मोहब्बत की परिणति : क्या कहानी है इस परिवार की

रविवार 21 जनवरी, 2018 का अलसाया हुआ दिन था. बसंत ऋतु ने दस्तक दे दी थी, लेकिन सूरज की किरणों में फिर भी तेजी नहीं आई थी. सिहराती सर्द हवाओं के बीच आसमान दिन भर मटमैले बादलों से ही अटा रहा. लेकिन मौसम की बदमिजाजी से लोगों की आमदरफ्त में कोई तब्दीली नहीं आई थी.

कोटा स्टेशन की बाहरी हदों से शुरू होने वाले बाजार में रोजमर्रा की रौनक जस की तस कायम थी. अगर कोई फर्क था तो इतना कि लोगों के चेहरों पर कशमकश के भाव थे और शौपिंग की बजाय उन की उत्सुकता चोपड़ा फार्म जाने वाली गली नंबर-2 की तरफ थी, जिसे पूरी तरह पुलिसकर्मियों ने घेर रखा था.

तेज होती खुसुरफुसुर से ही पता चला कि किसी ने एक महिला और उस के बेटे की हत्या कर दी है. यह वारदात वहां रहने वाले चर्चित भाजपा नेता नीरज पाराशर के परिवार में हुई थी. बदमाशों ने घर में घुस कर नीरज पाराशर की पत्नी सोहनी और 12 साल के बेटे पीयूष को गोली मार दी थी.

बेटी तान्या वारदात का शिकार होने से बच गई थी. दरअसल, गोली लगने से पहले ही सोहनी ने उसे घर से बाहर फेंक दिया था. शोर मचा तो आसपास के रहने वाले लोग फौरन मौके पर पहुंच गए, लेकिन बदमाश तब तक भाग चुके थे.

खबर मिलने पर भीममंडी के थानाप्रभारी रामखिलाड़ी पुलिस बल के साथ वहां पहुंच गए थे. इस दोहरे हत्याकांड की खबर जब उन्होंने आला अधिकारियों को दी तो एएसपी समीर कुमार, डीएसपी शिवभगवान गोदारा, राजेश मेश्राम भी वहां आ गए. 10 मिनट बाद आईजी विशाल बंसल और एसपी अंशुमान भोमिया भी वहां पहुंच गए.

पुलिस अधिकारियों के सामने जो चुनौती मुंह बाए खड़ी थी, उस से निपटना आसान नहीं था. क्योंकि कुछ ही दिनों पहले स्टेशन क्षेत्र में एक और भाजपा नेता की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी. इस के अलावा शहर में हत्या की और भी कई वारदातें अनसुलझी पड़ी थीं. इस सब को ले कर एसपी साहब के चेहरे पर तनाव साफ दिखाई दे रहा था.

केस बड़ा पेचीदा था. पुलिस इस बात पर भी हैरान थी कि इस चहलपहल वाले इलाके में नीरज पाराशर के मकान में बदमाश बेखौफ हो कर आए और मांबेटे को गोलियों से भून कर चले गए.

सोहनी की करपटी और उस के बेटे पीयूष के सीने में गोलियां लगी थीं. लग रहा था जैसे उन्हें गोली बहुत करीब से मारी गई थी. एक गोली कमरे की दीवार पर भी लगी थी, दीवार पर गोली टकराने का निशान बन गया था. पुलिस ने मौके से गोली का खोल भी बरामद कर लिया.

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सूचना मिलने पर पुलिस फोटोग्राफर, क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम, डौग स्क्वायड और एफएसएल की टीमें भी वहां पहुंच गई थीं. सभी टीमें अपनेअपने ढंग से काम कर के लौट गईं. थानाप्रभारी रामखिलाड़ी मीणा ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया और आगे की जांच में जुट गए.

उन्होंने नीरज पाराशर से बात की तो उस ने बताया कि घटना के वक्त वह सब्जी लेने के लिए बाजार गया हुआ था. सरेआम हुई इस वारदात ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी थी. गोली चलाने वाले कौन थे, किस तरफ भागे थे, किसी को कुछ पता नहीं था. पुलिस ने आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज भी खंगाले, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.

पुलिस ने पड़ोसियों से बात की तो उन्होंने बताया कि हम ने गोलियां चलने की आवाज तो नहीं सुनी अलबत्ता मार दिया…मार दिया… की चीखपुकार जरूर सुनी थी. जिस के बाद वे लोग पाराशर के मकान की तरफ दौड़े. हालांकि कुछ लोगों ने पाराशर के मकान से एक आदमी को भागते देखा, लेकिन वह कौन था, कैसे आया और कहां गया, इस बाबत कुछ नहीं बता पाए.

पुलिस पूछताछ में रोताबिलखता नीरज ठीक से कुछ नहीं बता पा रहा था. टुकड़ों में जो कुछ वह कह रहा था, उस से पुलिस सिर्फ इतना समझ पाई कि उस की पत्नी सोहनी मुरैना की रहने वाली थी, जहां पड़ोस में रहने वाले चंद्रकांत पाठक उर्फ दिलीप से उस का अफेयर था. 2 महीने पहले सोहनी उस के साथ भाग गई थी, जिस की गुमशुदगी की सूचना उस ने थाना भीममंडी में दर्ज करा रखी थी.

पिछले दिनों उसे सोहनी के मुरैना में होने का पता चला तो वह मुरैना जा कर उसे ले आया. नीरज ने पुलिस को बताया कि वारदात करने वाला चंद्रकांत पाठक के अलावा कोई नहीं हो सकता. थानाप्रभारी ने यह सारी जानकारी एसपी अंशुमान भोमिया को दे दी.

इन सब बातों से अंशुमान भोमिया को लगा कि पूरे घटनाक्रम में सोहनी की कोई महत्त्वपूर्ण भूमिका रही होगी. इसलिए उन का पूरा ध्यान उस के अतीत और उस के प्रेमी चंद्रकांत पाठक पर अटक गया.

नीरज ने एसपी साहब से मुलाकात की. उस ने उन्हें एक नई जानकारी यह दी कि चंद्रकांत पाठक ने चेतन शर्मा के नाम से एक फरजी फेसबुक आईडी बना रखी थी. चंद्रकांत एक उच्चशिक्षित युवक था, साथ ही अच्छा शूटर भी. मध्य प्रदेश में उसे शार्पशूटर का अवार्ड मिल चुका था.

पुलिस ने नीरज से इस बारे में विस्तार से जानकारी मांगी कि सोहनी कब और कैसे गायब हुई थी? इस पर नीरज ने बताया, ‘‘नवंबर, 2017 में मैं अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अपनी ससुराल मुरैना गया था. वहां से 20 नवंबर को हम कोटा लौट आए थे. 22 नवंबर को मैं गोवर्धन परिक्रमा के लिए वृंदावन चला गया था.

मेरी गैरमौजूदगी में चंद्रकांत पाठक आया और जबरन पत्नी को ले कर चला गया. उस समय दोनों बच्चे भी घर पर थे, जो सो रहे थे. बाद में जब बेटा पीयूष सो कर उठा और उस ने मां को नहीं देखा तो उस ने मुझे फोन किया. तब मैं ने पत्नी की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कराई और अपने स्तर पर भी उस की तलाश करता रहा, लेकिन निराशा ही हाथ लगी.’’

उस ने आगे बताया, ‘‘सर, जनवरी, 2018 में अचानक मेरे पास पत्नी का फोन आया. उस ने किसी और के मोबाइल से फोन किया था. पत्नी ने मुझे बताया कि चंद्रकांत ने उसे कैद कर रखा है, आ कर उसे छुड़ा लें. यह जानने के बाद मैं मुरैना गया और पत्नी को साथ ले कर कोटा आ गया. चंद्रकांत पत्नी से कोई संपर्क न कर सके, इसलिए मैं ने पत्नी का फोन नंबर भी बदल दिया था. इस से खीझ कर एक दिन चंद्रकांत ने मुझे फोन पर ही धमकी दी कि सोहनी से बात करवा दो वरना पूरे परिवार को जान से मार देगा.’’

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नीरज से पूछताछ के समय एसपी अंशुमान भोमिया भी वहीं मौजूद थे. उन्होंने नीरज को तीखी नजरों से देखा, वह उन से आंखें नहीं मिला सका. नीरज के हावभाव और बातों से उन्हें उसी पर शक होने लगा था. लेकिन उन्होंने जानबूझ कर उसे ज्यादा कुरेदना उचित नहीं समझा. इसी बीच एक नई जानकारी ने पुलिस की तहकीकात का रुख मोड़ दिया.

पता चला कि चंद्रकांत पाठक शनिवार 20 जनवरी, 2018 की देर रात कोटा पहुंचा था और स्टेशन क्षेत्र के ही एक होटल में ठहरा था. पुलिस का मानना था कि निश्चित रूप से उस ने अगले रोज 21 जनवरी को दिन भर नीरज के घर के आसपास रेकी की होगी और जैसे ही उसे मौका मिला, वह वारदात को अंजाम दे कर भाग गया.

