2 आशिको की एक ही आशा – भाग 2

पुलिस की अब तक की जांच में यह पता चल गया था कि मृतक की पत्नी आशा का विकास और दीपक नाम के युवकों के साथ चक्कर चल रहा है. प्रेम त्रिकोण की इस खबर की पुलिस को अब चश्मदीद की बात से पुष्टि हो चुकी थी.

इस के बाद पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए इस ब्लाइंड मर्डर सें शामिल तीनों अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जब सख्ती से पूछताछ की तो हत्या की सच्चाई खुल कर सामने आ गई.

राजस्थान के जिला श्रीगंगानगर के सुभाष चौक बस्ती नौहर के रहने वाले अमरचंद सरकारी नौकरी करते थे. आशा उन्हीं की बेटी थी. वह हाईस्कूल तक पढ़ी थी. फिर कदम बहकने पर पिता ने उस की शादी 14 फरवरी, 2020 को हनुमानगढ़ की बस्ती पीलीगंगा निवासी फकीरचंद के बेटे राजू से कर दी.

राजू भी कोई बहुत ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था, लेकिन वह था बहुत मेहनती. वह खेतीकिसानी करता था. राजू और आशा का दांपत्य जीवन कुछ महीने तो ठीक से चला परंतु फिर धीरेधीरे आशा राजू के प्रति विमुख सी होने लगी. उस का कारण यह था कि जहां एक ओर आशा रंगीन शौकीन मिजाज की युवती थी, वहीं दूसरी ओर राजू सीधासादा था.

आशा चाहती थी कि उस का पति दिनरात उस से प्यार करता रहे, सदा उस के आगेपीछे घूमता रहे, उस की हर जरूरत को पूरा करता रहे. चाहे जरूरत सही हो या गलत. इस का परिणाम यह हुआ कि राजू आशा को कभीकभी झिड़क भी दिया करता था.

इस से अब आशा ने राजू की परवाह करनी छोड़ दी थी. इसी तरह 2 साल गुजर गए और आशा 2 बच्चों की मां भी बन गई. एक दिन बाजार में आशा की मुलाकात 22 वर्षीय दीपक से हो गई. दीपक राजू का दोस्त और दूर का रिश्तेदार भी था. दीपक श्रीगंगानगर के गांव नूरपुरा ढाणी का रहने वाला था. वह प्लंबर था.

उसे बाजार में देखते ही दीपक बोला, ‘‘अरे भाभी, आप बाजार में आई हैं. लेकिन साथ में राजू भैया क्यों नहीं आए?’’

‘‘आप के भैया को मेरी परवाह कहां? वो तो अपनी दुनिया में मस्त रहते हैं.’’ आशा ने कहा.

‘‘अरे भाभीजी, आप भी क्या बात करती हैं. हम हैं न, आप जो हुक्म करें, आप का देवर हाजिर है.’’ दीपक ने अपना सिर झुकाते हुए कहा.

‘‘ठीक है, मेरा आज सिनेमा देखने का मन है,’’ आशा ने कहा.

‘‘फिर ठीक है, आप कोई बहाना कर के आ जाना, आज दिन का शो देख लेंगे,’’ दीपक ने हामी भरते हुए कहा.

दोनों अपनेअपने घर चले गए. वैसे दीपक की कई महीनों से आशा पर नजर थी. दीपक का एक दोस्त विकास (20 वर्ष) था. विकास भी उस के साथ प्लंबर का काम करता था. विकास ने ही एक दिन दीपक से कहा था कि यार तेरी भाभी आशा तो गजब की चीज है. तू उस से बात किया कर, बड़ी मस्त चीज है.

उस दिन खाना खाने के बाद जब दीपक आशा के साथ पिक्चर देखने जाने वाला था, तभी सामने से विकास आता दिखाई दे गया. जब दीपक ने बताया कि वह आशा भाभी के साथ पिक्चर देखने जा रहा है तो वह भी जिद करने लगा.

‘‘यार विकास, बड़ी मुश्किल से तो आशा भाभी आज पिक्चर देखने को राजी हुई है. अब तू भी आने की जिद करने में लगा. कबाब में हड्डी तो मत बन यार.’’ दीपक ने झुंझलाते हुए कहा.

‘‘देख भाई दीपक, मैं तेरे साथ चलता हूं. यदि तेरी भाभी मना कर देगी तो मैं वापस चला जाऊंगा,’’ विकास बोला.

जब दीपक और विकास सिनेमाघर पर पहुंचे तो आशा बारबार इधरउधर देख रही थी. जैसे ही आशा की नजर दीपक पर पड़ी तो उस ने हाथ से इशारा करते हुए अपने पास बुला लिया.

‘‘भाभी, ये मेरा दोस्त विकास है, ऐसे ही मुझे रास्ते में मिल गया,’’ दीपक ने विकास का परिचय कराते हुए कहा.

विकास टिकट लेने खिड़की पर चला गया तो दीपक ने धीरे से कहा, ‘‘भाभी, एक बात है, आप बुरा तो नहीं मानोगी?’’

‘‘क्या बात है? अपने प्यारे देवर की बात का भला मैं बुरा क्यों मानने लगी. बोलो तो सही, तुम क्या कहना चाहते हो,’’ आशा ने कहा.

‘‘भाभी, मेरा दोस्त विकास भी हम दोनों के साथ पिक्चर देखना चाहता है.’’ दीपक ने झिझकते हुए कहा.

‘‘चलो, उस को आने दो, फिर मैं बात करती हूं.’’ आशा ने कहा तो दीपक मन ही काफी डर सा गया था. दीपक अब अपने दिल में विकास को कोसने लगा था कि इस ने आज सब काम बिगाड़ कर रख दिया. अब आशा भाभी न जाने विकास से क्या कहेगी.

 

थोड़ी ही देर में विकास पिक्चर के टिकट ले कर आ गया और उस ने दीपक और आशा को टिकट दिए और हाल के अंदर चलने का आग्रह किया.

‘‘एक बात पूछूं विकास?’’ आशा ने कहा.

‘‘जी भाभीजी, पूछिए.’’ विकास ने नजाकत से झुकते हुए कहा, ‘‘चलो ठीक है, एक से भले दो और दो से भले तीन. वैसे विकास आज तुम ने भी मेरा मन जीत लिया,’’ और वह दोनों का हाथ पकड़ कर हाल के भीतर चली गई. आशा तो पहले से खेलीखाई थी. दोनों युवकों का साथ पा कर वह बहुत खुश हुई.

इत्तफाक से तीनों सीटें कोने से लगी एक साथ थीं. आशा ने अपने लिए बीच की सीट चुनी तो दीपक और विकास उस की अगलबगल में बैठ गए. पिक्चर शुरू हो गई. इस बीच दीपक ने ठंडा और स्नैक्स भी मंगा लिया था. तीनों फिल्म देखने में मस्त थे.

उसी दौरान दीपक और विकास ने आशा के साथ हलकी छेड़छाड़ की, जिस का आशा ने विरोध नहीं किया तो वे दोनों दोस्त बहुत खुश हुए.

जब वे तीनों घर को जाने लगे तो विकास ने आशा से कहा, ‘‘भाभीजी, आप जैसे चेहरे से खूबसूरत हो, उस से ज्यादा आप जिंदादिल हो. किसी दिन हमारी जिंदगी में भी रंग भर दो.’’

ज्योतिषी के चक्कर में प्रेमी की हत्या – भाग 2

गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उस से पूछताछ की. शुरू में ग्रीष्मा पुलिस को गुमराह करती रही. तब मामले को अपराध शाखा को स्थानांतरित कर दिया गया. पुलिस ने ग्रीष्मा से पूछा, ‘‘तुम ने अपने बौयफ्रैंड का कत्ल क्यों किया?’’

तब ग्रीष्मा ने जवाब दिया, ‘‘मैं ने शैरोन का कत्ल नहीं किया. हम दोनों एकदूसरे को बहुत प्यार करते थे. हम लोगों ने मंदिर और चर्च में शादी भी कर ली थी.’’

पुलिस इस संबंध में ग्रीष्मा से लगातार 8 घंटे तक पूछताछ करती रही. पुलिस के सामने बैठी ग्रीष्मा से पुलिस ने कई बार यही प्रश्न पूछा और हर बार वह ‘न’ में ही जबाव देती रही.

जब ग्रीष्मा के सामने शैरोन की पोस्टमार्टम रिपोर्ट व अन्य सबूत रखे गए, तब वह पूरी तरह टूट गई. उस के चेहरे का रंग उड़ गया, माथे पर पसीना आ गया. कई दिनों के हाई ड्रामे और साजिश के बाद केरल पुलिस ने ग्रीष्मा को सच बताने पर मजबूर कर दिया.

आखिर 8 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद उस ने अपने प्रेमी शैरोन की मौत का सच उगल दिया. पुलिस मृतक शैरोन के उन कपड़ों, जो उस ने 14 अक्तूबर को प्रेमिका ग्रीष्मा के घर जाने पर पहने थे, को फोरैंसिक जांच के लिए भेज दिए.

ज्योतिषी ने बताया था ग्रीष्मा की कुंडली में दोष

उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. उस ने स्वीकार किया कि उस ने आर्मी आफीसर के साथ सुखी वैवाहिक जीवन जीने के लिए शैरोन को मारने की साजिश रची थी. उस का रिश्ता एक आर्मी अफसर के साथ तय हो गया था.

अपने प्रेमी शैरोन से छुटकारा पाने के लिए उसे धीमा जहर पिला कर उस की हत्या की थी. उस ने एक आयुर्वेदिक जूस में कीटनाशक मिला कर शैरोन को पीने के लिए दिया, जिस से उस की मौत हो गई. ग्रीष्मा का अपने प्रेमी शैरोन से पीछा छुड़ाने के पीछे भी एक खौफनाक और दहलाने वाली कहानी है.

ग्रीष्मा के घर वाले अपनी इकलौती बेटी और शैरोन के बीच चल रहे प्यार के बारे में जान गए थे. ग्रीष्मा के घर वाले यह सब जानते हुए भी उस के लिए रिश्ता तलाश रहे थे. ग्रीष्मा के मातापिता एक ज्योतिषी के संपर्क में भी थे. वे ग्रीष्मा के लिए लड़का देखने के साथसाथ ग्रीष्मा की जन्मकुंडली भी दिखा रहे थे. इसी बीच ग्रीष्मा के घर वालों ने ग्रीष्मा की शादी एक आर्मी आफीसर से तय कर दी थी. ज्योतिषी ने ग्रीष्मा की कुंडली देख कर जो बात बताई, उसे सुन कर उन के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई.

ज्योतिषी ने बताया कि ग्रीष्मा की कुंडली में दोष है. उस की पहली शादी जिस से भी होगी, उस के पति की मौत हो जाएगी. जबकि दूसरी शादी सफल रहेगी. दूसरे पति को कुछ नहीं होगा. बस यही बात ग्रीष्मा और उस के मन में बैठ गई.

ग्रीष्मा चाहती थी शैरोन से ब्रेकअप

ग्रीष्मा ने यह बात शैरोन को बताई. उस ने बताया कि ज्योतिषी ने बताया है कि उस के पहले पति की मौत हो जाएगी. इसलिए उस ने शैरोन से रिलेशनशिप खत्म करने को कहा. पहले तो ग्रीष्मा ने कई बहाने किए, लेकिन शैरोन नहीं माना.

