प्रिंस और सोनिया की जुगलबंदी
दरअसल प्रिंस और सोनिया अब एकदूसरे को पसंद करने लगे थे लेकिन सोनिया समझ गई थी कि उसे इतनी कमाई नहीं होती कि वह उस के खर्चे लंबे समय तक उठा सके. लेकिन सोनिया के दिल्ली में मातापिता के पास रहने के दौरान भी प्रिंस अकसर सोनिया से मिलने के लिए दिल्ली आता जाता रहता था. सोनिया ने अपने मातापिता को बताया कि वे जल्द ही शादी करने वाले हैं.
कुछ समय बाद ही प्रिंस को उस के घर आतेजाते ये बात पता चल चुकी थी कि दोनों भाई परिवार से अलग हैं और छोटी बेटी हरजिंदर कौर के सोनिया के पति से संबंध हो जाने के बाद उस के मातापिता के पास केवल सोनिया ही थी, जो उस मकान की हकदार थी. उस 100 वर्गगज के मकान की कीमत लगभग 70-80 लाख रुपए थी. इसलिए प्रिंस ने सोनिया के दिमाग में यह बात डाल दी कि अगर वह अपने मातापिता से इस मकान को अपने नाम करा ले तो वे दोनों शादी कर के दिल्ली में इवेंट मैनेजमेंट कंपनी खोल कर आगे की जिंदगी चैन से बसर कर सकते हैं.
सोनिया को भी उस की बात पसंद आई. सोनिया ने अपने मातापिता से घर को उस के नाम पर करने के लिए कहा तो पिता बुरी तरह भड़क गए. कहने लगे क्या हुआ जो मेरे दूसरे बच्चे मेरे साथ नहीं रहते. अरे ये मेरी मेहनत की कमाई से बनाई गई प्रौपर्टी है, इस पर उन सब का भी बराबर का अधिकार है. जब तक मैं जिंदा हूं, इस पर किसी एक का अधिकार नहीं हो सकता.
कई बार बात करने के बाद भी गुरमीत सिंह और जागीर कौर मकान को सोनिया के नाम ट्रांसफर करने के लिए राजी नहीं हुए. अपने सपने में मातापिता को बाधक बनता देख कर सोनिया के दिमाग में उन के लिए खुराफाती खयाल आने लगे.
जब उस ने देख लिया कि पिता प्रौपर्टी उस के नाम नहीं करेंगे तो उस ने सब से पहले पिता के संदूक से उस प्रौपर्टी के पेपर चुरा लिए. बाद में उस ने प्रिंस की मदद से उन दस्तावेजों को जालसाजी कर के अपने नाम करवा लिया. फिर उन दोनों ने तिलकनगर के प्रौपर्टी डीलर बिट्टू से इस प्रौपर्टी को बिकवाने के लिए बात की तो उस ने जल्द ही एक तय रकम में इस प्रौपर्टी को बिकवाने का वादा किया.
इस दौरान प्रिंस के बहकावे में आ कर उस ने तय कर लिया कि अगर उन्हें मातापिता की संपत्ति हथियानी है तो उन की हत्या करनी पड़ेगी. बस यह खयाल आते ही उन्होंने इस की प्लानिंग शुरू कर दी. संयोग से मौका भी जल्द ही मिल गया. अपने पिता की मौत हो जाने के कारण 10 फरवरी, 2019 को जागीर कौर पंजाब के जालंधर स्थित अपने मायके चली गई थीं. पिता गुरमीत सिंह के घर में अकेले होते ही सोनिया ने प्रिंस से बात की और कहा कि पापा घर में अकेले हैं. मौका अच्छा है, तुम जल्दी दिल्ली आ जाओ.
प्रिंस समझ गया कि अकेले यह काम उस के वश का नहीं है. लिहाजा उस ने लखनऊ के गोमती नगर एक्सटेंशन में रहने वाले 2 परिचितों रिंकू और दिवाकर से बात की. दोनों लूट, चोरी व डकैती करते थे. प्रिंस ने दोनों को 50 हजार रुपए दिए और साथ देने के लिए राजी कर लिया. जिस के बाद प्रिंस 21 फरवरी को रिंकू व दिवाकर के साथ दिल्ली में सोनिया के घर पहुंच गया.