पुलिस ने नीरज और सोहनी की फेसबुक देखी तो इस प्रेम कहानी का काफी कुछ खुलासा हो गया. फेसबुक पर मोहब्बत और नफरत के जज्बात साथसाथ मौजूद थे. पत्नी के इस तरह छोड़ कर चले जाने से नीरज पाराशर इस हद तक परेशान था कि उस की यादें सहेजने के लिए पुराने फोटो शेयर करने के साथ मोहब्बत और हिकारत दोनों उगल रहा था.

15 दिसंबर, 2017 को नीरज ने अपनी फेसबुक पर लिखा, ‘आई हेट सोहनी पाराशर एंड माई लाइफ…’ 28 दिसंबर को सुर बदला तो उस के मन में सोहनी के लिए  तड़प पैदा हुई. उस ने लिखा, ‘आप कहां हो सोहनी, कम बैक प्लीज…’

31 दिसंबर को मोहब्बत ने जोर मारा तो नए साल की मुबारकबाद देते हुए लिखा, ‘विश यू ए हैप्पी न्यू ईयर सोहनी पाराशर’. 5 जनवरी को वैराग्य का भाव जागा तो कुछ अलग ही असलियत उजागर हुई, ‘सोहनी पैसे की दीवानी थी’. नीरज ने आगे लिखा, ‘इस दुनिया में कोई रिश्ता इंपोर्टेंट नहीं है, सब कुछ केवल पैसा है.’

पुलिस ने चंद्रकांत पाठक के फरजी नाम चेतन शर्मा की फेसबुक सर्च की तो चंद्रकांत और सोहनी की तूफानी मोहब्बत खुल कर सामने आ गई. 15 जनवरी को चंद्रकांत ने सोहनी के साथ करीब डेढ़ सौ फोटो शेयर किए थे, जो होटलों में मौजमस्ती और घूमनेफिरने की तस्दीक कर रहे थे.

17 जनवरी, 2018 को चंद्रकांत ने जो कुछ फेसबुक पर लिखा, उस ने उस के इरादों पर मुहर लगा दी. चंद्रकांत ने लिखा था, ‘इस दुनिया को अलविदा, मेरी जिंदगी यहीं तक थी. माफ कर देना, सभी का दिल दुखाया, बट गलत  मैं था. माफ कर देना… लव यू आल…सौरी.’

टूटे हुए दिल से निकले अल्फाज चंद्रकांत की उस मनोदशा की तसदीक कर रहे थे, जब कोई शख्स खुदकुशी का फैसला करता है जबकि सोहनी का कत्ल तो कुछ और ही कहानी की तरफ इशारा कर रहा था.

मामला काफी संदिग्ध था. नीरज अपनी बात पर अडिग था कि उस की पत्नी सोहनी की हत्या चंद्रकांत पाठक ने की है. लेकिन एसपी अंशुमान भोमिया के इस सवाल का उस के पास कोई जवाब नहीं था कि अगर तुम्हारी पत्नी से उस का अफेयर था तो आखिर ऐसा क्या हुआ कि वह उस की हत्या करने पर आमादा हुआ और मासूम बच्चे से चंद्रकांत की क्या दुश्मनी थी जो उस ने उसे भी गोली मार दी?

नीरज इस बाबत भी चुप्पी साधे रहा. एसपी अंशुमान भोमिया ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक समीर कुमार की अगुवाई में तेजतर्रार अफसरों डीएसपी शिवभगवान गोदारा, राजेश मेश्राम और भीमंडी नयापुरा और रेलवे कालोनी के थानाप्रभारियों को शामिल कर के एक पुलिस टीम बनाई और चंद्रकांत की तलाश में भेज दी. इस टीम ने उसे बिलासपुर, श्योपुर और देहरादून में तलाशा.

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पुलिस की यह कोशिश रंग लाई. चंद्रकांत को मध्य प्रदेश के श्योपुर से गिरफ्तार कर लिया गया. थाने ला कर जब उस से पूछताछ की गई तो पता चला कि वह उच्चशिक्षित था. उस ने मैथ्स, कैमिस्ट्री और कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री प्राप्त की थी. पीजीडीए किए चंद्रकांत पाठक के पास मास्टर औफ फाइन आर्ट्स की भी डिग्री थी.

इतना ही नहीं, वह सटीक निशानेबाज भी था. उसे बेस्ट शूटर का प्रोसीडेंट अवार्ड भी मिल चुका था. वह एनसीसी का सी सर्टिफिकेट होल्डर भी था.

एसपी भोमिया ने उस से पूछा कि इतना क्वालीफाइड हो कर भी उस ने इतनी संगीन वारदात को अंजाम कैसे दिया. इस बारे में उस ने जो कुछ बताया, उस से पूरी कहानी मोहब्बत पर आ कर सिमट गई.

चंद्रकांत पाठक उर्फ दिलीप उर्फ चेतन शर्मा मूलरूप से मुरैना के दत्तपुरा का रहने वाला था. सोहनी का परिवार उस के घर के ठीक सामने ही रहता था. दोनों का बचपन एक साथ खेलतेपढ़ते बतियाते बीता था. बचपन की यह दोस्ती कब प्यार में बदल गई, दोनों ही नहीं समझ सके. अलबत्ता दोनों मोहब्बत में इस कदर डूबे थे कि एकदूसरे के बिना रहने की कल्पना करना भी उन्हें गवारा नहीं था.

लेकिन पारिवारिक बंदिशों के कारण यह मोहब्बत जीवनसाथी की डोर में नहीं बंध पाई. कालांतर में सोहनी का विवाह कोटा के नीरज पाराशर से हो गया और चंद्रकांत ने भी परिवार की जिद के आगे सिर झुका कर कहीं दूसरी जगह शादी कर ली.

दोनों अलगअलग रिश्तों की डोर में बंध तो गए, लेकिन आशिकी खत्म नहीं हुई. चंद्रकांत के पिता का मुरैना में डीजे का काम था. वह पिता के काम में ही हाथ बंटाने लगा. बाद में चंद्रकांत के भी एक बेटा हो गया और सोहनी भी 2 बच्चों की मां बन गई.

इस के बावजूद सोहनी और चंद्रकांत के संबंध बने रहे. सोहनी अपने मायके मुरैना आती तो वह चंद्रकांत से जरूर मिलती. किसी तरह नीरज को इस बात की भनक लग गई. इस के बाद दोनों ने मिलने में ऐहतियात बरतनी शुरू कर दी. चंद्रकांत का कहना था, ‘कोई 2 महीने पहले मैं बिलासपुर में था. सोहनी वहीं आ गई थी. सोहनी अपनी ससुराल वालों को बिना बताए आई थी. इस के बाद चंद्रकांत ने सोहनी के साथ रहना शुरू कर दिया था.

‘इसी दौरान चंद्रकांत ने 20 लाख रुपए में अपनी दुकान बेची थी. वह रकम उस के पास मौजूद थी. इस बीच सोहनी उस की गैरहाजिरी में अपने पति के साथ कोटा चली गई. जाते समय वह मेरे 2 लाख रुपए और गहने अपने साथ ले गई थी. सोहनी ने मेरे साथ फरेब किया था.’

‘‘सोहनी के कत्ल की नौबत क्यों आई? अगर फरेब की कोई वजह थी तो उस मासूम बच्चे को क्यों मारा?’’ एसपी भोमिया ने पूछा.

‘‘नहीं सर, मेरा इरादा ऐसा नहीं था. मैं नीरज की गैरमौजूदगी में ही सोहना से मिलना चाहता था. ऐसा मैं ने किया भी.’’ एक पल रुकते हुए चंद्रकांत ने कहना शुरू किया, ‘‘मैं ने अपनी रकम और जेवरात सोहनी से मांगे तो वह उल्टे मुझ पर ही बरस पड़ी. मैं ने उसे डराने के लिए पिस्टल दिखाई, लेकिन अचानक बच्चा मेरे ऊपर झपट पड़ा और पिस्टल छीनने की कोशिश करने लगा. इस छीनाझपटी में ही ट्रिगर दब गया और बच्चे को गोली लग गई.

‘‘सोहनी को तो मुझे मजबूरी में मारना पड़ा. उसे नहीं मारता तो वह बेटे की हत्या की गवाह बन जाती. बेटे की मौत से सोहनी को अपनी बेटी की जान भी खतरे में नजर आई तो उस ने बच्ची को दरवाजे की तरफ फेंक दिया. सोहनी पर मैं ने 2 गोलियां चलाईं. अफरातफरी में निशाना चूक गया और एक गोली दीवार में धंस गई. एक गोली उस की कनपटी पर लगी थी. उस के बाद मैं बुरी तरह दहशत में आ गया था. इस के बाद मैं पहले दिल्ली चला गया फिर श्योपुर आ गया.’’

पुलिस ने उस से पूछताछ करने के बाद उसे भादंसं की धारा 302 के तहत गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. 2 लाख की रकम और जेवरात अभी पुलिस बरामद नहीं कर पाई. कथा लिखे जाने तक चंद्रकांत जेल में बंद था.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

फरेबी प्यार में हारी अय्याशी – भाग 2

पुनीत तिवारी के इस तरह प्यार का इजहार करने से अंजू ने कुछ न कहते हुए मुसकरा दिया. इस से पुनीत का हौसला बढ़ गया. उस ने दोस्तों से सुन रखा था कि लड़की हंसी तो समझो फंसी. पुनीत ने धीरे से उस का हाथ पकड़ा और मंडप के पीछे ले जा कर बोला, ‘‘तुम्हारा नाम क्या है?’’