शैरोन ग्रीष्मा को किसी भी कीमत पर छोड़ने को तैयार नहीं था. वह उसे अपनी जान से भी ज्यादा चाहता था. उस ने कहा कि वह मरते दम तक उसे नहीं छोड़ेगा. उस ने ज्योतिषी की भविष्यवाणी को झूठा बताया.

ग्रीष्मा की कोशिशें नाकाम हो रही थीं, लिहाजा उस ने शैरोन से पीछा छुड़ाने के लिए एक ऐसी साजिश रची जिस की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता.

ग्रीष्मा अपनी शादीशुदा जिंदगी की हिफाजत हर हाल में चाहती थी. वह नहीं चाहती थी कि जिस से भी उस की शादी हो, उस की मौत हो जाए. जिस के चलते उस की गृहस्थी उजड़ जाए.

कहने को ग्रीष्मा का अपने बौयफ्रैंड शैरोन से भी रिश्ता काफी अच्छा था. शैरोन उसे बहुत चाहता था और शायद ग्रीष्मा भी.

अब सवाल यह था कि पहली शादी हो और वह पति मर जाए, तभी दूसरी शादी सफल हो सकेगी. शादी के लिए मोहरे की जरूरत थी. तब षडयंत्र के तहत शैरोन को मोहरा बनाया गया. उसे शैरोन से अच्छा मोहरा मिलना मुश्किल था. ग्रीष्मा ने शैरोन को तब तक अपने प्रेमजाल में पूरी तरह फांस लिया था.

ग्रीष्मा ने अपनी योजना को कार्यरूप देने के लिए तब ज्योतिषी की बात मान कर किसी को बताए बिना शैरोन से एक मंदिर में शादी भी कर ली और मांग में सिंदूर भी भरवाया तथा मंगलसूत्र जिसे केरल में ‘ताली’ कहते हैं, पहना. इस के साथ ही वेट्टुकोड चर्च में शादी भी की. ज्योतिषी के कहे अनुसार अब उस का काम पूरा हो चुका था. वह उस का विधिवत पति बन चुका था.

अब उसे पहले पति शैरोन से अलग हो कर दूसरी शादी आर्मी अफसर से करनी थी, जिस के लिए ग्रीष्मा के घरवालों ने आर्मी अफसर से उस का रिश्ता पहले ही तय कर दिया था और शादी फरवरी, 2023 में होनी थी. उसे यकीन था कि अब उस की आर्मी अफसर से जो शादी होगी, उस पर कोई आंच नहीं आएगी.

2 महीने में 10 बार दिया जहर

शैरोन इन सब बातों से पूरी तरह अनजान था. वह ग्रीष्मा को हद से ज्यादा चाहता था. उसे दूरदूर तक इस बात की जरा सी भी भनक नहीं लगी थी कि ग्रीष्मा उस के खिलाफ कोई साजिश रच रही है. जबकि ग्रीष्मा तो शेरोन को अपनी जिंदगी से दूध की मक्खी की तरह निकाल फेंकना चाहती थी.

यही कारण था कि ग्रीष्मा अब शैरोन से बे्रकअप करना चाहती थी. उस ने अपनी ओर से इस रिश्ते से पीछे हटने की हर तरह से कोशिश की, लेकिन शैरोन उसे छोड़ने को किसी भी कीमत पर तैयार नहीं हुआ.

कहने को ग्रीष्मा आर्मी अफसर से अपनी सगाई तय हो जाने के बाद शैरोन से अलग होना चाह रही थी, फिर भी दोनों की अकसर मुलाकात होती रहती थी.

शैरोन के मोबाइल में ग्रीष्मा के कुछ पर्सनल फोटो व वीडियो थे. शैरोन के घर वालों ने बताया कि ग्रीष्मा ने फोटो व वीडियो के लिए शैरोन को फोन भी किया था. शैरोन रिश्ता तोड़ने व वीडियो तथा फोटो को हटाने को तैयार नहीं था. कई वीडियो ऐसे थे, जिन में दोनों शादी के जोड़े में नजर आ रहे थे.

ग्रीष्मा को डर था कि यदि प्रेमी शैरोन ने ये वीडियो उस के पति को दिखा दिए तो गड़बड़ हो जाएगी. उस की गृहस्थी बरबाद हो जाएगी. तब ग्रीष्मा ने घर वालों से मिल कर एक खौफनाक निर्णय लिया.

रिश्तों पर भारी पड़ी मोहब्बत – भाग 2

एसपी केशव कुमार के आदेश पर चारों टीमों का नेतृत्व एएसपी कुंवर ज्ञानंजय सिंह कर रहे थे. पुलिस ने मृतक की पत्नी नुसरत जहां को शक के दायरे में ले लिया और जांच में एक चौंकाने वाली बात सामने आई कि पतिपत्नी के बीच रिश्ते मधुर नहीं थे. उन में काफी तनाव और कड़वाहट थी और दोनों में अकसर झगड़ा होता रहता था.

मियांबीवी के बीच बिगड़े रिश्ते की असल वजह पति इम्तियाजुल का पत्नी के चरित्र पर शक करना था. इसी बिंदु को आधार मान कर पुलिस ने अपनी जांच आगे बढ़ाई और नुसरत जहां के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया. यही नहीं, पुलिस ने उस के नंबर की पिछले 15 दिनों की कालडिटेल्स भी निकलवाई.

पुलिस ने उस के बातचीत की रिकौर्डिंग भी सुनी तो उस के पैरों से जमीन जैसे खिसक गई. बातचीत की रिकौर्डिंग ने पुलिस के शक को यकीन में बदल दिया. पति की हत्या में नुसरत जहां का पूरापूरा हाथ था लेकिन पुलिस ने उसे आभास तक नहीं होने दिया नहीं तो उस का साथ देने वाले सावधान हो जाते.

बहरहाल, जिस नंबर से नुसरत जहां के फोन पर आखिरी बार काल आया था, उसी नंबर से उस की लंबी बातचीत हुआ करती थी.

पुलिस ने जब उस नंबर की डिटेल्स निकलवाई तो वह दरगाह शरीफ थाना क्षेत्र के मुसल्लमपुर राम के रहने वाले नदीम अहमद का नंबर था. फिर देर रात नदीम अहमद के घर दबिश दे कर उसे पूछताछ के लिए हिरासत में ले कर थाने ले आई.

सख्ती के साथ पूछताछ में वह पुलिस के सामने टूट गया और अपना जुर्म कुबूलते हुए बताया कि उस ने अपने दोस्त और मसजिद के इमाम दाऊद के साथ मिल कर वकील इम्तियाजुल हक की हत्या की थी. इस में मृतक की पत्नी नुसरत जहां ने उस की पूरी मदद की थी.

उसी रात पुलिस ने नदीम अहमद की निशानदेही पर कोतवाली नगर स्थित काजीपुरा निवासी दाऊद अहमद और जमील कालोनी से नुसरत जहां को गिरफ्तार कर लिया. दोनों आरोपियों ने भी अपने अपराध स्वीकार कर लिए.

24 घंटे के भीतर पुलिस ने वकील इम्तियाजुल हक हत्याकांड का खुलासा कर दिया था. अगले दिन 17 अक्तूबर, 2022 को पुलिस लाइन में एएसपी कुंवर ज्ञानंजय सिंह ने प्रैस कौन्फ्रैंस आयोजित कर केस का खुलासा कर दिया.

प्रैसवार्ता संपन्न होने के बाद तीनों आरोपियों को अदालत के सामने पेश कर जेल भेज दिया गया. पुलिस पूछताछ में अधिवक्ता इम्तियाजुल हक हत्याकांड की कहानी कुछ ऐसे सामने आई—

40 वर्षीय इम्तियाजुल हक मूलरूप से बहराइच जिले के थाना दरगाह शरीफ इलाके के सलारगंज स्थित जमील कालोनी में अपने परिवार सहित पैतृक मकान में रहते थे. पतिपत्नी और 2 बच्चे. यही उन का हंसताखेलता परिवार था.

उन का छोटा भाई रिजवानुल हक मांबाप के साथ रहता था. हालांकि दोनों भाइयों के बीच पैतृक संपत्तियों का बंटवारा हो चुका था. बंटवारे के बाद मांबाप ने खुद छोटे बेटे के साथ रहना पसंद किया तो बड़ा बेटा इम्तियाजुल ने उन के फैसले को मान लिया.

यूं तो इम्तियाजुल हक पेशे से वकील थे. उन की अच्छी वकालत चलती थी. मिलनसार प्रवृत्ति के इम्तियाजुल अपने पेशे में ईमानदार थे. जिस का भी केस अपने हाथों में लेते थे, उस की जीत होनी पक्की रहती थी. इस वजह से उन के मुवक्किल मुंहमांगी फीस देने को तैयार रहते थे.

अनुभवी वकील इम्तियाजुल हक वकालत से इतना कमा लेते थे कि उन की जिंदगी बड़े चैन से कट रही थी. घर में हर सुखसुविधा मुहैया थी. चाहे वह खानेपीने वाली चीज हो अथवा भौतिक सुख. किसी भी चीज में वह कभी कटौती नहीं करते थे. बच्चे भी अच्छे स्कूल में पढ़ रहे थे. वे पढ़ने में होशियार थे.

इम्तियाजुल हक की अपनी सोच थी कि बच्चे अंगरेजी के साथसाथ अन्य भाषाओं का ज्ञान हासिल कर रहे हैं तो क्यों न उन्हें अरबी भाषा का भी ज्ञान दिया जाए जो कभी न कभी उन के काम आ सकता है.

उन्होंने अपने कुछ परिचितों से बात छेड़ी तो उन के एक दोस्त ने सलारगंज स्थित मसजिद के मुअज्जिन नदीम अहमद का नाम सुझाया और कहा कि वह बेहद काबिल उस्ताद हैं. उन्हें अरबी का अच्छा ज्ञान है.

अधिवक्ता इम्तियाजुल हक की ओर से हरी झंडी मिलते ही वह दोस्त एक दिन रविवार की सुबह नदीम अहमद को अपने साथ ले कर उन के घर पहुंचा तो बच्चों से उसे मिला दिया गया और परिचय भी करवा दिया कि अब से ये आप को अरबी की तालीम देंगे. ये आप के उस्ताद हैं.

उस दिन के बाद से नदीम अहमद इम्तियाजुल के दोनों बच्चों को घर पर आ कर अरबी की तालीम देने लगा. यह घटना से करीब एक साल पहले की बात है.

नदीम अहमद गोराचिट्टा, सुंदर और लंबाचौड़ा इकहरे बदन वाला नौजवान था. यही नहीं उस की बोली में गजब की मिठास थी. अपनी मीठी बोली से किसी को भी अपनी ओर सरलतापूर्वक रिझा सकता था. इम्तियाजुल के दोनों बच्चे भी नदीम की मीठी बोली के कायल थे.

चूंकि नदीम अहमद बच्चों का उस्ताद था, इस लिहाज से दोनों बच्चों की मां नुसरत जहां उर्फ गुलसुम उस के स्वागत में चायनाश्ता वगैर खुद देने आती थी. क्योंकि दोनों बेटों के अलावा परिवार में कोई नहीं था जो उस्ताद को चायनाश्ता ले जाता.

भले ही नुसरत जहां 2 बच्चों की मां थी. 12-14 साल के करीब दोनों बच्चों की उम्र भी हो चुकी थी लेकिन शक्लोसूरत देख कर कोई नहीं बता सकता था कि वह इतने बड़ेबड़े बच्चों की मां होगी.

