील गुप्ता की अगुवाई में फोरैंसिक टीम सबूत जुटाने में लगी थी. मृतक के सिर पर चोट, गले में धारदार हथियार के जख्म पाए गए. इस बारे में टीआई ने असलम खान से पूछा कि उस ने हत्या कहां की थी तो असलम ने कहा कि उस के ही घर पर.

इस के बाद एफएसएल की टीम सबूत जुटाने के लिए बबलू कुशवाह के घर पर गई. यहां फोरैंसिक टीम ने सबूत जुटाने का प्रयास किया तो वह हैरान हो गई. एफएसएल अधिकारियों को भी अहसास हो गया था कि यह सामान्य हत्याकांड नहीं है. क्योंकि जहां केमिकल डाल कर सबूत जुटाने का प्रयास किया जाता वहां भारी मात्रा में फिनायल से पोछा लगा मिलना पाया जाता. यह पोछा भी कुछ दिन पहले कई बार लगाया गया था.

हालांकि घर में ही रखी सिलाई मशीन पर खून के छींटे मिले. इस के अलावा दीवार पर खून के नमूने मिले. अब पुलिस का यहां से एक बार फिर माथा ठनका और यकीन हो गया कि असलम खान ने अब तक पूरी कहानी नहीं बताई है. उसे थाने ले जा कर पुलिस ने सख्ती बरती. वह बोला तो पुलिस के पैरों तले से जमीन खिसकती चली गई.

उस ने बताया कि कत्ल में एकदो नहीं बल्कि कई लोग शामिल थे. असलम खान ने रहस्य उजागर करते हुए बताया कि हत्याकांड को बबलू कुशवाह की पत्नी अनीता कुशवाह के इशारों पर अंजाम दिया गया. दिन, तारीख और समय का चुनाव भी उस ने ही तय कर के दिया था.

नाबालिग चाकू नहीं मार सका तो छीन कर असलम ने गले में घोंपा

असलम खान ने बताया कि अनीता कुशवाह के साथ उस का प्रेम प्रसंग पिछले 2 साल से था. यह बात बबलू कुशवाह को पता चल गई थी. लेकिन एकता नगर में उस की राजनीतिक पहुंच थी. उस ने एक साल पहले ही पत्नी को उस से मोबाइल पर बातचीत करते हुए रंगेहाथों पकड़ लिया था. जिस के बाद उस ने कहा था कि वह उस की 3 बेटियों को छोड़ कर असलम खान के साथ रहने चली जाए.

पति को यह बात पता चलने के बाद घर में अकसर छोटीछोटी बातों में कलह हुआ करती थी. जिस की जानकारी अनीता कुशवाह असलम को भी देती थी क्योंकि वह उस से बेहद प्यार करती थी और पति की रोज की कलह से निजात चाहती थी.

फिर उस ने पति की हत्या की योजना बनाई कि वह महाशिवरात्रि वाले दिन मायके रायसेन में पूजा का बहाना बना कर चली जाएगी. वह अपने साथ तीनों बेटियों को भी ले जाएगी. लेकिन जाने से पहले वह घर के पिछले दरवाजे का गेट खोल देगी. अनीता कुशवाह ने ही पति के घर आने का समय भी बता दिया था.

जिस के बाद असलम खान अपने साथ 14 साल के एक नाबालिग को ले कर गया. वह नाबालिग भी बबलू कुशवाह से रंजिश रखता था. दरअसल, एक बार उस का बबलू के बच्चों के साथ विवाद हो गया था. उस वक्त बबलू कुशवाह ने उस को चांटा मार दिया था. इसलिए वह भी उस को चाकू का एक वार अंधेरे में मारना चाहता था.

असलम खान ने पूछताछ में बताया कि बबलू कुशवाह जैसे ही घर में घुसा तो उस ने लोहे की रौड से जोरदार प्रहार किया. अचानक हुए हमले से वह शोर मचाने या विरोध करने की सोच ही नहीं सका. तभी उस को पेट पर कुछ चुभने जैसा अहसास हुआ. सामने वह नाबालिग था, जिस को उस ने तमाचा मारा था.