‘‘अंजू नाम है मेरा और तुम्हारा?’’ शरमाते हुए अंजू बोली.

‘‘मेरा नाम पुनीत है. मैं आंचलखेड़ा गांव में रहता हूं. मैं अपने दोस्त की बारात में आया हूं,’’ पुनीत बोला.

‘‘मैं सोहागपुर से मौसी की लड़की की शादी में यहां आई हूं,’’ अंजू ने भी अपने बारे में बताया.

लोग वरमाला मंडप में फोटोग्राफी में लगे हुए थे, उधर पुनीत और अंजू के दिलों में प्यार के बीज अंकुरित हो रहे थे.

प्रेम की आग एक बार लग जाए तो बुझाए नहीं बुझती. पुनीत और अंजू के साथ भी यही हुआ. पुनीत अंजू से मिलने सोहागपुर आने लगा. इधर अंजू के पिता राजाराम गोस्वामी उस के लिए लड़का तलाश रहे थे.

एक दिन मुलाकात के दौरान जब अंजू ने पुनीत को यह बात बताई कि उस के घर वाले शादी के लिए लड़का खोज रहे हैं तो पुनीत ने उस से कहा, ‘‘अंजू, कोई तुम्हें मुझ से नहीं छीन सकता, तुम से तो शादी मैं ही करूंगा.’’

‘‘पर पुनीत हम दोनों एक ही जातिबिरादरी के नहीं है, घरपरिवार के लोग हमारी शादी को राजी कैसे होंगे?’’ अंजू ने चिंतित होते हुए कहा.

‘‘तुम घरपरिवार के लोगों की चिंता मत करो, यदि मुझ से सच्चा प्यार करती हो तो मेरे संग चलने को तैयार हो जाओ, मैं तुम्हें पलकों पर बिठा कर रखूंगा.’’ पुनीत ने उस के सिर पर हाथ रखते हुए कहा.

अंजू ने सिर हिला कर अपनी मौन सहमति दी और अपना सिर पुनीत की गोद में रख दिया. पुनीत ने अंजू के होंठों पर होंठ रख दिए और उस के केशों में हाथ घुमाते हुए कहा, ‘‘कल रात को तुम तैयार रहना. रात 12 बजे के बाद जब घर के लोग सो जाएं, तब मुझे मिस काल करना, मैं तुम्हारे घर के बाहर बाइक ले कर खड़ा मिलूंगा.’’

अंजू ने पुनीत को भरोसा दिलाया और योजना के मुताबिक एक रात वह पुनीत के साथ भाग खड़ी हुई. दोनों ने होशंगाबाद जा कर कोर्टमैरिज कर ली. फिर वह पतिपत्नी के रूप में रहने लगे.

पुनीत ने परिवार के खिलाफ जा कर प्रेम विवाह किया था. इसी वजह से राजाराम गोस्वामी का परिवार पुनीत से खुन्नस रखता था.

इतना ही नहीं, राजाराम के बड़े बेटे का निधन बुधनी के पास एक ऐक्सीडेंट में हो गया था, परंतु राजाराम के परिवार के लोगों का शक था कि उस के बेटे मुकेश का ऐक्सीडेंट नहीं हुआ, बल्कि उसे पुनीत ने साजिश के तहत मारा है. जिस के लिए पूरा परिवार पुनीत को ही जिम्मेदार मान रहा था.

अंजू का छोटा भाई प्रदीप इस बात को ले कर ज्यादा दुखी था, क्योंकि पुनीत ने अंजू से मेलमुलाकात करने के लिए प्रदीप से दोस्ती बढ़ाई थी, जिसे वह समझ नहीं पाया. अपनी बहन के पुनीत के साथ भाग जाने से प्रदीप के यारदोस्त उस का मजाक उड़ाते थे, यह बात उसे नागवार गुजरती थी.

राजाराम का बेटा भले ही नाबालिग था, परंतु उस की दोस्ती अपने से बड़ी उम्र के युवकों से थी. प्रदीप की दोस्ती नवल गांव के 30 साल के राजेंद्र उर्फ राजू रघुवंशी से थी. राजू भी प्रदीप की बहन अंजू की खूबसूरती का दीवाना था और उस से शादी करने के ख्वाब देखता था. परंतु अंजू का प्यार पुनीत के साथ परवान चढ़ चुका था, इस वजह से वह उसे घास नहीं डालती थी.

प्रदीप किशोरावस्था की दहलीज पर खड़ा अपना दिल अपने से उम्र में बड़ी लड़की नूरजहां उर्फ अनन्या को दे चुका था. उम्र में छोटा होने की वजह से कोई उस पर शक भी नहीं करता था.

22 साल की नूरजहां सोहागपुर गांधी वार्ड में ही रहने वाले मुबारक शाह की बेटी थी. विवाह के कुछ ही समय बाद उस का अपने शौहर से तलाक हो गया था. तलाक के बाद  उस ने कुंवारे प्रदीप पर डोरे डालने शुरू कर दिए.

किशोरावस्था में प्रदीप को मिले इस तरह के प्रेम निवेदन को वह कैसे इंकार करता. दोनों प्रेम के रंग में डूब गए. नूरजहां प्रदीप के बालिग होने का इंतजार कर रही थी. उस के बाद उस का इरादा धर्म परिवर्तन कर प्रदीप के साथ शादी करने का था.

एक दिन प्रदीप ने नूरजहां से कहा, ‘‘पुनीत ने मेरी बहन से शादी कर के हमारे पिता की बदनामी कराई है, मैं उस से बदला लेना चाहता हूं.’’

इस पर नूरजहां ने साथ देते हुए कहा, ‘‘जरूर लो बदला, आखिर उस ने दोस्तों में तुम्हारी इज्जत पर भी तो बट्टा लगाया है.’’

‘‘नूरजहां, तुम्हें इस काम में मेरा साथ देना होगा.’’

‘‘प्रदीप, आखिर इस में मैं क्या मदद कर सकती हूं?’’ आश्चर्य व्यक्त करते हुए नूरजहां बोली.

‘‘नूरजहां, मैं पुनीत को अच्छी तरह से जानता हूं, वह किसी एक खूंटे से बंधा नहीं रह सकता. खूबसूरत लड़कियों को देख कर उस का मन डोलने लगता है. तुम किसी तरह उस से नजदीकियां बढ़ाओ और अपने प्रेम का प्रदर्शन करो तो वह तुम्हारे जाल में फंस जाएगा,’’ प्रदीप बोला.

‘‘ना बाबा ना, तौबातौबा आखिर इस से क्या हासिल होगा?’’ नूरजहां डरते हुए बोली.

‘‘मेरा पूरा प्लान तो सुनो पहले. जब पुनीत तुम्हारे प्रेम जाल में फंस जाएगा तो उसे मिलने कहीं एकांत में बुला लेना, उस के बाद हम उस का काम तमाम कर देंगे.’’ प्रदीप ने अपना प्लान समझाते हुए कहा.

‘‘मगर इस में तो खतरा बहुत है, पकड़े गए तो जेल में चक्की पीसेंगे.’’ नूरजहां ने शंका व्यक्त की.

‘‘नूरजहां तुम फिक्र मत करो, तुम तो पुनीत को बुला कर वहां से भाग जाना. मैं और मेरा दोस्त लकी उसे ठिकाने लगा देंगे, किसी को भनक भी नहीं होगी.’’

इस तरह प्रदीप ने नूरजहां, राजू रघुवंशी और दोस्त लकी कहार के साथ मिल कर अपने बहनोई पुनीत तिवारी की हत्या की खौफनाक साजिश रची.

आरोपी राजू रघुवंशी की नजर शादी से पहले से ही अंजू पर थी. राजू का प्रदीप के घर आनाजाना रहता था और वह मन ही मन अंजू से प्यार करने लगा था. राजू अपने प्रेम का इजहार कर पाता, इस के पहले ही पुनीत अंजू को भगा कर ले गया. कुछ समय के बाद पुनीत और अंजू ने कोर्टमैरिज कर ली.

रिश्तों पर भारी पड़ी मोहब्बत – भाग 1

‘‘मियां, क्या बात है बड़े खुश नजर आ रहे हो आजकल? मुझे नहीं बताओगे अपने दिल की

बात?’’ दाऊद ने अपने दोस्त नदीम को छेड़ा.

‘‘तुम्हीं तो मेरे हमदम, मेरे दोस्त हो. अपने दिल की बात तुम से नहीं बताऊंगा तो और किसे बताऊंगा.’’ नदीम ने मुसकराते हुए जवाब दिया.

‘‘तो दिल की बात कह भी डालो यार, अब और बरदाश्त नहीं होता.’’

‘‘बताता हूं, बताता हूं, थोड़ा सब्र करो भाई. मैं सब बताता हूं.’’

‘‘भाई, कहीं इश्कविश्क का चक्कर तो नहीं है?’’