गले में दुपट्टा डाले और उसी के मैचिंग का पहने जब वह पहली बार हाथ में चाय की प्याली ले कर कुरसी पर बैठे नदीम के सामने गई तो नदीम की नजरें नुसरत जहां के गोल और सुंदर मुखड़े से टकराईं. उस की सुंदरता देख कर वह उस का मुरीद हो गया था. ऐसा नहीं था कि नुसरत ने उस्ताद नदीम की हरकतों को देखा न हो, उस ने अपनी झुकीझुकी नजरों से सब देख लिया था. फिर वह उस के सामने पड़ी मेज पर चाय की प्याली और नमकीन से भरी प्लेट रख कर अपने कमरे में लौट आई.

सपना को नहीं मिला अमन और फिर – भाग 2

सयानी हो चुकी बेटी के हावभाव और हरकतों को देख कर मां को संदेह हुआ तो उन्होंने पति से बात करने का विचार किया. दूसरी ओर जगदंबा खुद भी बेटी के बदले व्यवहार से सकते में थे. वह पिता थे, इसलिए बेटी से सीधे कुछ पूछ नहीं सकते थे, इसलिए वह उस पर चोरीछिपे नजर रखने लगे थे.

इस का नतीजा यह निकला कि उन्हें पता चल गया कि सपना अमनप्रताप सिंह नाम के लड़के से प्यार करती है. यह जान कर उन के होश ही उड़ गए, क्योंकि बेटी से उन्हें इस तरह की कतई उम्मीद नहीं थी. उन्होंने यह बात पत्नी से बताई तो उन की शंका सच साबित हुई. उन्होंने चिंता में कहा, ‘‘लड़की कुछ ऐसावैसा कर बैठी तो हम समाजबिरादरी में मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे.’’

पतिपत्नी काफी परेशान थे, जबकि सपना अपनी ही दुनिया में खोई थी. उसे इस बात की भनक तक नहीं लग पाई कि मांबाप को उस के प्यार की खबर लग गई है. उसे पता तब चला, जब जगदंबा ने अचानक उस के कोचिंग जाने पर रोक लगा दी. इस से सपना को समझते देर नहीं लगी कि पापा को उस के प्यार वाली बात का पता चल गया है. जबकि इस के पहले उन्होंने उसे पढ़ने के लिए कहीं भी आनेजाने से मना नहीं किया था.

सपना ने पिता के इस निर्णय के बारे में मां से बात की तो उन्होंने कहा, ‘‘सपना, तुम ने जो किया है, उस की हम लोगों को जरा भी उम्मीद नहीं थी.’’

‘‘मां, मैं ने ऐसा क्या कर डाला कि मेरी पढ़ाई बंद करा दी गई?’’

‘‘तुम ने जो किया है बेटी, उस का तुम्हारे पापा को पता चल चुका है. तुम्हें घर से पढ़ने के लिए भेजा जाता था, न कि किसी लड़के से प्यार करने. तुम ने क्या सोचा था कि तुम बताओगी नहीं तो हमें पता ही नहीं चलेगा.’’

‘‘तो यह बात है. आप लोगों को मेरे और अमन के प्यार के बारे में पता चल गया है.’’ सपना ने बेशर्मी से कहा, ‘‘मां, अमन बहुत अच्छा लड़का है, हम दोनों ही एकदूसरे को बहुत प्यार करते हैं.’’

‘‘मां के सामने यह कहते तुझे शर्म नहीं आई. 4 अक्षर पढ़ क्या लिया, तुम ने खुद को न जाने क्या समझ लिया? हम ने तुम्हें यही संस्कार दिए थे. आज भी हमारे यहां बेटियों के भाग्य का फैसला मांबाप करते हैं. इतनी बेशर्मी ठीक नहीं, अगर तेरी इन बातों को तुम्हारे पापा ने सुन लिया तो तुझे जिंदा गाड़ देंगे.’’

मां की बातें सुन कर सपना की बोलती बंद हो गई. मां ने सपना को काफी देर तक समझाया, लेकिन ऐसे लोगों पर किसी के समझाने का असर कहां होता है. सपना पर भी नहीं हुआ. मौका मिलते ही उस ने अमन को फोन कर के बता दिया कि उस के मांबाप को उन के प्यार का पता चल गया है.

सपना की बात सुन कर अमन को जैसे सांप सूंघ गया. वह बुरी तरह घबरा गया, क्योंकि सपना ने उस से यह भी कहा था कि उस के पापा बहुत गुस्से में हैं. वह उस से मिलने कोचिंग जरूर जाएंगे, इसलिए वह सतर्क रहे.

ऐसा हुआ भी. अपने साले संजीव द्विवेदी को साथ ले कर जगदंबा कोचिंग सेंटर जा पहुंचे थे. कोचिंग सेंटर के गेट पर अमन को रोक कर जब उन्होंने उसे अपना परिचय सपना के पिता के रूप में दिया तो वह परेशान हो उठा.

लेकिन उस समय उन्होंने उसे डांटनेफटकारने के बजाय प्यार से सपना से दूर रहने की चेतावनी देते हुए कहा कि यह उस की पहली गलती मान कर उसे चेतावनी दे कर इस शर्त पर छोड़ रहे हैं कि अब वह कभी सपना से मिलने की कोशिश नहीं करेगा.

परिस्थितियों को देखते हुए अमन ने उस समय दोनों हाथ जोड़ कर माफी मांगते हुए वादा कर लिया कि अब वह कभी भी सपना से नहीं मिलेगा. ऐसा उस ने वक्त की नजाकत देख कर किया था, ताकि जगदंबा को उस पर भरोसा हो जाए कि वह जो भी कह रहा है, सच कह रहा है. जबकि मन ही मन उस ने कुछ और ही तय कर रखा था. बहरहाल अमन के वादे पर विश्वास कर के जगदंबा घर आ गए. सपना का कोचिंग जाना बंद ही करा दिया गया था, इसलिए घर का हर कोई उस पर नजर भी रख रहा था.

प्रेमी से मिलने के लिए सपना ने एक खेल यह खेला कि वह ऐसा व्यवहार करने लगी, जैसे वह पूरी तरह बदल गई हो. अपनी बातचीत और हावभाव से आखिर उस ने मांबाप को भरोसा दिला दिया कि वह अमन को भूल चुकी है. इस के बाद उस पर लगी पाबंदी हटा ली गई तो वह चोरीछिपे अमन से मिलने लगी. क्योंकि शायद वह अमन के बिना खुद को अधूरी समझती थी.

उसी तरह अमन भी सपना को टूट कर प्यार करता था. वह उस की रगों में लहू बन कर दौड़ रही थी. दोनों ही एकदूसरे से अलग रह कर जीने की कल्पना नहीं कर सकते थे. सपना और अमन की ये मुलाकातें ज्यादा दिनों तक सपना के घर वालों से छिपी नहीं रह सकीं. जगदंबा को पता चल गया कि सपना अमन से फिर मिलने लगी है. इस बार उन्होंने खुद सपना को अमन के साथ घूमते देख लिया था. बेटी की हरकतों से वह परेशान हो उठा था. अमन से बेटी का पीछा छुड़ाने के लिए उस ने उस के खिलाफ थाना कैंट में बेटी के साथ छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज करा दिया. थाना कैंट पुलिस ने अमन को गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया. यह सन 2014 की बात है.

अमन के पिता परिवार सहित जबलपुर में रहते थे. उस के चाचा राजू सिंह गांव में परिवार के साथ रहते थे. वह गांव के प्रधान भी थे. अमन के गिरफ्तार होने के बारे में जब उन्हें पता चला तो वह परेशान हो उठे. इस बात को बड़े भाई यानी अमन के पिता को बताए बगैर वह गोरखपुर पहुंचे और अमन को जमानत दिलवा कर जेल से बाहर निकलवाया.

यूट्यूबर नामरा लुटेरी गर्लफ्रेंड – भाग 2

दिनेश ने महसूस किया कि नामरा की निहायत खूबसूरती उसे अपनी ओर खींच रही है, जबकि नामरा ने भी महसूस किया कि उसे दिनेश के रूप में एक वैसा व्यक्ति मिल गया है, जो भविष्य में मददगार साबित हो सकता है.

उस के बाद 3 महीने के दरम्यान नामरा और दिनेश का कई बार मिलना हुआ. उन के बीच कामकाज की बातों के साथसाथ आज के दौर की प्यारमोहब्बत की बातें होने लगीं. बातोंबातों में दिनेश से नामरा ने बताया कि वह उसे बहुत अच्छा लगता है, हालांकि उस ने विराट बेनीवाल से शादी की है.

दिनेश के दिलोदिमाग में छा गई नामरा

अब दिनेश के दिल में नामरा के लिए कितनी जगह थी, इस का तो पता नहीं, लेकिन इतना जरूर था कि नामरा दिनेश के दिमाग पर छा गई थी. वह उस का खास दोस्त बन चुका था और उस की हर छोटीबड़ी मदद में साथ देने को तत्पर रहता था.

मदद के तौर पर नामरा हमेशा उस से कुछ न कुछ पैसे मांग लिया करती थी. कभी उधार के नाम पर तो कभी उस के प्रोजैक्ट पर आने वाले खर्च के नाम पर. दिनेश का कहना है कि नामरा ने अपनी बहन की शादी के लिए उस से उधार पैसे मांगे थे.

नामरा यहीं नहीं रुकी, उस ने एक एडवरटाइजमेंट और वीडियो शूट से जुड़े काम के सिलसिले में उस से 50 लाख रुपए एडवांस के तौर पर और ले लिए. लेकिन इस के बाद भी उस का काम शुरू नहीं हुआ.

इस बारे में पूछने पर वह कुछ न कुछ मजबूरियां बताती रही. उस के बाद से दिनेश परेशान रहने लगा. यहां तक कि उस ने कहा कि यदि वह उस का काम नहीं कर पा रही है तो उस के पैसे लौटा दे.

इस के बाद दोनों के मधुर संबंधों में थोड़ी खटास आ गई थी. जबकि नामरा पति के साथ मिल कर उस के पैसों से अपने निजी प्रोजेक्ट के वीडियो शूट कर यूट्यूब पर रेग्युलर डाले जा रही थी. उस के पैसे से ही जगहजगह घूम कर रील्स बना रही थी. फैशनेबल बनी फिर रही थी. मौडलिंग और ब्लौगर की दुनिया में सब से आगे निकल जाने की होड़ में शामिल हो गई थी.

दिनेश काफी समय से परेशान चल रहा था. उसी दौरान उस के पिता ने अपने बैंक से 5 लाख रुपए निकाले जाने के बारे में उस से जानकारी मांगी. उन्होंने पूछा कि इतने पैसे उस ने किसे और क्यों ट्रांसफर किए हैं, जबकि उसे वह बिजनैस के लिए पहले से उस की जरूरत के मुताबिक पैसा दे चुके हैं. इसी के साथ उन्होंने दिनेश को जबरदस्त डांट भी लगाई.

पिता की डांट खा कर दिनेश को लगा कि उस की गलती पकड़ी जा चुकी है. इसलिए इस से पहले कि उस की बात पिता समेत बिजनैस या फ्रैंड सर्कल में फैले और उस की बदनामी हो व इमेज को धक्का लगे, इस से पहले पिता को सारी बात बता देना जरूरी समझा.

इस के बाद दिनेश ने पिता से पूरी बात बताई कि कैसे वह पिछले 7-8 महीने से ब्लैकमेलिंग का शिकार बना हुआ है. दिनेश के पिता बेटे की कहानी सुन कर अवाक रह गए. उन्होंने समझदारी से काम लिया.