असलम खान ने देखा कि बबलू नाबालिग को देख चुका है. इस के बाद उस ने यह बोल कर उस से चाकू छीन लिया कि ऐसे नहीं मारते. फिर उस ने उस से चाकू ले कर चाकू का जोरदार प्रहार बबलू कुशवाह की गरदन पर कर दिया. इस के बाद एकएक कर के कई वार उस पर किए. खून के फव्वारे फूटते ही बबलू कुशवाह मौके पर ढेर हो गया.

नईम खान ने निभाई असलम से दोस्ती

बबलू कुशवाह की हत्या करने के बाद असलम खान ने इस की जानकारी रायसेन जिले में बैठी अनीता कुशवाह को फोन पर दी. प्रेमी द्वारा पति की हत्या कराने पर अनीता बहुत खुश हुई. इस के बाद असलम एकता नगर में ही रहने वाले दोस्त नईम खान के पास पहुंचा. दोनों अकसर साथ बैठ कर शराब पीते थे. वह भी अनीता कुशवाह के संबंधों की जानकारी रखता था.

असलम खान ने बताया कि उस ने बबलू कुशवाह को मार दिया है. लाश को ठिकाने लगाना है, जिस के लिए वह मदद चाहता है. नईम खान कबाड़े का काम करता था. जिस कारण वह घर पर कबाड़ा एक जगह रखने के लिए भक्कू जो प्लास्टिक का बड़ा बोरा होता है उस को दिया.

इस के बाद नईम खान की बाइक से असलम खान दोबारा पिछले दरवाजे के रास्ते बबलू के घर में घुसा. लाश को प्लास्टिक के बोरे में भरने के बाद पुलपातरा नाले पर ले गया. यहां वह अकसर मछलियां पकडऩे आता था. इस जगह पर कोई आताजाता नहीं है, यह उसे पता था.

नाले में लाश फेंकने के बाद असलम खान ने उस को हरी घास से ढंक दिया. ताकि किसी व्यक्ति को वहां कुछ पड़े होने का अहसास न हो. फिर दोनों घर आ कर चैन की नींद यह सोच कर सो गए कि अब उस की प्रेमिका और उस के बीच दीवार बनने वाला पति नहीं आएगा.

सबूत मिटाने के बाद गुमशुदगी दर्ज कराने पहुंची पत्नी

जिस दिन बबलू कुशवाह की हत्या हुई उस दिन महाशिवरात्रि थी. इस कारण जगहजगह शिव बारात निकल रही थी. जिस में प्रसाद के रूप में कई जगह भांग का वितरण किया जाता है. इसी कारण लोगों को ज्यादा हलचल होने पर भी आभास नहीं होगा, यह सोच कर अनीता कुशवाह ने योजना बनाई थी.

अनीता की शादी नाबालिग अवस्था में हुई थी. वह कभी भी मायके नहीं जाती थी. लेकिन योजना के तहत उस दिन उसे मायके जाना पड़ा था. लाश को ठिकाने लगाने के बाद अनीता कुशवाह को फिर फोन पहुंचा था. इस बार असलम खान ने उस को योजना बताई. उस ने कहा कि घर जा कर वह सबूत मिटाए और एक दिन बाद थाने पहुंच कर पति की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराए.

अनीता कुशवाह ने पूरे घर को अच्छी तरह से फिनायल से साफ किया. हालांकि वह सारे सबूत नहीं मिटा सकी और सीखचों के पीछे जा पहुंची. पुलिस ने बबलू कुशवाह मर्डर केस के आरोपियों असलम खान, नईम खान और अनीता कुशवाह को गिरफ्तार कर लिया. असलम खान और नाबालिग के खिलाफ हत्या, नईम खान के खिलाफ सबूत मिटाने में सहयोग और अनीता कुशवाह के खिलाफ साजिश रचने का मामला 22 फरवरी, 2023 को दर्ज कर लिया.

पूरी परतें खंगालने के बाद 23 फरवरी को आरोपियों को अदालत में पेश किया गया. जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया, जबकि नाबालिग को बाल न्यायालय में पेश कर बाल सुधार गृह भेजा गया.