‘‘हां दाऊद भाई, मुझे किसी से इश्क हो गया है. बेपनाह इश्क. मैं उसे चाहने लगा हूं, वो भी मुझे चाहती है.’’

‘‘कौन है वो खुशकिस्मत, जिस से मेरा यार दिल लगा बैठा है? मुझे उस के बारे में नहीं बताएगा?’’

‘‘भाई, बताऊंगा भी और मुलाकात भी कराऊंगा. बस, सही वक्त आने दो मेरे यार.’’

‘‘नाम क्या है उस नाजनीन का और कहां रहती है?’’ दाऊद ने बेसब्री से पूछा.

‘‘नुसरत जहां.’’ नदीम ने जवाब दिया.

‘‘नुसरत जहां! कौन नुसरत जहां?’’

‘‘अरे वो ही वकील इम्तियाजुल की बेगम, जहां बच्चों को अरबी की ट्यूशन पढ़ाने जाता हूं.’’

‘‘अच्छा तो मियां बच्चों की अम्मी से दिल लगा बैठे?’’

‘‘क्या करूं यार, पहल तो नुसरत ने की थी. और फिर मैं ठहरा बांका जवान. उस के प्यार को अपनी जवानी की जंजीर से कैद न करता तो मुझे नामर्द समझती. मैं ऐसावैसा थोड़े न हूं. लपक कर उसे अपनी बाहों में भर लिया.’’

इस के बाद नदीम अहमद और दाऊद घंटों नुसरत को ले कर बातें करते रहे. यहां बता दें कि नदीम अहमद एक मसजिद का मुअज्जिन (सेवादार) था और नुसरत जहां के बच्चों को उस के घर अरबी की तालीम देता था जबकि दाऊद उसी मसजिद का इमाम था. हमउम्र होने के नाते दोनों के बीच गहरा याराना था.

नदीम उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले की दरगाह शरीफ थाना के मुसल्लमपुर राम गांव  का रहने वाला था, जबकि दाऊद कोतवाली नगर थाने के काजीपुरा में रहता था. दोनों एक ही मसजिद के सेवक थे. वहीं दोनों का आपस में परिचय हुआ था.

बहरहाल, 17 अक्तूबर, 2022 की तारीख थी उस दिन और सुबह के यही कोई 8 बज रहे थे. दरगाह शरीफ थाने के मुंशी और दीवान औफिस में आ चुके थे और अपने काम में जुट गए थे. तभी एक महिला, जिस की उम्र 35-36 साल के आसपास थी, थाना परिसर में रोतीबिलखती दाखिल हुई.

महिला के रोने की आवाज सुन कर दीवान (हैडकांस्टेबल) दयाराम की नजर औफिस से बाहर गेट की ओर गई तो उन्होंने संतरी दिनेश को आवाज दे कर महिला को औफिस भेजने के लिए कहा.

2 मिनट बाद महिला दीवान दयाराम के सामने खड़ी थी. दीवान ने उस से रोने का कारण पूछा तो महिला ने रोते हुए बताया, ‘‘साहब, मैं तो लुट गई बरबाद हो गई.’’

‘‘अरे भई, पहले रोनाधोना बंद करो. जो पूछता हूं उसे साफसाफ बताओ. तुम्हारे साथ क्या हुआ? तुम्हारा नाम क्या है और कहां रहती हो?’’

‘‘नुसरत जहां नाम है मेरा. मैं सलारगंज की जमील कालोनी में रहती हूं. मैं अपने शौहर और बच्चों के साथ बरामदे में सो रही थी. रात में न जाने कब किसी ने मेरे शौहर की गला काट कर हत्या कर दी साहब. मैं तो बरबाद हो गई. मेरे दोनों छोटेछोटे बच्चे बिखर गए.’’ इतना कह कर नुसरत जहां दहाड़ मार कर फिर से रोने लगी थी.

दीवान दयाराम ने समझाबुझा कर किसी तरह उसे चुप कराया.

हत्या की बात सुनते ही दीवान दयाराम बुरी तरह चौंक गए. फौरन उन्होंने इस की सूचना एसएचओ मनोज कुमार को दी. हत्या की सूचना मिलते ही मनोज कुमार हैरान रह गए. गश्त कर के सुबहसुबह लौटे थे और सो रहे थे जैसे ही सूचना मिली. नींद आंखों से कोसों दूर हो गई थी.

एसएचओ मनोज फटाफट बिस्तर से उतरे और हाथमुंह धो कर बिना चाय पीए ही टीम के साथ घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए. घटनास्थल की दूरी थाने से 7-8 किलोमीटर रही होगी. थोड़ी देर में ही वह टीम के साथ वहां पहुंच गए और जांच में जुट गए.

मरने वाले का नाम था इम्तियाजुल हक और वह पेशे से सिविल कोर्ट बहराइच में वकील थे. पुलिस जांच में जुटी हुई थी. हत्यारों ने बड़ी बेरहमी से गला रेत कर उन की हत्या की थी. सिर के पिछले हिस्से में भी किसी भारी चीज से वार किया था.

लेकिन हैरान करने वाली बात यह थी कि बीवी पास में सोई थी और उसे घटना की भनक तक नहीं लगी. ऐसा कैसे हो सकता है? यह सोच कर एसएचओ मनोज कुमार का माथा ठनक गया.

उन्होंने घटना की जानकारी एसपी केशव कुमार चौधरी और एएसपी कुंवर ज्ञानंजय सिंह को दे दी थी. साथ ही डौग स्क्वायड और फोरैंसिक टीम को सूचना दे कर मौके पर बुला लिया था. दोनों टीमें मौके पर पहुंच कर जांच में जुट गई थीं.

इसी दौरान एसपी केशव कुमार चौधरी और एएसपी कुंवर ज्ञानंजय सिंह भी मौके पर पहुंच कर जांचपड़ताल में जुट गए थे. घटनास्थल की जांच के बाद दोनों पुलिस अधिकारियों के मन में भी वही सवाल उठा था, जो इंसपेक्टर मनोज कुमार के मन में उठ चुका था.

खैर, लाश का पंचनामा कर उसे पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया गया और मृतक की पत्नी नुसरत जहां की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ हत्या की धारा 302 आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

पुलिस के घटनास्थल पर पहुंचने के बाद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष गयाप्रसाद मिश्र और मृतक के तमाम साथी वकील भी मौके पर पहुंच गए थे.

मौके पर मृतक का छोटा भाई रिजवानुल हक भी मौजूद था. गयाप्रसाद ने एसपी केशव कुमार चौधरी को चेतावनी दी कि अगर जल्द से जल्द इम्तियाजुल हक के कातिल नहीं पकड़े गए तो सारे वकील हड़ताल पर बैठ जाएंगे.

वकीलों की इस चेतावनी का पुलिस पर गहरा असर पड़ा. एसपी केशव कुमार चौधरी ने आननफानन में पुलिस की 4 टीमें गठित कर दीं, जिस में एक टीम दरगाह शरीफ, दूसरी एसओजी, तीसरी स्वाट विभाग और चौथी टीम सर्विलांस की बनाई थी.

एसपी ने शाम को चारों टीमों के साथ अपने आवास पर बैठक की. बैठक में घटना की समीक्षा की. उसी बैठक में एक बात खुल कर सामने आई कि जब पति और पत्नी एक ही बिस्तर पर साथसाथ सो रहे थे तो इतनी बड़ी वारदात की जानकारी पत्नी को क्यों नहीं हुई. इस प्रश्न ने मृतक की पत्नी नुसरत जहां को शक के दायरे में ला कर खड़ा कर दिया था.

130 मिस्ड काल का रहस्य

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की एक तहसील है मोहनलालगंज, जो लखनऊ से 23 किलोमीटर दूर है. तहसील में कोषागार यानी ट्रेजरी होने की वजह से वहां सिपाहियों की ड्यूटी लगती है. उस रात कोषागार की सुरक्षा के लिए सिपाही रामकिशोर और रामप्रकाश वर्मा की ड्यूटी थी.

रात ढाई बजे के करीब सिपाही रामकिशोर की नींद खुली तो वह लघुशंका के लिए बाहर निकला. उस की नजर तहसील परिसर में बने कुएं की ओर गई तो उस ने देखा कि कुएं के ऊपर लगे लोहे के जाल पर उस का साथी सिपाही रामप्रकाश वर्मा लटक रहा है.

यह देख रामकिशोर स्तब्ध रह गया. उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. रामप्रकाश वर्मा बहुत ही खुशदिल युवा सिपाही था. उस से ऐसी उम्मीद कतई नहीं थी. रामकिशोर कुएं के नजदीक पहुंचा तो पता चला कि मफलर का फंदा बना कर रामप्रकाश वर्मा ने आत्महत्या कर ली है.

कोतवाली परिसर में सिपाही द्वारा आत्महत्या करने की घटना ने उसे परेशान कर दिया. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे. उस ने यह बात कोतवाली जा कर सभी को बताई. घटना के बारे में पता चलते ही इंसपेक्टर धीरेंद्र प्रताप कुशवाहा और सीओ राजकुमार शुक्ला वहां पहुंच गए.