वह जानते थे कि उन का बेटा जालसाजी और ठगी का शिकार हो चुका है… और ठगने वाली मीडिया जगत की सेलिब्रिटी लड़की है. ऐसे में वह अपने बचाव के लिए रेप जैसे हथकंडे भी अपना सकती है, इसलिए उस की तरफ से कोई पहल किए जाने से पहले दिनेश का बचाव किया जाना जरूरी है.

दिनेश ने 80 लाख रुपए ऐंठने की कराई रिपोर्ट

यह बात अगस्त, 2022 की है. दिनेश ने पिता के कहने पर गुरुग्राम के थाने में नामरा कादिर और उस के पति विराट बेनीवाल के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई.

शिकायत में लिखा कि दोनों पतिपत्नी एडवरटाइजिंग के काम के सिलसिले में उस से 6-7 माह के दरम्यान 80 लाख रुपए ले चुके हैं, लेकिन उन्होंने उस का कोई काम नहीं किया है.

उस में नामरा ने बहन की शादी के लिए कुछ पैसे उधार के तौर पर लिए थे. पैसा वापस मांगने पर उल्टे उसे रेप में फंसाने की धमकी दी. उन्होंने उसे हनीट्रैप में फंसा रखा है और उस की वीडियो क्लिपिंग्स दिखा कर वसूली करते हैं.

इस शिकायत के बाद गुरुग्राम की पुलिस ने नामरा और उस के पति की जांच शुरू की गई. दिनेश के आरोप के मुताबिक उस के साथ जालसाजी और पैसा वसूलने में शामिल होने को ले कर उन्हें कई बार थाने में बुलाया गया, लेकिन वे एक बार भी जांच के लिए नहीं पहुंचे.

उलटे अपने चैनल पर दिनेश के खिलाफ ही आरोप लगाते हुए नोटिस जारी कर अपनी सफाई पेश कर दी. साथ ही बचाव के लिए उन्होंने पहली नवंबर को गुरुग्राम की जिला अदालत में इस केस के सिलसिले में अग्रिम जमानत की अरजी दाखिल कर दी. अदालत ने उन की अरजी ठुकरा दी.

इस के बाद 24 नवंबर को इस सिलसिले में नामरा और उस के पति के खिलाफ आईपीसी की धारा 388 यानी धमका कर जबरन वसूली करना, 406 आपराधिक तरीके से धोखा देना, 506 यानी धमकाना, 34 यानी साजिश के लिए एक राय होना और 328 यानी जख्मी करना या फिर जहर दे कर नुकसान पहुंचाने की कोशिश करना. जैसी धाराओं और इल्जामों के तहत केस दर्ज किया गया.

इस तरह नामरा गुरुग्राम पुलिस द्वारा पूछताछ के लिए गिरफ्तार कर ली गई. जबकि पति विराट बेनीवाल पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ पाया.

नामरा ने रखा अपना पक्ष

इस मामले पर नामरा ने सोशल मीडिया पर अपना पक्ष रखा है. नामरा की ओर से उस के यूट्यूब चैनल पर बताया गया है कि दिनेश यादव ने मुझ पर आरोप लगाया है कि मैं ने उस के 70 से 80 लाख रुपए लूट लिए. उसे ब्लैकमेल कर के और प्यार के झांसे में फंसा के. पहली बात उस ने मुझे 70 से 80 लाख रुपए नहीं दिए और उस ने जितने भी पैसे मुझे दिए वह मेरे काम के लिए दिए थे.

ये दिल आशिकाना : क्या कसूर था शिल्पा का – भाग 2

शिल्पा झारिया कुंडम थाने के भौखा देवरी गांव की रहने वाली थी. उस के पिता गुलाब झारिया और मां राजकुमारी गांव में मेहनतमजदूरी कर के अपनी गुजरबसर करते हैं. एक भाई और 2 बहनों में सब से बड़ी शिल्पा की उम्र 21 साल थी.

वह जबलपुर आ कर पढ़ाई के साथ एक स्पा सेंटर में काम करने लगी थी. वारदात के एक दिन पहले ही गुलाब अपनी बेटी से मिल कर आए थे. उन्हें इस बात का अफसोस हो रहा था, ‘काश! बेटी को अपने गांव साथ ले आते या उस के पास रुक जाते तो शायद उस की जान बच जाती.’

6 नवंबर, 2022 को ही गुलाब झारिया ने शिल्पा को फोन पर बताया था कि मेरा पेट दर्द हो रहा है. इस पर शिल्पा बोली थी, ‘‘पापा, यहां (जबलपुर) आ जाओ, किसी डाक्टर को दिखा लेंगे.’’

उसी दिन 10 बजे गाड़ी में बैठ कर वह उस के पास 11 बजे जबलपुर आ गए थे. तब शिल्पा ने एक डाक्टर से उन का चैकअप कराया और फिर डाक्टर को दिखा मैडिकल स्टोर से दवा ले कर घर आ गए. फिर उस के साथ खाना खा कर वहां से डेढ़ बजे वापस कुंडम घर लौट आए थे.

8 नवंबर, 2022 को रात करीब 10 बजे कुंडम थाने की पुलिस जब गुलाब के घर पहुंची तो सीधेसादे लोग डर गए. पुलिस ने गुलाब से पूछा, ‘‘तुम्हारे कितने बच्चे हैं.’’ तो गुलाब ने बताया, ‘‘साब, 2 बेटी, एक बेटा है.’’

उन्होंने फिर पूछा, ‘‘बच्चे कहां हैं?’’ तो गुलाब ने उन्हें बताया, ‘‘एक बेटा, एक बेटी घर में साथ ही हैं. बड़ी बेटी जबलपुर में रहती है.’’

इतना कहना था कि पुलिस वाले बोले, ‘‘हम कुंडम थाने से आए हैं. हमारे पास तिलवारा थाने से फोन आया है कि तुम्हारी बेटी का जबलपुर में मर्डर हो गया है.’’

इतना सुनना था कि गुलाब के घर में पत्नी और बच्चे रोने लगे. पुलिस टीम ने उन्हें ढांढस बंधाते हुए कहा, ‘‘धैर्य से काम लो और हमारे साथ जबलपुर चलो.’’

रात को गुलाब अपनी पत्नी के साथ कुंडम  पुलिस टीम के साथ जबलपुर के तिलवारा थाना पहुंचे. वहां से उन्हें मैडिकल कालेज की मोर्चरी ले जाया गया, जहां पर मोर्चरी में रखे शव की पहचान उन्होंने शिल्पा के रूप में की.

इसी दौरान छोटी बहन ने शिल्पा के मोबाइल पर फोन किया तो एक लड़के ने बात करते हुए कहा,‘‘तेरी बहन को हम ने मार दिया है.’’

यह सुन कर छोटी बहन घबरा गई. उस ने जब दोबारा फोन लगाया तो रिसीव नहीं किया गया.

आकर्षक कदकाठी की शिल्पा पिछले 3 साल से जबलपुर में रह रही थी. वह पढ़ाई के साथ ही वहां पार्लर का काम करने लगी थी. शिल्पा के मातापिता भी वहां उस के पास आतेजाते रहते थे. कभीकभी 10-15 दिन भी उस के साथ ठहरते थे. घर से कुछ राशनपानी ले कर जाते थे. मजदूरी से जुटाए पैसे भी उसे देते रहते थे. शिल्पा भी पार्लर में काम कर अपना खर्च चला रही थी.

जबलपुर में अपनी गर्लफ्रैंड का मर्डर करने के दूसरे दिन आरोपी ने सोशल मीडिया पर एक फोटो पोस्ट किया था, जिस में  कैप्शन लिखा था, ‘‘आई लव यू बाबू, हमारी मुलाकात स्वर्ग में होगी, सौरी बाबू.’’

वारदात के बाद आरोपी बारबार ठिकाने बदल रहा था. पुलिस ने आरोपी को पकड़ने के लिए 4 टीमें बनाईं.

वह इतना शातिर और चालाक था कि पुलिस के पहुंचने से पहले ही फरार हो जाता था. वह शिल्पा के ही सोशल मीडिया अकाउंट से फोटो, वीडियो शेयर कर रहा था, परंतु सिम के नेट का उपयोग करने के बजाय वाईफाई का इस्तेमाल कर रहा था. अब तक की जांच से पुलिस को पता चल गया था कि शिल्पा की हत्या में उस के बौयफ्रैंड अभिजीत पाटीदार का ही हाथ है.

अभिजीत पाटीदार द्वारा पोस्ट किए गए एक फोटो में उस के साथ शिल्पा झारिया महंगी कार में बैठी दिख रही है. सीट के पास 500-500 रुपए के नोटों की गड्डियां भी रखी थीं. दोनों के पास कुल्हड़ वाली चाय भी रखी थी. आरोपी ने गर्लफ्रैंड को याद करते हुए फोटो पोस्ट किया और कैप्शन लिखते हुए माफी भी मांगी. बाद में ये फोटो उस ने डिलीट भी कर दिए.

आरोपी अभिजीत पाटीदार लग्जरी लाइफ जीने का शौकीन है. आरोपी ने सोशल मीडिया पर लग्जरी कार के साथ जो फोटो अपलोड की थी, उस में दूसरे फोटो में शिल्पा झारिया भी दूसरी कार के साथ दिख रही थी. दोनों गाडि़यों के नंबर बीआर01 एफयू 2498 और बीआर01 ईक्यू2498 थे.

यही नहीं, वह गले में सोने की चेन और महंगी घड़ी पहनता है. मर्सिडीज जैसी कार में लाखों रुपए नकदी रख कर भी चलता था.

कैप्शन पढ़ कर पुलिस की भी नींद उड़ गई थी, क्योंकि युवती का सोशल मीडिया अकाउंट आरोपी अभिजीत पाटीदार ही यूज कर रहा था. इस के लिए वह खुद के मोबाइल फोन और सिम कार्ड के बजाय पब्लिक प्लेस के वाईफाई का उपयोग कर रहा था.

आरोपी ने इंस्टाग्राम पर शिल्पा के मर्डर के कुबूलनामे का वीडियो अपलोड किया था, जिसे हजारों लोगों ने देखा. वीडियो अपलोड होने के बाद लोग कमेंट भी कर रहे थे.

लगातार फोटो वीडियो अपलोड होने के बाद साइबर पुलिस सोशल मीडिया अकाउंट पर भी नजर रखे हुए थी. वीडियो में साफतौर पर दिख रहा था कि आरोपी किसी जगह ठहरा हुआ है. वह गाने भी सुन रहा है.

घटना के बाद जबलपुर पुलिस के सामने सब से बड़ी चुनौती शिल्पा की हत्या के आरोपी अभिजीत पाटीदार को गिरफ्तार करने की थी.

अभिजीत शिल्पा की हत्या के बाद होटल से उस का मोबाइल और एटीएम कार्ड भी ले कर भागा था. हत्या के बाद हर दिन वह अपनी लोकेशन बदल रहा था.

होटल के सीसीटीवी कैमरे में वह घटना वाले दिन एक टैक्सी में बैठ कर जाते हुए दिखा, मगर टैक्सी का नंबर साफ नजर नहीं आ रहा था. जब सीएसपी प्रियंका शुक्ला के निर्देश पर टीआई झारिया ने बरगी टोलनाके की सीसीटीवी फुटेज देखी तो टैक्सी का नंबर साफ नजर आ गया.

होटल से सिवनी की तरफ टैक्सी से भाग रहे अभिजीत ने बरगी स्थित बैंक औफ महाराष्ट्रा के एटीएम से 20 हजार रुपए निकाले थे. यहीं से आरोपी के बारे में अहम सुराग पुलिस को मिल गए.