बबलू कुशवाह की 3 बेटियां थीं, जिस में बड़ी बेटी 14 तो दूसरी 12 और तीसरी 9 साल की थी. उन्हें बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया गया. क्योंकि पिता की हत्या के आरोप में मां जेल चली गई थी. अब उन की परवरिश कौन करेगा, यह बाल कल्याण समिति तय करेगी.

17 साल बाद खुला मर्डर मिस्ट्री का राज

खुशी के माहौल में 4 हत्याएं

बात 3 अप्रैल, 2023 की है. राजस्थान के नागौर जिले के दिलढाणी गांव के रहने वाले मनाराम गुर्जर के घर में खुशी का माहौल था. उस की 20 वर्षीय छोटी बेटी रेखा का अगले दिन 4 अप्रैल को गौना या कहें दुरगमन होना था.

यह बात तय थी कि अगले रोज सुबह में ही उस का पति उसे विदा करवाने कुछ लोगों के साथ आएगा. दुरागमन की रस्म दिन में ही पूरी कर ली जाएगी. फिर दोपहर के भोजन के बाद रेखा अपने पति के साथ विदा हो जाएगी. रेखा की मां केसर बहुत खुश थी कि उस की छोटी बेटी भी बड़ी बेटी मीरा की तरह अपनी ससुराल में जा कर बस जाएगी.

इस मौके पर बड़ी बहन मीरा भी अपने परिवार के साथ आई हुई थी. उस का पति और 7 साल का बेटा प्रिंस भी आया हुआ था. रात का खाना खाने के बाद मीरा छोटी बहन रेखा के हाथों पर मेहंदी लगा रही थी. पास में बैठा प्रिंस उबासी लेने लगा था.

“नींद आ रही है तो जा कर सो जाओ,” मीरा बेटे से बोली.

“कहां सोऊं?” प्रिंस ने पूछा.

“नानी के कमरे में चले जाओ, हम लोग भी वहीं आ रहे हैं.” मीरा अपनी मां के कमरे की ओर इशारा कर बोली.

“वहां नाना भी होंगे?” प्रिंस पूछा.

“नहीं, अगर होंगे भी तो तुम्हें क्या? तुम को नानी के साथ बिछावन पर सोना है.” मीरा बोली.

“नाना से डर लगता है,” प्रिंस बोला.

“चलो, अब जाओ यहां से, बड़ा डर लगता है, वह भी नाना से.” मीरा डांटने के अंदाज में बोली.

तभी उस के पिता की आवाज आई, “मैं मार दूंगा…सब को मार दूंगा…कोई मत अइयो मेरे पास…अरे! मैं कब से पानी मांग रहा हूं. कहां मर गए सब के सब.” यह आवाज घर के मुखिया 57 वर्षीय मनाराम गुर्जर की थी.

“आ रही हूं…आ रही हूं, जरा भी सब्र नहीं है. घर में कामकाज बढ़ा हुआ है. जानते हुए भी बातबात पर चिल्लाते रहते हो,”

केसर अपने कमरे से बोलती हुई निकली और सीधी रसोई में घुस गई. मीरा उसे हैरानी से देखने लगी.

“दीदी, तू मेहंदी लगा न. यह तो पापा का रोज का ड्रामा है.” रेखा बहन का हाथ पकड़ती हुई बोली.

“रेखा, मुझे लगता है पापा की तबीयत पहले से ज्यादा खराब हो गई है, दवाइयां तो चल रही हैं न. डाक्टर क्या बोलते हैं?” मीरा चिंता से बोली.

“डाक्टर क्या बोलेंगे दीदी, उन की बीमारी तो ठीक होने से रही. लेकिन हां, गुस्सा पहले से अधिक करने लगे हैं. वह तो मैं बचपन से देख रही हूं. तुम्हें भी तो पता है, उन का गुस्सा मुझ पर ही ज्यादा उतरता है. मैं जानती हूं, वह मुझे ले कर ही गुस्सा हो रहे होंगे. हमेशा अपनी आंखों के सामने देखना चाहते हैं.” रेखा रुकरुक कर बोलने लगी.