पहले पिता को लगाया ठिकाने
उस के घर पहुंचने से पहले ही सोनिया ने रात को अपने पिता को दी गई चाय में नींद की गोलियां पिला कर बेसुध कर दिया. फिर प्रिंस ने उन दोनों के साथ मिल कर गुरमीत की गला घोंट कर हत्या कर दी. हत्या करने के बाद उस ने उन की लाश घर में रखे एक लाल रंग के सूटकेस में भरी और गुरमीत सिंह की मोटरसाइकिल पर प्रिंस व रिंकू सूटकेस रख कर सैयद नांगलोई नाले में फेंक आए.
सोनिया के लिए अच्छी बात यह थी कि पिता की खैरखबर लेने वाला कोई नहीं था. कई दिन ऐसे ही गुजर गए. इसी बीच जागीर कौर ने सोनिया को फोन कर के बताया कि वह 2 मार्च को दिल्ली लौटेगी.
यह सूचना सोनिया ने अपने प्रेमी प्रिंस को दे दी. जागीर कौर 2 मार्च की रात को दिल्ली लौट आईं. जागीर कौर ने घर आते ही सोनिया से अपने पति गुरमीत सिंह के बारे में पूछा, तो सोनिया ने जवाब दिया कि उन की तबीयत खराब है और वह अस्पताल में भरती हैं.
जागीर कौर ने पूछा कि ऐसा उन्हें क्या हुआ जो अस्पताल में भरती करना पड़ा.
‘‘मम्मी, अचानक उन्हें हार्ट अटैक हुआ था. मैं ने आप को फोन कर के इसलिए खबर नहीं दी कि आप और परेशान हो जाएंगी क्योंकि नानाजी की मौत पर आप पहले से दुखी थीं.’’ सोनिया ने बताया.
‘‘कल मैं अस्पताल चलूंगी.’’ जागीर कौर बोलीं.
‘‘ठीक है मम्मी, कल मैं आप को पापा के पास ले कर चलूंगी.’’ सोनिया ने मां से कहा. इस के बाद सोने से पहले सोनिया ने उन्हें पीने के लिए चाय दी और उस में उसी तरह नशे की गोलियां मिला दीं जैसे पिता को बेसुध करने के लिए चाय में मिलाई थीं.
चाय पीते ही जागीर कौर पर मूर्छा छा गई और वह गहरी नींद सो गईं. 2 मार्च को प्रिंस रिंकू के साथ लखनऊ से दिल्ली आ चुका था. सोनिया द्वारा फोन करने पर प्रिंस रिंकू को ले कर सोनिया के घर पहुंच गया. वहां पहुंच कर प्रिंस और रिंकू ने उसी तरह गला दबा कर जागीर कौर को भी मार दिया जैसे गुरमीत सिंह को मारा था. उन के शव को ये लोग उस दिन घर में ही रखे रहे.
अगले दिन शाम को प्रिंस व रिंकू नांगलोई के बाजार से एक रैक्सीन का बड़ा ब्रीफकेस खरीद लाए और शाम को जागीर कौर का शव उस में भर कर उसी बाइक पर रखा और सैयद नांगलोई नाले तक ले गए. उन्होंने उसी जगह पर जागीर कौर के शव से भरे सूटकेस को भी फेंक दिया, जहां गुरमीत सिंह के शव को फेंका था. बाद में उन्होंने गुरमीत सिंह की मोटरसाइकिल पश्चिम विहार के एक मौल की पार्किंग में खड़ी कर दी. प्रिंस दीक्षित अगली सुबह रिंकू के साथ लखनऊ चला गया.
4 मार्च, 2019 की सुबह गुरमीत की छोटी बेटी ने जब अपनी मां को फोन किया तो उन का फोन बंद मिला. क्योंकि उसे पता था कि मां 2 मार्च की रात को दिल्ली वापस लौटी होंगी, इसलिए वह उन की कुशलता का समाचार लेना चाहती थी.