उम्मीदों से दूर निकला लिवइन पार्टनर – भाग 2

एसएचओ सत्यप्रकाश पुलिस टीम के साथ वहां आए थे. वह भीड़ को हटा कर मकान में घुसे तो राकेश उन के सामने आ गया, ‘‘सर, मैं ने ही आप को फोन किया था.’’

एसएचओ ने उस पर एक उचटती सी नजर डालते हुए पूछा, ‘‘वह कुरसी कहां है जिस पर खून लगे होने की बात तुम कह रहे थे?’’

‘‘यह है सर,’’ राकेश ने दरवाजे के बाहर रखी कुरसी की ओर इशारा किया.

एसएचओ सत्यप्रकाश ने कुरसी का मुआयना किया. उस के हत्थे पर खून लगा हुआ था. सामने दरवाजे पर ताला लगा देख उन्होंने राकेश की तरफ देखा, ‘‘इस दरवाजे पर ताला किस ने लगाया है?’’

‘‘मालूम नहीं सर,’’ राकेश बोला, ‘‘मैं नीतू के फोन करने पर यहां आया हूं. आप को नीतू बता सकती है.’’

एसएचओ सत्यप्रकाश नीतू की तरफ पलटे ही थे कि डीसीपी (पश्चिम) घनश्याम बंसल और एसीपी एस.पी. सिंह फोरैंसिक टीम के साथ वहां आ गए.

एसएचओ ने दोनों उच्चाधिकारियों को सैल्यूट करने के बाद वहां की स्थिति के विषय में बताते हुए कहा, ‘‘सर, कुरसी के हत्थे पर लगे खून से मुझे संदेह है कि यहां कोई खूनी वारदात हुई है.’’

डीसीपी घनश्याम बंसल ने दरवाजे पर लगा ताला देख कर आदेश दिया, ‘‘आप ताला खुलवा कर अंदर देखिए.’’

‘‘जी सर,’’ एसएचओ ने कहने के बाद राकेश और नीतू से ताले की चाबी के बारे में पूछा तो नीतू ने बताया, ‘‘इस की चाबी तो अंकल मनप्रीत या मां के पास रहती है. मां सुबह से बाजार गई हुई हैं और अंकल भी दिखाई नहीं दे रहे हैं.’’

‘‘ताला तोड़ दो,’’ घनश्याम बंसल ने कहा.

इशारा मिला तो एक कांस्टेबल ताला तोड़ने में जुट गया. थोड़ा प्रयास करने पर ताला टूट गया. एसएचओ ने जैसे ही दरवाजा खोला, अंदर का दृश्य देख कर वह चौंक गए, ‘‘अंदर फर्श पर महिला की लाश पड़ी है सर,’’ एसएचओ के मुंह से निकला.

डीसीपी घनश्याम बंसल और एसीपी एस.पी. सिंह ने सावधानी से कमरे में प्रवेश किया. उन के पीछे एसएचओ भी अंदर आ गए.

कमरे के फर्श पर एक महिला की रक्तरंजित लाश औंधे मुंह पड़ी हुई थी. लाश के पास खून फैला हुआ था. फोरैंसिक टीम को अंदर बुला कर सब से पहले वहां की गहन जांच करवाई गई. फिर एसएचओ ने लाश को सीधा किया. लाश की हालत रोंगटे खड़े कर देने वाली थी.

उस के चेहरे, जबड़े और गरदन पर चाकू के गहरे घाव थे. महिला का बड़ी बेरहमी से कत्ल किया गया था.

एसएचओ ने महिला को पहचान करने के लिए राकेश को कमरे में बुला लिया. लाश को देखते ही राकेश रोने लगा. रोते हुए ही उस ने बताया कि यह लाश उस की ताई रेखा रानी की है. पुलिस को भी यही अंदेशा था कि यह लाश सुबह से लापता रेखा की ही हो सकती है.

राकेश द्वारा लाश पहचान लिए जाने पर यह स्पष्ट हो गया था कि रेखा बाजार नहीं गई थी, उसे कत्ल कर के कमरे में डाल दिया गया था और कमरे का दरवाजा बाहर बंद कर दिया गया था.

डीसीपी घनश्याम बंसल इस मामले को बड़ी संजीदगी से देख रहे थे. कुछ सोच कर उन्होंने क्राइम ब्रांच के डीसीपी रोहित मीणा को फोन कर के इस कत्ल के विषय में बताया और उन्हें सहयोग करने के लिए कहा.

रोहित मीणा ने क्राइम ब्रांच के एसीपी यशपाल के नेतृत्व में एक टीम तुरंत गणेश नगर के लिए रवाना कर दी. इस टीम में तेजतर्रार इंसपेक्टर सुनील कुमार भी थे.

क्राइम ब्रांच की टीम घटनास्थल पर पहुंच गई. सुनील कुमार ने सब से पहले लाश का निरीक्षण किया. रेखा को जिस बेरहमी से मारा गया था, उस से यह अंदाजा लगाया गया कि हत्यारे ने अपना सारा गुस्सा रेखा पर उतारा है.

आसपास ऐसा सूत्र उन्हें नहीं मिला जो हत्यारे द्वारा वहां छोड़ा गया हो, लेकिन अनुभवी सुनील कुमार इस बात को समझ गए थे कि हत्यारा मृतका महिला को अच्छी तरह पहचानता था. वह कौन हो सकता है, यही सुनील कुमार को मालूम करना था.

वह कमरे के बाहर आ गए. राकेश और नीतू एकदूसरे के गले लग कर फूटफूट कर रो रहे थे. सुनील कुमार उन के पास आ कर ठहर गए.

उन्होंने नीतू और राकेश के सिर पर प्यार से हाथ रख कर सहानुभूति दर्शाते हुए कहा, ‘‘मैं तुम्हारे दुख को समझ सकता हूं बच्चो, लेकिन रो कर जी को हलका कर लेने से मृतका की आत्मा को शांति नहीं मिलेगी. उसे शांति तब मिलेगी, जब उस का हत्यारा फांसी के फंदे पर झूलेगा.’’

‘‘आप ठीक कह रहे हैं सर,’’ राकेश अपने आंसू पोंछते हुए बोला, ‘‘मेरी ताई के हत्यारे को गिरफ्तार कर के आप कड़ी से कड़ी सजा दिलवाइए.’’

‘‘हां, मैं ऐसा ही करूंगा. तुम बताओ, तुम्हारी ताई की हत्या कौन कर सकता है?’’ सुनील कुमार ने पूछा.

‘‘मैं क्या बताऊं सर, ताई बहुत अच्छी थीं, सब से प्यार से पेश आती थीं. उन का कोई दुश्मन भी नहीं था, लेकिन…’’ राकेश कहतेकहते रुक गया.

‘‘लेकिन क्या?’’ सुनील कुमार ने राकेश के चेहरे पर गहरी दृष्टि डाली, ‘‘देखो, तुम्हारे मन में जो भी बात हो, वह मुझे खुल कर बताओ.’’

राकेश ने गहरी सांस ली, ‘‘सर, मेरी ताई मनप्रीत के साथ लिवइन में रहती थीं. शुरू में तो मनप्रीत अंकल ताई को बहुत खुश रखता था लेकिन इधर कुछ समय से उस का ताई के साथ झगड़ा होता रहता था. वह गुस्से में ताई को पीट भी देता था. मुझे मनप्रीत बिलकुल पसंद नहीं था, इसलिए मैं यहां कम आता था.’’

‘‘मनप्रीत…’’ सुनील बुदबुदाए. राकेश की बात से उन्होंने तुरंत अनुमान लगा लिया कि रेखा रानी के कत्ल में मनप्रीत का ही हाथ है. उन्होंने राकेश के कंधे पर हाथ रखा, ‘‘बेटे, क्या मनप्रीत यहां मौजूद है? देख कर बताओ.’’

‘‘नहीं है सर,’’ राकेश ने वहां खड़े तमाम लोगों पर नजरें दौड़ा कर कहा, ‘‘मैं जब यहां आया था तब भी वह यहां नहीं था. मेरी बहन नीतू ने बताया है कि जब वह सो कर उठी थी, मनप्रीत कुरसी पर बैठा हुआ था. उस ने नीतू को धमका कर उस के कमरे में भेजा था. नीतू कमरे में जा कर सो गई थी, वह जब दोबारा सो कर उठी तो उसे मनप्रीत कहीं नजर नहीं आया, वह ताई के कमरे का ताला लगा कर चला गया था.’’

‘‘हूं.’’ इंसपेक्टर सुनील कुमार ने सिर हिलाया. उन्होंने वहां खड़ी नीतू से प्यार से कुछ सवाल कर के यह जानकारी हासिल कर ली कि मनप्रीत उस से और उस की मां रेखा से कैसा व्यवहार करता था.

नीतू ने बताया कि वह मनप्रीत को पसंद नहीं करती थी. वह उसे और उस की मां को पीटता था. मां से झगड़ा करता रहता था. मनप्रीत नशा भी करता था. उस के रूखे व्यवहार के कारण और घर में होने वाले क्लेश से वह हमेशा परेशान रहने लगी थी.

अपना घर लूटा, पर मिली मौत – भाग 2

पिता की बात सुन कर वह भी बुरी तरह परेशान हो गया. उस ने माना भी कि इस में कोई दोराय नहीं है. जसपिंदर के साथ कोई अनहोनी घटना घट सकती है क्योंकि उसे गायब हुए 14 दिन बीत चुके थे और अब तक उस का कहीं पता नहीं चला था. फिर उस के पास सोने के जेवरात और नकदी भी तो थे, जो अनहोनी का कारण बन सकते थे.

इस के बाद बिना समय गंवाए बापबेटा सीधे हठूर थाने जा पहुंचे और इंसपेक्टर जगजीत सिंह को पूरी बात बताई कि फिलीपींस की राजधानी मनीला में रहने वाले रिश्तेदार हरपिंदर सिंह ने उन्हें बेटी की हत्या हो जाने की जानकारी है. उस ने वह स्थान भी बताया जहां बेटी की लाश दफनाए जाने की संभावना थी.

जेसीबी से खुदाई कर दफनाई थी लाश

कमलजीत सिंह की बात सुन कर इंसपेक्टर जगजीत सिंह चौंक गए. आननफानन में उन्होंने धारा 364, 120बी आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया और उन के बताए गए चारों आरोपियों परमप्रीत सिंह उर्फ परम, भवनप्रीत सिंह उर्फ भवना, एकमप्रीत सिंह और हरप्रीत सिंह को सुधार, घुमाण और मंसूरा से हिरासत में ले कर पूछताछ के लिए हठूर थाने ले आए.

इंसपेक्टर जगजीत सिंह ने चारों आरोपियों से बारीबारी से कड़ाई से पूछताछ करनी शुरू की तो चारों ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया कि उन्होंने 24 नवंबर, 2022 को दिन में ही जसपिंदर का कत्ल कर दिया था और राज छिपाने के लिए उसे दफना दिया था. इस के बाद उन्होंने पूरी घटना का खुलासा कर दिया.

चूंकि जसपिंदर की लाश जमीन में दफनाई गई थी इसलिए उस की खुदाई के लिए मौके पर एक मजिस्ट्रैट का मौजूद रहना अनिवार्य था. फिर चारों आरोपियों से पूछताछ करतेकरते रात काफी हो चुकी थी, इसलिए बाकी की काररवाई अगले दिन के लिए छोड़ दी गई.