सिपाही की लाश देख कर हंगामा मच चुका था. तरहतरह की बातें होने लगी थीं. लोगों को लगा कि किसी दुश्मन ने सिपाही को मार कर इस तरह लटका दिया है. पुलिस ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया, लेकिन कुछ पता नहीं चल सका. इस के बाद पुलिस रामप्रकाश के बारे में व्यक्तिगत जानकारी जुटाने में लग गई.

रामप्रकाश वर्मा उत्तर प्रदेश के जिला प्रतापगढ़ के भोगापुर गांव का रहने वाला था. वह मध्यमवर्गीय परिवार का था. घर वालों को उस से बहुत उम्मीदें थीं. सन 2015 में 21 साल की उम्र में रामप्रकाश वर्मा की भरती उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही के रूप में हुई थी. वह उपासना नाम की एक लड़की (बदला हुआ नाम) से प्यार करता था. उस ने उपासना से वादा किया था कि नौकरी लगते ही वह उस से शादी कर लेगा.

उपासना और रामप्रकाश वर्मा की शादी में परेशानी यह थी कि दोनों अलगअलग जाति के थे, जिस की वजह से उपासना के घर वाले रामप्रकाश वर्मा से उस की शादी के लिए तैयार नहीं थे. शादी को ले कर दोनों के बीच कभीकभी झगड़ा भी हो जाता था.

रामप्रकाश की मौत के बाद आसपास रहने वालों ने बताया कि पिछली रात वह बारबार किसी को फोन कर रहा था और बेचैन सा इधरउधर घूम रहा था. पुलिस ने रामप्रकाश वर्मा का मोबाइल फोन अपने कब्जे में ले कर जांच की तो पता चला कि उपासना के नंबर से शाम 8 बज कर 38 मिनट से ले कर रात 11 बज कर 51 मिनट तक 130 बार काल की गई थीं. मोबाइल से साफ पता चल रहा था कि रामप्रकाश वर्मा ने उस से बात नहीं की थी. उपासना के नंबर से 7 मैसेज भी आए और रामप्रकाश ने भी 17 मैसेज किए.

पुलिस को रामप्रकाश के फोन में एक रिकौर्डिड मैसेज भी मिला. यह रात को 11 बज कर 33 मिनट पर रिकौर्ड हुआ था. मैसेज में कहा गया था, ‘तुम मुझे भूल जाना. हम मर जाएंगे, जो होगा वह तुम्हें सुबह पता चल जाएगा.’

सिपाही रामप्रकाश वर्मा की जेब से पुलिस को एक लवलेटर भी मिला. यह उपासना का लिखा हुआ था, जिस में कहा गया था, ‘तुम मुझे भूल जाना.’ जानकारों के मुताबिक रामप्रकाश वर्मा और उपासना को यह पता चल चुका था कि परिवार वालों की मरजी से उन की शादी नहीं हो सकती. इसलिए वे एकदूसरे को भूल जाने की सलाह दे रहे थे. रामप्रकाश को जब उपासना का पत्र मिला तो वह दुखी हो गया. इस के बाद उस ने तय किया कि अब वह उस से बात नहीं करेगा.

उपासना को लग रहा था कि पत्र पा कर उस को दुख होगा, क्योंकि वह बहुत ही सीधा सरल और भावुक था. ऐसे में वह कोई भी फैसला ले सकता था. इसी डर से वह रामप्रकाश को बारबार फोन कर रही थी. रामप्रकाश को लग रहा था कि अगर अब उस ने बात की तो वह अपने मन के भावों को छिपा नहीं पाएगा. ऐसे में उस के सामने एक ही रास्ता था कि वह आत्महत्या कर ले.

गुस्से में उसे यह भी नहीं सूझ रहा था कि इस बात को कैसे बताए. अंतत: उस ने रिकौर्डिड मैसेज में उपासना को यह बात बताई. अपनी बात कहने के बाद रामप्रकाश ने गले में मफलर का फंदा डाल कर आत्महत्या कर ली.

रामप्रकाश की मौत की जिम्मेदार जातिवादी सोच है. आज भी समाज में ऊंचीनीची जाति का फर्क बना हुआ है. इस के साथ ही जिन परिवारों के बच्चे सरकारी नौकरी में आ जाते हैं, उन की प्रतिष्ठा बढ़ जाती है. उन के परिवार वाले दिल में दहेज की चाहत ले कर बैठ जाते हैं. सामाजिक प्रतिष्ठा, दहेज और जातिवाद जैसी सोच हमारे समाज में अभी भी दिलों में गहरे तक बैठी है.

यही वजह है कि युवा अपनी पसंद की शादी नहीं कर पाते. कुछ मामलों में जब लड़के या लड़की की मनपसंद शादी नहीं हो पाती तो वे भावुक हो कर आत्महत्या जैसे फैसले कर लेते हैं. रामप्रकाश वर्मा के सामने यही परेशानी थी. वह योग्य था, उपासना को पसंद था, पर उपासना के घर वाले रुढि़वादी सोच का शिकार थे. ऐसे में वह उस से अपनी लड़की की शादी करने को तैयार नहीं थे.

रामप्रकाश अपनी इस सोच के आगे खुद को मजबूर पा रहा था. ऐसे में वह न तो उपासना को कुछ कह पा रहा था और न ही खुद कुछ कर पा रहा था. आखिर उस ने परेशान हो कर खुद की जान देने का फैसला कर लिया.

रामप्रकाश वर्मा की मौत ने एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि योग्य लड़के भी मानसिक दबाव का शिकार हो कर मौत को गले लगा रहे हैं. जबकि आमतौर पर यह समझा जाता है कि केवल टीनएज लड़के ही प्रेम संबंधों के दबाव में आ कर आत्महत्या जैसे फैसले कर लेते हैं.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कुछ पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं.

बेपनाह इश्क की नफरत : 22 साल की प्रेमिका का कत्ल – भाग 1

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के थाना अहरौला के अंतर्गत एक गांव अशहाकपुर पड़ता है. इसी गांव में केदार प्रजापति अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के छोटे परिवार में पतिपत्नी और 2 बच्चे थे, जिस में एक बेटी थी. उस का नाम आराधना रखा गया था और एक बेटा सुनील था, जो आराधना से छोटा था.

यही केदार प्रजापति का घरसंसार था. वह बेहद निर्धन किसान थे. गांव में झोपड़ी डाल कर परिवार के साथ रहते थे. बेटी आराधना थी तो लड़की लेकिन वह पिता के कंधे से कंधा मिला कर चलती थी.

संस्कार और असीम गुणों की खान आराधना ने पढ़ते हुए सिलाईकढ़ाई की ट्रेनिंग ले ली थी. पढ़ाई और घरगृहस्थी के कामों से फुरसत पाने के बाद वह कपड़ों की सिलाई करती थी. सिलाई से वह अपना और घर का खर्च निकाल लेती थी. बेटी के इन्हीं गुणों से पिता का सीना चौड़ा हुए जा रहा था.

बात 9 नवंबर, 2022 की दिन के 12 बजे के आसपास की है. आराधना के फोन पर एक काल आई थी. काल उस के बचपन की सहेली मंजू यादव ने की थी, ‘‘हैलो..’’ काल रिसीव करते हुए आराधना चहक कर बोली, ‘‘हाय मंजू, तुम कैसी हो? बड़े दिनों बाद मेरी याद आई?’’

‘‘मैं तो तुम्हें फोन कर के याद भी कर लेती हूं,’’ मंजू जवाब देती हुई बोली, ‘‘तुम बताओ, कितनी दफा मुझे याद करती हो या मुझे फोन करती हो?’’

‘‘अरे बाप रे बाप, जरा सा मजाक किया तो इतना गुस्सा?’’

‘‘गुस्सा न करूं तो क्या करूं. बात ही तुम ऐसी करती हो यार कि किसी को भी गुस्सा आ जाए.’’

‘‘सौरी बाबा, सौरी,’’ खिलखिलाती हुई आराधना आगे बोली, ‘‘कान पकड़ती हूं. अब तो गुस्सा थूक दो. अब मैं मजाक के मूड में नहीं हूं.’’

‘‘तो अब साहिबा किस मूड में हैं?’’

‘‘सच्ची बाबा, तेरी कसम. अब मजाक के मूड में नहीं हूं. वह तो तुम्हें छेड़ने के लिए थोड़ी दिल्लगी कर लेती हूं वरना मेरी क्या मजाल जो तुम्हें छेड़ूं?’’

‘‘अगर वाकई सीरियस हो चुकी हो तो कुछ कहूं?’’ मंजू गंभीर हो कर बोली.

‘‘हां, हूं. बोलो, क्या कहना चाहती हो?’’ आराधना ने सवाल किया.

‘‘मैं क्या कह रही थी कि मैं भैरोधाम मंदिर दर्शन करने जा रही थी, सोचा कि तुम से भी पूछ लूं. क्या तुम भी चलोगी?’’

‘‘नेकी और पूछपूछ?’’ आराधना ने चहकते हुए जवाब दिया, ‘‘कब से मेरा मन भैरोधाम घूमने का हो रहा था. साथ में कोई मिल ही नहीं रहा था, इसलिए सोचसोच कर मन मसोस कर रह जा रही थी.’’