जब मां का फोन बंद मिला तो हरजिंदर कौर ने सोनिया को फोन कर के मां से बात कराने को कहा. तब सोनिया ने बताया कि मां अभी दिल्ली नहीं पहुंची हैं. यह सुन कर हरजिंदर परेशान हो उठी.
कई दिनों से उस के पिता का फोन भी बंद आ रहा था. हरजिंदर को लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है. लिहाजा उस से रुका नहीं गया और वह 4 मार्च की दोपहर को पिता के घर निलोठी एक्सटेंशन पहुंच गई. वहां मां और पिता दोनों ही नहीं थे. पूछने पर सोनिया भी कोई सही जवाब नहीं दे सकी कि वे कहां हैं.
जालंधर में ननिहाल फोन करने पर यह बात साफ हो चुकी थी कि मां तो 2 मार्च की सुबह ही वहां से दिल्ली के लिए चली गई थीं. हरजिंदर समझ गई कि कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है. क्योंकि उसे यह भी पता था कि सोनिया मम्मीपापा पर पिछले कुछ महीनों से मकान को अपने नाम पर कराने का दबाव बना रही थी. लिहाजा उस ने 4 मार्च को ही निहाल विहार थाने में अपने मातापिता की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करा दी.
हालांकि हरजिंदर कौर ने गुमशुदगी दर्ज कराते समय निहाल विहार थाने की पुलिस से साफ कहा था कि उस के मातापिता की गुम होने के पीछे उस की बहन सोनिया व उस के प्रेमी प्रिंस दीक्षित का हाथ हो सकता है. लेकिन पुलिस ने हरजिंदर की शिकायत पर गंभीरता से न तो जांच की और न ही कोई काररवाई की.
इस दौरान जब मातापिता दोनों की हत्या हो गई तो सोनिया व प्रिंस तिलक नगर के प्रौपर्टी डीलर बिटटू पर मकान को जल्द बिकवाने का दबाव बनाने लगे. वे दोनों हत्या के बाद प्रौपर्टी बेच कर कहीं दूर भागने की फिराक में थे.
जब पुलिस ने नांगलाई के नाले से पहले जागीर कौर फिर उन के पति गुरमीत सिंह के शव बरामद कर जांचपड़ताल शुरू की और सोनिया व प्रिंस फरार मिले तो उन के मोबाइल फोन को सर्विलांस पर लगाया गया.
पुलिस ने इसी आधार पर बिट्टू को थाने ला कर पूछताछ की और पता किया कि वे दोनों उस से किस लिए बातचीत कर रहे थे. तभी पता चला कि दोनों उस से पिता के मकान को बेचने के लिए लगातार बात कर रहे थे. उसी दौरान पुलिस ने सोनिया व प्रिंस को पकड़ने के लिए एक चाल चली.
उस ने सोनिया और प्रिंस को एक साथ एक ही जगह बुलवाने के लिए प्रौपर्टी डीलर बिट्टू से दोनों को फोन करवाया कि प्रौपर्टी को खरीदने का एक ग्राहक मिल गया है, जो उन से मिल कर एक साथ सारी रकम दे कर डील करने में रुचि रखता है.
बस इसी के बाद सोनिया व प्रिंस ने आपस में फोन पर बात की. प्रिंस उस वक्त लखनऊ में था और सोनिया दिल्ली में ही कहीं छिपी थी. दोनों ने बिट्टू को खरीदार के साथ नांगलोई के दिलेर मेहंदी फार्म के पास मिलने का वक्त दे दिया. लखनऊ से दिल्ली आ कर प्रिंस 10 मार्च की रात जैसे ही फार्महाउस के पास पहुंचा तो वहां प्रौपर्टी के खरीदार के रूप में पुलिस पहुंच गई और दोनों को गिरफ्तार कर लिया.
सोनिया के हाथ में मातापिता की प्रौपर्टी तो नहीं आई, लेकिन वह जेल की सलाखों के पीछे जरूर पहुंच गई और उस ने अपना नाम एक ऐसी बेटी के रूप में दर्ज करवा लिया, जिस ने संपत्ति की खातिर अपने ही जन्मदाताओं को मौत के घाट उतार दिया.
—कथा पुलिस की जांच व आरोपियों से हुई पूछताछ पर आधारित