5 दिसंबर, 2022 को सुबह करीब 10 बजे ड्यूटी मजिस्ट्रैट एवं सिधवां बेट के नायब तहसीलदार मलूक सिंह, डीएसपी (रायकोट) रछपाल सिंह ढींढसा, एसएसपी हरजीत सिंह और हठूर थाने के एसएचओ जगजीत फार्महाउस पर पहुंच चुके थे और चारों आरोपी भी वहां लाए गए थे. मौके पर फोरैंसिक टीम भी आ चुकी थी और मिट्टी खुदाई के लिए जेसीबी भी बुला ली गई थी.

आरोपी परमप्रीत और भवनप्रीत की निशानदेही पर उस जगह की मिट्टी की खुदाई शुरू हुई, जहां जसपिंदर की लाश दफनाई गई थी. करीब 10 फीट लंबाई और 10 फीट चौड़ाई और 5 फीट गहराई तक मिट्टी निकाली गई तो वहां से तेज भभका उठने के साथ ही एक सड़ीगली लाश बरामद हुई.

लाश इस कदर सड़ गई थी कि पहचानी नहीं जा रही थी कि वह लाश किस की है. लेकिन कपड़ों के आधार पर कमलजीत और उन के बेटे शमिंदर ने उस की पहचान जसपिंदर कौर के रूप में कर ली थी.

लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद पुलिस ने पंचनामा तैयार कर लाश पोस्टमार्टम के लिए सुधार स्थित जिला अस्पताल भिजवा दी. आगे की कागजी काररवाई पूरी कर के चारों आरोपियों को ले कर इंसपेक्टर जगजीत सिंह थाने पहुंच गए थे.

पहले की लगाई गई धारा 364, 120बी के साथ हत्या की धाराओं 302 आईपीसी भी जोड़ दी गई. फिर उन्हें अदालत में पेश कर ताजपुर रोड स्थित सेंट्रल जेल लुधियाना भेज दिया. चारों आरोपियों से की गई पूछताछ के बाद इस हत्या के पीछे की प्रेम कहानी कुछ ऐसे सामने आई थी—

24 वर्षीय जसपिंदर कौर मूलरूप से लुधियाना जिले के हठूर थानाक्षेत्र स्थित गांव रसूलपुर की रहने वाली थी. पिता कमलजीत सिंह के 2 बच्चों शमिंदर सिंह और जसपिंदर में वह छोटी और सब की लाडली थी.

वैसे भी पंजाब खेतीबाड़ी के मामले में अग्रणी माना जाता है. कमलजीत सिंह किसान थे. बापबेटे दोनों मिल कर अपने खेतों में अथक मेहनत करते थे, जिस की बदौलत ही खेतों में इतना अनाज पैदा हो जाता था कि साल भर खाने के अनाज रख लेने के बाद बाकी बचे अनाज को बाजार में बेच देते थे. उन पैसों से उन की और परिवार की ठाठ से जिंदगी कट रही थी.

बच्चों के पसंद की हर चीज घर में उपलब्ध थी. अपनी समझ से कमलजीत सिंह किसी चीज की कमी नहीं रखते थे. बच्चों की एक फरमाइश पर उन के मनपसंद की हर चीज मिल जाती थी. उन के मनपसंद खानेपीने से ले कर पहननेओढ़ने तक सब उपलब्ध रहता था, वह भी उन की एक फरमाइश पर.

कमलजीत सिंह बेहद सीधे और सच्चे इंसान थे. जैसे वह खुद थे, बच्चों से भी वैसी ही उम्मीद करते थे कि वह भी उसी तरह बनें. लेकिन बिगड़े परिपाटी और टेलीविजन सभ्यता में यह संभव नहीं था.

शमिंदर और जसपिंदर भी इसी आधुनिक युग में जन्मे और पलेबढ़े थे तो संस्कार भी टेलीविजन वाले ही ग्रहण किए. दोनों बच्चे कमलजीत सिंह के विश्वास पर खरे नहीं उतरे, इस का मलाल उन्हें था.

जसपिंदर कौर थी तो दुबलीपतली, लेकिन तीखे नाकनक्श की थी. काले घने लंबे बाल कमर तक, सुराही की तरह पतली गरदन, गोलमटोल गोरा चेहरा, सिंदूरी सुर्ख गाल, गुलाब की नाजुक पंखुडि़यों के समान सुर्ख होंठ, झील सी गहरी कालीकाली आंखें. बलखा कर जब वह चलती थी तो दीवानों के मुंह से आह निकलती थी.

उन दीवानों में एक नाम परमप्रीत सिंह उर्फ परम का भी लिखा था, जो जसपिंदर कौर के दिल पर अपना नाम लिखने के लिए बेताब था. परम के प्रेम को जसपिंदर ने अपने दिल के कोरे पन्ने पर लिख लिया था. खैर, उन की उम्र के साथसाथ उन का प्यार भी जवां होता जा रहा था.

इसी जिले के सुधार थानाक्षेत्र स्थित वासी के मूल निवासी परमप्रीत उर्फ परम का दूसरा भाई भवनप्रीत उर्फ भवना और एक बहन परमिंदर थी. भाईबहन में परम बीच का था. सब से बड़ा भवनप्रीत था और सब से छोटी परमिंदर. परमिंदर अपनी ससुराल में थी.

परमप्रीत के पिता हरपिंदर सिंह एक एनआरआई थे. वह फिलीपींस की राजधानी मनीला में पत्नी के साथ रहते थे. दोनों बेटों को उन्होंने यहीं पढ़ने और खेतीबाड़ी की देखरेख करने के लिए छोड़ दिया था.

परमप्रीत और भवनप्रीत में बड़ा भवना की हरपिंदर सिंह ने गृहस्थी बसा दी थी. सिर्फ उन की जिम्मेदारी में परमप्रीत ही रह गया था. उस की भी शादी के लिए उन्होंने अपने नातेरिश्तेदारों के बीच में बात छेड़ दी थी कि कोई अच्छी खानदानी लड़की हो तो बताना. उस के साथ मंझले बेटे परमप्रीत की शादी कर देंगे. उन्होंने नातेरिश्तेदारों के बीच बात छेड़ तो दी थी लेकिन कोई बात बनी नहीं.

इधर परमप्रीत की मोहब्बत उसी के पिता के रिश्तेदार कमलजीत सिंह की सुंदर बेटी जसपिंदर कौर के साथ जवां हो रही थी. परम और जसपिंदर एकदूसरे से प्रेम करते थे. इस की जानकारी जसपिंदर के घर वालों को थी. उन्होंने बेटी पर परम से दूरी बनाए रखने के लिए उस पर कड़े पहरे लगाए लेकिन वह उन की हर बंदिशों को तोड़ कर अपने प्यार परम से मिलती ही थी.

ASI के फरेेबी प्यार में बुरे फंसे थाना प्रभारी – भाग 2

इसी सिलसिले में यह भी बात सामने आई कि रंजना टीआई को ब्लैकमेल कर 50 लाख रुपए वसूल चुकी थी. वह उस का इकलौता शिकार नहीं थे, बल्कि पहले भी 3 पुलिसकर्मियों पर दुष्कर्म का आरोप लगा कर उन से लाखों रुपए वसूल चुकी थी. रंजना खांडे मूलरूप से खरगोन के धामनोद की रहने वाली थी.

उस के बाद ही करीब 3 बजे पुलिस कमिश्नर के औफिस के बाहर गोलियां चली थीं. टीआई पंवार इस वारदात को ले कर घर से ही पूरा मन बना कर आए थे. यहां तक कि वह अपनी पत्नी तक से आक्रोश जता चुके थे. उन्होंने कहा था कि गोविंद जायसवाल से पैसे ले कर ही लौटेंगे.

कपड़ा व्यापारी गोविंद को उन्होंने 25 लाख रुपए दिए थे, जो लौटाने में आनाकानी कर रहा था. उन्होंने पत्नी लीलावती उर्फ वंदना से यह भी कहा था कि यदि उस ने पैसे नहीं दिए तो वह उसे मार डालेंगे. बात नहीं बनी तो अपनी जान भी दांव पर लगा देंगे.

58 साल के हाकम सिंह पंवार की नियुक्ति इसी साल 6 फरवरी को भोपाल के श्यामला हिल्स थाने में हुई थी. इस से पहले वह गौतमपुर, खुडेल, सर्राफा थाना, इंदौर कोतवाली, खरगोन, भिकमगांव महेश्वर, राजगढ़ में पदस्थापित रह चुके थे.उन का निवास स्थान वटलापुर इलाके में था. वहां उन्होंने एक फ्लैट किराए पर ले रखा था, लेकिन रहने वाले मूलत: उज्जैन जिले के तराना कस्बे के थे. वह भोपाल में अकेले रहते थे. मध्य प्रदेश पुलिस में वह सन 1988 में कांस्टेबल के पद पर भरती हुए थे. बताया जाता है कि उन्होंने 5 शादियां कर रखी थीं.

पहली शादी उन्होंने लीलावती उर्फ वंदना से की थी. बताया जाता है कि दूसरी शादी उन्होंने सीहोर की रहने वाली सरस्वती से की. गौतमपुरा में पोस्टिंग के दौरान उन की मुलाकात रेशमा उर्फ जागृति से हुई जो मूलरूप से इंदौर की पुरामत कालोनी की रहने वाली थी. वह उन की तीसरी पत्नी बनी.

मजीद शेख की बेटी रेशमा ने टीआई हाकिमसिंह पंवार पर अपना इस तरह प्रभाव जमा लिया था कि वह उनसे जब चाहे तब पैसे ऐंठती रहती थी. चौथी प्रेमिका के रूप में रंजना खांडे उन के जीवन में आई. हाकमसिंह की सर्विस बुक में लता पंवार का नाम है. चर्चा यह भी है कि भोपाल में तैनाती के दौरान उन्होंने माया नाम की महिला से शादी की थी. पुलिस इन सब की जांच कर रही है.

रंजना 3 पुलिस वालों से ऐंठ चुकी थी ,70 लाख रुपए जांच में पता चला कि सन 2012 में मध्य प्रदेश पुलिस में भरती हुई रंजना धार जिले के कस्बा धामनोद की रहने वाली थी और मौजूदा समय में इंदौर की सिलिकान सिटी में रह रही थी. उस की पंवार से अकसर मुलाकात महेश्वर थाने में होती थी.

वह महेश्वर थाने पर पंवार से मिलने के लिए 12 किलोमीटर की दूरी तय कर आती थी. रंजना के साथ उसका भाई कमलेश खांडे भी पंवार से मिलता रहता था.

रजंना और कमलेश ने मिल कर ब्लैकमेलिंग का तानाबाना बुना था. 28 वर्षीय कमलेश रंजना का भाई था. उस के बारे में मालूम हुआ कि वह एक आवारा किस्म का व्यक्ति था.3 पुलिसकर्मियों को ब्लैकमेल करने में उस की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी. तीनों से दोनों बहनभाई ने करीब 70 लाख रुपए की वसूली की थी. उन का तरीका एक औरत के लिए शर्मसार करने वाला था, लेकिन रंजना को इस से कोई फर्क नहीं पड़ता था. वह पैसे की इस कदर भूखी थी कि उस ने अपनी इज्जत, शर्म और मानमर्यादा को ताक पर रख दिया था.

एएसआई रंजना की दिलफेंक अदाओं पर पंवार तभी फिदा हो गए थे, जब वह पहली बार महेश्वर थाने में मिली थी. दरअसल, रंजना 2018 में थाने के काम से महेश्वर आई थी, वहां उस की मुलाकात टीआई पंवार से हुई थी.पंवार ने उस की मदद की थी, जिस से रंजना ने उसे साथ कौफी पीने का औफर दे दिया था. पंवार उस के औफर को ठुकरा नहीं पाए थे. उन के बीच दोस्ती की पहली शुरुआत कौफी टेबल पर हुई, जो जल्द ही गहरी हो गई.