‘‘खैर, बाकी बातें हम रास्ते में भी कर लेंगे. तुम फटाफट तैयार हो कर गांव के बाहर पुलिया के पास मिलो, मैं वहीं पहुंच रही हूं, बाय.’’ कहती हुई मंजू ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

आराधना का छोटा भाई सुनील उस समय घर पर ही था. उस ने भाई से मंजू के साथ भैरो मंदिर जाने की बात बता दी. मोबाइल फोन उस ने अपने पास रख लिया और जल्दी घर वापस लौटने की बात कह कर निकल गई थी.

रात के करीब 8 बज गए थे. मंदिर से दर्शन कर आराधना अब तक घर नहीं लौटी थी तो उस के पिता केदार प्रजापति और छोटा भाई सुनील बुरी तरह परेशान हो गए थे. मां इस हालत में नहीं थी कि वह बेटी के बारे में चिंता करे. क्योंकि बीमार होने की वजह से वह तो खुद ही दूसरे के ऊपर आश्रित थी.

रात जैसेजैसे शबाब पर चढ़ रही थी, बूढ़े पिता केदार की चिंता की लकीरें वैसेवैसे बढ़ती जा रही थीं.

मुख्यद्वार पर टकटकी लगाए केदार ने पूरी रात आंखों में काट दी थी. लेकिन न तो बेटी का फोन ही आया और न ही उस के बारे में पता चला कि वह कहां है. बेटी के घर न लौटने से बूढ़े बाप परेशान थे.

केदार ने बेटे सुनील को मंजू के घर भेज कर बेटी के बारे में पता लगाने को कहा तो सुनील कठही में मंजू के घर पहुंच गया. उस ने उस से आराधना के बारे में पूछा तो उस ने बताया, ‘‘हम तो शाम को ही मंदिर से घर लौट आए थे. वह अपने घर लौट गई और मैं अपने घर. क्या हुआ, आप इतने परेशान क्यों हैं?’’

‘‘आराधना अब तक घर नहीं लौटी है,’’ सुनील ने उसे बताया.

यह सुन कर मंजू हैरान होते हुए बोली, ‘‘वो तो मेरे साथ ही लौट आई थी. पता नहीं फिर वो कहां चली गई?’’

इस के बाद सुनील अपने घर लौट आया और पूरी बात पिता को बता दी.

बेटे की बात सुन कर केदार को यह समझते देर न हुई कि बेटी किसी मुसीबत है. केदार बेटे सुनील को ले कर तुरंत थाना अहरौला पहुंच गए और वहां मौजूद एसएचओ योगेंद्र बहादुर सिंह से मिले. उन्होंने अपनी 22 वर्षीय बेटी के रहस्यमय ढंग से गुम होने की बात उन्हें बताई.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि बीते कल दोपहर 12 बजे उस की सहेली मंजू का फोन आया था. उस के साथ भैरोधाम मंदिर जाने को कह कर निकली थी और अब तक घर नहीं लौटी.

यह सुन कर एसएचओ का माथा ठनका. उन्होंने केदार को उचित काररवाई करने का आश्वासन दे कर घर भेज दिया और लिखित तहरीर के आधार पर उस की गुमशुदगी दर्ज कर के आगे की काररवाई में जुट गए.

आराधना को लापता हुए 5 दिन बीत चुके थे. अब तक उस का कहीं पता नहीं चला था. 6ठें दिन यानी 15 नवंबर, 2022 को अहरौला थानाक्षेत्र के पश्चिपट्टी स्थित गौरी का पुरा गांव स्थित सड़क के किनारे कुएं से किसी चीज के सड़ने की जबरदस्त बदबू आ रही थी. आतेजाते लोग अपनी नाक पर रुमाल रख कर गुजरते थे.

हिम्मत जुटा कर ग्रामीणों ने कुएं के भीतर झांक कर देखा तो अंदर का दृश्य देख कर आश्चर्य के मारे आंखें फटी की फटी रह गईं. कुएं के भीतर पानी में कई टुकड़ों में सिरविहीन लाश तैर रही थी.

टुकड़ों में कटी लाश की खबर जंगल में आग की तरह चारों तफ फैल गई थी. गांव वाले दहशत के मारे सन्न थे. चौकीदार राम नयन ने दिल दहला देने वाली घटना की सूचना अहरौला थाने के एसएचओ योगेंद्र बहादुर सिंह को मोबाइल से दी.

2 आशिको की एक ही आशा – भाग 1

8जनवरी, 2023 का दिन था. पीलीगंगा, हनुमानगढ़ राजस्थान के एसएचओ विजय कुमार अपने कार्यालय मैं रोजमर्रा की फाइलों को निपटा रहे थे, तभी एक बदहवास से दिखने वाले युवक ने उन से कमरे में आने की गुजारिश की. एसएचओ की नजर जब उस युवक पर पड़ी तो वह काफी दुखी व परेशान दिखाई दे रहा था. एसएचओ ने उस युवक को अपने पास बुला कर सामने पड़ी कुरसी पर बैठने का इशारा किया. फिर उस से बोले, ‘‘हां, बोलिए क्या काम है आप का? यहां कैसे आना हुआ?’’

‘‘साहब, मेरा नाम सुनील कुमार है और मैं पीलीगंगा के ही वार्ड नंबर 2 में रहता हूं. मेरे 26 साल के चचेरे भाई राजू का कल रात किसी ने खून कर दिया. रात में ही कुछ लोग उसे सरकारी अस्पताल में ले गए थे. वहां बाद में डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया और उस की लाश अभी मोर्चरी में है. मुझे सुबह पता चला तो मैं अस्पताल में पहुंचा. वहां मैं ने जब लाश देखी तो उस के शरीर पर काफी चोटों के निशान थे. आप से प्रार्थना है कि आप इस केस को दर्ज कर हत्यारों के खिलाफ कठोर कानूनी काररवाई करें,’’ कहतेकहते उस युवक की आंखें आंसुओं से छलछला उठी थीं.

‘‘आप चिंता न करें, अभी आप की रिपोर्ट दर्ज कर हम उचित काररवाई करेंगे. जो भी दोषी होगा, उस के खिलाफ जरूर काररवाई की जाएगी,’’ एसएचओ ने भरोसा दिया.

मामला हत्या का लग रहा था, इसलिए एसएचओ विजय कुमार एसआई मोहन लाल को साथ ले कर सरकारी अस्पताल पहुंच गए. उन्होंने लाश का निरीक्षण किया तो पाया कि मृतक राजू की लाश का मुंह थोड़ा सा खुला हुआ था तथा उस के मुंह से झाग भी निकल कर बाहर आया हुआ था. मृतक के बाएं कान व नाक में भी खून आया हुआ था. गरदन पर रस्सी बांधने जैसे गहरे निशान थे और उन निशानों में खून जमा हुआ था. कमर पर भी 3 जगहों पर खरोंचों के निशान पाए गए. उन्हें भी मामला संदिग्ध लगा तो उन्होंने इस की सूचना एसपी अजय सिंह और सीओ को भी दे दी.

पुलिस ने अस्पताल में मौजूद मृतक की पत्नी आशा से भी पूछताछ की. पुलिस ने मौत की संदिग्धता को देखते हुए लाश का पोस्टमार्टम मैडिकल बोर्ड से करवाने के बाद और अज्ञात के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर के जांच शुरू कर दी.

यह घटना काफी दिल को दहलाने वाली थी. हत्या के विरोध में लोग जगहजगह धरनाप्रदर्शन करने में लगे थे. मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी अजय सिंह ने एएसपी सुरेश चंद्र व सीओ सुश्री पूनम के सुपरविजन में एक पुलिस टीम का गठन किया. टीम में एसएचओ विजय कुमार, एसआई मोहनलाल, हैडकांस्टेबल बलतेज सिंह, कांस्टेबल अविनाश, रमेश कुमार, संदीप, अमनदीप, प्रदीप, गुरतेज सिंह एवं महिला कांस्टेबल कैलम को शामिल किया.

पुलिस सरगर्मी से इस ब्लाइंड मर्डर की तहकीकात में जुटी हुई थी. पुलिस ने इस केस में अपने विश्वस्त मुखबिरों को भी सतर्क कर दिया था. 9 जनवरी, 2023 को एक मुखबिर अपने साथ एक 25-26 साल के नौजवान को ले कर थाने आया. उस ने एसएचओ से कहा, ‘‘साहब, यह निरंजन है. यह भिखारी है. इस ने उस रात की वारदात को देखा था.’’ मुखबिर ने उस युवक का परिचय कराया.

‘‘क्या देखा है तुम ने ? मुझे साफसाफ बताओ.’’ एसएचओ ने साथ आए युवक से पूछा.

‘‘साहब, मेरा न कोई आगे है और न पीछे. बस भीख मांग कर गुजारा करता हूं. कभी मंदिर की चौखट पर या कभी सड़क किनारे बने चबूतरों पर सो जाता हूं. साहब, मुझे इस बात का डर है कि यदि मैं ने आप को कुछ बताया तो वे लोग मुझे भी जान से मार सकते हैं. वे लोग बड़े निर्दयी हैं.’’ निरंजन ने घबराते हुए कहा. वह उस समय एक अज्ञात डर से कांप रहा था.

‘‘देखो निरंजन, तुम्हें पुलिस पर विश्वास है न, तुम्हें कुछ नहीं होगा. तुम मुझे बस यह बता दो कि तुम ने क्या देखा? तुम्हारा नाम या तुम्हारे बारे में हम किसी को भी नहीं बताएंगे,’’ एसएचओ विजय कुमार ने कहा.

‘‘साहब, रात के लगभग 12 बजे का समय हो रहा था. मैं उस दिन भागीरथी बोर्ड की एक दुकान के चबूतरे पर सोया हुआ था. अचानक एक आदमी की चीखों से मेरी नींद खुल गई. मैं ने कंबल से सोते हुए ही अपना सिर बाहर निकाला तो देखा कि 3 लोग एक युवक को पीट रहे थे. तीनों के हाथों में डंडे भी थे. फिर उसे मार कर वे तीनों वहां से भाग गए.’’ निरंजन ने कहा.

‘‘वे कौन थे?’’ एसएचओ ने पूछा.

‘‘साहब उन में 2 आदमी थे और एक औरत थी.’’ निरंजन ने कहा.

‘‘क्या तुम उन तीनों को पहचान सकते हो?’’

‘‘नहीं साहब, वहां पर अंधेरा था और मैं डर भी रहा था कि कहीं उन की नजर मुझ पर पड़ गई तो वे मुझे भी मार डालेंगे. इसलिए मैं डर के मारे फिर से सो गया. साहब, इस से ज्यादा मुझे कुछ भी मालूम नहीं है.’’ निरंजन ने हाथ जोड़ते हुए कहा.

‘‘ठीक है निरंजन, तुम बेफिक्र रहो. हम तुम्हारे बारे में किसी को भी कुछ नहीं बताएंगे. तुम भी यह बात किसी को मत बताना. तुम अपनी जिंदगी वैसे ही जीते रहो, जैसी तुम जीते आए हो. तुम अब जा सकते हो.’’ कहते हुए एसएचओ ने निरंजन को वहां से वापस भेज दिया.

ज्योतिषी के चक्कर में प्रेमी की हत्या – भाग 1

केरल भारत का दक्षिणी राज्य है. केरल-तमिलनाडु सीमा के दूसरी ओर कन्याकुमारी जिले के काराकोरम की रहने वाली थी 23 वर्षीया ग्रीष्मा. वह कन्याकुमारी के एक कालेज से एमए इंग्लिश की पढ़ाई कर रही थी. वह द्वितीय वर्ष की टौपर थी. वहीं परसाला के पास मुरयांगरा का रहने वाला था 24 वर्षीय जेपी शैरोन राज. वह नेयूर क्रिश्चियन कालेज में बीएससी रेडियोलौजी अंतिम वर्ष का छात्र था.

कालेज अलगअलग होने के बावजूद पढ़ाई के दौरान दोनों का अकसर मिलना हो जाता था. इसी दौरान दोनों की दोस्ती हुई और फिर प्यार भी. दोनों के ही परिवार पढ़ेलिखे व संपन्न थे.

ग्रीष्मा और शैरोन राज लगभग रोज ही मिलते. फिर वे घूमते, खातेपीते, बतियाते और मस्ती करते थे. दूसरे दिन मिलने का वायदा कर अलग हो जाते थे. धीरेधीरे दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा. शैरोन ग्रीष्मा को बेपनाह प्यार करने लगा था.

दिन में जब तक वह ग्रीष्मा से एक बार मिल नहीं लेता था, उसे चैन नहीं मिलता था. यही हाल ग्रीष्मा का था. ये दोनों की ही जिंदगी का सब से खुशगवार हिस्सा था. वे एकदूसरे के बेहद करीब थे. इसी तरह उन की दोस्ती और प्यार को एक साल यूं ही बीत गया.

इसे संयोग कहें या कुछ और क्योंकि पिछले कुछ दिनों से जब भी शैरोन अपनी प्रेमिका के साथ घूमने के दौरान कुछ खातापीता तो उस से मिलने के बाद उस की तबियत बिगड़ जाती थी. शैरोन को उल्टी होने लगती. शैरोन के घर वाले जब उस की तबियत के बारे में पूछते तो वह इसे इत्तफाक बता कर बात को टाल देता था.

जूस पीने से शैरोन की बिगड़ी तबियत

14 अक्तूबर, 2022 को ग्रीष्मा ने शैरोन को फोन कर अपने घर काराकोरम में बुलाया. शैरोन प्रेमिका ग्रीष्मा के घर पहुंचा. वहां ग्रीष्मा ने शैरोन की खातिरदारी की और उसे पीने के लिए जूस दिया. शैरोन ने जूस पी लिया लेकिन जूस में कड़वाहट थी, इसलिए ग्रीष्मा ने उसे मैंगो जूस भी पिलाया. ग्रीष्मा से मिलने के बाद शैरोन अपने घर के लिए चल दिया. रास्ते में उसे उल्टियां होने लगीं. खैर, किसी तरह शैरोन अपने घर पहुंचा.

घर वापस आने के बाद शैरोन की तबियत ज्यादा खराब हो गई. घर वालों ने उसे रात को परसाला के अस्पताल में, बाद में तिरुवनंतपुरम मैडिकल कालेज में भरती कराया.

डाक्टरों ने शैरोन की जांच करने के बाद उसे दवाइयां दीं. उस के खून का टेस्ट भी कराया. कई बार उल्टियां होने के बाद उसे राहत मिली. खून की रिपोर्ट भी सामान्य आई. इस पर अस्पताल से शैरोन को छुट्टी दे दी गई.

मगर 17 अक्तूबर को शैरोन की तबियत फिर से बिगड़ गई. उसे फिर से अस्पताल में भरती कराया गया. खून की जांच की गई तो उस में कई कौंप्लीकेशंस (जटिलताएं) दिखीं. शैरोन की हालत को देखते हुए उसे आईसीयू में भरती करना पड़ा.

अस्पताल में हो गई शैरोन की मौत

इस के बाद डाक्टर लगातार शैरोन को बचाने के प्रयास में जुट गए. लेकिन उस की तबियत बिगड़ती चली गई. बौडी और्गन फेल होने से उसे हार्टअटैक पड़ा और आखिर में 11 दिन इलाज के बाद 25 अक्तूबर को शैरोन की मौत हो गई.

शैरोन की मौत से तो उस के घर वालों पर जैसे आसमान टूट पड़ा. लेकिन प्रश्न यह था कि आखिर अचानक ये कैसे हुआ? शैरोन की तबियत एकाएक खराब होना महज इत्तफाक था या इस के पीछे कोई साजिश थी?

चूंकि शैरोन की तबियत तब खराब हुई थी, जब वह अपनी प्रेमिका ग्रीष्मा के बुलावे पर उस से मिलने उस के घर गया था. तब शैरोन के घर वालों को शक हुआ कि शायद बेटे की इस हालत के पीछे उस की प्रेमिका ग्रीष्मा का ही हाथ है. हालांकि अपनी मौत से पहले शैरोन की अपने घर वालों से बात हुई थी और उस ने किसी पर भी, खासकर अपनी प्रेमिका ग्रीष्मा पर तो बिलकुल भी शक नहीं जताया था.

लेकिन शैरोन की मौत के 4 दिन बाद यानी 29 अक्तूबर को उस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई, जिस से बाजी पूरी तरह से पलट गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो गई कि मौत से पहले शैरोन को जहर दिया गया था, जो उस की मौत का कारण बना.

29 अक्तूबर को मामले की जांच डिस्ट्रिक्ट क्राइम ब्रांच ने अपने हाथ में ले ली. पोस्टमार्टम के बाद डाक्टरों ने शैरोन की बौडी के कैमिकल एग्जामिनेशन की सिफारिश की थी. शैरोन का इलाज करने वाले डाक्टर ने घर वालों को बताया कि शैरोन की उल्टी का रंग हरा था. आमतौर पर ऐसा तब होता है जब कोई जहरीला पदार्थ किडनी या लीवर को नुकसान पहुंचाता है.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुआ खुलासा

पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने शैरोन के परिजनों को हिला कर रख दिया. रिपोर्ट में शैरोन की मौत का कारण जहर आया था, जहर के कारण उस की तबियत खराब हुई और धीरेधीरे उस के शरीर के अांतरिक अंगों ने काम करना बंद कर दिया, जिस के चलते उसे हार्टअटैक आया और उस की मौत हो गई.

सवाल यह था कि शैरोन की हत्या करने के लिए उसे जहर किस ने दिया और इस से उस का क्या फायदा होने वाला था?

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद शैरोन के पिता जयराम ने इस संबंध में ग्रीष्मा और उस के घर वालों के खिलाफ साजिश के तहत धीमा जहर दे कर हत्या करने का आरोप लगाते हुए थाना नेडुमंगाड में रिपोर्ट दर्ज करा दी.