“हम लोग कर भी क्या सकते हैं, बीमारी ही ऐसी है. लाओ, दूसरा हाथ दो, उस में भी मेहंदी लगा दूं.” इधर मीरा सांसें खींचती हुई बोली, उधर मनाराम के कमरे से जमीन पर गिलास फेंके जाने की आवाज आई, “चल भाग हरामजादी, तै काहे पानी लाइयो. रेखा मर गई सै…जा भेज ओहके…म्हारे को तैरे हाथ का पाणी न पीनो सै.”

मनोरोगी हो गया मनाराम

रेखा और मीरा ने भी पिता की गुस्से से भरी आवाज सुनी. मनाराम गुर्जर के परिवार में पत्नी केसर के अलावा 3 बेटे गोपाल, हजारी, भगवान राम और 3 बेटियां देवी, मीरा और रेखा थी. परिवार का पालनपोषण खेतीबाड़ी, पशुपालन और मजदूरी करता था.

जैसेतैसे उस के परिवार का गुजारा चल रहा था. एक दशक पहले तक जैसेतैसे गुजारा हो रहा था. मनाराम हाड़तोड़ मेहनत करने से कभी पीछे नहीं हटता था. मजदूरी करने के लिए वह पत्थरों के खदानों में भी चला जाता था. मजदूरी के काम के दौरान पत्थरों की ढुलाई करते हुए उस के साथ हुई एक दुर्घटना से उस की जिंदगी ही बदल गई.

दरअसल, वह एक बड़े पत्थर पर ही सिर के बल गिर पड़ा था. सिर में गहरी चोट लगने से वह बेहोश हो गया था. जब उसे अस्पताल में होश आया तो डाक्टर ने पाया कि वह काफी बेचैन हो चुका है. वह अजीबोगरीब हरकतें करने लगा था. डाक्टर ने उस के घर वालों को बताया कि मनाराम की मानसिक स्थिति बिगड़ चुकी है. उस की अच्छी तरह से देखभाल करनी होगी, फिर उस का इलाज मनोचिकित्सक के यहां शुरू हो गया.

उसे रेग्युलर खाने को कुछ दवाइयां दे दी गईं और वह परिवार के लिए एक रोगी बन गया. परिवार के सदस्यों का मनाराम के प्रति व्यवहार प्रेम के साथ देखभाल का बना रहा, लेकिन उस की स्थिति पागलों जैसी बन गई. बातबात पर नाराज हो जाना, गुस्से में आ जाना, अकेले में बैठेबैठे बुदबुदाने लगना, संदेह करना, बातबात पर पास रखा सामान फेंक देना आदि.

उस की इन हरकतों के बावजूद घर वालों का उस के प्रति हमदर्दी और प्रेमभाव बना रहता था. वह बेटियों के प्रति थोड़ा नर्म रहता था, लेकिन जब उन से नाराज होता था तो गर्म चाय की प्याली भी उन पर फेंकने से नहीं चूकता था.

समय गुजरने के साथसाथ बड़ी बेटियों देवी और मीरा की शादी हो गई. रेखा सब से छोटी थी. उस का अपने पिता के प्रति लगाव कुछ अधिक ही बना हुआ था. मनाराम एक किस्म का सनकी बन चुका था. हर छोटीछोटी बात पर घर वालों को मारने की धमकी देता था. जब भी गुस्से में आता तो सीधे जान से मार डालने की धमकी देता था. कई बार तो गांव वालों के सामने भी परिवार को कह चुका था कि एक दिन सभी को मार डालेगा. लोग उस की बात पर ध्यान नहीं देते थे.

कुल्हाड़ी से काटा अपनों को

4 अप्रैल, 2023 को रेखा ससुराल जाने वाली थी. उस की शादी बड़ू में हुई थी. मनाराम की बड़ी बेटी मीरा (26 साल) भी अपने 7 साल के बेटे प्रिंस के साथ पीहर आई हुई थी. छोटी बेटी के ससुराल भेजने को लेकर घर में तैयारियां चल रही थीं.