साथ में पैग छलका कर टीआई से बनाए थे शारीरिक संबंध फिर एक दिन अपने भाई के साथ पंवार के कमरे पर आ धमकी. उस ने बताया कि उस के भाई का बिजनैस में किसी के साथ झगड़ा हो गया है. मामला उन्हीं के थाने का है. वह चाहें तो मामले को निपटा सकते हैं. इस संबंध में पंवार ने रंजना को मदद करने का वादा किया. इस खुशी में रंजना ने उन्हें एक छोटी सी पार्टी देने का औफर दिया और भाई से शराब की बोतलें मंगवा लीं. कमलेश विदेशी शराब की बोतलें और खाने का सामान रख कर चला गया.

पंवार के सामने शराब और शबाब दोनों थे. वह उस रोज बेहद खुश थे. उन की खुशी को बढ़ाने में रंजना ने भी खुले मन से साथ दिया था. देर रात तक शराब का दौर पैग दर पैग चलता रहा. इस दरम्यान रंजना ने टीआई हाकम सिंह पंवार के लिए न केवल अपने दिल के दरवाजे खोल दिए, बल्कि पंवार के सामने कपडे़ खोलने से भी परहेज नहीं किया.

बैडरूम में शराब की गंध के साथ दोनों के शरीर की गंध कब घुलमिल गई, उन्हें इस का पता ही नहीं चला. बिस्तर पर अधनंगे लेटे हुए जब उन की सुबह में नींद खुली, तब उन्होंने एकदूसरे को प्यार भरी निगाह से देखा. आंखों- आखों में बात हुई और एकदूसरे को चूम लिया. कुछ दिनों बाद रंजना पंवार से मिलने एक बार फिर अपने भाई के साथ आई. उस ने पंवार को धन्यवाद दिया और कहा कि उस की बदौलत ही उस का मामला निपट पाया. इसी के साथ रंजना ने एक दूसरी घरेलू समस्या भी बता दी. वह समस्या नहीं, बल्कि पैसे से मदद करने की थी.

रंजना ने बताया कि उस के परिवार को तत्काल 5 लाख रुपए की जरूरत है. पंवार पहले तो इस बड़ी रकम को ले कर सोच में पड़ गए, किंतु जब उस ने शराब की बोतल दिखाई तब वह पैसे देने के लिए राजी हो गए. टीआई पंवार ने उसी रोज कुछ पैसे अपने घर से मंगवाए और कुछ दोस्तों से ले कर रंजना को दे दिए.

बदले में रंजना को पहले की तरह ही रात रंगीन करने में जरा भी हिचक नहीं हुई. इस तरह पंवार को रंजना से जहां यौनसुख मिलने लगा, वहीं रंजना के लिए पंवार सोने का अंडा देने वाली मुर्गी बन चुके थे. धीरेधीरे रंजना उन से लगातार पैसे की मांग करने लगी. पंवार भी उस की पूर्ति करते रहे. लेकिन आए दिन की जाने वाली इन मांगों से पंवार काफी तंग आ चुके थे.

हद तो तब हो गई जब रंजना ने एक बार पूरे 25 लाख रुपए की मांग कर दी. उस ने न केवल रुपए मांगे, बल्कि भाई के लिए एक कार तक मांग ली. इस मांग के बाद पंवार का पारा बढ़ गया. वह गुस्से में आ गए. फोन पर ही धमकी दे डाली. किंतु रंजना ने बड़ी शालीनता से उन की धमकी का जवाब एक वीडियो क्लिपिंग के साथ दे दिया.

रासिला ने ऐसा सोचा भी न था

आईटी क्षेत्र में बंगलुरु की इंफोसिस सौफ्टवेयर कंपनी का एक बड़ा नाम है. केरल की रहने वाली रासिला ओ.पी. इसी कंपनी के पुणे फेज-2 स्थित कंपनी में नौकरी करती थी. वह सौफ्टवेयर इंजीनियर थी. इस कंपनी के प्रोजेक्ट इतने महत्त्वपूर्ण होते हैं कि उन्हें पूरा करने के लिए कर्मचारियों और अधिकारियों को कभीकभी 24-24 घंटे तक काम करना पड़ता है. 29 जनवरी को रविवार था.

शहर के अधिकांश औफिस और प्रतिष्ठान बंद थे. लेकिन इंफोसिस कंपनी का एक प्रोजेक्ट इतना अर्जेंट था कि उसे पूरा करने के लिए कर्मचारियों को रविवार को भी औफिस आना पड़ा था. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी पुणे और बंगलुरु टीम को सौंपी गई थी. रासिला भी उस दिन इसी प्रोजेक्ट की वजह से औफिस आई थी. बंगलुरु में कुछ कर्मचारी अपनेअपने घरों में बैठ कर उस की मदद कर रहे थे.

कंपनी का प्रोजेक्ट लगभग पूरा हो गया था. केवल कुछ ही औपचारिकताएं बाकी रह गई थीं कि शाम 7 बजे अचानक रासिला और बंगलुरु टीम के बीच फोन और ईमेल से होने वाली बातचीत बंद हो गई. बंगलुरु के कर्मचारी समझ नहीं पाए कि अचानक यह क्या हो गया.

तमाम कोशिशों के बाद भी रासिला और बंगलुरु के कर्मचारियों के बीच जब संपर्क नहीं हो पाया तो उन के मन में तरहतरह की आशंकाएं जन्म लेने लगीं. उन्होंने पुणे के बड़गांव में रहने वाले इंफोसिस सौफ्टवेयर के सीनियर एसोसिएट कंसलटेंट और रासिला के प्रोजेक्ट रिपोर्टिंग मैनेजर अभिजीत कोठारी को फोन किया.

उन्हें सारी बातें बता कर रासिला के विषय में पता लगाने के लिए कहा. अभिजीत ने उसी वक्त रासिला को फोन लगाया. उस के फोन की घंटी तो बज रही थी, पर वह फोन नहीं उठा रही थी. इस के बाद उन्होंने पुणे फेज-2 स्थित कंपनी के औफिस के लैंडलाइन पर फोन किया.

फोन एक सिक्योरिटी गार्ड ने उठाया. उस ने अभिजीत को बताया कि वह ड्यूटी पर अभीअभी आया है. उस के पहले ड्यूटी पर सिक्योरिटी गार्ड भावेन सैकिया था. वह अपनी ड्यूटी पूरी कर के अपना चार्ज उसे दे कर चला गया है. अभिजीत कोठारी ने जब ड्यूटी पर मौजूद गार्ड से रासिला के बारे में पूछा तो गार्ड रासिला की केबिन में गया. इस के बाद उस गार्ड ने जो जानकारी दी, उसे सुन कर उन के पैरों तले से जमीन खिसक गई.

फिर क्या था, कुछ ही देर में अभिजीत कोठारी इंफोसिस के औफिस पहुंच गए. उन्होंने देखा कि औफिस के अंदर रासिला की खून से लथपथ लाश पड़ी थी. शव के आसपास काफी खून फैला था. चेहरा पूरी तरह किसी भारी और ठोस वस्तु से कुचला गया था. अभिजीत कोठारी ने मामले की जानकारी कंपनी के प्रमुख अधिकारियों और रासिला के परिवार वालों को देने के बाद थाना हिंजवाली पुलिस को दे दी थी.

थाना हिंजवाली के थानाप्रभारी अरुण वायकर अपने सहायकों के साथ तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गए. हत्या की जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दे कर वह मामले की जांच में जुट गए. वह घटनास्थल का निरीक्षण कर रहे थे कि पुणे शहर के डीसीपी गणेश शिंदे, एसीपी वैशाली जाधव भी घटनास्थल पर आ गईं.

उन के साथ डौग स्क्वायड और फिंगरप्रिंट ब्यूरो के अधिकारी भी आए थे. सभी ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया तो पाया कि रासिला की हत्या की बड़ी बेरहमी से की गई थी. उस के गले में एक पीले रंग का तार लपेटा हुआ था. वह कंप्यूटर का तार था. पुलिस यह जानने की कोशिश करने लगी कि ऐसा कौन व्यक्ति हो सकता है, जिस ने इस की हत्या के बाद चेहरा तक कुचल दिया.

घटनास्थल की काररवाई पूरी कर के पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए पुणे के मसन अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिजीत कोठारी की ओर से रासिला की हत्या का मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी. शुरुआती जांच में पुलिस को पता चला कि रासिला जिस केबिन में बैठती थी, वह बेहद सुरक्षित थी.

उस का दरवाजा एक विशेष कार्ड के टच होने पर ही खुलता था. इस से पुलिस को यही लगा कि उस की हत्या में किसी ऐसे आदमी का हाथ है, जिस का उस केबिन में आनाजाना था. इस संबंध में पुलिस ने कंपनी के कर्मचारियों से पूछताछ की तो कंपनी का सिक्योरिटी गार्ड भावेन सैकिया पुलिस के शक के दायरे में आ गया. इस के बाद कंपनी के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी गई तो स्पष्ट हो गया कि सिक्योरिटी गार्ड भावेन ने ही रासिला की हत्या की थी.

एसीपी वैशाली जाधव के निर्देशन में जब पुलिस टीम सिक्योरिटी गार्ड भावेन के घर पर पहुंची तो वह घर पर नहीं मिला. उस के घर के दरवाजे पर ताला लगा था. पड़ोसियों ने बताया कि भावेन की मां की तबीयत अचानक खराब हो गई थी, इसलिए वह अपने गांव चला गया है. जिस सिक्योरिटी एजेंसी में उस की नियुक्ति थी, उस से संपर्क कर पुलिस ने भावेन के बारे में सारी जानकारी ले ली.

जहांजहां से भावेन के गांव जाने के साधन मिलते थे, उन सभी रास्तों पर नाकेबंदी करवा दी गई. इस के अलावा जांच टीम को 7 भागों में विभाजित कर उन्हें महानगर मुंबई और पुणे के विभिन्न इलाकों के लिए रवाना कर दिया गया. रासिला की हत्या पुणे पुलिस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुकी थी. क्योंकि पिछले साल आईटी प्रोफेशनल महिला ज्योति कुमारी, नयना पुजारी, दर्शना टोगारी और अंतरा दास की कंपनी के सिक्योरिटी गार्डों द्वारा जिस तरह हत्याएं की गई थीं, उसे देख कर आईटी कंपनियों में काम करने वाली महिलाओं के भीतर डर का माहौल बन गया था.

इसलिए इस मामले का खुलासा करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर दबाव बढ़ गया था. यही वजह थी कि एसीपी वैशाली जाधव ने इस मामले की जांच अपने हाथों में ले ली थी. आखिरकार एसीपी वैशाली जाधव और उन की टीम की मेहनत रंग लाई और 8 घंटे की कोशिश के बाद सौफ्टवेयर इंजीनियर रासिला के हत्यारे भावेन सैकिया को महानगर मुंबई के छत्रपति शिवाजी रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया गया.

पुलिस टीम जिस समय छत्रपति शिवाजी रेलवे स्टेशन पहुंची थी, उस समय रात के लगभग 3 बज रहे थे. भावेन सैकिया अपना पूरा चेहरा कंबल के नीचे ढक कर टिकट खिड़की के पास बैठा खिड़की के खुलने का इंतजार कर रहा था. मुखबिर के इशारे पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था.