आरोप में यह भी कहा गया कि ग्रीष्मा से मिलने के बाद शैरोन की तबियत खराब हो जाती थी और वह अकसर उल्टी कर देता था. रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने पूछताछ के लिए 30 अक्तूबर को ग्रीष्मा, उस के मातापिता व एक रिश्तेदार को सुबह 10 बजे एसपी औफिस बुलाया. डीएसपी जौनसन और एएसपी सल्फिकर के नेतृत्व में जांच दल ने उन से पूछताछ की.

इस के बाद ग्रीष्मा को हिरासत में ले लिया गया. हिरासत में लिए जाने के बाद ग्रीष्मा पुलिस स्टेशन के बाथरूम में फ्रैश होने के बहाने गई और उस ने वहां रखा बाथरूम क्लीनर पी कर खुदकुशी करने की कोशिश की.

इस बात की जानकारी होते ही थाने में हड़कंप मच गया और आननफानन में ग्रीष्मा को नेदुमंगाड तालुक अस्पताल में उपचार के लिए ले जाया गया. हालत गंभीर होने पर उसे आईसीयू में भरती कर लिया गया. 31 अक्तूबर को पुलिस ने इस बात की पुष्टि कर दी कि शैरोन की हत्या उस की गर्लफ्रैंड ने ही की थी. कुछ दिन बाद ग्रीष्मा की स्थिति ठीक हुई. अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

ये दिल आशिकाना : क्या कसूर था शिल्पा का – भाग 1

मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर भेड़ाघाट धुआंधार जलप्रपात के लिए विख्यात है. प्रसिद्ध भेड़ाघाट रोड पर ही मेखला रिसोर्ट नाम का एक भव्य होटल है. 8 नवंबर, 2022 को इसी रिसोर्ट में एक ऐसी घटना घटी कि सभी हैरान रह गए. उस दिन इस होटल का रूम नंबर 5 न तो खुला और न ही वहां से दोपहर 12 बजे तक किसी तरह का और्डर बुक हुआ तो होटल के कर्मचारियों को शंका हुई.

उस होटल के एक कर्मचारी ने कमरे का दरवाजा खटखटाया. दरवाजा खटखटाने के बाद भी अंदर से कोई जबाव न मिला तो इस की सूचना मैनेजर को दी गई. मैनेजर ने होटल के रजिस्टर को चैक किया तो पता चला कि 6 नवंबर, 2022 को रूम नंबर 5 को  अभिजीत पाटीदार नाम के शख्स ने बुक कराया था, उस के साथ उस की गर्लफ्रैंड भी थी.

होटल के रिसैप्शनिस्ट ने मैनेजर को बताया कि रूम बुक करते समय अभिजीत ने अपने आप को गुजरात का निवासी बताते हुए अपने साथ आई युवती का नाम राखी मिश्रा बताया था और दोनों के आधार कार्डों की फोटोकापी भी पहचान के तौर पर जमा कराई थी.

रूम लेते समय अभिजीत ने बताया था कि वे गुजरात के रहने वाले हैं और किसी काम से जबलपुर आए हैं. दोनों ने चैकइन के लिए आधार कार्ड देते हुए रिसोर्ट काउंटर पर 1500 रुपए जमा किए, उस के बाद उन्हें होटल में कमरा दिया गया था.

होटल के मैनेजर को कुछ गड़बड़ होने का शक हुआ तो उस ने तुरंत ही तिलवारा थाने में फोन कर के सूचना दे दी. सूचना पा कर कुछ ही देर में टीआई लक्ष्मण सिंह झारिया पुलिस टीम के साथ मेखला रिसोर्ट पहुंच गए.

मौके पर पहुंचे टीआई लक्ष्मण सिंह झारिया की मौजूदगी में मास्टर चाबी से रूम का दरवाजा खोला गया तो अंदर बैड पर रजाई से ढका एक महिला का सिर दिखाई दे रहा था.

जैसे ही पुलिस टीम ने रजाई हटाई तो वहां एक युवती की खून से सनी लाश पड़ी हुई थी. कमरे की तलाशी लेने पर पुलिस को कमरे से शराब की 2 बोतलें मिलीं. इन में से एक बोतल खाली, जबकि दूसरी आधी भरी हुई थी. घटनास्थल पर 2 गिलास और खून से सने 2 ब्लेड भी पलंग के नजदीक पड़े मिले, जिस से यह जाहिर हो रहा था कि इन्हीं से युवती की कलाई और गला काटा गया है.

इसी बीच टीआई ने घटना की जानकारी एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा और सीएसपी प्रियंका शुक्ला (आईपीएस) को दे दी. आला अधिकारियों के निर्देश पर फोरैंसिक टीम भी रिसोर्ट में पहुंच गई.

फोरैंसिक एक्सपर्ट ने रूम नंबर 5 का बारीकी से निरीक्षण कर वहां मिले कांच के गिलास, शराब की बोतलों और ब्लेड से फिंगरप्रिंट ले लिए. पुलिस टीम ने जब होटल के स्टाफ से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि 6 नवंबर दोपहर 2 बजे होटल में दोनों ने चैक इन किया था.

कुछ घंटे होटल के रूम में रुकने के बाद शाम को दोनों साथ होटल से बाहर घूमने निकले थे, परंतु रात में युवक अकेला लौटा. अगले दिन 7 नवंबर को अभिजीत ने होटल में ही खाना खाया और फिर दोपहर में बाहर निकल गया.

शाम 4 बजे वह युवती के साथ होटल लौटा और रूम में चला गया. करीब ढाई घंटे बाद शाम साढ़े 6 बजे अभिजीत होटल से निकला और फिर वापस नहीं लौटा. 8 नवंबर को जब दोपहर तक रूम नहीं खुला तो पुलिस को सूचना दी गई.

पुलिस ने जब होटल में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी तो होटल में रुकने के पहले दिन वे सीसीटीवी में साथ जाते साफ नजर आए. हालांकि रात में युवक अकेले ही होटल लौटा था.

होटल में मिले दस्तावेजों से पुलिस को पता चला कि जो राखी नाम की युवती अभिजीत पाटीदार के साथ होटल में रुकी थी, वह जबलपुर के ओमती इलाके की रहने वाली थी.

पुलिस ने जब युवती के घर वालों को इस बात की जानकारी दी तो उस के घर वालों ने बताया कि राखी तो घर पर ही है. यह जबाब सुन कर पुलिस का माथा ठनका और पुलिस टीम ने राखी से वीडियो काल कराने को कहा.

टीआई ने राखी से वीडियो काल करते हुए होटल में मिली युवती की लाश का फोटो दिखाते हुए पूछा, ‘‘क्या तुम इसे जानती हो?’’

तो राखी ने युवती का फोटो देख कर चौंकते हुए पुलिस को बताया, ‘‘सर, ये तो शिल्पा झारिया है,जो गोरखपुर में ब्यूटी पार्लर चलाती है.’’

‘‘उस के पास तुम्हारा आधार कार्ड कैसे आया?’’ टीआई झारिया बोले.

‘‘सर, शिल्पा से मेरी जानपहचान करीब 3 साल से है. मैं उस के ब्यूटी पार्लर जाती थी, कुछ समय पहले मेरा आधार कार्ड गुम हो गया था तो मैं ने उस की दूसरी कौपी निकलवा ली थी.’’

राखी से हुई वीडियो काल से पुलिस को मालूम हुआ कि जबलपुर के होटल में जिस युवती का शव मिला था, वह राखी मिश्रा का नहीं, बल्कि 21 साल की शिल्पा झारिया का था, जो कुंडम थाना क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली थी.

जबलपुर पुलिस ने कुंडम पुलिस की मदद से शिल्पा के घर वालों को यह सूचना दी और लाश मोर्चरी में रखवा दी. खबर मिलने पर देर रात शिल्पा के पिता गुलाब झारिया तिलवारा थाने पहुंचे, जहां से पुलिस उन्हें मोर्चरी ले कर पहुंची. मोर्चरी में रखे अपने बेटी के शव को देख कर वे फूटफूट कर रोने लगे.

इसी दौरान 11 नवंबर, 2022 को इस हत्याकांड से जुड़े 2 वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए. एक वीडियो में हत्या करने वाला युवक रजाई उठा कर खून से लथपथ युवती को दिखा रहा था.

वहीं दूसरे वीडियो में आरोपी युवक वारदात की वजह बताते हुए इस में अपने एक बिजनैस पार्टनर के शामिल होने की बात कह रहा था. उस का कहना था कि शिल्पा मेरे पार्टनर से बारबार पैसों की डिमांड कर रही थी. उसी के कहने पर मैं ने उसे मार दिया.

11 नवंबर की सुबह सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में मृत युवती बेड पर रक्तरंजित अवस्था में पड़ी हुई थी और आरोपी बौयफ्रैंड गुस्से में कह रहा था, ‘बेवफाई नहीं करने का…’

इस के बाद उस ने गाली देते हुए कहा, ‘बेवफाई करने वालों का हश्र ऐसा ही होता है.’

उस वीडियो में बैकग्राउंड में पंजाबी गाना भी चल रहा था. वीडियो में युवती अंतिम सांसें लेते हुए भी दिख रही थी. चारों तरफ बैड पर खून फैला हुआ था.