3 अप्रैल की देर रात तक बहनें हंसीमजाक कर रही थीं. घर के अधिकतर सदस्य सो गए थे. केसर भी उसी कमरे में सो गई थी. पास में ही प्रिंस भी सो गया था. रेखा अपनी मेहंदी का थोड़ा सूखने का इंतजार कर रही थी. हालांकि उस की आंखों में नींद भर आई थी और मीरा भी जम्हाई लेने लगी थी.

वे दोनों भी कब सो गए, उन्हें नहीं पता चला. रात के 2 बज गए थे. अचानक घर में चीखपुकार मच गई. गांव वाले भी चीखने की आवाजें सुन कर मनाराम के घर की ओर दौड़ पड़े. घर से आ रही रोनेधोने और चीखने की आवाजों के अलावा ‘मैं मार दूंगा…सब को मार दूंगा’ की आवाज भी शामिल थी. गांव वाले कुछ समझ पाते, इस से पहले ही उन्होंने मनाराम को कुल्हाड़ी ले कर घर से निकलते देखा.

वह बाहर आया और वहीं लडख़ड़ाता हुआ धड़ाम से गिर पड़ा. उस के हाथ की कुल्हाड़ी छिटक कर दूर गिर गई. उस पर खून लगा हुआ था. जमीन पर गिरा हुआ मनाराम अब भी बड़बड़ा रहा था, ‘मार डालूंगा…सब को मार डालूंगा…मुझे भी मार दो!’

लोगों को समझते देर नहीं लगी कि मनाराम ने घर में जरूर किसी पर कुल्हाड़ी से हमला किया है. कुछ लोग घर के भीतर दाखिल हुए.

जो कहता था वही कर बैठा मनाराम

घर में एक कमरे का दृश्य भयावह बना हुआ था. मनाराम की दोनों बेटियां रेखा (20 वर्ष) और मीरा (26 वर्ष) खून से लथपथ थीं. उस की मां केसर (57 साल) भी दूसरे बैड पर मरी पड़ी थी. पास में मासूम प्रिंस (7 साल) भी खून से लथपथ हो चुका था. उस ने सभी को कुल्हाड़ी से काटा था. लग रहा था कि शायद सभी की मौत हो चुकी है.

घर में खून ही खून बिखरा था. सूचना पर थाना परवतसर पुलिस भी पहुंची, घटनास्थल का मुआयना किया. पुलिस आरोपी मनाराम से हत्या के कारणों का पता लगाने की कोशिश में जुट गई.

सनकी बाप मनाराम ने वही किया, जो हमेशा बकता रहता था. उस ने अपने घर के ही 4 सदस्यों को कुल्हाड़ी से मौत के घाट उतार दिया था. घर में लोग मृतकों की स्थिति का पता लगाने में लगे थे, उधर मनाराम मौका देख कर घटनास्थल से फरार हो गया. तब तक सुबह हो चुकी थी. पुलिस टीम मनाराम की तलाश में फिर से जुट गई. साथ ही रक्तरंजित चारों लाशों को अस्पताल भेजा गया. वहां डाक्टर ने सभी को मृत घोषित कर दिया.

शाम होतेहोते हैवान बाप मनाराम को पुलिस ने पहाडिय़ों के पीछे से गिरफ्तार कर लिया. थाने में भी वह ‘मार डालूंगा’ की ही रट लगाए हुए था. थाने में आए परिवार वालों ने पुलिस को मनाराम की मानसिक स्थिति के बारे बताया. परिजनों ने बताया कि वह बीते 10 साल से मानसिक बीमार है. पुलिस जांच में यह पता लगाना मुश्किल था. सभी यही अनुमान लगा रहे थे कि मनाराम ने सनकपन में वहां मौजूद सभी को कुल्हाड़ी से काट डाला.

पुलिस ने 6 अप्रैल, 2023 को आरोपी मनाराम गुर्जर का मैडिकल परीक्षण कराने के बाद नागौर की एसडीजेएम कोर्ट में पेश जहां से उसे जेल भेज दिया गया.