सिक्योरिटी गार्ड भावेन सैकिया को ले कर पुलिस पुणे आ गई. उस से थोड़ी पूछताछ कर के उसे पुणे के प्रथम श्रेणी दंडाधिकारी ए.एस. वारूलकर के सामने पेश कर 4 फरवरी, 2017 तक की रिमांड पर ले लिया. पूछताछ में उस ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. उस ने इस हत्याकांड की जो कहानी बताई, इस प्रकार निकली.

27 वर्षीय भावेन सैकिया मूलरूप से असम के गांव ताती विहार का रहने वाला था. उस के पिता ने 3 शादियां की थीं. भावेन सैकिया उन की तीसरी पत्नी का बेटा था. भावेन महत्त्वाकांक्षी के साथ पढ़ाईलिखाई में भी होशियार था.

उस का स्वभाव उग्र था. इस वजह से उस की अपने सौतेले भाइयों से नहीं पटती थी. 12वीं कक्षा में अच्छे अंक पाने के बाद उस ने स्नातक की पढ़ाई करनी चाही पर उस के सौतेले भाई नहीं चाहते थे कि वह पढ़े. किसी न किसी बात को ले कर वह उस से झगड़ने लगते थे. फिर एक दिन झगड़ा इतना बढ़ गया कि सन 2013 में उस ने अपने सौतेले भाई की हत्या कर दी. हत्या के बाद वह घर से फरार हुआ तो वापस गांव नहीं लौटा.

सन 2014 में वह पुणे पहुंच गया और वहां की एक सिक्योरिटी एजेंसी में सिक्योरिटी गार्ड के पद पर उस की नौकरी लग गई. कंपनी की तरफ से भावेन की तैनाती इंफोसिस सौफ्टवेयर कंपनी के औफिस में हो गई. उस ने औफिस के पास ही हिजवाड़ी जयरामनगर के फेज-3 में एक कमरा किराए पर ले लिया.

नौकरी के दौरान उस में काफी परिवर्तन आ गया था. औफिस में काम करने वाली लड़कियों को वह चाहत की निगाहों से देखता. खूबसूरत लड़कियां उस की कमजोरी बन गई थीं. किसी न किसी बहाने वह उन से बातें करता और उन्हें छूने की कोशिश करता था. इसी प्रकार की कोशिश जब उस ने रासिला ओ.पी. के साथ की तो उस ने भावेन की बात अनदेखी नहीं की, बल्कि उस से अपनी नाराजगी भी जता दी.

घटना के 2 दिन पहले रासिला ने भावेन सैकिया को अपने केबिन में बुला कर काफी डांटाफटकारा और उस की हरकतों की शिकायत ईमेल द्वारा उस की सिक्योरिटी कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों से करने की भी धमकी दी. इस धमकी से भावेन काफी डर गया था. उसे लग रहा था कि रासिला उस की शिकायत जरूर कर देगी. उस की शिकायत पर उसे अपनी नौकरी जाने का डर था.

24 वर्षीय रासिला ओझम पोईल पुराईत उर्फ रासिला ओ.पी. मूलरूप से केरल राज्य के कालीकट जिले के गांव कुदमंगलम की रहने वाली थी. उस के पिता ओझम पोईल पुराईत उर्फ राजू ओ.पी. होमगार्ड में एक तृतीय श्रेणी कर्मचारी थे. परिवार में उस के और पिता के अलावा एक बड़ा भाई तेजस कुमार ओ.पी. था. मां पुष्पलता का देहांत उस समय हो गया, जब छोटी थी. दोनों भाईबहन का बचपन बहुत ही गरीबी में बीता था. पिता से ही दोनों को मां का प्यार मिला था. घर की परिस्थतियों को देखते हुए दोनों बच्चों ने मन लगा कर पढ़ाई की.

रासिला और तेजस कुमार दोनों ने 98 प्रतिशत अंकों से 12वीं की परीक्षा पास की. इंजीनियरिंग की परीक्षाएं भी दोनों ने प्रथम श्रेणी से पास की थीं. इंजीनियरिंग के बाद तेजस कुमार को आबूधाबी की एयरलाइंस कंपनी में और रासिला की बंगलुरु की इंफोसिस सौफ्टवेयर कंपनी में असिस्टैंट इंजीनियर के पद पर नौकरी लग गई. अपने बच्चों को अच्छी जगह और अच्छे पद पर देख कर राजू ओ.पी. की सारी चिंताएं दूर हो गईं. रासिला की अच्छी पोस्ट देख कर तो उस की शादी के रिश्ते भी आने शुरू हो गए थे.

रासिला खूबसूरत तो थी ही, साथ ही वह कंपनी की जिस पोस्ट पर काम करती थी, उस की जिम्मेदारी भी अच्छी तरह निभा रही थी. अपने काम और व्यवहार से उस ने कंपनी के कई वरिष्ठ अधिकारियों के दिल में एक खास जगह बना ली थी. इस श्रेणी में एक बड़ा अधिकारी ऐसा था जो रासिला को अपने दिल में एक खास जगह देना चाहता था, पर रासिला को वह पसंद नहीं था. जिस के कारण वह अधिकारी रासिला से चिढ़ गया और उसे किसी न किसी बहाने परेशान करने लगा.

उस अधिकारी से परेशान हो कर रासिला ने कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से उस की शिकायत कर दी. साथ ही अपना इस्तीफा भी दे दिया. लेकिन कंपनी ने उस का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया. बल्कि कंपनी ने रासिला का ट्रांसफर इंफोसिस कंपनी की पुणे ब्रांच में कर दिया और पुणे के हिजवाड़ी के जयरामनगर फेज-1 में उस के रहने की व्यवस्था भी कर दी. पुणे ब्रांच में रासिला को आए अभी 5 महीने ही हुए थे कि उसे औफिस के सिक्योरिटी गार्ड भावेन सैकिया से दोचार होना पड़ा.

घटना के दिन सारा औफिस बंद होने के बावजूद भी कंपनी द्वारा सौंपे गए प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए रासिला को अपने औफिस आना पड़ा था. दिन के 2 बजे जब वह अपने औफिस में पहुंची तो काफी खुश थी. उस समय सिक्योरिटी गार्ड भावेन अपनी ड्यूटी पर तैनात था. रासिला ने अपने एक्सेस कार्ड से केबिन का लौक खोला और केबिन के अंदर जा कर अपने बंगलुरु ब्रांच के कुछ साथियों के साथ औनलाइन जुड़ कर अपने प्रोजेक्ट की तैयारी में जुट गई थी.

इधर रासिला की धमकी और अपनी नौकरी को ले कर भावेन काफी परेशान था. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे क्या न करे. शिकायत को अपने वरिष्ठ अधिकारियों तक जाने से कैसे रोके इसी बारे में वह सोचने लगा. सोचविचार करने के बाद उस ने खतरनाक फैसला ले लिया.

उस समय रासिला औफिस में अकेली थी. बातचीत करने के लिए मौका अच्छा था. अपनी हरकतों की माफी मांगने के बहाने वह रासिला के केबिन में जाने में कामयाब हो गया. केबिन के अंदर पहुंचते ही उस ने रासिला से कहा, ‘‘मैडम, आप मेरी शिकायत मेरे अधिकारियों से नहीं करना वरना मेरी नौकरी चली जाएगी और मैं बेकार हो जाऊंगा.’’ वह गिड़गिड़ाया.

रासिला ने एक बार गार्ड के चेहरे को देखा. जिस पर मिलेजुले खौफ का असर स्पष्ट दिखाई पड़ रहा था. हालांकि रासिला ने उस की हरकतों को नजरअंदाज कर दिया था. लेकिन वह उसे थोड़ा और सबक सिखाना चाहती थी, जिस से वह सुधर जाए. इसलिए वह गंभीर होते हुए बोली, ‘‘नौकरी चली जाएगी, बेकार हो जाओगे तो मैं क्या करूं. तुम्हें  लड़कियों को परेशान करने का बड़ा शौक है न, अब भुगतो, मैं ने तो तुम्हारी शिकायत तुम्हारी कंपनी के सीनियर अधिकारियों को ईमेल से कर दी है. अब जाओ गांव में ही बैठना.’’

यह सुन कर भावेन का चेहरा क्रोध से तमतमा उठा. अपने आपे से बाहर होते हुए उस ने इंटरनेट का वायर खींच कर रासिला के गले में डालते हुए कहा, ‘‘मैडम, यह तुम ने अच्छा नहीं किया. अब तुम्हें इस की सजा तो भुगतनी ही पड़ेगी.’’

रासिला उस का इरादा जान कर अपने बचाव के लिए काफी चीखीचिल्लाई. पर उस वक्त उस की मदद के लिए वहां कोई नहीं था. उस ने उस इंटरनेट वायर से रासिला का गला घोंट दिया. उस की हत्या करने के बाद उस ने अपने बूटों से ठोकरें मारमार कर उस का चेहरा लहूलुहान कर दिया.

रासिला की हत्या करने के बाद जब भावेन का गुस्सा शांत हुआ तो वह बाहर आ कर आराम से अपनी जगह बैठ गया. उसे पुलिस और कानून का डर लगने लगा. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह अब कहां जाए. गांव जा नहीं सकता था, क्योंकि उस पर सौतेले भाई की  हत्या का आरोप था. पुणे और गांव की पुलिस से बचने के लिए उस के पास कोई रास्ता नहीं था. ऐसे में उसे बस आत्महत्या के अलावा और कोई चारा नहीं दिखा.

उस की ड्यूटी का टाइम भी पूरा हो चुका था. जैसे ही दूसरा सिक्योरिटी गार्ड शिफ्ट बदलने आया तो उसे जिम्मेदारी सौंप कर भावेन औफिस से निकल गया. आत्महत्या करने के लिए वह पुणे रेलवे स्टेशन पर पहुंचा ताकि किसी टे्रेन के सामने कूद कर जीवनलीला खत्म कर ले लेकिन ऐसा करने की उस की हिम्मत नहीं हुई.

फिर उस ने आत्महत्या करने के बजाय किसी दूसरे शहर में जाने का इरादा बनाया. अपने कमरे से उसे कुछ जरूरी सामान भी साथ लेना था. इसलिए कमरे पर पहुंच कर उस ने पड़ोसियों से झूठ कह दिया कि उस की मां की तबीयत खराब है. बैग में कपड़े आदि भर कर वह महानगर मुंबई के छत्रपति शिवाजी रेलवे स्टेशन पहुंचा. वहां से टिकिट ले कर उसे अपनी किसी मंजिल की ओर रवाना होना था. पर इस के पहले ही वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया. भावेन मराली सैकिया से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने न्यायालय में पेश कर उसे जेल भेज दिया.

पुलिस ने रासिला ओ.पी. के शव को पोस्टमार्टम के बाद उस के पिता राजू ओ.पी. और परिजनों को सौंप दिया. पिता और परिवार वालों का कहना था कि रासिला की हत्या एक साजिश के तहत इंफोसिस कंपनी के ही एक बड़े अधिकारी ने कराई है, जिस की शिकायत उन्होंने हिजवाड़ी पुलिस थाने में दर्ज करवा दी.

पुलिस ने उन्हें भरोसा दिया कि रासिला की हत्या के मामले में जो भी दोषी होगा, उस के खिलाफ सख्त काररवाई की जाएगी. मामले की जांच थानाप्रभारी अरुण वायकर कर रहे थे. कथा लिखे जाने तक भावेन सैकिया की जमानत नहीं हो सकी थी.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित